समर और माही अभी अपनी सांसे दुरुस्त कर ही रहे थे कि समर का मोबाइल बज उठा। माही ने उसे अपनी बांहों में जोर से कस लिया ताकि वो उससे दूर ना जा सके ।
समर ने माही को स्माइल दी तो माही ने उसे छोड़ दिया तो समर ने देखा कि किसी नए नंबर से कॉल आया हुआ है तो उसने उठाया ।
समर:" हेलो मैं समर बोल रहा हूं ,
अजनबी:" भाई एक आदमी का ऐक्सिडेंट हो गया है और उनकी हालत खराब बहुत खराब हैं , कार का नंबर UP 22GH241 हैं और उन्हें सिटी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया हैं । उनकी डायरी में आपका नंबर लिखा था।
समर काट देता है। उसकी आंखो में आंसू आ गए।वो अपनी मा को कॉल करके हॉस्पिटल पहुंचने को बोलता हैं और खुद माही को लेकर हॉस्पिटल चला गया। माही बुरी तरह से डर गई थी।
जब वो अस्पताल पहुंचे तो काम्या और राम्या वहां पहले ही मौजूद थी। तेजी से सभी अंदर गए तो देखा कि करण आईसीयू में भर्ती हैं और सिर में बहुत गहरी चोटे अाई हैं।
समर डाक्टर से मिलता है तो वो उसे बताते हैं की उसके बाप की हालत बहुत ज्यादा खराब हैं और बच पाना नामुमकिन है। समर के तो होश उड़ गए वो तेजी से आईसीयू की तरफ भागा तो देखा कि करण अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था।
सबसे बुरा हाल तो राम्या का था। वो तो लगातार अपने बाप को देखे जा रही थी और रोए जा रही थी। समर उसके पास आया और अपने बाप का हाथ अपने हाथों में ले लिया।
समर:" पापा मैं आपको बचाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दुगा। कुछ नहीं होगा आपको।
करण:" ब बेटा सबका ध्यान रखना। मैं बच नहीं पाऊंगा, वादा कर मुझसे अपनी मा , बहन और माही को कभी कोई दुख नहीं देगा।
और ऐसा कहकर वो अपन हाथ आगे बढ़ा देता हैं तो समर अपनी भीगी हुई आंखो से अपने बाप का हाथ थाम लेता है।
करण एक आखिरी सांस लेता हैं और राम्या की तरफ देखता हैं और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। करण अब दूसरी दुनिया में पहुंच चुका था।
सारे परिवार की आंखो से आंसू निकल पड़े। राम्या तो बेहोश हो गई और उसे हॉस्पिटल में ही एडमिट किया गया और सोनम भी आ गई ताकि वो राम्या का ध्यान रख सके। काम्या और माही वहीं फर्श पर गिर पड़ीं । समर जैसे तैसे करके अपने आपको संभालता है और डैड बॉडी को लेकर घर आता हैं।
डैड बॉडी घर के बीच में रखी हुई थी और उसके चारो तरफ लोग बैठे हुए थे जो कि समर और करण के मिलने वाले थे। काम्या और माही बार बार बेहोश हो रही थी।
भीमा भी आ चुका था और उसके साथ ही कबीले से कुछ लोग भी आ गए थे। धार्मिक रीति रिवाज के साथ करण का अंतिम संस्कार किया गया जिसमें शहर के सभी नामी गिरामी लोग शामिल हुए। एक एक करके सब मेहमान चले गए। अब बस घर में भीमा और गांव के कुछ लोग रह गए थे। भीमा की नजरे राम्या को ढूंढ रही थी लेकिन वो कहीं दिख नहीं रही थी।
बाद में उसे पता चला कि राम्या हॉस्पिटल में एडमिट हैं तो वो उससे मिलने हॉस्टिपल गया तो राम्या अभी भी बेहोश ही थी। भीमा को उसकी हालत देखकर बहुत दुख हुआ क्योंकि वो उसे पसंद करने लगा था। रात में सोनम सिर्फ राम्या के पास रुक गई जबकि पूरा परिवार घर पर जमा था।
सोनम के मम्मी पापा खाना लेकर आ गए लेकिन किसी का भी खाना खाने का बिल्कुल मन नहीं था ।
सोनम पापा :" बेटा समर थोड़ा सा खाना खा लो , मौत के आगे सब मजबुर हैं संभालो अपने आपको बेटा तुम्हे अब पूरे परिवार का ध्यान रखना होगा।
समर का चेहरा आंसू से भीगा हुआ था । उसने बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाला और बोला"
" नहीं अंकल मेरा बिल्कुल भी मन नहीं हैं
सोनम पापा:" बेटा जिंदा रहने के लिए तो खाना ही पड़ेगा। समझने की कोशिश करो
भीमा: थोड़ा सा खा लो, ज़िन्दगी मुश्किलों का ही नाम हैं समर ।
सबके समझाने पर वो खाने के लिए तैयार होता हैं तो उसे काम्या और माही की याद आई जो अंदर कमरे में बैठी हुई रो रही थी। सभी लोग अंदर गए और उन्हें बहुत समझाया तब कहीं जाकर वो चुप हुई।
फिर बड़ी मुश्किल से सबने थोड़ा सा खाना खाया और और पूरा परिवार दुख में ही डूबा रहा। अगले दो दिन के अंदर सभी रीति रिवाज संपन्न हो चुके थे इसलिए भीमा इजाज़त लेकर कबीले वापिस चला गया जबकि राम्या अभी भी हॉस्पिटल में ही एडमिट थीं। धीरे धीरे एक हफ्ता बीत गया और राम्या भी ठीक होकर घर वापिस आ गई। करण की मौत यूं तो पूरे परिवार के लिए एक बहुत बड़ा सदमा थी लेकन सबसे ज्यादा राम्या टूट गई क्योंकि वो घर में सबसे ज्यादा प्यार करण से करती थी।
पूरा परिवार उसको समझा रहा था इसलिए धीरे धीरे वो थोड़ा नॉर्मल होने लगी। करण की मौत हुए एक महीना बीत गया था और पूरे घर में किसी की हंसी तक नहीं गूंजी थी।
एक दिन सब लोग बैठे हुए थे तो समर बोला:"
" मम्मी जो होना था वो हो गया , पापा तो अब वापिस नहीं आएंगे। अगर आप सभी मर्जी हो तो मैं कल से ऑफिस जाना शुरू करना चाहता हूं।
काम्या दुखी मन से;" हान बेटा तू भी काम देख अपना, और राम्या तो भी अपनी पढ़ाई शुरू कर बेटी कल से।
उस दिन शाम को सब खाना खाकर साथ ही सो गए। अगले दिन से समर ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया तो उसका ध्यान काम में लगने लगा। दूसरी तरफ राम्या भी कॉलेज जाने लगी।
माही ने भी अपना पार्लर का काम शुरू कर दिया और काम्या घर के काम में लग गई। फ्री होने पर वो भी माही के साथ पार्लर में लग जाती थी।
आज 15 जनवरी थी यानी राम्या का जनमदिवस। समर ने दिन में केक का ऑर्डर कर दिया था । माही ने सोनम और उसके मम्मी पापा को भी बुलावा भेज दिया था कि वो रात को ठीक 12 बजे आ जाए।
काम्या के बेडरूम को अच्छे से सजा दिया गया और उसमे केक लगा दिया। राम्या उपर अपने कमरे में पड़ी हुई करण को याद कर रही थी। हर साल उसका बाप उसका जन्म दिन पूरी धूम धाम से मनाया करता था।
रात के 12 बजने वाले थे और सभी मेहमान घर आ गए थे जिनमें राम्या की कुछ कॉलेज की दोस्त भी थी। समर राम्या के रूम में गया और वो नीचे लेकर आ गया कि चल तुम्हे मम्मी बुला रही है।
राम्या ने जैसे ही काम्या के बेडरूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखे खुशी और हैरानी से खुली की खुली रह गई। पूरा परिवार उससे कितना प्यार करता हैं आज उसे महसूस हुआ।
सभी ने उसे गले लगाकर जन्म दिन की बधाई दी और राम्या खुश हो गई। आज पहली बार घर में खुशी लौट आईं थीं।
समर ने राम्या को तोहफे में एक हीरे की अंगूठी दी तो सभी लोगो ने कुछ ना कुछ गिफ्ट राम्या को दिया। फिर केक काटा गया तो सबने एक एक करके राम्या को केक खिलाया । राम्या ने सबसे पहले काम्या को केक खिलाया और उसके बाद समर और माही को। एक एक करके सभी मेहमानों ने केक खाया और सभी लोग वहीं समर के घर पर ही सो गए।
अगली सुबह समर ने देखा कि काम्या ने सफेद साड़ी पहनी हैं तो उसे बहुत दुख हुआ।
समर;;" मा आज के बाद तुम ये सफेद साड़ी नहीं पहनोगी।
काम्या;" लेकिन बेटा ये तो समाज कि प्रथा हैं और उसी समाज का हम हिस्सा हैं मानना तो पड़ेगा ही
समर;:" नहीं मम्मी, मुझे किसी की फ़िक्र नहीं , आप नहीं पहनेगी मतलब नहीं पहनेगी।
सोनम पापा:" अरे काम्या जी अब जमाना बदल गया हैं । आपको अब बदलना होगा।
काम्या सबके आगे मजबुर हो गई और कपडे बदलने के लिए बाथरूम में घुस गई। थोड़ी देर बाद ही वो बाहर निकली तो समर की आंखे खुली ही रह गई उसे देखकर । वो कुछ ऐसी लग रही थीं। उसने पहली बार साड़ी पहनी थी जिस कारण उसे बड़ी शर्म लग रही थी इसलिए उसने अपनी आंखे बंद कर ली।
समर की हंसी छूट गई ये सब देखकर। काम्या को उस पर गुस्सा आ गया और वो उसे मारने के लिए उसके पीछे दौड़ी तो समर भागकर उपर चला गया तो काम्या उसके पीछे पीछे ही उपर भागी उसे मारने के लिए । नीचे खड़े सब लोग हंस रहे थे उसे देखकर।
काम्या ने कमरे में घुसकर समर को पकड़ लिया और उसकी कमर पर मारने लगी तो समर ने उसे अपने गले लगा लिया। काम्या भी गुस्सा भूलकर उससे लिपट गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपटे रहे तो समर ने अपनी मा का गाल चूम लिया और उसे चिडा दिया तो काम्या ने आंखे दिखाते हुए अपने होंठो को अपने बेटे के होंठो पर रख दिया । उफ्फ दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
दोनो मा बेटे सब कुछ भूल गए और काम्या ने समर के मुंह में अपनी जीभ घुसा दी।
तभी नीचे से किसी के आने की आवाज सुनाई पड़ी तो दोनो अलग हो गए और नीचे की तरफ चल दिए ।