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Incest पहाडी मौसम

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खेत में जाने से पहले सूरज अपनी बहन की जमकर चुदाई कर चुका था और उसकी बहन भी अपने भाई की घमासान चुदाई से पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी,,, और रानी के लिए बेहद जरूरी दिखाअपने सपनों के राजकुमार से मिलने से पहले यह घमासान चुदाई क्योंकि वह कुंवर के बारे में सोच सोच कर अपनी बुर को गीली कर ले रही थी वैसे उसका कोई इरादा नहीं था कि पहली मुलाकात में ही कुंवर के साथ शारीरिक संबंध बना बैठे लेकिन वक्त और हालात का कोई भरोसा नहीं होता इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी,,,,।




सूरज नहा कर तैयार हो चुका था,,, औररसोई के पास बैठकर खाना खा रहा था उसकी मां उसके लिए खाना परोस कर खुद नहाने के लिए चली गई थी,,, अपनी मां की हालत को देखकरसूरज को पूरा यकीन हो गया था कि एक न एक दिन चिड़िया जाल में फंसने वाली है,,, और इसके पीछे मूल कारण यह भी था कि महीनो से वह अपने पति से अलग थी और धीरे-धीरे सूरजऔरतों को समझने लगा था वह अच्छी तरह से जानता था कि मर्द के बिना औरत कितना तड़पती है और वह तो खुद अपनी आंखों से अपनी मां को बिस्तर पर करवटें बदलते हुए और अपने हाथ से अपनी जवानी की प्यास बुझाते हुए देख चुका था इसलिए उसे पूरा यकीन था कि धीरे-धीरे एक दिन वह उसकी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी प्यास बुझाने के लिए उपस्थित होगा जिसमें उसकी मां की पूरी तरह से रजामंदी होगी। यही सब सोचता हुआ वह खाना खा रहा था,,, और दूसरी तरफ गुसल खाने में यह जानते हुए भी की उसका आप जवान बेटा घर में उपस्थित है फिर भी वह अपने सारे कपड़े उतर चुकी थी और एकदम नंगी गुशल खाने में अपने रंगीन ख्यालों में खोई हुई थी।




उसके रंगीन ख्यालों में उसका बेटा ही था वह अपने बेटे के बारे में सोचकर मस्त हुए जा रही थी हालांकि वह ऐसा चाहती नहीं थी लेकिन फिर भी न जानेकैसा एहसास था कि वह अपने बेटे के ख्याल में डूबी जा रही थी और जिस तरह से उसका बेटा उसके साथ हरकत करता था बातें करता था उसे देखते हुए सुनैना को लगने लगा था कि जैसे उसके मन की बात को समझने वाला उसका बेटा ही है बात-बात पर उसकी खूबसूरती की तारीफ कर देना उसके कपड़े की तारीफ कर देना यह सब सुनैना को अच्छा लगने लगा था और उसकी कामुक हरकतें उसके बदन में एक अद्भुत उत्तेजना का रस घोल देती थी,,, खास करके खेत वाली हरकत में तो उसके दिलों दिमाग पर कब्जा बना लिया था वह अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा इस तरह से हरकत कर बैठेगा,,, उस अच्छी तरह से याद था जब वह आराम करने के लिए खटिया पर दूसरी तरफ मुंह करके लेटी हुई थी वह तो पूरी तरह से सहज थी लेकिन वह नहीं जानती थी उसे देखकर उसका बेटा असहज हो जाएगा,,,, साड़ी में कसी हुई उसकी गांड उसके बेटे के लिए उत्तेजना का कारण बन जाएगी उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ था उसके बेटे का उसके करीब आकर बैठना लेकिन तब तक उसे नहीं मालूम था कि उसका बेटा उसके साथ कामुक हरकत करेगा।





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उसका धीरे-धीरे नितंबों पर हाथ घूमानाऔर फिर उसके बदन में बिल्कुल भी हलचल न होने की वजह से उसके हिम्मत का बढ़ जाना और धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर की तरफ उठानाइन सब के बावजूद भी सुनैना को अच्छी तरह से याद था कि उसके बाद में बिल्कुल भी हरकत नहीं हो रही थी वह जाग चुकी थी और अपने बेटे की आगे की हरकत को देखने के लिए निश्चित होकर सोने का नाटक कर रहे थे और फिरसूरज के द्वारा उसकी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा देना कमर तक साड़ी उठा देने के मतलब कुछ सुनैना अच्छी तरह से जानती थी एक मर्द की औरत की साड़ी कोतभी कमर तक उठा देता है जब वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए निश्चित हो जाता है,,,, और जब उसके बेटे ने इस तरह की हरकत को किया थातब सुनैना का दिल चोरों से धड़क रहा था उसे एहसास हो रहा था कि उसका बेटा आप उसके साथ क्या करने वाला है लेकिन न जाने ऐसा कौन सा कारण था कि वह अपने बेटे को इतने पर भी नहीं रोक पा रही थी,,, पहले तो वह अपने हाथों से ही उसके नितंबोंको सहला रहा था हल्के हल्के दबा रहा था जब इतने से भी उसके बाद में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई तो उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई और वह धीरे से अपने लंड को बाहर निकाल लिया और गरम सुपाड़े को उसके नंगी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,,,,,,सुनैना एक मर्द की हालत को अच्छी तरह से समझ सकती थी जब उसके इतने करीब एक खूबसूरत जवान औरत लेती हो और उसकी साड़ी कमर तक उठी हो तो मर्द पर इसका क्या असर होता है इस बात का एहसास सुनैना को अच्छी तरह से था और सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से उसकी जवानी को देखकर पागल हो गया हैइतने से भी वह अपने बेटे को नहीं रोक पा रही थी जिसका अंजाम यह हुआ कि सूरज अपने लंड को उसकी गांड की फांकों के बीच धीरे-धीरे अपने लंड को डालना शुरू कर दिया,,,।



सूरज के इस हरकत का असरसूरज पर कैसा हो रहा है इतना तो सुनैना जानते ही थी लेकिन उसके बेटे की हरकत का असरउसके बदन में आग लग रहा था एक तो महीनों से वह पुरुष संसर्ग के लिए तड़प रही थी और ऐसे हालात में एक मोटा तगड़ा लंड उसके बुर के बेहद करीब रगड़ रहा था,,,ईस गरमा गरम एहसास से उसकी बुर का लावा पिघलने लगा था,,,, वह मदहोश हो जा रही थीऔर उसकी हलटता बहुत ज्यादा खराब होने लगी जब लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे उसके बुर के मुहाने पर स्पर्श होने लगा ठोकर मारने लगा,,,,अपने बेटे की इस काम को हरकत से वह पूरी तरह से गदगद हो गई थी और प्रार्थना कर रही थी कि उसका लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश कर जाए लेकिन शायदऐसे में सुनैना के सहकार के बिना सूरज का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर पाना नामुमकिन था लेकिन फिर भी वह उसे मुख्य द्वार तक पहुंच चुका था जहां पहुंचने के लिए दुनिया का हर मर्द अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है और पहुंच जाने के बाद अपने आप को सबसे भाग्यशाली समझता है लेकिन सूरज इतने करीब पहुंच कर भी अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था भले ही वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में प्रवेश नहीं करा पाया था,,, फिर भी यह उसके लिए बहुत बड़ा सौभाग्य था और इतने में ही वह अपने लंड का अलावा उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर उगलना शुरू कर दिया था।



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उसे घटना को याद करके सुनैना गुसलखाने के अंदर अपनी टांगों को खोलकर अपनी बुर में अपनी दो उंगली डालकर उसे अंदर बाहर कर रही थी और पूरी तरह से निश्चिंत होकर के की घर में उसकी जवान बेटी और उसका जवान बेटा दोनों मौजूद हैं उसे इस बात की भी चिंता नहीं थी कि इस हालत में उसका बेटा अगर उसे देख लेगा तो उसके लिए तो सोने पर सुहागा हो जाएगा वह समझ जाएगा कि उसकी मां लंड के लिए तड़प रही है,,, और शायद अपनी मां की स्थिति को देखकर वह अपने आप पर काबू न कर पाए और खुद गुसलखाने में प्रवेश करके अपनी मां की जवानी की प्यास को अपने मोटे तगड़े लंड से बुझा डालें,,, शायद दिल के किसी कोने में सुनैना के मन में यही चल भी रहा था एक तरफ वह आगे बढ़ने से डर भी रही थी लेकिन एक तरफ वह चाह भी रही थी कि शायद ऐसा हो जाए,,,अपनी आंखों को बंद करके अपनी दो ऊंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करते हुए मस्त हो रही हैऔर मजे की बात यह थी कि इस समय उसके ख्यालों में उसका बेटा ही था जो उसकी कल्पना में उसके दोनों टांगों को खोलकर उसके अंदर पूरी तरह से समा जाने की पूरी कोशिश कर रहा था और देखते ही देखते वह भल भला कर झड़ने लगी,,, उसे संतुष्टि का एहसास हो रहा था और अपने आप को दुरुस्त करके वह नग्न अवस्था में ही नहाने लगी,,, जब वह नहा रही थी तभी अचानकरानी वहां पर आ गई और अपनी मां को पूरी तरह से नंगी होकर नहाते हुए एकदम आश्चर्य से भर गई और हंसते हुए बोली,,।

यह क्या मां तुम अपने सारे कपड़े उतार कर नहा रही हो,,,,।




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(कानों में रानी की आवाज पडते ही पल भर के लिए सुनैना शर्मिंदगी के एहसास से भरने लगी हालांकि अभी तक वह रानी की तरफ देखी नहीं थी,,, और अगले ही पल वह अपने आप को दुरुस्त करते हुए एकदम सहज होते हुए अपनी बेटी की तरफ देखे बिना ही बोली,,,)



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तो इसमें कौन सा पहाड़ टूट पड़ा हैअपने ही कपड़े उतार कर नहा रही हूं ना किसी और के कपड़े उतार कर उसे नहला तो नही रही हूं,,,,।

अरे मैं कुछ बोल थोड़ी रही हूं लेकिन जानती हो भाई घर में है अगर यहां पहुंच गया तो तुम्हें ईस हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा,,,,,।

(सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज घर पर मौजूद हैलेकिन फिर भी अपनी बेटी की बात सुनकर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली,,,)

क्या कहा तूने सूरज घर पर है अरे वह तो कब से घर से बाहर जाने के लिए बोल रहा था और खेत पर मिलुंगा ऐसा कह रहा था,,,,।

अरे नहीं मा वह घर पर ही है तभी तो मैं कह रही हूं कि अगर भाई तुम्हें ईस हालत में देख लिया तो क्या सोचेगा,,,,।


हाय दैया अच्छा हुआ तूने मुझे बता दी,,,(इतना कहते हुए लोटा भर कर अपनी अपने ऊपर डालते हुए वह धीरे से खड़ी हो गई और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) ला मेरा कपड़ा मुझे दे,,,,
(रानी अपनी मां की नंगी जवान देखकर मंत्र मुग्ध हो रही थीरानी का ध्यान अपनी मां की खरबूजे जैसी कई हुई चूचियों पर थी जिनमें जरा भी लचक नहीं थी वह अभी भी जवानी से भरी हुई थी,,, भरा हुआ शरीर चिकन पेट उन्नत छातियांऔर जैसे ही रानी की नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच त्रिकोण आकार पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए दो बच्चों की मां होने के बावजूद कि उसकी गुलाबी पत्ती बस हल्की सी बाहर दिखाई देती थी ऐसा लग रहा था कि जैसे सुबह-सुबह गुलाब खिल रहा हो,,, मोटी मोटी केले के तने के समान चिकनी जांघें,,, देख कर रानी को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि इस उम्र में भी वह अपनी मां के आगे कुछ भी नहीं थी और इस बात से वह खुश भी हो रही थी वह अपनी मां को एक तक ऊपर से नीचे की तरफ देखे जा रही थी यह देखकर सुनैना बोली,,)

अरे क्या हुआ क्या देख रही है जल्दी से मेरे कपड़े दे,,,,,,।


देख रही हूं मां की तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,
(अपने बेटे के मुंह से तो अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह मस्त हो ही रही थी और इस समय अपनी बेटी के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी,,,,उसे रानी के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर बड़ा अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी वह जानबूझकर इस पर ना ध्यान देने का बहाना करते हुए बोली,,)

अरे तू यह सब छोड़ जल्दी से मेरे कपड़े दे कहीं सही में यहां पर सूरज आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर रस्सी पर रखे हुए कपड़ों को अपने हाथ में लेकर वह अपनी मां की तरफ हाथ आगे बढ़ा दी और सुन ना जल्दी से अपनी बेटी के हाथ से कपड़े लेकर पहनने लगी,,,, और कपड़े पहनते हुए वह बोली)

मुझे खेत पर जाना है देर हो रही है मेरे कपड़े धो देना,,,।


ठीक है मां,,,,(इतना कहकर वह अपनी मां की खूबसूरत बदन के बारे में सोचने लगी और इस बारे में भी सोचने लगी कि अगर वाकई में उसके भाई की नजर इस समय उसकी मां पर पड़ जाती तो उसके मन में क्या चल रहा होता,,,, रानी यह सोचकर हैरान थी कि जब वह अपनी सगी बहन को नहीं छोड़ाउसकी नंगी गांड देखकर उसे सिर्फ पेशाब करते हुए देखकर उसकी हालत हो गई और उसके साथ रोज चुदाई कर रहा है तो अपनी मां को तो पूरी तरह से नंगी देखकर वह उसका गुलाम बन जाएगा और वह अपनी मां के साथ भी शारीरिक संबंध बना देगा यह ख्याल उसके मन में आती है उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी और अगले ही पर उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,, यह सोचकर कि अगर वाकई में ऐसा हो गया तो उसका भी रास्ता साफ हो जाएगा जब घर में ही बेटे का संबंधबहन के साथ-साथ मां के साथ भी बन जाएगा तो तीनों को खुला दऐर मिल जाएगा अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए,,, किसी जात का रोक-टोक नहीं होगा जब मन करे तब खटिया पर लेकर सो जाओ,,,,।




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यह सोचकर उसके चेहरे परउत्तेजना और शर्म की लाली जा रही थी और यह सोचकर वह थोड़ी हैरान हो गई थी कि अगर वाकई में उसके भाई का संबंध उसकी मां की शादी बन जाएगा तो उसके भाई को सबसे ज्यादा मजा चोदने में किसको आएगा उसे खुद को या अपनी मां को फिर वह अपने मन में सोचने लगी कीहोना हो उसके भाई को अपनी मां चोदने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा क्योंकि इस समय वह खुद अपनी मां का खूबसूरत बदन देखकर उसकी तरफ आकर्षित हो गई थी तो भला सूरज किस खेत की मूली है,,, अब वह यह सोचकर हैरान भी थी कि अगर ऐसा हो गया तो सच में उसका भाई तो मां के ही कमरे में घुसा रहेगा और फिर ऐसा भी तो हो सकता है कि उसका भाई एक साथ दोनों की चुदाई करें एक ही खटिया पर बारी बारी से दोनों की चुदाई करें,,, इस बात को सोचकर वह मस्त हुए जा रही थी कि तभी उसकी मां बोली,,,)

क्या हुआ किस ख्याल में खोई हुई है,,,,।

कककक,,, कुछ नहीं बस ऐसे ही,,,।


मैं जो कह रही हूं काम कर देना और घर खुला छोड़कर इधर-उधर मत घूमना,,,।

ठीक है मां मैं घर खुला छोड़कर इधर-उधर नहीं घूमने वाली,,,,,।

(कपड़े पहनकर वह आंगन में आई तो देखी तो उसका बेटा खाना खा चुका था और वहीं पास में पड़ी खटिया पर बैठा हुआ था,, उसे देखकर मन अपने मन में ही सोचने लगी काश उसका बेटा उसे नंगी नहाते हुए देख लेता तो मजा आ जाता जब उसे पैसाब करते हुए देखकर उसकी यह हालत हुई थी कीनंगी गांड करके उसका लंड पकड़ रहा था अगर उसे पूरी तरह से नंगी देख लेता तो शायद उसकी बुर में ही लंड डाल देता,,,,फिर किसी तरह से अपने आप को ख्यालों की दुनिया से बाहर निकालते हुए वह अपने बेटे से बोली,,)




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सूरज अब अपने काम को बढ़ाना होगा फसल की जितनी कटाई होनी चाहिए थी उतनी कटाई हुई नहीं है,,,,।


मैं भी यही सोच रहा था,,,।

सोचने से काम बनने वाला नहीं है अब थोड़ी फुर्ती दिखानी होगी,,,।


तुम चिंता मत करो मा सब कुछ हो जाएगा,,,,।


तू खाना तो खा लिया ना,,,,।


हां मैंने तो खा लिया हूं,,,(अपनी कुर्ते को निकालते हुए) तुम भी खा लो,,,,(और कुर्ती को खटिया पर रखते हुए कुर्ता निकल जाने के बाद इसकी चौड़ी छाती एकदम से उजागर हो गई जिसे देखकर सुनैना की टांगों के बीच थरथराहट महसूस होने लगी,,, वह अपने मन में सोचने लगी थी उसका बेटा वाकई में पूरा मर्द बन चुका है एकदम बांका जवान,,,, पल भर के लिए सुनैना का मन कर रहा था कि वह अपने बेटे की बाहों में समा जाए लेकिन जल्द ही वह अपने आप को सहज करते हुए बोली,,,)

हां मैं भी खा लेती हूं,,,,।

खाने के बाद थोड़ी रोटी और सब्जी बांध लेना दोपहर में भूख लग जाती है,,,,।

भूख लग जाती है तो मेरा दूध पी लिया कर दबा दबा कर तेरा पेट भर जाएगा,,,(अपने बेटे की बात सुनकर अनायास ही उसके मन में यह ख्याल किया था और वह अपने मन में ही यह बात बोल रही थी लेकिन अपने बात को अपने मन में ही बोलने के बाद वह शर्म से पानी चाहिए होने लगी थी उसे अपनी ही सोच पर शर्मिंदगी का एहसास हो रहा था कि वह अपने बेटे के साथ ऐसा कैसा सोच रही है,,,, शर्म के मारे वह अपने बेटे को कुछ बोल नहीं पाई और रसोई में खाने के लिए बैठ गई,,,,खाना खाने के बाद वह अपने बेटे के कहे अनुसार थोड़ी सब्जी और थोड़ी रोटी को कपड़े में बढ़ रही थी और दोनों खेत की तरफ निकल गए थे,,, रानी अपनी मां और अपने भाई के जाने के बाद बाकी का बचा काम करने लगी क्योंकि उसे भी आज कुंवर से जो मिलना था,,,, उससे पहले मुलाकात के बारे में सोचकर ही उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी।




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दूसरी तरफ मां बेटे दोनों खेत पर पहुंच चुके थेऔर वाकई में फसल काटने में थोड़ी तेजी दिखा रहे थे,,,, फसल काटते हुए भी सुनैना का मन इधर-उधर भटक रहा थावह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की नजर हमेशा उसे पर ही बनी हुई है वह जब फसल काटने के लिए झुकती थी तो वहअच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसके पिछवाड़े कोई घूरता रहता है और अपनी बात की तसल्ली खेलने के लिए वहां झुक कर अपने बेटे की तरफ देख भी ले रही थी और वाकई में उसका सोचना सही साबित हो रहा था जहां एक तरफ उसे अपने बेटे की हरकत से थोड़ी परेशानी महसूस होती थी वही वह उत्तेजना से गदगद भी हो जा रही थी,,,, देखते ही देखते सूरज एकदम सर पर आ चुका था और दोनों नीम के पेड़ के नीचे बैठकर इस खटिया पर जी खटिया पर मां बेटे दोनों अद्भुत सुख का एहसास किए थे उसी पर खाना खा रहे थे,,,,वह दोनों खाना खा ही रहे थे कि तभी सामने से मुखिया और मुखिया की बीवी आई हुई नजर आई जिसे देखकर सुन ना एकदम से खटिया से नीचे उतर कर खड़ी हो गई और अपने बेटे से बोली,,,।

सूरज हुआ देख मुखिया और मुखिया की बीवी आ रही है,,,,।





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तो क्या हो गया तुम खटिया पर से उठकर नीचे क्यों खड़ी हो गई आने दो वह तो खेत का मुआयना करने के लिए आ रहे होंगे,,,।

फिर भी मुझे दूसरों के सामने बैठकर खाना खाने में अच्छा नहीं लगता,,,,,।

(तभी मुखिया और उसकी बीवी एकदम से करीब आ गए और मुखिया मुस्कुराते हुए सूरज कि तरफ देखते हुए बोले,,,)

और सूरज बेटा काम कहां तक पहुंचा,,,,,(इतना कह कर सुनैना की तरफ देखते हुए हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए बोले) नमस्ते भाभी जी,,,




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नमस्ते मलिक,,,(सुनैना भी शर्मा कर अपने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए बोली,,,,, शालीनता दिखाते हुए सूरज की खटिया से नीचेउतर कर खड़ा हो गया था और मुखिया और मुखिया की बीवी को बैठने के लिए बोल रहा था,,,,,उसकी बात मानते हुए मुखिया तो खटिया पर बैठ गया था लेकिन मुखिया की बीवी के मन में कुछ और चल रहा था वह सूरज से बोली,,,,,)


इसके आगे ही अंगूर का बाग है ना,,,,,


जी मालकिन,,,,,

अच्छा एक काम करो,,,, आप यहीं बैठो,,, मैं सूरज को लेकर जाती हूं थोड़े अंगूर तोड़ने हैं,,,।

अंगूर किस लिए भाग्यवान,,,( अपनी बीवी की बात सुनकर मुखिया जी बोल पड़े,,,)

अरे रिश्तेदारों के वहां भेजना है इस बार भेज नहीं पाई हूं समय से समय निकल गया तो अंगूर भी खराब हो जाएंगे,,,,‌

मालकिन सच कह रही है समय निकल गया तो अंगुर भी खराब हो जाएंगे,,,,(सुनैना भी घूंघट की आड़ में से मुखिया की बीवी के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,, उसका जवाब सुनकर मुखिया की बीवी प्रसन्न हो गई और अपने पति से बोली,,,)

आप यह सब नहीं समझेंगे,,,,, चल सूरज जल्दी से अंगूर तोड़ दे,,,।

मैं भी चलु मालकिन,,,,

नहीं नहीं तुम यहीं रहो,,,, सब लोग वहां जाकर क्या करेंगे,,,,।






अच्छा तो मैं बाल्टी ले लेता हूं उसी में अंगूर भर लेंगे,,,,(सूरज तुरंत बाल्टी की तरफ लपका और उसे अपने हाथ में ले लिया,,,और दोनों गेहूं के खेत के बीच में से आगे की तरफ बढ़ने लगे उन दोनों को जाते हुए सुनैना देख रहे थे उसकी मांभी उन दोनों के साथ जाने को कर रहा था क्योंकि अब न जाने क्यों किसी भी अंजान औरत के साथ अपने बेटे को छोड़ने में उसे अजीब सा महसूस होने लगा था,,,,लेकिन फिर भी अपने मन को दिलासा देते हुए वह अपने आप से ही बोली कि इतने बड़े मुखिया की बीवी भला हम जैसे छोटे गरीब लोगों को मुंह क्यों लगाएगी भला वह उसके बेटे के साथ संबंध क्यों बनाएगी,,, यही वह खड़ी होकर सोच रही थी कि तभी मुखिया जी बोले,,)

खड़ी क्यों हो बैठ जोलगता है हम लोग गलत समय पर आ गए तुम लोग खाना खा रहे थे ना,,,।


नहीं नहीं मालिक हम लोग तो खाना खा चुके थे,,,

तब ठीक है,,,, सच कहूं तो भोला मेरे छोटे भाई जैसा था वह रहता था तो समझ लो मेरे सर से आधा बोझ कम हो जाता था,,,, पता नहीं कहां कमाने चला गया,,,,।

(मुखिया के मुंह से अपने पति का जिक्र सुनकर सुनैना को थोड़ा दुख हुआ,,, फिर वह भी अपने आप को स्वस्थ करते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं मालिक हम लोग हैं नाअभी वह नहीं है तो हम लोग काम कर देंगे जब वह आएंगे तो फिर वह खुद सारा काम कर लेंगे,,,,,


हां यह बात तो है,,,(इसी तरह से दोनों के बीच वार्तालाप होती रही और दूसरी तरफ थोड़ी डर निकलने के बाद मुखिया की बीवी सूरज से बोली,,,)





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क्या है रे अब आता क्यों नहीं मेरे पास मैं रोज तेरा इंतजार करती हूं और तू है की नजर ही नहीं आता कहीं ऐसा तो नहीं की दूसरी तो नहीं मिल गई तुझे,,,,।

यह कैसी बात कर रही हो मालकिन,,,(गेहूं के खेत में बीचो-बीच खड़े होकर दोनों बात करते हुए ) तुमसे ज्यादा खूबसूरत और हसीन कौन मिलेगी,,,,.

नहीं मुझे तो ऐसा लग रहा है कि कोई और मिल गई है वरना तेरे जैसा जवान लड़का खूबसूरत बुर पाकर दिन रात लार टपकाए पीछे-पीछे घूमता रहता है और तू है कि अब मेरे घर आना ही छोड़ दिया है,,,।

ऐसी बात नहीं है मालकिन देख रही हो ना अभी फसल की कटाई बाकी है समय पर कटाई नहीं हुई तो बारिश शुरू हो जाएगी इसीलिए समय नहीं मिल पाता,,,,,(अंगूर के बाग की तरफ आगे बढ़ते हुए)

यह तो मुझे सब बहाना लग रहा है जरूर तुझे कोई और बुर मिल गई है डालने के लिए,,,, तभी तो मेरे पास नहीं आता है और हां कहीं ऐसा तो नहीं तेरी मां ही तुझे मजा दे रही हो,,,,,।

( मुखिया की बीवी की यह बात सुनकर सूरज चलते-चलते अपनी जगह पर ही रुक गया और मुखिया की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)

यह कैसी बात कर रही हो मालकिनभला ऐसा हो सकता है क्या एक बेटा अपनी मां के बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता,,,,।

अरे बेवकूफ आजकल क्या नहीं हो सकता और मैं तो देखती हूं कि तेरी मां मुझे की ज्यादा खूबसूरत है भरे बदन वाली है उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मुझे भी ज्यादा बड़ी है उसकी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,,, ऐसे में मुझे पूरा यकीन है कि तेरा भी लंड खड़ा हो जाता होगा,,,, और औरत की जवानीकी तड़प तो अच्छी तरह से जानता है किसी भी हद तक जा सकती है और तेरी मां तो महीनों से अपने पति से दूर है,,,, मैं समझ सकती हूं तेरी मां की हालतऐसी हालत में औरत के सामने किसी का भी लंड हो उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं होता उसे बस अपनी बुर में लेकर वह मस्त हो जाती है,,,,,।






(मुखिया की बीवी की बातें सुनकरसूरज की हालत खराब हो रही थी मुखिया की बीवी खुले शब्दों में उसकी मां के बारे में बात कर रही थी और उन दोनों के बीच संबंध को लेकर शंका जता रही थी जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था हालांकि सूरज अच्छी तरह से जानता था की मुखिया की बीवी कुछ हद तक एकदम सही थी क्योंकि उसकी नजर उसकी मां पर थी और वह अपनी मां को चोदना चाहता था और उसे इस बात से भी ऐतराज नहीं था कि उसकी मां मुखिया की बीवी से ज्यादा खूबसूरत और भरे बदन वाली थी ऐसे में वाकई में उसे देखकर किसी का भी लंड का खड़ा हो जाना हैरानी की बात नहीं थी।इसलिए मुखिया की बीवी की बात में पूरी तरह से सच्चाई थी लेकिन वह अपनी मां की बात को वह मुखिया की बीवी के सामने कैसे बता सकता था कि वाकई में वह अपनी मां को चोदना चाहता है या दोनों के बीच कुछ है,,,, इसलिए वह मुखियाकी बीबी की बात को सुनकर बोला,,,)

ऐसा कुछ भी नहीं है मालकिन मेरे लिए तो पूरी दुनिया में आप ही सबसे ज्यादा खूबसूरत हैं और सच में आप बहुत खूबसूरत है,,,।

नहीं मुझे तो ऐसा नहीं लगता है तभी तुम दोनों खेत में बड़े आराम से काम करते हो एक दूसरे का साथ पाकर सच-सच बताना तेरी मां साड़ी उठाकर तुझे कुछ दिखाती तो नहीं है,,,,।




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नहीं मालकिन ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,,।

नहीं नहीं मुझे तो ऐसा ही लग रहा है,,,,नहीं तो तू इस तरह से मुझे नजर अंदाज नहीं करता मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मां तुझे चोरी चुपके अपना सब कुछ दिखाई है नहाते हुए पेशाब करते हुए सच बताना अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा है कि नहीं,,,,।


अरे अब मैं कैसे बताऊं ऐसा कुछ भी नहीं है मालकिन,,,,,(दोनों बातचीत करते हुए अंगूर के बाग में पहुंच चुके थे,,,, अंगूर का भाग वाकई में बहुत खूबसूरत लग रहा था हर एक लताओं पर अंगूर का गुच्छा लटका हुआ था,,,,, बड़े-बड़े डंडे कोचारों तरफ लगाकर उसके ऊपर अंगूर की लताएं बिछी हुई थी जिसे नीचे एकदम छांव था अंगूर को देखकर सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) देखो तो सही मालकिन चारों तरफ अंगूर ही अंगूर दीख रहे हैं,,,,।


यहां अंगूरी तड़प रही और तुझे अंगूर की पड़ी है,,,, सच-सच बताना कहीं तुम मां बेटे के बीच तो कुछ नहीं चल रहा है,,,,।


फिर वही बात मालकिन ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,।

नहीं है तो फिर तो मेरे पास क्यों नहीं आता,,,(इतना कहते हुए मुखिया की बीवी तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर सूरज के पजामे के आगे वाले भाग को अपनी मुट्ठी में दबोच दी और एकदम से चौंकते हुए बोली,,,)तुम्हें क्या है यह इतना खड़ा क्यों हो गया है सच में तुम मां बेटे के बीच कुछ चल रहा है तभी तेरा लंड खड़ा हो गया,, है,,,,,।


अब इस तरह की बातें करोगी तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाएगा,,,,,,,

ओहहहह अपनी मां की मस्ती भरी बातें सुनकर तेरा लंड खड़ा हुआ है ना तब तो जरूर तेरा मन तेरी मां को चोदने को करता होगा,,,,,(सूरज के लंड को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए बोली,,,)

आहहहबह मालकिन धीरे से दुख रहा है,,,,,।




रुक इसका दर्द दूर कर देती हूं,,,,(इतना कहने के साथ हीमुखिया की बीवी पजामा के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़े हुए अंगूर की लताओं के नीचे की तरफ ले जाने लगी क्योंकि वहां छांव थी और सूरज भी उसके पीछे-पीछे अंगूर के बाग में पहुंच गया वहां पर पहुंचते ही मुखिया की बीवी तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई और तुरंत फुर्ती दिखाते हुए सूरज के पजामी को एक झटके से उसकी घुटनों तक खींच दी जिसकी वजह से उसका मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगाऔर मुखिया की बीवी के चेहरे पर उत्तेजना और प्रसन्नता के भाव साथ नजर आने लगे लेकिन वह इतनी जल्दी में थी कि सूरज के लंड को पकड़ने की जरूरत नहीं समझी और तुरंत उसे अपने लाल-लाल होठों को खोलकर उसे अपने मुंह में भर लीऔर उसे पागलों की तरह चूसने लगी मानो के जैसे बहुत दिन बाद उसे उसका पसंदीदा खिलौना मिला हो,, सूरज एकदम से मस्त होने लगा पागल होने लगा और अपनी आंखों को बंद कर लिया मुखिया की बीवी मदहोश होकर अपना पूरा हुनर सूरज के लंड पर दिखा रही थी,,,वह जैसे-जैसे अपनी जीभ उसके मोटे सुपाड़े पर घूमा रही थी वैसे-वैसे सूरज की हालत और ज्यादा खराब होती चली जा रही थी उसका बदन कसमसा रहा थाअपने आप को संभाल पाने की शक्ति है उसने नहीं थी इसलिए वह तुरंत अपना हाथ ऊपर की तरफ करके मोटे लकड़ी को थाम लिया जिस पर अंगूर की लताएं बिछी हुई थी,,,, और अपनी कमर आगे पीछे करके उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया।





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मुखिया की बीवी मस्त हो रही थी पागल हुई जा रही थी वह सूरज के लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए ब्लाउज के ऊपर से अपने दोनों चूचियों को जोर-जोर से अपने हाथ से दबा रही थी,,,,, यह देख कर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी और वह अपने मन में सोचने लगेगा कि उसकी मां मुखिया की बीवी की तरह क्यों नहीं है,काश उसकी मा भी मुखिया की बीवी की तरह होती तो उसे इतना तड़पना नहीं पड़ता,,,,, दोनों मजा ले रहे थे और गरम आंहे भरते हुए सूरज बोला,,,)


मालकिन पहले अंगूर तोड़ ली होती तो,,,,,।


उतना समय नहीं है अंगूर बाद में तोड़ लिया जाएगा,,,(बस इतना कहने के लिएमुखिया की बीवी अपने मुंह में से सूरज के लंड को बाहर निकली थी और इतना कहने के साथ ही फिर से उसे अपने गले के अंदर गटक ली थी,,,सूरज भी मत हुआ जा रहा था वह एक हाथ से मोटे लकड़े को पकड़कर दूसरे हाथ को मुखिया की बीवी के सर पर रखकर उसे अपने लंड की तरफ और ज्यादा दबाव दे रहा था।कुछ देर तक मुखिया की बीवी इसी तरह से मजा लेती भी रही और सूरज को मजा देता भी रही और फिर धीरे से उसके लंड को बाहर निकलना और गहरी सांस लेते हुए तुरंत उठकर खड़ी हो गई,,,, सूरज को लग रहा था कि अब यह पेलवाएगीलेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह तुरंत अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर तक उठाई और सूरज से बोली,,,)

बैठ नीचे,,,,,

(सूरज भी मुखिया की बीवी की बात मानते हुए तुरंत नीचे बैठ गया और मुखिया की बीवी अपनी मोटी मोटी जंग को ऊपर की तरफ उठाकर उसके कंधे पर रख दी और तुरंत अपनी बुर को उसके होठों से सटा दी,,,, और पागलों की तरह सूरज से अपनी बुर चटवाने लगी,,,,, बहुत दिनों से मुखिया की बीवी तड़प रही थी सूरज के साथ चुदवाने के लिए,,, और युं एकाएक खेत पर आने की युक्ति भी मुखिया की बीवी की ही थी,,, वह किसी भी तरह से सूरज से मिलना चाहती थी अपनी जवानी की प्यास बुझाना चाहती थीजब खेत पर आई तो उसकी मां को साथ में देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कोई बहाना उसे दिखाई नहीं दे रहा था तो एकदम से अंगूर का बहाना उसे याद आ गया और सूरज को लेकर अंगूर के बगीचे में आ गई थी और यहां पर आकर वह सूरज के साथ मजे लूट रही थी,,,,,, सूरज पागलों की तरह मुखिया की बीवी का नमकीन पानी चाट रहा था और अंगूर के बगीचे में मुखिया की बीवी की गरमा गरम शिसकारी गुंज रही थी और इस शिसकारी को सुनने वाला वहां कोई नहीं था,,,,मुखिया की बीवी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह जल्दी से जल्दी सूरज के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,,, इसलिए सूरज के चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर वह अपनी बर से उसे अलग की और अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही वह दूसरी तरफ घूम गई और अपनी गांड को सूरज के सामने परोस दी,,,,।

मुखिया की बीवी की गोरी गोरी बड़ी गांड देखकर सूरज की हालत खराब हो गई और वह अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया,,, और अपने लंड को अपने एक हाथ में पकड़ कर धीरे से उसकी टांग को हल्के से खोलकर उसके गुलाबी छेद से टिका दिया और हल्का सा धक्का मारा मुखिया की बीवी की बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी इसलिए पहले प्रयास में ही सूरज का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया थाऔर फिर वह दोनों हाथों से मुखिया की बीवी की कमर थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था मुखिया की बीवी पागल हो जा रही थी अभी कुछ दिन ही हुए थे सूरज से चुदवाई लेकिन इन कुछ दिनों में ही उसे बरसों की तड़प महसूस हो रही थी,,, सूरज बड़े तेजी से मुखिया की बीवी की चुदाई कर रहा था,,,,, और मुखिया की बीवी मस्त हुए जा रही थी।


सहहहह आहहहहहह जोर-जोर से धक्के लगा रे हरामी तेरा दम खत्म हो गया क्या मादरचोद,,,।


मेरा दम खत्म नहीं हुआ है मेरी जान,,,,,


तेरी बुर और ज्यादा कसीली हो गई है,,,,,(जोर-जोर से धक्के लगाते हुए)

तो तेरी मां की ढीली है क्या मादरचोद,,,,

उसकी तो और भी ज्यादा कसी हुई होगी बहुत दिनों से उसकी बुर में लंड जो नहीं गया है,,,,(एकदम मस्ती में आकर मुखिया की बीवी को चोदते हुए वह एकदम से बहक गया था और अपनी मां के बारे में बातें करने लगा था,,,)


जब ज्यादा कसी हुई बुर है तो कैसे चोदेगा अपनी मां को,,,,,,

जैसे तेरी चुदाई कर रहा हूं छिनार वैसे ही उसकी भी चुदाई करूंगा,,,,,


आहहहहह आहहहहहह,,,, जालिम तेरा लंड तो सांड की तरह है,,,,।

तो साड़ी ही तो पसंद है तुम औरतों को छिनार क्या पतला लंड से तेरी प्यास बुझने वाली है,, नहीं ना,,,, तुम छिनार लोग को तो सांड की तरह ही चोदना चाहिए,,,,।


तेरी मां की तो छिनार है उसे भी इसी तरह से चोदना,,,,,


अभी तक तो नहीं है लेकिन धीरे-धीरे बन जाएगी तेरी जैसी छिनार मादरचोद बहुत आग लगी है,,,ना तेरी बुर में,,,,, भोसड़ा चोदी,,,, अंगुर तोड़ने के बहाने मुझे लेकर आई ना,,,, रुक तेरा खरबूजा दबाता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपना दोनों हाथ आगे की तरफ ले जाकर एक झटके सेउसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाना शुरू कर दियामुखिया की बीवी को बहुत मजा आ रहा था आज पहली बार सूरज इस तरह की गंदी बातें करते हुए गाली देते हुए उसकी चुदाई कर रहा था और पहली बार सूरज को भी एहसास हो रहा था की औरतों की चुदाई करते समय गाली देने में बहुत मजा आता है और मुखिया की बीवी भी इस पल का आनंद ले रही थी,,,,)

मेरे पास तो खरबूजा है लेकिन तेरी मां के पास तो तरबूज है जोर-जोर से दबाना ज्यादा मजा आएगा छिनार का,,,,।


उसका बाद में देखा जाएगा लेकिन इस समय रंडी का दबा दबा कर जो मजा मिल रहा है उसका क्या कहना,,,, मुखिया जी लगता है तेरी चुदाई नहीं कर पाते तभी तु तड़प रही है,,,,।

मुखिया मादरचोद में दम कहां है तभी तो तेरे सामने टांगें खोलकर खड़ी हूं,,,,,

तब तक तो सही जगह पर अपने टांगें खोलकर खडी है ले संभाल,,,,।


आहहहहह आहहहहहह,,ऊईईईईई मां,,,,ऊममममममम आहहहहहहह,,,, हाय रे जालिम तु तो मेरी बुर का भोसड़ा बना देगा,,,,,


मन तो मेरा कर रहा है की घुस जाऊं तेरी बुर में,,,आहहहहहह बहुत मजा देती है तु छीनार ,,,,,आहहहहहह,,,,


तू भी बहुत मजा देता है मादरचोद,,,,।
(मदहोशी में दोनों पागल हो जा रहे थे सूरज पागलों की तरह धकके पर धक्का लगा रहा था,,,, मुखिया की बीवी को एहसास हो रहा था कि वह यहां आकर कोई गलती नहीं की थी क्योंकि गजब का सुख दे रहा था सूरज और फिर थोड़ी देर बाद दोनों एकदम चरम सुख के करीब पहुंचने लगे सूरज एकदम से मुखिया की बीवी की कमर को जोर से थाम लियाऔर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा और मुखिया की बीवी भी झड़ने वाली थी इसलिए दोनों हाथों से मोटे-मोटे डंडों को पड़कर अपने आप को संभाले हुए थी,,, फिर देखते ही देखते दोनों झड़ना शुरू कर दिए,,,,
दोनों मस्त हो चुके थे मदहोश हो चुके थे तृप्ति का एहसास दोनों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था वासना का तूफान गुजर जाने के बाद दोनों अपनी-अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगे और फिर सूरज जल्दी-जल्दी अंगूर के गुच्छे को तोड़कर बाल्टी में भरने लगा था,,,, थोड़ी देर बाद दोनों खेत में पहुंच चुके थे,,,,सूरज को देखकर सुनैना की जान में जान आई लेकिन एक औरत के साथ इतनी देर तक अपने बेटे को खेत में अंगूर तोड़ते हुए देखकर कुछ अजीब लग रहा था और वैसे भीमुखिया की बीवी के बाल थोड़ा अस्त व्यस्त नजर आ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या है,,, लेकिन वह ज्यादा कुछ बोल नहीं पाईऔर जब मुखीया और मुखिया की बीवी दोनों जाने को हुए तो,,,, सुनैना बोल पड़ी,,)

मलिक अगर थोड़े पैसे मिल जाते तो,,,।

अरे हां,,,,(इतना कहकर मुखिया अपनी कुर्ते की जेब में हाथ डालकर पैसे निकालने लगा,,,और पैसे निकाल कर मुस्कुराते हुए सुनैना के हाथ पैर रख दिया सुनैना भी खुशी-खुशी उसे लेकर अपनी साड़ी के पल्लू में बांधने लगी,,,,दोनों के चले जाने के बाद वापस मां बेटे फसल की कटाई करने लगे लेकिन अभी भी सुनैना के मन में ढेर सारे सवाल चल रहे थे,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अपने पती से काम सुख न मिलने कारण सुनैना अपने बेटे सुरज की ओर आकर्षित हो रही है और तो और वो उसके नाम से अंगुली करके अपने आप को शांत करने का प्रयास कर रही है वो ही हाल सुरज का भी है
खेत में अंगुर की बाग में मुखिया की बिबी और सुरज के बीच क्या जबरदस्त चुदाई का खेल हुआ और दोनों तृप्त हो गये
जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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अंगूर तोड़ने के बहाने मुखिया की बीवी सूरज को अपने अमरूद का स्वाद चखा गई थी,,, कई दिन से वह भी सूरज के साथ अपनी प्यास नहीं बुझा पाई थी,,, इसके लिए उसे इस तरह से खेत पर सूरज से मुलाकात करने के लिए आना ही पड़ा,, वैसे मुखिया की बीवी का इसमें कोई दोष नहीं था। क्योंकि बुर की खुजली होती है इतनीजबरदस्त कि उसे मिटाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है,,,, लेकिन मुखिया की बीवी भी पक्की खिलाड़ी थी अपने पति के साथ खेत पर पहुंच गई थी और वहां पर खुद सूरज की मां भी मौजूद थी लेकिन कितनी सफाई से अपने पति और सूरज की मां को वहीं पर रोक कर वहां अंगूर तोड़ने के बहाने अंगूर के बाग में सूरज के केले से अपनी भुख मिटा रही थी,,, वैसे तो मुखिया की बीवी की मौजूदगी सेसुनैना को थोड़ा बहुत एक औरत होने के नाते औरत से जलन तो होने लगी थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा आप पूरा जवान हो चुका है ऐसे में प्यासी औरतों की नजर उसके बेटे पर बनी रहना लाजमी था,,, इसलिए मुखिया की बीवी की मौजूदगी में अपने बेटे को लेकर सुनैना के मन में शंका बनी रहती थी।

आज भी उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थेवह भले ही मुखिया के साथ बैठी थी लेकिन उसका ध्यान अपने बेटे और मुखिया की बीवी पर ही बना हुआ थाक्योंकि वह मर्दों की नजरों से अच्छी तरह से बाकी थी वह जानती थी कि अब सूरज पूरी तरह से जवान हो चुका है और उसकी भी नजर औरतों के खूबसूरत जिस्म पर बनी रहती थीक्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि जब उसकी नजर अपनी ही सगी मां पर बनीहुई है तो दूसरी औरतों को वह किस तरह से देखता होगा इसका अंदाजा तो उसे लग ही गया था,,, फिर भी सूरज और मुखिया की बीवी के लौटने के बाद जिस तरह से उसने थोड़े से पैसों की मांग की थी और तुरंत मुखिया जी ने पैसे निकाल कर उसकी हथेली में रख दिए थे उस सुनैना को काफी संतुष्टि प्राप्त हुई थी और वह उन दोनों के जाने के बाद फिर से फसल की कटाई में लग गई थी।

फसल की कटाई करते हुएसूरज अपनी किस्मत के बारे में सोच रहा था और अपनी किस्मत पर उसे गर्व महसूस हो रहा था आज का दिन उसके लिए कुछ ज्यादा ही नसीबदार बना हुआ था। सुबह-सुबह अपनी मां की चूचियों के दर्शन करने के बाद और उससे मद भरी बातें करने के बाद जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव उसके बदन में हो रहा था,,, उसे देखते हुए सूरज के लिए अपनी उत्तेजना शांत करना जरूरी बन गया था और ऐसे में घर के पीछे गाय भैंस बांधने वाली जगह पर अपनी बहन की जमकर चुदाई किया था और खेत में मुखिया की बीवी भी उससे चुदवाने के लिए आ गई थी,,,यह सब उसके लिए गर्व की बात थी और नसीब की बात थी क्योंकि अभी कुछ महीने पहले ही वह कभी सोचा नहीं था की औरतों की वह इतना करीबजा पाएगा औरतों से तो डरता था उनसे बात करने में शर्म आता था लेकिन उसके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि आज औरतें खुद उसकी बाहों में आने के लिए मचल उठती थी,,, फसल काटते समय सूरज अपने मन में यह भी सोच रहा था की जवानी मर्दों के लिए कितना वरदान दाई होता है सच में मर्दों के लिए चुदाई के सुख से बड़ा और कोई सुख नहीं होता,,, तरह-तरह की औरतें अगर चोदने का मिल जाए तो इससे बड़ी मर्द के लिए और क्या बात हो सकती है बड़ी-बड़ी चूचियां नंगी जैसी चूचियां तरबूज जैसी गांड तो किसी की सुडौल गांड किसी की एकदम कसी हुई कुंवारी बुर तो किसी की जवानी की प्यास से भरी हुई चोदने को मिल जा रही थी यही तो जीवन का असली सुख होता है भला इससे बेहतर कौन सा सुख होगा जीवन में क्योंकि हर कोई तो इसी के लिए तरसता है और उसकी झोली में तो रोज कोई ना कोई बुर अपने आप चुदने के लिए आ रही थी। रोज संभोग का सुख मिलने के बावजूद भीसूरज इसी तरह से जानता था कि अभी भी उसके जीवन मेंकुछ कमी थी और उसे कमी को भी अच्छी तरह से जानता था वह कभी थी उसकी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी जिसे वह किसी भी कीमत पर प्राप्त करना चाहता था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अब तक वह जितनी भी बुर की चुदाई करता आ रहा था उन सब में सबसे ज्यादा खूबसूरत और मजा देने वाली बुर उसकी मां की ही होगी,,, और उसे दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था जिस दिन उसे उसकी मां की बुर चोदने को मिलेगी,,,

यही सब अपने मन में सोचता हुआ सूरज फसल की कटाई कर रहा था,,, आज मां बेटे दोनों ने फुर्तीदिखाई थी और आज कुछ ज्यादा ही फसल की कटाई वह दोनों ने कर दिए थे,,, लेकिन फिर भी अभी शाम ढलने में बहुत ज्यादा समय था इसलिए दोनों काम में लगे हुए थे। सुनैना के मन में बहुत कुछ चल रहा थापैसे मिल जाने के बाद कुछ देर के लिए वह मुखिया की बीवी को बोल रही थी लेकिन फसल काटते हुए फिर से उसके दिमाग में मुखिया की बीवी घूम रही थीउसकी आंखों के सामने बार-बार मुखिया की बीवी की मटकनी हुई गांड दिखाई देती थी जब वह अंगूर के बाद की तरफ जा रही थी और पीछे-पीछे उसका बेटा पार्टी लेकर जा रहा था उस समय सुनैना ने अच्छी तरह से गौर की थी कि आगे आगे चल रही मुखिया की बीवी पर गोलाकार नितंबों पर उसके बेटे की नजर गड़ी हुई थी,,, उस दृश्य के बारे में सोचते ही सुनैना के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लग गई थी,,,और उसे अपने बेटे पर गुस्सा भी आ रहा था कि कैसे प्यासी नजरों से मुखिया की बीवी की गांड देख रहा था,,, उसे दृश्य को याद करके सुनैना अपने मन में ही सोच रही थी कि वाकई में उसका बेटा आप जवान हो चुका था औरतों के बारे में उसकी सोच बदलती जा रही थी यह उसे उसकी हरकत से ही मालूम पड़ा रहा था। अपने बेटे के नजरिए को देखकरसुनैना को उसे पर गुस्सा भी आ रहा था और वह फसल की कटाई करते समय वह अपने गुस्से पर बहुत देर से काबू किए हुए थी लेकिन अब वह अपने आप पर काबू कर सकने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि बार-बार उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी की मटकती हुई गांड दिखाई देती थी और उसके बेटे की प्यासी नजर ,,,और फिर अपने आप को घर रोक नहीं पाई और फसल की कटाई करते-करते एकदम से रुक गई और अपने बेटे से बोली,,,।


मैं देख रही हूं की मुखिया की बीवी को तेरे से कुछ ज्यादा ही कम पडने लगा है।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज भी फसल काटते हुए अपनी मां की तरफ देखने लगा और एकदम सहज रूप से जवाब देते हुए बोला,,,)

क्यों क्या हो गया,,,?

अंगूर तोड़ने वाली बात तो मुखिया भी बोल सकते थे,,, लेकिन मुखिया की बीवी क्यों बोली।


तो उनके बोलने से तुम्हें दिक्कत है,,,।

दिक्कत उस बात से नहीं है,,, दिक्कत अब तेरी उम्र से है तेरी उम्र अब बच्चों वाली नहीं है।

(औरतों की संगत में उनसे सुख प्राप्त करके सूरज को इतना तो पता ही चल गया था की औरतों का मन कैसा होता हैइसलिए उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसकी मां को मुखिया की बीवी से दिक्कत थी और उसका कारण वह भी अच्छी तरह से समझ रहा था फिर भी अपनी मां के सवाल पर वह अनजान बनता हुआ बोला,,,)

उम्र से क्या लेना देना मां पहले में छोटा था और अब बड़ा हो गया हूं इसमें क्या दिक्कत हो रही है,,,।

दिक्कत है मुझे,,, मैं देख रही हूं की मुखिया की बीवी को तेरे से कुछ ज्यादा ही काम पडने लगा है किसी और से भी तो वह काम करवा सकती थी उनके पास नौकर चाकर की कहां कमी है,,,।

अरे मांअगर वह फसल की कटाई का काम किसी और को दे देंगे तो हमें क्या मिलने वाला है,,,,

मैं फसल की कटाई के बारे में नहीं बात कर रही हूं।

तो,,,,,?


मैं अंगूर तोड़ने वाली बात कर रही हूं,,,,।

अच्छा यह बात है,,,।

हां यही बात है अंगूर तो वह खुद अपने हाथ से भी तोड़ सकती थी।

क्या मां तुम भी खामखा परेशान हो रही हो अंगूर अगर वह अपने हाथ से तोड़ने लगेंगी तो दूसरी औरतों में और उन में फर्क क्या रह जाएगा,,,, आखिर कार वह मुखिया की बीवी है,,,, और वह लोग अपने हाथ से काम नहीं करते बल्कि दूसरे से करवाते हैं और सभी को दूसरों को पैसे मिलते हैं अगर सब काम हुआ अपने हाथ से करने लगे तो दूसरों लोगों का क्या होगा हम जैसे लोगों का क्या होगा,,,, समझने की कोशिश करो,,, और वैसे भी अंगूर तोड़ने में कौन सी बड़ी बात है बस तोड़ा और उन्हें दे दिया।

बात अंगूर की भी नहीं है,,,,(गुस्सा दिखाते हुए; सुनैना बोली)

लो अब कर लो बात अभी कह रही थी अंगूर की बात है और आप कह रही हो अंगूर की बात नहीं है तुम्हारी बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है,,,(फिर से फसल की कटाई करते हुए सूरज बोला,,,सुनैना अपने बेटे के सामने खुलकर बोल देना चाहती थी कि वह किस लिए ऐसा बोल रही है लेकिन ऐसा कहने में से शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह दूसरे शब्दों में बोली,,,,)

बात यही कि आप तेरा मुखिया की बीवी के साथ रहना मुझे पसंद नहीं है।

ऐसा क्यों कह रही हो मां आखिरकार वह हमारी मालकिन है,,,,।

मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि वह हमारी मालकिन है लेकिन वह मालकिन से पहले एक औरत है और तू औरतों को नहीं जानता,,,।

क्या मन में तुम्हारी बात कुछ समझ नहीं पा रहा हूं मेरे तो पहले ही नहीं पड़ रही है कि तुम कहना क्या चाहती हो ठीक ठीक समझाओ तो कुछ समझ में भी आए,,,,,(सूरज सब कुछ समझ रहा था लेकिन जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रहा था अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही थी,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना इधर-उधर देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से अपने बेटे से बताएंउसे शर्म महसूस हो रही थी और वह संस्कारी औरत थी अपने बेटे सही तरह की बात करना उसके संस्कार में बिल्कुल भी नहीं था अपनी मां की खामोशी देखकर सूरज फिर से बोला)

अरे जब तक बताओगी नहीं तो समझ कैसे आएगा कि तुम्हें दिक्कत क्या है,,,,।

(सूरज की बात सुनकर सुनैना इधर-उधर देखने लगी तसल्ली करने लगी कि कहीं कोई उसकी बात सुन तो नहीं रहा है उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन तसल्ली कर लेने के बाद वह धीरे से अपने होठों को अपने बेटे की तरफ आगे बढ़ाई और धीरे से बोली)

मुझे इस बात की चिंता है कि तू मुखिया की बीवी से कुछ ज्यादा ही घुलन मिलने लगा है।

क्या मां यह कोई बात नहीं हुई,,,,


बात है सूरज अब तुझे कैसे बताऊं तेरा नजरिया बदलने लगा है।

मेरा नजरिया बदलने लगा हैलेकिन कैसे मुझे भी तो समझ में आना चाहिए ऐसा तो मुझे बिल्कुल भी महसूस नहीं होता,,,(अंकित जानता था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां के मुंह से सब कुछ सुनना चाहता था।


तुझे नहीं मालूम लेकिन मुझे सब कुछ समझ में आ रहा है।

क्या समझ में आ रहा है कुछ बोलोगी भी,,,,


मैं देख रही थी जब मुखिया की बीवी आगे आगे चल रही थी तो तेरा ध्यान किधर था।

किधर था मेरा ध्यान,,,,

मुखिया की बीवी के पिछवाड़े पर तो मुखिया की बीवी का वही घुरे जा रहा था,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा वैसे उसे कुछ ज्यादा हैरानी नहीं हो रही थी बस वह हैरान होने का नाटक कर रहा था फिर अपने आप को सहज करने का नाटक करते हुए हुए वह बोला)

हे भगवान यह क्या कह रही हो मां तुम में भला ऐसा कैसे कर सकता हूं अनजाने में उस पर नजर चली गई होगी लेकिन मेरा उसे घूरने का कोई इरादा नहीं है,,,,(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठा लेना चाहता था और इसीलिए आवाज थोड़ा बेशर्मी दिखाते हुए अपनी मां से बोला,,) यह क्या कह रही हो मां तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो इसका मतलब तो तुम्हें लगता है कि मेरा और मुखिया की बीवी का कुछ चल रहा है,,,,।

हां ऐसा ही है तेरा मुखिया का बीवी का कुछ चल रहा होगा,,,मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा है मुखिया की बीवी का बार-बार तेरे से मिलना और एकदम खुला मिलकर बातें करना उसे दिन जब हम लोग उसके घर पर गए थे तब भी तो कुछ लेने के लिए उसके घर में चला गया था और बहुत देर बाद लौटा था और आज भी ऐसा ही कुछ हो रहा है,,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज खुश नजर आ रहा था अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकरउसे उम्मीद की किरण नजर आ रही थी और उसे यह बात अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसकी मां एक औरत के करीब उसे जाने नहीं देना चाहती अपनी मां की बात सुन लेने के बाद और फिर भी शांत होकर जवाब देते हुए बोला,,,)

सच में मुझे ऐसा लग रहा है कि अब तुम्हारा दिमाग काम नहीं कर रहा हैजरा यह तो सोचो कि वह मालकिन है और हम लोग नौकर हैं उनके खेतों में काम करने वाले लोग हैं ऐसे में भला एक मालकिन अपने नौकर के साथ इस बारे में सोच भी कैसे सकती है। पता है वह अपने आप को किसी को छूने भी नहीं देती,, और यह बात उनके घर के नौकर के द्वारा ही मुझे पता चली थी।

कौन सी बात,,,,।

अरे उनका नौकर एक दिन बता रहा था कि ऐसे ही अनजाने मेंमालकिन के हाथ में से सब्जी लेते हुए उसका हाथ उसकी उंगलियां उसकी उंगलियों से स्पर्श हो गई थी तो वह एकदम से गुस्से में देख रही थी और जाकर अपना हाथ अच्छे से धोकर आई थीऔर तुम सोचो जब हाथ की उंगलियां इस पर सोचने पर मुखिया की बीवी इतना गुस्सा करती है तो कोई उनके बारे में गलत करने की सोच भी कैसे सकता है,,,।

क्या सच में मुखिया की बीवी उंगली स्पर्श होने पर गुस्सा करती थी।

मुझे तो नहीं मालूम लेकिन उनका नौकर ही बता रहा था,,,,।

एक सूरजऔरतों के बारे में तो नहीं जानता औरतें बड़ी चालाक और हरामी होती है तो अब जवान हो रहा है बड़ा हो रहा है मुझे डर है कि कहीं किसी औरत के चक्कर में तू ना पड़ जाए,,,,


यह क्या सोच रही हो मा तुम ऐसा सोच भी कैसे लिया तुमने।

तू नहीं समझ रहा है सूरज तेरे बाबुजी के जाने के बाद,,,, बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं जो मेरे सर पर आ चुकी है और यह जिम्मेदारियां तेरे ऊपर भी हैपता है ना तुझे रानी जवान हो चुकी है उसका अब विवाह करना है इसके लिए हमें पैसे इकट्ठे करने हैं। अगर तू औरतों के चक्कर में पड़कर गलत राह पर चल गया तो मैं अकेली पड़ जाऊंगी,,,,।


नहीं नहीं ऐसा सोचना भी मत मैं अपनी जिम्मेदारियां को अच्छी तरह से समझता हूं मैं जानता हूं कि पिताजी के जाने के बादघर में जिम्मेदारी भर चुकी है वरना अगर पिताजी घर पर मौजूद होते तो शायद इतना कुछ हमें करना ही नहीं पड़ता मैं भी आराम से गांव में इधर-उधर घूम रहा होता,,,, और जैसा तुम सोच रही हो वैसा बिलकुल भी नहीं है मुखिया की बीवी आसमान का तारा है और मैं जमीन पर रहने वाला इंसान हूं मैं चाहूं भी तो उसे छू नहीं सकता,,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकरसुनैना को थोड़ी राहत महसूस हो रही थी उसे यकीन हो रहा था कि वाकई में इतने बड़े घर की औरत उसके बेटे के साथ क्यों संबंध बनाएगी अगर उसे संबंध बनाना भी होगा तो वह अपने हैसियत के हिसाब से किसी के साथ संबंध बनाएगी अपने खेत में काम करने वाले नौकर के साथ ऐसा कैसे कर सकती हैं,,,,,सुनैना के मन में बहुत सारी बातें चल रही थी वह एक तरह से अपने मन को मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह यह भी जानती थी की औरतों का कोई भरोसा नहीं होता टांगों के बीच की गर्मी शांत करने के लिए वह किसी के सामने अपनी टांगे खोलने में देर नहीं करती वह यह नहीं देखे कि फिर सामने वाला कौन है कैसा है उसे बस अपनी टांगों के बीच की गर्मी शांत करने से मतलब होता है,,,,, फिर भी अपने बेटे की बात को मानकर वह फिर से फसल की कटाई में लग गई थी।

दूसरी तरफ कुंवर अपनी बहन के घर परतैयार हो रहा था उसे आज रानी से जो मिलना था नदी पर इसके लिए उसे तैयारी करना था अपनी बहन से पैसे चाहिए थे इसलिए वह तैयार होकर अपनी बहन के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था दोपहर का समय था और जैसे ही वह अपनी बहन के कमरे के पास पहुंचा तो अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी जिसे सुनकर वह दरवाजे पर ही रुक गया,,,)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
सुरज का मुखिया की बिबी के साथ जाना और देर से आना सुनैना के नारी सुलभ मन में जलन का बीज बो दिया और सुरज से वह सवाल जवाब करने लगी सुरज सब समझ रहा था और उसने तर्को के साथ सुनैना को समझाने में कुछ हद तक कामयाब हो गया
वही ये कुॅंवर ने अपनी बहन के कमरें के दरवाजे पर शायद चुदाई की आवाज सुनी होगी
लगता हैं नदी पर राणी और कुॅंवर के बीच चुदाई होनी की संभावना हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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अंगूर तोड़ने के बहाने मुखिया की बीवी सूरज को अपने अमरूद का स्वाद चखा गई थी,,, कई दिन से वह भी सूरज के साथ अपनी प्यास नहीं बुझा पाई थी,,, इसके लिए उसे इस तरह से खेत पर सूरज से मुलाकात करने के लिए आना ही पड़ा,, वैसे मुखिया की बीवी का इसमें कोई दोष नहीं था। क्योंकि बुर की खुजली होती है इतनीजबरदस्त कि उसे मिटाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है,,,, लेकिन मुखिया की बीवी भी पक्की खिलाड़ी थी अपने पति के साथ खेत पर पहुंच गई थी और वहां पर खुद सूरज की मां भी मौजूद थी लेकिन कितनी सफाई से अपने पति और सूरज की मां को वहीं पर रोक कर वहां अंगूर तोड़ने के बहाने अंगूर के बाग में सूरज के केले से अपनी भुख मिटा रही थी,,, वैसे तो मुखिया की बीवी की मौजूदगी सेसुनैना को थोड़ा बहुत एक औरत होने के नाते औरत से जलन तो होने लगी थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा आप पूरा जवान हो चुका है ऐसे में प्यासी औरतों की नजर उसके बेटे पर बनी रहना लाजमी था,,, इसलिए मुखिया की बीवी की मौजूदगी में अपने बेटे को लेकर सुनैना के मन में शंका बनी रहती थी।

आज भी उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थेवह भले ही मुखिया के साथ बैठी थी लेकिन उसका ध्यान अपने बेटे और मुखिया की बीवी पर ही बना हुआ थाक्योंकि वह मर्दों की नजरों से अच्छी तरह से बाकी थी वह जानती थी कि अब सूरज पूरी तरह से जवान हो चुका है और उसकी भी नजर औरतों के खूबसूरत जिस्म पर बनी रहती थीक्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि जब उसकी नजर अपनी ही सगी मां पर बनीहुई है तो दूसरी औरतों को वह किस तरह से देखता होगा इसका अंदाजा तो उसे लग ही गया था,,, फिर भी सूरज और मुखिया की बीवी के लौटने के बाद जिस तरह से उसने थोड़े से पैसों की मांग की थी और तुरंत मुखिया जी ने पैसे निकाल कर उसकी हथेली में रख दिए थे उस सुनैना को काफी संतुष्टि प्राप्त हुई थी और वह उन दोनों के जाने के बाद फिर से फसल की कटाई में लग गई थी।

फसल की कटाई करते हुएसूरज अपनी किस्मत के बारे में सोच रहा था और अपनी किस्मत पर उसे गर्व महसूस हो रहा था आज का दिन उसके लिए कुछ ज्यादा ही नसीबदार बना हुआ था। सुबह-सुबह अपनी मां की चूचियों के दर्शन करने के बाद और उससे मद भरी बातें करने के बाद जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव उसके बदन में हो रहा था,,, उसे देखते हुए सूरज के लिए अपनी उत्तेजना शांत करना जरूरी बन गया था और ऐसे में घर के पीछे गाय भैंस बांधने वाली जगह पर अपनी बहन की जमकर चुदाई किया था और खेत में मुखिया की बीवी भी उससे चुदवाने के लिए आ गई थी,,,यह सब उसके लिए गर्व की बात थी और नसीब की बात थी क्योंकि अभी कुछ महीने पहले ही वह कभी सोचा नहीं था की औरतों की वह इतना करीबजा पाएगा औरतों से तो डरता था उनसे बात करने में शर्म आता था लेकिन उसके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि आज औरतें खुद उसकी बाहों में आने के लिए मचल उठती थी,,, फसल काटते समय सूरज अपने मन में यह भी सोच रहा था की जवानी मर्दों के लिए कितना वरदान दाई होता है सच में मर्दों के लिए चुदाई के सुख से बड़ा और कोई सुख नहीं होता,,, तरह-तरह की औरतें अगर चोदने का मिल जाए तो इससे बड़ी मर्द के लिए और क्या बात हो सकती है बड़ी-बड़ी चूचियां नंगी जैसी चूचियां तरबूज जैसी गांड तो किसी की सुडौल गांड किसी की एकदम कसी हुई कुंवारी बुर तो किसी की जवानी की प्यास से भरी हुई चोदने को मिल जा रही थी यही तो जीवन का असली सुख होता है भला इससे बेहतर कौन सा सुख होगा जीवन में क्योंकि हर कोई तो इसी के लिए तरसता है और उसकी झोली में तो रोज कोई ना कोई बुर अपने आप चुदने के लिए आ रही थी। रोज संभोग का सुख मिलने के बावजूद भीसूरज इसी तरह से जानता था कि अभी भी उसके जीवन मेंकुछ कमी थी और उसे कमी को भी अच्छी तरह से जानता था वह कभी थी उसकी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी जिसे वह किसी भी कीमत पर प्राप्त करना चाहता था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अब तक वह जितनी भी बुर की चुदाई करता आ रहा था उन सब में सबसे ज्यादा खूबसूरत और मजा देने वाली बुर उसकी मां की ही होगी,,, और उसे दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था जिस दिन उसे उसकी मां की बुर चोदने को मिलेगी,,,

यही सब अपने मन में सोचता हुआ सूरज फसल की कटाई कर रहा था,,, आज मां बेटे दोनों ने फुर्तीदिखाई थी और आज कुछ ज्यादा ही फसल की कटाई वह दोनों ने कर दिए थे,,, लेकिन फिर भी अभी शाम ढलने में बहुत ज्यादा समय था इसलिए दोनों काम में लगे हुए थे। सुनैना के मन में बहुत कुछ चल रहा थापैसे मिल जाने के बाद कुछ देर के लिए वह मुखिया की बीवी को बोल रही थी लेकिन फसल काटते हुए फिर से उसके दिमाग में मुखिया की बीवी घूम रही थीउसकी आंखों के सामने बार-बार मुखिया की बीवी की मटकनी हुई गांड दिखाई देती थी जब वह अंगूर के बाद की तरफ जा रही थी और पीछे-पीछे उसका बेटा पार्टी लेकर जा रहा था उस समय सुनैना ने अच्छी तरह से गौर की थी कि आगे आगे चल रही मुखिया की बीवी पर गोलाकार नितंबों पर उसके बेटे की नजर गड़ी हुई थी,,, उस दृश्य के बारे में सोचते ही सुनैना के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लग गई थी,,,और उसे अपने बेटे पर गुस्सा भी आ रहा था कि कैसे प्यासी नजरों से मुखिया की बीवी की गांड देख रहा था,,, उसे दृश्य को याद करके सुनैना अपने मन में ही सोच रही थी कि वाकई में उसका बेटा आप जवान हो चुका था औरतों के बारे में उसकी सोच बदलती जा रही थी यह उसे उसकी हरकत से ही मालूम पड़ा रहा था। अपने बेटे के नजरिए को देखकरसुनैना को उसे पर गुस्सा भी आ रहा था और वह फसल की कटाई करते समय वह अपने गुस्से पर बहुत देर से काबू किए हुए थी लेकिन अब वह अपने आप पर काबू कर सकने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि बार-बार उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी की मटकती हुई गांड दिखाई देती थी और उसके बेटे की प्यासी नजर ,,,और फिर अपने आप को घर रोक नहीं पाई और फसल की कटाई करते-करते एकदम से रुक गई और अपने बेटे से बोली,,,।


मैं देख रही हूं की मुखिया की बीवी को तेरे से कुछ ज्यादा ही कम पडने लगा है।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज भी फसल काटते हुए अपनी मां की तरफ देखने लगा और एकदम सहज रूप से जवाब देते हुए बोला,,,)

क्यों क्या हो गया,,,?

अंगूर तोड़ने वाली बात तो मुखिया भी बोल सकते थे,,, लेकिन मुखिया की बीवी क्यों बोली।


तो उनके बोलने से तुम्हें दिक्कत है,,,।

दिक्कत उस बात से नहीं है,,, दिक्कत अब तेरी उम्र से है तेरी उम्र अब बच्चों वाली नहीं है।

(औरतों की संगत में उनसे सुख प्राप्त करके सूरज को इतना तो पता ही चल गया था की औरतों का मन कैसा होता हैइसलिए उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसकी मां को मुखिया की बीवी से दिक्कत थी और उसका कारण वह भी अच्छी तरह से समझ रहा था फिर भी अपनी मां के सवाल पर वह अनजान बनता हुआ बोला,,,)

उम्र से क्या लेना देना मां पहले में छोटा था और अब बड़ा हो गया हूं इसमें क्या दिक्कत हो रही है,,,।

दिक्कत है मुझे,,, मैं देख रही हूं की मुखिया की बीवी को तेरे से कुछ ज्यादा ही काम पडने लगा है किसी और से भी तो वह काम करवा सकती थी उनके पास नौकर चाकर की कहां कमी है,,,।

अरे मांअगर वह फसल की कटाई का काम किसी और को दे देंगे तो हमें क्या मिलने वाला है,,,,

मैं फसल की कटाई के बारे में नहीं बात कर रही हूं।

तो,,,,,?


मैं अंगूर तोड़ने वाली बात कर रही हूं,,,,।

अच्छा यह बात है,,,।

हां यही बात है अंगूर तो वह खुद अपने हाथ से भी तोड़ सकती थी।

क्या मां तुम भी खामखा परेशान हो रही हो अंगूर अगर वह अपने हाथ से तोड़ने लगेंगी तो दूसरी औरतों में और उन में फर्क क्या रह जाएगा,,,, आखिर कार वह मुखिया की बीवी है,,,, और वह लोग अपने हाथ से काम नहीं करते बल्कि दूसरे से करवाते हैं और सभी को दूसरों को पैसे मिलते हैं अगर सब काम हुआ अपने हाथ से करने लगे तो दूसरों लोगों का क्या होगा हम जैसे लोगों का क्या होगा,,,, समझने की कोशिश करो,,, और वैसे भी अंगूर तोड़ने में कौन सी बड़ी बात है बस तोड़ा और उन्हें दे दिया।

बात अंगूर की भी नहीं है,,,,(गुस्सा दिखाते हुए; सुनैना बोली)

लो अब कर लो बात अभी कह रही थी अंगूर की बात है और आप कह रही हो अंगूर की बात नहीं है तुम्हारी बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है,,,(फिर से फसल की कटाई करते हुए सूरज बोला,,,सुनैना अपने बेटे के सामने खुलकर बोल देना चाहती थी कि वह किस लिए ऐसा बोल रही है लेकिन ऐसा कहने में से शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह दूसरे शब्दों में बोली,,,,)

बात यही कि आप तेरा मुखिया की बीवी के साथ रहना मुझे पसंद नहीं है।

ऐसा क्यों कह रही हो मां आखिरकार वह हमारी मालकिन है,,,,।

मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि वह हमारी मालकिन है लेकिन वह मालकिन से पहले एक औरत है और तू औरतों को नहीं जानता,,,।

क्या मन में तुम्हारी बात कुछ समझ नहीं पा रहा हूं मेरे तो पहले ही नहीं पड़ रही है कि तुम कहना क्या चाहती हो ठीक ठीक समझाओ तो कुछ समझ में भी आए,,,,,(सूरज सब कुछ समझ रहा था लेकिन जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रहा था अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही थी,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना इधर-उधर देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से अपने बेटे से बताएंउसे शर्म महसूस हो रही थी और वह संस्कारी औरत थी अपने बेटे सही तरह की बात करना उसके संस्कार में बिल्कुल भी नहीं था अपनी मां की खामोशी देखकर सूरज फिर से बोला)

अरे जब तक बताओगी नहीं तो समझ कैसे आएगा कि तुम्हें दिक्कत क्या है,,,,।

(सूरज की बात सुनकर सुनैना इधर-उधर देखने लगी तसल्ली करने लगी कि कहीं कोई उसकी बात सुन तो नहीं रहा है उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन तसल्ली कर लेने के बाद वह धीरे से अपने होठों को अपने बेटे की तरफ आगे बढ़ाई और धीरे से बोली)

मुझे इस बात की चिंता है कि तू मुखिया की बीवी से कुछ ज्यादा ही घुलन मिलने लगा है।

क्या मां यह कोई बात नहीं हुई,,,,


बात है सूरज अब तुझे कैसे बताऊं तेरा नजरिया बदलने लगा है।

मेरा नजरिया बदलने लगा हैलेकिन कैसे मुझे भी तो समझ में आना चाहिए ऐसा तो मुझे बिल्कुल भी महसूस नहीं होता,,,(अंकित जानता था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां के मुंह से सब कुछ सुनना चाहता था।


तुझे नहीं मालूम लेकिन मुझे सब कुछ समझ में आ रहा है।

क्या समझ में आ रहा है कुछ बोलोगी भी,,,,


मैं देख रही थी जब मुखिया की बीवी आगे आगे चल रही थी तो तेरा ध्यान किधर था।

किधर था मेरा ध्यान,,,,

मुखिया की बीवी के पिछवाड़े पर तो मुखिया की बीवी का वही घुरे जा रहा था,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा वैसे उसे कुछ ज्यादा हैरानी नहीं हो रही थी बस वह हैरान होने का नाटक कर रहा था फिर अपने आप को सहज करने का नाटक करते हुए हुए वह बोला)

हे भगवान यह क्या कह रही हो मां तुम में भला ऐसा कैसे कर सकता हूं अनजाने में उस पर नजर चली गई होगी लेकिन मेरा उसे घूरने का कोई इरादा नहीं है,,,,(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठा लेना चाहता था और इसीलिए आवाज थोड़ा बेशर्मी दिखाते हुए अपनी मां से बोला,,) यह क्या कह रही हो मां तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो इसका मतलब तो तुम्हें लगता है कि मेरा और मुखिया की बीवी का कुछ चल रहा है,,,,।

हां ऐसा ही है तेरा मुखिया का बीवी का कुछ चल रहा होगा,,,मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा है मुखिया की बीवी का बार-बार तेरे से मिलना और एकदम खुला मिलकर बातें करना उसे दिन जब हम लोग उसके घर पर गए थे तब भी तो कुछ लेने के लिए उसके घर में चला गया था और बहुत देर बाद लौटा था और आज भी ऐसा ही कुछ हो रहा है,,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज खुश नजर आ रहा था अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकरउसे उम्मीद की किरण नजर आ रही थी और उसे यह बात अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसकी मां एक औरत के करीब उसे जाने नहीं देना चाहती अपनी मां की बात सुन लेने के बाद और फिर भी शांत होकर जवाब देते हुए बोला,,,)

सच में मुझे ऐसा लग रहा है कि अब तुम्हारा दिमाग काम नहीं कर रहा हैजरा यह तो सोचो कि वह मालकिन है और हम लोग नौकर हैं उनके खेतों में काम करने वाले लोग हैं ऐसे में भला एक मालकिन अपने नौकर के साथ इस बारे में सोच भी कैसे सकती है। पता है वह अपने आप को किसी को छूने भी नहीं देती,, और यह बात उनके घर के नौकर के द्वारा ही मुझे पता चली थी।

कौन सी बात,,,,।

अरे उनका नौकर एक दिन बता रहा था कि ऐसे ही अनजाने मेंमालकिन के हाथ में से सब्जी लेते हुए उसका हाथ उसकी उंगलियां उसकी उंगलियों से स्पर्श हो गई थी तो वह एकदम से गुस्से में देख रही थी और जाकर अपना हाथ अच्छे से धोकर आई थीऔर तुम सोचो जब हाथ की उंगलियां इस पर सोचने पर मुखिया की बीवी इतना गुस्सा करती है तो कोई उनके बारे में गलत करने की सोच भी कैसे सकता है,,,।

क्या सच में मुखिया की बीवी उंगली स्पर्श होने पर गुस्सा करती थी।

मुझे तो नहीं मालूम लेकिन उनका नौकर ही बता रहा था,,,,।

एक सूरजऔरतों के बारे में तो नहीं जानता औरतें बड़ी चालाक और हरामी होती है तो अब जवान हो रहा है बड़ा हो रहा है मुझे डर है कि कहीं किसी औरत के चक्कर में तू ना पड़ जाए,,,,


यह क्या सोच रही हो मा तुम ऐसा सोच भी कैसे लिया तुमने।

तू नहीं समझ रहा है सूरज तेरे बाबुजी के जाने के बाद,,,, बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं जो मेरे सर पर आ चुकी है और यह जिम्मेदारियां तेरे ऊपर भी हैपता है ना तुझे रानी जवान हो चुकी है उसका अब विवाह करना है इसके लिए हमें पैसे इकट्ठे करने हैं। अगर तू औरतों के चक्कर में पड़कर गलत राह पर चल गया तो मैं अकेली पड़ जाऊंगी,,,,।


नहीं नहीं ऐसा सोचना भी मत मैं अपनी जिम्मेदारियां को अच्छी तरह से समझता हूं मैं जानता हूं कि पिताजी के जाने के बादघर में जिम्मेदारी भर चुकी है वरना अगर पिताजी घर पर मौजूद होते तो शायद इतना कुछ हमें करना ही नहीं पड़ता मैं भी आराम से गांव में इधर-उधर घूम रहा होता,,,, और जैसा तुम सोच रही हो वैसा बिलकुल भी नहीं है मुखिया की बीवी आसमान का तारा है और मैं जमीन पर रहने वाला इंसान हूं मैं चाहूं भी तो उसे छू नहीं सकता,,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकरसुनैना को थोड़ी राहत महसूस हो रही थी उसे यकीन हो रहा था कि वाकई में इतने बड़े घर की औरत उसके बेटे के साथ क्यों संबंध बनाएगी अगर उसे संबंध बनाना भी होगा तो वह अपने हैसियत के हिसाब से किसी के साथ संबंध बनाएगी अपने खेत में काम करने वाले नौकर के साथ ऐसा कैसे कर सकती हैं,,,,,सुनैना के मन में बहुत सारी बातें चल रही थी वह एक तरह से अपने मन को मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह यह भी जानती थी की औरतों का कोई भरोसा नहीं होता टांगों के बीच की गर्मी शांत करने के लिए वह किसी के सामने अपनी टांगे खोलने में देर नहीं करती वह यह नहीं देखे कि फिर सामने वाला कौन है कैसा है उसे बस अपनी टांगों के बीच की गर्मी शांत करने से मतलब होता है,,,,, फिर भी अपने बेटे की बात को मानकर वह फिर से फसल की कटाई में लग गई थी।

दूसरी तरफ कुंवर अपनी बहन के घर परतैयार हो रहा था उसे आज रानी से जो मिलना था नदी पर इसके लिए उसे तैयारी करना था अपनी बहन से पैसे चाहिए थे इसलिए वह तैयार होकर अपनी बहन के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था दोपहर का समय था और जैसे ही वह अपनी बहन के कमरे के पास पहुंचा तो अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी जिसे सुनकर वह दरवाजे पर ही रुक गया,,,)
Bahut hi shandaar update …
 
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