“लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”
अब आगे............
“कौन, कब, कैसे?”
परम ने पुष्पा के सीने पर से अपना मुंह हटा लिया और जांघो को सहलाते पेटीकोट को थोड़ा और ऊपर उठा दिया। परम पेटीकोट को और ऊपर करता उस से पहले पुष्पा ने पेटीकोट को अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और कहा,
“बस, बेटा, अब और ऊपर नहीं।” फनलवर नीता की रचना।
इतना कहकर पुष्पा ने पेटीकोट को पैंटी की तरह अपने कमर पर समेट लिया। अब सिर्फ चूत और जघन क्षेत्र को कवर किया गया था बाकी पूरा पैर कमर तक नंगा था।
"तुमको मेरी जांघें बहुत पसंद हैं ना, जितना मन करता है सहलाओ या मसलो। बस अंदर हाथ मत डालना।" और पुष्पा ने अपनी टांगो को पूरी तरह फैला दिया। फिर बोलती रही,
"मैं जब ससुराल, इस गांव में आई तो देखा एक लड़का बार-बार मेरे पास आता है। मौका मिलते ही मेरा हाथ पकड़ता है। कई बार तो उसने मेरा गाल भी सहला दिया। मुझे भी वो अच्छा लगने लगा था।"
परम अब पुष्पा के दोनों टैंगो के बीच घुटनो पर बैठ कर पुष्पा की मांसल जांघों को मसल रहा था लेकिन उसकी नज़र अब पुष्पा की मस्त चुची पर थी। परम को पुष्पा की छाती पर बने नोकीले निपल्स देख रही थी। (ब्रा का संदेह अब कभी ना रखे)
“काकी, तेरी जाँघ तो मस्त है हाय, तुम्हारी चूची भी बहुत मस्त है।”
“खाक मस्त है!” फनलवर नीता की रचना।
पुष्पा ने अपने हाथों को चुची के नीचे लगा कर थोड़ा उठाया।
"इतनी बड़ी-बड़ी कहीं बोबले होते है। कहीं आने-जाने में, किसी के सामने बैठने में भी शर्म आती है। बोबले भी तुम्हारी मां (सुंदरी) जैसे होनी चाहिए, ना छोते ना बहुत बडे। अपनी मां का बोबला तो तुमने देखा ही है...।" पुष्पा ने खुद ही अपने बोबले को मसल दिया।
"हां, तो मैं कह रही थी...शादी के बाद यहां ससुराल में मेरा पहला होली था। मैं नई नवेली दुल्हन...तुम्हारे काका के सारे दोस्त ने भाभी-भाभी कहते हुए मुझे रंग लगाया और सभी ने रंग लगाते हुए छातियो को भी मसला। मैंने मेरी सांस और पति से बात की और दोनों को बताया की यह सब दोस्त मुझे छेड़ रहे है, मेरे बोबले दबा रहे है, तब मेरी सांस ने कहा “अरे, यही तो मस्ती है, करने दो और तुम भी खूब जी भर के दबवाओ, यह सब यहाँ का रिवाज है और सब आम बात है।“ मेरे पति ने भी यही कहा की “मैं भी तो दूसरी भाभिओ के बोबले से खेल रहा हु तो उनका भी तो हक़ है की वह सब तुम्हारे बोबले को मसले। जो होता है वह होने दो।“ मेरी सांस ने यहाँ तक कह दिया की “अपने ससुरजी से भी थोडा मसलवा दो उनको भी थोड़ी रहत मिलेगी, कब से तेरे इस तीर को देख रहे है और अपना लंड पकड़ के बैठे है।“
मुझे भी अच्छा लगने लगा था'' …फिर मैं रूम में अकेली खड़ी थी। तभी वो लड़का आया और झपट कर उसने मुझे पीछे से दबा दिया। और दूसरा हाथ साड़ी के अंदर डाल कर चूत को मसलने लगा कोई आस-पास नहीं था। वो लड़का खूब आराम से मेरी चूत में उंगली कर रहा था। कुछ देर तो मैंने उसको अपनी चूत और छाती के साथ खेलने दिया। जब उसे लगा कि मैं मजा ले रही हूं, मैं झटका कर अलग हो गई। तो देखा कि उसका लौड़ा पैंट के बाहर निकला हुआ है। मस्त, मोटा और लम्बा लौड़ा था और खासर 'सुपारा' तो बहुत ही मोटा था। उस लड़के ने जबरदस्त लोडा मेरे हाथ में पकड़ा दीया। मैं मस्त लौड़ा देख कर पूरी गरम हो गई थी। मैने 3-4 बार जोर-जोर से लंड को दबाया तो लंड ने पानी चोड दिया। .. तभी आस-पास कुछ आवाज आने लगी तो मैं लोडा को छोड़ कर कमरे से बाहर भाग गई...।"
पुष्पा ने प्यार भरी आँखों से परम को देखा और टांगो को घुटने से मोड़कर बैठ गयी। परम आराम से पूरी की पूरी नंगी जांघों का मजा ले रहा था और बीच-बीच में पेटीकोट के ऊपर से ही चूत को मसल देता था। इस बार परम ने पुष्पा की आंखों के सामने चूत के ऊपर से पेटीकोट के कपड़ों की परत को हटा दिया। परम तो पूरा कपड़ा हटाना चाहता था लेकिन पुष्पा ने एक परत चूत के ऊपर रहने दिया और बाकी को अपनी चूत के नीचे दबा दिया। अब सिर्फ पुष्पा की चूत ढकी हुई थी, बाकी कमर के नीचे पूरी नंगी थी। इस बार जब परम ने चूत को सहलाया तो उसे लगा कि वो नंगी चूत को सहला रहा है। कुछ देर सहलते रहने के बाद परम ने पेटीकोट के कपड़ों के ऊपर से ही चूत में उंगली घुसा दी।
“काकी वो आदमी अभी भी इसी गाँव में है!” परम खूब मस्ती से चूत में फिंगरिंग कर रहा था। नीता की रचना पढ़ रहे है।
पुष्पा अपनी बोबले को मसलाने जा रही थी और सोच रही थी कि परम चूत के ऊपर से कपड़ा हटा कर उसे नंगा क्यों नहीं कर रहा है।
“हा रे, उस होली के थोड़े दिनों के बाद उसकी शादी एक बहुत सुंदर लड़की से हो गई और फिर वो कभी मेरे पास नहीं आया।” अचानक परम खड़ा हो गया और उसने अपना पैंट और बनियान उतार दिया “काकी बहुत गरमी है।”
कहते हुए वो फिर घुटनो के बल पुष्पा के पैरों के बीच बैठ गया और पुष्पा की दोनों टाँगों को खींच कर बिल्कुल अपनी जांघों के ऊपर रख दिया। परम के लंड और पुष्पा के चूत के बीच में 3-4 इंच का फासला था और बीच में कपड़े की परत थी। परम ने सामने से हाथ बढ़ा कर दोनों चुचियो को पकड़ लिया और जोर-जोर से मसलने लगा। परम सोच रहा था की बोबले दबा के पुष्पा को उकसाया जाए ताकि वह अपनी चूत खोल दे। वही पुष्पा सोच रही थी की यह लड़का इतनी देर क्यों कर रहा है जब की चूत अब उसके सामने है, अगर वह मेरे पैरो को थोडा सा भी फैलाने की कोशिश करता है तो मैं तुरंत मेरा माल उसके नज़र के सामने रख दूंगी।
अब कुछ कहने और सुनने को बाकी नहीं था, दोनों एक दूसरे से चिपक गए और जोर-जोर से चूमा-चाटी करने लगे। चूमा-चाटी करते करते पुष्पा बिस्तर पर फ्लैट हो गई और दोनों पैरों को ऊपर उठाकर फैला दिया। परम ने पेटीकोट को खींच कर अलग किया तो पुष्पा ने ब्लाउज का सारा बटन तोड़ डाला और ब्लाउज को बाहर निकाल कर नीचे फेंक दिया। अब पुष्प बिल्कुल नंगी थी। कुछ देर तक परम ने पुष्पा की चूत को मसला और रगड़ा। उसके बाद परम पुष्पा के पेट के दोनों ओर पैर रख कर खड़ा हो गया और अपना अंडरवियर निकाल दिया। परम का लंड प्योर फॉर्म में था, एकदम तंग, सुपारा एक्साइटमेंट से और भी बड़ा हो गया था, शायद चमड़ी को फाड़ डालेगा ऐसा लग रहा था।
पुष्पा ने हाथ बढ़ा कर परम को लंड को पकड़ा और नीचे खींचने लगी। परम भी निचे झुकने लगा और धीरे-धीरे लोडे को झूलती हुई चूचियो के बीच डाल कर दोनों माल को बगल से दबाया। परम चूची के बीच अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और पुष्पा ने खुद को अब अपने हाथों से दोनो चूचियो को दबा कर रखा और परम अपने लंड को चूचियो के बीच चलाता रहा। परम कई को चोद चुका था, बड़ी बहू को भी जिसकी चुची पुष्पा की चुची से भी थोड़ी बड़ी थी.. लेकिन पहले कभी भी लंड को चुचियों के बीच नहीं रगड़ाया बोब्लो को नहीं चोदा। परम को तो मजा आ ही रहा था, पुष्पा भी मजा ले रही थी। अगर कोई नीचे की ओर देखता तो उसे पता चलता कि वो औरत कितनी पनिया गई थी। उसकी चूत अपना चुतरस ज्यादा मात्रा में बहा रही थी। शायद आगे भी वह झड गई थी। जब परम ने पुमा को चोदने की बात कही थी तभी उसकी चूत से फुवारा निकल चुका था।
बस आज के लिए यही तक.....................
दिवाली का समय है तो समय मिलने पर आगे लिखूंगी...........कोशिश करुँगी की यह पुष्पा और परम का चुदाई प्रकरण ख़तम कर के वेकेशन पर जाए.................
यह एपिसोड कैसा लगा इसके लिये तो आपकी कोमेंट ही मुझे बता पाएगी....................प्लीज़ अपनी राय कोमेंट कर के दीजिये ....................
।।जय भारत।।