दोनों भाई बहन एक बड़ा सा थैला और उसमें रोटी सब्जी और आचार लेकर निकल चुके थे आंवला तोड़ने के लिए,,, वैसे तो यह काम सूरज अकेले भी कर सकता था लेकिन वह जानबूझकर अपनी बहन रानी को अपने साथ लेकर आया था क्योंकि जब से उसने अपनी बहन को पेशाब करते हुए उसका सीमित आकार का पिछवाड़ा देखा था तब से वह अपनी बहन के प्रति आकर्षित हो गया था,,, बार-बार जब भी अपनी बहन की तरफ देखा था तब तब उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड ही नजर आती थी,,,, और जिस तरह से उसने मुखिया की बेटी के साथ चुदाई का सुख प्राप्त किया था इस तरह का सुख हुआ अपनी बहन के साथ प्राप्त करना चाहता था क्योंकि जिस तरह से वह मुखिया की बेटी को चुदाई के लिए तैयार कर लिया था और वह भी बड़े आराम से मान गई थी और इसीलिए उसे पूरा विश्वास था कि उसकी बहन भी मान जाएगी,,,।
Mukhiya ki bibi
और सब के पीछे उसकी सोच इसलिए ऐसी थी कि उसे औरतों की संगत में इतना तो पता चल गया था कि मर्दों की तरह औरतों को भी चुदाई की भूख होती है बस उस भूख को जगाने वाला चाहिए,,, और इसीलिए उसका विश्वास एकदम पक्का था कि वह भी अपनी बहन के अंदर चुदाई की भूख को जगा लेना और अगर ऐसा हो गया तो दिन-रात मजे ही मजे होंगे इस बात को सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,।
रानी बहुत खुशी ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी ऐसा वह पहले भी बहुत बार अपने भाई के साथ खेतों में तो आम के बगीचों में आम तोड़ने के लिए बेर तोड़ने के लिए और आंवला तोड़ने के लिए जा चुकी थी,,, लेकिन हर बार उसे एक नई खुशी मिलती थी घर के बाहर घूमने का और इसीलिए वह अपने भाई के साथ आज पहाड़ी के दूसरी तरफ जा रही थी उसे तरफ वह कभी गई नहीं थी उस जगह को देखने की इच्छा उसकी ज्यादा प्रबलित हो चुकी थी जब उसके भाई ने ये भी बताया कि वहां झरना भी है नहाने में मजा आता है,,, वह झरना देखना चाहती थी उसके ठंडे पानी में नहाना चाहती थी,,,,, दोनों बातचीत करते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,,, सूरज अपनी बहन से दूसरी तरह की बातें करना चाहता था लेकिन कर नहीं पा रहा था वह बातों के जरिए अपनी बहन के मन में उसके तन बदन में चुदास की लहर जगाना चाहता था,,, लेकिन दूसरी तरह की बात करने में उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह बात कैसे करें और सही बात का डर भी ताकि कहीं उसकी बहन नाराज हो गई तो गजब हो जाएगा,,,,। इसीलिए वह इधर-उधर की बात करते हुए बोला,,,।
Ghodi bank chudwati huyi mukhiya ki bibi
देखना रानी आज तो बहुत आंवला मिलेंगे,,, तुझे पता है वहां पर बहुत बड़ी-बड़ी वाला होते हैं एकदम संतरे के आकार के,,,(ऐसा वह अपनी बहन की चुचीयो की तरफ देखते हुए बिना छोटी कुर्ती में से बाहर तनी हुई नजर आ रही थी और इस बात का एहसास रानी को भी हुआ तो वहां शर्मा गई लेकिन वह सोची शायद अनजाने में ही उसके भाई की नजर उसकी छाती पर चली गई है इसलिए वह इस बात को नजर अंदाज करते हुएबोली,,,)
क्या बात कर रहे हो भैया क्या सच में इतने बड़े-बड़े आंवला होते हैं,,,।
अरे तो क्या तूने अभी देखी ही क्या है देखेगी तो दंग हो जाएगी,,,।
तब तो सच में मैं देखने के लिए उत्साहित हूं,,, खाने में बहुत मजा आता होगा नमक लगाकर,,,।
अरे चाहे जैसे खाओ नमक मिर्च लगाकर खाओ बहुत स्वादिष्ट होते हैं वहां के अांवले,,,,।
(बातचीत करते हुए दोनों गांव के बाहर निकल चुके थे मौसम भी बहुत सुहाना सुबह का समय था इसलिए ज्यादा धूप नहीं थी और दोनों में थकान भी नहीं थी चारों तरफ खेत ही खेत लहलहा रहे थे,,, कुछ दूरी तक तो गांव के इक्का दुक्कालोग दिखाई भी दे रहे थे लेकिन थोड़ी ही देर बाद कच्ची सड़क पर इंसान का नाम और निशान तक नहीं था क्योंकि इस और कोई आता ही नहीं था,,,, चारों तरफ सिर्फ सुनसान सड़क थी कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ टूटी हुई,, जिस पर चलते हुए रानी की चाल बदल जा रही थी ऊपर नीचे पर रख कर चलने में उसके नितंबों में एक अजीब सी लचक हो रही थी उसकी गांड के दोनों भाग सलवार में आपस में रगड़ खाकर एक अद्भुत आकर बना रहे थे जिसे देखने में सूरज की हालत खराब हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सलवार में बड़े-बड़े खरबूजे डाल दिए गए हैं और वह दोनों आपस में रगड़ खा रहे हो,,,, अब तक के अनुभव से इस नजारे को देखकर सूरज के मन में यही हो रहा था की आंखें बढ़कर अपनी बहन की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर मसल डालें फिर जो होगा देखा जाएगा,,,,।
लेकिन इस तरह का ख्याल मन में आते ही वह अपने मन में से इस तरह के ख्याल को तुरंत निकाल देता था क्योंकि वह किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहता था वह धीरे-धीरे अपनी बहन को लाइन पर लाना चाहता था जिस तरह से उसने मुखिया की बेटी को चुदवाने के लिए तैयार किया था उसी तरह से वह अपनी बहन को भी तैयार करना चाहता था कोई जोर जबरदस्ती से नहीं,,,, दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था कोई सड़क एकदम सुनसान थी यह देखकर रानी को थोड़ी घबराहट होती थी और वह भी जंगली जानवरों से इसलिए वह बोली,,,।
भैया दूर-दूर तक कोई नहीं है ऐसे में अगर कोई जंगली जानवर आ गया तो गजब हो जाएगा,,,।
तू खामखा डर रही है रानी मैं हूं ना कोई भी जंगली जानवर आ जाए मेरे से बचकर जा नहीं सकता तो चिंता मत कर मैं यहां पहली बार नहीं आ रहा हूं बहुत बार आ चुका हूं वैसे तो यहां कोई जंगली जानवर नहीं है लेकिन सियार का डर रहता है लेकिन फिर भी उनसे निपटना में अच्छी तरह से जानता हूं,,,, इसलिए तो देखा रास्ते में मोटा सा डंडा ले लिया हूं,,,(अपने हाथ में लिया हुआ डंडा दिखाते हुए सूरज बोला)
तुम्हारे साथ मुझे डर नहीं लगता भैया लेकिन थोड़ी बहुत तो घबराहट होती है ना यहां तो कोई भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,।
कैसे कोई दिखाई देगा ईस ओर कोई आता ही नहीं है,,,, इसीलिए तो यहां के आ्ंवले सुरक्षित है वरना सबको पता चल जाता तो कुछ मिलता ही नहीं और वैसे भी डर के मारे यहां कोई आता ही नहीं है जंगली जानवरों का डर सब में है,,,।
तो तुम क्यों चले आते हो,,,,?(अपने भाई की तरफ देखते हुए रानी बोली)
बस चलता हूं जहां बहुत अच्छा लगता है मुझे और वैसे भी बहुत बार आ चुका हूं लेकिन अकेले तो कुछ ही बार आया हूं बाकी अपने दोस्त लोग के साथ आया हूं,,,,,।
तुम इतनी बाहर आ जाओ भैया लेकिन कभी घर के लिए तो कुछ लेकर आए नहीं,,,।
अरे कौन सा सोना चांदी लेकर यहां से जाता हूं जो घर के लिए लेकर जाऊं,,,, खाया पिया पचाया बस हो गया,,,।
(आगे से ज्यादा का सफर दोनों ने तय कर चुका था अब धूप बढ़ने लगी थी और जंगल जैसा माहौल भी होने लगा था अभी तक तो कच्ची सड़क दिखाई देती थी लेकिन अब घास ही घास दिखाई देती थी,,, ऐसे में रानी का घबराना वाजिब था वह मन ही मन डर भी रही थी क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,,, और अपने मन की बात हो अपने भाई से बोल भी नहीं सकती थी कि उसे डर लग रहा है क्योंकि यहां आने का फैसला भी उसका ही था वह चाहती तो इंकार कर सकती थी लेकिन वह भी इस नई जगह को देखना चाहती थी और अगर अब वह अपने भाई से खागा की उसे डर लग रहा है तो हंसी का पात्र बन जाएगी और ऐसा वह नहीं चाहती थी,,,,।
सूरज जंगली झाड़ियां के बीच से होता हुआ अपनी बहन के लिए रास्ता बना रहा था वह यहां का रास्ता अच्छी तरह से जानता था,,, इसलिए उसे बिल्कुल भी ना तो फिकर थी ना ही डर था,,,, उसके मन में तो केवल एक ही बात चल रही थी कि वह कैसे अपनी बहन को नीलू की तरह लाइन पर ले आए और इसी गुत्थी को सुलझाने में वह लगा हुआ था,,,,, जंगली झाड़ियां के बीच से होता हुआ वह आगे आगे बढ़ रहा था और उसकी बहन पीछे पीछे उसके कदम से कदम मिलते हुए चल रही थी और चारों तरफ नजर घूमाते हुए भी चल रही थी यह जगह भले ही थोड़ी डरावनी जैसी थी लेकिन यहां पर फल फूल की कोई कमी नहीं थी,,, चारों तरफ फल ही फल के पेड़ लगे हुए थे और उन्हें तोड़ने वाला खाने वाला कोई नहीं था कहीं चीकू से तो कहीं अमरूद तो कहीं बैर लगे हुए थे,,, ऐसे ही एक जगह पर बड़े-बड़े चीकू देखकर रानी रुक गई और बोली,,,।
भैया यह देखो कितने बड़े-बड़े चीकू है,,,।
(इतना सुनते ही आगे चल रहा है सूरज एकदम से रुक गया और पीछे मुड़कर अपनी बहन की तरफ देखने लगा और पेड़ पर उगे हुए बड़े-बड़े चीकू की तरफ देखने लगा और बोला,,,)
खाना है,,,?
हां तो क्या कब से पैदल चल रही हूं थकान लगने लगी है,,,,।
रुक जा तोड़ कर देता हूं,,,,(इतना कहते हुए सूरज चीकू की पेड़ की तरफ आ गया और हाथ ऊपर करके चीकू तोड़ने लगा वैसे तो ज्यादातर पेड़ चीकू के पैसे होते हैं कि उनके फल नीचे नीचे ही लगे होते हैं लेकिन यहां पर थोड़ी ऊंचाई पर पेड़ था इसलिए रानी का हाथ वहां तक पहुंच नहीं पा रहा था इसलिए उसे ही तोड़ने के लिए बुलाई थी वरना वह खुद ही तोड़कर खा लेती,, फिर भी चीकू तोड़ते हुए सूरज अपने मन में सोच रहा था कि इससे भी अच्छे-अच्छे चीकू तो तेरे पास है,,, तू यह वाला चीकू लेले और अपने चीकू मुझे दे दे,,,, मन में इस तरह की बात अपने आप से ही बोलते हुए सूरज उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि काश इस चीकू के बदले में उसे अपनी बहन की चिकु मिल जाते तो कितना मजा आता,,, और वह अपने मन में अपनी बहन के चीकू पानी का रास्ता ढूंढ रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,।
तीन चार चीकू तोड़कर वह अपनी बहन को थमा दिया और एक चीकू लेकर खुद खाने लगा और आगे बढ़ गया उसकी बहन भी एक चीकू हाथ में ले ली और बाकी के चीकु को अपनी कुर्ती पकड़ कर उसे कुर्ती में रख ले और एक हाथ से कुर्ती पकड़े हुए वह आगे बढ़ती चली जा रही थी और चीकू का स्वाद लेते हुए आनंदित हो रही थी,,,,, थोड़ी देर चलने के बाद जंगली झाड़ी कम होने लगी और फिर से कच्ची सड़क नजर आने लगी तब जाकर रानी को राहत महसूस होने लगी लेकिन वह थक चुकी थी और एक बड़े से पत्थर से अपनी पीठ टिकाकर गहरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,,।
बस भैया रुक जा मैं तो थक गई अगर मुझे मालूम होता कि इतना दूर जाना है तो मैं कभी नहीं आती,,,,।
(सूरज भी अपनी बहन की बात सुनकर रुक गया था और वह भी दूसरे बड़े से पत्थर का सहारा लेकर खड़ा हो गया तो अपनी बहन की तरफ देख रहा था वह जिस तरह से कुर्ती को हाथ में लेकर थोड़ी उठा कर उसमें चीकू रखी हुई थी उसकी गहरी नाभि नजर आ रही थी और उसकी कमर के निचले त्रिकोण हिस्से की लकीर नजर आ रही थी जिसे देखते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अपनी बहन की गहरी नाभि को प्यासी नजर से देखने लगा वाकई में उसकी बहन की नाभि कुछ ज्यादा ही गहरी थी और अपनी बहन की गहरी गड्ढे दार नाभि को देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा कि इसकी सुना भी भी एकदम बुर की तरह है जब इसकी नाभि इतनी खूबसूरत है तो इसकी बुर कितनी खूबसूरत होगी काश इसकी बुर देखने का मौका मिल जाता तो मजा आ जाता,,, रानी अपनी बात पूरी करते हुए अपने भाई की नजर को देखकर एकदम से झेंप गई थी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि उसका भाई उसके खुले हुए कुर्ते से झांक रहे उसके नंगे बदन की तरफ देख रहे हैं और जब उसे एहसास हुआ कि उसका भाई और कुछ नहीं उसकी गहरी नाभि को देख रहा है तो एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और वह धीरे से इधर-उधर करके अपनी कुर्ती को नीचे करने लगी,,,, सूरज भी समझ गया कि उसकी बहन उसकी नजर को पहचान गई है इसलिए वह भी अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए बोला,,,)
कहा तो था पहाड़ी के दूसरी तरफ जाना है,,,,और वैसे भी बस थोड़ी दूर रह गया है,,,, ज्यादा दूर नहीं है बस वहां पहुंचते ही आंवला तोड़कर उसे थेले में रख लेंगे,,,,,(वह एकदम सहज होते हुए बात करने लगा तो रानी को अपनी सोच पर ही गुस्सा आने लगा वह अपने मन में सोची कि उसका भाई लगता है उसकी कुर्ती में रखे हुए चीकू की तरफ देख रहा था और वह कुछ और ही समझ रही थी,,,, अपने भाई की बात सुनकर वह बोली,,,)
कोई बात नहीं,,,,(और इतना कहते हुए चीकू निकाल कर खाने लगी वहीं पर खड़े-खड़े वह सारे चीकू को खत्म कर दी तब सूरज बोली,,,)
अब चलें नहीं तो देर हो जाएगी,,,,।
हां हां चलो,,,,।
(और फिर दोनों आगे बढ़ गए यहां का रास्ता कुछ ज्यादा कठिन नहीं था ऊंची नीची पगडंडी से होते हुए दोनों आगे बढ़ते चले जा रहे थे लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस रह रह कर झींगुर और पंछियों की आवाज आ रही थी,,,,,, दोनों इधर-उधर की बातें करते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे सूरज अभी तक अपने मन की बात को किसी भी बहाने की शक्ल देकर उसे अपनी जुबान पर नहीं लाया था अगर रानी की जगह कोई और लड़की होती तो अब तक वह अपने मन की बात बता दिया होता और हो सकता था की दूसरी लड़की उसकी बात मान भी जाती लेकिन यहां पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी बहन थी और उसे इस बात का डर था कि कहीं अगर उसकी बहन बुरा मान गई और घर पर मां को बता दी तो गजब हो जाएगा इसलिए उसके मन में डर बना हुआ था,,,,।
थोड़ी दूर दोनों बातें करते हुए आगे बड़े ही थे कि सूरज को लगने लगा कि उसके पीछे रानी नहीं है और वह तुरंत पलट कर देखा तो वाकई में उसके पीछे रानी नहीं थी वही तो उधर देखने लगा एकदम से परेशान हो गया चारों तरफ नजर घुमा कर देखा तो उसे कहीं भी रानी नजर नहीं आ रही थी वह एकदम से घबरा गया और पल भर में ही उसके माथे से पसीना टपकने लगा क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर तो नहीं उठा ले गया वैसे तो उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और किसी जानवर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह एक पल में ही उसकी बहन को उड़ा कर लेकर चला जाए क्योंकि अगर कोई जानवर होता भी तो उसकी बहन कुछ तो आवाज करती चिल्लाती,,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इसलिए तो सूरज एकदम से घबरा गया था कि आखिरकार पल भर में क्या हुआ उसकी बहन कहां गायब हो गई वह इधर-उधर ढूंढने लगा लेकिन कहीं भी उसका पता नहीं चल रहा था।
सूरज रानी रानी पुकारता हुआ पीछे की तरफ आ रहा था चारों तरफ जंगली झाड़ियां उसे समझ में नहीं आ रहा कि अपनी बहन को कहां ढूंढे तभी वही बड़े से पत्थर के पास पहुंच गया और उसे पत्थर के पीछे से कुछ सुरसुराहट की आवाज आ रही थी,,, उसका दील जोरों से धड़क रहा था,,उसे समझ में नहीं आ रहा था वह धड़कते दिल के साथ बड़े से पत्थर के पीछे देखने के लिए उसे तरफ अपनी नजर घुमा रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन पर हमला तो नहीं बोल दिया है यही डर उसके मन को और भी ज्यादा डरा दिया था वह धीरे-धीरे पत्थर के पीछे देखने की कोशिश करने लगा और जैसे ही पत्थर के पीछे उसकी नजर गई तो पीछे का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया,,,,।
वह जिस तरह का नजारा अपनी आंखों के सामने पत्थर के पीछे देखा उसके पसीने छूटने लगे उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने थी पल भर में ही उसका डर एकदम से उत्तेजना में बदल गया और उसके पजामे में उसका लंड तंबू बना लिया,,,,,।