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Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सूरज अब अपनी बहन को पटाने की कोशिश करेगा इसलिए वह उसे आंवला तोड़ने के लिए ले जा रहा है वह अपनी मां से पूछने के लिए खेत पर गया है वहां उसे उसकी मां नहाती मिल गई है

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rohnny4545

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सूरज आंवला के लिए अपनी मां से पूछने के लिए खेत में आ चुका था चारों तरफ गन्ने का खेत लहरा रहा था,,, फसल इतनी बड़ी-बड़ी थी कि दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं देता था अगर कोई देखने की कोशिश भी कर तो उसे खेत में क्या है क्या हो रहा है कुछ भी दिखाइ ना दे,,, सूरज धीरे-धीरे खेत के बीच में पहुंच चुका था जहां पर छोटी सी कच्ची झोपड़ी थी और ट्यूबवेल था खेतों में पानी पहुंचाने के लिए,,, लेकिन वहां पर पहुंचकर उसने जो अपनी आंखों से देखा उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वह एकदम से अपने आप को गन्ने की फसल के पीछे छुपा लिया,,,।

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गर्मी का महीना और दोपहर का समय था ,,, सूरज को भी गर्मी लग रही थी और माथे से पसीना टपक रहा था और जो नजर उसने सामने देखा था उससे तो उसकी हालत और ज्यादा गर्म हो गई थी,,, उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत वही होती जो सूरज की हो रही थी,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी बस इतना देखकर ही सूरज समझ गया था कि अब क्या होने वाला है क्योंकि सुनैना ट्यूबवेल के पास खड़ी थी और वह समझ गया था कि उसकी मां नहाने की तैयारी कर रही है लेकिन किस तरह से नहाती है यह वह नहीं जानता था लेकिन फिर भी अपनी मां को नहाते हुए देखने में उसे आनंद आने वाला था इतना उसे अभास था ,।






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इससे पहले भी वह नदी में अपनी मां को नहाते हुए देख चुका था और वह भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में,, पहली बार अपनी मां को नंगी होकर नहाते हुए देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर पूरे उफान पर थी,,, जो आनंद जो मजा उसे अपनी मां को नंगी होकर नहाते हुए देखने में आया था वैसा मजा उसे फिर कभी नहीं मिला था लेकिन आज फसल के पीछे छुप गया था ताकि उसकी मां को बिल्कुल भी भनक तक ना लगे कि कोई उसके आसपास है ताकि वह आराम से अपने तरीके से नहा सके,,, लेकिन फिर भी सूरज को इस बात की शंका थी कि उसकी मां किस तरह से नहाती है अपने सारे कपड़े उतार कर या कपड़े पहने हुए ही नहाती है ,, मन में तो उसकी यही चल रहा था कि उसकी मां उसे दिन की तरह ही अपने सारे कपड़े उतार कर नहाए तो मजा आ जाए,,,।






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फिर भी सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि उसकी मां धीरे-धीरे अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी और बढ़िया आराम से अपनी ब्लाउज की डोरी खोल दी चुकी थी पीछे से ढीला होने के बाद वह आगे से अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दी और देखते ही देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर धीरे से अपनी गोरी गोरी बाहों में से अपने ब्लाउस को निकाल कर वहीं पास में घास के देर में रख दी,,, कमर के ऊपर सुनैना नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास सूरज को हो रहा था सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां उसकी तरफ घूम जाए तो मजा आ जाए उसकी चूचियां देखने में जो की खरबूजे की तरह बड़ी-बड़ी गोल-गोल और एकदम कसी हुई थी जो उसकी छाती की शोभा को बढ़ाती थी,,,।




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सुनैना सूरज के वहां पहुंचने से पहले ही अपनी साड़ी को उतार कर घास के ढेर पर रख चुकी थी और ब्लाउज उतारने के बाद वह कुछ देर तक अपनी छतिया की तरफ देखती रही और दोनों हाथों को अपनी छाती पर रखकर उसे हल्के हल्के होले होले से दबाना शुरू कर दी,,, भले ही सूरज ठीक तरह से देखने का रहा हूं लेकिन इतना तो वह समझ गया था कि इस समय उसकी मां क्या कर रही है वह समझ गया था कि उसकी मां अपने हाथ से ही अपनी चूची से खेल रही है थी और यह देखकर तो उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अपने मन में सोचने लगा कि पिताजी के घर पर न होने की वजह से उसकी मां की हालत ऐसी हो गई है काश यह मौका उसे मिल जाता तो कितना मजा आ जाता,,, सुनैना को अपने हाथों से ही अपनी चूची को दबाने में आनंद आ रहा था और वह अपनी आंखों को बंद कर दी थी और यह सब इसलिए हो रहा था क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसे पुरुष संसर्ग नहीं मिला था,,, मतलब कि उसके पति का साथ नहीं मिला था इसलिए वह अंदर से प्यासी थी,,,,।




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कुछ देर तक अपनी चूची से खेलने के बाद वह एकदम से सूरज की तरफ घूम गई क्योंकि वह लोटा ढुंढ रही थी,,, उसे प्यास भी लगी थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसका लड़का उसे देखकर अपनी आंखों की प्यास बुझा रहा है,,, सूरज की तो आंखें फटी की फटी रह गई अपनी मां की नंगी चूचियां देखकर एकदम कसी हुई छतिया पर ऐसा लग रहा था कि किसी ने अपने हाथों से लगा दिया हूं इस उम्र में भी उसकी चूची जवान औरत की तरह कसी हुई थी जिसे देखकर उसका लंड टन्ना रहा था,,,,,, इस बात से अनजान की चोरी छिपे उसकी नंगी जवान को उसका बेटा अपनी आंखों से देख रहा है वह इधर-उधर लोटा ढूंढ रही थी और उसके इधर-उधर घूमने की वजह से उसकी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो उसने मुखिया की बीवी की चूचियों से बहुत खेला था लेकिन उसकी मां की चूची की बात ही कुछ और थी इस बात का एहसास सूरज को अच्छी तरह से हो रहा था क्योंकि उसकी मां की चुचियों में बिल्कुल भी लचक नहीं थी एकदम कसी हुई थी नीलू की चूची की तरह,,,,।




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इधर-उधर ढूंढने के बाद उसे लोटा दिखाई दे दिया और उसे उठाने के लिए वह जैसे ही नीचे झुकी तो उसकी दोनों चूचियां पपैया की तरह एकदम से लचक गए जिसे देखकर सूरज की गरम आह निकल गई,,, मन तो उसका किया कि आगे बढ़कर अपनी मां की चूचियों को दोनों हाथों से थाम ले और जो काम हुआ खुद अपने हाथों से कर रही थी उसी काम का जिम्मा अपने सिर लेकर बखूबी इस काम को अंजाम दे और अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करें लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था बस उत्तेजना बस पजामे में तने हुए अपने लंड को दबाकर रह गया था,,,। सुनैना लोटा उठा कर वापस ट्यूबवेल की तरफ जाने लगी और जाते समय उसकी भारी भरकम गोलाकार गांड पेटिकोट में एकदम साफ ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर सुरज के लंड की अकड़ बढ़ती जा रही थी,,,। और वह धीरे-धीरे वापस ट्यूबवेल के पास पहुंच गई और हाथ आगे बढ़ाकर उसे लोटे में पानी भरने लगी और फिर पीकर अपनी प्यास बुझा लेने के बाद वह वापस लौटे को वहीं पास में रख दी,,,,।




Sunaina apni chuchiyo se khelti huyi

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सूरज की उत्तेजना का ठिकाना न था अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली जवानी का वह पहले से ही दीवाना था,,, लेकिन आज उसे पहली बार यह सौभाग्य मिल रहा था कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी लेकिन अभी भी सूरज के मन में इस बात को लेकर शंका थी कि उसकी मां पेटीकोट उतारती है या नहीं उतारती क्योंकि गांव में अक्सर वह इस तरह के नजारे को देख चुका था जब और तो के प्रति उसका कोई आकर्षण नहीं था औरतें अक्सर ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर ही नहाती थी उन्हें उतार कर वह कभी देखा नहीं था की नहाती हूं लेकिन उसे तरह के नजारे को वहां हमेशा कुएं पर या नल पर ही देखा था इसलिए वह समझ सकता था कि लोगों के बीच औरते अपने सारे वस्त्र नहीं उतारती,,,।


Sunaina nahati huyi

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लेकिन सूरज को अपनी मां के बारे में अच्छी तरह से मालूम था क्योंकि वह नदी पर पहले ही अपनी मां को पूरी तरह से नंगी होकर नहाते हुए देख चुका था और इस समय भी यहां पर पूरी तरह से एकांत था गन्ने के फसल से घिरा हुआ या स्थान पूरी तरह से लोगों की आंखों से छुपा हुआ था और ऐसे में उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा सकती थी ऐसा सूरज अपने मन में सोच भी रहा था,,,,, और उसका यह सोचना एकदम सही साबित हुआ जब उसने देखा कि उसकी मां अपने दोनों हाथों को अपने पेटिकोट की डोरी पर रखकर उसे धीरे-धीरे खोल रही थी यह देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एक टक फसल के पीछे अपने आप को छुपाए हुए अपनी मां की मदद कर देने वाली जवानी को उजागर होता हुआ देख रहा था और जिस तरह से उसने देखा कि उसकी मां की हाथों की हरकत बढ़ने लगी वह समझ गया कि अब ज्यादा देर नहीं है उसकी मां को नंगी होने में,,,,।
Sunaina

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गर्मी का महीना और दोपहर का समय होने के बावजूद सूरज के लिए यह मौसम बेहद सुहावना लगने लगा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसके सपनों की रानी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने जा रही थी,,,, वह भी अपने मन में सोच रहा था कि उसका मन कैसा है अपनी मां को लगभग बहुत बार नग्न अवस्था में देख चुका था नहाते हुए कपड़े बदलते हुए यहां तक की अपने पिताजी से चुदवाते हुए की देख चुका था लेकिन हर एक बार जब-जगह अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देखा था उसे नंगी देखा था तब तक उसे एक नया एहसास होता था नई उमंग उसके मन में जगती थी,,, और यही एहसास यही उम्र उसे धीरे-धीरे अपनी मां के प्रति पूरी तरह से आकर्षित करते चली जा रही थी,,,।

सुनैना निश्चिंत थी,,, वह खेतों में पानी देने के लिए आई थी फसल को देखने के लिए आई थी लेकिन गर्मी की वजह से उसका मन नहाने को हो गया था,,, यह जगह पूरी तरह से फसल से गिरी हुई थी यहां पर किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाना चाहती थी वैसे भी ट्यूबवेल के पानी में ना आए उसे बहुत दिन हो चुके थे और इसलिए वह आज जी भर कर नहाना चाहती थी,, और देखते ही देखते उसने पेटिकोट की डोरी को खींचकर पेटिकोट को अपनी कमर पर ढीली कर दी लेकिन अभी भी पेटिकोट उसके नितंबों के उभार की वजह से उसके कमर पर टिकी हुई थी जिसे वह अपने हाथों से ढीली करके उसे एकदम से अपनी कमर से ही छोड़ दी,, और उसकी पेटीकोट भी नाटक के मंच के किसी पर्दे की तरह भर भरा कर एकदम से उसके कदमों में जा गीरी,,और पलक झपकते ही सुनैना पूरी तरह से नंगी हो गई सूरज की आंखों के सामने उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में खड़ी थी ,,पेटिकोट के नीचे उतरते ही सूरज की आंखों के सामने उसकी सपनों की रानी नंगी हो चुकी थी जिसे देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था और इसीलिए वह फसल के पीछे छुपा हुआ था वह भूल गया था कि वह क्या करने के लिए यहां आया था क्या पूछने के लिए यहां आया था,,,,।
Sunaina

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सुनैना की उभारदार गांड पूरी तरह से सूरज के मन को विचलित कर रही थी सूरज अपनी मां की नंगी गांड को देखा ही रह गया था उसके गांड की गहरी दरार में उसका मन डूब जाने को कर रहा था,, उसने अभी तक मुखिया की बीवी और मुखिया की लड़की के साथ-साथ पड़ोस के गांव की शर्मा जी की बहू की नंगी गांड का मजा ले चुका था लेकिन उसकी मां की तरह किसी की भी गांड खूबसूरत और आकर्षक नहीं थी,,, ऐसा नहीं था कि उन तीनों की गांड खूबसूरत नहीं थी लेकिन उसकी मां की गांड के मुकाबले मैं तो बिल्कुल भी नहीं थी इसीलिए तो पल भर में ही सूरज का लंड दर्द करने लगा था उसकी अकड़ इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके लंड की नशे फट न जाए,,,।

सुगंधा अपने दोनों हथेलियों को अपनी नंगी गांड पर रखकर हल्के हल्के अपनी गांड को सहला रही थी और चपत भी लगा रही थी जिस पल भर में ही उसकी गोरी गोरी का टमाटर की तरह लाल हो गई थी और यह देखकर सूरज का हौसला पस्त हुआ जा रहा था,, उसका मन बेकाबू हुआ जा रहा था और बार-बार उसके मन में आ रहा था कि जाकर उसकी मां के सामने खड़ा हो जाए और बोले कि मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगा,,, और उसे अपनी बाहों में कस ले और उसके साथ वही करें जो एक मर्द औरत के साथ करता है लेकिन यह सब सूरज के मां के ख्याली पुलाव थे जिसे मन में ही पकाया जा सकता था,,, इसे हकीकत में पकाने की क्षमता इस समय सूरज में नहीं थी,,,,।

सुनैना कुछ देर तक अपने आप से ही अपनी नंगी गांड से खेलती रही और फिर धीरे से आगे बढ़ गई,,, ट्यूबवेल की मोटी पाईप जहां से निकली हुई थी वहां के चारों और चार फीट की दीवार बनी हुई थी जो की एक टंकी का ही काम करती थी जिसमें पहले पानी भरता था और उसमें से फिर बाहर की तरफ निकल कर नालियों से होकर खेतों में जाता था सुनैना धीरे से अपनी टांग उठा कर उसे दीवार पर चढ़ने लगी जो कि उसके लिए कोई बड़ा काम नहीं है लेकिन उसकी टांग ऊपर करने की वजह से उसकी गांड का जो उभार था वह बेहद मादकता लिए हुए उभर कर सामने नजर आ गया था,,, पर यह नजारा सूरज के लिए मदहोश कर देने वाला था और वह पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते सुनैना अपना नंगा बदन चार फीट की टंकी में लेकर उतर गई,,, टंकी का पानी उसकी छतिया तक आ रहा था लेकिन पूरी तरह से इसकी चूचियां पानी में डूबी नहीं थी आधे से ज्यादा उसकी चूचियां नजर आती थी और सुनैना ठंडे पानी में नहाने का आनंद लेने लगी,,,।
Sunaina tanki me nahati huyi

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सूरज का मन कर रहा था कि वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर अपनी मां के साथ टंकी के पानी में नहाने का मजा ले लेकिन ऐसी किस्मत उसकी कहां थी सुनैना टंकी के पानी में छपाक छपाक करके नहा रही थी,,, सुनैना भी नदी के पानी में बहुत नही थी लेकिन टंकी में नहाने का मजा ही कुछ और था क्योंकि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसके ऊपर गिर रहा था उसकी छतिया पर गिर रहा था और उसकी भारी भरकम छाती पर पानी की धार जो की बेहद तेजी से गिर रही थी वह उसे उत्तेजित कर रही थी और वह पानी के अंदर ही अपनी चूचियों को जोर-जोर से दबा रही थी यह देखकर सूरज की हालत खराब होने लगी,,,,,,, उसका मन तड़पने लगा वह जानता था कि उसकी मां को इस समय एक मर्द की जरूरत है जो कि इस जरूरत को उसके पिताजी पूरी नहीं कर पा रहे हैं और ऐसे में यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी होगी,,, लेकिन इस जिम्मेदारी को वह कैसे उठाएं यही उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,।

अपनी मां की हालत को देखकर सूरज को अपनी मन करता रहा था अपनी मां की तड़प उससे देखी नहीं जा रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि घर में जवान लड़का होने के बावजूद भी उसकी मां को इस तरह से तड़पना पड़ रहा है यह उसके लिए बेशर्मी की बात है जबकि वह दूसरों की औरतों की प्यास बुझा रहा था और अपने घर में खुद की मां प्यासी तड़प रही थी,,,,, सूरज से यह सब देखा नहीं जा रहा था,,, अपनी मां की तड़प उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी मन तो कर रहा था इसी समय वह भी टंकी में कूद जाए और अपनी मां की टांग उठा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन वह भी विवश था क्योंकि वह जानता था कि टंकी में जो प्यासी औरत नहा रही है वह उसकी मां है ,,, भले ही वह इस समय एक मर्द के लिए तड़प रही है लेकिन वह कैसे अपने ही बेटे के साथ शरीर संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाएगी,,, अगर इस प्रस्ताव को सूरज खुद अपनी मां के सामने रखता है तो जरूरी तो नहीं कि उसकी मां उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी ऐसा भी हो सकता है कि वह उस पर क्रोधित हो जाए और सूरज अपनी मां की आंखों के सामने ही अपमानित हो जाए और ऐसा वह हरगीज नहीं चाहता था,,, और सूरज अपने मन में यह भी सोच रहा था कि ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसके प्रस्ताव को एकदम से स्वीकार कर ले और अपनी प्यास बुझा ले,,,, यही सोच कर सूरज मजबूर था विवस था,,, नहीं तो अपनी मां को वह कभी प्यासी नहीं रहने देता,,,,।
Suniana nahati huyi

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जो भी हो इस समय सूरज को बहुत मजा आ रहा था भले ही वह अपनी मां की प्यास नहीं पूजा का रहा था लेकिन अपनी मां के नंगे बदन को देख कर उसकी हरकत को देखकर उसकी प्यास बढ़ रही थी वह धीरे से अपने लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल लिया था और उसे जोर-जोर से मसलते हुए मुठिया रहा था,,, सुनैना एक तरफ नहाने का आनंद ले रही थी और दूसरी तरफ अपने बदन की प्यास बुझाने में लगी हुई थी,,, देखते ही देखते सुनैना 4 फीट की दिवारी पर चढ़ने की कोशिश करने लगी वह उसकी दीवार पर बैठना चाहती थी उसके मन में क्या चल रहा है सूरज को नहीं मालूम था लेकिन जैसे तैसे करके वह दीवार के ऊपर अपनी गांड रखकर बैठ गई थी और अपनी दोनों टांगों को खोल दी थी उसकी यह हरकत सूरज के लिए सोने पर सुहागा साबित हो रही थी ,,जिसे देखने के लिए वह तड़प रहा था वह नजारा उसकी मां अपने आप ही उसे दिखा रही थी,,,।

जिस तरह से उसकी मां दोनों टांगें चौड़ी करके दीवार पर बैठी हुई थी उसकी गुलाबी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी और उस बुर को देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां का गुलाबी छेद था क्योंकि पूरी तरह से पानी से लबालब थी और देखते ही देखते सुनैना अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर-जोर से मसलने लगी,,, सुनैना की हरकत सूरज पर बिजलियां गिरा रही थी सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज पागल हुआ जा रहा था,,, क्योंकि देखते ही देखते सूरज की मां अपनी दो उंगलियों को एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर कर रही थी,,,,।

सूरज से इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां अंदर ही अंदर प्यासी है मर्द के लिए तड़प रही है लेकिन यह नहीं जानता था कि उसकी मां इतनी अत्यधिक प्यासी है,,,, सुनैना की आंखें बंद थी वह मदहोश हुए जा रही थी वह इस बात से निश्चित तिथि किस जगह पर कोई नहीं आने वाला है लेकिन वह नहीं जानती थी कि पहले से ही उसका बेटा यहां पर आ चुका है और उसकी नंगी जवानी को देखकर खुद अपना लंड हिला रहा है,,, सूरज की सांस ऊपर नीचे हो रही थी एक तरफ उसकी मां थी जो अपनी मस्त-मस्त जवानी को अपने बेटे की आंखों के सामने ही बिखेरे पड़ी थी,,, और दूसरी तरफ सूरज था जो अपनी आंखों से अपनी मां की मदमस्त जवानी को समेटने की कोशिश कर रहा था,,,।

अगले ही पल सूरज एकदम हैरान हो क्या क्योंकि इसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,,आहहहहहह ,,,,ऊहहहहहहहह ,,,ऊमममममममम,,,,आहहहहहहहह,,,दऐया,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,,,।

अपनी मां के मुंह से इस तरह की आवाज़ सूरज के तन बदन में आग लग रही थी और जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था उसकी मां की दोनों टांगें उसकी आंखों के सामने खुली हुई थी और उसकी मां के गुलाबी छेद में उसकी मां की दो उंगली अंदर बाहर हो रही थी जो कि उसकी प्यास को बुझाने की कोशिश कर रही थी और सूरज जानता था कि एक मर्द के मोटे तगड़े लंड के बिना औरत की प्यास उसकी नाजुक उंगलियों से कभी नहीं बुझने वाली,,,, सूरज पसीने से तरबतर हो चुका था,,, सुनैना की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बढ़ने लगी थी यहां पर वह खुलकर शिसकारी ले रही थी क्योंकि वह जानती थी कि यहां पर उसकी गरमा गरम सिसकारी को सुनने वाला कोई नहीं था,,, लेकिन वह बात से हम जानते कि उसकी प्यासी जवानी को उसका बेटा अपनी आंखों से देख रहा है,,,,।

और तभी एकदम से सुनैना का बदन अकड़ खाया और वह तुरंत अपनी बुर में से दोनों मिलियन को बाहर निकलना और गरमा गरम जवानी से भरा हुआ लावा उसकी बुर से छलछला कर बाहर निकलने लगा,,, और साथ में उसकी पेशाब भी छूट गई,,, पेशाब की धार काफी दूर तक गिर रही थी और अगले ही पल सूरज के लंड से भी गरम लावा फूटने लगा,, वह भी अपनी मां के साथ झड़ने लगा था लेकिन झड़ते हुए भी इस बात का मलाल था कि वह अपनी मां की बुर में नहीं झढ पाया,,,,।

थोड़ी ही देर में वासना का तूफान शांत हो चुका था और अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए सुनैना फिर से टंकी में उतर चुकी थी और नहाने लगी थी टंकी के अंदर ही वह अपनी बुर को पानी से साफ कर रही थी,,, सूरज समझ गया था कि आप यहां पर उसका रुकना ठीक नहीं है और वह धीरे से पीछे कम लेते हुए वापस लौट गया और थोड़ी ही देर में नहाने के बाद अपने कपड़े पहनकर सुनैना भी अपने घर लौट गई,,,,,,,.
 
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sunoanuj

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Bahut hee badhiya or kamuk update ….
 
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Ajju Landwalia

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सूरज आंवला के लिए अपनी मां से पूछने के लिए खेत में आ चुका था चारों तरफ गन्ने का खेत लहरा रहा था,,, फसल इतनी बड़ी-बड़ी थी कि दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं देता था अगर कोई देखने की कोशिश भी कर तो उसे खेत में क्या है क्या हो रहा है कुछ भी दिखाइ ना दे,,, सूरज धीरे-धीरे खेत के बीच में पहुंच चुका था जहां पर छोटी सी कच्ची झोपड़ी थी और ट्यूबवेल था खेतों में पानी पहुंचाने के लिए,,, लेकिन वहां पर पहुंचकर उसने जो अपनी आंखों से देखा उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वह एकदम से अपने आप को गन्ने की फसल के पीछे छुपा लिया,,,।

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गर्मी का महीना और दोपहर का समय था ,,, सूरज को भी गर्मी लग रही थी और माथे से पसीना टपक रहा था और जो नजर उसने सामने देखा था उससे तो उसकी हालत और ज्यादा गर्म हो गई थी,,, उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत वही होती जो सूरज की हो रही थी,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी बस इतना देखकर ही सूरज समझ गया था कि अब क्या होने वाला है क्योंकि सुनैना ट्यूबवेल के पास खड़ी थी और वह समझ गया था कि उसकी मां नहाने की तैयारी कर रही है लेकिन किस तरह से नहाती है यह वह नहीं जानता था लेकिन फिर भी अपनी मां को नहाते हुए देखने में उसे आनंद आने वाला था इतना उसे अभास था ,।






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इससे पहले भी वह नदी में अपनी मां को नहाते हुए देख चुका था और वह भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में,, पहली बार अपनी मां को नंगी होकर नहाते हुए देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर पूरे उफान पर थी,,, जो आनंद जो मजा उसे अपनी मां को नंगी होकर नहाते हुए देखने में आया था वैसा मजा उसे फिर कभी नहीं मिला था लेकिन आज फसल के पीछे छुप गया था ताकि उसकी मां को बिल्कुल भी भनक तक ना लगे कि कोई उसके आसपास है ताकि वह आराम से अपने तरीके से नहा सके,,, लेकिन फिर भी सूरज को इस बात की शंका थी कि उसकी मां किस तरह से नहाती है अपने सारे कपड़े उतार कर या कपड़े पहने हुए ही नहाती है ,, मन में तो उसकी यही चल रहा था कि उसकी मां उसे दिन की तरह ही अपने सारे कपड़े उतार कर नहाए तो मजा आ जाए,,,।






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फिर भी सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि उसकी मां धीरे-धीरे अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी और बढ़िया आराम से अपनी ब्लाउज की डोरी खोल दी चुकी थी पीछे से ढीला होने के बाद वह आगे से अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दी और देखते ही देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर धीरे से अपनी गोरी गोरी बाहों में से अपने ब्लाउस को निकाल कर वहीं पास में घास के देर में रख दी,,, कमर के ऊपर सुनैना नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास सूरज को हो रहा था सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां उसकी तरफ घूम जाए तो मजा आ जाए उसकी चूचियां देखने में जो की खरबूजे की तरह बड़ी-बड़ी गोल-गोल और एकदम कसी हुई थी जो उसकी छाती की शोभा को बढ़ाती थी,,,।




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सुनैना सूरज के वहां पहुंचने से पहले ही अपनी साड़ी को उतार कर घास के ढेर पर रख चुकी थी और ब्लाउज उतारने के बाद वह कुछ देर तक अपनी छतिया की तरफ देखती रही और दोनों हाथों को अपनी छाती पर रखकर उसे हल्के हल्के होले होले से दबाना शुरू कर दी,,, भले ही सूरज ठीक तरह से देखने का रहा हूं लेकिन इतना तो वह समझ गया था कि इस समय उसकी मां क्या कर रही है वह समझ गया था कि उसकी मां अपने हाथ से ही अपनी चूची से खेल रही है थी और यह देखकर तो उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अपने मन में सोचने लगा कि पिताजी के घर पर न होने की वजह से उसकी मां की हालत ऐसी हो गई है काश यह मौका उसे मिल जाता तो कितना मजा आ जाता,,, सुनैना को अपने हाथों से ही अपनी चूची को दबाने में आनंद आ रहा था और वह अपनी आंखों को बंद कर दी थी और यह सब इसलिए हो रहा था क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसे पुरुष संसर्ग नहीं मिला था,,, मतलब कि उसके पति का साथ नहीं मिला था इसलिए वह अंदर से प्यासी थी,,,,।




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कुछ देर तक अपनी चूची से खेलने के बाद वह एकदम से सूरज की तरफ घूम गई क्योंकि वह लोटा ढुंढ रही थी,,, उसे प्यास भी लगी थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसका लड़का उसे देखकर अपनी आंखों की प्यास बुझा रहा है,,, सूरज की तो आंखें फटी की फटी रह गई अपनी मां की नंगी चूचियां देखकर एकदम कसी हुई छतिया पर ऐसा लग रहा था कि किसी ने अपने हाथों से लगा दिया हूं इस उम्र में भी उसकी चूची जवान औरत की तरह कसी हुई थी जिसे देखकर उसका लंड टन्ना रहा था,,,,,, इस बात से अनजान की चोरी छिपे उसकी नंगी जवान को उसका बेटा अपनी आंखों से देख रहा है वह इधर-उधर लोटा ढूंढ रही थी और उसके इधर-उधर घूमने की वजह से उसकी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो उसने मुखिया की बीवी की चूचियों से बहुत खेला था लेकिन उसकी मां की चूची की बात ही कुछ और थी इस बात का एहसास सूरज को अच्छी तरह से हो रहा था क्योंकि उसकी मां की चुचियों में बिल्कुल भी लचक नहीं थी एकदम कसी हुई थी नीलू की चूची की तरह,,,,।




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इधर-उधर ढूंढने के बाद उसे लोटा दिखाई दे दिया और उसे उठाने के लिए वह जैसे ही नीचे झुकी तो उसकी दोनों चूचियां पपैया की तरह एकदम से लचक गए जिसे देखकर सूरज की गरम आह निकल गई,,, मन तो उसका किया कि आगे बढ़कर अपनी मां की चूचियों को दोनों हाथों से थाम ले और जो काम हुआ खुद अपने हाथों से कर रही थी उसी काम का जिम्मा अपने सिर लेकर बखूबी इस काम को अंजाम दे और अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करें लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था बस उत्तेजना बस पजामे में तने हुए अपने लंड को दबाकर रह गया था,,,। सुनैना लोटा उठा कर वापस ट्यूबवेल की तरफ जाने लगी और जाते समय उसकी भारी भरकम गोलाकार गांड पेटिकोट में एकदम साफ ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर सुरज के लंड की अकड़ बढ़ती जा रही थी,,,। और वह धीरे-धीरे वापस ट्यूबवेल के पास पहुंच गई और हाथ आगे बढ़ाकर उसे लोटे में पानी भरने लगी और फिर पीकर अपनी प्यास बुझा लेने के बाद वह वापस लौटे को वहीं पास में रख दी,,,,।




Sunaina apni chuchiyo se khelti huyi

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सूरज की उत्तेजना का ठिकाना न था अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली जवानी का वह पहले से ही दीवाना था,,, लेकिन आज उसे पहली बार यह सौभाग्य मिल रहा था कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी लेकिन अभी भी सूरज के मन में इस बात को लेकर शंका थी कि उसकी मां पेटीकोट उतारती है या नहीं उतारती क्योंकि गांव में अक्सर वह इस तरह के नजारे को देख चुका था जब और तो के प्रति उसका कोई आकर्षण नहीं था औरतें अक्सर ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर ही नहाती थी उन्हें उतार कर वह कभी देखा नहीं था की नहाती हूं लेकिन उसे तरह के नजारे को वहां हमेशा कुएं पर या नल पर ही देखा था इसलिए वह समझ सकता था कि लोगों के बीच औरते अपने सारे वस्त्र नहीं उतारती,,,।

लेकिन सूरज को अपनी मां के बारे में अच्छी तरह से मालूम था क्योंकि वह नदी पर पहले ही अपनी मां को पूरी तरह से नंगी होकर नहाते हुए देख चुका था और इस समय भी यहां पर पूरी तरह से एकांत था गन्ने के फसल से घिरा हुआ या स्थान पूरी तरह से लोगों की आंखों से छुपा हुआ था और ऐसे में उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा सकती थी ऐसा सूरज अपने मन में सोच भी रहा था,,,,, और उसका यह सोचना एकदम सही साबित हुआ जब उसने देखा कि उसकी मां अपने दोनों हाथों को अपने पेटिकोट की डोरी पर रखकर उसे धीरे-धीरे खोल रही थी यह देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एक टक फसल के पीछे अपने आप को छुपाए हुए अपनी मां की मदद कर देने वाली जवानी को उजागर होता हुआ देख रहा था और जिस तरह से उसने देखा कि उसकी मां की हाथों की हरकत बढ़ने लगी वह समझ गया कि अब ज्यादा देर नहीं है उसकी मां को नंगी होने में,,,,।

गर्मी का महीना और दोपहर का समय होने के बावजूद सूरज के लिए यह मौसम बेहद सुहावना लगने लगा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसके सपनों की रानी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने जा रही थी,,,, वह भी अपने मन में सोच रहा था कि उसका मन कैसा है अपनी मां को लगभग बहुत बार नग्न अवस्था में देख चुका था नहाते हुए कपड़े बदलते हुए यहां तक की अपने पिताजी से चुदवाते हुए की देख चुका था लेकिन हर एक बार जब-जगह अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देखा था उसे नंगी देखा था तब तक उसे एक नया एहसास होता था नई उमंग उसके मन में जगती थी,,, और यही एहसास यही उम्र उसे धीरे-धीरे अपनी मां के प्रति पूरी तरह से आकर्षित करते चली जा रही थी,,,।

सुनैना निश्चिंत थी,,, वह खेतों में पानी देने के लिए आई थी फसल को देखने के लिए आई थी लेकिन गर्मी की वजह से उसका मन नहाने को हो गया था,,, यह जगह पूरी तरह से फसल से गिरी हुई थी यहां पर किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाना चाहती थी वैसे भी ट्यूबवेल के पानी में ना आए उसे बहुत दिन हो चुके थे और इसलिए वह आज जी भर कर नहाना चाहती थी,, और देखते ही देखते उसने पेटिकोट की डोरी को खींचकर पेटिकोट को अपनी कमर पर ढीली कर दी लेकिन अभी भी पेटिकोट उसके नितंबों के उभार की वजह से उसके कमर पर टिकी हुई थी जिसे वह अपने हाथों से ढीली करके उसे एकदम से अपनी कमर से ही छोड़ दी,, और उसकी पेटीकोट भी नाटक के मंच के किसी पर्दे की तरह भर भरा कर एकदम से उसके कदमों में जा गीरी,,और पलक झपकते ही सुनैना पूरी तरह से नंगी हो गई सूरज की आंखों के सामने उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में खड़ी थी ,,पेटिकोट के नीचे उतरते ही सूरज की आंखों के सामने उसकी सपनों की रानी नंगी हो चुकी थी जिसे देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था और इसीलिए वह फसल के पीछे छुपा हुआ था वह भूल गया था कि वह क्या करने के लिए यहां आया था क्या पूछने के लिए यहां आया था,,,,।

सुनैना की उभारदार गांड पूरी तरह से सूरज के मन को विचलित कर रही थी सूरज अपनी मां की नंगी गांड को देखा ही रह गया था उसके गांड की गहरी दरार में उसका मन डूब जाने को कर रहा था,, उसने अभी तक मुखिया की बीवी और मुखिया की लड़की के साथ-साथ पड़ोस के गांव की शर्मा जी की बहू की नंगी गांड का मजा ले चुका था लेकिन उसकी मां की तरह किसी की भी गांड खूबसूरत और आकर्षक नहीं थी,,, ऐसा नहीं था कि उन तीनों की गांड खूबसूरत नहीं थी लेकिन उसकी मां की गांड के मुकाबले मैं तो बिल्कुल भी नहीं थी इसीलिए तो पल भर में ही सूरज का लंड दर्द करने लगा था उसकी अकड़ इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके लंड की नशे फट न जाए,,,।

सुगंधा अपने दोनों हथेलियों को अपनी नंगी गांड पर रखकर हल्के हल्के अपनी गांड को सहला रही थी और चपत भी लगा रही थी जिस पल भर में ही उसकी गोरी गोरी का टमाटर की तरह लाल हो गई थी और यह देखकर सूरज का हौसला पस्त हुआ जा रहा था,, उसका मन बेकाबू हुआ जा रहा था और बार-बार उसके मन में आ रहा था कि जाकर उसकी मां के सामने खड़ा हो जाए और बोले कि मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगा,,, और उसे अपनी बाहों में कस ले और उसके साथ वही करें जो एक मर्द औरत के साथ करता है लेकिन यह सब सूरज के मां के ख्याली पुलाव थे जिसे मन में ही पकाया जा सकता था,,, इसे हकीकत में पकाने की क्षमता इस समय सूरज में नहीं थी,,,,।

सुनैना कुछ देर तक अपने आप से ही अपनी नंगी गांड से खेलती रही और फिर धीरे से आगे बढ़ गई,,, ट्यूबवेल की मोटी पाईप जहां से निकली हुई थी वहां के चारों और चार फीट की दीवार बनी हुई थी जो की एक टंकी का ही काम करती थी जिसमें पहले पानी भरता था और उसमें से फिर बाहर की तरफ निकल कर नालियों से होकर खेतों में जाता था सुनैना धीरे से अपनी टांग उठा कर उसे दीवार पर चढ़ने लगी जो कि उसके लिए कोई बड़ा काम नहीं है लेकिन उसकी टांग ऊपर करने की वजह से उसकी गांड का जो उभार था वह बेहद मादकता लिए हुए उभर कर सामने नजर आ गया था,,, पर यह नजारा सूरज के लिए मदहोश कर देने वाला था और वह पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते सुनैना अपना नंगा बदन चार फीट की टंकी में लेकर उतर गई,,, टंकी का पानी उसकी छतिया तक आ रहा था लेकिन पूरी तरह से इसकी चूचियां पानी में डूबी नहीं थी आधे से ज्यादा उसकी चूचियां नजर आती थी और सुनैना ठंडे पानी में नहाने का आनंद लेने लगी,,,।
Sunaina tanki me nahati huyi

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सूरज का मन कर रहा था कि वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर अपनी मां के साथ टंकी के पानी में नहाने का मजा ले लेकिन ऐसी किस्मत उसकी कहां थी सुनैना टंकी के पानी में छपाक छपाक करके नहा रही थी,,, सुनैना भी नदी के पानी में बहुत नही थी लेकिन टंकी में नहाने का मजा ही कुछ और था क्योंकि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसके ऊपर गिर रहा था उसकी छतिया पर गिर रहा था और उसकी भारी भरकम छाती पर पानी की धार जो की बेहद तेजी से गिर रही थी वह उसे उत्तेजित कर रही थी और वह पानी के अंदर ही अपनी चूचियों को जोर-जोर से दबा रही थी यह देखकर सूरज की हालत खराब होने लगी,,,,,,, उसका मन तड़पने लगा वह जानता था कि उसकी मां को इस समय एक मर्द की जरूरत है जो कि इस जरूरत को उसके पिताजी पूरी नहीं कर पा रहे हैं और ऐसे में यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी होगी,,, लेकिन इस जिम्मेदारी को वह कैसे उठाएं यही उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,।

अपनी मां की हालत को देखकर सूरज को अपनी मन करता रहा था अपनी मां की तड़प उससे देखी नहीं जा रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि घर में जवान लड़का होने के बावजूद भी उसकी मां को इस तरह से तड़पना पड़ रहा है यह उसके लिए बेशर्मी की बात है जबकि वह दूसरों की औरतों की प्यास बुझा रहा था और अपने घर में खुद की मां प्यासी तड़प रही थी,,,,, सूरज से यह सब देखा नहीं जा रहा था,,, अपनी मां की तड़प उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी मन तो कर रहा था इसी समय वह भी टंकी में कूद जाए और अपनी मां की टांग उठा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन वह भी विवश था क्योंकि वह जानता था कि टंकी में जो प्यासी औरत नहा रही है वह उसकी मां है ,,, भले ही वह इस समय एक मर्द के लिए तड़प रही है लेकिन वह कैसे अपने ही बेटे के साथ शरीर संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाएगी,,, अगर इस प्रस्ताव को सूरज खुद अपनी मां के सामने रखता है तो जरूरी तो नहीं कि उसकी मां उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी ऐसा भी हो सकता है कि वह उस पर क्रोधित हो जाए और सूरज अपनी मां की आंखों के सामने ही अपमानित हो जाए और ऐसा वह हरगीज नहीं चाहता था,,, और सूरज अपने मन में यह भी सोच रहा था कि ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसके प्रस्ताव को एकदम से स्वीकार कर ले और अपनी प्यास बुझा ले,,,, यही सोच कर सूरज मजबूर था विवस था,,, नहीं तो अपनी मां को वह कभी प्यासी नहीं रहने देता,,,,।
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जो भी हो इस समय सूरज को बहुत मजा आ रहा था भले ही वह अपनी मां की प्यास नहीं पूजा का रहा था लेकिन अपनी मां के नंगे बदन को देख कर उसकी हरकत को देखकर उसकी प्यास बढ़ रही थी वह धीरे से अपने लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल लिया था और उसे जोर-जोर से मसलते हुए मुठिया रहा था,,, सुनैना एक तरफ नहाने का आनंद ले रही थी और दूसरी तरफ अपने बदन की प्यास बुझाने में लगी हुई थी,,, देखते ही देखते सुनैना 4 फीट की दिवारी पर चढ़ने की कोशिश करने लगी वह उसकी दीवार पर बैठना चाहती थी उसके मन में क्या चल रहा है सूरज को नहीं मालूम था लेकिन जैसे तैसे करके वह दीवार के ऊपर अपनी गांड रखकर बैठ गई थी और अपनी दोनों टांगों को खोल दी थी उसकी यह हरकत सूरज के लिए सोने पर सुहागा साबित हो रही थी ,,जिसे देखने के लिए वह तड़प रहा था वह नजारा उसकी मां अपने आप ही उसे दिखा रही थी,,,।

जिस तरह से उसकी मां दोनों टांगें चौड़ी करके दीवार पर बैठी हुई थी उसकी गुलाबी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी और उस बुर को देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां का गुलाबी छेद था क्योंकि पूरी तरह से पानी से लबालब थी और देखते ही देखते सुनैना अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर-जोर से मसलने लगी,,, सुनैना की हरकत सूरज पर बिजलियां गिरा रही थी सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज पागल हुआ जा रहा था,,, क्योंकि देखते ही देखते सूरज की मां अपनी दो उंगलियों को एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर कर रही थी,,,,।

सूरज से इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां अंदर ही अंदर प्यासी है मर्द के लिए तड़प रही है लेकिन यह नहीं जानता था कि उसकी मां इतनी अत्यधिक प्यासी है,,,, सुनैना की आंखें बंद थी वह मदहोश हुए जा रही थी वह इस बात से निश्चित तिथि किस जगह पर कोई नहीं आने वाला है लेकिन वह नहीं जानती थी कि पहले से ही उसका बेटा यहां पर आ चुका है और उसकी नंगी जवानी को देखकर खुद अपना लंड हिला रहा है,,, सूरज की सांस ऊपर नीचे हो रही थी एक तरफ उसकी मां थी जो अपनी मस्त-मस्त जवानी को अपने बेटे की आंखों के सामने ही बिखेरे पड़ी थी,,, और दूसरी तरफ सूरज था जो अपनी आंखों से अपनी मां की मदमस्त जवानी को समेटने की कोशिश कर रहा था,,,।

अगले ही पल सूरज एकदम हैरान हो क्या क्योंकि इसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,,आहहहहहह ,,,,ऊहहहहहहहह ,,,ऊमममममममम,,,,आहहहहहहहह,,,दऐया,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,,,।

अपनी मां के मुंह से इस तरह की आवाज़ सूरज के तन बदन में आग लग रही थी और जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था उसकी मां की दोनों टांगें उसकी आंखों के सामने खुली हुई थी और उसकी मां के गुलाबी छेद में उसकी मां की दो उंगली अंदर बाहर हो रही थी जो कि उसकी प्यास को बुझाने की कोशिश कर रही थी और सूरज जानता था कि एक मर्द के मोटे तगड़े लंड के बिना औरत की प्यास उसकी नाजुक उंगलियों से कभी नहीं बुझने वाली,,,, सूरज पसीने से तरबतर हो चुका था,,, सुनैना की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बढ़ने लगी थी यहां पर वह खुलकर शिसकारी ले रही थी क्योंकि वह जानती थी कि यहां पर उसकी गरमा गरम सिसकारी को सुनने वाला कोई नहीं था,,, लेकिन वह बात से हम जानते कि उसकी प्यासी जवानी को उसका बेटा अपनी आंखों से देख रहा है,,,,।

और तभी एकदम से सुनैना का बदन अकड़ खाया और वह तुरंत अपनी बुर में से दोनों मिलियन को बाहर निकलना और गरमा गरम जवानी से भरा हुआ लावा उसकी बुर से छलछला कर बाहर निकलने लगा,,, और साथ में उसकी पेशाब भी छूट गई,,, पेशाब की धार काफी दूर तक गिर रही थी और अगले ही पल सूरज के लंड से भी गरम लावा फूटने लगा,, वह भी अपनी मां के साथ झड़ने लगा था लेकिन झड़ते हुए भी इस बात का मलाल था कि वह अपनी मां की बुर में नहीं झढ पाया,,,,।

थोड़ी ही देर में वासना का तूफान शांत हो चुका था और अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए सुनैना फिर से टंकी में उतर चुकी थी और नहाने लगी थी टंकी के अंदर ही वह अपनी बुर को पानी से साफ कर रही थी,,, सूरज समझ गया था कि आप यहां पर उसका रुकना ठीक नहीं है और वह धीरे से पीछे कम लेते हुए वापस लौट गया और थोड़ी ही देर में नहाने के बाद अपने कपड़े पहनकर सुनैना भी अपने घर लौट गई,,,,,,,.

Wah rohnny4545 Bhai,

Kya mast update post ki he...............uttejna aur kamukta se bharpur

Keep posting Bhai
 
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