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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 40 44.4%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 25 27.8%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 25 27.8%

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RK5022

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Bhai jabardast update tha par chhota laga
 
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sunoanuj

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Bahut hi behtarin or gajab update … 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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123@abc

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123@abc

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tharkiman

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अनुराग को आज जाकर एहसास हुआ कि वर्षा कितनी प्यासी है। वो आश्चर्य कर रहे थे कि इतनी सुन्दर लड़की से कोई कैसे दूर रह सकता है। प्रेग्नेंसी के समय थोड़ी दूरी बनती है पर बच्चा होने के बाद जब औरत का शरीर भरता है तो सेक्स करने में और मजा आता है पर कैसे वर्षा का पति उसे इग्नोर कर रहा है। सच में भंडुआ ही होगा। हो सकता है किसी के साथ अफेयर भी हो। पर वर्षा ने अफेयर कि बात नहीं की।

अनुराग को अपना वक़्त याद आया , उसका प्यार सुलेखा के लिए कभी ख़त्म नहीं हुआ। दोनों पति पत्नी आपस में एक्सपेरिमेंट भी करते थे। दोनों सेक्स के लिए हमेशा भूखे रहते थे। बाहर भले ही डेसेन्ट कपल की तरह हों पर सेक्स के समय कोई पर्दा नहीं होता था। रोल प्ले से लेकर गाली गलौच सब चलता था। हर तरह के ऊट पटांग आसन तक ट्राई करते थे। पर सब आपस में। उनके बीच कभी शारीरिक रूप से कोई दूसरा शामिल नहीं हुआ बातों में भले ही पुरे मोहल्ले भर को चोद लिया हो। एक अपवाद थी वो थी नैना। नैना ही थी जो उनका हर राज जानती थी। वो उन दोनों के बीच किसी न किसी रूप में मौजूद रहती थी पर उन्होंने खुद उसके साथ कभी सम्बन्ध नहीं बनाया। पर वो सुलेखा की जान थी।

उधर लता को आज अफ़सोस हो रहा था की बातों बातों में क्या बोल गई। उसे पता था की वर्षा दुखी है पर इतनी दुखी होगी पता नहीं था। वो चाहती थी की जाकर खुद ही दोनों से माफ़ी मांगे पर तबियत से लाचार थी। डॉक्टर ने पांच दिन का आराम बोला था।

लता और वर्षा के फ़ोन बात चीत के बाद वर्षा अब अनुराग से थोड़ा संकोच करने लगी थी। उसे अंदाजा नहीं था मजाक इस हद तक आगे बढ़ जायेगा। अनुराग ने भी रात को वर्षा के दूध निकलते समय झांकना बंद कर दिया था। अगले दिन वर्षा जब मालिश के लिए आई तो अनुराग ने मना कर दिया । वर्षा ने भी ज्यादा जिद्द नहीं की।

पर जब आग बिलकुल जड़ तक लगी हो तो ऊपर से सिर्फ बुझा हुआ दीखता है। मौका पाकर लपटें फिर से निकल आती हैं। तो ये आग कितने दिनों तक दबती। दो दिन ऐसे ही चला, तीसरे दिन अनुराग नाश्ते के बाद जैसे ही उठे, लड़खड़ा गए। अनुराग ने अपने आपको संभाल लिया। कोई ख़ास बात नहीं थी। पर इस छोटी सी बात ने वर्षा को अपनी गलती का एहसास करा दिया। उसके मन में गिल्ट फीलिंग आने लगी।
उसने तुरंत अनुराग से कहा - आप कमरे में चलिए मैं मालिश करती हूँ। छोड़नी नहीं चाहिए थी। आई एम् सॉरी।
अनुराग - अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वो तो बस थोड़ा बैलेंस बिगड़ गया था।
वर्षा ने मूड हल्का करने के लिए कहा - अब देखिये आपकी सेक्सी बहन तो बीमार है। जब तक वो ठीक नहीं होती मुझे से काम चला लीजिये।
अनुराग भी वर्षा की मालिश को मिस कर रहे थे। दोनों ने एक दुसरे को व्यक्त करने से रोका था पर अंदर के विचार तो गए नहीं थे।
उन्होंने भी उसी रो में जवाब दिया - तू भी कम थोड़े ही है।
वर्षा - अच्छा। मुझे लगा नहीं। वार्ना आप मन क्यों करते।
अनुराग - हम्म।

उस दिन वर्षा ने उसी अदा से मालिश की और अनुराग ने भी पुआ मजा लिया। दोनों की जिंदगी फिर से वापस उसी अंदाज में चलने लगी।

इस बीच में वो लता से मिलने भी गए। लता वर्षा को नार्मल देख काफी खुश थी। दोनों ने लता और उसके परिवार के सामने एकदम बाप बेटी जैसा व्यवहार ही दिखाया। पर लता और नैना जानते थी कि दोनों के बीच में क्या चल रहा है। लता ने कहा दो तीन बाद वो फिर से वर्षा की मदद करने के लायक हो जाएगी।

पांच दिन बाद लता की तबियत जब ठीक हुई तो उसने सुबह ही वर्षा को फ़ोन कर दिया कि वो आज आएगी। वर्षा थोड़ी निराश हो गई। वैसे तो उसे खुश होना चाहिए था पर वो दुखी हो गई।
अनुराग ने फ़ोन काटने के बाद पुछा - किसका फ़ोन था ?
वर्षा - आपकी मालिश वाली आ रही है , वापस मजे देने को।
अनुराग समझ गए वर्षा खुश नहीं है। उन दोनों का खेल बिगड़ने वाला था। वर्षा लगभग रोज उसे उल्टा लिटा कर उसका पानी निकाल देती थी। लता तो शायद ना करे।
वर्षा को मनाने को वो बोल पड़े - अब तो तेरा हाथ न लगे तो लड़खड़ा जाता हूँ। सुलेखा की रात वाली मालिश के बाद नींद अच्छी आती थी।
वर्षा समझ गई। वो अनुराग के गले लग गई। उसने उनके कान में धीरे से कहा - चिंता ना करिया। मैं भी आपको और आपके नन्हे को अच्छी नींद दिलाऊंगी।
अनुराग - पर तेरी मालिश के बाद तो वो जग जाता है।
वर्षा - पर सुलाती भी तो हूँ अंत में।
अनुराग - तेरी बुआ तो न सुला पाएंगी।
वर्षा - बोल कर देखिएगा। भाई का पूरा ख्याल रखती हैं। सुना नहीं चुदने तक को तैयार हैं।

वर्षा चुदाई शब्द फिर से बोल गई थी। उसे जैसा ये रेयलिएज हुआ वो शर्मा गई। वो भाग कर कमरे में चली गई।

कुछ एक घंटे बाद लता आ गई। लता को देखते ही अनुराग को वर्षा की बात याद आ गई। उसने लता को देखा तो सोचने लगा - क्या सच में लता चुद जाएगी।
तीनो ने नाश्ता वगैरह किया। नाश्ते के बाद अनुराग अपने कमरे में चले गए। लता वर्षा से उस दिन के बारे में बात करने लगी।
लता - सॉरी वर्षा , उस दिन फ़ोन पर कुछ ज्यादा ही बोल गई।
वर्षा - अरे बुआ , कैसी बात करती हैं आप ? गलती मेरी है मैंने छेड़ दिया था आपको।
लता - हम्म पर ये बता तू सच में अलग कमरे में ही बात कर रही थी न ? मैंने बड़ा ही उटपटांग बोलै था उस दिन।
वर्षा - हीहीहीहीहीहीहीही। आप तो चुदने तक को तैयार हैं पापा से।
लता ने वर्षा के कंधे पर एक थप्पड़ सा मरते हुए कहा - चुप बहुत बोलती है। वो तो मैं उस दिन जोश जोश में बोल गई थी।
वर्षा - जोश जोश में दिल की बात बाहर आ गई।
लता - चुप। पर भाई भी अकेला है न। कितनी बार तो बोला शादी कर ले , उम्र ही क्या है पर मानता ही नहीं। और तो और कहीं बाहर जाकर मजे भी नही लेता ल वरना यहाँ तो शादी शुदा बाहर मुँह मारते हैं।
वर्षा - वो तो है।
लता - तू ही क्यों नहीं हेल्प कर देती। तू भी तो प्यासी है।
वर्षा - बूआआ
लता - सोच ले। वैसे भी उस दिन सब सुन लिया था अनु ने। उसे भी पता है तू कितनी प्यासी है।
वर्षा - उन्हें ये भी पता है तुम भी चुद जाओगी अगर वो चोदे तो।
लता - तू तो कह रही थी वि हमारी बातें नहीं सुन रहा था।
वर्षा - मैं अपने कमरे में बात कर रही थी। अब वो बाहर से सुन रहे हों तो क्या मालूम। सुना तो होगा ही तभी मेरे रोने पर तुरंत आ गए थे।
लता सोचने लगी। बोली - तूने फंसा दिया। अब क्या मुँह लेकर जाउंगी उसके सामने।
वर्षा - मुँह नहीं दूध लेकर जाना। अभी जो थोड़ा ढका थोड़ा खुला दिखाती हो वो खोल कर दिखा देना।
लता - चुप , अरे उस दिन तो मैंने तेरे दूध वाली बात भी बोल दी थी। वो भी पता चल गया होगा उसे तो।
वर्षा - हो सकता है।
लता - उसने कुछ कहा नहीं तुम्हे ?
वर्षा - कुछ कहा तो नहीं पर अब मेरे दूध की तरफ देखने लगे हैं कभी कभी।

वर्षा ने ये हिंट दे दिया था क्योंकि वो कुछ हो जाने पर लता को सरप्राइज नहीं देना चाहती थी। और उसे लता को भी तैयार करना था। एक बार लता जब अपने भाई के खुदसे और भतीजी से सम्बन्ध पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं करती तो अनुराग और नैना के संबंधों पर भी ऑब्जेक्शन नहीं करेगी। पर नैना के लिए लता नहीं अनुराग ही समस्या थे। वो ही नहीं मान रहे थे। पर शायद इस सम्बन्ध के बाद वो मान जाए। इस लिए वर्षा ने डिसाइड किया जितनी जल्दी लता और वो अनुराग से चुद जाएगी उतनी ही जल्दी अनुराग नैना के प्यार को भी स्वीकार कर लेंगे। आखिर इतने सालों से नैना इंतजार जो कर रही है।

वर्षा यही सब सोच रही थी तो लता बोली - कहा खो गई ? कहीं सपने में बाप के गॉड में झूला तो नहीं झूलने लगी ?
वर्षा - मैं तो नहीं पर आप जाओ जल्दी से पापा की मालिश कर दो। वो आपके सपनो में जरूर खोये होंगे।
लता - हाँ करती हूँ। कई दिन हो गए
वर्षा - और सुनो थोड़ा सेक्सी पहन लो। बात तभी आगे बढ़ेगी। मैं कहूं तो अपनी साडी उतार देना सिर्फ ब्लॉउस और पेटीकोट में करो। और ब्लाउज के ऊपर के हुक खोल देना। एकदम मस्त रंडी लगोगी। पापा देख कर चढ़ जायेंगे।
लता – चुप, तेरे मन है तो बन जा बाप की रंडी।
कह कर लता चली गई। वर्षा मन ही मन सोचने लगी - अभी नहीं पर लगता है जल्दी ही पापा की रंडी बन जाउंगी। पर उससे पहले आपको चुदना होगा बुआ। ये सोचते सोचते वर्षा का हाथ खुद ही अपने चूत की तरफ बढ़ गया।

वर्षा से बात करने के बाद , लता अनुराग के कमरे में मालिश के लिए गई। अनुराग ने उसे तेल के सीसी के साथ देखा तो कहा - दीदी रहने दो। अब सब ठीक है। मालिश की जरूरत नहीं है।
लता - तुझे अगर अपनी जरूरतों का पता होता तो ख्याल रख लेता। पर तू खुद को ही इग्नोर करता है।
अनुराग लता की द्विअर्थी बात सुनकर बोलै - तुमलोग हो न ख्याल रखने को फिर किस बात की चिंता।
लता - कुछ ख्याल बीवियां ही रखती हैं। घर की बहन बेटी सब नहीं कर सकती।
अनुराग - हम्म

अनुराग कुर्सी पर लुंगी में बैठ गए। लता अपने पुराने अंदाज में साडी को घुटनो तक मोड़ कर और कमर में खोंस कर मालिश करने लगी। उसके गोरे गोरे पैर और ब्लाउज से झांकते मुम्मे देखते ही अनुराग को उसके फ़ोन वाली बात याद आ गई। उसका लंड अंगड़ाइयां लेने लगा। आज लता भी कुछ कदम आगे बढ़ने के मूड में थी। वर्षा से बात करने के बाद उसका मन पहले ही बहक चूका था। पैरों में तेल लगाते लगाते उसने जानबूझ कर थोड़ा सा तेल अपने साडी पर गिरा लिया।

साडी पर तेल गिरता देख अनुराग बोला - अरे देखो साडी खराब न हो जाये।
लता - ओह्ह , आज तो एक्स्ट्रा साडी लेकर भी नहीं आई।
लता जबकि अपने कुछ सेट कपडे हमेशा घर में रखती थी। हफ्ते में एक आध बार अपने यहाँ से बदल लेती थी। पर आज वो सफ़ेद झूठ बोल गई।
उसकी बात सुन अनुराग बोला - साडी उतार दो न , वार्ना खराब हो जाएगी।
लता - सही कहता है।

लता ने उसके सामने ही अपनी साडी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई। जैसे ही वो निचे दोबारा पैरों के पास बैठी , उसका ये रूप देख अनुराग की धड़कन तेज हो गई। उसका लंड लुंगी से बाहर आने को तैयार हो गया। अनुराग का मन कर रहा था बस अब अत को बिस्तर पर पटक कर पेल दे। पर वो ये सब कुछ नहीं कर सकता था। वो जानता था की ये सब होगा पर समय के साथ। लता चुदेगी जरूर और वो समय जल्दी ही आएगा।

लता के आधे से अधिक मुम्मे ब्लाउज से बाहर आ रहे थे। अनुराग लगातार उसके छाती की तरफ ही देख रहा था। उसकी नजरो की वजह से लता की धड़कन भी तेज थी। दो तीन बार लता की नजरों जब अनुराग की मजरों से मिली तो वो उसे अपनी छाती चुराती हुई पाई।
लता ने आखिरकार पूछ ही लिया - ऐसे क्या देख रहा है ?
अनुराग सकपका गया। उसने कहा - कुछ नहीं दीदी
लता - सब पता है।
अनुराग - हे हे हे हे , तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
लता - इससे पहले सुन्दर नहीं लगती थी क्या ?
अनुराग - ऐसा नहीं है , पर इस तरह से पहली बार देखा है न।
लता - पर तेरी सुलेखा से सुन्दर कोई नहीं हो सकता।
अनुराग सोच में पड़ गया। उसे सुलेखा और वर्षा दोनों की याद आ गई।
लता - सुन एक बात बता।
अनुराग - पूछो न दीदी
लता - तुमने उस दिन मेरी और वर्षा की बात सुन ली थी क्या ?
अनुराग अनजान बनते हुए पुछा - किस दिन ?
लता - अरे उसी दिन जिस दिन वर्षा रो पड़ी थी।
अनुराग - ओह्ह्ह , उस दिन।
फिर कुछ सोच कर बोला - हाँ थोड़ी थोड़ी बात सुनी थी।
लता - वो भी सुना था क्या ?
अनुराग - क्या ? क्या सुना था ?
लता उठ खड़ी हुई और अनुराग की पीछे आकर बोली - वो चुदाई वाली बात।
उसने हाथों में तेल लिया और कंधे पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
अनुराग - ओह्ह , हम्म सुना था। मुझे पता है आप दोनों गुस्से में ऐसे बात करने लगे थे। ऐसा हो थोड़े ही सकता है।
लता - क्या ?
अनुराग - वही की आप मुझे दे देंगी।
लता का हाथ काँप रहा था। उसने अनुराग के पीठ पर तेल लगाते हुए कहा - तू मांगेगा थोड़े ही।
अनुराग - हम्म्म
लता - तूने दूध वाली बात भी सुन ली थी ?
अनुराग - हाँ ,मुझे वैसे पहले ही पता चल गया था की वर्षा अपना दूध पीला रही है ।
चुदाई की बात फिर वर्षा के दूध की बात, ये सब सुन अनुराग का लंड एकदम तैयार था। अनुराग का हाथ बार बार वहीँ जा रहा था।
लता ये देख हँसते हुए बोली - देख तेरा हाथ काबू में नहीं है। शादी कर ले। बहन और बेटी को सोच कर मुठ नहीं मारना पड़ेगा।

लता ने अब मुठ मारने की बात भी कर ही दी थी।
अनुराग - तुम भी मुझे सोच तो ऊँगली करती हो। तुम्हारी तो शादी हो गई है।
लता अब शर्म से पानी पानी हो गई। उसने मालिश बंद कर दी और साडी पहनने लगी। अनुराग उठ गया। उसने लता का हाथ पकड़ लिया और कहा - मुझे माफ़ कर दो। प्लीज नाराज मत हो।
लता ने तुरंत उसे गले लगा लिया और कहा - अरे तुझसे नाराज नहीं हो सकती मैं। नाराज होती तो साडी उतार कर मालिश करती क्या ? बहुत प्यार करती हूँ। तुझे अकेला देख कर बहुत बुरा लगता है। तू शादी क्यों नहीं कर लेता ? कब तक तड़पेगा ?
अनुराग का लंड उसके चूतसे सटा हुआ था। उसके मुम्मे अनुराग की छाती पर दबाव बना रहे थे। धड़कने दोनों की तेज थी।
अनुराग - शादी कर लेता तो तुम मेरे पास आती ?क्या तुम मेरी मालिश करती ? वर्षा मेरे पास होती ? तुम सबका इतना प्यार मिलता ? मुझे ये प्यार नही बाटना है दीदी।
लता रोने लगी। बोली - तू पागल है।
अनुराग के आँखों में भी आंसू आ गए। बाहर वर्षा जो इस कमरे में कान लगाए बैठी थी , उसके आँखों में भी आंसू आ गए।
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद लता ने अपने चूत के आगे मडराते लंड को महसूस करके बोला - और तेरे छोटू का क्या ? देख कितना बेचैन है ?
अनुराग - जैसे मेरी मालिश करती हो उसकी भी कर दो।
वर्षा - धत्त।

अनुराग ने लता का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। लता ने भी लुंगी के अंदर हाथ डाल उसे पकड़ लिया। अनुराग ने लता को कंधे से पकड़ा और कमरे के दिवार से टिका दिया। उसने अपने होठ लता के होठ से सटा दिए। दोनों एक दुसरे को चूमने लगे। अनुराग ने अपने हाथ लता के मुम्मो पर रख दिया। लता का हाथ उसके लंड पर मुठी बांधे हुए था जिसमे अनुराग ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। अनुराग लता की चूत में तो नहीं पर उसके हाथ में ही धक्के लगाए जा रहा था। बाहर से लग रहा था जैसे वो लता को खड़े खड़े चोद रहा हो पर वो उसके हाथ चोद रहा था।
लता - तुमने पहले क्यों नहीं बताया , इतना प्यार करता है।
अनुराग - डरता था , कहीं नाराज न हो जाये।
लता - तू पागल है। पहले बता देता तो इतना नहीं तड़पना पड़ता।
अनुराग ने धक्के तेज कर दिए। कहा - अब बता दिया न।
लता - हाँ अब तो तेरा ख्याल रखने को मैं भी हूँ और वर्षा भी। वो बेचारी तो खुद ही तड़प रही है। बहुत प्यासी है।
अनुराग वर्षा के नाम को सुन कर तेज धक्के लगाने लगा। बोला - पता है। उसकी भी तड़प दूर कर दूंगा।
लता - आह हां। पेल दो सुलेखा समझ उसे पेल दो।
अनुराग - दीदी दीदी , आह सुलेखा तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी अब मैं वर्षा, रूबी , नैना और तृप्ति सबको पेल दूंगा। आह आह आह। मैं गयाआआ।

अनुराग झटके लेने लगा और उसके के लंड ने कई पिचकारी की धार लता के पेटीकोट पर मार दी। लता कहाँ साडी बचाने चली थी उसका तो पेटीकोट ही ख़राब हो गया। उसके हाथ में भी ांरग का वीर्य लग गया। वर्षा ने अपने हाथ पर लगे वीर्य को देखा और फिर चाट लिया।
अनुराग - सॉरी।
लता - किस लिए ?
अनुराग - सबके नाम लेने के लिए।
दरअसल अनुराग को सुलेखा के आखिरी समय की बातें याद आ गई थी और उसी रो में वो सबको पेलने की बात कर गया। लता को ये सब पता नहीं था। उसने हँसते हुए कहा - होता है। तेरे जीजा तो मुझे चोदते समय ना जाने किसका किसका नाम लेते हैं।
अनुराग - इन सबका भी ?
लता - ये तो कॉमन नाम है। उनका बस चले तो काम वालियों से लेकर मोहल्ले की हर औरत को पेल दे।
लता फिर बोली - चल आज तो पुरे बदन की मालिश हो गई। तेरे छोटे की भी। जा नहा ले। और सुन अब मुठ मारने की जरूरत नहीं है न ?
अनुराग - नहीं , मुझे तो नहीं है। तुम तो ऊँगली करोगी ?
लता - पागल है क्या ? मेरी चूत तो कब का बाह चुकी है। कपडे बदलने पड़ेंगे बस।
अनुराग - तुम्हारे पास हैं ? नहीं तो सुलेखा की पहन लेना।
लता - तू बुद्धू है। मेरे कई जोड़ी कपडे यहाँ होते हैं। हाहाहाहाहा
अनुराग को अब समझ आया।
लता बाहर आई तो वर्षा वहीँ कोने में खड़ी थी। लता - देख लिया ? खुश ? यही चाहती थी न ?
वर्षा - आप बड़ी बड़ी रंडी हो।
लता - तुझसे कम । चल खाने की तैयारी कर। भाई को पौष्टिक खिलाना होगा।
वर्षा - देती तो हूँ रोज अपना पौष्टिक दूध। नीचे का माल भी देना होगा क्या ?
लता - दे दे तो हरा हो जायेगा मेरा भाई।
वर्षा - मेरा तो पता नहीं पर जल्दी ही आप हरा कर दोगी उन्हे।

लता बाथरूम में चली गई। वर्षा किचन में जाकर सोचने लगी। अब उसके लिए भी रास्ता खुल गया है। उसे ये सुन आश्चर्य हुआ की उसके पापा न सिर्फ उसे बल्कि परिवार की हर औरत को चोदने को तैयार थे। उसे ये खबर नैना को देनी थी। सबसे बड़ी ख़ुशी तो उसके लिए थी।
 

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अनुराग को आज जाकर एहसास हुआ कि वर्षा कितनी प्यासी है। वो आश्चर्य कर रहे थे कि इतनी सुन्दर लड़की से कोई कैसे दूर रह सकता है। प्रेग्नेंसी के समय थोड़ी दूरी बनती है पर बच्चा होने के बाद जब औरत का शरीर भरता है तो सेक्स करने में और मजा आता है पर कैसे वर्षा का पति उसे इग्नोर कर रहा है। सच में भंडुआ ही होगा। हो सकता है किसी के साथ अफेयर भी हो। पर वर्षा ने अफेयर कि बात नहीं की।

अनुराग को अपना वक़्त याद आया , उसका प्यार सुलेखा के लिए कभी ख़त्म नहीं हुआ। दोनों पति पत्नी आपस में एक्सपेरिमेंट भी करते थे। दोनों सेक्स के लिए हमेशा भूखे रहते थे। बाहर भले ही डेसेन्ट कपल की तरह हों पर सेक्स के समय कोई पर्दा नहीं होता था। रोल प्ले से लेकर गाली गलौच सब चलता था। हर तरह के ऊट पटांग आसन तक ट्राई करते थे। पर सब आपस में। उनके बीच कभी शारीरिक रूप से कोई दूसरा शामिल नहीं हुआ बातों में भले ही पुरे मोहल्ले भर को चोद लिया हो। एक अपवाद थी वो थी नैना। नैना ही थी जो उनका हर राज जानती थी। वो उन दोनों के बीच किसी न किसी रूप में मौजूद रहती थी पर उन्होंने खुद उसके साथ कभी सम्बन्ध नहीं बनाया। पर वो सुलेखा की जान थी।

उधर लता को आज अफ़सोस हो रहा था की बातों बातों में क्या बोल गई। उसे पता था की वर्षा दुखी है पर इतनी दुखी होगी पता नहीं था। वो चाहती थी की जाकर खुद ही दोनों से माफ़ी मांगे पर तबियत से लाचार थी। डॉक्टर ने पांच दिन का आराम बोला था।

लता और वर्षा के फ़ोन बात चीत के बाद वर्षा अब अनुराग से थोड़ा संकोच करने लगी थी। उसे अंदाजा नहीं था मजाक इस हद तक आगे बढ़ जायेगा। अनुराग ने भी रात को वर्षा के दूध निकलते समय झांकना बंद कर दिया था। अगले दिन वर्षा जब मालिश के लिए आई तो अनुराग ने मना कर दिया । वर्षा ने भी ज्यादा जिद्द नहीं की।

पर जब आग बिलकुल जड़ तक लगी हो तो ऊपर से सिर्फ बुझा हुआ दीखता है। मौका पाकर लपटें फिर से निकल आती हैं। तो ये आग कितने दिनों तक दबती। दो दिन ऐसे ही चला, तीसरे दिन अनुराग नाश्ते के बाद जैसे ही उठे, लड़खड़ा गए। अनुराग ने अपने आपको संभाल लिया। कोई ख़ास बात नहीं थी। पर इस छोटी सी बात ने वर्षा को अपनी गलती का एहसास करा दिया। उसके मन में गिल्ट फीलिंग आने लगी।
उसने तुरंत अनुराग से कहा - आप कमरे में चलिए मैं मालिश करती हूँ। छोड़नी नहीं चाहिए थी। आई एम् सॉरी।
अनुराग - अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वो तो बस थोड़ा बैलेंस बिगड़ गया था।
वर्षा ने मूड हल्का करने के लिए कहा - अब देखिये आपकी सेक्सी बहन तो बीमार है। जब तक वो ठीक नहीं होती मुझे से काम चला लीजिये।
अनुराग भी वर्षा की मालिश को मिस कर रहे थे। दोनों ने एक दुसरे को व्यक्त करने से रोका था पर अंदर के विचार तो गए नहीं थे।
उन्होंने भी उसी रो में जवाब दिया - तू भी कम थोड़े ही है।
वर्षा - अच्छा। मुझे लगा नहीं। वार्ना आप मन क्यों करते।
अनुराग - हम्म।

उस दिन वर्षा ने उसी अदा से मालिश की और अनुराग ने भी पुआ मजा लिया। दोनों की जिंदगी फिर से वापस उसी अंदाज में चलने लगी।

इस बीच में वो लता से मिलने भी गए। लता वर्षा को नार्मल देख काफी खुश थी। दोनों ने लता और उसके परिवार के सामने एकदम बाप बेटी जैसा व्यवहार ही दिखाया। पर लता और नैना जानते थी कि दोनों के बीच में क्या चल रहा है। लता ने कहा दो तीन बाद वो फिर से वर्षा की मदद करने के लायक हो जाएगी।

पांच दिन बाद लता की तबियत जब ठीक हुई तो उसने सुबह ही वर्षा को फ़ोन कर दिया कि वो आज आएगी। वर्षा थोड़ी निराश हो गई। वैसे तो उसे खुश होना चाहिए था पर वो दुखी हो गई।
अनुराग ने फ़ोन काटने के बाद पुछा - किसका फ़ोन था ?
वर्षा - आपकी मालिश वाली आ रही है , वापस मजे देने को।
अनुराग समझ गए वर्षा खुश नहीं है। उन दोनों का खेल बिगड़ने वाला था। वर्षा लगभग रोज उसे उल्टा लिटा कर उसका पानी निकाल देती थी। लता तो शायद ना करे।
वर्षा को मनाने को वो बोल पड़े - अब तो तेरा हाथ न लगे तो लड़खड़ा जाता हूँ। सुलेखा की रात वाली मालिश के बाद नींद अच्छी आती थी।
वर्षा समझ गई। वो अनुराग के गले लग गई। उसने उनके कान में धीरे से कहा - चिंता ना करिया। मैं भी आपको और आपके नन्हे को अच्छी नींद दिलाऊंगी।
अनुराग - पर तेरी मालिश के बाद तो वो जग जाता है।
वर्षा - पर सुलाती भी तो हूँ अंत में।
अनुराग - तेरी बुआ तो न सुला पाएंगी।
वर्षा - बोल कर देखिएगा। भाई का पूरा ख्याल रखती हैं। सुना नहीं चुदने तक को तैयार हैं।

वर्षा चुदाई शब्द फिर से बोल गई थी। उसे जैसा ये रेयलिएज हुआ वो शर्मा गई। वो भाग कर कमरे में चली गई।

कुछ एक घंटे बाद लता आ गई। लता को देखते ही अनुराग को वर्षा की बात याद आ गई। उसने लता को देखा तो सोचने लगा - क्या सच में लता चुद जाएगी।
तीनो ने नाश्ता वगैरह किया। नाश्ते के बाद अनुराग अपने कमरे में चले गए। लता वर्षा से उस दिन के बारे में बात करने लगी।
लता - सॉरी वर्षा , उस दिन फ़ोन पर कुछ ज्यादा ही बोल गई।
वर्षा - अरे बुआ , कैसी बात करती हैं आप ? गलती मेरी है मैंने छेड़ दिया था आपको।
लता - हम्म पर ये बता तू सच में अलग कमरे में ही बात कर रही थी न ? मैंने बड़ा ही उटपटांग बोलै था उस दिन।
वर्षा - हीहीहीहीहीहीहीही। आप तो चुदने तक को तैयार हैं पापा से।
लता ने वर्षा के कंधे पर एक थप्पड़ सा मरते हुए कहा - चुप बहुत बोलती है। वो तो मैं उस दिन जोश जोश में बोल गई थी।
वर्षा - जोश जोश में दिल की बात बाहर आ गई।
लता - चुप। पर भाई भी अकेला है न। कितनी बार तो बोला शादी कर ले , उम्र ही क्या है पर मानता ही नहीं। और तो और कहीं बाहर जाकर मजे भी नही लेता ल वरना यहाँ तो शादी शुदा बाहर मुँह मारते हैं।
वर्षा - वो तो है।
लता - तू ही क्यों नहीं हेल्प कर देती। तू भी तो प्यासी है।
वर्षा - बूआआ
लता - सोच ले। वैसे भी उस दिन सब सुन लिया था अनु ने। उसे भी पता है तू कितनी प्यासी है।
वर्षा - उन्हें ये भी पता है तुम भी चुद जाओगी अगर वो चोदे तो।
लता - तू तो कह रही थी वि हमारी बातें नहीं सुन रहा था।
वर्षा - मैं अपने कमरे में बात कर रही थी। अब वो बाहर से सुन रहे हों तो क्या मालूम। सुना तो होगा ही तभी मेरे रोने पर तुरंत आ गए थे।
लता सोचने लगी। बोली - तूने फंसा दिया। अब क्या मुँह लेकर जाउंगी उसके सामने।
वर्षा - मुँह नहीं दूध लेकर जाना। अभी जो थोड़ा ढका थोड़ा खुला दिखाती हो वो खोल कर दिखा देना।
लता - चुप , अरे उस दिन तो मैंने तेरे दूध वाली बात भी बोल दी थी। वो भी पता चल गया होगा उसे तो।
वर्षा - हो सकता है।
लता - उसने कुछ कहा नहीं तुम्हे ?
वर्षा - कुछ कहा तो नहीं पर अब मेरे दूध की तरफ देखने लगे हैं कभी कभी।

वर्षा ने ये हिंट दे दिया था क्योंकि वो कुछ हो जाने पर लता को सरप्राइज नहीं देना चाहती थी। और उसे लता को भी तैयार करना था। एक बार लता जब अपने भाई के खुदसे और भतीजी से सम्बन्ध पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं करती तो अनुराग और नैना के संबंधों पर भी ऑब्जेक्शन नहीं करेगी। पर नैना के लिए लता नहीं अनुराग ही समस्या थे। वो ही नहीं मान रहे थे। पर शायद इस सम्बन्ध के बाद वो मान जाए। इस लिए वर्षा ने डिसाइड किया जितनी जल्दी लता और वो अनुराग से चुद जाएगी उतनी ही जल्दी अनुराग नैना के प्यार को भी स्वीकार कर लेंगे। आखिर इतने सालों से नैना इंतजार जो कर रही है।

वर्षा यही सब सोच रही थी तो लता बोली - कहा खो गई ? कहीं सपने में बाप के गॉड में झूला तो नहीं झूलने लगी ?
वर्षा - मैं तो नहीं पर आप जाओ जल्दी से पापा की मालिश कर दो। वो आपके सपनो में जरूर खोये होंगे।
लता - हाँ करती हूँ। कई दिन हो गए
वर्षा - और सुनो थोड़ा सेक्सी पहन लो। बात तभी आगे बढ़ेगी। मैं कहूं तो अपनी साडी उतार देना सिर्फ ब्लॉउस और पेटीकोट में करो। और ब्लाउज के ऊपर के हुक खोल देना। एकदम मस्त रंडी लगोगी। पापा देख कर चढ़ जायेंगे।
लता – चुप, तेरे मन है तो बन जा बाप की रंडी।
कह कर लता चली गई। वर्षा मन ही मन सोचने लगी - अभी नहीं पर लगता है जल्दी ही पापा की रंडी बन जाउंगी। पर उससे पहले आपको चुदना होगा बुआ। ये सोचते सोचते वर्षा का हाथ खुद ही अपने चूत की तरफ बढ़ गया।

वर्षा से बात करने के बाद , लता अनुराग के कमरे में मालिश के लिए गई। अनुराग ने उसे तेल के सीसी के साथ देखा तो कहा - दीदी रहने दो। अब सब ठीक है। मालिश की जरूरत नहीं है।
लता - तुझे अगर अपनी जरूरतों का पता होता तो ख्याल रख लेता। पर तू खुद को ही इग्नोर करता है।
अनुराग लता की द्विअर्थी बात सुनकर बोलै - तुमलोग हो न ख्याल रखने को फिर किस बात की चिंता।
लता - कुछ ख्याल बीवियां ही रखती हैं। घर की बहन बेटी सब नहीं कर सकती।
अनुराग - हम्म

अनुराग कुर्सी पर लुंगी में बैठ गए। लता अपने पुराने अंदाज में साडी को घुटनो तक मोड़ कर और कमर में खोंस कर मालिश करने लगी। उसके गोरे गोरे पैर और ब्लाउज से झांकते मुम्मे देखते ही अनुराग को उसके फ़ोन वाली बात याद आ गई। उसका लंड अंगड़ाइयां लेने लगा। आज लता भी कुछ कदम आगे बढ़ने के मूड में थी। वर्षा से बात करने के बाद उसका मन पहले ही बहक चूका था। पैरों में तेल लगाते लगाते उसने जानबूझ कर थोड़ा सा तेल अपने साडी पर गिरा लिया।

साडी पर तेल गिरता देख अनुराग बोला - अरे देखो साडी खराब न हो जाये।
लता - ओह्ह , आज तो एक्स्ट्रा साडी लेकर भी नहीं आई।
लता जबकि अपने कुछ सेट कपडे हमेशा घर में रखती थी। हफ्ते में एक आध बार अपने यहाँ से बदल लेती थी। पर आज वो सफ़ेद झूठ बोल गई।
उसकी बात सुन अनुराग बोला - साडी उतार दो न , वार्ना खराब हो जाएगी।
लता - सही कहता है।

लता ने उसके सामने ही अपनी साडी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई। जैसे ही वो निचे दोबारा पैरों के पास बैठी , उसका ये रूप देख अनुराग की धड़कन तेज हो गई। उसका लंड लुंगी से बाहर आने को तैयार हो गया। अनुराग का मन कर रहा था बस अब अत को बिस्तर पर पटक कर पेल दे। पर वो ये सब कुछ नहीं कर सकता था। वो जानता था की ये सब होगा पर समय के साथ। लता चुदेगी जरूर और वो समय जल्दी ही आएगा।

लता के आधे से अधिक मुम्मे ब्लाउज से बाहर आ रहे थे। अनुराग लगातार उसके छाती की तरफ ही देख रहा था। उसकी नजरो की वजह से लता की धड़कन भी तेज थी। दो तीन बार लता की नजरों जब अनुराग की मजरों से मिली तो वो उसे अपनी छाती चुराती हुई पाई।
लता ने आखिरकार पूछ ही लिया - ऐसे क्या देख रहा है ?
अनुराग सकपका गया। उसने कहा - कुछ नहीं दीदी
लता - सब पता है।
अनुराग - हे हे हे हे , तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
लता - इससे पहले सुन्दर नहीं लगती थी क्या ?
अनुराग - ऐसा नहीं है , पर इस तरह से पहली बार देखा है न।
लता - पर तेरी सुलेखा से सुन्दर कोई नहीं हो सकता।
अनुराग सोच में पड़ गया। उसे सुलेखा और वर्षा दोनों की याद आ गई।
लता - सुन एक बात बता।
अनुराग - पूछो न दीदी
लता - तुमने उस दिन मेरी और वर्षा की बात सुन ली थी क्या ?
अनुराग अनजान बनते हुए पुछा - किस दिन ?
लता - अरे उसी दिन जिस दिन वर्षा रो पड़ी थी।
अनुराग - ओह्ह्ह , उस दिन।
फिर कुछ सोच कर बोला - हाँ थोड़ी थोड़ी बात सुनी थी।
लता - वो भी सुना था क्या ?
अनुराग - क्या ? क्या सुना था ?
लता उठ खड़ी हुई और अनुराग की पीछे आकर बोली - वो चुदाई वाली बात।
उसने हाथों में तेल लिया और कंधे पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
अनुराग - ओह्ह , हम्म सुना था। मुझे पता है आप दोनों गुस्से में ऐसे बात करने लगे थे। ऐसा हो थोड़े ही सकता है।
लता - क्या ?
अनुराग - वही की आप मुझे दे देंगी।
लता का हाथ काँप रहा था। उसने अनुराग के पीठ पर तेल लगाते हुए कहा - तू मांगेगा थोड़े ही।
अनुराग - हम्म्म
लता - तूने दूध वाली बात भी सुन ली थी ?
अनुराग - हाँ ,मुझे वैसे पहले ही पता चल गया था की वर्षा अपना दूध पीला रही है ।
चुदाई की बात फिर वर्षा के दूध की बात, ये सब सुन अनुराग का लंड एकदम तैयार था। अनुराग का हाथ बार बार वहीँ जा रहा था।
लता ये देख हँसते हुए बोली - देख तेरा हाथ काबू में नहीं है। शादी कर ले। बहन और बेटी को सोच कर मुठ नहीं मारना पड़ेगा।

लता ने अब मुठ मारने की बात भी कर ही दी थी।
अनुराग - तुम भी मुझे सोच तो ऊँगली करती हो। तुम्हारी तो शादी हो गई है।
लता अब शर्म से पानी पानी हो गई। उसने मालिश बंद कर दी और साडी पहनने लगी। अनुराग उठ गया। उसने लता का हाथ पकड़ लिया और कहा - मुझे माफ़ कर दो। प्लीज नाराज मत हो।
लता ने तुरंत उसे गले लगा लिया और कहा - अरे तुझसे नाराज नहीं हो सकती मैं। नाराज होती तो साडी उतार कर मालिश करती क्या ? बहुत प्यार करती हूँ। तुझे अकेला देख कर बहुत बुरा लगता है। तू शादी क्यों नहीं कर लेता ? कब तक तड़पेगा ?
अनुराग का लंड उसके चूतसे सटा हुआ था। उसके मुम्मे अनुराग की छाती पर दबाव बना रहे थे। धड़कने दोनों की तेज थी।
अनुराग - शादी कर लेता तो तुम मेरे पास आती ?क्या तुम मेरी मालिश करती ? वर्षा मेरे पास होती ? तुम सबका इतना प्यार मिलता ? मुझे ये प्यार नही बाटना है दीदी।
लता रोने लगी। बोली - तू पागल है।
अनुराग के आँखों में भी आंसू आ गए। बाहर वर्षा जो इस कमरे में कान लगाए बैठी थी , उसके आँखों में भी आंसू आ गए।
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद लता ने अपने चूत के आगे मडराते लंड को महसूस करके बोला - और तेरे छोटू का क्या ? देख कितना बेचैन है ?
अनुराग - जैसे मेरी मालिश करती हो उसकी भी कर दो।
वर्षा - धत्त।

अनुराग ने लता का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। लता ने भी लुंगी के अंदर हाथ डाल उसे पकड़ लिया। अनुराग ने लता को कंधे से पकड़ा और कमरे के दिवार से टिका दिया। उसने अपने होठ लता के होठ से सटा दिए। दोनों एक दुसरे को चूमने लगे। अनुराग ने अपने हाथ लता के मुम्मो पर रख दिया। लता का हाथ उसके लंड पर मुठी बांधे हुए था जिसमे अनुराग ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। अनुराग लता की चूत में तो नहीं पर उसके हाथ में ही धक्के लगाए जा रहा था। बाहर से लग रहा था जैसे वो लता को खड़े खड़े चोद रहा हो पर वो उसके हाथ चोद रहा था।
लता - तुमने पहले क्यों नहीं बताया , इतना प्यार करता है।
अनुराग - डरता था , कहीं नाराज न हो जाये।
लता - तू पागल है। पहले बता देता तो इतना नहीं तड़पना पड़ता।
अनुराग ने धक्के तेज कर दिए। कहा - अब बता दिया न।
लता - हाँ अब तो तेरा ख्याल रखने को मैं भी हूँ और वर्षा भी। वो बेचारी तो खुद ही तड़प रही है। बहुत प्यासी है।
अनुराग वर्षा के नाम को सुन कर तेज धक्के लगाने लगा। बोला - पता है। उसकी भी तड़प दूर कर दूंगा।
लता - आह हां। पेल दो सुलेखा समझ उसे पेल दो।
अनुराग - दीदी दीदी , आह सुलेखा तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी अब मैं वर्षा, रूबी , नैना और तृप्ति सबको पेल दूंगा। आह आह आह। मैं गयाआआ।

अनुराग झटके लेने लगा और उसके के लंड ने कई पिचकारी की धार लता के पेटीकोट पर मार दी। लता कहाँ साडी बचाने चली थी उसका तो पेटीकोट ही ख़राब हो गया। उसके हाथ में भी ांरग का वीर्य लग गया। वर्षा ने अपने हाथ पर लगे वीर्य को देखा और फिर चाट लिया।
अनुराग - सॉरी।
लता - किस लिए ?
अनुराग - सबके नाम लेने के लिए।
दरअसल अनुराग को सुलेखा के आखिरी समय की बातें याद आ गई थी और उसी रो में वो सबको पेलने की बात कर गया। लता को ये सब पता नहीं था। उसने हँसते हुए कहा - होता है। तेरे जीजा तो मुझे चोदते समय ना जाने किसका किसका नाम लेते हैं।
अनुराग - इन सबका भी ?
लता - ये तो कॉमन नाम है। उनका बस चले तो काम वालियों से लेकर मोहल्ले की हर औरत को पेल दे।
लता फिर बोली - चल आज तो पुरे बदन की मालिश हो गई। तेरे छोटे की भी। जा नहा ले। और सुन अब मुठ मारने की जरूरत नहीं है न ?
अनुराग - नहीं , मुझे तो नहीं है। तुम तो ऊँगली करोगी ?
लता - पागल है क्या ? मेरी चूत तो कब का बाह चुकी है। कपडे बदलने पड़ेंगे बस।
अनुराग - तुम्हारे पास हैं ? नहीं तो सुलेखा की पहन लेना।
लता - तू बुद्धू है। मेरे कई जोड़ी कपडे यहाँ होते हैं। हाहाहाहाहा
अनुराग को अब समझ आया।
लता बाहर आई तो वर्षा वहीँ कोने में खड़ी थी। लता - देख लिया ? खुश ? यही चाहती थी न ?
वर्षा - आप बड़ी बड़ी रंडी हो।
लता - तुझसे कम । चल खाने की तैयारी कर। भाई को पौष्टिक खिलाना होगा।
वर्षा - देती तो हूँ रोज अपना पौष्टिक दूध। नीचे का माल भी देना होगा क्या ?
लता - दे दे तो हरा हो जायेगा मेरा भाई।
वर्षा - मेरा तो पता नहीं पर जल्दी ही आप हरा कर दोगी उन्हे।

लता बाथरूम में चली गई। वर्षा किचन में जाकर सोचने लगी। अब उसके लिए भी रास्ता खुल गया है। उसे ये सुन आश्चर्य हुआ की उसके पापा न सिर्फ उसे बल्कि परिवार की हर औरत को चोदने को तैयार थे। उसे ये खबर नैना को देनी थी। सबसे बड़ी ख़ुशी तो उसके लिए थी।
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अनुराग को आज जाकर एहसास हुआ कि वर्षा कितनी प्यासी है। वो आश्चर्य कर रहे थे कि इतनी सुन्दर लड़की से कोई कैसे दूर रह सकता है। प्रेग्नेंसी के समय थोड़ी दूरी बनती है पर बच्चा होने के बाद जब औरत का शरीर भरता है तो सेक्स करने में और मजा आता है पर कैसे वर्षा का पति उसे इग्नोर कर रहा है। सच में भंडुआ ही होगा। हो सकता है किसी के साथ अफेयर भी हो। पर वर्षा ने अफेयर कि बात नहीं की।

अनुराग को अपना वक़्त याद आया , उसका प्यार सुलेखा के लिए कभी ख़त्म नहीं हुआ। दोनों पति पत्नी आपस में एक्सपेरिमेंट भी करते थे। दोनों सेक्स के लिए हमेशा भूखे रहते थे। बाहर भले ही डेसेन्ट कपल की तरह हों पर सेक्स के समय कोई पर्दा नहीं होता था। रोल प्ले से लेकर गाली गलौच सब चलता था। हर तरह के ऊट पटांग आसन तक ट्राई करते थे। पर सब आपस में। उनके बीच कभी शारीरिक रूप से कोई दूसरा शामिल नहीं हुआ बातों में भले ही पुरे मोहल्ले भर को चोद लिया हो। एक अपवाद थी वो थी नैना। नैना ही थी जो उनका हर राज जानती थी। वो उन दोनों के बीच किसी न किसी रूप में मौजूद रहती थी पर उन्होंने खुद उसके साथ कभी सम्बन्ध नहीं बनाया। पर वो सुलेखा की जान थी।

उधर लता को आज अफ़सोस हो रहा था की बातों बातों में क्या बोल गई। उसे पता था की वर्षा दुखी है पर इतनी दुखी होगी पता नहीं था। वो चाहती थी की जाकर खुद ही दोनों से माफ़ी मांगे पर तबियत से लाचार थी। डॉक्टर ने पांच दिन का आराम बोला था।

लता और वर्षा के फ़ोन बात चीत के बाद वर्षा अब अनुराग से थोड़ा संकोच करने लगी थी। उसे अंदाजा नहीं था मजाक इस हद तक आगे बढ़ जायेगा। अनुराग ने भी रात को वर्षा के दूध निकलते समय झांकना बंद कर दिया था। अगले दिन वर्षा जब मालिश के लिए आई तो अनुराग ने मना कर दिया । वर्षा ने भी ज्यादा जिद्द नहीं की।

पर जब आग बिलकुल जड़ तक लगी हो तो ऊपर से सिर्फ बुझा हुआ दीखता है। मौका पाकर लपटें फिर से निकल आती हैं। तो ये आग कितने दिनों तक दबती। दो दिन ऐसे ही चला, तीसरे दिन अनुराग नाश्ते के बाद जैसे ही उठे, लड़खड़ा गए। अनुराग ने अपने आपको संभाल लिया। कोई ख़ास बात नहीं थी। पर इस छोटी सी बात ने वर्षा को अपनी गलती का एहसास करा दिया। उसके मन में गिल्ट फीलिंग आने लगी।
उसने तुरंत अनुराग से कहा - आप कमरे में चलिए मैं मालिश करती हूँ। छोड़नी नहीं चाहिए थी। आई एम् सॉरी।
अनुराग - अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वो तो बस थोड़ा बैलेंस बिगड़ गया था।
वर्षा ने मूड हल्का करने के लिए कहा - अब देखिये आपकी सेक्सी बहन तो बीमार है। जब तक वो ठीक नहीं होती मुझे से काम चला लीजिये।
अनुराग भी वर्षा की मालिश को मिस कर रहे थे। दोनों ने एक दुसरे को व्यक्त करने से रोका था पर अंदर के विचार तो गए नहीं थे।
उन्होंने भी उसी रो में जवाब दिया - तू भी कम थोड़े ही है।
वर्षा - अच्छा। मुझे लगा नहीं। वार्ना आप मन क्यों करते।
अनुराग - हम्म।

उस दिन वर्षा ने उसी अदा से मालिश की और अनुराग ने भी पुआ मजा लिया। दोनों की जिंदगी फिर से वापस उसी अंदाज में चलने लगी।

इस बीच में वो लता से मिलने भी गए। लता वर्षा को नार्मल देख काफी खुश थी। दोनों ने लता और उसके परिवार के सामने एकदम बाप बेटी जैसा व्यवहार ही दिखाया। पर लता और नैना जानते थी कि दोनों के बीच में क्या चल रहा है। लता ने कहा दो तीन बाद वो फिर से वर्षा की मदद करने के लायक हो जाएगी।

पांच दिन बाद लता की तबियत जब ठीक हुई तो उसने सुबह ही वर्षा को फ़ोन कर दिया कि वो आज आएगी। वर्षा थोड़ी निराश हो गई। वैसे तो उसे खुश होना चाहिए था पर वो दुखी हो गई।
अनुराग ने फ़ोन काटने के बाद पुछा - किसका फ़ोन था ?
वर्षा - आपकी मालिश वाली आ रही है , वापस मजे देने को।
अनुराग समझ गए वर्षा खुश नहीं है। उन दोनों का खेल बिगड़ने वाला था। वर्षा लगभग रोज उसे उल्टा लिटा कर उसका पानी निकाल देती थी। लता तो शायद ना करे।
वर्षा को मनाने को वो बोल पड़े - अब तो तेरा हाथ न लगे तो लड़खड़ा जाता हूँ। सुलेखा की रात वाली मालिश के बाद नींद अच्छी आती थी।
वर्षा समझ गई। वो अनुराग के गले लग गई। उसने उनके कान में धीरे से कहा - चिंता ना करिया। मैं भी आपको और आपके नन्हे को अच्छी नींद दिलाऊंगी।
अनुराग - पर तेरी मालिश के बाद तो वो जग जाता है।
वर्षा - पर सुलाती भी तो हूँ अंत में।
अनुराग - तेरी बुआ तो न सुला पाएंगी।
वर्षा - बोल कर देखिएगा। भाई का पूरा ख्याल रखती हैं। सुना नहीं चुदने तक को तैयार हैं।

वर्षा चुदाई शब्द फिर से बोल गई थी। उसे जैसा ये रेयलिएज हुआ वो शर्मा गई। वो भाग कर कमरे में चली गई।

कुछ एक घंटे बाद लता आ गई। लता को देखते ही अनुराग को वर्षा की बात याद आ गई। उसने लता को देखा तो सोचने लगा - क्या सच में लता चुद जाएगी।
तीनो ने नाश्ता वगैरह किया। नाश्ते के बाद अनुराग अपने कमरे में चले गए। लता वर्षा से उस दिन के बारे में बात करने लगी।
लता - सॉरी वर्षा , उस दिन फ़ोन पर कुछ ज्यादा ही बोल गई।
वर्षा - अरे बुआ , कैसी बात करती हैं आप ? गलती मेरी है मैंने छेड़ दिया था आपको।
लता - हम्म पर ये बता तू सच में अलग कमरे में ही बात कर रही थी न ? मैंने बड़ा ही उटपटांग बोलै था उस दिन।
वर्षा - हीहीहीहीहीहीहीही। आप तो चुदने तक को तैयार हैं पापा से।
लता ने वर्षा के कंधे पर एक थप्पड़ सा मरते हुए कहा - चुप बहुत बोलती है। वो तो मैं उस दिन जोश जोश में बोल गई थी।
वर्षा - जोश जोश में दिल की बात बाहर आ गई।
लता - चुप। पर भाई भी अकेला है न। कितनी बार तो बोला शादी कर ले , उम्र ही क्या है पर मानता ही नहीं। और तो और कहीं बाहर जाकर मजे भी नही लेता ल वरना यहाँ तो शादी शुदा बाहर मुँह मारते हैं।
वर्षा - वो तो है।
लता - तू ही क्यों नहीं हेल्प कर देती। तू भी तो प्यासी है।
वर्षा - बूआआ
लता - सोच ले। वैसे भी उस दिन सब सुन लिया था अनु ने। उसे भी पता है तू कितनी प्यासी है।
वर्षा - उन्हें ये भी पता है तुम भी चुद जाओगी अगर वो चोदे तो।
लता - तू तो कह रही थी वि हमारी बातें नहीं सुन रहा था।
वर्षा - मैं अपने कमरे में बात कर रही थी। अब वो बाहर से सुन रहे हों तो क्या मालूम। सुना तो होगा ही तभी मेरे रोने पर तुरंत आ गए थे।
लता सोचने लगी। बोली - तूने फंसा दिया। अब क्या मुँह लेकर जाउंगी उसके सामने।
वर्षा - मुँह नहीं दूध लेकर जाना। अभी जो थोड़ा ढका थोड़ा खुला दिखाती हो वो खोल कर दिखा देना।
लता - चुप , अरे उस दिन तो मैंने तेरे दूध वाली बात भी बोल दी थी। वो भी पता चल गया होगा उसे तो।
वर्षा - हो सकता है।
लता - उसने कुछ कहा नहीं तुम्हे ?
वर्षा - कुछ कहा तो नहीं पर अब मेरे दूध की तरफ देखने लगे हैं कभी कभी।

वर्षा ने ये हिंट दे दिया था क्योंकि वो कुछ हो जाने पर लता को सरप्राइज नहीं देना चाहती थी। और उसे लता को भी तैयार करना था। एक बार लता जब अपने भाई के खुदसे और भतीजी से सम्बन्ध पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं करती तो अनुराग और नैना के संबंधों पर भी ऑब्जेक्शन नहीं करेगी। पर नैना के लिए लता नहीं अनुराग ही समस्या थे। वो ही नहीं मान रहे थे। पर शायद इस सम्बन्ध के बाद वो मान जाए। इस लिए वर्षा ने डिसाइड किया जितनी जल्दी लता और वो अनुराग से चुद जाएगी उतनी ही जल्दी अनुराग नैना के प्यार को भी स्वीकार कर लेंगे। आखिर इतने सालों से नैना इंतजार जो कर रही है।

वर्षा यही सब सोच रही थी तो लता बोली - कहा खो गई ? कहीं सपने में बाप के गॉड में झूला तो नहीं झूलने लगी ?
वर्षा - मैं तो नहीं पर आप जाओ जल्दी से पापा की मालिश कर दो। वो आपके सपनो में जरूर खोये होंगे।
लता - हाँ करती हूँ। कई दिन हो गए
वर्षा - और सुनो थोड़ा सेक्सी पहन लो। बात तभी आगे बढ़ेगी। मैं कहूं तो अपनी साडी उतार देना सिर्फ ब्लॉउस और पेटीकोट में करो। और ब्लाउज के ऊपर के हुक खोल देना। एकदम मस्त रंडी लगोगी। पापा देख कर चढ़ जायेंगे।
लता – चुप, तेरे मन है तो बन जा बाप की रंडी।
कह कर लता चली गई। वर्षा मन ही मन सोचने लगी - अभी नहीं पर लगता है जल्दी ही पापा की रंडी बन जाउंगी। पर उससे पहले आपको चुदना होगा बुआ। ये सोचते सोचते वर्षा का हाथ खुद ही अपने चूत की तरफ बढ़ गया।

वर्षा से बात करने के बाद , लता अनुराग के कमरे में मालिश के लिए गई। अनुराग ने उसे तेल के सीसी के साथ देखा तो कहा - दीदी रहने दो। अब सब ठीक है। मालिश की जरूरत नहीं है।
लता - तुझे अगर अपनी जरूरतों का पता होता तो ख्याल रख लेता। पर तू खुद को ही इग्नोर करता है।
अनुराग लता की द्विअर्थी बात सुनकर बोलै - तुमलोग हो न ख्याल रखने को फिर किस बात की चिंता।
लता - कुछ ख्याल बीवियां ही रखती हैं। घर की बहन बेटी सब नहीं कर सकती।
अनुराग - हम्म

अनुराग कुर्सी पर लुंगी में बैठ गए। लता अपने पुराने अंदाज में साडी को घुटनो तक मोड़ कर और कमर में खोंस कर मालिश करने लगी। उसके गोरे गोरे पैर और ब्लाउज से झांकते मुम्मे देखते ही अनुराग को उसके फ़ोन वाली बात याद आ गई। उसका लंड अंगड़ाइयां लेने लगा। आज लता भी कुछ कदम आगे बढ़ने के मूड में थी। वर्षा से बात करने के बाद उसका मन पहले ही बहक चूका था। पैरों में तेल लगाते लगाते उसने जानबूझ कर थोड़ा सा तेल अपने साडी पर गिरा लिया।

साडी पर तेल गिरता देख अनुराग बोला - अरे देखो साडी खराब न हो जाये।
लता - ओह्ह , आज तो एक्स्ट्रा साडी लेकर भी नहीं आई।
लता जबकि अपने कुछ सेट कपडे हमेशा घर में रखती थी। हफ्ते में एक आध बार अपने यहाँ से बदल लेती थी। पर आज वो सफ़ेद झूठ बोल गई।
उसकी बात सुन अनुराग बोला - साडी उतार दो न , वार्ना खराब हो जाएगी।
लता - सही कहता है।

लता ने उसके सामने ही अपनी साडी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई। जैसे ही वो निचे दोबारा पैरों के पास बैठी , उसका ये रूप देख अनुराग की धड़कन तेज हो गई। उसका लंड लुंगी से बाहर आने को तैयार हो गया। अनुराग का मन कर रहा था बस अब अत को बिस्तर पर पटक कर पेल दे। पर वो ये सब कुछ नहीं कर सकता था। वो जानता था की ये सब होगा पर समय के साथ। लता चुदेगी जरूर और वो समय जल्दी ही आएगा।

लता के आधे से अधिक मुम्मे ब्लाउज से बाहर आ रहे थे। अनुराग लगातार उसके छाती की तरफ ही देख रहा था। उसकी नजरो की वजह से लता की धड़कन भी तेज थी। दो तीन बार लता की नजरों जब अनुराग की मजरों से मिली तो वो उसे अपनी छाती चुराती हुई पाई।
लता ने आखिरकार पूछ ही लिया - ऐसे क्या देख रहा है ?
अनुराग सकपका गया। उसने कहा - कुछ नहीं दीदी
लता - सब पता है।
अनुराग - हे हे हे हे , तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
लता - इससे पहले सुन्दर नहीं लगती थी क्या ?
अनुराग - ऐसा नहीं है , पर इस तरह से पहली बार देखा है न।
लता - पर तेरी सुलेखा से सुन्दर कोई नहीं हो सकता।
अनुराग सोच में पड़ गया। उसे सुलेखा और वर्षा दोनों की याद आ गई।
लता - सुन एक बात बता।
अनुराग - पूछो न दीदी
लता - तुमने उस दिन मेरी और वर्षा की बात सुन ली थी क्या ?
अनुराग अनजान बनते हुए पुछा - किस दिन ?
लता - अरे उसी दिन जिस दिन वर्षा रो पड़ी थी।
अनुराग - ओह्ह्ह , उस दिन।
फिर कुछ सोच कर बोला - हाँ थोड़ी थोड़ी बात सुनी थी।
लता - वो भी सुना था क्या ?
अनुराग - क्या ? क्या सुना था ?
लता उठ खड़ी हुई और अनुराग की पीछे आकर बोली - वो चुदाई वाली बात।
उसने हाथों में तेल लिया और कंधे पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
अनुराग - ओह्ह , हम्म सुना था। मुझे पता है आप दोनों गुस्से में ऐसे बात करने लगे थे। ऐसा हो थोड़े ही सकता है।
लता - क्या ?
अनुराग - वही की आप मुझे दे देंगी।
लता का हाथ काँप रहा था। उसने अनुराग के पीठ पर तेल लगाते हुए कहा - तू मांगेगा थोड़े ही।
अनुराग - हम्म्म
लता - तूने दूध वाली बात भी सुन ली थी ?
अनुराग - हाँ ,मुझे वैसे पहले ही पता चल गया था की वर्षा अपना दूध पीला रही है ।
चुदाई की बात फिर वर्षा के दूध की बात, ये सब सुन अनुराग का लंड एकदम तैयार था। अनुराग का हाथ बार बार वहीँ जा रहा था।
लता ये देख हँसते हुए बोली - देख तेरा हाथ काबू में नहीं है। शादी कर ले। बहन और बेटी को सोच कर मुठ नहीं मारना पड़ेगा।

लता ने अब मुठ मारने की बात भी कर ही दी थी।
अनुराग - तुम भी मुझे सोच तो ऊँगली करती हो। तुम्हारी तो शादी हो गई है।
लता अब शर्म से पानी पानी हो गई। उसने मालिश बंद कर दी और साडी पहनने लगी। अनुराग उठ गया। उसने लता का हाथ पकड़ लिया और कहा - मुझे माफ़ कर दो। प्लीज नाराज मत हो।
लता ने तुरंत उसे गले लगा लिया और कहा - अरे तुझसे नाराज नहीं हो सकती मैं। नाराज होती तो साडी उतार कर मालिश करती क्या ? बहुत प्यार करती हूँ। तुझे अकेला देख कर बहुत बुरा लगता है। तू शादी क्यों नहीं कर लेता ? कब तक तड़पेगा ?
अनुराग का लंड उसके चूतसे सटा हुआ था। उसके मुम्मे अनुराग की छाती पर दबाव बना रहे थे। धड़कने दोनों की तेज थी।
अनुराग - शादी कर लेता तो तुम मेरे पास आती ?क्या तुम मेरी मालिश करती ? वर्षा मेरे पास होती ? तुम सबका इतना प्यार मिलता ? मुझे ये प्यार नही बाटना है दीदी।
लता रोने लगी। बोली - तू पागल है।
अनुराग के आँखों में भी आंसू आ गए। बाहर वर्षा जो इस कमरे में कान लगाए बैठी थी , उसके आँखों में भी आंसू आ गए।
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद लता ने अपने चूत के आगे मडराते लंड को महसूस करके बोला - और तेरे छोटू का क्या ? देख कितना बेचैन है ?
अनुराग - जैसे मेरी मालिश करती हो उसकी भी कर दो।
वर्षा - धत्त।

अनुराग ने लता का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। लता ने भी लुंगी के अंदर हाथ डाल उसे पकड़ लिया। अनुराग ने लता को कंधे से पकड़ा और कमरे के दिवार से टिका दिया। उसने अपने होठ लता के होठ से सटा दिए। दोनों एक दुसरे को चूमने लगे। अनुराग ने अपने हाथ लता के मुम्मो पर रख दिया। लता का हाथ उसके लंड पर मुठी बांधे हुए था जिसमे अनुराग ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। अनुराग लता की चूत में तो नहीं पर उसके हाथ में ही धक्के लगाए जा रहा था। बाहर से लग रहा था जैसे वो लता को खड़े खड़े चोद रहा हो पर वो उसके हाथ चोद रहा था।
लता - तुमने पहले क्यों नहीं बताया , इतना प्यार करता है।
अनुराग - डरता था , कहीं नाराज न हो जाये।
लता - तू पागल है। पहले बता देता तो इतना नहीं तड़पना पड़ता।
अनुराग ने धक्के तेज कर दिए। कहा - अब बता दिया न।
लता - हाँ अब तो तेरा ख्याल रखने को मैं भी हूँ और वर्षा भी। वो बेचारी तो खुद ही तड़प रही है। बहुत प्यासी है।
अनुराग वर्षा के नाम को सुन कर तेज धक्के लगाने लगा। बोला - पता है। उसकी भी तड़प दूर कर दूंगा।
लता - आह हां। पेल दो सुलेखा समझ उसे पेल दो।
अनुराग - दीदी दीदी , आह सुलेखा तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी अब मैं वर्षा, रूबी , नैना और तृप्ति सबको पेल दूंगा। आह आह आह। मैं गयाआआ।

अनुराग झटके लेने लगा और उसके के लंड ने कई पिचकारी की धार लता के पेटीकोट पर मार दी। लता कहाँ साडी बचाने चली थी उसका तो पेटीकोट ही ख़राब हो गया। उसके हाथ में भी ांरग का वीर्य लग गया। वर्षा ने अपने हाथ पर लगे वीर्य को देखा और फिर चाट लिया।
अनुराग - सॉरी।
लता - किस लिए ?
अनुराग - सबके नाम लेने के लिए।
दरअसल अनुराग को सुलेखा के आखिरी समय की बातें याद आ गई थी और उसी रो में वो सबको पेलने की बात कर गया। लता को ये सब पता नहीं था। उसने हँसते हुए कहा - होता है। तेरे जीजा तो मुझे चोदते समय ना जाने किसका किसका नाम लेते हैं।
अनुराग - इन सबका भी ?
लता - ये तो कॉमन नाम है। उनका बस चले तो काम वालियों से लेकर मोहल्ले की हर औरत को पेल दे।
लता फिर बोली - चल आज तो पुरे बदन की मालिश हो गई। तेरे छोटे की भी। जा नहा ले। और सुन अब मुठ मारने की जरूरत नहीं है न ?
अनुराग - नहीं , मुझे तो नहीं है। तुम तो ऊँगली करोगी ?
लता - पागल है क्या ? मेरी चूत तो कब का बाह चुकी है। कपडे बदलने पड़ेंगे बस।
अनुराग - तुम्हारे पास हैं ? नहीं तो सुलेखा की पहन लेना।
लता - तू बुद्धू है। मेरे कई जोड़ी कपडे यहाँ होते हैं। हाहाहाहाहा
अनुराग को अब समझ आया।
लता बाहर आई तो वर्षा वहीँ कोने में खड़ी थी। लता - देख लिया ? खुश ? यही चाहती थी न ?
वर्षा - आप बड़ी बड़ी रंडी हो।
लता - तुझसे कम । चल खाने की तैयारी कर। भाई को पौष्टिक खिलाना होगा।
वर्षा - देती तो हूँ रोज अपना पौष्टिक दूध। नीचे का माल भी देना होगा क्या ?
लता - दे दे तो हरा हो जायेगा मेरा भाई।
वर्षा - मेरा तो पता नहीं पर जल्दी ही आप हरा कर दोगी उन्हे।

लता बाथरूम में चली गई। वर्षा किचन में जाकर सोचने लगी। अब उसके लिए भी रास्ता खुल गया है। उसे ये सुन आश्चर्य हुआ की उसके पापा न सिर्फ उसे बल्कि परिवार की हर औरत को चोदने को तैयार थे। उसे ये खबर नैना को देनी थी। सबसे बड़ी ख़ुशी तो उसके लिए थी।
बहुत सुंदर
 
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