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शालू अनजाने में ही अपनी उंगली से नीलू को झाड दी थी,,, नीलू को समझ में नहीं आ रहा था उसके बदन में यह सब क्या हो रहा है लेकिन उसे इतना आनंद आया था कि पूछो मत जिंदगी में ऐसा सुख उसने पहली बार प्राप्त की थी,, और इस पल का उसने पूरी तरह से फायदा उठाई थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,, जवानी से भरी हुई नीलु का यह पहला स्खलन था,,, जिसमें वह पूरी तरह से डूब चुकी थी,,,।

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झड़ने के बाद उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी जिसके चलते दोनों बहने अपने कमरे में से निकल कर बाहर आ गई थी,,, वैसे तो दोनों बहनें इस तरह से रात के समय अपने कमरे से बाहर निकलते नहीं थी लेकिन कभी-कभार इसी तरह से तेज पेशाब लगने की वजह से दोनों साथ में ही निकलती थी और अकेले निकलने में उन दोनों को डर लगता था,,, अपने कमरे में से बाहर निकालने के बाद दोनों बहने धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ रही थी,,, क्योंकि वह दोनों नहीं चाहती थी कि उनकी वजह से उनके मां और बाबूजी की नींद खराब हो,,,।
धीरे-धीरे कदम बढ़ाना बिल्कुल भी शोर मत मचाना वरना मा जाग जाएगी,,,(शालू दबे श्वर में नीलू को समझाते हुए बोली,,,)
ठीक है मुझे मत समझा लेकिन तेरी पायल शोर मचा रही है उसका क्या,,,,
हां तु सच कह रही है,,,(अपने पैरों की तरफ देखते हुए शालु बोली और धीरे से नीचे छप गई और अपने पैरों में से पायल को निकलने लगी,,,)
अरे तू यह क्या कर रही है,,,?

रुक तो सही,,,(और इतना कहने के साथ ही चालू अपने दोनों पैरों में से घुंघरू वाले पायल को निकाल कर अपने हाथ में ले ली और मुस्कुराते हुए बोली,,)
ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी,,, अब चल,,,
अरे अरे क्या कर रही है,,,(नीलू उसे रोकते हुए बोली,,)
क्यों क्या हुआ,,,?
अभी तो कुछ नहीं हुआ लेकिन अगर अंधेरे में या पायल कहीं खो गई तो बहुत कुछ हो जाएगा मां तुझे मार डालेगी,,,
हां यह तो तु ठीक कह रही है,,,
जा उधर रख दे,,,(नीलू उसे छोटे से रोशनदान की तरफ हाथ दिखाते हुए पूरी और चालू भी उसकी बात बातें भी तुरंत दोनों पायल को उसी में रख दी और फिर दोनों आगे बढ़ने लगे,,, दो कमरे को छोड़कर तीसरा कैमरा मुखिया और मुखिया की बीवी का था,,, वहां पर पहुंचते ही दोनों लड़कियों के कानों में अपनी मां के कमरे से खूसर फुसर और हंसने की आवाज आने लगी,,, जिसे सुनकर नीलू बोली,,,)
मां बाबु जी अभी भी जाग रहे हैं,,,
हा रे दोनो तो इतनी रात को भी जाग रहे हैं,,, पता नहीं दोनों क्या बातें कर रहे हैं और इतनी रात को हंस भी रहे हैं,,,,(इतना कहते हुए शालू दरवाजे और खिड़की की तरफ देखने लगी कहीं से भी अंदर देखने की जगह बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन अंदर लालटेन जल रही थी इसका पूरा आभास हो रहा था,,,,, शालू को इस तरह से टुकुर-टुकुर दरवाजे और खिड़कियों की तरफ देखते हुए पाकर नीलू बोली,,)
क्या देख रही है,,,?
अरे मैं देख रही हूं कि अंदर देखने की कहीं जगह दिख रही है मैं भी तो देखूं अंदर क्या हो रहा है,,,
पागल हो गई है क्या इस तरह से आधी रात को किसी के कमरे में झांका नहीं जाता,,,(नीलु उसे समझाते हुए बोली,,,)
अरे दूसरे के कमरे में कहां देखने की कोशिश कर रही हूं मैं तो मा बाबुजी के कमरे में देखने की कोशिश कर रही हूं,,,
चल रहने दे जल्दी से मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है कहीं ऐसा ना हो कि यही छूट जाए,,,,
नाना ऐसा गजब मत करना,,, वरना सबको पता चल जाएगा कि नीतू आधी रात को कमरे के बाहर ही मुत देती है,,,,।
आहहहहह,,,,,(उन दोनों बातें कर रही थी कि तभी उसकी मां के हल्की सी चीख की आवाज सुनाई दी लेकिन साथ में हंसने की भी आवाज थी उन दोनों को ठीक से सुनाई नहीं दे रहा था कि वह क्या बोल रही थी लेकिन अभी तक केवल उसकी मां की ही आवाज आ रही थी उसके बाबूजी की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी,,,, उस आवाज को सुनकर शालू बोली,,,)
मुखिया की बीवी की चुचिया पिता हुआ

पता नहीं अंदर क्या हो रहा है,,,!(शालू को इस बात का आभास था कि उसकी मां कमरे के अंदर चुदाई का खेल खेल रही है चुदवा रही है लेकिन वह खुले शब्दों में बोल नहीं पा रही थी इसीलिए वह देखने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसने भी आज तक चुदाई होते हुए अपनी आंख से कभी नहीं देखी थी लेकिन उसे देखने की उसके मन में जिज्ञासा बराबर बनी हुई थी लेकिन इस समय अपनी मां के कमरे में देख पाना उसके लिए नामुमकिन सा था क्योंकि ना तो दरवाजे में और ना ही खिड़की में कहीं भी थोड़ी सी जगह नजर नहीं आ रही थी जिससे वह कमरे के अंदर की दृश्य को देख सके उसे इस तरह से कड़ी देखकर नीलु फिर से बोली,,,)
तू चाल चालू वरना कहीं मां को पता चल गया कि हम दोनों कमरे के बाहर खड़े हैं तो गजब हो जाएगा,,,
चल अच्छा मुझे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,(अपना मन मसोस कर शालू बोली फिर दोनों पेशाब करने के लिए आगे बढ़ गए,,,,।
दूसरी तरफ मुखिया के कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था क्योंकि मुखिया की बीवी अपने बिस्तर पर नरम नरम गद्दे पर संपूर्ण नग्न अवस्था में अंगड़ाई ले रही थी और उसके साथ उसका पति नहीं बल्कि भोला था जो कि उसकी बड़ी-बड़ी चूची को पपाया की तरह दोनों हाथों से पकड़कर मुंह में डालकर पी रहा था और मुखिया की बीवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,)
सहहहहह आहहहहहह मेरे राजा तू कितना अच्छा प्यार करता है रे,,,,।
ओहहहह मालकिन तुम्हारी चूचियां है बेइंतहा प्यार करने के लायक तभी तो मैं तुम्हारी चूचियों पर मर मिटा हूं। ,,(भोला तकरीबन 1 घंटे से मुखिया की बीवी के कमरे में उसके बिस्तर पर उसकी बीवी के साथ था लेकिन एक घंटे में यह पहला शब्द उसके मुंह से निकला था जिसे सुनकर मदहोश होते हुए मुखिया की बीवी बोली,,,)

ओहहहह भोले तुझे कितनी बार समझाऊं कि मैं दुनिया के सामने तेरे लिए मालकिन होने की अकेले में तो मुझे मेरा नाम लेकर ही बोल कर शोभा,,,
ओहहहह शोभा रानी,,,, तुम बहुत अच्छी हो तुमने तो मुझे पागल कर दिया है तुम्हारी चूचियां पीने में मुझे बहुत मजा आता है बस इसी तरह से तुम मुझे अपना दूध पिलाया करो,,,
तेरे लिए ही तो है रै,,,,सहहहह आहहहहह आहहहहह बहुत मजा आ रहा है भोला जोर जोर से दबा आहहहहहह,,,(मुखिया की बीवी की बात सुनते ही भोला और जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,,,,, तकरीबन 10 मिनट तक शालू और नीलू अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ी थी लेकिन इस बीच उसे केवल अपनी मां की ही आवाज सुनाई दे रही थी अगर अंदर से आ रही मर्द की आवाज भी उन दोनों के कान में पड़ जाती तो शायद आज उन दोनों के हाथों अपनी ही मा का भांडा फूट जाता,,, इसीलिए तो मुखिया की बीवी किस्मत की भी बड़ी तेज थी,,,,।
भोला भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटा हुआ था और मुखिया की बीवी के हाथ में भोला का मोटा तगड़ा काला लंड था जिसे वह जोर-जोर से हिला रही थी,,, और भोला पर प्यार बरसाते हुए बोली,,,।
मुखिया की बीवी और भोला

शालू के पिताजी के आंख में धूल झोंक कर तु कैसे आ गया रे मुझे तो लग रहा था कि तू आज नहीं आ पाएगा,,,
तुम बुलाओ और मैं ना आऊं मेरी रानी कभी ऐसा हो सकता है क्या,,,,
लेकिन तू आया कैसे वह तो खाना खाकर कमरे में ही आ रहे थे,,,
बात तो सही है शोभा लेकिन तुम्हारा पति खाना खाने के बाद थोड़ा पीने का भी शौकीन हो गया है जो कि मेरी ही बदलती और इसीलिए तुम्हें तुम्हारे पति को पिलाने के लिए मेहमान घर में ले गया और वहां पर कुछ ज्यादा ही शराब पिला कर सुला दिया और उसके बाद में तुम्हारे कमरे में आ गया,,,।
ओहहहह मेरे राजा बहुत चालाक हो गया है तु,,,(भोला के खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में जोर से भींचते हुए वह बोली। ,)

यह सब तुमसे ही सीखा हूं मेरी,,, अब जल्दी करो मुझे रहा नहीं जा रहा है अपनी बुर की मलाई मुझे खिला दो,,,,।
ओहह राजा इतना कहके तूने तो मुझे पागल कर दिया है,,, रुक अभी तुझे मलाई खिलाती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी जगह से उठकर बिस्तर पर बैठ गई और फिर एक टक भोला के मोटे तगड़े लंड की तरफ देखते हुए उसे एक हाथ से पकड़े हुए ही अपने लिए जगह बनाने लगी और थोड़ी देर में वह भोला के ऊपर चढ़ गई वह अपनी गोल-गोल भारी पर काम गांड को भोले के चेहरे पर रख दी और खुद आगे की तरफ झुक गई देखते ही देखते भोला मुखिया की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से पड़कर उसे लगभग फैलाते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और फिर अपनी जीभ को मुखिया की बीवी की बुर में डाल दिया और से चाटना शुरू कर दिया और मुखिया की बीवी एकदम मस्त होकर अपनी भारी भरकम गांड को गोल-गोल भोला के चेहरे पर घूमाते हुए खुद उसके मोटे तगड़े लंड को मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,, अपनी मालकिन की कामुक हरकत को देखकर भोला एकदम से मदहोश हो गया और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दिया यह उसकी उत्तेजना की निशानी थी कि वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था दूसरी तरफ वह अपनी मालकिन की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हथेली में दबोच कर लप लप करके उसकी बुर का रस चाटना शुरू कर दिया देखते ही देखते दोनों पूरी तरह से मदहोश होने लगे,,,,,।
मुखिया की बीवी तो जैसे एकदम से पागल हो गई वह अपनी गोल गोल भारी भरकम गांड को बड़ी तेजी से भोला के चेहरे पर पटकने शुरू कर दी भोला को भी अपनी मालकिन का यह अंदाज बहुत अच्छा लगता था भोला भी अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपनी दो उंगली को एक साथ उसकी गुलाबी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करके उसे और मजा देता था,,,। भोला को अच्छी तरह से मालूम था कि मुखिया की बीवी कब चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है,,, लोहा गरम होने के बाद ही भोला हथोड़ा मारता था,, और मुखिया के बीवी का इस तरह से मदहोश होकर भोला के चेहरे पर अपनी गांड पटकन इस बात का इशारा करता था कि लोहा गरम हो चुका है,,, और इसी मौके की ताक में,,, जल्दबाजी दिखाते हुए भोला,,, तुरंत मुखिया की बीवी की मांसल कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसे पलट दिया और खूब जग बदलते हुए उसके ऊपर आ गया उसकी दोनों टांगों को खोलकर उसकी कमर को पड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी भारी भरकम गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया और फिर अपने आलू बुखारा जैसे मोटे सुपाड़े को मुखिया की बीवी की गुलाबी बुर पर रखकर जोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड मुखिया की बीवी की बुर में समा गया,,,, और एक जोरदार चीख मुखिया की बीवी के मुंह से निकली और फिर भोला चुदाई शुरू कर दिया,,,।
दूसरी तरफ दोनों बहने धीरे-धीरे घर के पीछे पहुंच चुकी थी और उन दोनों की सोच के मुताबिक बाहर अंधेरा नहीं बल्कि चांदनी रात थी जिसकी वजह से चांदनी पूरे वातावरण में छींटकी हुई थी और सब कुछ एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, वह दोनों घर के पीछे घनी झाड़ियां के पास पहुंच चुकी थी यहां पर किसी के द्वारा देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि घर के पीछे चारों तरफ दूर-दूर तक खेती ही खेत थे घर एक भी नहीं थे इसलिए दोनों निश्चिंत थे नीलू को तो बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह तुरंत अपने फ्रॉक को उठाकर वहीं पर बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी चांदनी रात में उसकी गोरी गोरी गांड एकदम चमक रही थी जिसे देख कर खुद शालू के मुंह में पानी आ रहा था उसकी गोल-गोल गांड को देखकर शालू बोली,,,।)
चांदनी रात में तो तेरी गांड कितनी चमक रही है रे,,,
तेरी भी तो चमकती है जरा अपनी सलवार उतार तो सही,,,
लेकिन तेरी कुछ ज्यादा ही चमकता है और तेरी बुर में से देख कितनी सीट की आवाज आ रही है चारों तरफ गूंज रही है,,,।
धत् कैसी बातें करती है तू,,,(शालू की बात सुनकर नीलू शर्मा गई थी और उसकी तरह शालु भी अपनी सलवार की डोरी खोल कर पेशाब करने के लिए बैठ गई थी दोनों बहने एकदम पास में बैठी हुई थी सालों से रहने गया तो अपना हाथ नीलू की गांड पर रख दी और बोली,,,)
आहहहहह,,,, कितनी मुलायम है रे तेरी गांड एकदम मखमल का कपड़ा,,,,
हाए दीदी हाथ हटाओ ना गुदगुदी हो रही है,,,,
उंगली डाली थी तब गुदगुदी नहीं हो रही थी,,,
बहुत जरूरी हो रही थी तभी तो जोरों की पेशाब लग गई,,,।
(दोनों बहने अपनी गांड खोलकर पेशाब करने बैठी हुई थी और इस खूबसूरत मादकता भरे नजारे को देखने वाला इस समय वहां पर मर्द जात का नामोनिशान नहीं था उसकी खूबसूरत गांड को केवल प्रकृति देख रही थी पेड़ पौधे देख रहे थे आसमान में निकला हुआ चांद सितारे देख रहे थे अगर ऐसी हालत में किसी मर्द की नजर दोनों बहनों पर पड़ जाती तो बे कहें दोनों की बुर में उस मर्द का लंड घुसा हुआ होता,,, थोड़ी ही देर में पेशाब करने के बाद दोनों बहने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर के आगे वाले भाग में आ गए और दोनों बड़ी-बड़ी से हेड पंप चला कर अपना हाथ मुंह धो कर वापस अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगे,,, अपनी मां के कमरे के पास से गुजरते हुए दोनों को किसी भी तरह की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो वह दोनों समझ गए की उसकी मां और बाबूजी सो गए हैं लेकिन उन दोनों को कहां मालूम था कि अंदर चुदाई का खेल चालू था और इस समय उसकी मां की बुर में उसके बाबूजी का नहीं बल्कि उनके नौकर भोला का लंड घुसा हुआ था,,, दोनों बहने अपने कमरे में जा चुकी थी,,,, और इस समय उन दोनों की मां भोला के ऊपर चढ़ी हुई थी और भोले का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में अंदर तक घुसा हुआ था और वह खुद अपनी गांड को उसके लंड पर पटक रही थी,,,।
जवानी की आग में तड़पती हुई सुनैना

एक तरफ भोला मुखिया की बीवी की जवानी में पूरी तरह से डूबा हुआ था और दूसरी तरफ उसकी जवानी से लदी हुई बीवी बिस्तर पर करवटें बदल रही थी,,, सुनैना वैसे तो बेहद संस्कारी औरत थी और मर्यादा में रहने वाली औरत थी लेकिन जिस तरह से सभी औरतों को पेट की भूख के साथ-साथ बदन की भी भूख सताती है इस तरह से सुनैना की भी हालत थी सुनैना को भी अपने मर्द की जरूरत थी उसके मोटे तगड़े लंड को सुनना भी अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी चुदवाना चाहती थी,,,,, लेकिन वह मजबूर हो चुकी थी अपने पति की आदत से खाना खाने के बाद से ही वह मुखिया के खेत पर काम करने का बहाना बनाकर घर से निकल गया था सुनैना को तो ऐसा ही लग रहा था कि उसका पति वाकई में मुखिया के खेत में काम कर रहा होगा लेकिन उसे क्या मालूम था कि इस समय उसका पति किसी और के खेत को जोत रहा था जो कि उसके खुद का खेत सूख रहा था,,,।
अपने पति की राह देखती हुई सुनैना

सुनैना सोने से पहले अपनी साड़ी को उतार कर रख दी थी और इस समय केवल पेटिकोट और ब्लाउज में ही थी और इस अवस्था में वह पूरी तरह से जवानी से गदराई हुई दिखाई दे रही थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका खूबसूरत गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था उसके छाती की शोभा बढ़ा रहे हैं उसके दोनों चूचियां दशहरे आम की तरह एकदम खेल रहे थे मांसल चिकनी कमर और पेट के बीच में उसकी नाभि एकदम गहरी थी जो कि उसकी छोटी सी बुर की तरह नजर आती थी,,,, सुनैना से रहा नहीं जा रहा था बार-बार वह अपने पति का रास्ता देखते हुए वह कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर उसकी राह देखती रहती थी लेकिन अफसोस दूर-दूर तक उसका पति कहीं नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था और कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी वह कुछ देर तक दरवाजे पर इस तरह से बैठकर अपने पति का इंतजार करती रही लेकिन तक हर करूंगा वापस अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर करवट बदलते हुए कब उसे नींद आ गई उसे भी पता नहीं चला,,,।


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धीरे-धीरे कदम बढ़ाना बिल्कुल भी शोर मत मचाना वरना मा जाग जाएगी,,,(शालू दबे श्वर में नीलू को समझाते हुए बोली,,,)
ठीक है मुझे मत समझा लेकिन तेरी पायल शोर मचा रही है उसका क्या,,,,
हां तु सच कह रही है,,,(अपने पैरों की तरफ देखते हुए शालु बोली और धीरे से नीचे छप गई और अपने पैरों में से पायल को निकलने लगी,,,)
अरे तू यह क्या कर रही है,,,?

रुक तो सही,,,(और इतना कहने के साथ ही चालू अपने दोनों पैरों में से घुंघरू वाले पायल को निकाल कर अपने हाथ में ले ली और मुस्कुराते हुए बोली,,)
ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी,,, अब चल,,,
अरे अरे क्या कर रही है,,,(नीलू उसे रोकते हुए बोली,,)
क्यों क्या हुआ,,,?
अभी तो कुछ नहीं हुआ लेकिन अगर अंधेरे में या पायल कहीं खो गई तो बहुत कुछ हो जाएगा मां तुझे मार डालेगी,,,
हां यह तो तु ठीक कह रही है,,,
जा उधर रख दे,,,(नीलू उसे छोटे से रोशनदान की तरफ हाथ दिखाते हुए पूरी और चालू भी उसकी बात बातें भी तुरंत दोनों पायल को उसी में रख दी और फिर दोनों आगे बढ़ने लगे,,, दो कमरे को छोड़कर तीसरा कैमरा मुखिया और मुखिया की बीवी का था,,, वहां पर पहुंचते ही दोनों लड़कियों के कानों में अपनी मां के कमरे से खूसर फुसर और हंसने की आवाज आने लगी,,, जिसे सुनकर नीलू बोली,,,)
मां बाबु जी अभी भी जाग रहे हैं,,,
हा रे दोनो तो इतनी रात को भी जाग रहे हैं,,, पता नहीं दोनों क्या बातें कर रहे हैं और इतनी रात को हंस भी रहे हैं,,,,(इतना कहते हुए शालू दरवाजे और खिड़की की तरफ देखने लगी कहीं से भी अंदर देखने की जगह बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन अंदर लालटेन जल रही थी इसका पूरा आभास हो रहा था,,,,, शालू को इस तरह से टुकुर-टुकुर दरवाजे और खिड़कियों की तरफ देखते हुए पाकर नीलू बोली,,)
क्या देख रही है,,,?
अरे मैं देख रही हूं कि अंदर देखने की कहीं जगह दिख रही है मैं भी तो देखूं अंदर क्या हो रहा है,,,
पागल हो गई है क्या इस तरह से आधी रात को किसी के कमरे में झांका नहीं जाता,,,(नीलु उसे समझाते हुए बोली,,,)
अरे दूसरे के कमरे में कहां देखने की कोशिश कर रही हूं मैं तो मा बाबुजी के कमरे में देखने की कोशिश कर रही हूं,,,
चल रहने दे जल्दी से मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है कहीं ऐसा ना हो कि यही छूट जाए,,,,
नाना ऐसा गजब मत करना,,, वरना सबको पता चल जाएगा कि नीतू आधी रात को कमरे के बाहर ही मुत देती है,,,,।
आहहहहह,,,,,(उन दोनों बातें कर रही थी कि तभी उसकी मां के हल्की सी चीख की आवाज सुनाई दी लेकिन साथ में हंसने की भी आवाज थी उन दोनों को ठीक से सुनाई नहीं दे रहा था कि वह क्या बोल रही थी लेकिन अभी तक केवल उसकी मां की ही आवाज आ रही थी उसके बाबूजी की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी,,,, उस आवाज को सुनकर शालू बोली,,,)
मुखिया की बीवी की चुचिया पिता हुआ

पता नहीं अंदर क्या हो रहा है,,,!(शालू को इस बात का आभास था कि उसकी मां कमरे के अंदर चुदाई का खेल खेल रही है चुदवा रही है लेकिन वह खुले शब्दों में बोल नहीं पा रही थी इसीलिए वह देखने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसने भी आज तक चुदाई होते हुए अपनी आंख से कभी नहीं देखी थी लेकिन उसे देखने की उसके मन में जिज्ञासा बराबर बनी हुई थी लेकिन इस समय अपनी मां के कमरे में देख पाना उसके लिए नामुमकिन सा था क्योंकि ना तो दरवाजे में और ना ही खिड़की में कहीं भी थोड़ी सी जगह नजर नहीं आ रही थी जिससे वह कमरे के अंदर की दृश्य को देख सके उसे इस तरह से कड़ी देखकर नीलु फिर से बोली,,,)
तू चाल चालू वरना कहीं मां को पता चल गया कि हम दोनों कमरे के बाहर खड़े हैं तो गजब हो जाएगा,,,
चल अच्छा मुझे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,(अपना मन मसोस कर शालू बोली फिर दोनों पेशाब करने के लिए आगे बढ़ गए,,,,।
दूसरी तरफ मुखिया के कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था क्योंकि मुखिया की बीवी अपने बिस्तर पर नरम नरम गद्दे पर संपूर्ण नग्न अवस्था में अंगड़ाई ले रही थी और उसके साथ उसका पति नहीं बल्कि भोला था जो कि उसकी बड़ी-बड़ी चूची को पपाया की तरह दोनों हाथों से पकड़कर मुंह में डालकर पी रहा था और मुखिया की बीवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,)
सहहहहह आहहहहहह मेरे राजा तू कितना अच्छा प्यार करता है रे,,,,।
ओहहहह मालकिन तुम्हारी चूचियां है बेइंतहा प्यार करने के लायक तभी तो मैं तुम्हारी चूचियों पर मर मिटा हूं। ,,(भोला तकरीबन 1 घंटे से मुखिया की बीवी के कमरे में उसके बिस्तर पर उसकी बीवी के साथ था लेकिन एक घंटे में यह पहला शब्द उसके मुंह से निकला था जिसे सुनकर मदहोश होते हुए मुखिया की बीवी बोली,,,)

ओहहहह भोले तुझे कितनी बार समझाऊं कि मैं दुनिया के सामने तेरे लिए मालकिन होने की अकेले में तो मुझे मेरा नाम लेकर ही बोल कर शोभा,,,
ओहहहह शोभा रानी,,,, तुम बहुत अच्छी हो तुमने तो मुझे पागल कर दिया है तुम्हारी चूचियां पीने में मुझे बहुत मजा आता है बस इसी तरह से तुम मुझे अपना दूध पिलाया करो,,,
तेरे लिए ही तो है रै,,,,सहहहह आहहहहह आहहहहह बहुत मजा आ रहा है भोला जोर जोर से दबा आहहहहहह,,,(मुखिया की बीवी की बात सुनते ही भोला और जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,,,,, तकरीबन 10 मिनट तक शालू और नीलू अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ी थी लेकिन इस बीच उसे केवल अपनी मां की ही आवाज सुनाई दे रही थी अगर अंदर से आ रही मर्द की आवाज भी उन दोनों के कान में पड़ जाती तो शायद आज उन दोनों के हाथों अपनी ही मा का भांडा फूट जाता,,, इसीलिए तो मुखिया की बीवी किस्मत की भी बड़ी तेज थी,,,,।
भोला भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटा हुआ था और मुखिया की बीवी के हाथ में भोला का मोटा तगड़ा काला लंड था जिसे वह जोर-जोर से हिला रही थी,,, और भोला पर प्यार बरसाते हुए बोली,,,।
मुखिया की बीवी और भोला

शालू के पिताजी के आंख में धूल झोंक कर तु कैसे आ गया रे मुझे तो लग रहा था कि तू आज नहीं आ पाएगा,,,
तुम बुलाओ और मैं ना आऊं मेरी रानी कभी ऐसा हो सकता है क्या,,,,
लेकिन तू आया कैसे वह तो खाना खाकर कमरे में ही आ रहे थे,,,
बात तो सही है शोभा लेकिन तुम्हारा पति खाना खाने के बाद थोड़ा पीने का भी शौकीन हो गया है जो कि मेरी ही बदलती और इसीलिए तुम्हें तुम्हारे पति को पिलाने के लिए मेहमान घर में ले गया और वहां पर कुछ ज्यादा ही शराब पिला कर सुला दिया और उसके बाद में तुम्हारे कमरे में आ गया,,,।
ओहहहह मेरे राजा बहुत चालाक हो गया है तु,,,(भोला के खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में जोर से भींचते हुए वह बोली। ,)

यह सब तुमसे ही सीखा हूं मेरी,,, अब जल्दी करो मुझे रहा नहीं जा रहा है अपनी बुर की मलाई मुझे खिला दो,,,,।
ओहह राजा इतना कहके तूने तो मुझे पागल कर दिया है,,, रुक अभी तुझे मलाई खिलाती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी जगह से उठकर बिस्तर पर बैठ गई और फिर एक टक भोला के मोटे तगड़े लंड की तरफ देखते हुए उसे एक हाथ से पकड़े हुए ही अपने लिए जगह बनाने लगी और थोड़ी देर में वह भोला के ऊपर चढ़ गई वह अपनी गोल-गोल भारी पर काम गांड को भोले के चेहरे पर रख दी और खुद आगे की तरफ झुक गई देखते ही देखते भोला मुखिया की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से पड़कर उसे लगभग फैलाते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और फिर अपनी जीभ को मुखिया की बीवी की बुर में डाल दिया और से चाटना शुरू कर दिया और मुखिया की बीवी एकदम मस्त होकर अपनी भारी भरकम गांड को गोल-गोल भोला के चेहरे पर घूमाते हुए खुद उसके मोटे तगड़े लंड को मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,, अपनी मालकिन की कामुक हरकत को देखकर भोला एकदम से मदहोश हो गया और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दिया यह उसकी उत्तेजना की निशानी थी कि वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था दूसरी तरफ वह अपनी मालकिन की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हथेली में दबोच कर लप लप करके उसकी बुर का रस चाटना शुरू कर दिया देखते ही देखते दोनों पूरी तरह से मदहोश होने लगे,,,,,।
मुखिया की बीवी तो जैसे एकदम से पागल हो गई वह अपनी गोल गोल भारी भरकम गांड को बड़ी तेजी से भोला के चेहरे पर पटकने शुरू कर दी भोला को भी अपनी मालकिन का यह अंदाज बहुत अच्छा लगता था भोला भी अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपनी दो उंगली को एक साथ उसकी गुलाबी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करके उसे और मजा देता था,,,। भोला को अच्छी तरह से मालूम था कि मुखिया की बीवी कब चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है,,, लोहा गरम होने के बाद ही भोला हथोड़ा मारता था,, और मुखिया के बीवी का इस तरह से मदहोश होकर भोला के चेहरे पर अपनी गांड पटकन इस बात का इशारा करता था कि लोहा गरम हो चुका है,,, और इसी मौके की ताक में,,, जल्दबाजी दिखाते हुए भोला,,, तुरंत मुखिया की बीवी की मांसल कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसे पलट दिया और खूब जग बदलते हुए उसके ऊपर आ गया उसकी दोनों टांगों को खोलकर उसकी कमर को पड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी भारी भरकम गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया और फिर अपने आलू बुखारा जैसे मोटे सुपाड़े को मुखिया की बीवी की गुलाबी बुर पर रखकर जोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड मुखिया की बीवी की बुर में समा गया,,,, और एक जोरदार चीख मुखिया की बीवी के मुंह से निकली और फिर भोला चुदाई शुरू कर दिया,,,।
दूसरी तरफ दोनों बहने धीरे-धीरे घर के पीछे पहुंच चुकी थी और उन दोनों की सोच के मुताबिक बाहर अंधेरा नहीं बल्कि चांदनी रात थी जिसकी वजह से चांदनी पूरे वातावरण में छींटकी हुई थी और सब कुछ एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, वह दोनों घर के पीछे घनी झाड़ियां के पास पहुंच चुकी थी यहां पर किसी के द्वारा देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि घर के पीछे चारों तरफ दूर-दूर तक खेती ही खेत थे घर एक भी नहीं थे इसलिए दोनों निश्चिंत थे नीलू को तो बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह तुरंत अपने फ्रॉक को उठाकर वहीं पर बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी चांदनी रात में उसकी गोरी गोरी गांड एकदम चमक रही थी जिसे देख कर खुद शालू के मुंह में पानी आ रहा था उसकी गोल-गोल गांड को देखकर शालू बोली,,,।)
चांदनी रात में तो तेरी गांड कितनी चमक रही है रे,,,
तेरी भी तो चमकती है जरा अपनी सलवार उतार तो सही,,,
लेकिन तेरी कुछ ज्यादा ही चमकता है और तेरी बुर में से देख कितनी सीट की आवाज आ रही है चारों तरफ गूंज रही है,,,।
धत् कैसी बातें करती है तू,,,(शालू की बात सुनकर नीलू शर्मा गई थी और उसकी तरह शालु भी अपनी सलवार की डोरी खोल कर पेशाब करने के लिए बैठ गई थी दोनों बहने एकदम पास में बैठी हुई थी सालों से रहने गया तो अपना हाथ नीलू की गांड पर रख दी और बोली,,,)
आहहहहह,,,, कितनी मुलायम है रे तेरी गांड एकदम मखमल का कपड़ा,,,,
हाए दीदी हाथ हटाओ ना गुदगुदी हो रही है,,,,
उंगली डाली थी तब गुदगुदी नहीं हो रही थी,,,
बहुत जरूरी हो रही थी तभी तो जोरों की पेशाब लग गई,,,।
(दोनों बहने अपनी गांड खोलकर पेशाब करने बैठी हुई थी और इस खूबसूरत मादकता भरे नजारे को देखने वाला इस समय वहां पर मर्द जात का नामोनिशान नहीं था उसकी खूबसूरत गांड को केवल प्रकृति देख रही थी पेड़ पौधे देख रहे थे आसमान में निकला हुआ चांद सितारे देख रहे थे अगर ऐसी हालत में किसी मर्द की नजर दोनों बहनों पर पड़ जाती तो बे कहें दोनों की बुर में उस मर्द का लंड घुसा हुआ होता,,, थोड़ी ही देर में पेशाब करने के बाद दोनों बहने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर के आगे वाले भाग में आ गए और दोनों बड़ी-बड़ी से हेड पंप चला कर अपना हाथ मुंह धो कर वापस अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगे,,, अपनी मां के कमरे के पास से गुजरते हुए दोनों को किसी भी तरह की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो वह दोनों समझ गए की उसकी मां और बाबूजी सो गए हैं लेकिन उन दोनों को कहां मालूम था कि अंदर चुदाई का खेल चालू था और इस समय उसकी मां की बुर में उसके बाबूजी का नहीं बल्कि उनके नौकर भोला का लंड घुसा हुआ था,,, दोनों बहने अपने कमरे में जा चुकी थी,,,, और इस समय उन दोनों की मां भोला के ऊपर चढ़ी हुई थी और भोले का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में अंदर तक घुसा हुआ था और वह खुद अपनी गांड को उसके लंड पर पटक रही थी,,,।
जवानी की आग में तड़पती हुई सुनैना

एक तरफ भोला मुखिया की बीवी की जवानी में पूरी तरह से डूबा हुआ था और दूसरी तरफ उसकी जवानी से लदी हुई बीवी बिस्तर पर करवटें बदल रही थी,,, सुनैना वैसे तो बेहद संस्कारी औरत थी और मर्यादा में रहने वाली औरत थी लेकिन जिस तरह से सभी औरतों को पेट की भूख के साथ-साथ बदन की भी भूख सताती है इस तरह से सुनैना की भी हालत थी सुनैना को भी अपने मर्द की जरूरत थी उसके मोटे तगड़े लंड को सुनना भी अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी चुदवाना चाहती थी,,,,, लेकिन वह मजबूर हो चुकी थी अपने पति की आदत से खाना खाने के बाद से ही वह मुखिया के खेत पर काम करने का बहाना बनाकर घर से निकल गया था सुनैना को तो ऐसा ही लग रहा था कि उसका पति वाकई में मुखिया के खेत में काम कर रहा होगा लेकिन उसे क्या मालूम था कि इस समय उसका पति किसी और के खेत को जोत रहा था जो कि उसके खुद का खेत सूख रहा था,,,।
अपने पति की राह देखती हुई सुनैना

सुनैना सोने से पहले अपनी साड़ी को उतार कर रख दी थी और इस समय केवल पेटिकोट और ब्लाउज में ही थी और इस अवस्था में वह पूरी तरह से जवानी से गदराई हुई दिखाई दे रही थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका खूबसूरत गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था उसके छाती की शोभा बढ़ा रहे हैं उसके दोनों चूचियां दशहरे आम की तरह एकदम खेल रहे थे मांसल चिकनी कमर और पेट के बीच में उसकी नाभि एकदम गहरी थी जो कि उसकी छोटी सी बुर की तरह नजर आती थी,,,, सुनैना से रहा नहीं जा रहा था बार-बार वह अपने पति का रास्ता देखते हुए वह कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर उसकी राह देखती रहती थी लेकिन अफसोस दूर-दूर तक उसका पति कहीं नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था और कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी वह कुछ देर तक दरवाजे पर इस तरह से बैठकर अपने पति का इंतजार करती रही लेकिन तक हर करूंगा वापस अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर करवट बदलते हुए कब उसे नींद आ गई उसे भी पता नहीं चला,,,।

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