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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

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Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 49 40.8%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 27 22.5%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 44 36.7%

  • Total voters
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rajeev13

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दोपहर को वादे के अनुसार नैना घर आई। वो बाहर से कुछ खाने पीने का भी लेकर आई थी। कुछ देर तफरी करने के बाद बच्चों ने कहा - हमें घूमने भी जाना है।
नैना ने लता की ओर देख कर कहा - बुआ दादी ले जाएँगी। आज मैं थोड़ा आराम करुँगी।

लता का मन जाने का बिलकुल भी नहीं था पर वो मजबूर थी। उसने वादा किया था तो मुकर नहीं सकती थी। पर छोटे बच्चों को अकेले ले जाने में डर रही थी। ख़ास कर रूबी का बच्चा अभी छोटा था। वर्षा का मन भी बच्चों को अकेले छोड़ने का नहीं था। निर्णय ये हुआ कि सभी चलेंगे। बच्चे भी खुश हो गए। नैना को छोड़ कर सभी ने साडी पहनी हुई थी। नैना फॉर्मल पेंट और शर्ट में थी। तक सबने काफी मस्ती की। मॉल घूमने के बाद पास के ही पार्क में सभी काफी देर तक घूमते रहे। सबको एक साथ खुश देख कर अनुराग को काफी अच्छा लग रहा था। पार्क में रूबी का बच्चा घुटने के बल भाग रहा था और उसके पीछे वर्षा, का बेटा।

अनुराग एक बेंच पर बैठा हुआ था और उसके बगल में नैना।
नैना - कितना बढ़िया लग रहा है ना ? सब कितने खुश हैं ?
अनुराग - हाँ। सब तुम्हारे वजह से है। तुमने सबको बाँध रखा है।
नैना - हाहाहाहा। आज बाँधने वाली थी पर सब यहाँ फ्री हो गए हैं।
अनुराग - हाहाहाहाहा। चलो आज रात में बाँध लेना।
नैना - हम्म्म। आज रात यहीं रुक जाउंगी।
अनुराग - दीदी के सीने पर सांप लोटेंगे।
नैना - हाहाहा , आप भी ना। पर उनकी नजर तो रूबी पर है। वैसे उनसे ज्यादा दुःखी पापा होंगे।
अनुराग - हाँ। देखते हैं रूबी कब खुश करती है उन्हें।
नैना - एक बात पूछूं , आप नाराज तो नहीं होंगे ?
अनुराग - नाराजगी कैसी ? वैसे यही पूछोगी न कि बेटियों और जीजा के सम्बन्ध क्यों सपोर्ट कर रहा हूँ ?
नैना - आप तो मन पढ़ने लगे। हां , आपको बुरा नहीं लग रहा ?
अनुराग - सच कहूं तो जब वर्षा ने हां की थी तो बुरा लगा था पर बाद में सोचा , मैं भी तो सब कर रहा हूँ। और जीजा ने भी तो कितना त्याग किया है ? शुरू सेमुझे सपोर्ट किया। मेरे तुम्हारे बारे में उन्हें सब पता था फिर भी हमारी ख़ुशी में खुश थे।
नैना - हाँ , उन्हें मेरी जवानी के चढ़ने के बाद का कारनामा पता था। मेरा आपका मामी का। मामी को बहुत मानते थे। फिर आपसे अलग ही स्नेह है।
अनुराग - हाँ , मेरे लिए भी गार्जियन जैसे ही हैं। इसी लिए तो उनके लिए भी सब नयोछावर कर देने का मन करता है। और वैसे भी रूबी खेली खाई लगती है। लगता है ससुराल में ग़दर मचा रखा है। उसे कोई दिक्कत नहीं जीजा के साथ तो मुझे क्यों दिक्कत।
नैना - ससुराल की तो पूछिए मत। सबको गुलाम बना रखा है।
अनुराग - गुलाम ?
नैना ने अपना चेहरा उसके कान की तरफ किया और बोली - सेक्स स्लेव। सास ससुर इसका पति सब इसके गुलाम हैं। घर के लौड़े और चूत इसके हैं। और तो और इसकी ननद जो इससे बड़ी हैं वो भी। इसके बुलावे पर आती हैं। साली को नंगा रखती है।
अनुराग का मुँह खुला रह गया और लौड़ा तनने लगा।
अनुराग - क्या बोलती हो ? ऐसा नहीं होगा।
नैना - आप अभी इसे जानते ही कितना हैं ? और ये अगर पापा से चुदेगी तो माँ को भी रितेश से चुवायेगी।
अनुराग - जाने दो।
नैना - आपको पता नहीं है फिर। माँ का सैंडविच बनवाएगी।
अनुराग - अब ये बताओ तुम्हे बुरा नहीं लग रहा है दीदी और रितेश का सुन कर ?
नैना - रितेश भी तो घर के ही हैं। और माँ को दिक्कत नहीं तो मुझे क्या परेशानी ?
अनुराग - तुम्हे कैसे पता दीदी को दिक्कत नहीं है।
नैना - मैंने कहा ना आप सबके मन को नहीं पढ़ पाते। जरा सबके भाव देखिये समझिये।
अनुराग - अब तुम हो ना , तुम ही समझाना। वैसे रूबी के ससुराल में सब कैसे हुआ ?
नैना - जितना बताया उतना सुनकर ही आपका छोटू कण्ट्रोल में नहीं है। पूरी कहानी सुनकर आप कहीं चढ़ ना जाएँ।
अनुराग - चढ़ने को तो कब से तैयार हूँ। तुम ही मन कर देती हो।
नैना - आहा , बड़े आये चढ़ने वाले। पहले आज रूबी की सवारी करिये।
अनुराग ने बच्चों के साथ भागते रूबी की तरफ देखा और गहरी सांस लेते हुए कहा - हम्म्म। देखते हैं।

उस दिन शाम तक बच्चों ने खूब मस्ती की। रात में डिनर भी बाहर ही हुआ। डिनर के वक़्त शेखर ही आ गया था। शेखर ने अपने मन को संयम में रखा हुआ हुआ तह । उसे पता था की जल्दीबाजी से कोई फायदा नहीं है। रूबी तैयार है , किसी भी दिन उसका नंबर लग सकता है। उसका व्यवहार बहुत ह बैलेंस्ड था। डिनर के बाद सब घर जाने को हुए तो नैना ने कहा की आज वो अनुराग के घर ही रुकेगी। पहले तो लता ने मना किया फिर आखिर में मान गई। उसे पता था कोई फायदा नहीं है। शेखर लता को लेकर अपने घर चला गया और बाकी सब अनुराग के घर। बच्चे थके हुए थे तो गाडी में ही सो गए। उनका पेट भरा था , अब वो सुबह ही जागने वाले थे। घर पहुंचते ही रूबी और वर्षा ने बच्चों को कमरे में सुला दिया। उधर अनुराग और नैना ड्राइंग रूम में बैठे थे। पहले वर्षा बाहर आई।

उसने कहा - पानी वानी लोगी क्या ?
नैना - पानी भी लेंगे , पर दूसरा। अभी तो इनके दूध का टाइम हो रहा है। वो दूसरी वाली गाय कहाँ है ? बुलाओ।
सुनकर वर्षा समझ गई की आज खैर नहीं। नैना पुरे मूड में थी और ऐसे मूड में काम ही दिखी थी। तभी कमरे में से रूबी निकली और बोली - किसी ने मुझे याद किया क्या ?
नैना - हाँ मेरी गाय। पर पुरे कपडे में क्यों है ? चलो तुम दोनों वापस जाओ और वैसे ही आओ जैसे सुबह आई थी।
ये सुनकर दोनों चौंक गेन पर अनुराग मुश्कुरा रहा था।
रूबी - सुबह जैसे ? क्या मतलब ?
नैना ने रूबी के साडी का एक छोर पकड़ कर खींचा और बोली - चार पैरों पर नंगी , जैसे सुबह आई थी।
अब वर्षा बोल पड़ी - तुम्हे कैसे पता ?
नैना जो अब तक उठ कर रूबी की पूरी साडी उतार चुकी थी , साडी का गोला बनाते हुए टीवी कैबिनेट के पास पहुंची। वहां उसके एक शो पीस के पीछे छुपे कैमरा को उठाते हुए कहा - यहाँ का सब लाइव टेलीकास्ट होता है मुझे।
वर्षा - ओह्हो , तो तुझे बचपन से चुदाई देखने का शौक है ?
रूबी - वाह , खुद तो चुदने का मौका नहीं देती और दूसरों को पापा से चुडते देखती रहती है।
नैना - मेरे शौक क्या हैं ये तुम्हे शुरु से पता है। अब बकवास काम करो और जो कहा है वो करो।
वर्षा और रूबी दोनों कमरे में चली गईं। उनके जाते ही नैना अनुराग के गोद में बैठ गई और उसे चूमने लगी।
अनुराग - आज बहुत गरम हो रखी हो। क्या बात है ?
नैना - अब बर्दास्त नहीं होता है। ये चूत हमेशा रोटी रहती है। शिकायत करती है की मुझे ही कुंवारी क्यों रखा हुआ है।
अनुराग - ये तुम्हारी ही तो जिद्द है। वरना ये तो जवान होते ही मेरी हो गई थी।
नैना - आपने ही तो तरसाया है। मामी ने कितनी बार तो उद्घाटन के लिए कहा था।
अनुराग - तब और बात थी और अब बात और है।

नैना और अनुराग का ये प्रेम प्रलाप चल ही रहा था कि रूबी ने एक़दाम गाय जैसी आवाज निकाली। दोनों ने पलट कर देखा तो रूबी और वर्षा अपने चारों पैरों पर थीं । उनके बड़े बड़े मुम्मे निचे लटक रहे थे । उन्होंने सिर्फ एक थोंग पहना हुआ था जो कि उनके गांड के फांक में फसा हुआ था। पिछवाड़े कि पूरी गोलाई एकदम नुमाया हो रही थी। उन्दोनो को देख्खते ही अनुराग के लैंड ने एक्जोरदार झटका लिया जिसे नैना ने भी महसूस किया। उसने अनुराग से कहा - अभी अपने सांप को बिल में रखिये। इतने पर फुफकार मार रहा है।

अनुराग शर्मा गया । नैना अनुराग के ऊपर से उठ गई और उसके बगल में सोफे पर बैठते हुए बोली - किसका दूध पियोगे पहले ? दूध पियोगे या फिर गाय हाँकोगे ?
अनुराग - मालकिन तुम हो जो कहो वही होगा।
तभी रूबी बोल पड़ी - कुछ चारा हमें भी खिला दो फिर दूध बढ़िया निकलेगा।
नैना - अच्छा क्या चाहिए ?
रूबी - मुझे तो लॉलीपॉप चाहिए।
नैना - वर्षा , तुम्हे ?
वर्षा - अब ये लॉलीपॉप लेगी तो मुझे ब्रेड बटर से काम चलाना पड़ेगा।
नैना ने कहा - चारा तो खिला देंगे। पर उससे पहले मुझे देखना है कि गाय दुधारूं हैं या नहीं।

ये कहकर नैना निचे बैठ गई और रूबी के पीठ को सहलाने लगी। वो अपने एक हाथ से उसके पीठ को सहला रही थी तो दुसरे से उसके पेट को। नैना के हाथ लगाते ही रूबी सिसक उठी। वर्षा से भी रहा नहीं गया। वो वैसे ही हाथों और घुटनो से चलती हुई अनुराग के पास जा पहुंची। अनुराग ने उसे अपने गोद में बिठा लिया पर उसकी पीठ अपने तरफ रखा और सीने को बाहर। उसके बाद उसने उसके मुम्मे मसलने शुरू कर दिए। हाथ लगाते ही उसके मुम्मे से दूध कि धार निकल पड़ी। दूध कि धार देख कर निचे बैठी नैना ने कहा - आपकी वाली तो टेस्टेड है।

नैना ने ये कह कर अब अपने हाथ से रूबी के स्तन दबाएं शुरू कर दिए। धार तो उधर भी निकल पड़ी। नैना ने कहा - दूध क्यों बर्बाद करें। उसने रूबी का हाथ पकड़ा और खड़ा करके अनुराग कि तरफ लेकर आई और उसके निप्पल खींचते हुए दूध कि धार अनुराग कि तरफ कर दी। दूध कि धार अनुराग से ज्यादा वर्षा पर पद रही थी। वर्षा ने भी मुँह खोल दिया दोनों बाप बेटी रूबी को दूध एक एक करके पीने लगे। पर दूध अब भी इधर उधर ही गिर रहा था।
तभी रूबी बोल पड़ी - अब तो यकीन हो गया कमीनी। अब बस कर क्यों वेस्ट कर रही है। वादा पुरा कर मुझे लॉलीपॉप दिला दे।
नैना ने उसे छोड़ दिया। रूबी वहीँ अनुराग के सामने बैठ गई। वर्षा भी निचे बैठ गई। दोनों बहने अनुराग के पेंट को उतार रही थी कि नैना ने वर्षा के बाल पकडे और कहा - तुझे तो ब्रेड बटर खाना था न। चल इधर आ।

वर्षा निचे नैना के पास पहुंची और उसके पेंट को खोलने लगी। नैना ने उसके सर को पकड़ा और कहा - पहले ऊपर से चाट।
उधर रूबी अनुराग का पेंट उतार चुकी थी। अनुराग का लैंड उसके मुँह में था और वो सदाप सदाप के साथ उसे पूरा अंदर तक गटक रही थी।
अनुराग ने अपना सर पीछे कर लिया और आँखे बंद कर ली। रूबी लंड चूसने में उस्ताद थी। उधर वर्षा ने भी नैना के पेंट को उतार दिया था। अब वो उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत चाट रही थी।
नैना ने हाथ बढ़ा कर अपने एक हतः से अनुराग के हाथ को पकड़ लिया था।
सिसकारी लेते हुए वो बोली - आपकी ये बेटी बिलकुल अपनी माँ पर गई है। क्या मस्त चूत चाटती है। जब मुझे जवानी चढ़ी ही थी तो मेरी गर्मी ऐसे ही वो उतारती थी। इस्सस आह। आराम से।
वर्षा ने नैना कि पैंटी भी उतार दी और उसके चूत को जीभ से ही चोदने लगी। दोनों बहने अपने पिता और होने वाली माँ कि चुदाई में लगी हुई थी। अनुराग को लंड अब पुरे उफान पर था और रूबी उसे जबरजस्त तरीके से चूसे जा रही थी। अनुराग किसी भी पर अपना माल छोड़ सकता था। पर रूबी एक्सपर्ट थी। उसने उसके लंड को चूसना छोड़ दिया।
अनुराग ने आँखे खोल दी। उसने तरसती आक्न्हो से कहा - रुक क्यों गई ?
रूबी - आपको दूध पीना था न। पहले कुछ ताकत लाइए फिर माल निकालिएगा। और अबकी मुँह में नहीं , मेरी चूत में।
अनुराग - एते चोद तो फिर भी बाद में लेता।
रूबी उसके बगल में बैठते हुए बोली - नहीं। अभी नहीं। उसने ऐसा कह कर अनुराग के चेहरे को अपने मुम्मो कि तरफ कर दिया।अनुराग ने सोफे के हाथे से अपनी टाँगे निचे कर दी और रूबी के गोद में लेट गया।
रूबी - पीयो पापा। अब पहले दूध पियो। आपको मेरे दूध का कब से इंतजार था। इस। पी जाओ अब। पीकर ताकत लाओ और मुझे चोद दो। आह आह।
उधर नैना कि चूत में वर्षा कि जीभ घुसी हुई थी। नैना - आह , इस्सस चाट लो। अंदर तक , आह फ़क मी। फ़ास्ट , लीक इट। उह्ह।
नैना कि चूत ने कुछ ही देर मे बारिश कर दी। वर्षा ने उसके चूत के रस को बर्बाद नहीं होने दिया।
वर्षा - मजा आ गया। तुम्हारे ब्रेड बटर में बहुत टेस्ट है।
नैना - मजा तो मुझे भी बहुत आया। अब जरा मुझे अपना मक्खन खिला दो जानेमन।
वर्षा - खा लो , मख्हन तो कब से तैयार है।
अब स्तिथि बदल गई। वर्षा सोफे पर थी। नैना निचे वर्षा के चूत पर मुँह लगा चुकी थी। रूबी अब चुदने के मूड में थी। पर अनुराग भी चूत चाटने के मूड में आ चूका था।
अनुराग - बेटी तुमने दूध तो पीला दिया। अब तुम भी अपना मक्खन खिलाओ।
रूबी - मुझे लगा था की पहले आप अपने ग्राइंडर से मथेंगे फिर मक्खन लेंगे।
अनुराग - पर मुझे तो लगता है दूध के साथ मक्खन भी तैयार हो गया है।
रूबी - आप सही कह रहे हैं।

अब अनुराग भी निचे उतर गया। उसने रूबी की पैंटी खींच कर निकाल दी। उसके सामने रूबी की रसभरी चूत थी। पहले से गरम रूबी की चूत पूरी तरह से पनिआइ हुई थी उसका क्लीट उत्तेजना में एकदम उभर के छोटे से लंड की तरह निकल आया था। रूबी ने अपने चूत को चिकना कर रखा था पर ऊपर झांट के पतले लेयर से दिल शेप बना हुआ था। अनुराग के सामने ना सिर्फ एक मस्त रसभरी चूत थी बल्कि दो भरे पूरी चिकनी जाँघे भी थी। अनुराग कुछ देर पहले उन्ही पर लेटा था। तभी उन मखमली गद्देदार जांघों का एहसास उसे हो गया था। उसने रूबी के दोनों जांघो को पहले किस किया फिर अपनी जीभ उसके दाहिने जांघ पर घुटने से ेते हुए इनर थाई तक देर तक चाटा। उसके जीभ लगते ही रूबी की सिसकारी निकल गई - पापाआआ। आह्ह्ह्ह , क्या किया।

अनुराग ने इत्मीनान से कुछ देर तक उसकी जांघो को अंदर तक चाटा। उसकी जीभ रूबी के चूत तक पहुँच कर रुक जाती थी। वो भी रूबी को थोड़ा तड़पाना चाहता था। आखिर उसने भी तो अपने बाप के साथ खूब केएलपीडी की थी। अनुराग उसके चूत को छोड़ कर उसके पैरों को पूरा गिला कर चूका था। अब रूबी से बर्दास्त नहीं हो रहा था। उससे आखिर में रहा नहीं गया।

वो बोल ही पड़ी - बेटीचोद , चूत चाटने के लिए निचे आये थे अब चूत छोड़ कर सब चाट रहे हो ?
अनुराग ने उसके चूत पर हलकी सी फूंक मारी और कहा - बहन की लौड़ी , तूने भी तो मुझे बहुत तड़पाया है। साली तूने हम दोनों बाप बेटी के मिलन में इतने रोड़े डाले है की मन करता है तेरी चूत को ऐसे ही तरसने को छोड़ दूँ।
मुँह की गरम हवा से रूबी का शरीर काँप गया। वो बोली - माफ़ कर दो पापा , पर तरसाओ मत प्लीज।
अनुराग ने कहा - अब आगे से मुझे नखड़े मत दिखाना जैसा कहूं वैसा ही करना
रूबी - जैसा कहो पापा , अब तुम कहो तो घर में नंगे ही रहूँ। तुम कहोगे तो तुम्हारे लौड़े को परमानेंट अपने चूत में घुसा कर रखूंगी।
ये सुन कर वर्षा और नैना दोनों चीख पड़ी - बहनचोद , हमारा क्या होगा ?
रूबी - बहन की लौड़ी नैना , तूने तो अभी तक एक बार अपनी चूत दी नहीं है। और कब्जे से डर रही है। पहले अपने खसम से बोलो मुझे चोदे तो सही।
नैना - सुनो इसकी चूत को चाट चाट लकर लाल कर दो। आज इसे इतना चोदना की चूत फैट कर फाटक हो जाए।
अनुराग - जो हुकुम।
अनुराग ने फिर अपनी जीभ रूबी के चूत पर चिपका दिया। उसने बड़ी सिद्दत से पहले उसके चूत से रिश्ते पानी को चाटना शुरू किया।
रूबी ने अनुराग के सर को पकड़ लिया और बोली - आह , इस्सस डैडी , ऐसे ही चाटो। आह। देहो कितना रस भरा है। पी जाओ।
उधर नैना वर्षा के चूत पर वापस भीड़ गई। कमरे में सिसकारियां गूँज रही थी।
रूबी - आह डैडी , सूचक माय क्लीट , मेरे लौड़े को चूसो। खा जाओ उसे। आह , चूसो हाँ ऐसे ही।
अनुराग उसके उभरे हुए क्लीट को चूसे जा रहा था। उसने अपनी दो ऊँगली को चम्मच जैसा बना कर उसके चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था , रूबी सोफे पर से ही अपने कमर को आगे पीछे कर रही थी जैसे चुद रही हो। ऐसा ही हाल वर्षा का था।
वर्षा - बहनचोद , देख अपने खसम को। चाट मेरी चूत को जैसे वो चाट रहा है। अंदर जीभ डाल। हाँ , और अंदर। आह आह।
नैना ने तभी अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी।
वर्षा चिहुंक कर बोली - भोसड़ी के गांड में ऊँगली क्यों की। निकाल बाहर।

पर नैना कहाँ मानने वाली थी। उसने निकालने के बजाय अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। वर्षा को अब मजा आने लगा था। दोनों बहाने चरम पर पहुँच गईं थी। रूबी ने तो अनुराग के सर को पकड़ कर अपने चूत से चिपका लिया था और अपने दोनों पैर अनुराग के कंधो पर रलख दिया था। अब वो खुद ही अपने गांड को हिला हिला कर चुद रही थी। उसके शरीर में कंपन होने लगा था। वो अब किसी भी पल आ सकती थी।

वो चीख रही थी - आह डैडी , फ़क में। फ़क में हार्ड। चोद के रख दो अपनी बेटी को। आह इस्सस इससे। पापापा मैं तो गई। माआआआ बचाओ।
कुछ ही पल में उसने अनुराग को अपने पैरों से जकड लिया और जोर जोर से कांपने लगी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था। अनुराग ने उसके चूत के एक एक बूँद को चाटना शुरू कर दिया था। उधर वर्षा भी आ गई थी। उसका भी वही हाल था। उसने नैना को अपने पैरों में लपेट रखा था। दोनों बहने चीखती हुई झड़ रही थी। रूबी अभी ओर्गास्म में ही थी पर अनुराग ने उसे चाटना नहीं छोड़ा था।

वर्षा भी अब संभल चुकी थी। न ऐना उसके जांघो पर सर रख कर अनुराग को देख रही थी। तभी वर्षा बोली - हट बाथरूम जाना है।
नैना - जो करना है , यें करो न। नमकीन मक्ख़न के बाद थोड़ा छाछ भी पीला दो।
वर्षा - हट पागल।

नैना हटी नहीं बल्कि वर्षा के चूत पर फिर से मुँह लगा दिया। नैना अपने किंकी मूड में आ चुकी थी। वर्षा ने उसे जवानी के दिनों से देखा था । उसे पता था अब ये मानेगी नहीं। उसने धार छोड़ दी। कमाल की बात ये हुई की नैना ने मुँह लगा कर पीना भी शुरू कर दिया। कुछ उसके मुँह में और कुछ उसके सीने से होता हुआ उसके कपड़ो पर भी गिरने लगा। नैना ने सफ़ेद टी शर्ट पहनी हुई थी जो अब तक उसके बदन पर थी और अब वो गिला होकर चिपकने लगी थी। वर्षा के चूत से निकलती सीटी की आवाज सुनकर रूबी ने भी अपनी धार छोड़ दी। अनुराग के भी मजे हो गए थे। अनुराग ने भी उसे पीना शुरू कर दिया था।

कुछ देर इस बारिश में भींगने के बाद वर्षा बोली - मिल गयी ठंढक। अब सफाई कौन करेगा।
नैना बोली - मैं करती हूँ। तुम सब नहाओ जाओ।
रूबी - रहने दे।
वर्षा भी उठ गई। सबने सफाई शुरू कर दी। अनुराग बीच बीच में तीनो के शरीर से खेल रहा था। उसने एक बार रूबी के थिरकते गांड पर जोर से थप्पड़ मारा तो रूबी बोली - पापा , क्या करते हो। चोट लग रही है।
वर्षा हँसते हुए बोली - और मारो उसे। बहुत तरसाया है उसने।
रूबी बोली - इस हिसाब से नैना की पिटाई ज्यादा होनी चाहिए। इस खेल में वही शामिल थी। ये सुनकर अनुराग ने नैना को पीछे से पकड़ लिया और उसके मुम्मे दबाते हुए कहा - सच है क्या ?
नैना - छोड़िये। बदमाशी इसकी थी। मैंने तो बस इसकी पोल नाह खोली थी।
रूबी - पोल नहीं खोली थी। उम्म्म , पापा देखो हम सब नंगे हैं और इसने कपडे नहीं खोले हैं। इसका टी शर्ट तो उतार दो।
अनुराग ने नैना के टी शर्ट को उतार दिया। आज नैना ने आना कानि नहीं की। अनुराग ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा - जानेमन इसमें दूध कब आएगा ?
वर्षा जो अब फाइनल पोछा लगा रही थी बोली - चोद दो। भर दो इसकी चूत अपने वीर्य से। बना दो इसे हमारी माँ।
नैना ने अनुराग के बाँहों में मचलते हुए कहा - अभी पहले घर में तीसरी माँ बनेगी फिर मेरा नंबर आएगा।
रूबी - तीसरा कौन ?
नैना - तेरी भाभी।
तृप्ति का नाम सुनकर अनुराग का लंड नैना की गांड में ठुनकी लेने लगा। नैना को ये महसूस हुआ तो बोली - देखो पापा को , बहु का नाम सुनकर लौड़ा लहराने लगे।
अनुराग ये सुनकर झेंप गया और उसने नैना को छोड़ दिया। बोला - चलो मैं नहाने जा रहा हूँ।
नैना - दरवाजा खुला रखियेगा। हम भी आ रहे हैं। और हाँ , बहु के नाम की मुठ मत मारिएगा। रूबी की गांड मारनी है।
वाह भाई, अनुराग के मज़े ही मज़े है...
 
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