सभी साथ में नाश्ता कर रहे होते हैं ।
करण: अरे समर बेटा कभी अखाड़े में भी आ जाया करो , ये हमारी परम्परा है कि लड़के को पहलवान होना जरूरी होता हैं ।
ये सुनकर राम्या हंसने लगती है और उसका मजाक उड़ाते हुए: है भगवान पहलवान और ये ?? ये कैसा मजाक हैं पापा " ।
ये सुनकर माही और काम्या मुस्कुरा देती हैं जबकि समर का खून खोल जाता है और वो गुस्से से: तू तो चुप कर , कभी आज तक दौड़ में नहीं जीती मुझसे और मुझे बात बता रही हैं और आज जब तेरे पैर में चोट लगी थी तो तुझे में ही गोद में लेकर आया था। " ।
ये सुनते ही राम्या अपना मुंह बना लेती हैं और उसे वो पल याद आ जाता है जब समर ने उसे अपनी गोद में उठाया हुआ था , कैसे उसका लंड खड़ा हो रहा था और उसके नितंबों पर चुभ रहा था। ये सोचते ही उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता है और मुंह नीचे करके चुपचाप नाश्ता करने लगती हैं ।
करण: बेटा आज रविवार है और दो महीने के बाद कुश्ती प्रतियोगिता होगी , हर साल हमारा ही अखाड़ा जीतता आ रहा है लेकिन इस बार दूसरे अखाड़े वालों ने बाहर से पहलवान बुलाया हैं हमे हराने के लिए, बस इसी बात को लेकर परेशान रहता हूं मैं।
राम्या: मेरे पापा से बड़ा कोई पहलवान हो ही नहीं सकता , आप तो उसे एक मिनट से पहले ही धूल चाटो दोगे" और ऐसा बोलकर वो पापा के दोनो को जोर से दबाती हैं ।
राम्या: देखो मेरी पापा की बॉडी , समर तू तो अभी इनका आधा भी नहीं हैं " और ऐसा बोलकर जोर जोर से हंसते हुए उसका मजाक उड़ाने लगती हैं । सभी हसने लगते है तो समर भी हंस पड़ता हैं।
इसी तरह छेड़छाड़ के साथ उनका नाश्ता खतम होता हैं और करण अखाड़े चला जाता है और राम्या टीवी देखने लगती हैं क्योंकि उसके पैर में अभी दर्द था इसलिए वो हॉल में ही बैठ जाती हैं ।
समर महसूस कर रहा था कि रात से माही कुछ उदास हैं , जैसे ही उसकी मम्मी किचन में जाती हैं समर अपनी बुआ से: बुआ क्या हुआ आप की तबीयत तो ठीक है ?
माही जो अपनी ही सोच में गुम थी अचानक हड़बड़ाते हुए: हा , हा ठीक हूं बिल्कुल ।
समर: बुआ अगर कोई भी दिक्कत हो तो मुझे बताना , मुझे अच्छा नहीं लगता जब आप दुखी होती हो। अब तो पापा भी मान गए हैं आपकी बात, फिर ये उदासी क्यों ?
अब माही उसे क्या बताती कि वो सिर्फ उसकी वजह से ही दुखी है!
माही: नहीं समर सब मेरा इतना खयाल रखते हैं , में दिखी हो ही नही सकती।
तभी काम्या आती हैं और समर को बाजार से कुछ घर का सामान लाने को बोलती हैं और माही को कहती हैं : माही तुम भी इसकी साथ चले जाओ , तुम्हे अच्छे से पता हैं कि घर में किस किस चीज़ की ज़रूरत है और हम कैसी क्वालिटी इस्तेमाल करते हैं।
माही: जी भाभी , आज तो मेरा ब्यूटी पार्लर भी बंद हैं, मै चली जाती हूं इसके साथ ।
और समर अपनी बाइक अपाची बाइक निकालता हैं और अपनी बुआ को बिठाकर बाजार चला जाता है । बाइक पर पीछे बैठी बुआ ऊंचाई पर थी और समर आगे बैठा हुए जिसकी सीट थोड़ी नीचे थी जिस कारण माही का बदन उसके टच हो रहा था।
माही को ना जाने क्यों समर अच्छा लगने लगा था लेकिन उसके मन में कोई पाप नहीं था , और जब से उसने कसम वाली बात सुनी थी उस बहुत प्यार आता था समर पर , उफ्फ कितना सुन्दर हैं समर , चेहरा कितना चॉकलेटी हैं, ।
और भैया इसे पहलवान कैसे बनाएंगे ?
माही ये सब सोच ही रही थी कि तभी सामने से एक ट्रक आता है और वो उन्हें साइड मारकर भाग जाता है ।
समर और माही दूर जाकर गिरते हैं और माही का सिर फट जाता है और खून निकलने लगता है जबकि समर को भी हाथ में चोट लगी थी और उसके हाथ से भी खून बह रहा था। समर अपनी चोट की परवाह ना करते हुए माही को तरफ भागता है और उसे जल्दी से अपनी गोद में उठा लेता हैं और अपनी बाइक को तरफ देखता है ताकि जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल जा सके लेकिन टक्कर के कारण बाइक टूट चुकी थी और स्टार्ट होने की हालत में नहीं थी। समर आने जाने वाली गाड़ियों को लिफ्ट मांगता है लेकिन कोई उसकी हेल्प नहीं करता उधर माही का खून लगातार बह रहा था।
समर उसको गोद में उठाए हुए ही हॉस्पिटल की तरफ भागता हैं , समर के चेहरे से बहता हुआ खून माही के चेहरे पर गिर रहा था ,। दोनो के कपड़े लाल हो चुके थे , समर की सांस फूल चुकी थी लेकिन वो पागलों की तरह भागा जा रहा था, माही की आंखे कभी खुल रही थी तो कभी बंद हो रही थी , उसे बस इतना पता था कि वो समर की बांहों में हैं ।
तभी हॉस्पिटल आ जाता है और समर उसे एडमिट करता है । डॉक्टर चेक करते हैं और बोलते है कि इनका तो काफी खून बह चुका है , इन्हे खून लगाना होगा।
समर तुरंत अपना हाथ आगे कर देता हैं और बोलता हैं कि डाक्टर साहब जितने खून की जरूरत हो ले लो लेकिन बुआ को कुछ नहीं होना चाहिए।
डॉक्टर: अरे तुम्हारा तो पहले ही खून बह रहा है, तुम्हारा खून नही ले सकते हम क्योंकि इससे तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है ।
माही की आंखे कमजोरी के कारण बंद हो चुकी थी । वो सुन और समझ तो सब पा रही थी लेकिन बोलने कि हालत में नहीं थी।
समर: आप मेरी फिक्र मत कीजिए और इनका इलाज शुरू करिए। मुझे कुछ नहीं होगा।
और ऐसा बोलकर वो ख़ून देने की लिए लेट जाता है , डॉक्टर के पास भी कोई दूसरा तरीका नहीं था इसलिए वो ना चाहते हुए भी उसका खून लेता है और माही को लगाने लगता हैं।
जैसे जैसे समर के जिस्म से खून निकल रहा था उसका जिस्म ठंडा पड़ता जा रहा था।
तभी माही की हालत में कुछ सुधार होने लगता है खून की वजह से।
ये बात अब तक उनके घर तक पहुंच गई थी कि उनका एक्सिडेंट हुए हैं और पागलों कि तरह दौड़ते हुए करण और काम्या , राम्या सब हॉस्पिटल पहुंच चुके थे।
माही की चेक करने के बाद डाक्टर बोलता है कि अब वो खतरे से बाहर हैं जबकि समर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। उसका बहुत खून बह गया है और कमजोरी की हालत में ज्यादा तेज भागने के कारण उसकी माश पेशिया क्षिथिल पड़ गई है ।
करण: कुछ भी करो डॉक्टर लेकिन मेरे बेटे को बचाओ । पैसा चाहे कितना भी लग जाए लेकिन मेरा बेटा बचना चाहिए।