सूरज अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में अपनी बहन रानी को झरने के पानी में कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाने के लिए मना लिया था और मन ही मन खुश हो रहा था,,,, रानी भी झरने के पानी में नहाने का सुख प्राप्त करना चाहती थी इस अनुभव को महसूस करना चाहती थी इसलिए उसके पास भी कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाने के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं था और वैसे भी जब-जब उसका भाई उसके लिए नंगी शब्द का प्रयोग करता था तब तक न जाने उसके बदन में किस तरह की हलचल महसूस होने लगती थी जिसे महसूस करके वह खुद मदहोश होने लग जा रही थी जिंदगी में पहली बार वह अपने भाई के साथ जंगल में झरने के पानी में नहाने के लिए आई थी और यहां पर बिना नहाए चली जाए ऐसा वह नहीं चाहती थी इस अनुभव सेवा गुजारना चाहती थी भले इसके लिए उसे अपने कपड़े उतार कर नंगी क्यों ना होना पड़े,,,।
रानी अपने आप को तैयार कर चुकी थी और पड़े से पत्थर के पीछे जाकर अपने सारे कपड़े उतार चुकी थी वही समय एकदम नग्न अवस्था में थी लेकिन बड़े से पत्थर के पीछे थी उसका भाई झरने के पानी से बने तालाब में छाती तक पानी में बिना कपड़ों के डूबा हुआ था नहाने का सुख भोग रहा था वह बार-बार अपनी बहन की तरफ देख रहा था जो की पत्थर के पीछे अपने आप को छुपाई हुई थी, रानी का दिल जोरो से धड़क रहा था और उसके भाई सूरज का भी दिन बड़े जोरों से धड़क रहा था दोनों की हालत खराब थी और वैसे भी इस जंगल के विराने में उन दोनों के।
सिवा यहां कोई नहीं था और किसी तीसरे के न होने की वजह से रानी भी अपने भाई की बात मान ली थी लेकिन अभी भी उसके मन में शर्म की चादर पड़ी हुई थी इसलिए वह अपने भाई से बोली,,,।
मुझे अभी भी शर्म आ रही है,,,।
शर्माने की कोई जरूरत नहीं है हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है,,, तो बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तालाब में कूद जा,,,।
मैं कुद तो जाऊं लेकिन पहले दूसरी तरफ घूम जाओ मुझे शर्म आती है,,,।
कोई बात नहीं मैं दूसरी तरफ नजर घुमा लेता हूं तो पानी में उतर जा,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी वह पागल हुआ जा रहा था उसे अपने विजयी होने पर गर्व जो महसूस हो रहा था क्योंकि उसने अपनी बहन को पानी में बिना कपड़ों के उतरने के लिए मना जो लिया था,,,, गहरी सांस लेते हुए सूरज छाती भर पानी में दूसरी तरफ नजर घुमा लिया था लेकिन उसकी दोनों टांगों के बीच की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी पहली बार अपनी बहन के साथ इस तरह की हरकत कर रहा था उसे उकसा रहा था लेकिन ऐसा करने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,। इस समय वासना की परत उसकी आंखों पर चढ़ चुकी थी जिसकी वजह से उसे कुछ भी सुझ नहीं रहा था इसीलिए भाई बहन के पवित्र रिश्ते की मर्यादा को वह है इस समय बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहा था उसे अपनी बहन रानी में भी मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की और सोनू की चाची नजर आ रही थी,,,,।
सूरज दूसरी तरफ नजर करके खड़ा था और अपनी बहन का पानी में उतारने का इंतजार कर रहा था बड़े से पत्थर के पीछे छुपकर लग्न अवस्था में खड़ी रानी अपने भाई की तरफ देख रही थी और जैसे ही उसने अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमाया वह बड़े से पत्थर से बाहर निकल कर धीरे-धीरे पानी में उतरने लगी वह पूरी तरह से नंगी थी पूरी तरह से नंगी होकर वह पहली बार किसी तालाब के पानी में उतर रही थी झरना अपनी गति से नीचे गिर रहा था और उसकी बौछारें हवा के साथ उसके बदन को ठंडक प्रदान कर रही थी जिससे उसके बदन में अजीब सी हलचल मच जा रही थी,,, रानी धीरे-धीरे तालाब के पानी में उतर रही थी और देखते ही देखते वह कमर तक तालाब के पानी में अपने आप को उतार चुकी थी जिस अंग को वह अपने भाई की नजरों से छुपाना चाहती थी वह अंग तो पानी के नीचे छप चुका था उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार और उसके नितंबों का घेराव के भाई की नजर से बच चुका था वह तालाब के पानी में अपने देश कीमती खजाने को अपने भाई की नजर से छुपा चुकी थी और पानी में चलने की हलचल को सूरज भी अच्छी तरह से महसूस कर रहा था वह जान रहा था कि उसकी बहन पानी में उतर रही है उसे रहा नहीं जा रहा था वह अपनी बहन को नग्नवस्था में देखना चाहता था उसके नंगे बदन को देखना चाहता था,,,,।
सूरज की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वाकई में अगर किसी जवान लड़के के आंखों के सामने कोई जवान से भरी हुई लड़की अपने सारे वस्त्र उतार कर इस तरह से पानी में उतरे तो वाकई में उसे लड़के की क्या हालत होगी यह सूरज से बेहतर इस समय कोई नहीं जान सकता था सूरज अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था वह जल्द से जल्द अपनी बहन के नंगे बदन को देखना चाहता था उसकी नंगी जवान को देखना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों को देखना चाहता था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी नंगी लड़की को देखने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था इससे पहले भी वह नंगी औरत और नंगी लड़कियों को देख चुका था मुखिया की बीवी के साथ संभोग सुख प्राप्त भी कर चुका था और मुखिया की लड़की के साथ भी वह संभोग की असीम सुख को भोग चुका था लेकिन फिर भी एक खूबसूरत लड़की को नग्न अवस्था में देखने की उसकी चाहत बिल्कुल भी काम नहीं हो रही थी इसीलिए वह तुरंत अपनी नजरों को घुमा दिया और अपनी बहन को जो की तालाब के पानी में उतर चुकी थी और कमर के नीचे का भाग उसकी पूरी तरह से पानी में डूब चुका था ऐसे हालात में सूरज की नजर सीधे अपनी बहन के दोनों संतरों पर चली गई जो की बेहद खूबसूरत जाकर लिए हुए ऐसा लग रहा था कि उसे आमंत्रण दे रहे हो और जैसे ही सूरज अपनी बहन की तरफ देखा रानी की तो हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि उसकी नंगी चूचियां अभी भी पानी से बाहर थी इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढकने का प्रयास करने लगे और तुरंत दूसरी तरफ नजर घुमाने लगी तो मौके की नजाकत को समझते हुए सूरज बोला,,,।
अरे अरे अभी तक नहीं उतर पाई थी मुझे तो लगा पूरी तरह से पानी में उतर चुकी है,,,, चल कोई बात नहीं शर्माने की जरूरत नहीं है नहाने का मजा ले मेरे और तेरे सिवा कोई है भी नहीं इसलिए बेफिक्र होकर नहा,,,।
(अपने भाई कि ईस तरह की बातें सुनकर रानी को शर्म तो आ रही थी लेकिन अपने भाई की बातों से उसे हिम्मत भी मिल रही थी,,,, और उसे एक अजीब तरह की हलचल भी महसूस हो रही थी खास करके अपनी दोनों टांगों के बीच अभी भी वह अपने दोनों चूचियों पर हाथ रखकर दूसरी तरफ मुंह घूमाकर पानी में खड़ी थी इसलिए सूरज बोला,,,)
ठीक है थोड़ा सा और अंदर आज ताकि तेरी चूचियां पानी में डूब जाए,,,(सूरज जानबूझकर अपनी बहन के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा था चुचीया शब्द कहते ही जिस तरह की हलचल सूरज अपने बदन में महसूस किया था उसी तरह की हलचल रानी अपने तन बदन में महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई इस तरह के शब्दों का प्रयोग उसके सामने क्यों कर रहा है जो कि यह सब पहली बार हो रहा था लेकिन अपने भाई के मुंह से चुची शब्द सुनकर उसकी भी हालत खराब हो रही थी,,,। और अपने भाई की बात मानते हुए रानी धीरे-धीरे तालाब के पानी में नीचे उतरने लगी,,, और देखते देखते उसके दोनों संतरे पानी में डूब गए,,,, उसके दोनों संतरों को डूबने के बाद सूरज मुस्कुराते हुए बोला,,,)
बता अब कैसा लग रहा है तुझे अच्छा लग रहा है ना,,,,।
अच्छा लग रहा है भैया,,,(शरमाते हुए रानी बोली)
अरे शर्मा क्यों रही है शर्माने की जरूरत नहीं है पहली बार झरने के पानी में नहा रही है देख कितना अच्छा लग रहा है और यहां पर कोई है भी नहीं इसलिए और ज्यादा मजा आ रहा है,,,, तू ही बता अगर यहां कोई और होता तो तू अपने कपड़े उतार कर नंगी होती,,,(सूरज जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके अपनी बहन को उलझाने की कोशिश कर रहा था उसकी बहन को भी मजा आ रहा था इसलिए वह बोली)
बिल्कुलभी नहीं,,,।
वही तो तभी तो तुझे यहां लेकर आया हूं,,,, जी भरकर नहा ले यहां नहाने से पूरे बदन में ताजगी आ जाती है,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने कदमों को धीरे-धीरे अपनी बहन की तरफ आगे बढ़ने लगा यह देखकर रानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई उसकी तरफ क्यों आ रहा है और सूरज मुस्कुराते हुए दोनों हाथों से पानी के छींटें अपनी बहन के बदन पर मारने लगा,,, उसकी बहन पानी के छींटों से बचने की कोशिश कर रही थी, ऐसा करते हो अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर अपने चेहरे को छुपा रही थी लेकिन उसका ऐसे करने पर तालाब के पानी में उसका बदन गोते खा रहा था जिसकी वजह से उसकी दोनों चुचीया पानी के ऊपरी सत तक ऊपर उड़ जा रही थी जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था,,, सूरज जानबूझकर लगातार इस तरह की हरकत कर रहा था और देखते-देखते अपनी बहन के पास पहुंच चुका था,,,, क्योंकि उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,।
चारों तरफ एकदम सन्नाटा छाया हुआ था बस इस सन्नाटे को झरने का पानी का शोर चीर रहा था और साथ ही भाई बहन दोनों की अठखेलियों की आवाज पूरे वातावरण में गूंज रही थी,,,,।
रहने दो भाई,,,, मैं गिर जाऊंगी,,,।
अरे तू चिंता मत कर मैं तुझे गिरने नहीं दूंगा,,,(ऐसा कहते हुए लगातार अपनी हथेली में पानी ले लेकर अपनी बहन के चेहरे पर मार रहा था और वह उससे बचने की कोशिश कर रही थी देखते-देखते सूरज अपनी बहन के बेहद करीब पहुंच चुका था तालाब के पानी में अपनी बहन की नंगी जवान को करीब पाकर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था झरने के पानी का ठंडक भी लंड की गर्मी को बिल्कुल भी काबू में नहीं कर पा रहा था,,,, तभी अपने भाई के द्वारा पानी का खेल खेलने की वजह से अपने आप को बचाने की कोशिश करने के बावजूद भी रानी का पर हल्का सा फैसला और वह जैसे ही गिरने को हुई सूरज तुरंत अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर अपनी बहन के बदन को थाम लिया जिसका वह बड़ी बेसब्री से इंतजार भी कर रहा था रानी अपने आप को गिरने से बचाती इससे पहले ही वह अपने भाई की बाहों में आ चुकी थी लेकिन वह कुछ समझ पाती ईससे पहले ही उसे संभालने की कोशिश का बहाना करते हुए सूरज उसे अपने बदन से एकदम से सटा लिया था,,, और ऐसा करने की वजह से उसका खड़ा लंड एकदम सीधे उसकी बहन की दोनों टांगों के बीच उसके गुलाबी छेद पर दस्तक देने लगा उस पर रगड़ खाने लगा पानी की गहराई में पहले तो रानी कुछ समझ नहीं पाई,,,,।
क्योंकि वह तो गिरने से बचना चाहती थी जो कि उसके भाई ने उसे संभाल भी लिया था वह कुछ समझ पाती से पहले ही सूरज अपना काम कर चुका था और साथ ही उसका लंड भी अपने योग्य स्थान पर एकदम से जाकर रगड़ खाने लगा था ऐसा लग रहा था कि सूरज के साथ-साथ उसका लंड भी इसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा हो,,,, गिरने से बचने की वजह से डर के मारे रानी की सांस ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह एक पल के लिए तालाब के पानी में अपने पूरे बदन को डूबा भी दी थी उसका कर भी पानी में डूब चुका था इसलिए पानी थोड़ा सा उसके नाक में चला गया था जिससे वह गहरी गहरी सांस लेकर अपने आप को व्यवस्थित कर रही थी लेकिन जैसे ही वह अपने आप को आरामदायक स्थिति में महसूस की वैसे ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ राहत हुआ महसूस हुआ रगड़ खाता हुआ महसूस हुआ,,,, पल भर में उसकी सांसे और भी गहरी चलने लगी पल भर के लिए तो उसे ऐसा लगा कि शायद जैसे कोई जानवर उसकी दोनों टांगों के बीच रेंग रहा हो,,, जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बावजूद भी वह समझ नहीं पा रहे थे किसके दोनों टांगों के बीच जो चीज रेंग रहा है वह है क्या क्योंकि उसने मर्दों के खड़े लंड को आज तक नहीं देख पाई थी और उसके बारे में कुछ जानती भी नहीं थी इसलिए वह थोड़ा घबरा गई थी उसका चेहरा एकदम घबराया हुआ था सूरज सब कुछ जानता था लेकिन फिर भी अनजान बनता हुआ बोला,,,)
क्या हुआ घबराई हुई क्यों हो,,,।
मेरी टांगोंके बीच,,,कककककक,, कुछ रेंग रहा है,,,।
क्या रेंग रहा है,,,?(सूरज जानबूझकर अनजान बनता हुआ बोला वह देखना चाहता था कि उसकी बहन क्या बोलती है,,,)
कुछ तो है भाई बड़ा सा है कहीं काट न ले,,,,।
अरे कुछ भी नहीं है तुझे वहम हो रहा है,,,।
नहीं नहीं भाई कुछ तो है बार-बार रगड़ खा रहा है ऐसा लग रहा है जैसे टांगों के बीच ही घूम रहा है कहीं सांप तो नहीं है पानी वाला,,,।
अरे यहां कहां सांप है मैंने तो आज तक नहीं देखा,,,।
तो कोई मछली होगी,,,,।
तो काटने वाली नहीं होगी वरना अभी तक तो काट ली होगी,,,, एक काम कर मैं तो नहीं पड़ सकता क्योंकि मैं तुझे छोड़ूंगा तो तेरा पैर फिसल जाएगा तू ही नीचे हांथ करके पकड़ ले अगर मछली हुई तो तब तो और मजा आ जाएगा खाने में,,,,।
मुझे डर लगता है,,,,।
डरने की कोई जरूरत नहीं है काटेगी नहीं इस तालाब में बिना काटने वाली ही मछली घूमती है,,,।
(ऐसा कहते हुए सूरज जानबूझकर अपने लंड को अपनी कमर के साथ आगे पीछे करके अपनी बहन की गुलाबी छेद के साथ-साथ उसकी जांघों पर रगड़ खिलवा रहा था,,, और इस बार तो अपने लंड के सुपाड़े को सीधे-सीधे उसकी गुलाबी छेद पर धक्का दे मारा तो एकदम से रानी चिल्ला उठी,,,)
हाय दइया कहीं घूस न जाए, ,,,(ऐसा कहते हुए डरी हुई रानी तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ डाली और अपनी बुर पर रगड़ खा रही उस चीज को एकदम से हाथ में पकड़ ली उसके पकडते ही सूरज की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि वह बड़े कस के पड़ी थी और उसकी हथेली में अपने लंड को महसूस करके सूरज की तो हालत खराब होने लगी पल भर के लिए उसे ऐसा लगा कि कहीं उसके लंड से पानी न निकल जाए और पहले तो रानी को भी अजीब लगा उसे लगाकर शायद उसने मछली पकड़ ली है लेकिन जैसे ही उसने अपने हाथ आगे की तरफ हल्के से बधाई तो तुरंत उसकी हथेली एकदम से उसके भाई की जांघों के बीच रुक गई और उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसने अनजाने में क्या पकड़ ली है वह एकदम से शर्म से पानी पानी होने लगी और अपनी नजरों को एकदम से नीचे झुकाली क्योंकि वह समझ चुकी थी जाने अनजाने में उसके हाथ में उसके भाई का लंड आ गया है जो कि एकदम गरम मोटा एकदम पानी में भी लोहे के रोड की तरह महसूस हो रहा था,,, सूरज जानता था कि उसकी बहन ने क्या पकड़ ली है और इसका एहसास रानी को भी हो चुका था क्योंकि उसकी नज़रें नीचे झुक चुकी थी लेकिन अभी भी वह न जाने की उसके लंड को अपनी हथेली में कस के दबोचे हुए थी जो कि उसकी बुर से एकदम से सटा हुआ भी था,,,, इसलिए सूरज बिना कोई बहाना बनाए हुए एकदम से बोला,,,)
हाय रानी तू तो मेरा लंड पकड़ ली,,,,, कहीं यही तो नहीं तेरी जांघों के आजू-बाजू घूम रहा था,,,।
मुझे भी ऐसा ही लग रहा था भैया,,,,( ऐसा कहने के बावजूद भी वह शर्म के मेरी अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए अपने भाई के लंड को बड़े जोरों से पकड़ी हुई थी सूरज मदहोश हुआ जा रहा था क्योंकि वह जितना सोचा था उससे ज्यादा हो चुका था वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह चाहता था कि कुछ देर तक इसी तरह से उसकी बहन अपने हथेली में उसके लंड को दबोचे रहे लेकिन फिर भी वह अपनी बहन को ऐसा दिलाना चाहता था कि वह क्या पकड़ी हुई है इसलिए फिर से बोला,,,)
रानी तुबहुत जोर से मेरे लंड को पड़ी हुई है अब छोड़ दे नहीं तो कहीं ऐसा ना हो जाए कि उसका पानी निकल जाए,,,,।
ओहहहह,,,(इतना कहने के साथ ही वह झट से अपनी हथेली को अपने भाई के लंड पर से ढीली कर दी और शर्म के मारे अपनी नजर को दूसरी तरफ घूमा ली,,, सूरज समझ गया था किसकी बहन एकदम से शर्मा गई है इससे हालात में वह तालाब से बाहर की जा सकती थी और सूरज यह नहीं चाहता था इसलिए तुरंत अपनी बहन का ध्यान भटकाने के लिए वापस दोनों हथेलियां में पानी लेकर अपनी बहन के ऊपर मारने लगा और बोला,,,)
तू खामखा डर रही थी,,, सांप है मछली है देख ली ना क्या है,,,।
मुझे क्या मालूम इतना बड़ा था तो मुझे ऐसे ही लगा कि सांप और मछली ही होगी,, (शर्म के मारे नजर को दूसरी तरफ घुमाए हुए ही वह बोली और उसकी बात सुनकर सूरज मन ही मन मुस्कुरा रहा था और बोला,,)
ज्यादा बड़ा था क्या ऐसा ही तो होता है,,,।
मुझे क्या मालूम कैसा होता है मैं तो पहली बार पकड़ी हूं,,,,।
कैसा लगा तुझे,,,!
कैसा क्या लगा पहले तो लगा कि वाकई में मेरे हाथ में सांप आ गया है लेकिन फिर मुझे लगा कि शायद मछली होगी इतनी मोटी लंबी ताजी,,,,।
और फिर,,,,!
और फिर क्या,,,, मेरी तो हालत ही खराब हो गई,,,,।
चल जाने दे नहाने का मजा ले मजा आ रहा है ना,,,। इससे पहले तू तालाब में भी बिना कपड़ों के नहीं नहाई होगी,,,।
अपने गांव में तालाब कहां है नदी है,,,।(इस बार अपने भाई की तरफ नजर करके वह बोली)
अरे हां अपने गांव में तो तालाब भी नहीं है नदी हो लेकिन नदी में भी तू कभी इस तरह से नहाई होगी,,,।
धत् मुझे तो शर्म आती है,,,,।
और यहां तालाब में,,,।
इधर भी आ रही है लेकिन कोई और नहीं है इसके लिए,,,,।
Suraj or uski bahan
(पल भर के लिए नदी का जिक्र आते ही सूरज के मन में हुआ कि वह अपनी बहन से बता दे कि उसकी मां भी नदी के पानी में बिना कपड़ों के नंगी होकर नहाती है लेकिन ऐसा हुआ कहीं नहीं पाया क्योंकि ऐसा कहने पर उसकी बहन को ऐसा ही लगता कि वह चोरी छिपे अपनी मां को नहाते हुए देखता है तो उसे भी नहाते हुए देखता ही होगा,,,, इसलिए वह कुछ बोला नहीं लेकिन वह लगाकर फिर से अपनी बहन पर पानी की बौछार कर रहा था और वह फिर से बचने की कोशिश कर रही थी,,, और इस बार फिर से उसका पैर हल्का सा फैसला और सूरज फिर से उसे अपनी बाहों में थाम लिया और एकदम से उसे अपनी बदन से सटा लिया और इस बार फिर से उसका लंड सीधे उसकी बहन की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर दस्तक तक देने लगा इस बार रानी पूरी तरह से मदहोश हो गई क्योंकि वह समझ गई थी कि उसकी बुर के ऊपर क्या चीज रगड़ खा रही है लेकिन इस बार सूरज उसे इतना अपने बदन से सता लिया था कि उसकी दोनों चुटिया भी उसकी छाती से चिपक गई थी और पानी में अद्भुत आकार बना रही थी। एक बार फिर से रानी शर्म से पानी पानी होने लगी लेकिन इस बार बिना कुछ बोले सूरज कुछ भी देर में उसे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और एकदम से पानी में डुबकी लगा दिया वह एकदम से पानी में कहीं खो गया रानी उसे इधर-उधर देखते ही रह गई उसे थोड़ा डर लगने लगा लेकिन वह जानती थी कि उसके भाई को तैरना आता है लेकिन फिर भी वह थोड़ा घबरा रही थी वह इधर-उधर पागलों की तरफ से ढूंढ रही थी चारों तरफ नजर घूमाकर उसे लगा कि कहीं उसका भाई तालाब से बाहर तो नहीं निकल गया है इसलिए वह बड़ी से पत्थर की तरफ देखने लगी तो तभी उसे पीछे से आवाज आई,,,,।)
रानी यह देख,,,,(इतना सुनते ही रानी नजर घुमा कर देखने लगी तो उसका भाई झरने के पानी के नीचे नहा रहा था एकदम नंगा खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से टन टना कर खड़ा था,झरने का पानी उसके सिर पर गिर रहा था और वह झरने के पानी में नहा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, रानी से देख रही थी उसे हैरानी हो रही थी उसे इस बात की हैरानी नहीं थी कि वह झरने के पानी के नीचे खड़ा होकर नहा रहा था उसे इस बात की रानी थी कि उसका भाई उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा खड़े होकर ना रहा था,,, रानी बस हैरान होते हुए अपने भाई को ही देख रही थी अपने भाई को नहीं बल्कि उसके दोनों टांगों के बीच खड़े मोटे तगड़े लंड को देख रही थी और उसे देखकर एकदम आश्चर्यचकित हुए जा रही थी क्योंकि भाई जान रही थी कि कुछ देर पहले यही लेकिन उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी जांघों पर उसकी बुर पर रगड़ खा रहा था कितना मोटा और लंबा है उसके भाई का लंड।
आश्चर्य से रानी की आंखें फटी जा रही थी क्योंकि वह जिंदगी में पहली बार किसी मोटे तगड़े लंड को देख रही थी इसलिए तो वह हैरान हुए जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई इतना बेशर्म कैसे होते जा रहा है उसकी आंखों के सामने लेकिन इस बेशर्मी में उसे भी तो मजा आ रहा था वह पागलों की तरह प्यासी आंखों से अपने भाई के लंड को देख रही थी और सूरज भी अपनी बहन की नजरों को पहचान रहा था और मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि उसकी युक्ति कम कर रही थी और जबरदस्त तरीके से काम कर रही थी,,, सूरज वहीं खड़ा-खड़ा अपनी बहन को इशारा करके अपने पास बुलाने लगा और जोर से बोला,,,)
आजा यहां बहुत मजा आ रहा है नहाने में,,,, वहां से ज्यादा मजा इधर आ रहा है जल्दी आजा ,,,।(झरने में नहाते हुए सूरज बोला,,, अपने भाई को नहाता हुआ देख कर रानी का भी मन कर रहा था झरने के पानी में खड़े होकर नहाने के लिए लेकिन अपने भाई के साथ झरने के पानी में खड़े होकर आने का मतलब था कि उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ा होना लेकिन उसका भाई भी तो खड़ा था नंगा होकर उसे शर्म नहीं आ रही थी वह तो मजा ले रहा था झरने के पानी में नहाने का,,, और यही सोच कर रानी का भी मन कर रहा था अपने भाई की तरह झरने के पानी में खड़े होकर नहाने का लेकिन उसे थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर वह अपने मन में सोची की शर्म कैसा अपने भाई के सामने नंगी होकर से नहा रही है भले ही वह पानी में डूबी हुई है लेकिन बिना कपड़ों की तरह और उसके साथ नहाने में कैसी शर्म उसका भाई ही तो है कहां किसी को बताने वाला है वह अपने मन में यही सोच रही थी कि तभी फिर से उसका भाई सारा करके उसे अपने पास बुलाने लगा और अपने भाई को इस तरह से अपने पास बुलाता हुआ देख कर उसकी भी हिम्मत बढ़ने लगी और वह भी तैयार कर सीधा अपने भाई के पास पहुंच गई लेकिन वहां भी पानी में थी और उसका भाई थोड़ी सी ऊपरी जगह पर था जहां पर पानी गिर रहा था,,,,, यह देखकर खुश होता हुआ सूरज एकदम से अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ा दिया,,,,।
और उसकी बहन अपने भाई के हाथ का सहारा लेकर बड़े से पत्थर के ऊपर चढ़ गई जहां पर चढ़ने का पानी बड़ी तेजी से गिर रहा था वह जानते थे कि अगर उसके भाई का हाथ जरा सा छूटेगा तो वह फिर से पानी में जा गिरेगी इसलिए वहां पड़े हुए थे और उसका भाई भी पूरी मजबूती के साथ उसे अपनी तरफ खींचकर झरने के पानी के नीचे खड़ी करते और वह दोनों नहाने लगे लेकिन ईस बीच जहां पर रानी झरने के पानी में खड़े होकर नहाने का मजा ले रही थी वहीं दूसरी तरफ सूरज अपनी बहन की नंगी जवान को देख रहा था पूरी तरह से नंगी उसके पास में खड़ी होकर नहा रही थी उसकी चूची देख रही थी उसकी बुर दिख रही थी उसकी ऊभरी हुई गांड देख रही थी सब कुछ देखकर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,,। सूरज जल्दी से आगे नहीं बढ़ना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि ऐसा करना उचित नहीं है लेकिन उसे पूरा विश्वास था कि जब इतना कुछ हो गया तो आगे भी सब कुछ अच्छा ही होगा बस सब्र करने की देर है।
Suraj or uski bahan
देखते देखते वह तुरंत अपनी बहन का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखकर उसके लाल-लाल होठों का रस पीने के साथ ही अपने लंड को उसकी दोनों टांगों के बीच मदहोश करके छोड़ दिया और उसका लंड सीधा उसकी बहन की गुलाबी बुर पर रगड़ खाने लगा,,, रानी को समझ पाती ईससे पहले वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी उसके जीवन का यह पहला चुंबन था जो कि उसके भाई के द्वारा हो रहा था एक तरफ से चुंबन हर दूसरी तरफ से उसके लंड की रगड़े से पूरी तरह से मदहोश कर रही थी अब उसे समझते देर नहीं लगी थी कि उसकी बुर पर उसके भाई के कौन सा चीज रगड़ खा रहा है,,,, रानी की भी मदहोशी बढ़ते जा रही थी सूरज लगातार अपनी बहन के होठों का रस पीता हुआ अपने लंड का करता दिख रहा था वह अपनी बहन को मदहोश कर रहा था,,,।
Suraj or uski bahan
कुछ देर तक यह चुम्बन ऐसै ही चलता रहा और अपनी बहन को कुछ ना बोलना देखकर कुछ भी हरकत करता ना देख कर सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और वह धीरे से अपने हाथ को अपनी बहन की चूची पर रहती है और उसे हल करके दबाने लगा ऐसा करने पर रानी की हालत और ज्यादा खराब होने लगी लेकिन उसे एहसास होने लगा कि जो कुछ भी हो रहा है गलत हो रहा है इसलिए वह धीरे से अपने आप को अपने भाई की बाहों से अलग करने लगी तो उसका भाई भी अपनी बाहों में से उसे अलग करने लगा क्योंकि वह जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था और शर्मा कर रानी तुरंत तालाब में कूद गई और कूदते समय उसके नितंबों का आकार और भी ज्यादा जान लेवा नजर आ रहा था,,,, रानी तालाब में तैरते हुए बड़े से पत्थर के पास पहुंच गई और धीरे से तालाब में से बाहर निकल कर बड़े से पत्थर के पीछे चली गई उसका भाई समझ गया कि उसकी बहन अब कपड़े पहनने जा रही है इसलिए वह भी तालाब में कूद पड़ा,,,।
जब तक वह तरकर किनारे आता है उसकी बहन अपने कपड़े पहन चुकी थी और वह भी अपने कपड़े पहन कर तैयार हो चुका था और दोनों बिना कुछ बोले वही बड़े से पेड़ के नीचे आ चुके थे जहां पर आंवला पड़ा हुआ था और सूरज अांवले से भरे थेले को उठाते हुए बोला,,,।
सही समय पर हम दोनों तालाब से बाहर आ गए शाम ढलने से पहले हम दोनों पहुंच जाएंगे और ऐसा बोलते ही दोनों चल पड़े और वाकई में शाम ढलने से पहले ही दोनों पहुंच चुके थे लेकिन इस बीच दोनों एक दूसरे से बात करने से कतरा रहे थे,,,, सूरज को इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी की रानी क्या कहेगी,,, कहीं वह मां से बता दी तो,,,, क्योंकि वह जानता था कि ऐसा कुछ भी रानी कहने वाली नहीं है अगर उसे चेहरा भी ऐतराज होता तो वहां अपने सारे कपड़े उतार कर तालाब में ना कुदती और ऐसा ही हुआ घर पर पहुंच कर रानी कुछ भी नहीं कहीं और सुनैना आंवला देखकर खुश हो गई थी क्योंकि बहुत ज्यादा वाला उन दोनों ने तोड़कर लाए थे,,,।