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Incest पहाडी मौसम

Ajju Landwalia

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,,,, सुनैना बड़े सबेरे कपड़ों का ढेर लेकर नदी की तरफ जा रही थी धोने के लिए,,,, वैसे वह सप्ताह में एकाद दो बार ही नदी की तरफ जाती थी और वह भी जब ढेर सारे कपड़े धोने होते थे तब,,, वरना वह अपने घर के पीछे नल से ही काम चला लेती थी लेकिन यह था कि जब कभी ज्यादा कपड़ा धोना पड़ता था तो हेड पंप कुछ ज्यादा ही चलना पड़ता था क्योंकि ऐसा करने में उसका हाथ दर्द करने लगता था और इसीलिए वह नदी की तरफ चली जाती थी आराम से कपड़े धोने के लिए,,,,

नदी की तरफ जाते समय वह रात वाली घटना के बारे में सोच रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि कुछ दिनों से उसके पति का स्वभाव उसके प्रति कुछ बदला बदला सा लग रहा था,,, एक तो कल रात को काफी दिनों बाद उसे शरीर सुख मिला था वरना ऐसा कभी नहीं होता था दो दिन निकल जाने के बाद तीसरे दिन तो चाहे जो भी हो उसका पति उसको चोदता ही था और इस बात की शिकायत उसे बिल्कुल भी नहीं होती थी बल्कि वह तो अपने पति से बहुत खुश थी क्योंकि भले ही औरत कितनी भी संस्कारी ओर मर्यादा सील हो लेकिन रात को उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होती ही है और ऐसे हालात में उसे मोटे तगड़े लंड की जरूरत पड़ती है भले ही वह अपने मुंह से चुदवाने के लिए ना बोले लेकिन अपनी हरकत से अपने पति को इस बात का एहसास करा ही देती है कि वह बहुत प्यासी है और उसे चुदवाना है ,, और ऐसे हालात में एक संस्कारी औरत के इशारे भी कुछ अजीब ही होते हैं जिसे केवल उसका पति ही या तो केवल उसका प्रेमी ही समझ पाता है रात को सोते समय ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल देना साड़ी का पल्लू अपनी छाती से हटा देना और अपने पति के सामने गहरी गहरी सांस लेना जिसकी वजह से उसकी चूचियां ऊपर नीचे होती हो,,, गर्मी का बहाना करके अपनी साड़ी उतार देना अपनी साड़ी को पेर मोड कर खटिया पर सोते समय जांघों तक नीचे गिरा देना ताकि उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघ उसके पति को दिखाई दे और उसका पति उसकी तरफ आकर्षित होकर उसे जमकर चोदे और यही इशारा सुनैना कभी अपने पति के तरफ रहता था जब कभी उसका मन करता था तो अपने पति के सामने ही वह अपने कपड़ों को धीरे-धीरे उतारती थी गर्मी का बहाना करके,,, और कभी जाड़े का मौसम होता था तो ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल देती थी ताकि उसकी भारी भरकम चूंचियो का आकार उसके पति को बराबर दिखाई दे और फिर उसका पति उसे जमकर चुदाई करें,,,,।

लेकिन कल रात वाली घटना कुछ अलग ही थी क्योंकि सुनैना को अपने पति से संभोग करने के लिए कुछ ज्यादा ही मशक्कत करनी पड़ी थी और यही उसके शक का कारण भी बन रहा था और तभी उसे याद आया कि उसकी बुर में लंड डालते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए उसके पति के मुंह से शोभा शब्द निकल गया था लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी की शोभा शब्द सुनने में उससे कोई गलती तो नहीं हुई थी क्योंकि दोबारा सुनैना कोशिश करने पर अपने पति से वही शब्द दोहराने की कोशिश की थी और उसके पति ने उसे समय उसका नाम लिया था इसलिए उसका शक हवा में छूमंतर हो चुका था,,,, इसीलिए इस समय भी अपने पति पर शक का कारण बनने पर भी कोई ठोस वजह उसे दिखाई नहीं दे रही थी इसलिए वह उसे अपने मन का बहम समझ कर अपने दिमाग से बाहर बात निकाल दी थी क्योंकि ऐसे भी उसने अपने पति को किसी की औरत के साथ ना तो देखी थी और ना ही किसी के मुंह से अपने पति के बारे में कुछ गलत सुनी थी,,,।

देखते ही देखते हैं वह नदी के बेहद करीब पहुंच चुकी थी,,, यहां सुबह का मौसम कुछ ज्यादा ही खूबसूरत नजर आता था चारों तरफ पहाड़ी पहाड़ नजर आते थे और ऐसे में दूर पहाड़ के पीछे से सूरज अपनी केसरी और पीली रोशनी लिए हुए पूरे गांव को रोशन कर रहा था ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी,,, लोग धीरे-धीरे घर से बाहर निकाल कर अपने दिनचर्या में जुट जा रहे थे कुछ लोग हाल लेकर खेतों की तरफ जा रहे थे तो कुछ लोग हाथ में डब्बा लेकर मैदान की तरफ चले जा रहे थे वैसे भी सुनैना अभी सौच नहीं की थी सुबह जब उसकी नींद खुली तो आप बिस्तर पर संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थी एकदम नंगी अपनी हालत को देखा करवा एकदम से बिस्तर पर से उठी और जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी ताकि ऐसी हालत में उसके बेटे की नजर उस पर ना पड़ जाए,,,, और फिर कपड़े पहनने के बाद वह गंदे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी और अपने मन में यही सोच कर घर से निकल गई की नदी पर जाकर वही सौच भी कर लेगी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर सुबह-सुबह अगर वह सौच नहीं की तो दोपहर के समय खुले में दिक्कत हो जाती है,,,,।

सुबह-सुबह ठंडी हवाओं का लुफ्त उठाते हुए वह नदी की तरफ चली जा रही थी और कुछ ही देर में नदी पर पहुंच गई थी सुबह का समय होने पर नदी पर कोई नजर नहीं आ रहा था और यह देखकर वह एकदम मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि उसे बड़े जोरों की सौच भी लगी थी,,,, वह नदी के किनारे खड़ी होकर अपनी कमर पर हाथ रखकर चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन वहां कोई मौजूद ही नहीं था तो देखने का सवाल ही नहीं उठता था लेकिन फिर भी एक औरत होने के नाते उसे अपनी सलामती सबसे पहले प्यारी थी इसीलिए वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी और पूरी तसल्ली कर लेने के बाद वह घर से लाए हुए लोटे को हाथ में लिए हुए ही गंदे कपड़ों को वहीं बड़े से पत्थर पर रख दी और फिर नदी में से पानी भरकर वह फिर से चारों तरफ देखकर घनी झाड़ियो की तरफ जाने लगी,,,,।

जवानी से भरी हुई सुनैना वाकई में बहुत खूबसूरत थी उसे चलते हुए काम करते हुए हर वक्त देखते रहना भी बड़ी किस्मत की बात थी चलते समय उसके नितंबों में हो रही थिरकन देखकर किसी भी मर्द का लंड अपने आप खड़ा हो जाए,,, नितंबों की थिरकन के साथ-साथ नितंबों का आकार भी कुछ ज्यादा ही जानलेवा नजर आता था,,, दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन का कसाव एकदम बरकरार था,,, कैसे हुए बदन के साथ-साथ उसकी गांड के एकदम कसी हुई थी ,,, उसकी गांड में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं था,,, वैसे तो उसे देखकर गांव का हर एक मर्द उसके बारे में गंदी गंदी बातें सोचकर मन में कल्पना करके अपने हाथ से ही काम चल देता था लेकिन उसे जवानी पूरी तरह से नंगी केवल उसका पति ही देखा था,,, सुनैना के मामले में उसका पति कुछ ज्यादा ही किस्मत वाला था वरना आज तक उसके बदन को कोई हल्का सा स्पर्श भी नहीं कर पाया था,,, अपने पति को छोड़कर वह पूरी तरह से अनछुई थी,,,,।


हाथ में लोटा लेकर वह धीरे-धीरे घनी झाड़ियों की तरफ पहुंच गई थी झाड़ियां के बीच अच्छी सी जगह देखकर वह अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ ली थी लेकिन अपनी शाडी को कमर तक उठाने से पहले वह एक बार फिर से चारों तरफ नजर दबा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है क्योंकि वह गांव के लड़कों की हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,, वह जानती थी कि गांव के मनचले लड़के औरतो और लड़कियों को सौच करते हुए देखते हैं,,,, इसीलिए वह पूरी तरह से सतर्क थी लेकिन सुबह-सुबह वहां पर कोई भी नहीं था,,,, और फिर उंगलियों का सहारा लेकर वह अपनी साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक उठा दी,,, उसकी इस हरकत पर झाड़ियों के बीचों बीच उसके खूबसूरत नितंब उसकी मदभरी गांड एकदम नंगी हो गई,,,, और उसके इस नंगेपन को केवल पेड़ पौधे उनकी पत्तियां और शीतल हवाएं ही अपनी आंखों से देख रहे थे और ऐसा लग रहा था कि खुशी से झूम रहे थे इतनी खूबसूरत गांड देखकर जब प्रकृति की यह हालत थी तो अगर कोई मर्द सुनैना का यह रूप देख लेता तो उसका क्या हालत होता,,,,।

गैर मर्दों को छोड़कर प्रकृति की नजर में आ जाना उसे गवारा था लेकिन किसी गैर मर्द की नजर में इस हालत में आ जाना उसे बिल्कुल भी गवारा नहीं था,,,, कमर तक साड़ी उठा वह अभी भी एक नजर चारों तरफ घूम कर उसी जगह पर बैठ गई और सोच करने लगी,,, और इससे नित्य क्रिया को करते हुए वह अपने मन में सोचने लगी,,,की गांव के लड़के ऐसी हालत में औरत और लड़कियों को देखकर क्या मजा लेते होंगे,,, क्या यह सब देखना अच्छा लगता है और वह भी सौच करते हुए,,,, यही सब सो कर वह लड़कों के बारे में गलत धारणा बनाने लगी थी कि लड़कों की यह हरकत अच्छी नहीं है अच्छे लड़कों को किस तरह की हरकत नहीं करना चाहिए और अपनी मन में सोचने लगी की अच्छा ही हुआ कि उसका लड़का इन सब के चक्कर में नहीं है,,,, वरना बदनामी अलग से हो जाती और वैसे भी वास्तविकता यही थी कि सूरज गांव के दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं था,,,।

सुनैना का ऐसा मानना था कि औरतों और लड़कियों को सौच करते हुए देखकर लड़कों को क्या मजा मिलता होगा,,, उसका यह सोचना लाजमी था क्योंकि वह एक संस्कारी और मर्यादा शील औरत थे लेकिन वह इस बात से अनजान थी कि,,, मर्दों को अक्सर औरतों का यही रूप कुछ ज्यादा ही उतेजनात्मक लगता है,,, औरतों को पेशाब करता हुआ या सो करता हुआ देखना मर्दों को बहुत अच्छा लगता है और उनकी सबसे पहली पसंद भी होती है अक्सर गांव में मर्द इधर-उधर जाते हुए दूर खेतों में बैठी हुई औरतों को नजर भर कर देख ही लेते हैं दूर से ही औरतो की दिखती हुई गोरी गोरी गांड उनके मन में उत्तेजना भर देती है,,,। लेकिन सुनैना को कहां मालूम था कि यह सब देखने से क्या मजा मिलता होगा हकीकत तो यही था कि गांव में भी सुबह और शाम डालने के बाद गांव के मनचले लड़कों का झुंड यही सब देखने के लिए खेतों की तरफ निकल जाया करता था और उनमें से कुछ लड़के तो औरतों की नंगी गांड देखकर अपने लंड को पकड़ कर अपनी गर्मी भी शांत कर लेते थे,,,,


सुनैना सोच क्रिया से निपट चुकी थी,,,, वह हाथ में लोटा लेकर अपनी बर से निकली हुई पेशाब की तेज धार को जोकी बड़ी जोर से लगने की वजह से बड़ी तीव्रता के साथ काफी दूर तक सामने के पौधों पर गिरते हुए उसे भिगो दी थी और यह देखकर सुन ना अपने मन में सोचने लगी कि वह पौधों को पानी दे रही है और यह ख्याल जैसे उसके मन में आया था उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छा गई थी वह शरम से पानी पानी हो गई थी और पल भर में उसका गोरा मुखड़ा टमाटर की तरह लाल हो चुका था,,, वह जल्दी-जल्दी पानी गिरा कर अपनी जगह पर खड़ी हो गई,,,

Behad shandar update he rohnny4545 Bhai,

Keep posting Bro
 

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,,,, सुनैना बड़े सबेरे कपड़ों का ढेर लेकर नदी की तरफ जा रही थी धोने के लिए,,,, वैसे वह सप्ताह में एकाद दो बार ही नदी की तरफ जाती थी और वह भी जब ढेर सारे कपड़े धोने होते थे तब,,, वरना वह अपने घर के पीछे नल से ही काम चला लेती थी लेकिन यह था कि जब कभी ज्यादा कपड़ा धोना पड़ता था तो हेड पंप कुछ ज्यादा ही चलना पड़ता था क्योंकि ऐसा करने में उसका हाथ दर्द करने लगता था और इसीलिए वह नदी की तरफ चली जाती थी आराम से कपड़े धोने के लिए,,,,

नदी की तरफ जाते समय वह रात वाली घटना के बारे में सोच रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि कुछ दिनों से उसके पति का स्वभाव उसके प्रति कुछ बदला बदला सा लग रहा था,,, एक तो कल रात को काफी दिनों बाद उसे शरीर सुख मिला था वरना ऐसा कभी नहीं होता था दो दिन निकल जाने के बाद तीसरे दिन तो चाहे जो भी हो उसका पति उसको चोदता ही था और इस बात की शिकायत उसे बिल्कुल भी नहीं होती थी बल्कि वह तो अपने पति से बहुत खुश थी क्योंकि भले ही औरत कितनी भी संस्कारी ओर मर्यादा सील हो लेकिन रात को उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होती ही है और ऐसे हालात में उसे मोटे तगड़े लंड की जरूरत पड़ती है भले ही वह अपने मुंह से चुदवाने के लिए ना बोले लेकिन अपनी हरकत से अपने पति को इस बात का एहसास करा ही देती है कि वह बहुत प्यासी है और उसे चुदवाना है ,, और ऐसे हालात में एक संस्कारी औरत के इशारे भी कुछ अजीब ही होते हैं जिसे केवल उसका पति ही या तो केवल उसका प्रेमी ही समझ पाता है रात को सोते समय ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल देना साड़ी का पल्लू अपनी छाती से हटा देना और अपने पति के सामने गहरी गहरी सांस लेना जिसकी वजह से उसकी चूचियां ऊपर नीचे होती हो,,, गर्मी का बहाना करके अपनी साड़ी उतार देना अपनी साड़ी को पेर मोड कर खटिया पर सोते समय जांघों तक नीचे गिरा देना ताकि उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघ उसके पति को दिखाई दे और उसका पति उसकी तरफ आकर्षित होकर उसे जमकर चोदे और यही इशारा सुनैना कभी अपने पति के तरफ रहता था जब कभी उसका मन करता था तो अपने पति के सामने ही वह अपने कपड़ों को धीरे-धीरे उतारती थी गर्मी का बहाना करके,,, और कभी जाड़े का मौसम होता था तो ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल देती थी ताकि उसकी भारी भरकम चूंचियो का आकार उसके पति को बराबर दिखाई दे और फिर उसका पति उसे जमकर चुदाई करें,,,,।

लेकिन कल रात वाली घटना कुछ अलग ही थी क्योंकि सुनैना को अपने पति से संभोग करने के लिए कुछ ज्यादा ही मशक्कत करनी पड़ी थी और यही उसके शक का कारण भी बन रहा था और तभी उसे याद आया कि उसकी बुर में लंड डालते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए उसके पति के मुंह से शोभा शब्द निकल गया था लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी की शोभा शब्द सुनने में उससे कोई गलती तो नहीं हुई थी क्योंकि दोबारा सुनैना कोशिश करने पर अपने पति से वही शब्द दोहराने की कोशिश की थी और उसके पति ने उसे समय उसका नाम लिया था इसलिए उसका शक हवा में छूमंतर हो चुका था,,,, इसीलिए इस समय भी अपने पति पर शक का कारण बनने पर भी कोई ठोस वजह उसे दिखाई नहीं दे रही थी इसलिए वह उसे अपने मन का बहम समझ कर अपने दिमाग से बाहर बात निकाल दी थी क्योंकि ऐसे भी उसने अपने पति को किसी की औरत के साथ ना तो देखी थी और ना ही किसी के मुंह से अपने पति के बारे में कुछ गलत सुनी थी,,,।

देखते ही देखते हैं वह नदी के बेहद करीब पहुंच चुकी थी,,, यहां सुबह का मौसम कुछ ज्यादा ही खूबसूरत नजर आता था चारों तरफ पहाड़ी पहाड़ नजर आते थे और ऐसे में दूर पहाड़ के पीछे से सूरज अपनी केसरी और पीली रोशनी लिए हुए पूरे गांव को रोशन कर रहा था ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी,,, लोग धीरे-धीरे घर से बाहर निकाल कर अपने दिनचर्या में जुट जा रहे थे कुछ लोग हाल लेकर खेतों की तरफ जा रहे थे तो कुछ लोग हाथ में डब्बा लेकर मैदान की तरफ चले जा रहे थे वैसे भी सुनैना अभी सौच नहीं की थी सुबह जब उसकी नींद खुली तो आप बिस्तर पर संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थी एकदम नंगी अपनी हालत को देखा करवा एकदम से बिस्तर पर से उठी और जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी ताकि ऐसी हालत में उसके बेटे की नजर उस पर ना पड़ जाए,,,, और फिर कपड़े पहनने के बाद वह गंदे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी और अपने मन में यही सोच कर घर से निकल गई की नदी पर जाकर वही सौच भी कर लेगी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर सुबह-सुबह अगर वह सौच नहीं की तो दोपहर के समय खुले में दिक्कत हो जाती है,,,,।

सुबह-सुबह ठंडी हवाओं का लुफ्त उठाते हुए वह नदी की तरफ चली जा रही थी और कुछ ही देर में नदी पर पहुंच गई थी सुबह का समय होने पर नदी पर कोई नजर नहीं आ रहा था और यह देखकर वह एकदम मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि उसे बड़े जोरों की सौच भी लगी थी,,,, वह नदी के किनारे खड़ी होकर अपनी कमर पर हाथ रखकर चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन वहां कोई मौजूद ही नहीं था तो देखने का सवाल ही नहीं उठता था लेकिन फिर भी एक औरत होने के नाते उसे अपनी सलामती सबसे पहले प्यारी थी इसीलिए वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी और पूरी तसल्ली कर लेने के बाद वह घर से लाए हुए लोटे को हाथ में लिए हुए ही गंदे कपड़ों को वहीं बड़े से पत्थर पर रख दी और फिर नदी में से पानी भरकर वह फिर से चारों तरफ देखकर घनी झाड़ियो की तरफ जाने लगी,,,,।

जवानी से भरी हुई सुनैना वाकई में बहुत खूबसूरत थी उसे चलते हुए काम करते हुए हर वक्त देखते रहना भी बड़ी किस्मत की बात थी चलते समय उसके नितंबों में हो रही थिरकन देखकर किसी भी मर्द का लंड अपने आप खड़ा हो जाए,,, नितंबों की थिरकन के साथ-साथ नितंबों का आकार भी कुछ ज्यादा ही जानलेवा नजर आता था,,, दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन का कसाव एकदम बरकरार था,,, कैसे हुए बदन के साथ-साथ उसकी गांड के एकदम कसी हुई थी ,,, उसकी गांड में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं था,,, वैसे तो उसे देखकर गांव का हर एक मर्द उसके बारे में गंदी गंदी बातें सोचकर मन में कल्पना करके अपने हाथ से ही काम चल देता था लेकिन उसे जवानी पूरी तरह से नंगी केवल उसका पति ही देखा था,,, सुनैना के मामले में उसका पति कुछ ज्यादा ही किस्मत वाला था वरना आज तक उसके बदन को कोई हल्का सा स्पर्श भी नहीं कर पाया था,,, अपने पति को छोड़कर वह पूरी तरह से अनछुई थी,,,,।


हाथ में लोटा लेकर वह धीरे-धीरे घनी झाड़ियों की तरफ पहुंच गई थी झाड़ियां के बीच अच्छी सी जगह देखकर वह अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ ली थी लेकिन अपनी शाडी को कमर तक उठाने से पहले वह एक बार फिर से चारों तरफ नजर दबा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है क्योंकि वह गांव के लड़कों की हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,, वह जानती थी कि गांव के मनचले लड़के औरतो और लड़कियों को सौच करते हुए देखते हैं,,,, इसीलिए वह पूरी तरह से सतर्क थी लेकिन सुबह-सुबह वहां पर कोई भी नहीं था,,,, और फिर उंगलियों का सहारा लेकर वह अपनी साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक उठा दी,,, उसकी इस हरकत पर झाड़ियों के बीचों बीच उसके खूबसूरत नितंब उसकी मदभरी गांड एकदम नंगी हो गई,,,, और उसके इस नंगेपन को केवल पेड़ पौधे उनकी पत्तियां और शीतल हवाएं ही अपनी आंखों से देख रहे थे और ऐसा लग रहा था कि खुशी से झूम रहे थे इतनी खूबसूरत गांड देखकर जब प्रकृति की यह हालत थी तो अगर कोई मर्द सुनैना का यह रूप देख लेता तो उसका क्या हालत होता,,,,।

गैर मर्दों को छोड़कर प्रकृति की नजर में आ जाना उसे गवारा था लेकिन किसी गैर मर्द की नजर में इस हालत में आ जाना उसे बिल्कुल भी गवारा नहीं था,,,, कमर तक साड़ी उठा वह अभी भी एक नजर चारों तरफ घूम कर उसी जगह पर बैठ गई और सोच करने लगी,,, और इससे नित्य क्रिया को करते हुए वह अपने मन में सोचने लगी,,,की गांव के लड़के ऐसी हालत में औरत और लड़कियों को देखकर क्या मजा लेते होंगे,,, क्या यह सब देखना अच्छा लगता है और वह भी सौच करते हुए,,,, यही सब सो कर वह लड़कों के बारे में गलत धारणा बनाने लगी थी कि लड़कों की यह हरकत अच्छी नहीं है अच्छे लड़कों को किस तरह की हरकत नहीं करना चाहिए और अपनी मन में सोचने लगी की अच्छा ही हुआ कि उसका लड़का इन सब के चक्कर में नहीं है,,,, वरना बदनामी अलग से हो जाती और वैसे भी वास्तविकता यही थी कि सूरज गांव के दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं था,,,।

सुनैना का ऐसा मानना था कि औरतों और लड़कियों को सौच करते हुए देखकर लड़कों को क्या मजा मिलता होगा,,, उसका यह सोचना लाजमी था क्योंकि वह एक संस्कारी और मर्यादा शील औरत थे लेकिन वह इस बात से अनजान थी कि,,, मर्दों को अक्सर औरतों का यही रूप कुछ ज्यादा ही उतेजनात्मक लगता है,,, औरतों को पेशाब करता हुआ या सो करता हुआ देखना मर्दों को बहुत अच्छा लगता है और उनकी सबसे पहली पसंद भी होती है अक्सर गांव में मर्द इधर-उधर जाते हुए दूर खेतों में बैठी हुई औरतों को नजर भर कर देख ही लेते हैं दूर से ही औरतो की दिखती हुई गोरी गोरी गांड उनके मन में उत्तेजना भर देती है,,,। लेकिन सुनैना को कहां मालूम था कि यह सब देखने से क्या मजा मिलता होगा हकीकत तो यही था कि गांव में भी सुबह और शाम डालने के बाद गांव के मनचले लड़कों का झुंड यही सब देखने के लिए खेतों की तरफ निकल जाया करता था और उनमें से कुछ लड़के तो औरतों की नंगी गांड देखकर अपने लंड को पकड़ कर अपनी गर्मी भी शांत कर लेते थे,,,,


सुनैना सोच क्रिया से निपट चुकी थी,,,, वह हाथ में लोटा लेकर अपनी बर से निकली हुई पेशाब की तेज धार को जोकी बड़ी जोर से लगने की वजह से बड़ी तीव्रता के साथ काफी दूर तक सामने के पौधों पर गिरते हुए उसे भिगो दी थी और यह देखकर सुन ना अपने मन में सोचने लगी कि वह पौधों को पानी दे रही है और यह ख्याल जैसे उसके मन में आया था उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छा गई थी वह शरम से पानी पानी हो गई थी और पल भर में उसका गोरा मुखड़ा टमाटर की तरह लाल हो चुका था,,, वह जल्दी-जल्दी पानी गिरा कर अपनी जगह पर खड़ी हो गई,,,
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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सुनैना सौच कर चुकी थी,, और अपनी जगह पर खड़ी होकर अपने कपड़ों को दुरुस्त करके नीचे पड़ा लोटा अपने हाथ में लेकर झाड़ियों से बाहर निकलने लगी थी,,, सुनैना बहुत जल्दी नदी पर आ गई थी इसलिए अभी तक यहां पर कोई नहीं आया था पूरी नदी का किनारा खाली था नदी के दूसरे छोर पर,,, बड़े-बड़े पेड़ एकदम जंगल का शक्ल लिए हुए थे और दूसरे छोर पर जंगली जानवरों का डर भी बना रहता था क्योंकि उधर चारों तरफ छोटी-मोटी पहाड़ियां भी थी लेकिन चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी जिसे नजारा काफी खूबसूरत दिखाई देता था,,, नदी के इस छोर पर वह अकेले ही बड़े से पत्थर के पास खड़ी थी अक्सर जब भी सुनैना नदी पर आती थी वह इसी जगह पर कपड़े धोती थी और नहाती भी थी,,,।

हमेशा की तरह आज भी सुनैना कमर में पति अपनी साड़ी को खोलकर अपने पास में नीचे रख दिए और पेटीकोट और ब्लाउज में ही बैठकर कपड़े धोना शुरू कर दी देखते ही देखते वह अपने साथ लाए हुए गंदे कपड़ों को धोना शुरू कर दी,,, कपड़े धोते-धोते उसका ब्लाउज भी भीग चुका था जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी चूचियां एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसे पर तने हुए किशमिश के दाने बहुत खूबसूरत लग रहे थे और वह भी तनकर खड़े थे जिसकी वजह से ब्लाउज के ऊपरी सतह पर एकदम साफ झलक रहा था,,,,,, और इस समय पेटिकोट और ब्लाउज में बैठकर कपड़े धो रही सुनैना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से काम नहीं लग रही थी वह बहुत खूबसूरत और मदहोश जवानी की मालकिन थी उसका अंग अंग खरा सोना था और उसके हर एक अंग से जवानी का रस टपक रहा था,,,।

देखते ही देखते वह सारे कपड़े धो डाली,,, और फिर उन कपड़ों को उठाकर एक-एक करके वह किनारे की झाड़ियां पर फैलने लगी ताकि उनमें से सारा पानी टपक जाए और कपड़े सूखने लगे गीले कपड़ों को हाथ में उठाकर झाड़ियां तक ले जाना यह काफी मेहनत का काम था लेकिन सुनैना के लिए यह बहुत मामूली सा ही काम था क्योंकि यह उसके रोज का ही काम था देखते ही देखते सुनैना सारे कपड़ों को झाड़ियां पर फैलाकर सूखने के लिए छोड़ दी,,,, ईसी बीच उसे महसूस हुआ कि,,, उसकी पेटिकोट का कपड़ा उसके नितंबों के दरार के अंदर तक फंसा हुआ है जिसे वह अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाल दी,,, सुनैना के लिए और बाकी सभी औरतों के लिए यह क्रिया बेहद सहज थी जिसका उन पर किसी भी प्रकार से प्रभाव नहीं पड़ता था लेकिन यही क्रिया देखने वालों मर्दों के नजरिए से बेहद मादकता भरा हुआ लगता था एकदम जवानी के नशा में डूबा हुआ कोई भी मर्द अगर औरत को इस तरह से हरकत करता हुआ देख ले तो उनके लंड में अंगड़ाई सी छा जाती है,,,, एक अद्भुत जोश भर जाता है और सुनैना के तो नितंबों के बीच की गहराई कुछ ज्यादा ही थी क्योंकि सुनैना के नितंबों का आकार काफी गोलाकार और उभरा हुआ था जिसे देखते ही मर्दों की सांसों पर नीचे होने लगती थी और ऐसे हालात में उसके पेटिकोट का कपड़ा कितने अंदर तक फंसा हुआ था और वैसे भी सुनैना को चोदने के लिए मोटा और लंबे लंड की जरूरत थी जो कि पीछे से भी बराबर उसके बच्चेदानी तक पहुंच सके छोटे लंड वालों का तो काम ही नहीं था और वैसे भी सुनैना अब तक केवल अपने पति के ही लंड के दर्शन कर पाए थे और उसे ही अपनी बुर में लेकर चुदाई का आनंद लुट पाई थी इसलिए दूसरों के पास कैसा होता है कि माप का होता है इस बारे में उसे कोई अंदाजा ही नहीं था,,,।

कपड़ों को झाड़ियां पर फैलाकर वह वापस बड़े से पत्थर के पास आ चुकी थी,,, सुनसान नदी का किनारा देखकर उसके मन में हुआ कि आज वह सारे कपड़े उतार कर नदी में नहाएगी इसलिए वह बड़े से पत्थर के पीछे कहीं और अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दी लेकिन ऐसा करते हुए बहुत चारों तरफ देख भी रही थी कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है या कोई नदी पर आ तो नहीं गया है,,, लेकिन अभी तक नदी पर कोई नहीं आया था इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी और देखते ही देखते वह अपने ब्लाउज का बटन खोलकर वह धीरे से अपने ब्लाउस को उतारी और वहीं पास में रख दी,,, ब्लाउज के उतरते ही उसकी छतिया की शोभा बढ़ा रहे दोनों खरबूजे एकदम से लहराने लगे वाकई में इतनी खूबसूरत औरत की इतनी खूबसूरत चुची ही उसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है,,, कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी सुनैना हर एक रूप में चांद का टुकड़ा लगती थी खूबसूरती की मिसाल लगती थी,,,, एक नजर वह अपनी दोनों चूचियों पर डाली और मन ही मन मुस्कुराने लगी उसके मन में अपनी चूचियों को देखकर अपने पति का ख्याल आ गया था जो कि उसकी चूचियों पर पूरी तरह से लट्टू था,,,, और फिर वह अपना एक हाथ पेटिकोट की डोरी पर रखकर अपने पेटिकोट की डोरी को खींचकर अपनी कई हुई पेटीकोट को कमर से ढीली कर दी,,, और फिर दिल्ली पेटीकोट में अपने हाथों की दोनों उंगलियों को प्रवेश कर कर उसे हल्के से बाहर की तरफ खींचकर और ढीली कर दी और फिर उसी अवस्था में ही चारों तरफ नजर घूमकर अपने हाथ की उंगलियों में ली हुई पेटीकोट को कमर से ही नीचे छोड़ दिया और उसकी पेटिकोट किसी नाटक के परदे की तरह नीचे उसके कदमों में जा गिरा और वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,।

वैसे तो वह नदी पर नंगी नहीं होना चाहती थी लेकिन अभी काफी समय था इसलिए वह इस समय नदी में नंगी होकर उतरना चाहती थी वैसे तो वह जब उसकी शादी नहीं हुई थी तब अपने मायके में कई बार अपनी सलवार और कमीज उतार कर नंगी ही नदी में उतर चुकी थी लेकिन बड़ी सावधानी से क्योंकि उसे समय भी उसे इस अवस्था में कोई भी नहीं देख पाया था और आज भी वह उसी पल का फायदा उठाते हुए पूरी तरह से संपूर्ण नंगी हो चुकी थी,,,, बड़े से पत्थर के पीछे खड़ी सुनैना नग्नअवस्था में स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,,। गांव का हर एक मर्द इस समय बदनसीब था जो सुनैना को ईस अवस्था में देख नहीं पा रहा था,,,,।

सुनैना चारों तरफ नजर दौड़ा कर धीरे-धीरे अपने पैर को नदी के पानी में उतरने लगी और देखते ही देखते वह घुटनों तक पानी में अंदर की तरफ जाने लगी क्योंकि उसे नदी में छाती जितने पानी में ही नहाने में मजा आता था और किनारे थोड़ा पानी कम था इसलिए वह नग्न अवस्था में ही अपने पैरों में जोर लगाकर आगे की तरफ बढ़ने लगी और नदी का पानी उसके चलने के कारण लहराने लगा और उसमें ध्वनी उत्पन्न होने लगी,,, पानी में शोर पैदा होने लगा लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,,,, धीरे-धीरे नंगी ही सुनैना नदी के पानी में आगे बढ़ने लगी,,, और जैसे-जैसे वह आगे बढ़ती जा रही थी वैसे-वैसे पानी ऊपर की तरफ बढ़ता चला जा रहा था देखते-देखते उसके घुटने पानी में डूबने लगी और नदी का अपनी जांघों तक आ गया उसकी मोती मोती जांघों से नदी का पानी टकराकर इधर-उधर लहर मार रहा था और नदी के पानी को लहर मारता हुआ देख कर उसे ऊपर की तरफ उठता हुआ देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे नदी का पानी भी सुनैना की खूबसूरत बुर का स्पर्श करना चाहती हो,,,,, नदी के पानी में आगे बढ़ती हुई सुनैना बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी चोर कैसे उतरी हुई मानो कोई अप्सरा पानी में जल क्रीड़ा कर रही हो,,,, सुनैना अपने दोनों हाथों की हथेली को पतवार बनाकर अपने आगे से पानी को एक तरफ फेंक रही थी जिससे आगे बढ़ाने में उसे तकलीफ ना हो देखते ही देखे अपनी उसके नितंबों के निचले हिस्से को स्पर्श करने लगा नदी का पानी काफी ठंडा था इसलिए जैसे-जैसे वह अंदर की तरफ बढ़ रही थी वैसे-वैसे उसके बदन में गनगनाहट भी बढ़ती जा रही थी,,,,।

उसके चलने की वजह से पानी का जोर ऊपर की तरफ उछाल मार रहा था और उसकी बुर पर पानी के छीटे पड़ रहे थे जिसकी वजह से एक अद्भुत सा सुरुर और उसके बदन में छा रहा था,,, वह पल भर में उत्तेजना महसूस करने लगी वह अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच ले जाकर अपनी बुर की स्थिति को देखने लगी तो उसकी बुर के झांट के बालों पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह चमक रही थी,, जिसे देखकर उसके होठों पर मजाक मुस्कान तैरने लगी वह फिर भी आगे बढ़ती रही और देखते ही देखते उसके नितंबों का गोलाकार हिस्सा पाने की गहराई में छुप गया और फिर उसकी बुर भी नदी के पानी में पूरी तरह से डूब गई,,, और देखते ही देखते वह 2 4 कदम और आगे बढ़ गई और दो-चार कदम आगे बढ़ने से उसकी खरबूजे जैसी चुचीया भी पानी की गहराई में डुबकी लगाने लगी,,,, बस इतना बहुत था सुनैना के लिए सुनैना उसी जगह पर खड़ी होकर कुछ देर तक नदी के पानी के अंदर ही हाथ डालकर अपने बदन को साफ करने लगी इधर-उधर हाथ करके अपनी चूची को दोनों हाथों से दबाकर वह उसकी मेल को छुड़ाने की कोशिश करने लगी,,,, और फिर एक बार फिर से चारों तरफ नजर थोड़ा कर वह अपनी नाक पर उंगली रखकर उसे हल्के से दबाकर पानी में पूरी तरह से डूब कर कुछ देर तक अंदर ही डूबी रही और फिर बाहर की तरफ अपना सर निकाली ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, वह इसी तरह से मजा लूट रही थी कि तभी उसके कानों में आवाज सुनाई थी और वह एकदम से चौंक गई,,,,।


क्या बात है भाभी,,,,!

(इतना सुनते ही सुनैना एकदम से चौंक गई और सामने नजर करके देखी तो गांव का ही एक बदमाश आदमी कल खड़ा था उसे देखते ही डर के मारे सुनैना के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,, क्योंकि वहा कल्लू की करतूतो से अच्छी तरह से वाकिफ थी,, वह जानती थी कि उसका काम दिन भर जुआ शराब और औरतों की छेड़खानी में ही गुजर जाता था और औरतों के बारे में वह कुछ ज्यादा ही हरामी था इसलिए वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन किसी तरह से अपनी घबराहट को काम करते हुए अपने आप को थोड़ा हिम्मत देते हुए थोड़ा जोर से बोली,,,)

यहां क्या कर रहा है कल्लु,,,


लो कर लो बात यह भी कोई सवाल हुआ भला इतनी खूबसूरत औरत नदी में नहाती हो और मैं वहां खड़े होकर और क्या कर सकता हूं सिवाय उसे देखने के,,,
(कल्लु का जवाब सुनकर सुनैना की घबराहट बढने लगी,,,, लेकिन फिर भी वह हिम्मत दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती औरत को इस तरह से नहाते हुए देखने में,,,,


आती तो बहुत है भाभी लेकिन क्या करूं खूबसूरत औरत देखकर मेरी सारी शर्म दूर हो जाती है और वैसे भी अगर शर्म करूंगा तो इतना खूबसूरत नजारा कैसे देख पाऊंगा,,,,


देख कल्लू चला जा यहां से,,, यह अच्छी बात नहीं है तो मुझे भाभी कहता है और भाभी मां के समान होती है,,,,


हां यह बात तो है भाभी मां के समान होती है लेकिन तुम्हारी जैसी खूबसूरत भाभी हो तो फिर,,,,(इतना कहकर वह हंसने लगा सुन ना उसके हंसने के मतलब को अच्छी तरह से जानती थी और वह भी जानती थी कि कल्लु के लिए रिश्ते नाते कोई मायने नहीं रखते उसे बस औरत से ही काम रहता था ना कि उसके रिश्ते से क्योंकि वह कल के बारे में सुनी थी कि वह खुद की सास के साथ भी जबरदस्ती कर चुका था और यहां तक की अपनी बहन के साथ भी हम बिस्तर हो चुका था इसीलिए सुनैना कुछ ज्यादा ही घबरा रही थी और घबराती भी कैसे नहीं वह नदी के बीचों बीच पूरी तरह से नंगी खड़ी थी उसकी छाती पानी में डूबी हुई थी,,,, और यही सुनैना के लिए अच्छी बात थी कि उसका अंग दिखाई नहीं दे रहा था वरना उसके खूबसूरत अंग को देखकर कल्लु पागल हो जाता और नदी में ही कूद पड़ता,,, फिर भी वह उसे समझाने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

देख कल्लू गांव की औरतें मां बहन की तरह होती है उन्हें गंदी नजर से नहीं देखा करते,,,


गंदी नजर से कहां देखता हूं भाभी मैं तो प्यार की नजर से देखता हूं,,,,।
(खूबसूरत औरत को पानी के अंदर नहाता हुआ देखकर कल्लु की आंखों में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी और वैसे भी इस समय नदी पर कोई नहीं था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठा लेना चाहता था,,,,)

कुछ भी हो कल्लू तु यहां से चला जा,,,


मैं नहीं जाऊंगा मैं तुम्हें देखना चाहता हूं मैं जानता हूं की नदी के अंदर तुम बिल्कुल नंगी हो कसम से मजा आ जाएगा जब तुम्हारे नंगे बदन को देखूंगा,,,।

(कल्लु की यह बात सुनकर सुनैना की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और इस समय नदी पर कोई था भी नहीं इसीलिए वह और ज्यादा घबराई हुई थी फिर भी वह हिम्मत दिखा कर बोली,,,)

देख कल्लू अगर तू मुझे गंदी नजर से देखेगा तो तेरी आंख नोच। लूंगी,,, मुझे दूसरे औरतों की तरह मत समझना,,,,,

(सुनैना की बात तो को सुनकर कल्लू को हंसी आ रही थी और उसे सुनैना पर बहुत प्यार भी आ रहा था क्योंकि उसे भी हिम्मतवाली औरतें कुछ ज्यादा ही पसंद थी,,, कल्लु सुनैना के बाहर आने का इंतजार कर रहा था वह उसके नंगे बदन को देखना चाहता था उसे अपने हाथों से छूना चाहता था उसके अंगों को मसलना चाहता था लेकिन तभी उसे कुछ और तो के हंसने की और किसी और आने का अंदेशा महसूस होने लगा तो वह नजर उठाकर देखा तो वाकई में चार-पांच औरतों हाथ में मटका लिए नदी की तरफ ही आ रही थी उस एहसास हो गया कि यहां पर ज्यादा देर तक ठहरना ठीक नहीं है,,,, सुनैना को भी गांव की औरतों की आवाज उनका हंसना सुनाई दे रहा था तो उसे थोड़ी हिम्मत होने लगी और वह बोली,,,)

देख कल्लू अगर तू यहां से नहीं गया तो मैं शोर मचा दूंगी और फिर तेरी खैर नहीं,,,,।


आज तो चला जाता हूं,,,(कुछ देर खामोश रहने के बाद और गांव की औरतों की तरफ देखकर जो की बेहद नजदीक आती जा रही थी) लेकिन एक दिन जरूर तुझे अपने नीचे ले आऊंगा,,,,,,,
(और इतना कहकर वह वहां से जाने लगा तब जाकर सुनैना की जान में जान आई फिर वह जल्दी-जल्दी,,, तैरते हुए ना कि चलते हुए वह नदी से बाहर आने लगी,,,, वह जल्द से जल्द किनारे पर आकर अपने कपड़े पहन लेना चाहती थी और देखते-देखते वह किनारे पर पहुंच गई थी,,, वह जल्दी से पानी से बाहर निकाल कर बड़े से पत्थर के पीछे चली गई लेकिन जाते-जाते कल्ल६ को जो की कुछ दूरी पर जाकर झाड़ियां के पीछे छुपकर सुनैना कोई देख रहा था उसे अपनी मतवाली गांड के दर्शन करा गई और कल्लू सुनैना की मदमस्त कर देने वाली गदराई गांड की झलक पाकर पूरी तरह से मस्त हो गया और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए वहां से चला गया,,,,

सुनैना जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने लगी क्योंकि गांव की औरतें उसके करीब ही आ रही थी और वह नहीं चाहती थी कि उन औरतों को भी पता चले कि सुनैना नदी में पूरी नंगी होकर उतरी थी वरना गांव की औरतें ना जाने कैसी कैसी बातें बनाने लगेंगी,,,, और उन औरतों को नदी तक पहुंचते पहुंचते सुनैना अपने कपड़े पहन चुके थे और अपने उतरे हुए कपड़े को धोने लगी थी,,,,,, और गांव की औरतों से कुछ देर बातचीत करने के बाद वह सारे कपड़े लेकर गांव की तरफ निकल गई लेकिन कल्लु के बारे में शर्म के मारे और डर के मारे किसी को बताई नहीं,,,।
 
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भोला अपने बेटे के बिल्कुल करीब होते हुए भी मुखिया की बीवी के साथ खेल खेल गया था जिसके बारे में उसके बेटे को कानो कान खबर तक नहीं पड़ी थी,,,, ऐसा नहीं था कि,,, सूरज एकदम नादान था औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को लेकर,,,, इतना तो वह अच्छी तरह से ही जानता था एक औरत और एक मर्द के बीच किस तरह का रिश्ता होता है,,,, और औरत और मर्द के बीच होने वाले उस रिश्ते को चुदाई कहते हैं,,, सूरज चुदाई के बारे में अच्छी तरह से जानता था लेकिन कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था कि चुदाई होती कैसे हैं सूरज के पास पूरा मौका था अपनी अभिलाषा अपनी उत्कंठा को पूरी करने की वह अपने पिताजी और मुखिया की बीवी के बीच हो रही चुदाई को अपनी आंखों से देख सकता था लेकिन इन मौके पर उसके पिताजी को किसी के पास होने की भनक लग गई और आवाज देता हुआ उसे रोक दिया था और अपने पिताजी की बात मानते हुए सूरज जहां खड़ा था वहीं रुक भी गया था अगर थोड़ी और हिम्मत दिखाता आगे की तरफ आता तो शायद वह एक अद्भुत अविस्मरणीय क्रीडा को अपनी आंखों से देख सकता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था और इस बात का भी पता उसे नहीं चल पाया था कि उसके पिताजी और किसी गैर औरत के बीच अनैतिक संबंध है,,,, उसके पिताजी उसकी मां को धोखा दे रहे हैं,,,, खैर भोला की चालाकी से बात आई गई हो गई थी,,, खेत का काम खत्म करते ही भला सूरज के साथ अपने घर पर पहुंचकर और हाथ पैर धोकर खाना खाने लगा,,,।

रात को सूरज की मां अपने कमरे में,,,, सोने की तैयारी कर रही थी,,,, भोला खटिया पर लेटा हुआ,,, कुछ सोच रहा था,,,, और उसकी नजर सुनैना के ऊपर थी जो कि सोने की तैयारी में थोड़ी साफ सफाई कर रही थी हालांकि भोला की नजर भले ही सुनैना के ऊपर थी लेकिन वह सुनैना को देख नहीं रहा था बल्कि अपने ख्यालों में खोया हुआ था और वह मुखिया की बीवी शोभा के बारे में सोच रहा था और मन ही मन प्रसन्न हो रहा था लेकिन सुनैना भोला को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि भोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा है,,, इसलिए वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि महीनो गुजर गए थे भोला ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाया था इसलिए भोला को मुस्कुराता हुआ देखकर सुनैना के मन में आज जगने लगी कि आज की रात उसका पति उसके साथ संबंध बनाएगा और उसे तृप्त करेगा,,, और यही सोच कर वहां कमरे की सफाई को आखिरी ओप दे रही थी,,,

घर की सफाई कर लेने के बाद सुनैना ठीक बोला की आंखों के सामने ही अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराकर अपनी मदमस्त कर देने वाली छातियो का प्रदर्शन करने लगी ,,,, उसे ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज में कैसे की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके पति से रहा नहीं जाएगा और वहां अपनी जगह से उठकर बैठ जाएगा और लपक कर उसकी दोनों चुचियों का थम देगा क्योंकि अक्सर दोनों के बीच चुदाई की शुरुआत इसी तरह से होती थी लेकिन कुछ महीनो से सब कुछ बदल सा गया था लेकिन आज सुनैना के मन में,,,, आस की किरण नजर आ रही थी,,,, और यही सोच कर वह अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से नीचे गिरा कर अपनी मदमस्त जवानी से भरी हुई अंगड़ाई लेती हुई,,, भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन करते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को हाथ से पकड़ कर उसे अपनी कमर से खोलना शुरू कर दी क्योंकि बर्तन धोते समय नीचे से उसकी साड़ी थोड़ी गिरी हो गई थी और इसलिए वह यही सोच रही थी कि वह साड़ी उतार कर सोई और ऐसे में वह अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित भी कर लेगी,,,

सुनैना दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी अपने बदन को खेतों के काम से उलझाए हुए इतना सुगठित बनाई हुई थी कि उसके आगे जवान लड़कियां भी पानी भर्ती नजर आती थी बदन में कहीं भी अत्यधिक चर्बी का नामोनिशान नहीं था चर्बी उतनी ही थी कि जितनी उतनी जवानी को शोभा दे रही थी,,, छतिया की शोभा बढ़ा रही दोनों चूचियां खरबूजे के आकार की गोल-गोल और एकदम तनी हुई थी उसमें जरा भी ढीलापन नहीं आया था इस उम्र में भी सुनैना की चूचियां दशहरी आम की तरह तनी हुई थी,,, गोल मुखड़ा एकदम चांद का टुकड़ा लगता था और ऊपर से गोल वाली थोड़ी सी बड़ी बिंदी लगाकर वह मर्दों को गर्म आह भरने पर मजबूर कर देती थी,,, पतली कमर और कमर के नीचे उभार लेते हुए उसके नितंबों की गोली कुछ अजब ही कहर ढाती थी,,, पतली कमर के नीचे का उभार कुछ ज्यादा ही था जोकि सुनैना की जवानी में चार चांद लगाते थे उसकी बड़ी-बड़ी गदराई गांड अक्सर मर्दों का लंड खड़ा कर देती थी,,,, मोती मोती चिकनी जाने केले के तने के समान मजबूती लिए हुए इतनी मादक लगती थी कि अगर वह अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर किसी मर्द के ऊपर बैठ जाए तो भी उसे मर्द का लंड उसकी मदमस्त जवान देखकर सलामी भरने लगे और बिना बुर में प्रवेश किए ही पानी छोड़ दे,,, कुल मिलाकर सुनैना की जवानी ऐसी थी कि दुश्मन बिना लड़े अपना हथियार डाल दे,,,,।

इतनी जबरदस्त नशीली जवानी से भरी हुई सुनैना के लिए जिंदगी इतनी आसान न थी खूबसूरत है जिस होते हुए भी किस्मत का रोना यही था कि उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था और किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाकर अपनी जरूरत को तो पूरी कर ले रहा था लेकिन अपनी बीवी को प्यास छोड़ दे रहा था और इस बात से सुनैना पूरी तरह से अनजान थी उसे नहीं मालूम था कि उसके पति का गैर औरत के साथ संबंध है उसे ऐसा ही लगता था कि शायद कामकाज में उलझ कर थककर उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है लेकिन माजरा कुछ हो रही था जिसके बारे में सुनैना को भनक तक नहीं थी,,,,।

सुनैना बंद कमरे में कुछ और सोच रही थी और उसका पति मुस्कुराते हुए कुछ और सोच रहा था जिसे देखकर सुनैना को गलतफहमी हो गई थी और वह अपनी जवानी का जलवा अपने पति के सामने बिखेर रही थी जो की मुखिया की बीवी शोभा के ख्यालों में खोया हुआ था,,, शोभा को पकड़ भोला आसमान में उड़ने लगा था एक तो वह मुखिया की बीवी थी और वह भी जवानी से भरी हुई थी,,, लेकिन फिर भी खूबसूरती के मामले में सुनैना मुखिया की बीवी से एक कदम आगे थी लेकिन फिर भी नसीब का रोना यही था कि इस समय उसका पति सुनैना को छोड़कर दूसरी औरत में दिल लगा बैठा था,,,,।

सुनैना अपने पति की आंखों के सामने निर्वस्त्र होना चाहती थी ऐसा नहीं था कि आज पहली बार महीना का सुख न मिलने की वजह से वह इस तरह का कदम उठा रही थी अक्सर अपने पति के साथ संभोग रत होने से पहले वह इसी तरह से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती थी और फिर अपने पति की बाहों में अंगड़ाई लेने लगती थी और ऐसा कुछ हुआ आज भी करना चाहती थी देखते ही देखते वह अपने पति की आंखों के सामने अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,, भोला जो कि अपनी बीवी की तरफ नजर करके दूसरे ही ख्यालों में खोया हुआ था सुनैना कुछ और समझ कर मुस्कुराते भी अपने पति की आंखों के सामने अपने ब्लाउज का बटन एक-एक करके खोलती चली गई हो उसकी मदद जवानी से भरे हुए दोनों कबूतर ब्लाउज के खेत से आजाद होते ही अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ने की फिराक में लहराने लगी,,,,,

सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उसका पति उसकी चूचियों के पीछे बहुत ज्यादा ही पागल है क्योंकि वह घंटे तक उसकी चूची से बस खेलते ही रहता था उसी मुंह में लेकर पीता ही रहता था,,, और सुनैना अपने पति के इसी कमजोरी का पूरा फायदा उठा देना चाहती थी इसलिए ब्लाउज का बटन खोलते ही वह अपने ब्लाउस को अपनी बाहों में से उतर कर नीचे जमीन पर फेंक दे कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई बंद कमरे में अपने पति की आंखों के सामने वह केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,,।

सुनैना अब थोड़ा हैरान होने लगी क्योंकि वह कमर के ऊपर पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों को देखकर उसके पति में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया था वह केवल मुस्कुरा रहा था,,, वरना अभी तक तो वहां खटिया से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच जाता और उसकी चूची को दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाना शुरू कर देता ,,, लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,इसलिए वह धीरे से बोली,,,।

इसे भी,,,(अपने पेटिकोट की डोरी पर अपनी उंगली रखते हुए) उतार दूं क्या,,,,!
(भले ही सुनैना अपने पति से निर्वस्त्र होने की इजाजत मांग रही थी उससे पूछ रही थी लेकिन वह मन ही मन निर्वस्त्र होने के लिए ललाईत भी थी,,,। वह अपने पति से पूछ तो रही थी लेकिन उसका पति उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था क्योंकि वह सुनैना की तरफ देख जरूर रहा था लेकिन उसके ख्यालों में शोभा थी,,, अपने पति की तरफ से कोई जवाब ना पाकर सुनैना को थोड़ा आश्चर्य हुआ,,, लेकिन फिर भी उसके मन में चुदवाने की लालसा पूरी तरह से जाग चुकी थी,,, इसलिए भाभी ज्यादा देर ना करते हुए अपने पति की आंखों के सामने अपनी पेटिकोट की डोरी को अपनी नाजुक उंगलियों में फंसा कर हल्के से उसे खींची,,, और उसकी इस हरकत पर कमर पर कसी हुई पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई और वह अपनी उंगली का सहारा देकर अपनी पेटीकोट को हल्के से आगे की तरफ खींची और इस स्थिति में अपनी पेटीकोट को छोड़ दी कमर से पेटिकोट एकदम ढीली होते ही भरभरा कर नीचे उसके कदमों में गिर पड़ी और वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई कमरे में लालटेन मध्धम जल रही थी जिसकी पीली रोशनी में सुनैना का खूबसूरत बदन खरा सोने की तरह चमक रहा था,,,।


कमरे में सुनैना खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर निर्वस्त्र हो चुकी थी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी अगर यह दृश्य कोई और मर्द देखता तो उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ जाता और फिर या तो वह सुनैना के साथ चुदाई का सुख भोगता या फिर अपने यहां से अपनी गर्मी शांत करके तृप्त होने की कोशिश करता,,,, इतना मनोरम में और मादकता से भरा हुआ दृश्य देखना भी है किस्मत की बात होती है,,, दुनिया के सारे मर्द औरत का यह रूप देखने के लिए तड़प जाते हैं और कोशिश करते रहते हैं कि उन्हें इस तरह का दृश्य दिख जाए लेकिन भोला अपनी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत को निर्वस्त्र होता हुआ देख रहा था लेकिन फिर भी उसके बदन में जरा भी हलचल नहीं थी क्योंकि उसके दिमाग में मुखिया की बीवी छाई हुई थी,,,,

सुनैना मारे शर्म के पानी पानी हो रही थी भले ही वह अपने पति के सामने निर्वस्त्र हुई थी लेकिन फिर भी वह एक इज्जतदार औरत थी शर्म और मर्यादा में बंधी हुई भले ही वह अपने पति के साथ किसी भी हद तक सुख प्राप्त करने के लिए चली जाती थी लेकिन फिर भी उसकी कुछ संस्कृति थी संस्कार जिसकी वजह से इस समय भी उसे शर्म महसूस हो रही थी वह धीरे से अपने पति की तरफ आगे पड़ी और लगन अवस्था में ही खटिया पर जाकर बैठ गई खटिया पर बैठते ही उसकी गोल-गोल गांड पके हुए खरबूजे की तरह फैल गई,,,,।

अपने पति के पास निर्वस्त्र अवस्था में बैठ कर सुनैना खुद अपने पति का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे बोली,,,।

देख रही हूं कुछ दिनों से तुम मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते,,,,।
(भोला जो कि अभी भी शोभा के ख्यालों में खोया हुआ था सुनैना की आवाज सुनते ही जैसे नींद से जागा हो और वह एकदम से हड़बड़ा गया,,, और आश्चर्य से सुनैना की तरफ देखने लगा वह सुनैना की तरफ देखा तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बीवी उसके पास एकदम नंगी बैठी हुई है,,,, अपने पति की आश्चर्य से फैली हुई आंखों को देखकर सुनैना बोली,,,)

क्या हुआ किसी और ख्यालों में खोए हुए थे क्या,,,!
(इतना सुनते ही भोला एकदम से चौंक गया उसे पल भर के लिए लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए वह एकदम से बात बदलते हुए बोला,,,)

तुम्हारे होते हुए में किसके ख्यालों में खो सकता हूं एक तुम ही तो हो मेरे सपनों की रानी,,,(ऐसा कहते हुए भोला अपने मन में यही सोच रहा था कि वह नंगी कब हुई वह क्या सोच रहा था उसकी बीवी उसकी आंखों के सामने कब अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर उसके बगल में बैठ गई थी उसे इस बात का एहसास तक नहीं हुआ था इसीलिए वह एकदम से हैरान था,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब खुद देते हुए वह अपने मन में बोला बाप रे मालकिन का ख्याल आते ही मैं सब कुछ भूल जाता हूं,,, वह अपने चेहरे के भाव को एकदम सामान्य कर लिया था वह नहीं चाहता था कि उसकी बीवी को जरा भी शक हो,,, इसलिए वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बीवी की नंगी चिकनी पीठ पर रख दिया और उसे सहलाने लगा,,, उसकी बीवी भी एकदम सामान्य हो गई,,,,।

भोला भले ही दूसरी औरत के ख्यालों में खोया हुआ था लेकिन इस समय उसकी ही खटिया पर उसकी बीवी पूरी तरह से निर्वस्त्र एकदम नंगी उसके बगल में बैठी हुई थी इसलिए ऐसी हालत में उसके बाद में उत्तेजना जागना लाजमी था और ऐसा ही हुआ उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, भोला अपनी बीवी की चिकनी पीठ को सहलाते सहलाते अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, और सुनैना अपने पति के इसी हरकत का तो इंतजार कर रही थी अपने पति की ईस हरकत पर वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी और धीरे से वह भी जवानी और उत्तेजना की आग में चलते हुए अपने हाथ को अपने पति के धोती में डाल दी और उसके लंड को पकड़कर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दी,,,, सुनैना की हरकत से भोला पूरी तरह से बावला हो गया,,, वह उत्तेजना के मारे मदहोश होने लगा वह भले ही अपनी बीवी के साथ था लेकिन इस समय उसे अपनी बीवी ने शोभा दिखाई दे रही थी अपनी मालकिन दिखाई दे रही थी इसलिए सब कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और अपनी बीवी की दोनों चूचियों को पड़कर उसे तुरंत खटिया पर लेटा दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया,,,,।

सुनैना अपने पति की इस हरकत को देखकर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका पति इतना जल्दबाजी क्यों दिख रहा है क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं होता था और देखते ही देखते उसके पति ने अपनी धोती खोल कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और अपने खड़े लंड को उसके गुलाबी बुर पर लगाकर एक धक्का मारा और उसका पूरा का पुरा लंड एक बार में ही उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,, अपने पति के ऐसे हरकत पर सुनैना को दर्द महसूस होने लगा लेकिन वहां अपने दांतों को दबाकर अपने दर्द को पीने की कोशिश करने लगी,,, भोला पूरी तरह से बावला हो चुका था वह अपनी बीवी की दोनों टांगों के बीच पसरकर अपनी बीवी की तरफ झुका और अपने दोनों हाथों को उसके बदन के नीचे ले जाकर उसके अपनी बाहों में भर लिया हो अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,।

दर्द ही सही महीनो के बाद अपने पति के लंड को अपनी बुर में महसूस करके वह पूरी तरह से पागल होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अपने पति से चुदवाए उसे बरसो गुजर गए हैं,,, इसीलिए तो वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी अपनी पति का साथ देते हुए वह नीचे से भी अपनी कमर उछालते हुए बोल रही थी,,,।

ओहहहह मेरे राजा और जोर से और जोर से चोदो मुझे,,,आहहहहहह ऊमममममम बहुत लंबा और मोटा लंड है तुम्हारा मेरे राजा,,,,


ओहहहह मेरी रानी बहुत दम है तेरी बुर में बहुत मजा आ रहा है तेरी बुर कितनी गर्म है रे,,,,ऊममममम (भोला अपनी बीवी की बुर में धक्का पर धक्का लगाता हुआ बोल रहा था,,,)

ऊममममम तुम्हारा लंड भी तो बहुत जानदार है मेरे राजा,,,,सहहहहह आहहहहहह,,, ऐसा लग रहा है किसी से कोई लोहे का मोटा छड मेरी बुर में डाल रहा
हो,,, आहहहहहह ऊमममममममम ,,(दोनों पागल किया जा रहे थे खटिया चरर मरर बोल रही थी ऐसा लग रहा था कि दोनों की जवानी के जोश के चलते कहीं खटिया टूट न जाए भोला पागलों की तरह अपनी बीवी को अपनी मालकिन समझ कर चोद रहा था और सुनैना यही सोच रही थी कि मैं बाद उसका पति उसकी बुर पाया है इसलिए पागल हो गया है,,,, इसीलिए सुनैना अपने पति का जोश बढ़ाते हुए बोल रही थी,,,)

ओहहह ओहहह आहहहहवआहहहबह मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है जोर-जोर से मारो और जोर से मारो धक्का,,,,आहहहहह आहहहहह फाड़ दो मेरी बुर को राजा,,,,आहहहह आहहहहह,,,


आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी रानी आज तेरी बुर को फाड़ दूंगा मेरी शोभा रानी,,,,सससहहहहह आहहहहहह।,, ।

(अपने पति के मुंह से शोभा शब्द सुनते ही मदहोशी में बंद आंखें एकदम से खुल गई,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह सच में शोभा सुनी या सुनैना,,,,वह फिर से इंतजार करने लगी अपने पति के मुंह से वही शब्द सुनने के लिए और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था लेकिन अपनी मालकिन की जवानी में खोया हुआ भोले अपनी बीवी को अपनी मालकिन समझ कर चोद रहा था इसलिए अनजाने में ही उसके मुंह से उसकी मालकिन का नाम निकल गया था और इस गलती का एहसास उसे जल्द ही हो गया था इसलिए वह एकदम से खामोश हो गया लेकिन अपनी बीवी को शक ना हो इसलिए वह जोर-जोर से धोखे लगाते हुए वही शब्द दोहराते हुए बोला,,,)

ओहहह मेरी रानी,,, आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी रानी तेरी बुर को फाड़ दूंगा सुनैना रानी,,,,।
(भोला जानबूझकर इस शब्द को दोहराया था लेकिन पहले वाले शब्द में अपनी मालकिन की जगह अपनी बीवी का नाम ले लिया था और इस बार सुनैना अपने पति के मुंह से अपना नाम सुनकर संतुष्ट हुई उसे लगने लगा कि उसका पति उसी का ही नाम ले रहा था बस उसे सुनने में थोड़ा सा फर्क पड़ गया था,, भोला की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, देखते ही देखते दोनों के बदन में अकड़न सी बढ़ने लगी और फिर दोनों एक साथ भल भला कर झड़ने लगे,,,, और फिर दोनों इस तरह से एक दूसरे की बाहों में सो गए,,,,।

सुबह जब नींद खुली तो उसका पति खटिया पर नहीं था वह बड़े सबेरे ही उठकर जा चुका था सुनैना को अपने पति की ईस हरकत पर थोड़ा सा गुस्सा आने लगा क्योंकि उसने उसे जगाया नहीं था और बिना कुछ बोले घर से निकल गया था और इस समय वह पूरी तरह से निर्वस्त्र थी एकदम नंगी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि ऐसे हालात में अगर उसका बेटा किसी काम से कमरे में आ गया और उसे ऐसा हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा इसलिए उसे थोड़ा गुस्सा आ रहा था इसलिए वह जल्दी से अपने खटिया पर से उठी और अपने कपड़े पहने लगी जो कि अभी भी जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,,।

सुनैना जल्दी-जल्दी गंदे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी और फिर उन्हें गठरी बनाकर उसे माथे पर उठाकर नदी की तरफ निकल गई उन्हें धोने के लिए,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है आज तो भोला बच गया है देखते हैं कब तक बचता है
 
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