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आआगे बहोत कुछ है दोस्तNice Bhai bahen ka rishta bhi badal raha
जुड़े रहिये कहानी के साथ साथ और अपनी राय देते रहिये
आआगे बहोत कुछ है दोस्तNice Bhai bahen ka rishta bhi badal raha
Hmm mast lagta aaj Rekha ka kuch ho jayeपहले औरत को नंगा करके उसके अंग–अंग को खूब चूमना चाहिए और मसलना चाहिए और जब औरत खुद गरम हो कर चोदने को बोले तब, चूत मे लंड पेल कर खूब दबा-दबा कर चुदाई करनी चाहिए। उसने कहा की कुछ भी हो सुंदरी को जल्द ही अपना लंड का स्वाद चखाएगा और पलटा कर उसकी मस्त उठी-उठी गांड मारेगा और शहर ले ज़ाकर अपने दोस्तो से भी चुदवाएगा।
उसने परम से कहा की एक चुदाई का दस हज़ार देगा।
परम हसने लगा और बोला, "अरे भोसडिके, उसने शेठजी का 30 हज़ार लौटा दिया और तुम दस हज़ार मे चोदोगे? और वो भी गांड के साथ? मुझे लगता है की 50 हज़ार मे शायद मान जाए।"
विनोद ने यह भी बताया की पिछले एक साल से अपनी माँ और शादीशुदा बड़ी बहन को चोद रहा है। उसके अलावा जब कोलकता जाता है तो रंडी को चोद कर आता है।
परम ने उदास होकर कहा की “उसने अभी तक कोई नंगी औरत भी नही देखी है और सुंदरी तो हाथ भी छुने नही देती है।“
“अरे जब सोती है तो धीरे धीरे उसके बदन को नंगा करो और अपना कड़क लंड दिखाओ। उससे खूब गंदी गंदी बाते करो, साली खुद ही तेरा लंड अपनी रसीली चूत मे लेगी।”
विनोद ने परम को थपथपाया और कहा जल्दी ही मै तुम्हे एक साथ दो-दो चूत के दर्शन कराउंगा लेकिन तुम सुंदरी को चुदवाने के लिए तैयार करो। मेरे लंड को सुदरी की चूत की प्यास है। मेरा लंड सुंदरी की चूत का प्यासा है। मुझे तुम्हारी माँ के सारे छेद चाहिए। और मेरा लंड तुम्हारी माँ की चूत में अपने अंडकोष खाली करने को बेताब है।“
घर वापस आते हुए परम ने कल से लेकर आज तक की बात सोची। उसे सबसे ज़्यादा मज़ा रेखा की चूत को कपड़े के उपर से दबाने मे आया था। लेकिन परम सबसे पहले आपनी माँ को ही चोदना चाहता था। महेक को तो जब चाहे तब चोद सकता है।
उसने अपने भगवान से प्रार्थना की कि रेखा के चूत का दर्शन करवा दे। भगवान ने उसकी सुन ली।
घर वापस आया तो देखा की महेक भी आ चुकी है। परम ने कपड़े बदले और तब उसकी माँ सामने आई। उसने सिर्फ़ पेटिकोट और उपर ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज के उपर से आधे स्तन फुदक के दिख रही थी।
“बेटे, जल्दी से नाश्ता करके कपड़े बदल लो। मुझे शेठानी ने बुलाया है। नाश्ता ख़तम होने के बाद महेक बाथरूम गयी और परम ने पिछे से माँ को जकड़ लिया।
दोनो हाथो से माँ की बोबले को दबाने लगा।
“अभी छोडो, बेटी घर मे है। वापस आकर मौका मिलेगा तो मज़ा दुंगी।”
सुंदरी ने बेटी को कुछ समझाया और फिर साडी पहनकर परम के साथ बाहर निकल गयी। सायकल रिक्शा मे बैठ कर दोनो शेठ के यहा जाने लगे।
परम माँ से सटकर बैठा था और रास्ते मे जान पहचान के लोगो को विश भी करता जा रहा था। सुंदरी आराम से छाती तान कर बैठी थी।
परम ने शेठ और विनोद की सारी बात माँ को बतलाई। परम को लगा की 50 हज़ार का बात सुनकर माँ को अच्छा लगेगा।
सुंदरी ने फुस फुसाकर कहा “आज तक मै शेठ के साथ अकेली नही मिली हूँ। शेठानी या तेरा बाप हमेशा साथ रहता है।”
आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
सुंदरी ने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी जांघो पर रखा और कहा “ मौका मिलेगा तो शायद मै उससे चुदवा लूँगी।’
परम ने हाथ बढ़ा कर माँ के जांघो के बीच हाथ रखकर चूत को दबाया और शेठ का घर आने तक दबाता रहा।
दोनो घर के अंदर गये। शेठानी अपनी बेटी रेखा के साथ दिवान पर बैठी थी। परम को देखते ही रेखा अंदर चली गयी।
परम को सुबह वाली घटना याद आई और उसका मन किया की रेखा को प्यार करे। सुंदरी और शेठानी कुछ बाते कर रहे थे।
“शेठानीजी, क्या मै रेखा के कमरे मे जाऊ?” परम ने पूछा।
जवाब आप लोग भी दे सकते है ...........................रेखा के कमरे में ले जाऊ?????
होगा होगा जरुर होगा धैर्य रखिये और कहानी के साथ जुड़े रहे................Hmm mast lagta aaj Rekha ka kuch ho jaye
Nice 1“हा, जाओ!”
परम तुरंत अंदर गया। वहां रेखा सोफा पर बैठी थी। परम को देखते ही उसने दोनो हाथो से अपनी आंखे बंद कर ली।
रेखा ने फ्रॉक पहन रखी थी जो उसके आधे जांघो तक ही थी। परम उसके सामने ज़मीन पर बैठ गया ओर बिना झीझक के रेखा के दोनो घुटनो पर हाथ रख दिया।
रेखा ने अपने दोनो हाथो को आंखे से हटाकर जांघो के बीच रख लिया।
“तुम बहुत गंदे हो, कार मे क्या कर रहे थे!”
“और तुम बहुत सुंदर हो।” परम धीरे धीरे रेखा की नंगी जांघो को सहलाने लगा।
“क्या कर रहे हो, हाथ हटाओ!” रेखा ने फ्रॉक को चूत के उपर और ज़ोर से दबाया।
परम का हाथ धीरे धीरे जांघो पर उपर बढ़ा।
“रेखा तुम्हारी शादी होने वाली है। तेरा घरवाला बहुत किस्मत वाला होगो जो तुम्हारी मस्त जवानी का मज़ा लेगा।” उसने कुछ सोच कर फिर से बोला “तुम मुज से शादी क्यों नहीं कर लेती? तुमको तो पता है ना मैं तुम्हे बचपन से ही कितना प्यार करता हु..!
परम ने रेखा की आंखों में आंसू देखे.. लेकिन सिर झुका लिया..
“झूठ क्यों बोलते हो…..तुम मुझे नहीं पूनमको प्यार करते हो…..तभी तो रोज उसको चूमते हो और उसका माल दबाते हो…..” उसने परम की ओर देखा और कहा…
“वैसे भी तुम हम दोनो (रेखा और पूनम) से बहुत छोटे हो…..हम तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकते…हमें तो मर्द चाइये और तुम अभी बच्चे हो…।” उसने फीकी मुस्कान दी.
रेखा खुद परम को सबसे ज्यादा पसंद करती थी... लेकिन वह यह भी सोच रही थी कि परम उसके या पूनम के लिए अच्छा मैच नहीं है।
अचानक उसे जांघों के अंदरूनी हिस्से पर दबाव महसूस हुआ...
“परम, हाथ हटाओ” लेकिन परम ने फ्रॉक को पूरा उपर तक हटा दिया। अब कमर के नीचे सिर्फ़ चूत का भाग फ्रॉक से ढका था और रेखा ने उसे हाथो से दबा रखा था।
“परम, प्लीज़ छोड़ दो। कोई आ जाएगा!”
“ श... कितनी चिकनी है! बिल्कुल बटर जैसी! मन करता है की चाट जाऊ।”
इतना कहकर परम ने रेखा के पैर को फैलाया और अंदरकी जांघो को चाटने लगा।
रेखा सिहर गयी। उसको भी मज़ा आ रहा था। उसका मन किया की हाथ हटा कर परम को अपनी चूत चटवाए लेकिन उससे लाज आ रही थी। पहला मौका था की कोई उसकी जांघो को चूस रहा था। उसे लगा की परम थोड़ी देर और उसे चुसेगा तो अपने आप को नही रोक पाएगी।
इधर परम की जुबान जांघो के अंदरकी हिस्सो को चूम रही थी। उसकी जुबान ने रेखा के हाथ के नीचे से चूत को छुना चाहा लेकिन रेखा दोनो हाथो से चूत के उपर कपड़े को दबा कर बैठी थी। परम का हाथ रेखा के कमर से उपर बढने लगा और उसने दोनो बोबले को दबोच लिया और कस कर दबाया।
रेखा की चुचि भी बहन महेक के बोबले जैसी टाइट थी लेकिन उससे बड़ी-बड़ी थी। अब रेखा को लगा की अगर उसने परम को नही रोका तो खुद ही नंगी होकर परम से चुदवाएगी। पर उसने मन ही मन निश्चय किया की कुछ भी हो शादी के पहले चूत मे लंड नही लेगी,15 दिन के बाद ही शादी थी।
परम खूब प्यार से जांघो को चाट रहा था और बोब्लो को मसल रहा था। रेखा बोबले पर से परम का हाथ हटाना चाहती थी लेकिन उसे मालूम था की अगर उसने अपना हाथ हटाया तो परम चूत को चाटने लगेगा फिर रेखा चुदाई नही रोक पाएगी।
"आह.. परम बस बहुत हो गया। अभी तुम जाओ, कल तीन बजे आना जो देखना चाहते हो सब दिखाऊँगी।" वह अपने पहले प्यार परम को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती थी और पूनम को परम के साथ सेक्स अनुभव बताना चाहती थी। वह हर बार कहती थी कि परम उसे चूमता था, दबाता था और उसे जलन होती थी। अब शादी तय हो गई थी... तो वह परम के साथ थोड़ी आज़ादी ले सकती थी।
उसने परम को ढकेल दिया और खुद खड़ी हो गयी। परम चुप चाप खडा हो गया।
बने रहिये....आपकी फीडबेक देते रहिये ........
Chalo acha hua Param ko pehli chut mil gayi 50 saal ki sethani ki he mili hai abhi"चोदुंगा रानी और गांड भी मारूँगा।"
परम ने ज़ोर से धक्का मारते मारते कहा, "लंड नही चुसोगी ? "
"चुसूंगी,लेकिन आज नही कभी अकेले मे।"
फिर दोनो जम कर चुदाई करने लगे और थोडी ही देर में शेठानी पस्त हो गयी।
"लंड बाहर निकाल लो, अब दर्द कर रहा है। मै सुंदरी जैसी जवान नही हूँ की लंड खाती राहु।"
लेकिन वह कहा सुननेवाला था,परम धक्का मारता रहा और उसके लंड ने शेठानी के सुखी हुई चूत मे पानी पानी का छंटकाव कर दिया और उसकी चूतरस से उसके वीर्य से मिला कर पूरी भर दी।
ठंडा होने के बाद परम शेठानी के उपर से उतरा और दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए। शेठानी थोड़ी देर तक लंड को मसलती रही…..सच बेटा बहुत मस्त लंड है….और इतना मोटा सुपारा….रेखा की चूत फट जाएगी…मेरी बेटी को थोडा आराम से चोदना बेटे, वह शायद ही तेरे लंड को झेल पाए, एक-दो बार उसकी फट जायेगी पर बाद में तेरे लिए अपनी चूत खुली रखेगी।”
थोड़ी देर बाद सुंदरी बाहर निकली।
"शेठानीजी सब बना दिया है। अब हम लोग जाते है।"
सुंदरी ने कहा और फिर पूछा "परम तुमने ठीक से पाव दबाया ना।"
"अरे तेरा बेटा तो बहुत अच्छा दबाता है। फिर आना बेटा!"
शेठानी उठी और 1000 रुपये सुंदरी को दिया। "रख लो" और बहुत अच्छा लगता है..और तेरा ये बेटा बहुत प्यारा है..और जब तक शादी है आती रहना और परम को भी लाना। सेठानी ने सुंदरी के सामने परम के गालो को चुमते हुए कहा…। थोड़ी देर के लिए रोज आ जाया करो..” श और अनुरोध किया… यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है।
और हा, एक बार मेरे शेठ को खुश कर दो। बेचारा पागल हो गया है तुम्हारा माल खाने के लिए…। और मुझे भी तो दिखा दे तेरा माल कैसा लग रहा है कि मेरा बंदा उसे खाने को बेताब हो गया है, एक बार अपने सारे छेद दिखा दे।"
यह सुनकर सुंदरी के गाल लाल हो गये। वो केवल मुस्कुराई और घर चली गई। वापसी में परम रिक्शे पर सुंदरी के बगल में बैठ कर पूरे रास्ते चूत को सहलाता रहा और शेठ से चुदवाने के लिए मनाता रहा। दोनों घर आ गये। परम शेठानी को चोदकर बहुत खुश था और उसने निश्चय किया की कल ही वो अपनी माँ को चोदेगा।
यह अपडेट कैसा लगा !!!!!!
अपनी राय देना ना भूलियेगा।
Behtreen updateUpdate 07
पूनम को लगा की कुछ ज्यादा बाप-बेटी में वार्तालाप हो गया है, शायद महक खुल के ना बोल देगी तो!!!!
पूनमने अपनी जांघें फैला दीं और फिर पूछा, "महक देख तो, मेरी चूत फटी तो नहीं?" और उसने खुद ही अपनी चूत के होंठों को सहलाया और दूर खींच लिया।
"मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि इतना मोटा लंड इस पतली सी चूत में कैसे घुस गया..घुस भी गया और उसका भयानक रूप भी दिखा दिया अन्दर उसने काफी धमाल की थी। सच में!"
मुनीम ने दूध खत्म किया और नंगा ही टॉयलेट चला गया। जब वह आधा खड़ा, और लहराता लंड लेकर लौटा, तो पूनम टॉयलेट चली गई। जैसे ही पूनम नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने महक को खींच लिया। उसने उसे एक बाँह में लिया और अपने नंगे बदन से चिपका लिया। वह सिहर उठी। हालाँकि पिछले पंद्रह दिनों से वह अपने भाई के साथ अनाचार का आनंद ले रही थी, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका इतना सीधा-सादा दिखने वाला पिता उसकी दोस्त के साथ संभोग करेगा और बेटी साथ नंगा बैठने में कोई आपत्ति नहीं करेगा। वह यह सब सोच ही रही थी कि मुनीम ने उसे बाहों में ले लिया और एक हाथ से उसके गालों को सहलाते हुए बोला,
“बेटे, माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हारी सहेली को चोदा है।”
“नहीं बाबूजी, आप नाहक चिंता कर रहे हो, यह भी किसी को कहने की बात है भला! घर की तो बात है और मैं समज सकती हु की परिश्थिति जी कुछ ऐसी बन गई थी की यह सब होना ही था, आखिर आपका भी तो लंड है और जवान माल सामने हो तो कोई भी अपना लंड शांत करने की कोशिश करेगा, आप डरिये मत, यह सब घर की ही बात है और मैं किसी को नहीं बोलूंगी।”
उसने अपना हाथ नहीं हटाया और मुनीम ने उसका हाथ अपनी बेटी के स्तन पर फिसलने दिया। उसने उन्हें धीरे से दबाया।
“तुम्हारी बोबले तो पूनम से बड़े है।” के सहलाता रहा और दबाता रहा। उसने देखा के महक का कोई विरोध नहीं है तो उसको थोड़ी हिम्मत आई।
“बेटे, एक बार कपड़े उतार कर अपनी पूरी जवानी दिखाओ ना!” मुनीम ने उसकी जाँघों के बीच हाथ फिराया।
“मुझे शर्म आ रही है.. घर में कोई नहीं होगा तो दिखा दूंगी..”
महक ने जवाब दिया, पर वह अपनी चूत पर अपने पिता के हाथ का दबाव महसूस कर सकती थी। मुनीम खूब आराम से एक हाथ से अपनी जवान बेटी की मस्त बोबले को रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से फ्रॉक के ऊपर बेटी की चूत को दबा रहा था। मुनीम ने उसके थन को दबाते हाथ को फ्रॉक के नीचे घुसाया और मुनीम का हाथ बेटी की गरम चूत से सुत गया..
"बाबूजी मत करो..!" महक फुसफुसा कर बोली। हलाकि उसने अपने पिता का हाथ वहा से हटाया नहीं।
“बस एक बार मेरे इस लंड को अपनी चिकनी चूत से रगड़ने दो!” यह मैत्री और फनलवर से अनुवादित कहानी है।
मुनीम ने बेटी की स्तन को छोड़ कर, बेटी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। लंड टाइट होने लगा था, मुनीम ने महेक के चूत को मसलते हुए कहा:
“बेटी लंड को सहलाओ।”
महक लंड को मुठ मारने लगी और लंड बहुत टाइट होने लगा…उसका बड़ा सुपारा अब उसकी चमड़ी से बाहर आके अन्दर जाने लगा।”
“साली पूनम ने इतना मोटा लौड़ा चूत के अंदर लिया कैसे..?” उसने खुद से फुसफुसाया।
मुनीम ने फ्रॉक उठाकर अपनी बेटी की चूत देखी।
“बेटी, चूत को लंड से सटाओ..।”
“नहीं बाबूजी, अभी नहीं…पूनम के सामने नहीं…।” मौका मिलने पर पूरा लंड चूत में समा दूंगी…। ऊपर से करो बस।“
वे एक-दूसरे को सहला रहे थे और उसी समय उन्हें पूनम के कदमों की आवाज़ सुनाई दी। तुरन्त महक चारपाई से उतर कर मुनीम से दूर कड़ी हो गई। पूनम नंगी आ गयी, उसने मुनीम का लंड पकड़ लिया और बोली:
“साला, काका तुमने इतना जोर-जोर से चूत में धक्का मारा की टट्टी (स्टूल) निकल गया। और चूत तो खून से लथपथ हो गई है।”
वह नीचे झुकी और सुपाड़े पर एक चुम्बन ले लिया। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है।
“मेरे चूत का मालिक हो गया अब तो यह लंड! मस्त सुपर है यह उसीने मेरी चूत की झिल्ली को फाड़ डाली और अब मैं एक औरत हो गई हु। बेटीचोद फिर से तुन गया है.. अब किसका चूत फाड़ेगा?” उसने महक की ओर देखा और कहा, “आजा महक अब तू चुदवा ले..।”
“आज तू ही चुदवा, पहली बार बहुत दर्द हुआ था ना..इस बार चुदवायेगी तो बहुत मजा आएगा।” उसने मुनीम की ओर देखा और कहा,
“बाबूजी एक बाद फिर से इसे चोदो..” उसने बाबूजी को आँखों से इशारा कर के आगे बढ़ने को कहा। और खुद ने सोचा मुझे इस राक्षसी लंड से बचना ही होगा।
“तेरा बाप मुझे चोदे इससे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी… तुमने ने मेरा चूत चाट कर इतना गरम कर दिया था कि मेरे तुम्हारे बाप का लंड से चूत को ठंडा करना पड़ा। तुम्हे पता भी है की इस मोटे लंड ने मुझे कितनी बार झडा दिया! मेरी इस मुनिया बहोत बार झड़ी है अब मुझे नहीं लगता की मेरी चूत में अब और पानी होगा।”
“बेटी, चूत तो पानी का दरिया है और वह पानी छोडती रहती है और मेरा लंड भी तो पानी भरेगा। चूत तो जितनी बार झाडे उतना चूत का लिए और बाकि शरीर के लिए अच्छा ही है।“ मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
“जी बाबूजी, आप सही कह रहे हो।“ महक ने बाबूजी की बात में हामी भरी और पिताजी को उकसाने की कोशिश करी।
पूनम: अब ज्यादा शानी मत बन महक! क्या सिर्फ तुम्हारी माँ ही तुम्हे यह सब सिखाती है! मेरी माँ ने मुझे नहीं सिखाया होगा!”
पूनम महक के पास गई और उसका फ्रॉक ऊपर कर दिया और बोली : काका, जो आपने कहा वह सब मैं जानती हु, लेकिन यह माल भी देखिये, शायद आपको अच्छा लगे, वैसे मैं अभी थकी हुई भी हु लेकिन मेरा मन कह रहा है इस मस्त लंड को जाने मत दे और समा ले अपनी चूत में फिर से।“
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