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Incest परिवार(दि फैमिली)

Thorragnarok

Haseeno ka Raja
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UPDATE:5



विजय को अह्सास हो गया की उसके काम्पने से उसकी माँ डर गयी है, वह अपनी आँखें बंद करके नार्मल हो गया । रेखा थोडी देर तक अपने बेटे को देखती रही जब उसे यकीन हो गया की वह नींद में ही है तो वह अपने बेटे के लंड को फिर से पकड कर सहलाते लगी ।

रेखा ने इस बार अपने बेटे के लंड को सहलाते हुए अपनी चूत में एक ऊँगली डालकर अंदर बाहर करने लगी । रेखा जब अपने बेटे का लंड देखती थी तो उसे अपने जिस्म में अजीब किस्म की सिहरन का अह्सास होता था, इसीलिए वह अपने बेटे के कमरे में आई थी।

रेखा अपनी चूत का पानी अपने बेटे के लम्बे और मोटे लंड को अपने हाथ में पकडकर निकालना चाहती थी ।रेखा अपने बेटे के लंड को सहलाते हुए ज़ोर से अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी ।

रेखा बेड पर अपनी टाँगें फैलाकर बैठी थी और उसकी चूत सीधे अपने बेटे के मुँह की तरफ थी, विजय ने इस बार जैसे ही अपनी आँखें खोली उसे अपनी माँ की दोनों टांगों के बीच फ़ैली हुयी बड़ी चूत नज़र आई। जिसमें वह अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर कर रही थी ।

विजय आज की रात में दूसरी चूत देख रहा था। पहले वह अपनी बड़ी बहन की छोटी सी गुलाबी चूत देख चूका था । मगर इस बार उसके सामने अपनी माँ की बड़ी मोटे दाने वाली चूत थी जिस चूत से वह खुद निकलकर इस दुनिया में आया था ।

रेखा झरने के बिलकुल क़रीब थी क्योंकी वह अपने चूत में दोनों उँगलियाँ बुहत ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी और वह अपनी ऑंखें बंद करके सिसक रही थी । विजय को अपनी माँ की चूत और चुचियां अपनी बड़ी दीदी से ज़्यादा अच्छी लग रही थी।

विजय बड़े गौर से देख रहा था की उसकी माँ की चूत में उसकी उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी । रेखा का हाथ अब अपने बेटे के लंड पर एक जगह पडा था, विजय को अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियां बुहत ज़्यादा रोमान्चक कर रही थी ।

रेखा के मूह से अचानक एक ज़ोर की सिसकी निकली । विजय ने देखा के उसकी माँ की चूत से सफेद सफेद पानी निकल कर उसकी उँगलियों से होता हुआ नीचे गिर रहा है । विजय समझ गया की उसकी माँ झर चुकी है।

रेखा ने पूरी तरह झरने के बाद अपनी ऑंखें खोली उसकी चूत से बुहत पानी निकला था और उसे अब अपना जिस्म कुछ हल्का महसूस हो रहा था । विजय ने अपनी माँ की ऑंखों के खोलने से पहले ही अपनी ऑंखें बंद कर ली थी ।
रेखा ने आखरी बार अपने बेटे के लंड को देखा, विजय के लंड के गुलाबी सुपाडे में से वीर्य की बूँदे निकल रही थी । रेखा ने मुस्कुराते हुए उसे अपने हाथ में पकडते हुए एक किस दे दी और अपनी जीभ निकाल कर अपने बेटे के लंड के चेद पर घुमाते हुए उसके लंड से निकलते हुए वीर्य की बूँदों को चाट लिया।

रेखा अपनी नाइटी पहनते हुए अपने बेटे के कमरे से निकल गयी और अपने कमरे में जाकर सो गयी, विजय की हालत फिर से ख़राब हो चुकी थी । विजय के लंड पर जब उसकी माँ ने जीभ फिराई थी उस वक्त के मज़े का अहसास सिर्फ वह जानता था ।
विजय का लंड झटके मार रहा था, उसे अबतक अपनी माँ की जीभ अपने लंड पर महसूस हो रही थी । विजय ने अपने लंड को हाथ में लेकर आगे पीछे करना शुरू कर दिया ।

विजय अपने लंड को सहलाता हुआ उस पल को याद करने लगा जब उसकी माँ ने उसके लंड पर जीभ फिराई थी, अचानक विजय को एक ख़याल आया और वह बेड से उतरते हुए जहाँ उसकी माँ झरी थी। वहां पर अपने नाक से उसकी चूत से निकला हुआ पानी सूँघने लगा ।

विजय को उस जगह की गंध बुहत अच्छी लगी और वह अपनी माँ के चूत के निकले हुए पानी की महक से पागल होने लगा । विजय उस जगह को सूँघते हुए अपने लंड को ज़ोर से आगे पीछे करने लगा।

विजय कुछ ही देर में हाँफता हुआ झरने लगा । विजय झरने हुए अपनी जीभ निकालकर अपनी माँ की चूत का पानी चाटने लगा, विजय के लंड से जाने कितना वीर्य निकल कर उसके बेड की चादर पर गिरने लगा ।विजय झरने के बाद बिलकुल बेसुध होकर वहीँ पर गिर गया ।

विजय को थोडी देर बाद जब होश आया तो वह अपने आप पर हैरान रह गया । विजय को अब भी अपनी जीभ में अपनी माँ की चूत के पानी का ज़ायक़ा महसूस हो रहा था, विजय ने बेड से उस चादर को उठाकर बाथरूम में पडी बाल्टी में डाल दिया ।

विजय ने बाल्टी में पानी ड़ालते हुए अपने कमरे में आ गया और दूसरी चादर बेड पर बिछाते हुए लेट गया। विजय लेटे हुए अपनी माँ के बारे में सोचने लगा, वह सोच रहा था की उसकी माँ उस में इतना इंट्रेस्ट क्यों ले रही है ।

विजय अपनी माँ के फिगर का दीवाना हो चुका था, वह सोच रहा था कुछ भी हो उसकी माँ का फिगर है बड़ा मस्त । विजय ने फैसला कर लिया के वह अपने लंड को अपनी माँ की चूत की ज़रूर सैर करवाएगा क्योंकी वह अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियों और उसकी मांसल चूतड़ों का दीवाना हो चूका था।

दोस्तो यह तो था इस घर का हाल। मगर यह कहानी एक घर की नहीं बल्कि पूरे परिवार की है तो चलते हैं रेखा के माँ बाप के घर की तरफ।


रेखा का छोटा भाई समीर जिस की उम्र 38 इयर थी वह अपनी बहन की तरह बहुत गरम था और आज भी वह अपनी बीवी 36 इयर की नीलम को उल्टा किये हुए चोद रहा था ।
यहाँ पर कहानी वहां से उलटी थी नीलम ज़्यादा सेक्स पसंद नहीं करती थी, मगर समीर तो डेली चुदाई के बिना रह ही नहीं सकता था ।

"आह्ह श नीलम समीर की चुदाई से दूसरी बार झर रही थी।
नीलम ने समीर से कहा "अब निकालो बुहत हो गया मुझे दर्द हो रहा है"
"यार तुम इतनी जल्दी फ़ारिग हो जाती हो इस में मेरा क्या क़सूर" समीर ने अपनी बीवी से कहा।
"मैं तुम्हें अपने हाथों से फ़ारिग कर देती हूँ" नीलम ने थोडा आगे होते हुए अपने पति के लंड को अपनी चूत से निकाल दिया और सीधा होते हुए अपने हाथ से सहलाने लगी ।
"हाथ से करना होता तो शादी क्यों करता" समीर ने गुस्से से अपने लंड को नीलम के हाथ से छुड़ा लिया।

"मुझे नींद आ रही है, फिर मत कहना की ऐसे ही सो गये" नीलम ने अपने पति को चेतावनी देते हुए कहा।
"भाड में जाओ" समीर ने गुस्से से अपना अंडरबियर पहन लिया और कमरे से बाहर निकल गया ।
समीर बाहर आते ही सोफ़े पर बैठ गया,
"क्या हुआ भाई जान?" समीर ने आवाज़ सुनते ही सामने देखा तो उसकी 36 साल की छोटी बहन ज्योति दुसरे सोफ़े पर बैठी थी ।।।।
"तुम्हे पता है फिर क्यों पूछ रही हो" समीर ने गुस्से से अपनी बहन को जवाब दिया ।

नीलम भाभी की क्या प्रॉब्लम है" ज्योति अपने सोफ़े से उठते हुए अपने भाई के पास आकर बैठते हुए कहा । ज्योति समीर की विधवा बहन थी जो अपने पति के मरने के बाद ८ साल से अपने माँ बाप के घर में रह रही थी ।
ज्योति का पति उससे शादी के दो साल बाद ही मर गया था, उसे कोई बच्चा नहीं था और वह समीर के साथ बुहत फ्री थी । ज्योति कई दफ़ा अपने भाई के साथ उसकी पत्नी के बारे में बात कर चुकी थी, उसे पता था की नीलम ज़्यादा चुदाई से नफरत करती है।

"यार पता नहीं किस दोष की सजा मिल रही है, दूसरी औरतें बड़े और तगडे लंड से चुदने के लिए तरसती है और यह है की भागती रहती है" समीर ने उदास होते हुए कहा।

"उदास मत हो" ज्योति ने अपने भाई के सर को पकड़ कर अपनी गोद में रखते हुए कहा ।

समीर अपना सर अपनी छोटी बहन की गोद में रखते हुए उसे देखने लगा, ज्योति आज एक नाइटी पहने हुए थी और बेहद सूंदर लग रही थी । समीर की नज़र आज पहली बार अपनी छोटी बहन को एक औरत की नज़र से देख रहा था ।

समीर को इतने नजदिक से अपनी छोटी बहन की पतली नाइटी के अंदर से उसकी ब्रा में क़ैद आधी नंगी चुचियों का दीदार होने लगा । ज्योति का फिगर बुहत ज़बर्दस्त था। उसका क़द ५।६ इंच था उसकी चुचियां ३६ साइज की थी और उसके चूतड़ बहुत मोटे थे ।ज्योति अपने बड़े भाई के सर में हाथ डाल कर उसके बाल सहला रही थी, अचानक ज्योति की नज़र अपने बड़े भाई के अंडरवियर पर पडी । ज्योति अपने भाई के अंडरवियर को देखकर हैंरान रह गयी क्योंकी समीर के अंडरवियर में बुहत बड़ा तम्बू बना हुआ था।

ज्योति अपने बड़े भाई के अंडरवियर में खडे लंड को देखकर 8 सालों बाद आज पहली बार गरम होने लगी, ज्योति ने जैसे ही अपने भाई के चेहरे की तरफ देखा उसे एक झटका लगा क्योंकी उसका सगा बड़ा भाई नाइटी के ऊपर से ही उसकी चुचियों को घूर रहा था ।

ज्योति सोचने लगी बेचारा कितना बदनसीब है बीवी होते हुए भी अपनी दीदी की गोद में पडा है, फिर उसके दिमाग में ख़याल आया की अगर वह अपने भाई को चोदने दे तो उसका भाई भी खुश हो जायेगा और उसे भी मुफ़्त का लंड मिल जायेगा ।

ज्योति अगले पल ही मुस्कुरा उठी की वह हवस की आग में क्या सोच रही है भला कोई भाई भी अपनी बहन को चोदता है । मगर ज्योति का दिल तो अपने भाई का लंड लेने के लिए तैयार था क्योंकी उसके 8 साल की गर्मी आज पहली बार उसे तंग कर रही थी ।

ज्योति सोफ़े पर बैठे हुए अपने पाँव नीचे किये हुए थी और उसका बड़ा भाई सीधा सोफ़े पर लेटे हुए अपना सर अपनी बहन की गोद पर रखे हुए था । ज्योति अचानक झुकते हुए अपने पाँव को खुजाने लगी, ज्योति के ऐसा करने से उसकी चुचियां सीधे अपने भाई के मुँह से टकराने लगी।

"उठ यहाँ पर बुहत मच्छर है" ज्योति अपनी चुचियों को अपने भाई के मूह पर लगते ही सिसक उठी। मगर उसने बात को सँभालते हुए अपने पाँव को ज़ोर से खुजाते हुए मच्छर पर इलज़ाम लगा ड़ाला ।ज्योति अपने पाँव को सहलाते हुए अपनी चुचियों को अपने भाई के मूह पर ज़ोर से रगडने लगी । समीर की भी हालत खराब होती जा रही थी वह अपने बहन की चुचियों को सिर्फ अपने चेहरे पर रगडता हुआ देख रहा था और कुछ कर नहीं पा रहा था ।

"भैया आप का वह है ही इतना बड़ा की भाभी को तकलिफ होने लगती होगी" ज्योति ने सीधा होते हुए अपने भाई के अंडरवियर की तरफ इशारा करते हुए बड़ी बेशरमी से कहा।
"तुम्हारे पति का इतना बड़ा नहीं था क्या?" समीर ने अपने बहन को ज़्यादा फ्री होते हुए देखकर कहा ।

"उसका आपसे थोडा छोटा था, मगर वह 5 मिनट में ही झर जाते थे और आप तो कहते हैं की आप भाभी को 30 मिनट तक चोदते हो तब भी आप झरते नहीं " ज्योति ने शर्म से कन्धा नीचे करते हुए कहा।

"दीदी आप इजाज़त दें तो एक बात पूछूं?" समीर ने अपनी दीदी से कहा।

"हाँ पूछो" ज्योति ने जवाब दिया।
"आपके पति को मरे हुए 8 साल हो चुके है, आपका मन नहीं करता की आप किसी से सम्भोग करें?" समीर ने सीधा सीधा कह दिया ।

"अरे पगले मन तो करता है मगर मेरी किस्मत में नहीं लिखा था तो क्या कर सकते हे" ज्योति ने सीरियस होकर रोते हुए कहा।

"सॉरी दीदी मैंने आप को रुला दिया" समीर ने अपनी दीदी के गालों से ऑंसू को पोछते हुए कहा।

"नही भाई तुम बुहत अच्छे हो" ज्योति ने अपने भाई के माथे को चूमते हुए कहा ।



 
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दीदी आप औरत हो आप ही बताओ की अगर मरद का लंड लम्बा और तगडा हो और वह बुहत देर तक न झरता हो तो औरत को मजा आता है या तकलीफ?" समीर ने अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।

"मेरा लाला औरत तो ऐसे मरद के लिए तरसती है" ज्योति ने इस बार अपने भाई के गाल पर किस देते हुए कहा ।
"फिर नीलम की क्या बीमारी है?" समीर ने गुस्से से कहा।

"यार किस्सी औरत में सेक्स की भूख बुहत ज़्यादा होती है हमारे जैसे और किसी में बुहत कम नीलम की तरह" ज्योति ने अपने भाई को समझते हुए कहा।

"हमे आप की जैसी पत्नी चाहिए जो हमारा भरपूर साथ दे" समीर के मुँह से जज़्बात में निकल गया।
"सच बतायें भाई मैं आप को अच्छी लगती हैं" ज्योति ने अपने भाई से पुछा ।
"हा बहना आप हमें बुहत अच्छी लगती हो, काश आप हमारी बहन नहीं होती तो ।" समीर अपनी बात पूरी न कर सका।

"तो क्या भाई?" ज्योति ने तेज़ साँसों के साथ कहा । उसकी साँसें अपने भइया की बात सुनकर तेज़ चलने लगी थी।
"कुछ नहीं दीदी, मैं बहक गया था" समीर ने अपना चेहरा नीचे करते हुए कहा ।

"भया आप हम से कुछ नहीं छुपा सकते, मैं आप की बहन हुई तो क्या हुआ मैं भी एक औरत हूँ । अगर आप को मैं इतनी ही अच्छी लगती हूँ तो आप मुझे ही क्यों नहीं चोदते" ज्योति ने जज्बाती होकर कहा ।

"दीदी आप क्या बोल रही हो" समीर ने शरमिंदा होते हुए कहा।

"भइया कब तक आप तडपते रहोगे और हम भी तो तडप रहे हैं 8 सालों से" ज्योति ने जज़्बाती होते हुए कहा।
"मगर हम आपस में बहन भाई हैं, ज़माना क्या कहेंगा" समीर ने परेशान होकर कहा।

"तो क्या हुआ हम दोनों प्यासे हैं और ज़माने को कौन बता रहा है" ज्योति ने कहा।

"मैं समझ गयी आपको मैं अच्छी नहीं लगती" कुछ देर तक दोनों खामोश रहे और अचानक ज्योति ने अपने भाई को अपनी गोद से हटाते हुए वहां से उठकर जाते हुए कहा।

"ठहरो दीदी" समीर ने भी उठते हुए अपनी बहन को हाथ से पकड लिया ।
ज्योति अपने भाई का हाथ पकडते ही उसके गले से जा लगी, समीर ने भी अपनी छोटी बहन को अपनी दोनों बाँहों में भरते हुए उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये । दोनों भाई बहन दुनिया से बेखबर एक दुसरे के होंठ चूसने लगे ।

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समीर और ज्योति कुछ देर तक ऐसे ही दुनिया से बेखबर एक दुसरे के होंठ चूसते रहे।

"दीदी आई लव यू आप बुहत अच्छी हो" समीर ने अपनी बहन से अपने होंठो को जुदा करते हुए कहा और अपने हाथों से अपनी छोटी बहन की नाइटी को उतारने लगा ।

"भईया आई लव यू २, मैं बुहत प्यासी हूँ ।आज मेरे 8 सालों की सारी प्यास बुझा दो", ज्योति ने अपनी नाइटी उतारने में अपने भइया की मदद करते हुए कहा।

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"दीदी आप बेहद ख़ूबसूरत हो" नाइटी उतारते ही समीर ने अपनी बहन का गोरा जिस्म सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और कच्छी में क़ैद देखकर कहा।

ज्योति ने अपनी नाइटी उतरते ही नीचे होते हुए अपने भइया का अंडरवियर उतारने लगी।

"वो भईया आपका लंड तो बुहत बडा है" ज्योति ने अपने भाई का अंडरवियर उतारते ही उसका मोटे और लम्बे गुलाबी लंड को देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए कहा ।

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समीर का अंडरवियर उतरते ही उसका 8.5 इंच लम्बा और 2.50 इंच मोटा लंड हवा में उछलने लगा, ज्योति ने अपने बड़े भाई का लंड अपने हाथ में लेते हुए अपने होंठो से उसके गुलाबी सुपाडे को चूम लिया ।

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"आह्ह ज्योति ने जैसे ही लंड को चूमा समीर के मूह से सिसकी निकल गई" । ज्योति ने अपनी जीभ से अपने बड़े भाई के लंड को चाटते हुए उसके गुलाबी सुपाडे को अपने मूह में ले लिया, ज्योति ने जैसे ही अपने बड़े भाई के लंड को अपने मूह में लिया उसे अजीब किस्म की गंध और ज़ायक़ा आने लगा ।

"भईया आपके लंड से अजीब गंध और ज़ायक़ा आ रहा है" ज्योति ने अपने भाई के लंड को अपने मूह से निकालते हुए कहा और उसके लंड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी ।

"आह्ह इस पर तुम्हारी भाभी का पानी लगा हुआ है" समीर ने सिसकते हुए कहा।

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समीर की बात सुनकर ज्योति ने उसका सुपाडा फिर से अपने मूह में डाल लिया । समीर ने अपनी छोटी बहन के बालों में हाथ ड़ालते हुए उसके मुँह को अपने लंड पर दबा दिया, ऐसा करने से समीर का आधा लंड उसकी छोटी बहन के मूह में चला गया ।

समीर अपनी बहन के सिर को पकड कर बुहत ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा । समीर ने देखा की उसकी छोटी बहन की ऑंखों से आंसू निकल रहे हैं इसीलिए उसने अपने लंड को अपनी छोटी बहन के मूह से निकाल दिया ।

समीर ने अपनी बहन के मुँह से अपने लंड को निकालते हुए उसे सीधा कर दिया और उसे अपनी बाँहों में भरते हुए उसके होंठ चूसने लगा । समीर ने अपनी बहन के होंठ चूस्ते हुए अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया ।

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ज्योति मज़े से अपने बड़े भाई की जीभ को अपने होंठो से चूसने लगी, समीर अपने हाथों से अपनी छोटी बहन के पीठ को सहलाते हुए उसकी ब्रा को पीछे से खोल दिया । ज्योति बुहत गरम हो चुकी थी उसने अपने भइया की जीभ को चूसना छोडकर अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया।

समीर अपनी बहन की जीभ को चूस्ते हुए उसकी ब्रा को उतारने लगा, ज्योति ने अपने मूह अपने भैया के मूह से हटाते हुए अपनी बाहें ऊपर करते हुए अपनी ब्रा उतरवा दी । समीर अपनी छोटी बहन की ब्रा के उतरते ही उसकी चुचियों को देखकर पागल हो गया ।ज्योति की चुचियाँ बुहत गोरी थी और उसकी चूचि के दाने मोटे और हल्के गुलाबी थे । समीर ने अपने दोनों हाथों से अपनी छोटी बहन की दोनों चुचियों को पकड लिया और अपना मूह खोलते हुए उसकी एक चूचि को अपने मूह में ले लिया ।

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"आह्ह्ह्ह अपनी चूचि को अपने बड़े भाई के मूह में महसूस करते ही ज्योति सिसक उठी" । समीर तो जैसे अपनी दीदी की चुचियों का दीवाना हो गया, वह बुहत ज़ोर से अपनी छोटी बहन की दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने और काटने लगा ।

ज्योति बुहत गरम हो चुकी थी उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी कच्छी को भिगो रहा था । समीर अपनी दीदी की चुचियों को जी भरकर चाटने और काटने के बाद नीचे होते हुए उसके पेट को चूमने लगा। समीर अपनी दीदी के पेट को चाटते हुए उसकी कच्छी तक आ गया।

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"आह्ह्ह्ह अपनी कच्छी पर अपने भइया के होंठ पड़ते ही ज्योति के मूह से सिसकि निकल गई", समीर ने अपने हाथों से अपनी छोटी बहन की कच्छी को उतार दिया । ज्योति अब बिलकुल नंगी अपने बड़े भाई के सामने खड़ी थी ।
समीर अपनी बहन की कच्छी को उतारने के बाद खडा होकर बड़े गौर से उसे देखने लगा, ज्योति अपने बड़े भाई को अपना जिस्म ऐसे घूरता हुआ देखकर शर्म के मारे उसके गले से जा लगी । समीर ने अपनी नंगी छोटी बहन को गोद में उठाते हुए सोफ़े पे ले जाकर लेटा दिया।

समीर अपनी बहन की टांगों के पास बैठते हुए उसकी दोनों टांगों को आपस में से अलग कर दिया और बड़े गौर से अपनी छोटी बहन की चूत को देखने लगा । ज्योति की चूत पर घने बाल उगे हुए थे ।

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समीर नीचे झुकते हुए अपने हाथों से अपनी छोटी बहना की चूत के बालों को साइड में करते हुए हुए उसकी रस टपकाती चूत को घूरने लगा ।

"दीदी आप चूत के बाल साफ़ नहीं करती क्या ?" समीर ने अपनी बहन की चूत की बड़ी झाँटों को सहलाते हुए कहा।

"भइया मुझे यहाँ बुहत शर्म आ रही है, मेरे कमरे में चलो ना" ज्योति ने अपनी ऑंखें बंद करते हुए कहा।

समीर अपनी बहन की बात सुनकर उसे फिर से अपनी गोद में उठा लिया और अपनी छोटी बहन को चोदने के लिए उसे उसके कमरे में ले जाने लगा । समीर ने अपनी बहन को उसके कमरे के बेड पर लेटाते हुए कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया ।

"भइया मैं अपनी चूत को किस के लिए साफ़ करती" ज्योति ने दरवाज़ा बंद करने के बाद अपने भाई से कहा।
"अब तुम अपने भैया के लिए अपनी चूत को साफ़ करना" ।।।।समीर ने बेड की तरफ आते हुए कहा।
"आप ही मेरी झाँटों को साफ़ कर दो ना" ज्योति ने अपने भाई से कहा।
"नही यार अभी छोड़ फिर कभी कर लेना" समीर ने अपनी बहन की टांगों को फ़ैलाते हुए कहा ।

ज्योति की चूत गोरी थी क्योंके झाँटों को दूर करने से उसकी चूत और उसके गुलाबी होंठ नज़र आ रहे थे।समीर ने अपनी छोटी बहन की चूत के झाँटों को दूर करते हुए उसके गुलाबी लबों को छु लिया।

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"आह्ह शी अपनी चूत पर अपने बड़े भाई के होंठ पड़ते ही ज्योति मज़े से तड़प उठी।

समीर से अब रहा नहीं जा रहा था उसने अपनी बहन की टांगों को घुटनों तक मोडते हुए उसके चुतडो के नीचे एक तकिया रख दिया । ज्योति की चूत अब बिलकुल खुल कर ऊपर उठ गयी थी और उसकी चूत का छेद खुला हुआ था जिस में से पानी निकल रहा था।

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समीर अपनी छोटी बहन की टा के नीचे बैठते हुए अपने लंड को ज्योति की चूत पर रगडने लगा।
"आह्ह भैया आराम से डालना 8 बरसों से यह बंजर है" ज्योति ने सिसकते हुए कहा।

समीर ने अपने लंड को पकड कर अपने बहन की चूत के छेद पर रख दिया ।

समीर अपने लंड को अपनी छोटी बहन की चूत के छेद पर रखकर थोडा ऊपर नीचे करने लगा

"भइया डाल दो अब बर्दाशत नहीं होता" ज्योति ने अपने चुतडों को उछालते हुए ज़ोर से सिसकते हुए कहा

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ज्योति की चूत में से उत्तेजना के मारे बुहत ज़्यादा पानी निकल रहा था। जिस से समीर का लंड पूरा भीग चूका था । समीर ने इस बार अपना लंड अपनी बहन की चूत के छेद पर रखते हुए एक हल्का धक्का लगा दिया।
"उह आह्हः ज्योति के मूह से हलकी चीख़ निकल गई" समीर के लंड का मोटा सुपाडा उसकी छोटी बहन की चूत में फँस गया।

समीर ने अपनी बहन की टांगों को पकडते हुए एक और धक्का मार दिया।

"उई माँ मर गयी ज्योति दर्द के मारे झटपटाने लगी" समीर का लंड अपनी बहन की चूत को चीरता हुआ ३ इंच तक अंदर घुस गया

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"दीदी क्या हुआ आप शादिशुदा होकर भी इतना चीख़ रही हो?" समीर ने अपनी दीदी से पूछा।

"भइया आपका बुहत मोटा और लम्बा है और मेरी चूत ८ साल से चूदी नहीं है इसीलिए वह बंद हो चुकी है। प्लीज आराम से करना" ज्योति ने दर्द के मारे सिसकते हुए कहा ।

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समीर अपनी छोटी बहन को जितना लंड अंदर गया था उसी से हलके धक्के लगाते हुए चोदने लगा, कुछ ही धक्कों के बाद ज्योति की चूत में लंड ने अपनी जगह बना ली और वह मज़े से सिसकते हुए अपने बड़े भाई से चूदवाने लगी ।

ज्योति की चूत से मज़े से रस निकल रहा था जिस वजह से समीर का लंड आराम से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था । समीर ने अब अपनी बहन की टांगों को पकडते हुए ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। बुहत ज़ोर लगा कर चोदने की वजह से समीर का लंड सरकता हुआ ६ इंच तक उसकी बहन की चूत में घुस चूका था।

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भइया बस और अंदर मत घुसाओ मेरी चूत फट जाएगी, मेरे पति का इतना ही लम्बा था" ज्योति ने बुहत तेज़ी से साँसें लेते हुए कहा ।
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समीर अपनी बहन को अब उतना लंड ही डाले चोदने लगा, १५-२० धक्कों के बाद ही ज्योति बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपना चूतड़ उछालने लगी । समीर अपनी बहन के चूतड़ उछालने से समझ गया के वह झरने वाली है इसीलिए वह अपनी बहन की चूत में बुहत तेज़ी के साथ धक्के लगाने लगा

ज्योति अपनी चूत में ८ साल बाद अपने भाई के लंड की रगड से पागल हो रही थी और उसका सारा बदन मज़े के मारे काम्प रहा था । ज्योति का पूरा बदन पसीने से भीग गया और उसका पूरा बदन अकडने लगा ।

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ज्योति की चूत अचानक झटके खाते हुए झरने लगी और ज्योति अपने बड़े भाई के लंड पर बुहत तेज़ी के साथ अपने चूतड़ उछालते हुए मज़े से अपनी ऑंखें बंद करके "उह आह्ह्ह्ह ईह" करते हुए झरने लगी । समीर अपनी बहन की चूत से पानी निकलता हुआ देखकर उसे बुहत ज़ोर के धक्के लगाते हुए पेलने लगा।

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ज्योति की चूत एक बार झरने से अंदर से बिलकुल गीली हो चुकी थी। जिस वजह से अब समीर का लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था । समीर ने अपनी बहन के पूरा झरने के बाद उसकी टांगों को ज़ोर से पकडते हुए ३-४ ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में घुसा दिया ।

"उईई माँ मार ड़ाला ओहहहह मेरी चूत फट गई" ज्योति अपने भाई का पूरा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए तडपने लगी ।

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समीर अपनी बहन को ऐसे चिल्लाते हुए देखकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर झुक गया और अपनी बहन की एक चूचि को सहलाते हुए उसकी दूसरी चूचि के दाने को अपने मूह में भरकर चूसने लगा ।

ज्योति कुछ देर में ही कुछ शांत हो गई और अपने बड़े भाई के बालों में हाथ ड़ालते हुए अपनी चूचि पर दबाने लगी।
"दीदी बुहत दर्द हो रहा है क्या?" समीर ने अपनी दीदी की चूचि को अपने मूह से निकालते हुए कहा।

"नही भैया अब ठीक है, आपका लंड इतना बड़ा है की वह मुझे अपने पेट तक महसूस हो रहा है" ज्योति ने सिसक कर अपने चुतडो को अपने भाई के लंड पर उछालते हुए कहा।

समीर अपनी बहन को एक चुम्बन होंठो पर देते हुए उसकी चुचियों को अपने हाथों से पकडते हुए उसकी चूत में हलके धक्के लगाने लगा । ज्योति अपने भाई के लंड को अपनी चूत में जड़ तक महसूस करके मज़े से बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई के होंठो को चूमने लगी, समीर अपनी बहन को गरम होता हुआ देखकर उसके ऊपर से उठते हुय उसकी टांगों को पकड लिया ।

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समीर अपनी बहन की टांगों को पकडते हुए अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर से घूसाने लगा । ज्योति अपने बड़े भाई के हर धक्के के साथ मज़े से काम्प उठती । ज्योति को इतना मजा आ रहा था की वह अपने भाई के हर धक्के के साथ अपने मांसल चूतड़ उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसक रही थी ।

ज्योति का बदन अकडने लगा और उसकी चूत अपने भाई के मोटे और लम्बे लंड से हारकर फिर से काँपते हुए आंसू बहाने लगी । ज्योति ज़िंदगी में पहली बार एक चुदाई से दो बार झरी थी।

समीर अभी तक झडा नहीं था, अब वह अपनी बहन की चूत में बुहत तेज़ और भयानक धक्के लगाने लगा । ज्योति की चूत दो बार झरने की वजह से बुहत गीली थी और समीर के हर धक्के के साथ उसकी चूत से फ़च फच की आवाज़ निकल रही थी ।
ज्योति की चूत आधे घन्टे से अपने बड़े भाई से चुद्वाते हुए लाल हो चुकी थी, अचानक समीर हाँफते हुए ज़ोर जोर से धक्के लगाने लगा ।

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"दीदी मैं झरने वाला हूं, जल्दी बताओ अंदर झडुं या बाहर?" समीर ने तेज़ साँसें लेते हुए कहा।
"भइया अंदर झरना मेरी चूत कब से प्यासी है, आज इसे अपने भाई के लंड का वीर्य पीने दो" ज्योति ने अपने भाई को जल्दी से जवाब देते हुए कहा ।

"आह्हः दीदी मैं गया" समीर अपना लंड बुहत तेज़ी के साथ अपनी बहन की चूत में अंदर बाहर करता हुआ झरने लगा।

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"ओहहह शहहह भैया आप बुहत अच्छे हो, आह्ह्ह्ह मैं भी आई" अपने बड़े भाई के लंड का वीर्य अपनी सालों से प्यासी चूत में गिरते ही ज्योति भी अपनी चूत को अपने भाई के लंड पर ज़ोर से पटकते हुए झरने लगी।

समीर के लंड से जाने कितनी देर तक पिचकारियां निकल कर अपनी सगी बहन की चूत को भरने लगी। समीर झरने के बाद निढाल होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पडा । ज्योति भी अपने भाई के मुसल लंड से चुदते हुए तीन बार झडी थी और वह भी अपनी आँखें बंद किये हुए हांफ रही थी ।

दीदी हमने जो किया क्या वह सही था?" समीर ने बेड पर लेटते हुए ही अपनी बहन से सवाल किया।
"पर दुनिया वालों के लिए यह पाप है, पर तुम जानते हो के हम दोनों को एक दुसरे से जो ख़ुशी मिली है । वह हम सारी ज़िंदगी नहीं भूल सकते" ज्योति ने अपने बड़े भाई को समझाते हुए कहा ।
समीर अपनी छोटी बहन की बात सुनते ही उसे अपनी तरफ खींचते हुए बाँहों में भर लिया । ज्योति अपने बड़े भाई से ऐसे लिपट गयी जैसे वह उसकी बहन नहीं प्रेमिका हो, समीर और ज्योति ने उस रात दो बार और अपनी हवस एक दुसरे से मिटाई और फिर समीर वहां से जाकर अपने कमरे में सो गया।



कहानी जारी रहेगी ....
 
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Haseeno ka Raja
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सूबह ७ बजे अलार्म के बजते ही रेखा उठकर फ्रेश होने चली गयी । रेखा फ्रेश होने के बाद अपने पति और दोनों बेटियों को उठाने के बाद अपने बेटे के कमरे में जाने लगी, रेखा अपने बेटे के कमरे में आते ही बेड पर आकर बैठ गयी ।
विजय चादर लपेट कर सोया हुआ था, रेखा ने चादर को खीँच कर विजय के ऊपर से हटा दिया । चादर के हटते ही रेखा की आँखें खुली की खुली रह गयी ।

विजय बिलकुल नंगा होकर सीधा लेटा हुए था, रात को देर से सोने की वजह से वह गहरी नींद में सोया हुआ था । विजय का लंड बिलकुल तना हुआ ऊपर नीचे हो रहा था जैसे वह अपनी माँ को सलामी दे रहा हो ।
रेखा इतनी सुबह अपने बेटे का खडा लंड देखकर गरम होने लगी, विजय के लंड के पास हलके हलके बाल थे । रेखा से रहा नहीं गया और उसने अपना हाथ आगे करते हुए अपने बेटे का लंड पकड लिया, विजय का लंड अपने हाथ में आते ही रेखा की साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी।

विजय का लंड इतना गरम और ठोस था की रेखा को ऐसा महसूस हो रहा जैसे उसने किसी गरम लोहे को अपने हाथ में पकडा हुआ हो । रेखा मन ही मन में सोचने लगी की उसके बेटे की जिससे शादी होगी वह बुहत ख़ुशनसीब होगी ।
रेखा के दिमाग में अचानक ख़याल आया की अगर इस वक़त यह लंड उसकी चूत में होता तो उसे कैसा महसूस होता । रेखा को यह ख़याल आते ही उसके जिस्म में एक सिहरन दौडने लगी और उसके हाथ से अपने बेटे का लंड ज़ोर से दब गया

विजय अपने लंड के ज़ोर से दबने से हड़बड़ा कर उठ गया और अपनी माँ को सामने देखकर जल्दी से चादर उठाकर अपना नंगा जिस्म छूपाने लगा । रेखा अपने बेटे के उठने से होश में आते हुए अपने बेटे से हँसते हुए कहा "विजय इतनी देर से तुम्हें उठा रही हूँ और तुम हो की सुन ही नहीं रहे हो किसका सपना देख रहे थे ?"
"किसी का भी नही " विजय ने हकलाते हुए कहा।
"रात को इतनी गर्मी थी क्या जो बिलकुल नंगे होकर सो गये?" रेखा ने वैसे ही मुस्कुराते हुए अपने बेटे को टोकते हुए कहा।

"हा माँ रात को बुहत गर्मी थी" विजय ने थूक गटकते हुए कहा।
"लगता है तुम्हारी शादी जल्दी करनी पड़ेगी इतनी गर्मी जो है तुम में" रेखा यह कहते हुए वहां से चलि गयी । विजय सुबह सुबह अपनी माँ की ऐसी बातें सुनकर बुहत गरम हो गया ।
विजय ने बाथरूम में जाकर अपने लंड को हिलाकर झाड़ दिया और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आ गया । विजय नाशता करने के बाद अपनी बहनों के साथ कॉलेज के लिए निकल गया, कॉलेज जाने के लिए आज भी वह एक रिक्शा में बैठ गए ।

आज रिक्शा में बैठने के बाद विजय बार बार अपनी बहन के जिस्म से अपने जिस्म को टच करने की कोशिश कर रहा था । कंचन समझ गयी की उसका भाई उसके लिए तड़प रहा था, इसीलिए उसने अपने बाज़ू को ऊपर करते हुए अपने भाई के दूसरी तरफ वाले काँधे पर रख दिया ।
विजय ने जैसे ही अपनी बड़ी बहन की तरफ अपना मूह किया उसको अपनी बहन की चूचि अपनी आँखों के बिलकुल सामने दिखाई दी । विजय का दिल तो कर रहा था की अपनी बड़ी बहन की चूचि को अपने हाथ से मसल दे मगर वह ऐसा नहीं कर सकत था।

विजय को अपनी बहन के जिस्म की ख़ुश्बू पागल बना रही थी, कंचन ने अपने जिस्म पर बुहत खुसबू वाला बॉडी स्प्रे लगाया हुआ था । विजय की तम्मना भगवान ने सुन ली और रिक्शा एक खड्डे में से गुज़रने लगा ।
कंचन ने अपने भाई को ज़ोर से पकड लिया और विजय ने मौका देखकर अपना मूह अपनी बड़ी बहन की चूचि पर रगडने लगा । ऐसे ही कब उनका कॉलेज आया उन्हें पता ही नहीं चला और वह तीनों रिक्शा से उतरकर अपने कॉलेज में जाने लगे ।

रेखा सब के जाने के बाद अपने प्यारे ससुर के लिए चाय बनाकर उनके कमरे में चलि गयी । रेखा ने आज सलवार और कमीज पहनी थी क्योंकी वह अपने बूढ़े ससुर को तडपाना चाहती थी, रेखा ने बुहत पतली कमीज पहनी थी जिस में से उसका सारा जिस्म दिख रहा था ।
रेखा अपने ससुर के कमरे में पुहंचते ही चाय को टेबल पर रखते हुए अपने ससुर को उठाने लगी । अनिल अपनी बहु की आवाज़ सुनते ही अपनी ऑंखें मलते हुए उठकर बैठ गया, अनिल ने जैसे ही अपनी बहु को देखा उसका लंड बुहत ज़ोर से उछलने लगा।

"बाबूजी आप चाय पी लो मैं अभी आती हू" रेखा अपने ससुर को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर उसकी धोती की तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुय कहा । रेखा यह कहते हुए वहां से चलि गयी ।
अनिल चाय पीने के बाद अपने बाथरूम में घुस गया और अपनी धोती उतारते हुए फ्रेश होने की तैयारी करने लगा । रेखा थोडी देर बाद अपने ससुर के कमरे में पुहंची, अनिल के बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था और वह बिलकुल नंगा होकर नहा रहा था ।

"बाबूजी कुछ तो शर्म करो, नंगे होकर नहा रहे हो दरवाज़ा तो बंद कर लो" रेखा ने अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
"बेटी अब तुम से क्या छुपाना, वैसे भी हम दोनों ने एक दुसरे की हर चीज़ देख ली है" अनिल ने अपनी बहु की आवाज़ सुनते ही सीधा होते हुए कहा ।
"बाबूजी आप का यह तो हर वक़त खडा ही रहता है " रेखा ने अनिल के सीधे होते ही उसका तना हुआ लंड देखकर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा।
"अपनी बहु के गठीले जिस्म को देख कर बेचारा खुश होकर उछलने लगता है और कुछ कर तो नहीं सकता" अनिल ने बड़ी बेशरमी से यों ही अपनी बहु के सामने खडे कहा।

"बाबूजी लगता है आप की तरह यह भी बेशरम है जो अपनी बेटी जैसी बहु को देखकर इतना उछलने लगता है" रेखा ने अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा।
"बेटी वह टॉवल तो उठा कर देना मैं भूल गया था" अनिल ने अपनी बहु से कहा ।
रेखा बेड से टॉवल उठाकर अपने ससुर को देने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी ।
"बाबूजी टॉवेल" रेखा ने बाथरूम के दरवाज़े तक पुहंचकर कहा ।

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अनिल ने सीधा होते हुए अपनी बहु को बाज़ू से पकड कर अंदर खीँच लिया । रेखा लडखडाते हुए अपने ससुर के सीने से जा टकराई, शावर खुला होने के कारण रेखा के पूरे कपडे पानी से भीग गयी।
"बाबूजी यह क्या कर दिया आपने। मेरे पूरे कपडे भीग गये" रेखा ने अपने आप को अपने ससुर से छुडाते हुए कहा । अनिल ने रेखा के हाथ से टॉवल लेते हुए दरवाज़े पर रख दिया और अपनी बहु को अपनी बाहों में ज़ोर से भर लिया।
रेखा ने पतली कमीज पहन रखी थी जो पानी में भीग जाने से उसकी बॉडी से चिपक गयी थी और उसकी ब्रा में क़ैद बड़ी बड़ी चुचियां अनिल के सीने में दब गयी थी,

"बाबूजी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी जैसी बहु को अकेला देखकर उसका फ़ायदा उठाते हो" रेखा ने अपने आप को छुड़ाने की नाक़ाम कोशिश करते हुए कहा ।
"बेटी अब बहु अगर इतनी सूंदर होगी तो उसके ससुर का क्या क़सूर" अनिल ने अपनी बहु के काँधे को चूमते हुए कहा।
"बाबूजी हमें छोड दिजीये यह पाप है, हम आपके साथ यह सब नहीं कर सकते" रेखा ने अपने ससुर को तडपाने के लिए उससे छूटने का नाटक करते हुए उसके पीठ पर मुक्के मारते हुए कहा।

"वाह बेटी अब यह सब पाप हो गया और जब कल तुम अपने ससुर से अपनी चूत को चूसवा रही थी । उस वक़त पाप नहीं था" अनिल ने गुस्से में आकर अपनी बहु की बाहों को पकडते हुए उसके होंठो को काटते हुए कहा।
"हा पिता जी वह मैं बहक गयी थी मुझे छोडो" रेखा ने अपने होंठो पर अपने ससुर के दाँत पडते ही चीखते हुए वही नाटक दुहराते हुए कहा ।
"साली बुहत नाटक करती है" अनिल ने गुस्से में आकर अपनी बहु की कमीज को फाड़ते हुए उसे बाथरूम की दीवार पर दबाते हुए कहा।
अनिल ने रेखा को बाथरूम की दीवार से सटा रखा था और उसके सामने वह बिलकुल नंगा खडा होकर उसकी ब्रा में क़ैद बड़ी बड़ी चुचियों को देख रहा था।

रेखा समझ गयी थी की उसका ससुर आज उसे चोदे बिना नहीं रहेंगे, रेखा ने अपने ससुर के तगडे लंड को घूरते हुए फिर से नाटक करते हुए कहा "बापु जी हमारे साथ ऐसा मत करो हम किसी को मूह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे" ।
अनिल खुद हैंरान था की उसकी बहु को क्या हो गया है, कहाँ कल वह उससे चुदवाने के लिए मरी जा रही थी और आज उससे दूर भाग रही है । अनिल ने आगे बढ़ते हुए अपनी बहु की सलवार का नाडा खोल दिया, नाडे के खुलते ही रेखा की सलवार उसके जिस्म से अलग होकर उसके पांव में गिर गई।

रेखा अब अपने ससुर के सामने सिर्फ एक ब्रा और कमीज में थी। अनिल ने अपनी बहु के भीगे बदन को देखते हुए नीचे झुककर अपनी बहु की सलवार को उसकी टांगों से अलग कर दिया । अनिल ने अब उठते हुए अपनी बहु की ब्रा को खीच कर फाड दिया

रेखा की बड़ी बड़ी चुचियां ब्रा के फ़टते ही उछलते हुए अनिल की आँखों के सामने आ गई । अनिल के मुँह में अपनी बहु की बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर पानी आने लगी, अनिल ने अपनी बहु को बालों से पकडते हुए शावर के नीचे खडा कर दिया।
शावर से निकलता हुआ पानी रेखा के सर से होता हुआ उसकी चुचियों पर गिरने लगा । अनिल ने अपनी बहु की एक चूचि को ज़ोर से अपने हाथ से मसलते हुए अपने मूह में डाल दी और शावर से गिरते हुए पानी को अपनी बहु की चुचियों को चूसते हुए पीने लगा ।
"हाहहह बापू जी आराम से" रेखा अपने ससुर के ज़ोर से उसकी चूचि को चूसने से चीखते हुए बोली।
"क्यों साली रंडी अब क्यों चिल्ला रही है" अनिल ने गुस्से से अपनी बहु की चूची को ज़्यादा ज़ोर से चूसते हुए दाँत से काटते हुए कहा।
"वो बापू जी दरद हो रहा है, मैं आपकी बहु हूँ कुछ तो ख्याल करो" रेखा ने अपनी चूची को काटने से दरद से तड़पते हुए कहा।

"साली रंडी कल से मुझे तडपा रही है, जानबूझ कर अपनी चुचियां दिखा कर गर्म करती हो और फिर हाथ लगाने पर नाटक करती हो । आज मैं तुम्हें बताऊंगा की मरद के साथ ऐसा हरकत करने का क्या नतीजा होता है" अनिल ने गुस्से में आकर अपनी बहु की चूचि को छोड़ते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम से निकलते हुए बेड पर पटकते हुए कहा ।

अनिल ने अपनी बहु को बेड पर सुलाते ही उसके ऊपर चढ़ गया और रेखा की चुचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपने मूह में लेकर चूसने लगा।
"आहहह साले क्या सारा दिन मेरी चुचियों को ही चूसते रहोगे या और भी कुछ करोगे" रेखा ने गरम होते हुए अपना नाटक छोडते हुए अपने ससुर को कहा ।
"साली आ गयी न अपनी लाइन पर अब देखना मैं तुझे कैसे चोदता हूँ" अनिल अपनी बहु की बात सुनकर खुश होते हुए उसकी चुचियों को छोडते हुए बोला, अनिल ने नीचे होते हुए अपनी बहु की कच्छी को ज़ोर से खीचते हुए फाड़ दिया । रेखा अब अपने ससुर के सामने बिलकुल नंगी सोयी थी।

अनिल ने अपनी बहु को गौर से देखते हुए ज़्यादा देर न करते हुए उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसकी रसीली चूत के छेद से निकलते हुए पानी पर रगडने लगा।
"आजहहह बापू जी घुसा दो न क्यों तडपा रहे हो" रेखा ने अपने ससुर के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते ही अपने चूतड़ उछालते हुए कहा।
अनिल अपनी बहु की बात सुनकर अपने लंड को पकडकर अपनी बहु की चूत के छेद में फंसाते हुए धक्का देने ही वाला था की बाहर दरवाज़ा खटखटाने की आवज़ सुनाइ दिया ।

साला कौन है इस वक्त दरवाज़े पर , अपनी किस्मत ही खोटी है" अनिल अपनी बहु के ऊपर से हटते हुए अपनी धोती पहनते हुए बोला।
"बाबूजी आपने तो हमारे सारे कपड़े फाड़ दिए, मैं अपने कमरे में जाकर कपड़े पहनती हूँ । आप जाकर दरवाज़ा खोलो" रेखा भी मन ही मन में दरवाज़ा खटकाने वाले को गाली देते हुए अपने ससुर को बोली।

रेखा वहां से जाते हुए अपने कमरे में आ गई और जल्दी से अलमारी में से एक दूसरी सलवार कमीज निकाल कर पहन ली । अनिल ने जैसे ही दरवाज़ा खोला सामने एक डाक वाला खडा था, उसने अनिल को देखते ही एक लेटर देते हुए एक कागज़ पर सिग्नेचर ले लिया।

अनिल दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए लेटर भेजने वाले का नाम पढ़ने लगा । नाम पढते ही अनिल खुश होते हुए अपनी बहु के कमरे में चला गया।
"बेटी देखो किस ने लेटर भेजा है" अनिल अपनी बहु के कमरे में पुहंचकर खुश होते हुए बोला ।
"क्या हुआ बाबूजी कौन था और आप इतने खुश क्यों हें ?" रेखा ने अपने ससुर को खुश होता देखकर सवाल किया ।

"बेटी हमारी बेटी और तुम्हारी देवरानी का लेटर है" अनिल ने खुश होते हुए कहा।
"अपनी बेटी का खत देखकर इतना क्यों खुश हो रहे हो " रेखा अपने ससुर के हाथ से खत को छीनते हुए टेबल पर रखते हुए बोली ।

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रेखा ने अपने ससुर की धोती को खींचकर उतार दिया, अनिल अपनी बहु के सामने बिलकुल नंगा खडा था और उसका लंड सिकुड़ चूका था । रेखा ने जल्दी से ज़मीन पर अपने घुटनों के बल बैठते हुए अपने ससुर के लंड को पकड लिया और उसे सहलाती हुयी अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगी।

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"आह्ह बेटी इतनी जल्दी है क्या" अनिल ने अपनी बहु की जीभ अपने लंड पर लगते ही सिसकते हुए कहा।
"हा बाबूजी अब हम बर्दाशत नहीं कर सकते" रेखा ने अपने ससुर के लंड से जीभ को हटाते हुए कहा और अपना मूह खोलकर अपने ससुर के लंड को जितना हो सकता था अपने मूह में भर लिया ।
रेखा अपने ससुर के लंड को ज़ोर से चूसने लगी । रेखा का मूह अपने ससुर के लंड के तनने से पूरा भरकर दुखने लगा इसीलिए रेखा ने अपने ससुर के लंड को अपने मूह से निकाल दिया ।

रेखा अपने ससुर के लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी, अनिल ने अपनी बहु को काँधे से पकडते हुए सीधा खडा कर दिया । अनिल ने अपनी बहु की कमीज को पकडकर उतार दिया, रेखा ने अपनी बाहें ऊपर करते हुए अपने ससुर को अपनी कमीज उतारने में मदद की ।
अनिल ने अपनी बहु की कमीज के उतरते ही उसे अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठ चूमने लगा । रेखा ने अपने ससुर के चुम्बनों का जवाब देते हुए अपनी जीभ को अनिल के मूह में डाल दिया और अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी सलवार का नाडा खोल दिया।

अनिल अपनी बहु के बिलकुल नंगा होते ही उसके जीभ को थोडी देर चूसने के बाद अपने होंठो को अपनी बहु के होंठो से अलग करते हुए उसकी चुचियों से खेलने लगा । रेखा अपने ससुर के बालों में हाथ ड़ालते हुए उससे अपनी चुचियों को चुसवाने लगी ।
अनिल अब अपनी बहु की चुचियों से अलग होता हुआ उसे अपने बेटे के बेड पर लाकर लेटा दिया । अनिल ने फिर से अपनी बहु की टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया और नीचे झुकते हुए अपनी जीभ से अपनी बहु की चूत के छेद को चाटने लगा ।

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"आह्ह अपने ससुर की जीभ को अपनी चूत के छेद पर लगते ही रेखा मज़े से कांपते हुए सिसकने लगी" अनिल ने अपनी बहु की चूत को अपनी जीभ से बिलकुल गीला कर दिया और अपने लंड को पकडकर अपनी बहु की चूत के मोटे दाने से लेकर उसके छेद तक रगडने लगा ।
"आह्ह इस्सस बाबूजी डाल दो हमें और मत तडपाओ" रेखा अपने ससुर के लंड को अपनी चूत के दाने पर लगने से बुहत ज़्यादा गरम होते हुए ज़ोर की आहें भरते हुए कहा । रेखा इतनी ज़्यादा गरम हो चुकी थी की उसकी चूत से पानी की कुछ बूँदे निकलने लगी।

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अनिल ने अपनी बहु को पूरा गरम देखकर अपने लंड के टोपे को उसकी चूत के निकलते हुए पानी से गीला करते हुए रेखा की चूत के छेद में फँसा दिया । अनिल ने अपनी बहु की टांगों को पकडते हुए एक जोर का धक्का मार दिया ।

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"हाहहह बाबजी " रेखा अपने ससुर के लंड को अपनी चूत में जाते ही मज़े से सिसक उठी । अनिल का लंड आधा अपनी बहु की गीली चूत में घुस गया था, अनिल ने अपने लंड को पीछे खीचते हुए एक और जोर का धक्का मार दिया ।

ओहहह आह बाबूजी आपका लंड तो हमारी बच्चेदानी में ही घुस गया है" रेखा ने अपने ससुर के पूरे लंड के घुसते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"बस बेटी पूरा घुस गया है" अनिल ने अपनी बहु की चूत से अपने लंड को निकालते हुए फिर से जड़ तक घुसाते हुए कहा ।

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"आह्हः बाबूजी आपका लंड बुहत मोटा और लम्बा है, उसने हमारी पूरी चूत को पूरा भर रखा है" रेखा ने मज़े से सिसकते हुए अपने ससुर को कहा।
"क्यों बेटी दर्द हो रहा हो तो निकाल दूँ?" अनिल ने अपनी बहु की चूत में अपने लंड से हलके धक्कों के साथ अंदर बाहर करते हुए कहा।

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"नही बाबूजी हमें तो बुहत मजा आ रहा है" रेखा ने अपने ससुर की बात सुनते ही अपने चूतड़ उछालते हुए उसका लंड अपनी चूत में लेते हुए बोली ।
अनिल अपनी बहु की एक्साईटमेंट देखकर उसकी टांगों को पकडते हुए अपने लंड को ज़ोर से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा ।
"आह्ह इस्सस बाबूजी ऐसे ही हमें चोदो, हमें बुहत मजा आ रहा है" रेखा अपने ससुर के लंड पर अपने चूतड़ उछालते हुए ताल से ताल मिलाते हुए बोली।

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अनिल अब अपना लंड अपनी बहु की चूत में बुहत तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगा । रेखा का मज़े के मारे बुरा हाल था, वह एक्साईटमेंट और मज़े से हवा में उड़ रही थी । रेखा को अपने ससुर का लंड अपनी चूत की गहराइयों तक रगड रहा था ।
अनिल अपनी बहु को चोदते हुए उसके ऊपर झुकते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को पकड़ कर मसलने लगा । अनिल अपनी बहु की चुचियों को दबाते हुए बुहत ज़ोर के धक्के लगा रहा था। रेखा मज़े की चरम सीमा तक पुहंच चुकी थी उसका बदन बुहत ज़ोर से काम्प रहा था।

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अनिल अपनी बहु की चुचियों को मसलते हुए उन्हें अपने मूह में लेकर चूसते हुए रेखा को चोदने लगा
"आह्हः बाबूजी हम झरने वाले हैं, हमारी चूत में अपना लंड ज़ोर से पेलो फाड़ दो हमारी चूत" रेखा ने अचानक चिल्लाते हुए कहा ।
अनिल अपनी बहु के मूह से यह सब सुनकर उसके ऊपर से उठते हुए उसे बुहत ज़ोर से पेलने लगा ।
"उह बाबूजी हाँ ऐसे ही ज़ोर से हमारी चूत में धक्के लगाओ" रेखा अपने ससुर के लंड पर अपने चूतड़ उछालते हुए बोली ।

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रेखा का बदन अकडने लगा और उसकी चूत झटके खाते हुए अपने ससुर के लंड पर ख़ुशी के ऑंसू गिराने लगी।
"आजहहह ईश ओह्ह्ह बाबूजी में झड़ रही हू" रेखा झरते हुए ज़ोर से चिल्लाते हुए सिसकने लगी ।
अनिल भी अपनी बहु के झरते ही उसकी चूत में अपने लंड से निकलता वीर्य भरने लगा।
"आजहहह बेटी तुम्हारी चूत ३ बच्चे पैदा करने के बाद भी बुहत कसी हुई है, में भी झड रहा हू" अनिल भी झडते हुए चिल्लाकर बोला । अनिल अपने लंड का सारा वीर्य निकलने के बाद अपनी बहु के ऊपर ढेर हो गया।

अनिल का लंड सिकुड़ कर रेखा की चूत से निकल गया । रेखा की चूत से लंड के निकलते ही उसके ससुर का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी मिलकर बेड की चादर पर गिरने लगा, अनिल अपनी बहु के ऊपर से उठकर उसकी साइड में लेट गया ।
रेखा बेड से उठकर बाथरूम में चलि गयी। जब वह लौटकर आई तो अनिल अपनी बेटी का खत पढ रहा था ।
"क्या लिखा है हमारी देवरानी ने" रेखा बेड पर चढते हुए बोली।
"वो कल आ रही है यहां" अनिल ने ख़ुशी से कहा ।

"उसका पति और बच्चे भी आ रहे हैं क्या?" रेखा ने अपने ससुर से सवाल किया।
"उसका पति काम के सिलसिले में एक महीने तक किसी दुसरे शहर जा रहा है, वह अपने बच्चों के साथ आ रही है" अनिल ने अपनी बहु को जवाब दिया ।
"बाबूजी फिर तो उनके सामने हम कुछ नहीं कर सकेंगे" रेखा ने मूह बनाते हुए कहा।
"बेटी तुम परेशान क्यों होती हो कोई न कोई तो रास्ता निकाल लेंगे" अनिल ने अपनी बहु को अपनी तरफ खीचते हुए कहा । रेखा अपने ससुर को सीधा लेटाते हुए उसके वीर्य से भीगे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी।

अनिल ने अपनी बहु को एक बार और चोदा। इस बार उसने अपनी बहु को अपने लंड पर चढाकर चोदा और उसे कुतिया बना कर अपना वीर्य उसकी चूत में ड़ाला। रेखा इस बार अपने ससुर के अलग अलग तरीके से चोदने की वजह से दो बार झडी ।
रेखा को उल्टा करके चोदते हुए अनिल की नज़र अपनी बहु की गोरी गांड के भूरे छेद पर टीक गयी थी अनिल को अपनी बहु की गांड का छेद बुहत पसंद आया था और उसने फैसला कर लिया की अगली बार रेखा की गांड ज़रूर चोदेगा।

अनिल अपनी बहु को दो बार चोदकर थक चूका था इसीलिए अपनी बहु को बोलकर अपने कमरे में सोने चला गया । रेखा भी आज बुहत खुश थी उसकी सारी गर्मी उसके ससुर ने उतार दी थी। रेखा फ्रेश होकर साड़ी पहनते हुए घर के काम में लग गयी ।
अनिल के टोटल ४ बेटे और एक लाड़ली बेटी थी। सबसे बड़ा मुकेश उसके एक साल छोटी मनीषा जिस की शादी १८ साल की उम्र में ही उसकी पसंद से कर दी गयी थी । रमेश नाम था उसके पति का जिससे वह प्यार करती थी, मनीषा को दो बेटी और एक बेटा था।

२१ साल का नरेश, २० साल की शीला और १८ साल की पिंकी, मनीषा ने जब रमेश से शादी की , वह एक जगह पर जॉब करता था और उसकी तनखाह भी ज़्यादा नहीं थी । मगर एक बार उसके बॉस ने मनीषा को देख लिया तो वह उस पर फ़िदा हो गया ।
रमेश के बॉस जिसका नाम सूरज था उसने रमेश का प्रमोशन कर दिया और रमेश से भी बुहत दोस्ती कर ली । सूरज अब रमेश के घर आता जाता था, सूरज ने रमेश को 5 दिनों के लिए काम के सीलसिले में किसी दुसरे शहर भेज दिया ।

सुरज की उम्र ४० बरस थी उसने अब तक शादी नहीं की थी, सूरज जिस दिन रमेश को दुसरे शहर भेजा था उसी रात को सूरज के घर पुहंच गया ।
"सुरज तुम इतनी रात को यहाँ कैसे?" मनीषा अपनी पति के बॉस को रात के वक्त अपने घर पर देखते हुए हैरत से पुछा ।
सुरज दरवाज़ा खुलते ही अंदर दाखिल हो गया, मनीषा सिर्फ एक नाइटी में थी क्योंके वह सोने वाली थी । मनीषा ने सूरज के अंदर दाखिल होते ही दरवाज़ा बंद करते हुए फिर से वही सवाल दुहराया।

सुरज ने मनीषा की तरफ गौर से देखते हुए कहा " तुम जानती हो की मैंने तुम्हारे पति का प्रमोशन क्यों किया ?", मनीषा सूरज की बातों और उसकी नज़र को अपनी तरफ घूरने से इतना तो जानती थी की सूरज उस में इंट्रेस्ट रखता है।
"उसके काम की वजह से दिया होगा" मनीषा ने सोचते हुए जवाब दिया ।
"मानिषा सिर्फ तुम्हारी वजह से उसका प्रमोशन हुआ है और अब भी तुम्हारे हाथ में है की उसे और ज़्यादा ऊपर ले जाती हो या फिर से वही, जहाँ पर वह पहले था" सूरज ने मनीषा की तरफ देखते हुए कहा

क्या मतलब है तुम्हारा?" मनीषा ने हैंरान होते हुए सूरज से पूछा।
"अब तुम इतनी भोली भी नहीं हो जो जानकर भी अन्जान बन रही हो" सूरज ने सोफ़े पर बैठते हुए अपना जूता अपने पाँव से निकालते हुए कहा ।
"सुरज तुम क्या कह रहे हो मैं कुछ समझ नहीं पा रही हू" मनीषा ने परेशान होते हुए कहा।
"तो सुन लड़की मैंने तुम्हारे पति को इसीलिए प्रमोशन दिया था क्योंकी मुझे तुम अच्छी लगने लगी थी और अब वक्त आगया है की तुम मेरे सारे अहसानों का क़र्ज़ चुकाओ" सूरज ने अपने जूते निकालने के बाद अपनी शर्ट भी उतारते हुए कहा।

"मगर मैं क्या कर सकती हूँ। तुम्हारे अहसानों को चुकाने के लिये" मनीषा ने सूरज को शर्ट उतारते हुए देखकर ड़रते हुए कहा।
"अब यह भी बताना पड़ेगा, मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए जिसका मैं दीवाना हू" सूरज ने अपनी शर्ट उतारने के बाद अपनी पेण्ट को भी उतारते हुए कहा ।
"सुरज तुम क्या कह रहे हो, तुम जानते हो। मैं शादीशुदा औरत हूँ और अपने पति को मैं धोखा नहीं दे सकती" मनीषा ने मना करते हुए कहा ।

"मैं तुमसे कोई ज़बर्दस्ती नहीं करूंगा, तुमने अगर अपनी मर्ज़ी से अपने आपको मेरे हवाले नहीं किया तो आगे तुम समझदार हो" सूरज ने अपने पाँव से अपनी पेण्ट को खीँच कर निकाल दिया ।
"सुरज में ऐसी वेसी औरत नहीं हूं, प्लीज मेरे घर को बर्बाद मत करो" मनीषा ने सूरज को मिंन्नत करते हुए कहा ।
"मानिषा मैंने तो तुम्हारा घर आबाद किया है, बर्बाद तो तुम कर रही हो मुझे इंकार करके। हमारे बारे में कभी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा" सूरज यह कहता हुआ उठ गया और बाथरूम में चला गया।

मानिषा सूरज के जाते ही सोच में पड गयी, अगर उसने सूरज को जवाब दे दिया तो वह उसके पति को कंपनी से निकाल देंगे और वह रास्ते पर आ जायेंगे और अगर उसने सूरज के साथ सम्बन्ध बना लिए तो वह उसके पति के साथ बेवाफ़ाई होगी ।
मानिषा सोफ़े पर बैठकर रोने लगी की आखिर वह क्या करे।
"मानिषा ज़रा टॉवल तो लाना" सूरज की आवाज़ सुनते ही मनीषा ख्यालों से वापस आई और टॉवल उठाकर सूरज को देने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी

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मानिषा जैसे ही बाथरूम के क़रीब पुहंची सामने का नज़ारा देखकर उसका गला ख़ुश्क होने लगा । सूरज नहाकर शावर बंद किये हुए सीधा खडा था और उसका लंड बिलकुल तना हुआ था। सूरज का लंड 9 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा था और उसके लंड के आसपास बुहत बड़े बाल उगे हुए थे ।
"पसन्द आया मेरा खिलोना" मनीषा को अपने लंड की तरफ निहारता हुआ देखकर सूरज मुस्कुराते हुए बोला। मनीषा सूरज के लंड को देखकर इतना खो गयी थी की उसको अहसास ही नहीं हुआ की उसके सामने एक गैर मरद नंगा खडा है।

सुरज की आवाज़ सुनकर मनीषा होश में आ गयी और उसने अपना कन्धा झुकाते हुए टॉवल सूरज की तरफ बढा दिया । सूरज ने टॉवल लेने के बदले खुद नंगा ही बाहर आते हुए मनीषा को गोद में उठा लिया
"बेड़रूम कहाँ है?" सूरज ने मनीषा को उठाये हुए पुछा।
"अपना जिस्म तो पोंछ लो" मनीषा ने सूरज की बाँहों में ही रहते हुए कहा।
"इसे पोछकर क्या फ़ायदा वेसे भी तुम्हारी गर्मी से यह पिघलने वाला है" सूरज ने हँसते हुए कहा ।

"सुरज सामने वाले कमरे में चलो, तुम बुहत बुरे हो हमें अपने जाल में फँसा ही दिया" मनीषा ने अपने बैडरूम की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"हमारा लंड देखकर तुम राज़ी हुयी हो, हमें क्यों दोष दे रही हो । मनीषा वेसे तुम्हारे पति का लंड कितना बड़ा है?" सूरज ने मनीषा को बेड के पास उतारकर खडा करते हुए कहा ।
"सुरज मेरे पति का लंड 6 इंच लम्बा है और तुम्हारे से थोडा पतला है" मनीषा ने सूरज के लंड को गौर से देखते हुए कहा।
"इसीलिए तो तुम्हारी चूत मेरा लंड देखते ही खुजली करने लगी" सूरज ने मनीषा की नाइटी को उसके जिस्म से अलग करते हुए कहा।

सुरज मनीषा का गोरा जिस्म देखकर पगला गया । सूरज ने मनीषा की ब्रा और पेंटी को भी उतार दिया, मनीषा की 36 की गोरी चुचियां और उसके हलके बालों वाली भूरी चूत देखकर सूरज का लंड झटके खाने लगा।
मानिषा ने बेड पर बैठते हुए सूरज के काले लंड को अपने हाथ में पकड लिया । सूरज का खडा गरम लंड अपने हाथ में लेते ही मनीषा का जिस्म सिहर उठा ।

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मानिषा का हाथ सूरज के लंड पर पडते ही अपने आप ऊपर नीचे होने लगा, सूरज का लंड बुहत गरम था। जिस पर हाथ पड़ते ही मनीषा का जिस्म भी उतेजना के मारे तपने लगा । सूरज भी अपने लंड पर नरम हाथ पड़ते ही मज़े से सिसक उठा ।
 
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भाई कहानी में gif और xxx फोटो लगाओ कहानी के हिसाब से कहानी अच्छी लगेगी
 
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सुरज ने मनीषा का हाथ अपने लंड से हटाते हुए उसे सीधा लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया । सूरज उसके गुलाबी होंठो को चूमते हुए नीचे होते हुए मनीषा की गोरी चुचियों के हलके गुलाबी दानों को मूह में भरकर चूसने लगा।


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सुरज अब और नीचे होते हुए मनीषा की टांगों को फ़ैलाते हुए उसकी हलके बालों वाली गोरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा । मनीषा ने सूरज से कहा "हमे भी आपके लंड से प्यार करना है", सूरज मनीषा की बात सुनते ही उसको छोडकर सीधा लेट गया ।


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मानिषा सूरज के ऊपर ६९ पोजीशन में आ गयी और सूरज के लंड अपने हाथ में लेते हुए उसकी झाँटों को सहलाने लगी । सूरज ने जैसे ही अपनी जीभ को मनीषा की चूत के छेद पर रखा वह सिसकते हुए सूरज के लंड के टोपे को चूमने लगी ।

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सुरज ने मनीषा की चूत पर अपनी जीभ को फिराते हुए अचानक उसके छेद में घुसा दिया । आअह्ह्ह्ह मनीषा के मूह से सिसकी निकली और उसने मज़े से सूरज के लंड का टोपा अपने मूह में भर लिया, सूरज थोडी देर तक मनीषा की चूत को चाटने के बाद उसे सीधा लेटा दिया।


सुरज ने मनीषा की टांगों को घुटनों तक मोडते हुए उसके नीचे एक तकिया रख दिया । सूरज मनीषा की टांगों के नीचे आते हुए अपना लंड उसकी खुली हुयी चूत पर रगडने लगा।

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"हाहहह आराम से डालना तुम्हारा बुहत बड़ा और मोटा है" मनीषा ने सिसकते हुए कहा।

सुरज ने अपने लंड को मनीषा की चूत के छेद पर सेट करते हुए एक ज़ोरदार धक्का मार दिया ।
"उहह आअह्ह्ह तुम्हारा बुहत मोटा है बुहत दर्द हो रहा है" सूरज का लंड एक झटके में ही आधा अपनी चूत में घूसने से वह दर्द से चिल्लाते हुए बोली ।


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सुरज अपने आधे लंड को ही मनीषा की चूत में अंदर बाहर करने लाग, कुछ ही देर में मनीषा को बुहत मजा आने लगा और वह अपने गाँड उछाल उछाल कर सूरज का लंड अपनी चूत में लेने लगी ।


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सुरज ने मनीषा का दरद ख़तम होते ही अपने लंड से उसकी चूत में धक्के देते हुए अचानक एक बुहत ज़ोर का धक्का मार दिया । सूरज का लंड मनीषा की कसी हुयी छूट को चीरता हुआ उस में जड़ तक घुस गया ।

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"आईईए माँ सीईई मर गयी ओहहहह फट गई" सूरज का पूरा लंड घूसने से मनीषा दरद के मारे तड़पते हुए चीख़ने लगी । मनीषा की शादी को 6 महिने हुए थे और उसने अपने पति के 6 इंच के लंड के अलावा किसी से नहीं चुदवाया था, इसी लिए उसकी चूत अब तक पूरी खुली नहीं थी।


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सुरज का 9 इंच लम्बा और मोटा मुसल घूसने से मनीषा को अपनी चूत में बुहत दरद और जलन महसूस हो रही थी । सूरज मनीषा को तडपता हुआ देखकर उसके ऊपर झुक गया और मनीषा की चुचियों से खेलने लगा।

सुरज का चुचियों से खेलने से मनीषा की चूत से थोडी देर में ही दरद कम हो गया । मनीषा को सूरज का लंड अपनी चूत में बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था, उसके पति का लंड कभी भी उसकी चूत को इतना फ़ैलाकर उसकी गहराइयों तक नहीं पुहंचा था ।


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सुरज ने देखा की मनीषा का दरद कम हो गया तो वह उसके ऊपर से उठकर अपने लंड को उसकी चूत से बाहर खीचने लगा। सूरज का लंड मनीषा की टाइट चूत को बुरी तरह फैलाये हुआ था ।

सुरज ने जैसे ही अपने लंड को बाहर खीचना शुरू किया मनीषा को ऐसा महसूस हुआ की सूरज का लंड उसकी चूत से निकलते हुए अपने साथ उसकी चूत में से किसी और चीज़ को भी बाहर खीँच रहा है । मनीषा का सारा जिस्म अकड़ कर काम्प रहा था, उसकी सारी ताक़त जमा होकर उसकी चूत की तरफ जाने लगी।


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सुरज जैसे जैसे अपना लंड पीछे खीचता उसकी जोर की रगड से मनीषा का अंग अंग मज़े से झूम उठता और वह ज़ोर से हाँफने लगी । मनीषा की चूत से सूरज ने जैसे ही अपना लंड टोपे तक बाहर खींचा मनीषा की चूत से उसके लंड के साथ मनीषा की चूत का पानी भी निकल गया ।
"हाहहह श ऊफफ" मनीषा ज़ोर से सिसक कर हाँफते हुए झर रही थी । सूरज ने मनीषा को इतनी जल्दी झरता देखकर अपना लंड वापस उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया ।

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सुरज का लंड फिर से अपनी चूत में जाते हुए उसकी रगड से मनीषा की चूत और ज़्यादा पानी बहाने लगी और वह मज़े से हवा में उडते हुए अपने चूतड़ उछालते हुए सिसकार कर सूरज से बोली "इश आअह्ह्ह सूरज हमें जाने क्या हो गया है, हमें कभी ऐसा मजा नहीं आया अपना लंड बुहत ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करो । तुम्हारे लंड की रगड हमें पागल बना रही है"। सूरज मनीषा के मूह से ऐसी बात सुनकर अपने लंड को बुहत तेज़ी और ज़ोर के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।


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ओहह सीई ऐसे ही आह्ह्ह्ह तुम्हारा लंड हमारी चूत की गहराइयों में महसूस हो रहा है । हमारे पति ने आज तक इतना मजा कभी नहीं दिया ओह्ह सूरज तुम्हारे लंड की मैं दीवानी हो गई हूँ ।


सुरज की चुदाई से वह दो दफ़ा और झडी और उस दिन से मनीषा और सूरज जब भी मोका मिलता अपनी प्यास ज़रूर बुझाते थे । सूरज जब भी मनीषा अकेली होती उसके घर आ जाता और जी भरकर मनिषा को चोदता था।मनिषा भी बहुत गरम थी वह भी सूरज से खुलकर रंडियों की तरह चुदवाती थी।सूरज को मनिषा की गांड बहुत पसंद थी।वह मनिषा की गांड भी मार चूका था।

मनीषा सूरज से चुदवाने के बाद चुदासी बन गयी थी और उसने सूरज के कई और दोस्तोँ से भी अपने सम्बन्ध बना दिए थे ।

मानिषा के पति को पता चल चूका था की उसकी पत्नी उसके बॉस से चुदवा चुकी है, मगर उसने भी अपने कैरियर के लिए यह समझोता कर लिया । मनीषा को इस बीच तीन औलादें हो चुकी थी । लड़का अपने पति से और दोनों लड़कियाँ सूरज से और यह बात सूरज को भी पता थी ।
सुरज आज भी मनीषा के घर पर उसके साथ बैडरूम में नंगा सोया हुआ था । वह दोनों दो बार की चुदाई कर चुके थे।
"अचानक तुम्हें अपने भाई और पिता की याद आ गयी ?" सूरज ने मनीषा की चूचि जो अब ३८ की हो गई थी उससे खेलते हुए कहा।

"मुझे याद नहीं आई मगर बच्चे ज़िद कर रहे है। वैसे भी उनके स्कूल की छुट्टी है" मनीषा ने जवाब दिया।
"हमारा क्या होगा इतने दिन तक" सूरज ने परेशान होते हुए कहा ।

"बुढे होगये हो फिर भी इसी काम के पीछे लगे रहते हो, शादी क्यों नहीं कर लेते" मनीषा ने सूरज को चिढाते हुए कहा।

"बुढा मत कहो हमें हमारे लंड में अब भी इतनी जान है की हम किसी भी लौंडिया को खुश कर सकते हैं । हमारी बेटियाँ भी जवान हो चुकी है" सूरज ने गुस्से से कहा ।

"क्या मतलब है तुम्हारा?" मनीषा ने हैंरान होते हुए कहा।
"तुम्हारी दोनों बेटियाँ मेरी मेंहनत का नतीजा है, फिर हम अपनी महनत का फल तो उन्ही से वसूल करेंगे" सूरज ने हँसते हुए कहा।
"तुम अपनी बेटियों के बारे में ऐसा सोच रहे हो" मनीषा ने ज़्यादा हैंरान होते हुए कहा।
"आजकल की लौंडियों को तुम जानती नहीं। स्कूल कॉलेज में ही अपनी चूत फडवा लेती है, अगर हम ने उनकी चूत का उदद्घाटन कर दिया तो इसमें बुरा ही क्या है" सूरज ने मनिषा का जवाब देते हुए कहा ।

"तुम अपने बाप और भाई से मिलकर आओ । मैं अब चलता हूं, जब लौट आओ तो फ़ोन कर देना और तुम अपनी बेटियों की चिंता मत करो उनके साथ मैं कोई ज़बर्दस्ती नहीं करूँगा । वह खुद अपनी चूत मेरे से फडवाएँगी" सूरज ने कपडे पहन कर जाते हुए कहा ।




जारी रहेगी
 
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अपडेट पोस्ट कर दिया हूं दोस्त
 

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कंचन का आज कॉलेज में बिलकुल मन नहीं लग रहा था, फ्री पीरियड होते ही वह पार्क में जा बैठी । कंचन जो रोज़ नीलम के न आने की दुआएँ करती थी आज उसका दिल कह रहा था की भगवान करे की नीलम आज आ जाये और वह उससे कुछ पूछ सके ।

"क्या सोच रही हो मेरी रानी" नीलम ने आते ही कंचन को गुमशूम देखकर कहा।

"नीलम तुम आ गई" कंचन ने उसे देखते ही खुश होते हुए कहा ।

"क्यों कोई काम था" नीलम ने कंचन के साथ बैठते हुए कहा।

"नही ऐसे ही कह रही थी" कंचन ने अपनी चोरी पकरे जाने पर घबराते हुए कहा।

"यार शर्मा मत जो पूछना है जल्दी पूछ, आज मुझे जल्दी घर जाना है" नीलम ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"नीलम तुम ने कल कहा था । " इतना कहकर कंचन चुप हो गई ।

"कंचन बोल न, हाँ तो क्या तुमने भी अपनी जवानी का मजा लेने का सोच लिया है" नीलम को जैसे ही कल वाली बात याद आई। उसने उछलते हुए कहा ।

"मगर नीलम मैं किसी के साथ रिस्क नहीं ले सकती" कंचन ने अपनी मजबूरी नीलम को बताते हुए कहा ।

"मैंने कहा था न की तुम अपने भाई पर ट्राई करो" नीलम ने जल्दी से कहा।

"नीलम तुम मुझे अपने सगे भाई के साथ गलत काम करने को कह रही हो, तुम्हारा भाई होता तो ऐसा करती"

कंचन ने नीलम को गुस्से से कहा ।
"कंचन अगर मेरा कोई भाई होता और वह जवान होता तो मुझे बदनाम होने की क्या ज़रूरत थी" नीलम ने कंचन को समझाते हुए कहा।

"मगर यह पाप नहीं है" कंचन ने नीलम से कहा।

"पाप पुण्य की सोचेगी तो भूखी मर जाएगी" नीलम ने कंचन से कहा।

नीलम ने कंचन को खमोश देखकर कहा "एक राज़ की बात बताउं, किसी को बताना मत ?",
"हा बताओ नीलम, मैं किसी को नहीं

बताऊँगी" कंचन ने जल्दी से उतावली होते हुए कहा।

"तुम्हेँ पता है मुझे चुदाई का चस्का किसने ड़ाला था ?"

"नीलम बताओ न मुझे क्या पता" कंचन ने नीलम की बात का जल्दी से जवाब देते हुए कहा।


तुम्हेँ पता है की जब मैं १८ साल की थी तो मेरी माँ का इंतक़ाल हो गया और मेरा कोई भाई बहन भी नहीं है ।माँ के मरने के बाद मेरे बापु गुमसुम रहने लगे

माँ को मरे हुए ३ महिने बीत चुके थे सर्दि के दिन चल रहे थे, एक रात जब खाना खाने के बाद मैं सोने के लिए खटिया पर गयी तो बापुजी को खोया हुआ देखकर मुझसे रहा नहीं गया । "मैंने बापू जी से पुछा की आप मम्मी के गुज़रने के बाद बुहत उदास रहते हो क्या बात है?" ।

बापु जी मेरा सवाल सुनकर चौंकते हुए मेरी तरफ गौर से देखते हुए बोले "बेटी तुम अब जवान हो चुकी हो इसीलिए तुम्हें मालूम होना चाहिए की औरत और मरद का आपस में क्या रिश्ता होता है, जब मरद और औरत शादी करते हैं तो वो आपस में क्या करते हैं"।

मैं उस वक्त बापु जी की बात बड़े गौर से सुन रही थी, क्योंकी उस वक्त मुझे मालूम नहीं था की मरद के पास लंड और औरत के पास चूत होती है जिसका उपयोग वह शादी के बाद करते हैं ।

बापु जी ने आगे कहा "बेटी जब कोई मरद किसी औरत से शादी करता है तो वह अपना लंड जो यहाँ होता है (अपनी धोती की तरफ इशारा करते हुए) उस औरत की चूत जहाँ से तुम पेशाब करती हो वहां डालता है, जिससे मरद और औरत दोनों को बुहत मजा आता है" बापू ने मुझे समझाते हुए कहा ।

मैं बड़े गौर से बापू की तरफ देख रही थी, उनकी धोती में मुझसे बात करते हुए बुहत बड़ा उभार बन चूका था । मुझे उस वक्त पता नहीं था की वह मेरे बापु का लंड था जो अपनी बेटी को गन्दी बातें बताते हुए खडा हो चुका था ।

"बेटी जब मरद औरत की चूत में इसे डालता है तो मज़े की चरम सीमा तक पहचने के बाद इसमें से वीर्य निकलता है जिस से औरत गारभवती होती है और मरद को बुहत मजा आता है । अब जब तुम्हारी मम्मी मर चुकी है तो हमारा लंड हमें बुहत तँग करता है, इसी लिए हम उदास है"।

बापु जी की बात सुनने से मुझे अपने जिस्म में अजीब गुदगुदी महसूस हो रही थी, मुझे उस वक्त पता नहीं था की मैं एक जवान लड़की हूँ जिसको अपने बाप के मूह से लंड और चूत के शब्द सुनने से उसकी चूत से पानी बह रहा है ।
"बापु जी जो सुख आप को माँ देती थी क्या मैं दे सकती हूँ?" मैंने बापू जी की बात सुनने के बाद मासूमियत से कहा।

"हा बेटी तुम वह हर सुख दे सकती हो, पर तुम मेरी बेटी हो" बापू जी ने मुझे समझाते हुए कहा ।

"तो क्या हुआ बापू हम आपको ऐसे उदास नहीं देख सकते" मैंने बापु जी से कहा । कंचन उस वक्त मुझे सेक्स का कोई ज्ञान नहीं था, हम गाँव में ही रहते थे और १० तक वहीँ पढे थे । हमें पता नहीं था की हम कितना बड़ा पाप कर रहे हैं ।

"मगर बेटी यह सब गलत है" बापु जी फिर से कहा।

"हम कुछ नहीं जानते, हमें अपने बापू जी को खुश देखना है" हम ने ज़िद करते हुए कहा।
"ठीक है बेटी मगर यह कभी किसी को नहीं बताना" बापू जी ने मेरी तरफ एक मरद की नज़र से देखते हुए कहा।


ठीक है बापु जी हम किसी को नहीं बताएंगे" मैंने खुश होते हुए कहा ।।।। मुझे क्या पता था की मैं अपने पाँव पर खुद कुल्हाड़ी मार रही हूं, बापू मेरी बात सुनकर अपनी चारपाई से उठते हुए मेरी चारपाई पर आकर बेठ गये ।

बापु जी सिर्फ एक धोती में थे, वह क़रीब बैठते ही मेरी तरफ गौर से देखते हुए मेरा सर अपने हाथों में पकड लिये और अपने गरम होंठ मेरे होंठो पर रख दिये, बापू जी के होंठ अपने होठो पर महसूस होते ही मेरे सारे शरीर में चींटियाँ रेंगने लगी ।


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बापु हमारे होंठो को कई मिनटों तक चूसते रहे, पहले तो मुझे अजीब लगा मगर थोडी देर में मुझे बुहत अच्छा लगने लगा । बापू जी जैसे जैसे मेरे होंठो को चूसते जा रहे थे। मुझे सारे शरीर में अजीब किस्म के मज़े का अहसास हो रहा था ।

बापु जी ने अचानक अपने होंठ हमारे होंठो से हटा दिये और मुझसे कहा "बेटी अगर पेशाब लगी है तो करके आजा" । मैं हैंरान थी के बापू जी को कैसे पता लगा की मुझे पेशाब आई है, मैं बाथरूम में जाकर मूतने लगी।

मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मुझे बुहत ज़ोर की पेशाब लगी है । मगर जब मैं अपनी कच्छी को नीचे करते हुए मूतने बैठी तो मेरी छूट से थोडा ही पेशाब निकला, मैंने बुहत ज़ोर लगाये मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ ।

मुझे अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सिहरन हो रही थी । मैंने अपने हाथ से जैसे ही अपनी चूत को छुआ। मैं हैंरान रह गयी मेरी चुत बुहत गीली थी, मैं वहां से उठते हुए अपनी खटिया की तरफ जाने लगी । बापू जी ने मुझे देखकर खटिया से उठते हुए मुझे खटिया के पास ही रोक लिया ।

बापु ने मेरी साड़ी को पकड कर उतार दिया । मैं अब सिर्फ पेटिकोट और पेंटी में बापू जी के सामने खडी थी, बापू मेरे आधे नंगे गोरे जिस्म को देखते हुए खटिया पर बैठ गए और मुझे कमर में हाथ ड़ालते हुए अपने क़रीब कर लिया ।
मैं खडी थी इसीलिए मेरा नंगा पेट बापू के मुँह के सामने आ गया । बापू ने अपने होंठ मेरे नंगे पेट पर रख दिया और मेरे सारे पेट को बेतहाशा चूमने लगे, मेरा नंगे पेट पर बापू के होंठ पड़ते ही मेरे सारे शरीर में झुरझुरी होने लगी।

बापु ने मेरे पेट को जी भरकर चूमने के बाद मुझे कमर से पकड कर उल्टा कर दिया । बापू मेरे उलटे होते ही मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने लगे, बापू के हाथ अपने चुतड़ों पर लगते ही मुझे अपनी चूत में ज़ोर की सनसनाहट होने लगी ।
बापु ने मेरे चुतडो को थोडी देर दबाने के बाद मुझे उल्टा ही अपनी गोद में बिठा दिया । बापु की गोद पर बैठते ही मुझे अपने चूतडों में कोई मोटी चीज़ चुभने लगी, मैं उस चीज़ के चुभने से सही से बैठ नहीं पा रही थी ।

बापु जी समझ गए के उनका लंड मुझे चूभ रहा है इसी लिए उसने मुझे थोडा उठा कर अपना लंड पीछे कर दिया । मुझे अब चुतडो में कुछ महसूस नहीं हो रहा था मगर मेरे गाण्ड के ऊपर वह चीज़ महसूस हो रही थी।


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बापु ने अपने होंठो से मेरी पीठ को चूमते हुए मेरा पेटिकोट उतार दिया और अपनी जीभ से मेरी चिकनी गोरी पीठ को चाटने लगे । बापु ने मेरी पीठ को चाटते हुए मेरी ब्रा को भी उतार दिया और अपने हाथ आगे करते हुए मेरी ३६ की गोल चुचियों को पकड़ लिया।

बापु का हाथ अपनी नंगी चुचियों पर पडते ही मेरी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी । बापु धीरे धीरे मेरी चुचियों को सहला रहा था और मैं मज़े से बुहत ज़ोर की साँसें ले रही थी, मुझे अपने पूरे शरीर में बुहत ज़ोर की उत्तेजना हो रही थी ।

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बापु ने मेरी चुचियों को सहलाते हुए मुझे अपनी गोद से उठाते हुए खटिया पर सीधा लेटा दिया । बापू मेरे ऊपर आते हुए अपना मूह मेरी चुचियों पर रखकर उन्हें चूमने लगे, बापू जी की हरक़तों से मुझे अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सिहरन हो रही थी ।

बापु ने मेरी चुचियों को चूमते हुए अचानक मेरी एक चूचि के गुलाबी निप्पल को अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चूसते हुए मेरी दूसरी चूचि को अपने होठ से सहलाने लगे । बापु मेरी चूचि को बुहत ज़ोर से चूस रहे थे जैसे मेरी चुचियों का वह दूध पी रहें हो ।
मुझे अपनी चूचि चुसवाते हुए अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सनसनाहट हो रही थी ।
"बापु जी हमें अपनी चूत में कुछ हो रहा है" मेने उत्तेजना के मारे बापु से कह दिया।
"पहले हमें अपनी बच्ची का मीठा दूध तो पी लेने दो" बापू ने अपना मूह मेरी चूचि से हटाते हुए कहा।

"बापु जी हमारी चुचियों में दूध किधर है जो आप पी रहे हो ?" मैंने हैंरान होते हुए बापू से पुछा।
"बेटी दूध से ज़्यादा मीठी तो तुम्हारी कुंवारी चुचियां है" बापू ने जवाब दिया ।
बापु हमारी दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने के बाद नीचे होते हुए मेरी पेंटी तक आ गये।
"बेटी कहाँ तकलिफ हो रही है?" बापू ने मेरी गीली पेंटी को सूँघते हुए कहा "बापु जी हमारी कच्छी के अंदर" मैंने बापू को बताया ।


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"बेटी तुम्हारी चूत की गंध तो बुहत बढ़िया है" बापू जी ने अपनी साँसें ज़ोर से पीछे खिचते हुए कहा । बापू जी ने यह कहते हुए मेरी कच्छी में हाथ ड़ालते हुए उसे उतारने लगे, मैंने अपने चूतड़ उठाते हुए मेरी कच्छी उतारने में बापू की मदद की ।

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"वाह बेटी तुम्हारी चूत तो बुहत गोरी और फूली हुई है, तुम्हारी माँ की तो काली थी" बापू ने मेरी हलके बालों वाली गोरी चूत को देखते हुए कहा । बापू ने मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से चौडा कर दिया।

"हमारी बेटी की चूत से तो पानी निकल रहा है, इसी लिए तो तुम्हें यहाँ पर कुछ हो रहा था" बापू ने मेरी टांगों को चौडी होते ही मेरी चूत की तरफ देखते हुए कहा।


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हमारी बेटी तो बिलकुल जवान हो चुकी है, तुम्हें अपनी चूत में इसीलिए कुछ हो रहा है क्योंकि इसे अब अपने अंदर एक लंड चाहिए बेटी।जो इस की खुजलि को ख़तम कर सके" बापू ने मेरी टांगों को घुटनों तक मोडते हुए कहा । बापू ने मेरे चुतडो के नीचे एक तकिया दे दिया जिसकी वजह से मेरी चूत खुलकर ऊपर हो गई।

बापु ने नीचे झुकते हुए अपने होंठ मेरी चूत के दोनों पतले लबों पर रखते हुए उसे चूसने लगा।

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बापु के होंठ मेरी चूत पर पडते ही मेरा सारा शरीर कम्पने लगा और मैंने चील्लाते हुए बापू से कहा।

"आह्ह्ह्ह बापू जी हमें वहां कुछ हो रहा है"


बापु ने मेरी बात सुनते ही अपना मूह खोल कर मेरी चूत के होंठो को अपने मूह में भर लिया और उन्हें ज़ोर से चूसते हुए अपने दुसरे हाथ से मेरी चूत के दाने को रगडने लगे । बापू जी की यह हरकत मुझसे बर्दाशत नहीं हुए और मेरी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी ।

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"ओहहहह बापू जी इस्स्स्सस्ठ अपना मूह हटा लो। हमने पेशाब कर दिया । आह्ह" में झरते हुए अपनी आँखें बंद करके बुहत ज़ोर से चिल्ला रही थी । मुझे उस वक्त पता नहीं था की यह मेरा पहले ओर्गास्म है, मुझे लगा था के मेरी छूट से पेशाब निकल रही है ।

बापु मेरी चुत से निकलता हुआ सारा पानी चाटने लगा । मेरी चूत से इतना पानी निकला था की बापू का सारा चेहरा भीग चूका था । थोड़ी देर बाद जैसे ही मेने आँखें खोली बापू जी मेरी चूत को ही चाट रहे थे, उसकी नज़र जैसे ही मुझ पर पडी उसने कहा।
"बेटी अब कैसा लग रहा है"

"जी मुझे अपना जिस्म हल्का महसूस हो रहा है । और चूत में भी अब सिहरन नहीं हो रही है । मगर बापूजी मैंने आपके चेहरे पर मूत दिया" मैंने भोलेपन से कहा।

"नही बेटी यह तुम्हारा मूत नहीं है, यह तुम्हारी चूत का पानी है जो मरद से सेक्स करते वक़त मज़े से औरत की चूत से निकलता है" बापू ने मुझसे कहा।

"बापु जी सच में मुझे बुहत मजा आ रहा था जिस वक़त मेरा पानी निकला मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही थी" मैने बापू की बात सुनते हुए कहा।
"बेटी अभी तुमने मजा लिया कहाँ है यह लंड जब तुम्हारी चूत में जाकर उसको गहराई तक रगड देगा तुम यह मज़ा भूल जाओगी" बापू ने अपनी धोती को उतारते हुए अपने लंड को सहलाते हुए कहा । कंचन तुम एतबार नहीं करोगी बापू जी लंड देखकर मेरा सारा बदन एक्साईटमेंट से फिर से काम्पने लगा।

बापु जी का लंड बिलकुल काला 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था, मेरी चूत यह सोचकर ही डर के मारे झटके खा रही थी की इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में घुसेगा कैसे।

"बापु जी यह तो बुहत लम्बा और मोटा है,यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा" मैंने बापू जी के मुसल लंड को ऑंखें फाड कर देखते हुए कहा ।
"बेटी भगवान ने औरत की योनि की दीवार बनायी ही ऐसी है के मरद का कितना भी बड़ा और मोटा लंड हो उसे वह अपने आप में समां लेती है । बस पहली बार थोडा दर्द होता है" बापू ने मुझे समझाते हुए कहा।

बापु जी हमें डर लग रहा है, यह बुहत लम्बा और मोटा है हमारी चूत फट जाएगी " मैंने डर के मारे बापू से कहा।

"बेटी तुम मुझ पर भरोसा करो। मैं तुझे बुहत आराम से चोदुँगा, इसे अपनी जाभ से गीला कर दो ताकी तुम्हें तकलीफ न हो" बापू जी नीचे से उठते हुए अपना लंड मेरे मूह के पास करते हुए बोले ।

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मुझे बापू के लंड से अजीब गंध आ रही थी, मैंने अपनी जीभ निकालकर उनके लंड पर फिराने लगी । पहले मुझे उसके लंड का स्वाद अजीब लगा मगर फिर मुझे उसे चाटते हुए मजा आने लगा । मैंने बापू जी के पूरे लंड को अपनी जीभ से गीला कर दिया, बापू का लंड अब और ज्यादा अकड़ता हुआ और फूला हुआ लग रहा था ।

बापु अब मेरी टांगों को जो मैंने सिधी कर दी थी फिर से घुटनों तक मोड़ दिया और अपने लंड को मेरी फूली चूत पर रगडने लगे । बापू का लंड अपनी चूत पर लगते ही मेरा पूरा शरीर काम्पने लगा और मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी।

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बापु ने अपना लंड अब मेरी चूत के दोनों होठो को खोलते हुए उसमें फँसा दिया । मेरा दिल आने वाले पल के बारे में सोचते हुए बुहत ज़ोर से धडक रहा था, बापू ने मेरी टांगों को पकड कर एक धक्का मारा। बापू जी का लंड मेरी चूत में जाने के बजाये फिसल कर बाहर आ गया ।

मेरा सारा शरीर गरम हो चुका था, मैंने बापू का लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही थी । बापू का लंड दुसरी बार में भी अंदर जाने की बजाये फिसल गया।

"एक मिनट ठहरो बेटी" यह कहता हुआ बापू खटिया से उठकर किचन में चला गया । बापू जब लौटे तो उसके हाथ में मक्खन था, बापू ने मक्खन को मेरी चूत के छेद में अच्छी तरह से ड़ालते हुए बाकी का बचा हुआ अपने लंड पर लगा दिया ।

बापु ने इस बार अपने लंड को मेरी चूत में ड़ालने के बजाये अपनी एक ऊँगली मेरी छूट में डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा । ऐसे ही बापू ने अब दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लाग, मुझे बापू की उँगलियों से बुहत मजा आ रहा था । मेरी चूत से पानी टपक रहा था और वह बिलकुल गीली हो चुकी थी।

बापु ने मेरी चूत के होंठो को खोलते हुए अपना लंड उनके बीच फँसा दिया । बापू ज़ोर का धक्का देने के बजाये अपने लंड को वहां पर ही हलके हलके धक्कों के साथ सेट करने लगे । मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चूका था और मेरा सारा शरीर एक्साईटमेंट में कांप रहा था, मैं चाहती थी की बापू जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे । ऐसा करने से बापू जी लंड का मोटा टोपा मेरी चूत के होंठो को फ़ैलाता हुआ अंदर फँस चूका था ।

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बापु जी डाल दो न बुहत तडपा लिया" मैंने सिसकते हुए बापू से कहा। बापू ने मेरी बात सुनकर मेरी टांगों को पकडते हुए मेरी चूत में अपने लंड को ज़ोर का धक्का दे दिया ।
"उईईईईईई माँ मर गयी ओह्ह्ह फट गयी निकाल लो बापू निकालो" एक ही धक्के में बापू का आधा लंड घूसने से मैं ज़ोर से चील्लाते हुए रोने लगी । बापू ने इतनी ज़ोर का धक्का मारा था की उसका आधा लंड मेरी चूत की झीली को तोड़ता हुआ मेरी चूत में घुस चूका था, मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत को किसी ने काट कर दो टुकडो में तक़सीम कर दिया है।

मैं दर्द के मारे बुहत ज़ोर से चील्लाते हुए बापू को अपने ऊपर से दूर करने लगी । मगर बापू ने मुझे बुहत ज़ोर से जकड रखा था, वह अपना आधा लंड मेरी चूत में डाले ही मेरे ऊपर झुक गए ।


बापु मेरी एक चूचि को अपने मूह में भरकर चूसने लगे, बापू बारी बारी मेरी दोनों चुचियों को चूसने लगे । बापू की मेरी चुचियों को चूसने से मुझे कुछ आराम मिला और मेरी चूत का दर्द भी कम होने लगा ।अब मेरे मूह से सिसकिया निकलने लगी ।

"बेटी अब दर्द कैसा है" बापू ने मेरी चुचियों से मूह हटाते हुए कहा।
"बापु अब कुछ काम है" मैंने सिसकते हुए कहा।
"बेटी देखना थोडी ही देर में तुम्हारा सारा दर्द ख़तम हो जायेगा और तुम मज़े लेकर चुदवाओगी" बापू ने मेरे ऊपर से उठते हुए कहा ।


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बापु ने उठते हुए अपने लंड को मेरी चूत में धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
"आजहहह ओफ़्फ़्फ़ बापू दर्द हो रहा है" बापू का लंड अपनी चूत में आगे पीछे होते ही मेरी चूत फिर से दर्द करने लगी जिस वजह से मैंने चिल्लाते हुए कहा।

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"बेटी थोडा सबर कर तुम्हारा दर्द ग़ायब हो जाएगा। तुम्हारी चूत बुहत टाइट है इसीलिए ज़्यादह तकलीफ हो रही है" बापू ने वैसे ही धीरे से अपना लंड अंदर बाहर करते हुए कहा ।

थोड़ी ही देर बाद मेरी चूत में दर्द बुहत कम हो गया और बापू जी का लंड अंदर बाहर होने से मुझे मजा आने लगा।

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"आजहहह इसशह बापू जी मुझे अब मजा आ रहा है" मैंने अपने चूतड उछालते हुए बापू से कहा।
"बेटी मैंने कहा था न की थोडी देर में तुझे मजा आने लगेंगा" बापू ने खुश होते हुए कहा ।


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"हाहह बापू मुझे आपके लंड की रगड पागल बना रही है, अपना लंड मेरी चूत में थोडा तेज़ी के साथ अंदर बाहर करो" अब मुझे बापू का लंड इतना मजा दे रहा था की मैंने उसे तेज़ी के साथ अपना लंड बाहर करने को कहा ।
बापु मेरी बात सुनकर अपने लंड को तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगे, मेरा पूरा शरीर अकडने लगा और मज़े से मेरे मूह से ज़ोर की सिस्क़िया निकलने लगी । बापू के लंड के हर धक्के के साथ मेरा पूरा जिस्म मज़े से काप उठता और मैं चिल्लाते हुए बापू को जोश दिलाने लगी "हाँ बापू ऐसे ही ज़ोर लगा कर धक्का मारो"।


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मैं झरने के बिलकुल क़रीब थी इसीलिए मज़े से मुझे पता ही नहीं चल रहा था की बापू अपना लंड मेरी चूत में 7 इंच तक घुसा चुके हैं । बापू के हलके धक्कों से उसका लंड और आगे नहीं जा रहा था ।

अचानक मेरा बदन टूटने लगा और में अपने चूतड़ उछालते हुए दूसरी बार झरने लगी।

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"यआह्ह्ह्ह शहहह बापू ओह्ह्ह ज़ोर से मुझे चोदो।मैं झर रही हूँ" मज़े से मैंने अपनी आँखें बंद करके सिसकते हुए कहा ।

बापु ने मुझे झरता हुआ देखकर अपने लंड को ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा । मेरी चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा, जब मेरा झरना बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली ।

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बापु ने मुझे देखकर मेरी टांगों को मज़बूती से पकडते हुए अपने लंड को पीछे खींचते हुए 4-5 ज़ोर के धक्के मार दिए जिससे उनका बचा हुआ लंड भी मेरी चूत में जगह बनाता हुआ अंदर घुस गया ।
"उई माँ ओह्ह्ह बापु" मेरी ऑंखों के सामने अँधेरा होने लगा, मुझे फिर से बुहत ज़ोर का दर्द होने लगा।

बापु मेरे चिल्लाने की परवाह न करते हुए अपना लंड बुहत ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे। 9-10 धक्कों के बाद ही मेरी चूत का दर्द ग़ायब हो गया और मुझे मजा आने लगा ।

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बापु का लंड मेरी चूत के आखरी हिस्से तक जाकर मेरी बचचेदानी को ठोकरें मार रहा था । बापू का लंड जैसे ही पूरा अंदर घुसता मेरा अंग अंग काम्प उठता, मुझे इतना मजा आ रहा था की मैं बापू का लंड निकलते ही अपने चूतड़ ऊपर उछालते हुए उसे अपनी चूत में वापस लेने लगती और बापू जैसे ही अपना लंड ज़ोर से मेरी चूत में पेलते मेरे मूह से ज़ोर की सिसकी निकल जाती ।


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बापु भी अपना पूरा लंड बाहर निकालकर अंदर डाल रहे थे, उनके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर हिल रहा था । बापू ५ मिनट तक मेरी चूत में अपना मुसल लंड अंदर बाहर करने के बाद हाँफने लगे ।

मैंने महसूस किया की बापू का लंड मेरी चूत में फूल रहा है । बापू का लंड फूलने से उनका लंड मुझे अपनी चूत में ज़ोर की रगड देने लगा, आअह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह मैं आया । बापू ने इतना ही कहा था की उनके लंड से कुछ गरम निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा, मेरी चूत उस गरम अह्सास के साथ ही झटके खाने लगी और मैं भी आह्ह्ह्ह इश करते हुए तीसरी बार झरने लगी।


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बापु जी झरने के बाद मेरे ऊपर ही ढेर हो गये और मेरे होंठो को चूमते हुए कहने लगे "बेटी तुम बुहत अच्छी हो, मेरा कितना ख़याल करती हो" । बापू ने उस रात मुझे दो बार और चोदा, इस बार उन्होंने मुझे कई तरीक़ों से चोदा।
तींन बार की चुदाई के बाद हम दोनों को गहरी नींद आ गयी । सुबह जब मैं उठी तो खटिया पर बिछायी चादर को देखकर चोंक गयी ।

चादर पूरी मेरी चूत के निकले खून से लाल हो चुकी थी । मैंने घबराते हुए बापू को उठाया, बापू ने मुझे कहा "यह खून पहली बार में हर लड़की से निकलता है, तुम्हें घबराने के कोई ज़रुरत नही।

मैं खटिया से उठकर बाथरूम जाने लगी, मैं ठीक तरह से चल भी नही पा रही थी और मेरी चूत तीन बार बापू के मुसल लंड से चुदकर सुज चुकी थी । उस दिन बापू मेरे लिए पेन किलर गोलियां ले आये जिन्हें खाकर मेरा दर्द कम हो गया और तब से जब तक मैं बापू के साथ थी ।वह मुझे डेली चोदते थे।घर में हर जगह उन्होंने मुझे चोदा।रात तो रात दिन में भी वो मुझे चोदते थे।हर जगह उन्होंने मुझे चोदा।किचन में बाथरूम में छत पर आँगन में।

मैं अपने बाप का एक बच्चा भी गिरा चुकी हूँ । यहाँ आने के बाद मुझे अपनी चूत की खुजली तंग करने लगी, इसीलिए मैंने कॉलेज में अपने कई दोस्त बना लिये जो मेरी चूत की खुजलि मिटाते हैं





कहानी जारी रहेगी
 
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Thorragnarok

Haseeno ka Raja
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कंचन अपनी सहेली की सारी बात सुनकर हैंरान रह गयी।
"कंचन अब बता क्या कहती हो?" नीलम ने कंचन से पुछा।
"नीलम तुम्हारी बात सुनकर मेरी हालत ख़राब हो गई है" कंचन ने नीलम से कहा।

"तो आज ही विजय का लंड अपनी चूत में ले ले" नीलम ने कंचन को कहा ।

"नीलम सच बताओं मैंने अपने भाई को अपने हुस्न का जलवा दिखाया है और वह मुझ पर लटू हो गया है" कंचन ने नीलम से कहा।

"तो प्रॉब्लम क्या है, ले ले अपने भाई से" नीलम ने खुश होते हुए कहा ।

"नीलम मैं अपने भाई के लंड से डर गयी थी, उसका बुहत लम्बा और मोटा है" कंचन ने नीलम से कहा।

"अरे पगली तुम तो ख़ुशनसीब हो जो घर में ही तगडा लंड मिल गया, जल्दी से उससे छुडवाले कुछ नहीं होगा तुम्हें" नीलम ने कंचन को समझाते हुए कहा । दोनों को बातों बातों में पता ही नहीं चला। कॉलेज की छुट्टी हो चुकी थी।

कंचन ने नीलम से कहा "छुट्टी हो गई है, भैया मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे"।

"हा अब तुम हमें लिफ्ट कहाँ दोगी, जाओ अपने बड़े लंड वाले भैया के पास" नीलम ने कंचन को चिढाते हुए कहा ।

"नीलु की बच्ची में तुम्हें नहीं छोड़ूँगी" नीलम की बात सुनकर कंचन ने धक्का देते हुए उसे बालों से पकड लिया।

"ओह सॉरी छोड़ दे आगे से नहीं कहूँगी" नीलम ने दर्द से चिल्लाते हुए कहा । कंचन वहां से उठकर कॉलेज से बाहर जाने लगी ।

गेट पर विजय और कोमल खडी थी । तीनों साथ में एक रिक्शा पर बैठ गये, रिक्शा के चलते ही कंचन ने अपना हाथ विजय की जाँघ पर रख दिया । विजय अपनी बड़ी बहन का हाथ अपनी जाँघ पर महसूस करते ही सिहर उठा।

कंचन अपना हाथ वहीँ रखे ही विजय से बातें करने लगी । कंचन रिक्शा में बीच में बैठी थी और वह थोडा आगे सरक कर बैठी थी जिस वजह से कोमल को कुछ नज़र नहीं आ रहा था । विजय ने भी मोका देखकर अपना हाथ अपनी बड़ी बहन के हाथ के ऊपर रख दिया।

विजय अपने हाथ से अपनी बड़ी बहन का हाथ सहलाने लगा । कंचन ने भी कोई विरोध नहीं किया, अचानक कंचन को ऐसा महसूस हुआ की उसका हाथ आगे सरक रहा है, कंचन ने देखा की उसका भाई उसके हाथ को आगे सरकाते हुए अपनी पेंट की तरफ कर रहा है ।

कंचन ने अपने हाथ को ढीला छोड दिया । विजय ने अपनी बड़ी बहन का हाथ ढीला होते ही अपनी पेंट की ज़िप के अंदर रख दिया, कंचन का सारा शरीर सिहर उठा क्योंके विजय की पेंट की ज़िप खुली हुयी थी ।

कंचन को अपना हाथ ठीक अपने छोटे भाई के अंडरवियर में खडे लंड पर महसूस हुआ । कंचन जानबूझकर अपना हाथ अपने छोटे भाई के अंडरवियर पर घुमाने लगी, विजय अपनी बहन का हाथ अपने अंडरवियर में खडे लंड पर पड़ते ही मज़े से हवा में उड़ने लगा ।

कंचन ने अपने छोटे भाई के लंड को सहलाते हुए उसे अचानक अपनी ऊँगली दबा दिया और अपना हाथ वहां से खींचकर दूर कर दिया, आअह्ह्ह अपने लंड पर दबाव पड़ते ही विजय के मूह से हलकी चीख़ निकल गई।

"क्या हुआ भाई?" कंचन ने अन्जान बनते हुए विजय से कहा।

"कुछ नहीं मच्छर ने काट दिया" विजय ने जल्दी से कहा।

"यहां पर भी मच्छर है" कंचन ने हँसते हुए कहा । अचानक रिक्शा रुक गया उनका घर आ चुका था ।

सभी खाना खाने के बाद सोने के लिए अपने कमरों में चले गए । कंचन की आँखों से नींद ग़ायब थी वह सोच रही थी की कब रात हो और वह अपना भैया का लंड अपनी चूत में ले, अचानक उसने सोचा क्यों न वह अपने भैया के कमरे में जाकर देखे की वह क्या कर रहा है ।

कंचन अपने कमरे से जाते हुए अपने भाई के रूम में आ गयी । कंचन ने अंदर आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया, कंचन ने देखा की विजय बाथरूम में नहा रहा है। वह चुपचाप वहां बेड पर जाकर बैठ गयी ।

विजय ने जैसे ही नहाने के बाद अपना जिस्म टॉवल से पोछ लिया उसे याद आया के वह नए कपड़े तो लाना भूल गया ।

विजय वह छोटा सा टॉवल ही लपेट कर बाहर निकलने लगा, बाथरूम का दरवाज़ा खोलते ही उसे सामने बेड पर अपनी बड़ी बहन बैठी हुयी नज़र आई।

विजय ने पहले सोचा के पुराने कपडे ही पहन लेता हूं। मगर अचानक उसके दिमाग में ख्याल आया अरे पागल इतना अच्छा मौका को हाथ से जाने दे रहे हो और वह दरवाज़ा खोलते हुए गाना गाता हुआ बाहर आ गया जैसे उसने अपनी बड़ी बहन को देखा ही न हो ।

कंचन का जिस्म अपने भाई को सिर्फ टॉवल में देखकर गुदगुदी करने लगा, "वीजू तुम्हें शर्म नहीं आती नंगे होकर कमरे में आ गये" कंचन ने विजय को डाँटते हुए कहा।

"दीदी तुम कब आई" विजय ने चौंकने का नाटक करते हुए कहा ।

"अभी आई हूँ" कंचन ने जवाब दिया।

"मैं कपडे लेना भूल गया था, वैसे भी तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मुझे एक बार नंगा देख चुकी हो" विजय ने अलमारी से अपने कपडे निकालते हुए कहा ।


"वीजू वह रात थी और अब दिन है" कंचन ने अपने भाई के गोरे जिस्म को निहारते हुए कहा।
"दीदी तुम मुझे बुध्धू मत बनाओ रात थी तो क्या हुआ। तुम ने तो सब कुछ देख लिया था" विजय ने कपड़े निकालने के बाद अलमारी को बंद करते हुए कहा । विजय ने अचानक अपना टॉवल निकाल लिया और बिलकुल नंगा होकर उस टॉवल से अपनी टांगों को पोंछने लगा।



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कंचन की आँखें अचानक दिन के उजाले में अपने भाई को बिलकुल नंगा देखकर फटी की फ़टी रह गयी । विजय का लंड तना हुआ झटके मार रहा था, कंचन अपने भाई के लंड को गौर से देखने लगी ।

विजय का लंड बिलकुल गोरा था । कंचन को अपने छोटे भाई के लंड का गुलाबी मोटा सुपाडा बुहत अच्छा लग रहा था, कंचन सोच रही थी की जब मौका मिला मैं विजु के लंड के गुलाबी सुपाडे को ज़रूर अपने मूह में लेकर चूसुंगी ।

"वीजू तुम बिलकुल बेशरम हो गये हो" कंचन ने वैसे ही अपने भाई के लंड की तरफ देखते हुए कहा।

"दीदी सच कहो तो तुम्हें देखकर कपड़े पहनने का मन ही नहीं करता" विजय ने टॉवल को बेड पर रखते हुए कहा।

"वीजू तुम्हें ऐसा क्या दिख गया मुझ में जो नंगे ही रहना चाहते हो" कंचन ने मन ही मन में खुश होते हुए कहा।

"दीदी तुम्हारा जिस्म ऐसा है की कपड़ों में होते हुए भी तुम्हें देखकर मेरा लंड उछलने लगता है" विजय ने नंगे ही बेड पर बैठते हुए कहा।

"वीजू सच बताओ तुम्हें मेरे जिस्म की कौन सी चीज़ ज़्यादा पसंद है" कंचन अपने भाई को नंगा ही अपने क़रीब देखकर तेज़ साँसें लेते हुए बोली।
"दीदी वैसे तो आपकी हर चीज़ अच्छी लगती है, मगर आपकी चुचियां और आपके गुलाबी होंठ मुझे सब से ज़्यादा अच्छे लगते हैं" विजये ने अपने बहन के हाथ को पकड़ते हुए कहा ।

"वीजू तुम्हे सच में मैं तुम्हें इतनी अच्छी लगती हूँ ?" कंचन अपने भाई का हाथ अपने हाथों में आते ही तेज़ धडकनों के साथ उससे पूछा।

विजय ने देखा की उसकी बहन की चुचियां बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी और उसका कन्धा नीचे झुका हुआ था ।

तुम्हारी कसम दीदी मुझे तुमसे प्यार होने लगा है" विजय ने अपना हाथ उसके हाथ से हटाते हुए अपनी बहन का सर अपने हाथों से ऊपर करते हुए कहा । कंचन का चेहरा अब अपने छोटे भाई के चेहरे के बिलकुल सामने था ।

विजय को अपनी बड़ी बहन की साँसें अपने मूह के बिलकुल पास महसूस हो रही थी । अपनी बड़ी बहन के प्यासे गुलाबी होंठ इतने क़रीब देखकर विजय अपने आपको रोक नहीं पाया और अपने होंठ अपनी बड़ी बहन के प्यासे रसीले होंठो पर रख दिये, कंचन की आँखें अपने भाई के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही मज़े से बंद हो गयी।



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विजय अपनी बहन के लरज़ते गुलाबी होंठो का रस पीने लगा । विजय को उस वक्त अपनी बड़ी बहन के होंठ शहद से ज़्यादा मीठे लग रहे थे, कंचन भी अपने भाई से अपने होंठ चुसवाते हुए जन्नत की सैर कर रही थी ।


विजय के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही उसका सारा जिस्म मज़े से टूट रहा था । कंचन को अपने भाई का चुम्बन इतना मजा दे रहा था की वह अपने दोनों हाथों को विजय बालों में डालकर उसे सहला रही थी ।



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विजय अपनी बहन का साथ पाकर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा और दूसरा हाथ अपनी बहन की एक चूचि पर रख दिया । विजय अपनी बड़ी बहन के फडकते होंठो को ज़ोर से चूसते हुए कंचन की चूचि को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा ।


कंचन और विजय दो मिनट तक लगातार एक दुसरे के होंठो को चूसते रहने के बाद एक दुसरे से अलग होकर ज़ोर से साँसें लेने लगे । लगातार चुम्बन की वजह से दोनों की साँसें उखडने लगी थी, कंचन ने देखा की उसके भाई का लंड उसको चूमने के बाद तनकर ज़ोर से ऊपर नीचे उछल रहा है।

विजय ने अपनी बहन की नज़र अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर आगे बढ़ते हुए उसकी साड़ी का पल्लु पकड लिया और उसे खीचने लगा, विजय के साड़ी खीचने से कंचन गोल घूम गयी और उसकी साड़ी उसके बदन से अलग होकर विजय के हाथों में आ गयी ।


कंचन अब विजय के सामने सिर्फ एक ब्लाउज और पेंटी में खडी थी और वह दिन के उजाले में शर्म के मारे अपनी आँखें बंद करके तेज़ साँसें ले रही थी ।

विजय अपनी बहन के क़रीब जाते हुए उसके माथे पर एक चुम्बन देते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया । विजय ने अपनी बड़ी बहन को अपने बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आते हुए उसके गोरे गालों को चूमने लगा।

विजय को अपनी बहन पर बुहत प्यार आ रहा था, वह अपनी बहन के गालों को चूमते हुए उसके काँधे को चूमने लगा । कंचन की नरम चुचियां अपने भाई के ठोस सीने में दबा हुआ था और वह मज़े से आहें भर रही थी।

कंचन का सारा जिस्म तपकर आग बन चुका था।उसने अपने भाई को बालों से पकडते हुए उसके होंठ अपने होंठो पर रख दिये । कंचन हवस के मारे अपने भाई के दोनों होंठो को चूसते हुए हल्का काटने लगी, विजय की हालत भी ख़राब हो चुकी थी । उसका लंड अपने बड़ी बहन की पेंटी पर रगड रहा था ।


विजय ने अपनी जीभ अपनी बड़ी बहन के मूह में डाल दिया, कंचन फ़ौरन अपने छोटे भाई की जीभ को पकडकर चाटने लगी । कंचन अपने भाई की जीभ को जी भरकर चाटने के बाद अपनी जीभ को अपने छोटे भाई के मुँह में डाल दिया ।



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विजय अपनी बहन की जीभ अपने मूह में आते ही पागल हो गया और बुहत ज़ोर से कंचन की जीभ को चाटते हुए अपना हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूचि को सहलाने लगा । विजय को अपनी बहन की जीभ का स्वाद शहद से ज़्यादा मीठा लगा रहा था ।

विजय अचानक अपनी बहन के ऊपर से उठते हुए उसे उलटा कर दिया । विजय अपनी बहन को उल्टा करने के बाद उसके ऊपर लेट गया, विजय का लंड अब सीधा उसकी बड़ी बहन के मांसल चूतड के बीच रगड खा रहा था । विजय अपनी बहन के चिकने पीठ को चूमते हुए उसका ब्लाउज खोलने लगा।

ब्लॉउस खोलने के बाद विजय ने अपनी बहन की ब्रा के हुक भी खोल दिए । विजय अब अपनी जीभ को निकालकर अपनी बहन के पीठ पर घुमाते हुए नीचे होने लगा ।

"आह्हः शहहह कंचन के मूह से ज़ोर की सिसकिया निकल रही थी", विजय नीचे होता हुआ अपनी बहन की भारी चुतडो तक आ गया । विजय अपनी बहन के गोर मोटे मोटे चुतडो को अपनी जीभ से चाटते हुए उसे अपने दाँतों से हल्का काटने लगा।
"उह आह" अपने भाई के दाँत अपनी नरम मोटे चुतडों पर पड़ते ही कंचन के मूह से हलकी चीख़ निकल गयी ।

विजय ने अपने बड़ी बहन की पेंटी में हाथ डालकर उसे उतारने लगा।

"नही विजु इस वक्त नही" मगर उसी वक्त कंचन ने अचानक सीधा होते हुए कहा।

"अब क्या हुआ दीदी?" विजय ने दुखी होते हुए कहा।

"वीजू इस वक्त दिन है और कोई भी आ सकता है, मैं रात को आऊँगी" कंचन ने अपना डर विजय को बताया,

"मगर दीदी रात तक मैं सबर नहीं कर सकता" विजय ने मूह बनाते हुए कहा । कंचन को अपने भाई की यह अदा बुहत पसंद आई।

मेरे छोटे बच्चे आओ तुम मेरी चुचियों का दूध पिलो" कंचन ने अपने भाई के बेड पर गिरते हुए उसके मूह पर अपनी एक चूचि को रखते हुए प्यार से कहा, विजय अपनी बहन की दोनों चुचियों को देखकर सब कुछ भूल गया और अपनी बहन के जिस्म से ब्लाउज और ब्रा को हटा दिया ।


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विजय के सामने अब अपनी बड़ी बहन की नंगी चुचियां थी । विजय ने अपना मूह खोलते हुए अपनी बहन के एक चूचि के दाने को अपने मूह में ले लिया, मगर उसी वक्त कंचन थोडा ऊपर हो गई और हँसते हुए अपने भाई को चिढाते हुए कहा "अरे मेरा बच्चा अब दूध पियेगा"।

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विजय अपनी बहन की बात सुनकर गुस्से में आते हुए उसकी कमर में हाथ ड़ालते उसे नीचे झुका दिया और अपनी बड़ी बहन की एक चूचि के कड़े दाने को अपने मूह में लेकर ज़ोर से चूसने लगा । विजय का इतनी ज़ोर से चूचि चूसने से कंचन का सारे जिस्म में सिहरन होने लगी ।
कंचन ने मज़े से सिसकते हुए अपने हाथ अपने भाई के बालों में ड़ालते हुए अपनी चूचि पर दबाव देने लगी। विजय अपनी बहन का दबाव देखकर अपना पूरा मूह खोल दिया, कंचन के दबाव से उसकी आधी चूचि विजय के मुँह में चलि गयी।

विजय अपनी बहन की आधी चूचि को अपने होंठो से चूसने लगा । कंचन ने थोडी देर बाद ही अपनी चूचि को विजय के मुँह से निकालते हुए अपनी दूसरी चूचि उसके मुँह में डाल दी ।


अचानक दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आई, कंचन और विजय डर के मारे काम्पने लगे । कंचन जल्दी से अपने कपड़े उठाते हुए बाथरूम में घुस गई, विजय ने अपनी पेन्ट पहनने के बाद अपनी शर्ट पहनते हुए कहा "अभी आया कौन है"

"मैं हूँ कोमल भईया" बाहर से आवाज़ आई।
 
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