If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
Incestपरिवार में चूदाई का सुख (एडल्टरी, थ्रिलर, क्राइम, सस्पेंस)
"आह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही चूस उह्ह्ह्ह्ह"
"बलवान क्या बड़बड़ा रहा है रे?"
तभी मेरी नींद टूट गई, मैंने देखा कि मां मुझे उठा रही थी।
"क्या रे कितना सोएगा सुबह के १० बज चुके हैं और तू घोड़े बेचकर सो रहा है"
"मां सोने दो ना" कहकर तकिए से अपना मुंह ढक लेता हूं
"क्यों रे नहाएगा धोएगा नहीं क्या? खेत पर कौन जाएगा फिर और तेरे बापू भी आते होंगे" कहकर मां चली जाती है।
फिर मैं अपने लन्ड को धोती में ही सहलाते हुए उठता हूं और घर के पिछवाड़े में मूतने चला जाता हूं।
हमारे घर में तीन कमरे हैं , एक बड़ा कमरा है जो मां बापू का है और बाकी छोटे-छोटे दो कमरे हैं जिसमें से एक सुनील भईया और अजय का है और दूसरा माधुरी दीदी और शिल्पा का है, मैं तो मां के साथ ही सोता हूं क्योंकि बापू खेत की रखवाली करने के लिए खेत में बनी छोटी सी झोपड़ी में ही सोते हैं लेकिन बापू घर पर होते हैं तो कभी-कभी रात में मुझे भी खेत में सोना पड़ता है बाकी घर में एक बड़ा सा आंगन और छोटा सा रसोईघर है और घर के पिछवाड़े में बाथरूम और पानी का कुआं बना है।
मूतने के बाद मैं नहाने चला जाता हूं और अपने लन्ड को हिलाकर शांत करता हूं, मेरे दिमाग में 24 घंटे बस चूचियां चूत गांड़ लौड़ा चूदाई की बातें ही घूमती हैं, गंदी गंदी तस्वीरें वाली पुस्तकें पढ़ना मुझे बहुत पसंद है, लड़की से लेकर भाभी हो या कोई आंटी उन्हें चोदने के लिए बहुत तरसता हूं और बड़ी उम्र की गदराई औरतें तो मेरी कमजोरी बन गई हैं, किसी मस्त गदराई आंटी को देखकर मेरे लन्ड में जैसे आग लग जाती है, दिन–रात खेत के काम में लगा रहता हूं सोने और खाने का बहुत शौकीन हूं।
नहाने के बाद मैं रसोईघर से खाना लेकर आंगन में चटाई पर बैठके खाने लगता हूं तभी मुझे मां दिखाई देती हैं जो रसोईघर में बर्तन धुल रही थी उन्होंने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और ब्लाउज पहनी हुई थी अचानक मेरी नजर मां की छाती पर पड़ती है साड़ी का पल्लू काम करने की वजह से उनकी छाती पर से सरक गया था जिससे उनकी थन जैसी बड़ी-बड़ी चुचियों की गहरी दरार नजर आ रही थी, फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मेरा लन्ड खड़ा होने लगा, कुछ देर के बाद मां रसोईघर से अपने कमरे में चली गई तो मुझे होश आया, फिर मैं खुद को गाली देने लगा और उसके बाद मैंने खाना खत्म किया फिर खेत पर चला गया, वहां बापू खेत में काम कर रहे थे।
"बापू आप घर जाओ यहां से आगे का कार्य मैं कर लूंगा"
"ठीक है, मैं अस्पताल जा रहा हूं तेरी मां के लिए दवाई लेनी है"
"दवाई किसलिए बापू?"
"अरे तुझे पता नहीं क्या? तेरी मां की छाती में दर्द है, उसकी दवाई चल रही है"
इस बारे में मुझे पता नहीं था कि मां बीमार है क्योंकि दिन में तो मैं खेत पर होता हूं और रात में खाने के बाद बिस्तर पर ढेर हो जाता हूं, मुझे बहुत दुख हुआ कि मुझे मां के बारे में कुछ पता ही नहीं था।