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Incest पाण्डू का जन्म

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Sex is temporary pleasure & I love temporary thing
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Bahut bahut dhanyawad aap sabke pratikriyaa
Bahut jald main agala update bhi aap sabke samaksh prastut karungi
 
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Napster

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Update 3

मैं और मां एक बड़ी चारपाई पर और बापू एक दूसरी चारपाई पर सोते थे बापू अपनी चारपाई पर लेट गए और मां उनके पैरो के पास बैठकर उनके पैर दावते हुए उनसे बाते करने लगी इधर मैं मां की बाते सुनते सुनते कब मैं सो गई मुझे पता ही नही चला।

अब आगे*************"***"*********

अभी मैं सो ही रही थी की कोई आधे, एक घंटे के बाद मेरी आंख पेशाब के प्रेशर की वजह से खुल गई मैं अभी उठने ही वाली थी की मुझे मां की सिस्याने की आवाज आई।

मां** छोड़ो जी क्या करते हो जवान बेटी बगल में सो रही है और तुम्हे इश्क सूझ रहा है।

पापा** अरे मेरी जान तुम तो अपनी बेटी के चक्कर में मुझे भूलती ही जा रही हो देखो आज ना मेरा मन कर रहा है और वैसे भी कितना दिन हो गया है तुम्हारी इस फूल सी रामप्यारी को मसले हुए।

जैसे ही मैं ये आवाजे सुनती हूं तो मैं एक दम से शांत होके लेटी रहती हूं और सोचने लगती हूं आखिर ये मां और पापा कैसी बाते कर रहे है और मैं शांति से उनकी बाते सुनने लगी।

मां**अजी समझा करो बेटी अब जवान हो गई है और मुझे तुमसे उसकी शादी के बारे में भी बात करनी है।

पापा**नहीं मेरी जान आज मुझे कुछ नहीं सुनना आज मेरा बहुत मन है और इतना बोलकर पापा चुप हो जाते है लेकिन फिर से मुझे एक दम से मां की सिस्याने की आवाज आती है।

मां**अजी थोड़ी तो शर्म करो अगर बेटी ने सुन लिया तो मेरे बारे में क्या सोचेंगी तुम्हे क्या है तुम तो बस अपना काम किया और सुबह होते ही खेत निकल जाओगे पूरा दिन तो मुझे बेटी के साथ रहना पड़ता है।

पापा**देखो बहाने बनाने की कोई जरूरत नहीं है मेरा मूड खराब हो रहा है तुम्हे देना है तो दो नहीं तो अचार डालो अपनी बुर का और इतना बोल कर पापा दूसरी ओर करवट लेकर लेट जाते है।

मेरा घर मिट्टी का बना हुआ था जिसमे एक कमरा बना हुआ था उसी कमरे में मेरी मां की पूरी दुनिया थी कमरे के आगे फूस का छप्पर था और उसके नीचे खुली हुई किचेन थी कमरे से पीछे एक कपड़े से ढका हुआ बाथरूम था जिसमे हम मां बेटियां नहाया करती थी और दिन में पेशाब भी वही किया करती थी।

इस समय मैं अपने परिवार के साथ उसी फूस के छप्पर के नीचे लेटी थी और पूरे चांद की रोशनी की चमक छप्पर से बाहर फैली हुई थी कुछ बहुत हल्की सी रोशनी की चमक में मुझे मेरी बगल में मेरी ओर मां की उत्तेजित वाली बाते सुनाई दे रही थी और उनकी काली आकृति दिखाई पड़ रही थी।

मां को जब एहसास हुआ की पापा उनसे नाराज हो गए तो अब मां उन्हें मानने के लिए अपनी करवट पापा की ओर कर ली और बोली***

मां**अजी तुम तो बुरा मान गए मै कोई बहाना नहीं बना रही थी अच्छा सुनो ना मेरी ओर घूमो ना अब अपनी जान से ऐसे भी नाराज हो जाओगे अच्छा बाबा माफ कर दो ना अपनी जान को गलती हो गई, अब तो मान जाओ और देखो मेरी रामप्यारी कैसे तुम्हारे रामलाल से मिलने के लिए तड़पी जा रही है।

पापा**नहीं मिलना मुझे किसी रामप्यारी से अब तू अपनी रामप्यारी का अचार ही डालो, मुझे नींद आ रही है।

मैं अपने मन में***ये रामप्यारी और रामलाल कौन है और अभी इनको इतनी रात में क्यूं मिलना और इनके ना मिलने पर पापा क्यूं नाराज हो गए और आखिरकार ये रामलाल है कौन क्या मुझे मां से पूछना चाहिए मुझसे भी अब ज्यादा बर्दास्त नही होगा नहीं तो मैं यही चड्डी में ही मूत मारूंगी और यही सोचकर मैं उठने ही वाली थी की मां ने जो बात कही उसे सुनकर मैं दंग रह गई और तब मुझे भी पता चला की रामलाल और रामप्यारी कौन है और ये लोग उन्हें इतनी रात में क्यूं मिलाना चाहते है।

मां**अच्छा तो तुम मुझसे इतना गुस्सा हो गए अब तो मैं रामप्यारी में अचार नही केला डालूंगी।

इतना बोलकर मां चारपाई से उठ खड़ी हुई और एक बार मेरी ओर देखा मैं चुपचाप सोने का नाटक कर रही थी फिर मां ने अपनी साड़ी खोलना शुरू कर दी और अपना ब्लाउज भी निकालकर छप्पर पर टांग दिया अब मां सिर्फ एक पेटीकोट आ गई जो मुझे चांद की बहुत ही हल्की सी रोशनी में नजर आ रही थी, मुझे ये तो अंदाजा हो गया की मां ऊपर से नंगी है क्यूंकि मां ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनती हैं लेकिन रात होने के कारण मुझे उनकी बहुत ही हल्की चूचियां नजर आ रही थी जो की काफी बड़ी बड़ी थी।

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अब मां अपने पेटीकोट को ऊपर समेट कर पापा के पास आती है और उनको सीने के बल घुमाकर उनके ऊपर बैठ जाती है और बोलीती है।****

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मां***अजी अब बताओ क्या बोल रहे थे मेरी रामप्यारी के बारे में क्या करू इसका मैं और फिर मां पूरी तरह पापा के सीने के ऊपर लेट गई।

मेरे पापा भी कम नहीं थे उन्होंने कहा तो कुछ नहीं लेकिन उन्होंने अपने दोनो हाथो को मां की पीठ पर रख सहलाने लगे और कुछ देर बाद वो अपने हाथ धीरे धीरे मेरी मां के नितम्ब के पास ले आए और फिर उन्होंने अपने दोनो हाथ के पंजे फैलाकर मां के नितम्ब को मजबूती से पकड़कर मसलने लगे जिससे मां की सिसकियां एक बार फिर से निकलने लगी और मां सिर्फ इतना ही कह पाई अजी आराम से कीजिए मुझे दर्द होता है।


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पापा**कहो अभी से ही दर्द होने लगा अभी तो बोल रही थी की केला लेना है बताओ कैसे डालोगी मेरा केला अपनी छोटी सी मुनिया में****

पापा का इतना ही कहना सुन मैं दंग रह गई क्यूंकि मुनिया तो मैं अपनी पेशाब करने वाली जगह को कहती हूं और पापा मां की मुनिया में केला डालने की बात कर रहे है क्या सच में मुनिया में केला भी डाला जाता है।

मेरे पेशाब का प्रेशर अब बढ़ता जा रहा था लेकिन मैं इस समय उठ भी तो नहीं सकती थी।

इधर अब पापा के हाथ मां के पेटीकोट के अंदर घुस गए और कुछ ही समय बाद मुझे मां की फिर से सिसकने आवाज आई।


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मां**आआआआह्ह्ह siiiiiiiiiiiii नहीं नहीं वहा ऊंगली न करो मुझे दर्द होता है, आआआआह मर गई दईया तुम हमेशा मेरी गांड़ के पीछे क्यूं पड़े रहते हो, निकालो अपनी ऊंगली वहा से मुझे दर्द हो रहा है।

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जब मैने मां के मुंह से गांड़ शब्द सुना तो मैं अचम्भित रह गई मतलब पापा ने मां की गांड़ में ऊंगली डाली है जिससे मां को दर्द हो रहा है।

पापा**अरे मेरी जान दर्द में ही तो मजा है अभी तो ऊंगली डाली है आज तो मेरा लण्ड भी तेरी गांड़ में जायेगा, बोल मुझे आज अपनी गांड़ चोदने को देगी या नहीं।

मां**कभी नहीं तुम्हे अंदाजा भी नहीं है मुझे एक छोटी सी ऊंगली लेने में इतना दर्द होता है तो फिर ये तुम्हारा इतना मोटा लम्बा लण्ड अपनी गांड़ में लूं ऐसा कभी नहीं होगा अब तुम्हे मेरी बुर चोदनी हो चोदो नही तो फिर मुझे सोने दो।

मां और पापा की ऐसी बाते मुझे पहले तो समझ नहीं आयी क्यूंकि मुझे लण्ड और बुर जैसे शब्द क्या होते है ये नहीं पता था लोगो से मैने शुशु और मुनिया के बारे में ही सुना था।

पापा**आज पहले तुम ही मेरे लण्ड की सवारी करो फिर बाद में मैं धक्के लगाऊंगा।

मां पापा की इतनी बात सुन पापा के सीने से उठ जाती है और फिर पापा की लूंगी निकाल देती है और फिर कुछ देर में ही मम्मी पापा को पूरा नंगा कर देती है लेकिन पापा की चड्डी को उनके घुटनों तक ही सरकाकर उनके पैर के पास छोड़ देती है।

पापा**इसे यहां क्यूं छोड़ दिया अब पूरी तरह निकाल ही दो।

मां**अरे कैसी बात कर रहे हो जवान बेटी बगल में सोयी है और तुम क्या एक भी कपड़ा अपने शरीर पर नहीं रखोगे कही बेटी उठ गई और उसने हमे ऐसे देख लिया तो क्या सोचेंगी।

पापा**इतनी अंधेरे में वो भला क्या देख लेंगी और देख भी लेगी तो क्या यही सोचेगी की उसकी मां अपनी बुर में लण्ड ले रही है और वो भी तो इसी लण्ड से पैदा हुई है अगर उसकी मां ने मेरा लण्ड अपनी बुर में ना लिया होता तो आज वह मेरे बगल में ऐसे सो नही रही होती।

मां और पापा के यूं बार बार लण्ड और बुर से अब मेरे नीचे भी कुछ हलचल होनी शुरू हो गई थी मेरी सांसे गहरी और तेजी से चलने लगी थी मेरी चूचियां ऊपर नीचे होने लगी थी मुझे ऐसा लग रहा था, और अब मुझसे बर्दास्त नही होता जिस कारण मैं धीरे धीरे अपनी चड्डी में ही मूतने लगती हूं और मेरी चड्डी के साथ साथ पूरा बिस्तर भी मेरे मूत से गीला हो जाता है।


और फिर पापा वो चड्डी भी निकाल देते है और मां का पेटिकोट भी जबरदस्ती निकलवा देते है अब मेरे ही बगल में मेरे सगे मां बाप पूरी तरह नंगे होकर एक ही चारपाई पर एक दूसरे से चिपके पड़े हुए थे।

लेकिन मां का दिल अभी भी डर रहा था कही मैं ना जग जाऊ लेकिन उनको ये पता नहीं था की मैं तबसे जग रही थी जबसे उनका ये खेल शुरू हुआ था।

मां धीमी आवाज में***संगीत ओ संगीत मां ने मुझे दो बार आवाज दी लेकिन मैं जानबूझकर नहीं बोली क्यूंकी मुझे पता था की मां मुझे चेक करने के उद्देश्य बुला रही है लेकिन मैं भी इतना अच्छा खेल कैसे बिगाड़ सकती थी जब मां को कोई आवाज नहीं आई तो पापा बोले।

पापा**अरे तू बेवजह परेशान हो रही है बच्ची खेलते हुए थक गई होगी और इसलिए गहरी नींद में सो गई होगी अब समय बर्बाद ना करो मेरी जान जल्दी से मेरे ऊपर आ जाओ।

मां**मां ने एक मेरी ओर देखा और फिर वो भी निश्चिंत होकर पापा के ऊपर अपने पैर फैलाकर बैठ गई और फिर मां ने अपने मुंह से देर सारा थूक अपने हाथों में लेकर पापा के लण्ड में चुपड़ दिया और अपने हाथो से पापा का लण्ड पकड़कर उसे ऊपर नीचे किया और फिर अपनी बुर में सेट करके उस पर बैठने लगी अब जैसे जैसे पापा का लण्ड मां की बुर में जा रहा था मां की सिसकी निकल रही थी।


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मां**अजी सुनते हो तुम्हारा लण्ड आज भी मेरी बुर में जाते ही खलबली मचा देता है,आआआआह्ह्हह उईई मां हां बस ऐसे ही आराम से आह बहुत मजा आ रहा है

पापा**मेरी जान वो इसलिए क्यूंकि आज भी तू वैसी की वैसी ही जवान है बल्कि बढ़ती उम्र के साथ तू तो बिलकुल पटक के चोदने वाला मॉल बन गई है aaaahhh क्या चूचियां है तेरी.....

और फिर पापा मां की एक चूची को अपने मुंह में भर लेते है और उसे जोर जोर से चूसने लगते है जैसे उसमे से दूध निकल रहा हो और दूसरी चूची को पकड़कर मसलने लगते है जिससे मां की गर्म और कामुख सिसकारी निकलने लगती है।
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मां**आआह्ह और जोर से मसलों मेरी चुचियों को पी जाओ आज इनका सारा रस ये निगोडी मेरी चूचियां मुझे बहुत तंग करती है आज इनकी सारी ऐंठन मिटा दो और मां अपनी भारी नितम्ब को पापा के लण्ड पर पटक रही थी जिससे अब पूरे छप्पर के नीचे एक गर्म आग की लपट फैली थी जो किसी भी वक्त मुझे जला सकती थी।

इधर मैं चारपाई में लेती मां पापा की चुदायी देख इतनी गर्म हो गई की मुझे खुद न पता चला की कब मेरा हांथ मेरी चुचियों पर चला गया और मै अपने हाथो से अपनी चूचियां सहलाने और उसके निप्पल से खेलने लगी।

मुझे मां की गर्म सिस्किया और उनके चूतड़ों से पक्क पक्क पक्क पक्क की आवाजे पूरे घर में गूंज रही थी।

मां**आह जानू बहुत मजा आ रहा है बस ऐसे ही चोदते रहो मुझे आआआह्ह सीसीसी.......

पापा**अरे मेरी जान और तेज करो ना....

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मां**नहीं अब मैं थक गई हूं अब तुम मेरे ऊपर आओ।

पापा**अच्छा अब तुम मेरी कुतिया बन जाओ...

मां**नहीं उसमे मुझे ज्यादा दर्द होता है नहीं मैं कुतिया नही बनूगी।

पापा**अरे मेरी जान बन जाओ ना प्लीज***

आखिर पापा की जिद के आगे मां की एक ना चली और फिर मां कुतिया बन गई और पापा मां के पीछे आ गए और उन्होंने एक बार फिर से देर सारा थूक मां की बुर में थूका और फिर अपने हाथो से उसे मां की बुर से लेकर मां के गांड़ के छेद तक चुपड दिया।


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मां**देखो मेरी गांड़ से दूर रहना मुझे तुम्हारे इरादे अच्छे नहीं लग रहे है।

पापा**अरे मेरी जान तुम चिंता ना करो मैं तुम्हारी गांड़ नहीं मरूंगा जब तक तुम राजी नही हो जाती।

और फिर पापा अपना लण्ड मां की बुर में सेट करके एक करारा शॉट मरते है जिससे उनका पूरा लण्ड एक ही बार में मां की बुर में समा जाता है और इधर मां की तेज सिसकारी निकल जाती है।

मां**स्ससी मर गई मम्मी इतनी जोर से कौन डालता है।

अभी मां संभल भी नहीं पाई थी की पापा मां की कमर को पकड़कर ताबड़तोड़ धक्के लगाना शुरू कर देते है जिसे अब मुझे मां की हिलती हुई चूचियां नजर आ रही थी और उसकी दर्द भरी सिस्की साफ सुनाई पड़ रही थी और उसके साथ पापा की जांघें जब मां की भारी गांड़ से टकराती तो पट पट पट की जोरदार आवाज पूरे आंगन में आ रही थी उस समय मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी मां कोई बाजारू रण्डी है और मेरा बाप कोई भड़वा और इस सब में अब मैं अपनी बुर से खेलने लगी थी मेरे एक हाथ में मेरी चूची और मेरे दूसरे हाथ में मेरी बुर थी जिसे मैं मसले और रगड़े जा रही थी।

इधर पापा ने अपने दूसरे हाथ का अंगूठा अपने मुंह में डालकर गीला किया और फिर मां की गांड़ के छेद पर फिराने लगे मां बस उन्हें मना ही करती रही लेकिन पापा ने उनकी गांड़ में अपना मोटा अंगूठा डाल ही दिया और अब वो मां की बुर को अपने लण्ड से और मां की गांड़ को अपने अंगूठे से चोदने लगे।

मां**बहनचोद कितनी बार कहां है गांड़ में नहीं लेकिन तुझे मेरी गांड़ ही पसंद आती है और मां ऐसे ही पापा को गालियां देते हुए अपनी बुर और गांड़ चुदवा रही थी

इधर मैं भी अपनी बुर के दाने को मसले जा रही थी और आज मुझे एहसास हो रहा था की चुदायी में कितना मजा आता है और फिर कुछ देरी की ऐसी ही ताबड़तोड़ चुदायी के साथ पापा मां की बुर में ही झड़ जाते है और उनके साथ साथ मैं भी अपनी जवानी का पहला पानी अपनी बुर से निकाल देती हूं।

अब हम तीनो ही अपनी गहरी सांसे संवार रहे थे और फिर कोई 20 की मिनट बाद जब मां अपने कपड़े पहन लेटने आती है तो देखती है की पिस्तर तो गीला है तो वो मुझे आवाज देती है लेकिन मैं फिर मां की आवाज से नहीं बोलती तो मां मुझे हिलाकर जगाती है।

मां***संगीत ओ संगीत ये बिस्तर कैसे गीला हो गया....

मैं**ओ कहां मां क्या कहां क्या हो गया अरे मां सोने दो अभी बहुत रात है।

मां**अरे कुमकरण्नी उठ ये बिस्तर कैसे गीला हो गया।

और मां मुझे उठाकर बिठा देती है****

मैं इधर उधर अपनी गर्दन घुमाकर कभी पापा को तो कभी मां को देखती और फिर बोली क्या हो गया मां क्यूं जगा रही हो अभी तो अंधेरा है।

मां**पहले ये बता ये बिस्तर कैसे गीला हुआ कही तूने मूत तो नहीं दिया***

मैं***क्या मां आप क्या बोल रही हो मैं कैसे वो कैसे मूत सकती हूं, तू इतनी बड़ी होकर अभी भी बिस्तर में मूत लेती है, कुछ दिनों में तेरी शादी हो जायेगी तब क्या ससुराल में भी ऐसे ही करेंगी।

नहीं मुझे नहीं करनी कोई शादी वादी मैं अपने मां और पापा के पास ही रहूंगी।

मां** चल हट अब!

और फिर मां ने मेरी सलवार को टटोला तो पाया की वह पूरी गीली है तो मां ने फिर मुझे कपड़े बदलकर आने को कहां और मां

ने वो बिस्तर हटा दिया और उसकी जगह दूसरा बिस्तर बिछा कर हम फिर से लेट गए मां तो थोड़ी ही देर में सो गई लेकिन मेरी आंखों से नींद गायब हो गई थी।
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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Update 3.0


मां** चल हट अब!

और फिर मां ने मेरी सलवार को टटोला तो पाया की वह पूरी गीली है तो मां ने फिर मुझे कपड़े बदलकर आने को कहां और मां ने वो बिस्तर हटा दिया और उसकी जगह दूसरा बिस्तर बिछा कर हम फिर से लेट गए मां तो थोड़ी ही देर में सो गई लेकिन मेरी आंखों से नींद गायब हो गई थी।

अब आगे****

सुबह मेरी आंख खुली तो पापा खेत जा चुके थे और मां घर का काम कर रही थी मेरी नजर अपनी मां पर ही टिकी थी मैं उसे बहुत ही गौर से देख रही थी और सोच रही थी यही वो औरत है जो रात को बेशर्मों की तरह पूरी तरह नंगी होकर पापा के लण्ड पर खूद रही थी और अब देखो कैसे सर पर पल्लू डालकर एक सभ्य औरत बनकर अपना काम कर रही है इसे देखकर तो लग ही नहीं रहा है की रात में पापा ने अपना लौड़ा इसके अंदर घुसाया भी होगा।

तभी मां मुझे देखी और बोली***

मां***अब क्या चारपाई पर ही बैठकर मुझे घूरती रहेगी चल जल्दी से उठकर बकरी को हरी घास डाल दे तेरे पापा रात को ले आए थे।

फिर मैं भी उठ गई और सबसे पहले बकरी को हरी घास डाली और अपने चारो ओर देखी तो मुझे कोई नजर ना आया तो मैं बकरी के एक थन को पकड़कर अपने मुंह में डालकर उसका दूध चूसकर पीने लगी लेकिन आज जब मैं बकरी का दूध चूस रही थी तो मुझे रात पापा की याद आ गई वो भी मां की चुचियों को मुंह में लेकर ऐसे ही दूध पी रहे थे और यही सब सोचकर मेरी मुनिया मेरा मतलब मेरी चूत गीली होने लगी थी।

और बस फिर ऐसे ही मैं अपनी शरारते करती रहती और अब हर रात मैं देरी से सोती ताकि मैं मां और पापा की चुदायी देख सकू लेकिन उस दिन के बाद मुझे कई हफ्ते निकल गए लेकिन चुदायी देखने को नहीं मिली मां पापा के पैर दबाने उनके चारपाई पर जाती और पापा थक कर जल्दी सो जाते ओर मां वापस से मेरी चारपाई पर आकर सो जाती इसी तरह कई हफ्ते निकल गए अब मां ने मेरी शादी की बात पापा से भी कही थी तो पापा मेरे लिए लड़का भी देख रहे थे।

और उन्हें जल्द ही एक लड़का भी नजर आ गया जिसका घर मेरे गांव से कोई 30_35 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से शहर में था।

मेरी शादी में बहुत सारा धन की आवश्कता थी तो पापा ने साहूकर से ब्याज पर पैसे मांगे तो उसने पैसे देने पर इनकार कर दिया लेकिन इक दिन जब पापा खेत पर थे तब साहूकार मेरे घर आकर मेरी मां के हाथ में बिना ब्याज के ही रुपए दे गया बाद में पापा ने जब पूछा तो मां ने बस इतना ही बताया की साहूकार की कुलदेवी ने किसी गरीब की लड़की की शादी कराने के लिए बोला था इसलिए वो ये रुपए हमे दे गया।

लेकिन इस दिन के बाद से मां का स्वभाव कुछ बदला बदला भी नजर आ रहा था जैसे उन्हें किसी बात का डर लग रहा हो जब कोई उनसे इसके बारे में पूछता तो मां मेरी शादी का बहाना बता देती।

चलो असल राज क्या है ये तो आगे पता चलेगा***

इधर मेरी शादी कर दी जाती है और अब मैं अपने ससुराल में आ जाती हूं।

अगला अपडेट मजेदार होगा जो मेरी सुहागरात में हुआ उसका सार आप सबको पढ़ने को मिलेगा।
 
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पाण्डू का जन्म


मेरा नाम संगीत है और ये मेरी पहली कहानी है जो की काल्पनिक है इस कहानी की प्रत्येक घटना और कहानी के पात्र यदि किसी के जीवन की घटनाओं से मेल खाते है तो वो सिर्फ एक संयोग होगा।​

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***** गांव ये गांव उत्तर प्रदेश के ***** जिला में आता है इस गांव में कोई 30 35 ही परिवारों का घर है, ये गांव एक बहुत ही बड़े और घने जंगल से लगा हुआ है।​

जो की 15 किलोमीटर की रेंज में फैला हुआ है तो इस जंगल में जाना मतलब अपनी मौत को अपने गले लगाने जैसा होगा, इस जंगल के अंदर जाकर गांव के बहुत लोगो ने अपनी जान को अपने गले लगाया कुछ लोगो ने जानबूझकर आत्महत्या करने के कारण गए तो कुछ लोग अपने आप गायब हो गए जिनमें कुछ लोगो की तो लाशे मिल गई बाकी बहुत से लोगो की तो लाशे भी नहीं मिलती, और डर की वजह से ही लोग सूरज के डूबते ही अपने घर में आ जाते थे क्यूंकि बहुत से लोग अपने खेतों से भी गायब हो चुके थे।​


इस गांव में लोगो का जीवन यापन और उनकी रोजी रोटी मात्र उनकी अपनी खेती है 99.99% लोग यहां अपने खेतो से ही अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते है और जिनके पास अपने खेत नही है वो लोग दूसरे लोगो के खेत में मजदूरी करते है और उससे मिली मजदूरी से ही अपना जीवन यापन करते है, इन लोगो को इनकी मजदूरी भी आज के जैसी रोजाना नहीं मिलती थी इन लोगो को मजदूरी भी फसल के आ जाने के बाद जैसी फसल होती थी और फिर जितना बड़ा खेत होता था उसके एक नाप और मापन से ही इन सबको मजदूरी दी जाती थी।​


और उस मजदूरी के रूप में मिली फसल से ही पूरे साल भर घर के सारे खर्च चलाने पड़ते थे। ऐसा भी नहीं था की लोग शहर के बारे में नहीं जानते थे इस गांव से कई ऐसे भी परिवार थे जो अब इस गांव से पलायन कर गए थे और वो अब शहर में रहने चले गए थे जो की यहां से 10 कोश (30 किलोमीटर) की दूरी पर है। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे परिवार थे जो इस गांव में मेहनत और मजदूरी के सहारे ही जीवन जी रहे थे, और इस वजह से उसके परिवार आज भी गरीबी में ही जी रहे थे।​


इसी गांव में मेरा भी एक घर था मेरे भी पिता इसी गांव में मेहनत और मजदूरी करके मेरा और मेरी मां का पालन पोषण करते थे मेरी मां पिता के साथ मिलकर उनका हाथ बटाया करती थी वो भी खेतो में मजदूरी किया करती थी और कभी कभी मेरी मां मुझे भी अपने साथ खेतों पर ले जाया करती थी मैं मेरी उम्र और शरीर की शक्ति के हिसाब से ही कार्य किया करती थी।​


ओ ओओ मैं अपना नाम बताना ही भूल गई मेरा नाम संगीत संजीत जो अपनी धुन में नाचने वाली चुलबुली सी लड़की और अपनी शरारतों से सभी को तंग करने वाली छैल छबीली बलखाती लहराती नटखट सी लड़की लोग मुझे लड़की नहीं आफत की पुड़िया कहते है।​

Bhadhaai nayi kahani ki🌹🌹. Suruvaat acchi hai.
 

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Update 3.0


मां** चल हट अब!

और फिर मां ने मेरी सलवार को टटोला तो पाया की वह पूरी गीली है तो मां ने फिर मुझे कपड़े बदलकर आने को कहां और मां ने वो बिस्तर हटा दिया और उसकी जगह दूसरा बिस्तर बिछा कर हम फिर से लेट गए मां तो थोड़ी ही देर में सो गई लेकिन मेरी आंखों से नींद गायब हो गई थी।

अब आगे****

सुबह मेरी आंख खुली तो पापा खेत जा चुके थे और मां घर का काम कर रही थी मेरी नजर अपनी मां पर ही टिकी थी मैं उसे बहुत ही गौर से देख रही थी और सोच रही थी यही वो औरत है जो रात को बेशर्मों की तरह पूरी तरह नंगी होकर पापा के लण्ड पर खूद रही थी और अब देखो कैसे सर पर पल्लू डालकर एक सभ्य औरत बनकर अपना काम कर रही है इसे देखकर तो लग ही नहीं रहा है की रात में पापा ने अपना लौड़ा इसके अंदर घुसाया भी होगा।

तभी मां मुझे देखी और बोली***

मां***अब क्या चारपाई पर ही बैठकर मुझे घूरती रहेगी चल जल्दी से उठकर बकरी को हरी घास डाल दे तेरे पापा रात को ले आए थे।

फिर मैं भी उठ गई और सबसे पहले बकरी को हरी घास डाली और अपने चारो ओर देखी तो मुझे कोई नजर ना आया तो मैं बकरी के एक थन को पकड़कर अपने मुंह में डालकर उसका दूध चूसकर पीने लगी लेकिन आज जब मैं बकरी का दूध चूस रही थी तो मुझे रात पापा की याद आ गई वो भी मां की चुचियों को मुंह में लेकर ऐसे ही दूध पी रहे थे और यही सब सोचकर मेरी मुनिया मेरा मतलब मेरी चूत गीली होने लगी थी।

और बस फिर ऐसे ही मैं अपनी शरारते करती रहती और अब हर रात मैं देरी से सोती ताकि मैं मां और पापा की चुदायी देख सकू लेकिन उस दिन के बाद मुझे कई हफ्ते निकल गए लेकिन चुदायी देखने को नहीं मिली मां पापा के पैर दबाने उनके चारपाई पर जाती और पापा थक कर जल्दी सो जाते ओर मां वापस से मेरी चारपाई पर आकर सो जाती इसी तरह कई हफ्ते निकल गए अब मां ने मेरी शादी की बात पापा से भी कही थी तो पापा मेरे लिए लड़का भी देख रहे थे।

और उन्हें जल्द ही एक लड़का भी नजर आ गया जिसका घर मेरे गांव से कोई 30_35 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से शहर में था।

मेरी शादी में बहुत सारा धन की आवश्कता थी तो पापा ने साहूकर से ब्याज पर पैसे मांगे तो उसने पैसे देने पर इनकार कर दिया लेकिन इक दिन जब पापा खेत पर थे तब साहूकार मेरे घर आकर मेरी मां के हाथ में बिना ब्याज के ही रुपए दे गया बाद में पापा ने जब पूछा तो मां ने बस इतना ही बताया की साहूकार की कुलदेवी ने किसी गरीब की लड़की की शादी कराने के लिए बोला था इसलिए वो ये रुपए हमे दे गया।

लेकिन इस दिन के बाद से मां का स्वभाव कुछ बदला बदला भी नजर आ रहा था जैसे उन्हें किसी बात का डर लग रहा हो जब कोई उनसे इसके बारे में पूछता तो मां मेरी शादी का बहाना बता देती।

चलो असल राज क्या है ये तो आगे पता चलेगा***

इधर मेरी शादी कर दी जाती है और अब मैं अपने ससुराल में आ जाती हूं।

अगला अपडेट मजेदार होगा जो मेरी सुहागरात में हुआ उसका सार आप सबको पढ़ने को मिलेगा।
बहुत बढिया अपडेट है भाई लेकीन बहुत छोटा है पढना शुरु करते ही खत्म खैर देखते हैं सुहागरात पर क्या धमाका होता है वैसे लगता हैं साहूकार के हाथ गदराई जवानी लग गयी है तभी तो पैसे दे गया हरामी
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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Update 2


कहानी के मुख्य पात्र



राजन मेरे पिता इनकी उम्र अब 38 की हो चुकी थी जब मैं इस वक्त अपनी कथा को लिख रही थी तो मेरे पिता का शरीर बिलकुल कसरती और बलशाली था वो जब नहाने के लिए अपने कपड़े उतारते थे तो उनकी छाती पर बहुत से घने बाल थे जो किसी जंगल की तरह लगते थे और ऐसे ही बाल उनकी जांघों से होते हुए गाठी के नीचे के पैरों में भी उगे हुए थे।
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नहाने के बाद वो सरसों के तेल से अपने पूरे शरीर की मालिश अपने हाथो से ही करते लेकिन पीठ पर कभी मां से तो कभी मुझसे भी करवाया करते थे, और जिस कारण उनका शरीर सरसों के तेल से बिल्कुल चिकना हो जाता था लेकिन मेरे पिता का रंग थोड़ा सांवला था तो उस तेल के कारण उनका शरीर बिलकुल चमकने लगता था। मैं तो अपने पिता को बचपन से ऐसे देखते आ रही थी जिस कारण से मुझे उनको छूना और ऐसे देखना मेरे लिए कोई खास फर्क नहीं पड़ता था।

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जानकी मेरी मां पहले भी बता चुकी हूं अगर इनकी बात की जाए तो ये काफी सुंदर है बड़ी बड़ी आंखे घने काले लंबे बाल जब वो छोटी बनाती तो इनकी चोटी इनके नितम्ब तक आकर लटक जाती इसलिए ये अपने बालो को मोड़कर ही बांधती थी और इनका भरा हुआ गदराया बदन जिसे देख अच्छे अच्छे लार टपकाते इनकी भरी बड़ी बड़ी चूचियां उसके नीचे दूध जैसे गोरे पेट पर गहरी नाभी और उसके नीचे नागिन सी बलखाती उनकी कमर और बाहर को निकलते हुए उनके नितम्ब जवान तो क्या बूढ़े भी अपना पानी छोड़ दे इस सबके बाद मेरी मां की चढ़ती जवानी हां आपने सही सुना मेरी मां की जवानी मेरे साथ ही बढ़ रही थी जैसे जैसे मैं जवान हो रही थी वैसे वैसे मेरी मां का भी शरीर अब अपनी पूरी जवानी के सबाब पर आ गई थी
दरशल मेरी मां की उम्र मात्र 35 साल की थी लेकिन पापा के साथ खेतो में मेहनत और मजदूरी करने के कारण मेरी मां का शरीर थोड़ा सा कठोर और मोटापारहित हो गया था जिस कारण मेरी मां 35 की होके भी 26 28 साल की बहुत ही खूबसूरत औरत लगती थी अब जब भी मैं अपनी मां के साथ खड़ी होती हूं या फिर मां के साथ बाजार जाती हूं तो लोग मुझे मां बेटी नहीं बहनों की नजर से देखते है जिससे कभी कभी लोग मां को बहुत ही शर्मिंदा भी करने पर मजबूर कर देते थे लेकिन वह खुश भी बहुत होती क्यूंकि एक और वो मां की तारीफ भी कर रहे होते और उनके साथ मुझे भी बहुत ही मस्ती करने को मिल जाती।

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मैं संगीत मेरी उम्र अब 17 साल की हो चुकी थी मेरी कद काठी और मेरे शरीर का रंग मेरी मां पर गया था दूध जैसा गोरा जिस्म था मेरा और अब मेरी जवानी भी निखार मारने लगी थी मेरे संतरों में भी अब भरावपन आने लगा था और मेरा पिछवाड़ा भी समय के साथ फैलने लगा था मेरे स्कूल के टीचर और गांव के आवारा लड़के मुझे घूर घूरकर देखने लगे थे और गंदे गंदे शब्द भी बोलते थे और इतना ही नहीं जिस खेत में मेरा परिवार मजदूरी करता उसी खेत का मालिक जिसकी उम्र 50 साल की होगी वो मेरी मां को गंदी नजर से देखते हुए बोलता की वह मां और बेटी दोनों को रगड़ रगड़कर पेलना चाहता है उसने तो मेरी मां का हाथ कई बार पकड़ा और अकेले में मेरी मां की चूचियां भी मसल चुका था और मेरी मां को लुभाने के लिए तरह तरह के लालच भी देता रहता अब तो वह मेरी मां से मुझे भेजने की भी बात करता था।

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मेरी मां मजबूरी के कारण उसकी हर बात सुनके टाल देती थी क्यूंकि उसका विरोध करना मेरी मां के साथ साथ मेरे बाप की भी औकात नहीं थी इसलिए मेरी मां अब बहुत कम ही मुझे खेत पर बुलाती।

रज्जो चाची (पड़ोसी) 20 साल की अल्लड जिस्म की गदराई महिला 38 के चूचियां और 36 की कमर 40 के नितम्ब जो इसके चलने पर पेंडुलम की तरह हिलती थी इस औरत इतनी गर्मी थी की ये रोज अपने मर्द को चुदायी के लिए उकसाती थी लेकिन इसका मर्द मेरे पापा की तरह ही मेहनत मजदूरी करते थे तो दिन भर की मजदूरी से थककर जल्दी सो जाता ओर ये रज्जो चाची सिर्फ तड़प के रह जाती इसको एक 5 साल का बेटा है रज्जो की भी शादी बहुत जल्द हो गई थी।

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लेकिन रज्जो का मर्द (पति) उससे ज्यादा उम्र का था मधुवन चाचा इनकी उम्र 32 साल की थी जिसका एक ये भी कारण था की रज्जो प्यासी ही रह जाती थी।


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इस गांव में शादी की उम्र मस्तिष्क की सूझ और समझ से नहीं बल्कि लड़कियों की उभरती हुई चूचियां और मटकते हुए नितम्ब को देखकर की जाती थी।

*****चलो अपनी कहानी पर आते है*****


"अरे ओ जानकी दीदी समझा ले अपनी इस नालायक बेटी को अभी तक इसका बचपना नहीं गया है बस शरीर से ही घोड़ी होती जा रही है देखो तो आज इसने फिर से मेरी बकरी का दूध चुरा कर पी लिया अब इसकी रोज की आदतें और इसकी शैतानियां बढ़ती ही जा रही है"।

ये मेरी रज्जो काकी थी जो मुझपे (संगीत) पर चिल्ला रही थी और मेरी शिकायत मेरी मां जानकी से कर रही थी। आज स्कूल का अवकाश था इसलिए आज मैं बलखाती लहराती हुई पूरे घर में बकरी के बच्चो के साथ खेल रही थी।

"नहीं चाची वो मैने नहीं मुनमुन (बकरी का बच्चा) ने ही पिया होगा मैं तो बस इसके साथ खेल रही थी"

"अच्छा जैसे मेरा बेटा लड्डू मुझसे झूठ बोलेगा" रज्जो

अभी मैं चाची से वाद विवाद कर ही रही थी की मां ने मेरा कान पकड़ लिया और बोली....

"मुझे तो विश्वाश ही नहीं होता तू अब झूठ भी बोलने लगी है मैने खुद अपनी आंखो से तुझे बकरी के थन को अपने मुंह में डाले उसका दूध पीते देखा है और तू मुझसे ही झूठ बोल रही है नालायक लड़की अब बता छोटा सा मुनमुन क्या पिएगा" जानकी

मैं अपने कान झुड़ाते हुए धीरे से बोली....

"आउच मां दुख रहा है, मां चाची भी तो मुनमुन को अपना दूध पिला सकती है"

मेरी इतनी सी बात सुनकर दोनो औरते मेरे मुंह को देखकर हसने लगी।

"मैं मुनमुन को अपना दूध पिलाउगी और तू रोज बकरी का दूध पिएगी और ये कैसी लड़की है तू तुझे गंदा नहीं लगता जब तू उस बकरी के थन को अपने मुंह में डालती है अरे कम से कम किसी बर्तन में निकाल के ही पिया कर" रज्जो


"मैं बड़ी तेज चहकते हुए नहीं चाची मुझे बकरी का दूध पीने में बहुत मजा आता है और बर्तन में निकालने के चक्कर में मुनमुन सारा दूध मुझसे पहले पी जाता है"

"देख रही हो जानकी दीदी इतनी बड़ी हो गईं लेकिन इसकी शरारत अभी तक नहीं गई और इसने तो मेरे बेटे को पता नहीं कौन सा खेल सीखा दिया है आज रात वो मुझे अपनी पत्नी बनाने की बात कर रहा था मैं तो कहती हूं अब इसके भी हाथ लाल कर दो ये तो फिर भी काफी बड़ी हो गई मेरी शादी तो इससे भी कम उम्र में हुई थी देखो जानकी दीदी बुरा ना मानना लेकिन जमाना बहुत खराब है तुमने गंगा....अभी रज्जो चाची कुछ और बोलने वाली थी की उसको मेरी उपस्थिति देख वह रुक गई और फिर मेरी ओर देखते हुए बोली"

"बेटा संगीत जाओ मुनमुन के साथ खेलो" रज्जो

मैं भी वहां से आकर मुनमुन के साथ खेलने लगती हूं।

इधर रज्जो फिर से मेरी मां जानकी को गंगा की बात बतलाते हुए कहती है....

रज्जो "दीदी गंगा के बारे में तो आपको भी सब कुछ पता ही होगा कैसे गंगा के मालिक ने उसका और उसकी बेटी का रेप कर दोनो को जिंदा जला दिया भगवान ना करे किसी के साथ ऐसा हो और कीड़े पड़े उस हरामजादे जमीदार को किसी कुत्ते की मौत मरे वो सुअर का पिल्ला।"

मेरी मां "तू सच कह रही है रज्जो मुझे भी अब इनसे(राजन) बात करनी चाहिए किसी मनहूस नजर को मेरी फूल सी बेटी पर पड़ने से पहले ही उसे उसके पति के हाथों में सौप देना चाहिए"

और फिर दोनो महिलाए ऐसी ही बाते करती रही और कुछ देर बाद सूरज भी ढल गया और धीरे धीरे अंधेरे ने पूरे गांव को ढक लिया जिससे लोगो ने गांव में दिया बाती और लालटेन जलानी शुरू कर दी।

मैं भी अपने घर लौट आई और अपने साथ मुनमुन को उठा लाई लड्डू भी आ गया था तो एक बार फिर से मैं लड्डू के साथ खेलने लगी।

जबकि मेरी मां बस किसी गहरी सोच में डूबी मुझे ही देखे जा रही थी और मेरे बापू के आने का इंतजार कर रही थी।

मेरे बापू जो अभी खेत से घर लौट रहे थे आज उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया था जिससे अब मां भी थोड़ी परेशान हो रही थी और मैं भी मां के पास बैठी उनकी गोद में अपना सर रखकर बापू के आने का इंतजार कर रही थी लड्डू भी खेलते खेलते जब थक गया तो वो भी अपने घर चला गया और बापू भी आज बहुत देरी से आए तो मां उन्हें थोड़ी नाराजगी से जल्दी से घर लौटने की सलाह देने लगी।

उसके बाद मां ने बापू और हम दोनो के लिए खाना लगाया जो उसने मेरे खेलते समय बना लिया था और फिर हम सब ने अपना खाना खा कर लेटने की तैयारी करने लगे।

मैं और मां एक बड़ी चारपाई पर और बापू एक दूसरी चारपाई पर सोते थे बापू अपनी चारपाई पर लेट गए और मां उनके पैरो के पास बैठकर उनके पैर दावते हुए उनसे बाते करने लगी इधर मैं मां की बाते सुनते सुनते कब मैं सो गई मुझे पता ही नही चला।
Barhiya update👍👍
 
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