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Funlover

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
जी बहोत बहोत धन्यावाद आपका
 

S M H R

TERE DAR PE SANAM CHALE AYE HUM
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“लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”


अब आगे............




“कौन, कब, कैसे?”


परम ने पुष्पा के सीने पर से अपना मुंह हटा लिया और जांघो को सहलाते पेटीकोट को थोड़ा और ऊपर उठा दिया। परम पेटीकोट को और ऊपर करता उस से पहले पुष्पा ने पेटीकोट को अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और कहा,

“बस, बेटा, अब और ऊपर नहीं।”
फनलवर नीता की रचना

इतना कहकर पुष्पा ने पेटीकोट को पैंटी की तरह अपने कमर पर समेट लिया। अब सिर्फ चूत और जघन क्षेत्र को कवर किया गया था बाकी पूरा पैर कमर तक नंगा था।

"तुमको मेरी जांघें बहुत पसंद हैं ना, जितना मन करता है सहलाओ या मसलो। बस अंदर हाथ मत डालना।" और पुष्पा ने अपनी टांगो को पूरी तरह फैला दिया। फिर बोलती रही,

"मैं जब ससुराल, इस गांव में आई तो देखा एक लड़का बार-बार मेरे पास आता है। मौका मिलते ही मेरा हाथ पकड़ता है। कई बार तो उसने मेरा गाल भी सहला दिया। मुझे भी वो अच्छा लगने लगा था।"

परम अब पुष्पा के दोनों टैंगो के बीच घुटनो पर बैठ कर पुष्पा की मांसल जांघों को मसल रहा था लेकिन उसकी नज़र अब पुष्पा की मस्त चुची पर थी। परम को पुष्पा की छाती पर बने नोकीले निपल्स देख रही थी। (ब्रा का संदेह अब कभी ना रखे)

“काकी, तेरी जाँघ तो मस्त है हाय, तुम्हारी चूची भी बहुत मस्त है।”

“खाक मस्त है!”
फनलवर नीता की रचना

पुष्पा ने अपने हाथों को चुची के नीचे लगा कर थोड़ा उठाया।

"इतनी बड़ी-बड़ी कहीं बोबले होते है। कहीं आने-जाने में, किसी के सामने बैठने में भी शर्म आती है। बोबले भी तुम्हारी मां (सुंदरी) जैसे होनी चाहिए, ना छोते ना बहुत बडे। अपनी मां का बोबला तो तुमने देखा ही है...।" पुष्पा ने खुद ही अपने बोबले को मसल दिया।

"हां, तो मैं कह रही थी...शादी के बाद यहां ससुराल में मेरा पहला होली था। मैं नई नवेली दुल्हन...तुम्हारे काका के सारे दोस्त ने भाभी-भाभी कहते हुए मुझे रंग लगाया और सभी ने रंग लगाते हुए छातियो को भी मसला। मैंने मेरी सांस और पति से बात की और दोनों को बताया की यह सब दोस्त मुझे छेड़ रहे है, मेरे बोबले दबा रहे है, तब मेरी सांस ने कहा “अरे, यही तो मस्ती है, करने दो और तुम भी खूब जी भर के दबवाओ, यह सब यहाँ का रिवाज है और सब आम बात है।“ मेरे पति ने भी यही कहा की “मैं भी तो दूसरी भाभिओ के बोबले से खेल रहा हु तो उनका भी तो हक़ है की वह सब तुम्हारे बोबले को मसले। जो होता है वह होने दो।“ मेरी सांस ने यहाँ तक कह दिया की “अपने ससुरजी से भी थोडा मसलवा दो उनको भी थोड़ी रहत मिलेगी, कब से तेरे इस तीर को देख रहे है और अपना लंड पकड़ के बैठे है।“

मुझे भी अच्छा लगने लगा था'' …फिर मैं रूम में अकेली खड़ी थी। तभी वो लड़का आया और झपट कर उसने मुझे पीछे से दबा दिया। और दूसरा हाथ साड़ी के अंदर डाल कर चूत को मसलने लगा कोई आस-पास नहीं था। वो लड़का खूब आराम से मेरी चूत में उंगली कर रहा था। कुछ देर तो मैंने उसको अपनी चूत और छाती के साथ खेलने दिया। जब उसे लगा कि मैं मजा ले रही हूं, मैं झटका कर अलग हो गई। तो देखा कि उसका लौड़ा पैंट के बाहर निकला हुआ है। मस्त, मोटा और लम्बा लौड़ा था और खासर 'सुपारा' तो बहुत ही मोटा था। उस लड़के ने जबरदस्त लोडा मेरे हाथ में पकड़ा दीया। मैं मस्त लौड़ा देख कर पूरी गरम हो गई थी। मैने 3-4 बार जोर-जोर से लंड को दबाया तो लंड ने पानी चोड दिया। .. तभी आस-पास कुछ आवाज आने लगी तो मैं लोडा को छोड़ कर कमरे से बाहर भाग गई...।"

पुष्पा ने प्यार भरी आँखों से परम को देखा और टांगो को घुटने से मोड़कर बैठ गयी। परम आराम से पूरी की पूरी नंगी जांघों का मजा ले रहा था और बीच-बीच में पेटीकोट के ऊपर से ही चूत को मसल देता था। इस बार परम ने पुष्पा की आंखों के सामने चूत के ऊपर से पेटीकोट के कपड़ों की परत को हटा दिया। परम तो पूरा कपड़ा हटाना चाहता था लेकिन पुष्पा ने एक परत चूत के ऊपर रहने दिया और बाकी को अपनी चूत के नीचे दबा दिया। अब सिर्फ पुष्पा की चूत ढकी हुई थी, बाकी कमर के नीचे पूरी नंगी थी। इस बार जब परम ने चूत को सहलाया तो उसे लगा कि वो नंगी चूत को सहला रहा है। कुछ देर सहलते रहने के बाद परम ने पेटीकोट के कपड़ों के ऊपर से ही चूत में उंगली घुसा दी।

“काकी वो आदमी अभी भी इसी गाँव में है!” परम खूब मस्ती से चूत में फिंगरिंग कर रहा था।
नीता की रचना पढ़ रहे है

पुष्पा अपनी बोबले को मसलाने जा रही थी और सोच रही थी कि परम चूत के ऊपर से कपड़ा हटा कर उसे नंगा क्यों नहीं कर रहा है।

“हा रे, उस होली के थोड़े दिनों के बाद उसकी शादी एक बहुत सुंदर लड़की से हो गई और फिर वो कभी मेरे पास नहीं आया।” अचानक परम खड़ा हो गया और उसने अपना पैंट और बनियान उतार दिया “काकी बहुत गरमी है।”

कहते हुए वो फिर घुटनो के बल पुष्पा के पैरों के बीच बैठ गया और पुष्पा की दोनों टाँगों को खींच कर बिल्कुल अपनी जांघों के ऊपर रख दिया। परम के लंड और पुष्पा के चूत के बीच में 3-4 इंच का फासला था और बीच में कपड़े की परत थी। परम ने सामने से हाथ बढ़ा कर दोनों चुचियो को पकड़ लिया और जोर-जोर से मसलने लगा। परम सोच रहा था की बोबले दबा के पुष्पा को उकसाया जाए ताकि वह अपनी चूत खोल दे। वही पुष्पा सोच रही थी की यह लड़का इतनी देर क्यों कर रहा है जब की चूत अब उसके सामने है, अगर वह मेरे पैरो को थोडा सा भी फैलाने की कोशिश करता है तो मैं तुरंत मेरा माल उसके नज़र के सामने रख दूंगी।

अब कुछ कहने और सुनने को बाकी नहीं था, दोनों एक दूसरे से चिपक गए और जोर-जोर से चूमा-चाटी करने लगे। चूमा-चाटी करते करते पुष्पा बिस्तर पर फ्लैट हो गई और दोनों पैरों को ऊपर उठाकर फैला दिया। परम ने पेटीकोट को खींच कर अलग किया तो पुष्पा ने ब्लाउज का सारा बटन तोड़ डाला और ब्लाउज को बाहर निकाल कर नीचे फेंक दिया। अब पुष्प बिल्कुल नंगी थी। कुछ देर तक परम ने पुष्पा की चूत को मसला और रगड़ा। उसके बाद परम पुष्पा के पेट के दोनों ओर पैर रख कर खड़ा हो गया और अपना अंडरवियर निकाल दिया। परम का लंड प्योर फॉर्म में था, एकदम तंग, सुपारा एक्साइटमेंट से और भी बड़ा हो गया था, शायद चमड़ी को फाड़ डालेगा ऐसा लग रहा था।

पुष्पा ने हाथ बढ़ा कर परम को लंड को पकड़ा और नीचे खींचने लगी। परम भी निचे झुकने लगा और धीरे-धीरे लोडे को झूलती हुई चूचियो के बीच डाल कर दोनों माल को बगल से दबाया। परम चूची के बीच अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और पुष्पा ने खुद को अब अपने हाथों से दोनो चूचियो को दबा कर रखा और परम अपने लंड को चूचियो के बीच चलाता रहा। परम कई को चोद चुका था, बड़ी बहू को भी जिसकी चुची पुष्पा की चुची से भी थोड़ी बड़ी थी.. लेकिन पहले कभी भी लंड को चुचियों के बीच नहीं रगड़ाया बोब्लो को नहीं चोदा। परम को तो मजा आ ही रहा था, पुष्पा भी मजा ले रही थी। अगर कोई नीचे की ओर देखता तो उसे पता चलता कि वो औरत कितनी पनिया गई थी। उसकी चूत अपना चुतरस ज्यादा मात्रा में बहा रही थी। शायद आगे भी वह झड गई थी। जब परम ने पुमा को चोदने की बात कही थी तभी उसकी चूत से फुवारा निकल चुका था।


बस आज के लिए यही तक.....................


दिवाली का समय है तो समय मिलने पर आगे लिखूंगी...........कोशिश करुँगी की यह पुष्पा और परम का चुदाई प्रकरण ख़तम कर के वेकेशन पर जाए.................


यह एपिसोड कैसा लगा इसके लिये तो आपकी कोमेंट ही मुझे बता पाएगी....................प्लीज़ अपनी राय कोमेंट कर के दीजिये ....................




।।जय भारत।।
Hot 🔥 update
 

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अगर कोई नीचे की ओर देखता तो उसे पता चलता कि वो औरत कितनी पनिया गई थी। उसकी चूत अपना चुतरस ज्यादा मात्रा में बहा रही थी। शायद आगे भी वह झड गई थी। जब परम ने पुमा को चोदने की बात कही थी तभी उसकी चूत से फुवारा निकल चुका था।

अब आगे................


चूत से पानी टपक कर बाहर गिर रहा था और लंड की गर्मी से बोबले टाइट हो गए थे। पुष्पा अपना सारा निश्चय भूल गई कि परम को अपनी चूत नहीं दिखायेगी। वो भी भूल गयी कि परम उसकी छोटी बेटी को चोदना चाहता था और होसकता है की भविष्या का दामाद हो पर,यहाँ वो खुद ही लंड खाने को तैयार थी। पुष्पा जोर-जोर से सिस्कारी मार रही थी कि परम ने पिचकारी छोड़ दी। लंड से सफ़ेद तरल पदार्थ की गोली जैसा निकला और पुष्पा की गर्दन को भिंगाता हुआ उसके मुँह और नाक में घुस गया।


पुष्पा ने लोडे का माल को चाटा और बोल पड़ी, फनलवर की पेशकश

“क्या बेटा… बीच रास्ते में ही गाड़ी पंचर कर दिया।” पुष्पा ने परम को धक्का देकर अपनी बॉडी से नीचे कर दिया और कहा,

"मैं ही पागल थी कि तेरे जैसे बच्चे के सामने नंगी हो गई.... चल हट मुझे कपड़ा पहनने दे, मादरचोद, चोदना आता ही नहीं और पुमा को चोदेगा।"

लेकिन परम ने पुष्पा को नीचे दबाया और लेटे-लेटे ही परम पुष्पा के पैरों के बीच आया और क्लिट को चूसने लगा। पुष्पा उछल पड़ी...

"हाय बेटा, बहुत मजा आया। आह्ह...।"

परम ने कुछ जवाब नहीं दिया और प्यार से चूत को चाटता रहा। कभी भगनासा को होंठों से चूसा जाता था तो कभी भगनासा को ऊपर की ओर खींचा जाता था। जीभ से चूत के होठों को चूमता था तो कभी जीभ को चूत के अंदर डाल कर घुमाता था। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैला दिया था और पूरे होठों के नीचे डाल कर चाट रहा था और चूम रहा था। पुष्पा जोर जोर से सिस्कारी मार रही थी...इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्............भे..........न..........चो.........द...........

पुष्पा कई सालो से चुदवा रही थी लेकिन कभी भी उसके पति ने चूत को चूमा नहीं। उसने सहेलियों से सुना था कि चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है। कई बाद उसका मन किया कि पति को बोले चूत को चाटने के लिए लेकिन वो शर्म के कारण नहीं बोल पाई। और अब जब परम चूत चाट रहा था तो उसे पहले की हर चुदाई से ज्यादा मजा आ रहा था। वो चुतर उछाल रही थी और परम चूत को चूसने के साथ-साथ 2 उंगली घुसा कर उसे चोद भी रहा था। पुष्पा की शिकायत की परम ने बीच रोड पर पंचर कर दिया, ख़तम हो गई थी और अब परम को मन ही मन बहुत आशीर्वाद दे रही थी।

परम पुष्पा की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि परम अपना पूरा सिर चूत में घुस जाएगा, लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के अन्दर नहीं जा सका। पुष्पा को भी बहुत मजा आ रहा था, इससे पहले किसी ने चूत नहीं चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। पुष्पा खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर परम को बता रही थी कि उसको खूब मजा आ रहा है। पुष्पा जोरो से ‘आहह…. उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर परम के चूत चटाई का मजा मार रही थी। पुष्पा को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को अपने बोबले की तरफ खींच लिया, जिस से उसकी चूत ज्यादा से ज्यादा फैले। अब पुष्पा को अपनी ही चूत दिख रही थी।

परम कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अन्दर डाल कर घुमा रहा था और चूत का माल अपनी जीभ से बहार निकाले जा रहा था। इस बिच पुष्पा ने भी अपना चुतरस को परम के मुंह में भर दिया। साथ ही उंगली भी चूत के अंदर घुसेड़ कर चूत का मजा लेने लगा। परम का लंड टाइट होने लगा था, 7-8 मिनट के बाद परम ने चूत से हाथ अलग हटा दिया और चूत में जीभ डाले हुए ही पुष्पा की दोनों स्तनों को जोर-जोर से दबाते हुए चूत को खाने लगा। परम खूब मजे से चूत के हर एक हिस्से को चूस रहा था और पुष्पा का एक अंग जलने लगा था। वो अपने पैरों को उठाकर परम के सिर को पकड़ कर नीचे दबाने लगी। पुष्पा चाह रही थी कि परम का पूरा सिर उसकी चूत में घुस जाए। पुष्पा को लगा कि वो अब झडने वाली है और उसने अपने दोनों हाथों से और पैरों से परम के सिर को चूत पर दबाया और अपने कुलहो को ऊपर उठा दिया।

परम समज गया कि पुष्पा अब ठंडी हो गई है तो वो पुष्पा के क्लच से बाहर निकला और फचाक से लंड को चूत में घुसा दिया और पुष्पा के होठों को चूसने लगा साथ ही खूब जोर से चोट में धक्का लगाने लगा। पुष्पा को महसूस हुआ कि उसकी चूत के अंदर जो लंड है वो उसके पति के लंड से मोटा और लंबा है। पुष्पा ने कुलहो उछाल कर जबाब दिया लेकिन उसे अपनी चूत का स्वाद परम के मुंह में अजीब सा लगा। वो परम को अलग करना चाहती है लेकिन परम पुष्पा को जोर से जोर से धक्का पे धक्का लग रहा है। आख़िर पुष्पा थक गयी और उसने अपना बदन ढीला कर दिया और चुदाई का मज़ा लेने लगी। और अपना चुतरस परम के मुख से चाटने लगी। उसे अब ओर भी मजा आया इस विकृति से, अब उसे यह सब विकृत नहीं काग रहा था उसका खुद का रस उसे भा गया।

परम ने पुष्पा के होठों को आज़ाद किया और गालों को चूमा

“क्यों काकी, अब तो पंक्चर नहीं हुआ।”
नीता की रचना पढ़ रहे है

"नहीं, बेटा बहुत मजा दे रहो हो...चुदाई करते रहो...लेकिन अब मैं झरने वाली हूं। तुमने चूत चूस कर मुझे पूरा मजा दे दिया।"

लेकिन उसके बाद भी परम जम कर धक्का मदता रहा। आख़िर पुष्पा पूरी तरह से थक गयी।

“अब लौड़ा निकाल लो बेटा...थक गई हूं....मैं हाथ से तुम्हारा पानी निकाल दूंगी...।”

“लोडा चुसोगी?”


“नहीं.. छी….लंड भी कोई चूसता है…? लोडा तो कोई चूसने की चीज़ है।”

“तो ठीक है.. मैं तब तक चोदता रहूंगा जब तक फिर से पंचर नहीं हो जाता हूं…” परम जोर जोर से धक्का लगाने लगा।

पुष्पा से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो पूरी ठंडी हो चुकी थी।

“ठीक है बेटा, मैं जान गई तेरा लोडे में बहुत दम है… तू जानता है किसने होली में मेरी चूत को मसला था…… तेरे बाप ने… और आज बेटे ने मेरी चूत मसल कर चोद डाला।…”

परम के बालों को प्यार से सहलाते हुए बोली,

“ला मैं लोडे को चूस कर ठंडा कर देती हूँ, आख़िर तूने भी तो चूत चाट कर मज़ा दिया है।”

इतना सुनकर परम ने एक आखिरी बाद जोर से चूत में धक्का दिया और सीधा लंड निकाल कर पुष्पा के मुंह में डाल दिया। पुष्पा ना नुकुर करती रही लेकिन परम लोडे को धीरे-धीरे पुष्पा के मुंह में बाहर निकालता रहा। और आखिर जब परम का पानी निकला तो परम ने पुष्पा के बाल पकड़ कर पूरा माल, पुष्पा के मुंह में गिरा दिया।, पुष्पा का मुंह खुला था और एक-एक बूंद उसके गले के नीचे चला गया। पूरा वीर्य निकलने के बाद परम ने पुष्पा को अपने ऊपर ले लिया और दोनों हाथों से उसकी गोल-गोल हिप्स को दबाते हुए, पुष्पा को किस करता रहा। आज पहली बाद परम ने अपने वीर्य का स्वाद चखा।

कुछ देर तक दोनों ठंडे पड़े रहे। पुष्पा ने दीवार घड़ी की तरफ देखा, और चिल्ला पड़ी...
नीता द्वार रचित कहानी

"बाप रे, बेटा डेढ़ घंटा हो गया। अब सब आने वाले होंगे। चल जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा... किसी को पता नहीं चलना चाहिए।"

दोनो साथ टॉयलेट गए और मुंह हाथ साफ किया और वापस आकर कपड़े पहनने लगे। पुष्पा ने कहा कि अब कब उसे चोदेगा तो परम ने जवाब दिया वो हर 2-3 दिन बाद आकर पुष्पा की चूत मरामत कर देगा। परम ने ये भीखा की अगर और भी चुदवाने का मन करे तो उसके घर आ जाये।

“सुंदरी क्या बोलेगी।”

“वो कुछ नहीं बोलेगी और ना ही कोई कुछ कहेगी। और हां तुम्हारे पुराने यार यानी के मेरा बाप से भी चुद के अपनी अधूरी इच्छा पूरी कर सकेगी।”

कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।


पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”


आज बस इतना ही

बाकी कल................तब तक के लिए विदा............


आपके टिका टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी


।जय भारत
 

prkin

Well-Known Member
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ||
 

Mass

Well-Known Member
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Wishing You and your Family a very Happy and Safe Deepawali!!

आप को और आपके परिवार को शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Funlover
 

Ashiq Baba

Member
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सबसे पहले तो आप सभी लोगो को दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।

लेखिका को बहुत बहुत धन्यवाद । ये दोनों अपडेट बहुत ही डिटेल से विस्तार और बारीकी से लिखे है । और लिखे भी उम्दा तरीके से है कुल मिला कर दिल बाग बाग हो गया । रिकवेस्ट है ऐसा ही विस्तार और कामुकता से लबरेज कोई अपडेट आप सुन्दरी पर भी लिखे मगर परम के साथ नही बल्कि विनोद या किसी अन्य के साथ ।
इस अपडेट की खासियत ये है कि पुष्पा के अंतर्मन में परम के बाप यानी मुनीम जी के प्रति कुछ प्रेम दबा हुआ था जो उसने अपनी पहली होली की घंटना के रूप में परम को सुनाई थी कि मतलब कही ना कही वह चाहती थी कि मुनीम के साथ उसके शारीरिक सम्बंध बनते मगर आज उसका वंशज के साथ प्रेमालाप करके वह उस कसक को पूरा करना चाहती है । लोग शायद भूल गए मगर मुझे अच्छी तरह याद है जिस वक्त मुनीम ने पुष्पा की बड़ी बेटी यानी पूनम की सील तोड़ी थी तो मुनीम ने भी यही कहा था कि वह पूनम की माँ को चोदना चाहता था मगर वो ना सही उसकी बेटी सही ।

बहुत ही शानदार सीन लिखा है आपने । जहां पुष्पा और मुनीम जवानी में एक दूसरे से मिलना चाहते थे वहाँ उम्र के इस पड़ाव पर पुरुष प्रेमिका की बेटी को भोग रहा है और स्त्री उस पुरुष के पुत्र से अंतरंग हुई है । और आगे जाकर शायद दोनो मिल जाये ।

आपकी कहानी से कई प्लोट तैयार हो सकते है काफी नई कहानियों या कहे कि शाखाएं जन्म ले सकती है ।

फिर एक बार आपका दिल से धन्यवाद । आप स्वस्थ रहें खुश रहे और लिखते रहे । परिवार के साथ समय बिताएं और आकर अपडेट देवे इसी के साथ शुभ दीपावली ।
 

Mass

Well-Known Member
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Good one madam...
Btw, ये आपने अच्छा किया की नया अपडेट लिखने से पहले आप पिछली अपडेट के १- २ लाइन लिख कर अब आगे... लिख रहे हो. It makes reading easier...as you post your replies to each of your comments, chances are that in between if you post any update..it might get missed...but since you are adding 1-2 lines of your last update..it ensures that we do not miss out on any update :)

Hope you get my point.

Once Again, a Very Happy Deepawali to you and your Family.

Funlover
 
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