सूरज के लिए आज की रात बेहद अद्भुत थी क्योंकि आज वह किसी की औरत को अपने पिताजी से चुदते हुए देखने जा रहा था, जिसमें कल्लु सहभागी था। सूरज के लिए भी काफी मेहनत हो चुकी थी आधी रात से ज्यादा समय होने वाला था और अब तक केवल खाना खवाई हुई थी लेकिन अब चुदाई का समय हो रहा है अपनी आंखों के सामने के नजारे को देखकर सूरज के पजामे में भी तंबू बना हुआ था कमल की कामुक हरकतों को देखकर सूरज भी एकदम चुड़वासा हो चुका था,,, कमला की बेशर्मी को देखकर सूरज समझ गया था कि यह दोनों को बहुत ज्यादा मजा देने वाली है,,।
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कमला सूरज के पिताजी की गोद में से उठ चुकी थी और वह,, खाने के बाद जो जूठन बचा था उसे इकट्ठा करके फेंकने के लिए गोदाम के दरवाजे तक पहुंच चुकी थी और वह जब गोदाम के दरवाजे की तरफ आगे बढ़ रही थी तो सूरज अच्छी तरह से देख रहा था कि उसके पिताजी उसके भारी भरकम नितंबों को देखकर अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे मुठीया रहे थे,, यह सब देखकर सूरज को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसके पिताजी कितने बड़े चुडक्कड़ है जिसे वह सीधा-साधा इंसान समझता था वाकई में उसकी असलियत क्या है। सूरज की भी नजर कमला की बड़ी-बड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी,, और वह अपने मन में सोच रहा था कि कई हुई साड़ी में जब इसकी गांड इतनी बवाल लग रही है तो बिना कपड़ों के तो इसकी गांड हाहाकार मचा देगी,,,।
तेरी हालत देखकर ही लग रहा है कि आज तु कमला की बुर का भोसड़ा बना देगा ,,(अंगड़ाई लेता हुआ कल्लु बोला,,)
तू सही कह रहा है यार मैं तो तड़प रहा हूं कि कब मेरा यह लंड कमला की बुर में समा जाए,,,।(लंड को मुठीयाते हुए सूरज के पिताजी बोले,,,)
चिंता मत कर वह भी तड़प रही है तेरा अंदर लेने के लिए लेकिन देखना पूरी कसर आज ही मत निकाल देना कि घर पर भाभी को तड़पना पड़ जाए,,,।
तू भी ना यार कहां उसका नाम ले रहा है तुझे नहीं मालूम वह कितनी ठंडी औरत है उसके साथ बिस्तर पर मजा ही नहीं आता।
क्यों क्या हो गया,,,!(एकदम से उत्साहित होता हुआ कल्लू बोला,,)
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साली बिस्तर पर कुछ भी करती नहीं है,, बस टांग फैला कर पड़ी रहती है जो कुछ करना रहता है मुझे ही करना पड़ता है इसीलिए तो मजा नहीं आता इसलिए तो कमला रानी मेरे दिल की रानी बन गई है,,,।
(उसकी बात सुनकर कल्लु मन ही मन में मुस्कुराने लगा और बोला,,)
यार मुझे तो नहीं लगता की भाभी इतनी ठंडी है कितनी गर्म लगती है मुझे तो ऐसा ही लगता है कि बिस्तर पर तुझे बहुत मजा देती होगी,,।
साले वह तो मैं ही जानता हूं की कितना मजा देती है। साली अपने हाथ से लंड भी नहीं पकड़ती,,,।
(इतना सुनकर कल्लु जोर-जोर से हंसने लगा और अपने मन में सोच रहा था कि साला कितना हारामी है इतनी खूबसूरत बीवी होते हुए भी उसके बारे में ऐसा बोल रहा है मुझे मिल जाती तो राहत दिन उसकी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता,,,, अपने पिताजी की बात को सुनकर सूरज को भी गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर सकते की स्थिति में नहीं था,, वह भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत है और बिस्तर पर जबरदस्त मजा देती होगी बस मजा लेने वाला होना चाहिए,,, कल्लु की हंसी सुनकर कमला भी वहां पहुंच गई और अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे पर से हटाते हुए बोली,,,)
क्या बात है बहुत हंसी आ रही है,,।
अरे कमला तू भी सुनेगी तो हसेगी,,, यह कहता है कि,, इसकी बीवी अपने हाथ से इसका लंड भी नहीं पकड़ती,,,
(इतना सुनते ही कमल भी जोर-जोर से हंसने लगी और हंसते हुए बोली)
क्या बात कर रहे हो राजा क्या सच में तुम्हारी बीवी अपने हाथ से तुम्हारा लंड भी नहीं पकड़ती,,,, तब तो वह तुम पर बहुत जुर्म करती है पता नहीं तुम्हें कैसा सुख देती होगी,,,।
अरे नहीं देती तभी तो यह तुम्हारा दीवाना है,,,।
यह बात है तब तो तुम एकदम सही जगह पर हो तुम्हें ऐसा मजा देती रहूंगी तुम जिंदगी भर याद रखोगे,,,(इतना कहने के साथ ही कमला तुरंत घुटनों के बल बैठ गई और सूरज के पिताजी के पजामी में से बाहर टनटना रहे लंड को अपने हाथ से पकड़ ली,,, और मुस्कुराते हुए अपने होठों को उसके लंड पर रख दी और जैसे ही उसके होठों का स्पर्श सूरज के पिताजी को अपने लंड पर हुआ मदहोशी में उसकी आंखें एकदम से बंद हो गई,,, और धीरे से वह अपना हाथ उठाकर कमला के सर पर रख दिया,, और कमल एकदम रंडी की तरह धीरे-धीरे करके उसके समुचे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, कमल के रंडी पन पर सूरज की भी हालत खराब होने लगी वाकई में कमला गजब की औरत थी,,, धीरे-धीरे कमला उसके लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर कर चूसना शुरू कर दी और सूरज के पिताजी की हालत खराब होने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और गहरी गहरी सांस लेने लगा,,,।
यह सब देखकर भला बदमाश कल्लु कैसे शांत रह सकता था वह जिस तरह से घुटनों के बाल झुकी हुई थी उसकी भारी भरकम गांड कल के ठीक मुंह के सामने थी और कल बैठे-बैठे ही उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा और देखते ही देखते वह उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया उसकी नंगी गांड देखकर, कल्ल की भी हालत खराब होने लगी और देखते ही देखते वह अपना मुंह उसकी दोनों टांगों के बीच दे मारा,,, आगे से वहां सूरज के पिताजी को मजा दे रही थी और पीछे से कल्लु को,,,।
कल अच्छी तरह से देख रहा था कि दो बच्चों की भंवरी के बावजूद कि उसका वजन काफी भरा हुआ था उसमें जरा भी ढीलापन नहीं था बस कमी इस बात की थी कि वह भी उन दोनों के साथ जुड़ना चाहता था लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था,,, देखते ही देखते गोदाम में गरमा गरम शिसकारी गूंजने लगी जिसे सुनने वाला सूरज के सिवा वहां कोई नहीं था,,, जूठन फेंक कर आते समय इतिहास के तौर पर कमला गोदाम के दरवाजे को बंद कर दी थी,, वैसे तो उसे अच्छी तरह से मालूम था कि इतनी रात को यहां कोई आने वाला नहीं था लेकिन फिर भी औरतों को खुले से ज्यादा चार दिवारी के अंदर मजा लेने पर मजा देने में आनंद की प्राप्ति होती है और चार दीवारी के अंदर सुकून भी महसूस करती हैं,,,।
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ओहहह कमला सच में तू कमाल औरत है मेरा बस चलता तो मैं तुझसे शादी कर लेता,,, इतना मजा मेरी औरत ने आज तक नहीं थी,,, साली सिर्फ देखने में खूबसूरत है लेकिन मर्दों को कैसे खुश किया जाता है उसका बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है,,,,आहहहहह आआहहहह पूरा अंदर तक ले बहुत मजा आ रहा है,,,(उसकी बात सुनकर कमला भी उसकी आज्ञा का पालन करते हुए जितना हो सकता था उतना अपनी गले तक लेकर उसे मदहोश और मस्त करने की पूरी कोशिश कर रही थी और पीछे से कर लो उसकी गुलाबी छेद को चाट रहा था,,,। जितना मजा सूरज के पिताजी को मिल रहा था उतना ही मजाक कल्लु भी अपने आप से प्राप्त कर रहा था,,, कमला भी कल्लू के आनंद को बढ़ाते हुए अपनी भारी भरकम गोल-गोल कांड को गोल-गोल न चाहते हुए उसके मुंह पर ही रगड़ रही थी ऐसा करने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,)
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कमला रानी,,,, क्या तुम मेरे साथ शादी करोगी मैं जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहना चाहताहूं,,,(मदहोश होता हुआ भोला बोला,,, उसकी बात सुनकर सूरज को हैरानी हो रही थी,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था उसके पिताजी के कहने के मतलब को,, शरीर सुख के लिए वह अपनी पत्नी का त्याग करके किसी विधवा के साथ शादी करना चाहता था ताकि उसके साथ जीवन भर शरीर सुख का आनंद ले सके जहां एक तरफ सूरज को अपने पिताजी की यह बात सुनकर गुस्सा आ रहा था वहीं दूसरी तरफ वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर वाकई में ऐसा हो जाए तो फिर उसका रास्ता भी एकदम साफ हो जाएगा,,, उसके और उसकी मां के बीच तीसरा कोई नहीं होगा और वह अच्छी तरह से जानता था कि एक नई दिन उसके और उसकी मां के बीच इसी तरह से शारीरिक संबंध स्थापित हो जाएगा क्योंकि वह औरतो की चाहत के बारे में अच्छी तरह से समझने लगा था।
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लेकिन सूरज के पिताजी की बात सुनकर कमला कुछ बोली नहीं बस अपना काम करती रही और दूसरी तरफ,,, कल्लू पागलों की तरह उसके गुलाबी छेद को चाटे जा रहा था,,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,, सूरज की भी हालत पतली होती जा रही थी इतनी देर तक वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाया था इसलिए पजामी में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और उसे हल्के-हल्के दबाकर आनंद ले रहा था,,, अपनी आंखों के सामने बेहद रोमांचक और मदहोश कर देने वाले दृश्य को देखकर बड़ी मजबूरी में सूरज अपने आप को रोके हुए था अगर उसके पिताजी की जगह कोई और होता तो अब तक वह इस खेल में कब से शामिल हो चुका होता और अब तक अपना झंडा भी गाड दिया होता,, लेकिन अपने पिताजी के कारण वह मजबूर इतने बेहद मदहोश कर देने वाले दृश्य का सहभागी नहीं बन पा रहा था लेकिन इस बात की खुशी थी कि वह इतने रोमांचक दृश्य,, को अपनी आंखों से देख पा रहा था।
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सूरज अपने पिताजी को बड़ी गौर से देख रहा था वह बड़ी बेशर्मी के साथ गैर औरत के साथ मदहोश हुआ जा रहा है यही कारण था कि वह महीनो से अपने घर नहीं आया था,,, देखते ही देखते वह कमला के कंधों को पकड़कर उठाते हुए बोला,,।
बस मेरी रानी तुमने अपने होठों से चुस चुस कर मेरे लंड की धार को बढ़ा दी हो,,। अब मेरी बारी है अब मैं तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम हवा में उड़ने लगोगी,,,
मैं जानती हूं मेरे राजा तुम बहुत मजा देती हो आज की रात तुम्हारेनाम है,,,(गहरी सांस लेते हुए कमला बोली,,, कमला अपनी घुटनों के बल उठकर बैठ चुकी थी इसलिए उसके पीछे उसकी बुर चाट रहा कल्लु भी गहरी सांस लेता हुआ उसके पीछे बैठ गया और वह भी कमल की बड़ी-बड़ी गांड पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे हल्के से सहलाते हुए बोला,,)
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तुम बहुत पानी छोड़ती हो कमला,,,,।
पानी नहीं छोडुंगी तो तुम्हारा पानी कैसे छुड़ाऊंगी,,,,
बात तो तुम एकदम सही कह रही हो मेरी जान,,,, अब यह बता दो की सबसे पहले किसका लोगी,,,।
(उन दोनों की बातचीत हो रही थी तब तक सूरज के पिताजी अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए और कमला उसके खड़े लंड को देखकर एकदम से मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाई और उसके लंड को पकड़ ली और बोली,,)
पहले तो मैं मेरे राजा का ही लूंगी देख नहीं रहे हो कितना तड़प रहा है मेरे बिना,,,,(कमला का इतना कहना था कि घुटनों के पर खड़े होकर सूरज के पिताजी उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचकर उसे अपनी बाहों में भर लिए और उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों में लेकर दबोचने लगे दबाने लगे उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगे पीछे से कर लूंगी कमल के बदन से चिपक गया और उसके गर्दन पर चुंबन करने लगा सूरज यह सब देखकर मदहोश हुआ जा रहा था एक औरत दो दो आदमियों को सुख दे रही थी यह नजारा सूरज के लिए पहली बार का था और वह कभी सोचा भी नहीं था कि एक औरत एक साथ दो मर्दों को मजा देती होगी लेकिन आज अपनी आंखों से देख रहा था इसलिए वह बेहद अचंभित था और उत्साहितभी,,। सूरज के पिताजी जोर-जोर से कमला की बड़ी-बड़ी गांड को रगड़ रहे थे मसाला रहे थे,, और कल्लू आगे से जगह बनाकर अपने दोनों हाथों को कमला की चूची पर रखकर ब्लाउज के ऊपर से जोर-जोर से दबा रहा था। और कमला भी कम नहीं थी वह एक साथ अपने दोनों हाथों का प्रयोग करते हुए एक हाथ में सूरज के पिताजी का लंड पकड़े हुए थी और दूसरे हाथ को पीछे की तरफ लाकर पजामे के अंदर हाथ डालकर कल्लु के लंड को पकड़ी हुई थी,,, इस नजारे को देखकर ही कमला की बेशर्मी का अंदाजा लग रहा था,,,।
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इस मदहोश कर देने वाले दृश्य को देखकर सूरज समझ नहीं पा रहा था कि पति के न होने पर यह कमल की मजबूरी थी उसकी मदहोशी और वासना थी जो एक मर्द से पूरी नहीं हो रही थी,,, सूरज इस बात को नहीं समझ पा रहा था कि वाकई में यह एक औरत की मजबूरी भी थी और उसकी जरूरत भीथी,, जिसका एक साथ कमला वहन कर रही थी,,, बात अगर पेट भरने की होती तो खेतों में मजदूरी करके उसके खुद के भी खेत थे उनमें ही खेती करके वह अपना और अपने बच्चों का पेट पाल सकती थी लेकिन जरूरत पेट की भूख के साथ जिस्मानी भूख की भी थी जिसे पूरा करने के लिए खेतों में अनाज नहीं बल्कि बिस्तर पर मर्द की जरूरत थी और इसीलिए तो एक साथ तो दो मर्दों के साथ मजा ले रही थी कमला,,,।
देखते ही देखते कल भी अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया था और सूरज के पिताजी अपने हाथों से कमल के वस्त्र को उतार कर उसे नंगी करने का सुख भोग रहे थे,,, सूरज अपने पिताजी के साथ-साथ कल के भी लंड को देख रहा था और फिर अपने लंड की तरफ देख रहा था उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि दोनों से दमखम लंबाई और मोटाई वाला लंड उसके पास था,,, इस बात का गर्व उसे हो रहा था,,, और इस बात से भी हुआ अच्छी तरह से परिचित था कि अगर उसे मौका मिले तो वह अकेले ही कमला की बुर का भोसड़ा बना दे,, अपनी मर्दाना ताकत को वह मुखिया की बीवी पर आजमा चुका था उसकी चुदाई करते समय बहुत पसीना पसीना हो जाती थी और चुदवाने के बाद लंगड़ा कर चलती थी,,।
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वादे के मुताबिक कमला घोड़ी बन चुकी थी और घुड सवार था सूरज का बाप,,, वह पीछे से अपने लिए जगह बना रहा था और देखते-देखते उसकी भारी भर कम गोल-गोल गांड के बीचों बीच वह उसके गुलाबी छेद में अपने लंड को डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, और कल्लु आगे से कमला के मुंह में अपना लंड डालकर अपनी कमर हिला रहा था,,, यह सब देखकर सूरज से रहा नहीं जा रहा था और वह अपने लंड को मूठ मारना शुरू कर दिया था उसकी भी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी बहुत मन कर रहा था कि इस खेल में शामिल हो जाए लेकिन अपने पिताजी की वजह से वह अपने कदम आगे नहीं बढ़ा पा रहा था,,, सूरज अच्छी तरह से देख रहा था उसके पिताजी की कमर बड़ी तेजी से मिल रही थी एक बात तो थी कि उसके पिताजी में भी बहुत दम था क्योंकि वह पहले भी अपने पिताजी को अपनी ही मन को चोदते हुए देख चुका था अपनी मां की चुदाई को पर अपनी आंखों से देख चुका था और जिस तरह से उसे दिन धक्के लगा रहे थे उससे तेज धक्का आज उसके पिताजी कमल की बुर में लगा रहा था,,,
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हर धक्के के साथ कमला गिरने को हो जाती थी लेकिन आगे से कल उसके कंधों को पकड़कर सहारा दिए हुए था,,, और सूरज के पिताजी के जोश को बढ़ाते हुए बोल रहा था,,,।
वह मेरे दोस्त गजब की चुदाई करता है तु कमला की बुर का तो भोसड़ा बन जाएगा आज ,,(अपनी कमर को हिलता हुआ कल्लू बोला,,, और उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए सूरज के पिताजी बोले,,)
संभाल कर देखना कहीं तेरा पानी न निकल जाए,,,
अरे नहीं अभी तो बहुत बाकी है मुझे भी बहुत मजा आ रहा है,,,, बस ऐसे ही चुदाई करता रहे,,,।
(तीनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था वैसे तो बड़े से गोदाम में छोटे से लालटेन की कोई कीमत नहीं थी लेकिन फिर भी उसे लालटेन की रोशनी इतनी तो आ ही रही थी की सूखी हुई घास में तीनों को बराबर सूरज देख सके और उतना ही नजर भी आ रहा था,,, तीनों संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थे तीनों के बदन पर कपड़े का रेसा तक नहीं था,,, और यही नियम भी है संभोग करने का बिना वस्त्र के संभोग क्रीडा में जो आनंद प्राप्त होता है वह कपड़े पहनकर बिल्कुल भी नहीं औरत के नंगे बदन का मर्दों के नंगे बदन से स्पर्श होना,,, आग में घी का काम करती है,,, सूरज के पिताजी पूरा दमखम दिखा रहे थे और कल्लु अपने आप को बचाने की कोशिश में लगा हुआ था उसे इस बात का डर था कि बिना कमला की बुर में डाले कहीं उसका पानी ना निकल जाए,,,।
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एक ही आसान में सूरज के पिताजी लगातार लगे हुए थे उनकी कमर और घुटना बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा था,,, लेकिन तभी कमला के मुंह से आ रही गरमा गरम शिकारी की आवाज तेज होने लगी,,, वह अपने मुंह में से कल्लू के लंड को बाहर निकाल दी थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह झड़ने वाली है वह अपने चरम सुख के बेहद करीब हो चली थी और देखते ही देखते सूरज के पिताजी की हथेलियां की पकड़ उसकी कमर पर बढ़ने लगी थी और वह भी अपने चरण सुख के बेहद करीब थे इसलिए तो वह जोर-जोर से धक्के पर धक्के लगाते हुए मदहोश हुए जा रहे थे और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे,,, कमला के पसीने छूट गए थे,,, सूरज के पिताजी तब तक अपने लंड को कमल की बुर में से बाहर नहीं निकाले जब तक उनके लंड में से पानी की आखिरी बुंद तक नहीं निकल गई,,,,।
कमला पीठ केबल लेट गई थी और सूरज के पिताजी दीवाल का सहारा लेकर गहरी गहरी सांस ले रहे थे लेकिन अभी कल्लु बाकी था,, उससे रहा नहीं गया और वह तुरंत वह कमला की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लिए जगह बनाते हुए,,, अपने लंड को कमला की बुर में डाल दिया,,, कमला को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा कमला उसी तरह से लेटी रही और गहरी गहरी सांस लेते रही,,, और कल्लू अपना काम करता रहा,,,, लेकिन थोड़ी ही देर में वह अपना काम तमाम कर चुका था वह झड़ चुका था और उसके ऊपर ही पसर गया था,,,, पल भर में ही सूरज कल्लु की मर्दाना ताकत से वाकिफ हो चुका था,, वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सकता था बस उसमें उपासना ज्यादा थी,,,।
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तीनों लेटे हुए थे,, तीनों थक चुके थे कमला भी थक चुकी थी उसको थकने में सूरज के पिताजी का ज्यादा हाथ लेकिन फिर भी सूरज के पिताजी एक हाथ उसकी नंगी चूची पर रखकर उसे हल्के हल्के दबा रहे थे ऐसा लग रहा था कि वह फिर से तैयार हो रहे थे और कमला को भी तैयार कर रहे थे,, और ऐसा ही हुआ तकरीबन 20 मिनट के बाद बातचीत करने के बाद सूरज के पिताजी अपनी हरकतों से कमला को फिर से तैयार कर चुके थे सूरज भी देख रहा था उसके पिताजी का लंड एक बार फिर से खड़ा हो चुका था,, और इस बार कमला सूरज के पिताजी के लंड के ऊपर सवार हो चुकी थी और खुद ही बागडोर संभाल कर अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उसके लंड पर पटक रही थी,, इसी बीच कल्लु भी अपनी जगह से उठकर कमला की चूची पीना शुरू कर दिया था,,।
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सूरज अभी भी बरकरार था वह मुठ मार कर भी अभी नहीं झाड़ा था और फिर से मुठ मारना शुरू कर दिया इस बार उसकी मदहोशी बढ़ने लगी थी और जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था और कमल भी फुर्ती दिखाते हुए गांड को उसके पिताजी के लंड पर पटक रही थी,,, और इस बार पूरी तरह से कमला उसके पिताजी पर छा गई थी वह आगे की तरफ झुक कर अपनी नजर को पीछे घूमा कर अपनी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देख रही थी जो की रबड़ के गेंद की तरह ऊपर नीचे हो रही थी,,,। थोड़ी ही देर में फिर से दोनों झड़ चुके थे और इस बार सूरज भी झड़ चुका था जैसे ही सूरज के पिताजी का लंड उसकी बुर में से बाहर निकला कल्लु अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और कमला की गांड के पीछे जाकर अपने लिए जगह बनाने लगा,, कमला सूरज के पिताजी पर लेटी हुई थी और इस अवस्था में ही कल्लु अपने लिए जगह बनाकर पीछे से उसकी बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया वह भी थोड़ी देर में झड़ गया,,, यह सिलसिला एक बार फिर चला लेकिन तब तक सुबह के 4:00 चुके थे,,,,।
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कुछ देर तक कमला नग्न अवस्था में ही दोनों के बीच सो ही रही और फिर जब आंख खुली तो वह भी धीरे से उठकर खड़ी हो गई रोकने कपड़े पहने लगी तब तक दोनों गहरी नींद में सो रहे थे और वहां धीरे से गोदाम का दरवाजा खोलकर बाहर निकल गई और यही मौका देखकर सूरज भी धीरे से गोदाम के बाहर निकल गया,,,। सूरज के लिए आज की रात बेहद अद्भुत और मदहोश कर देने वाली थी लेकिन अपनी मदहोशी ऐसे में वह सोच रहा था कि अगर मौका मिलता तो वह भी कमला की जी भर कर चुदाई कर लेता,,,, यही सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपने घर की तरफ निकल गया अभी भी अंधेरा था।