Shailakhan
Member
- 109
- 75
- 28
zabardast aur jackass update! bahut hi mast aur behad hi kamuk writings!
Thank Youekdom superb! jabardast aur bahut badiya update. bahut hi mast tharika se likha is kahyaani aapne yaar.![]()
Thank Youzabardast aur jackass update! bahut hi mast aur behad hi kamuk writings!
Thank You. Happy that you are liking the story.Lovely update! Lusty writings! Sweet and cute narrations!!!
Oooo Bhai kya superb story hai mast maza aagayaदरवाजा खोला तो सामने वर्षा के साथ नैना भी थी। नैना बोली - माँ कहाँ हैं ?
अनुराग - कपडे धो रही है।
दोनों अंदर आईं। वर्षा के हाथ में सामान का बैग था वो लेकर कमरे में चली गई। अनुराग वर्षा के बेटे के साथ खेलने लगा। नैना को प्यास लगी थ। अंदर आते ही सीधे किचन में गई। उसने फैज का दरवाजा खोला और वहीँ खड़े होकर बोतल से पानी पीने लगी। तभी उसकी नजर साइड में पड़े ब्रा पर गई। वो झुक कर उसे उठा लेती है। माँ के ब्रा उसके पहचान में आ गई। उसने धीरे से वो ब्रा अपने जीन्स की जेब में डाल लिया और मुश्कुराते हुए कमरे में आ जाती है। तब तक वर्षा भी आ चुकी थी। नैना और अनुराग बातें करने लगते हैं और वर्षा किचन की तरफ बढ़ जाती है। वहां पहुँच कर उसने देखा - खाना तो कुछ बना ही नहीं था। आटा गुथा था पर सिर्फ दो तीन रोटियां सिन्की हुई थी। गैस पर सब्जी भी आधी पकी हुई रखी थी। पहले तो उसे समझ नहीं आया। फिर उसके पैर पर कुछ चिपचिपा सा लगा तो झुक कर ऊँगली से टच करके देखा तो उसे पूरा माजरा समझ आ गया।
उसने नैना को बुलाया - बोली, लगता है आज किचन में घमासान हुआ है।
नैना ने जेब से माँ की ब्रा निकाल कर दिखाई और बोली - हुआ तो है।
वर्षा - अरे ये कहा मिला ?
नैना - फ्रिज के बगल में था। लगता है जल्दीबाजी में माँ भूल गई।
वर्षा - क्या करेगी इसका?
नैना - ये मेरे लिए हथियार है। घर जाकर उनकी हवा टाइट करुँगी।
वर्षा - पर आज तेरी अम्मा लगता है मेरे पापा के हथियार से खेल गई।
दोनों वही बातें कर रही थी की लता आ गई। बोली - अरे तुम दोनों किचन में क्या कर रहे हो ?
नैना ने ब्रा वापस जेब में डाल लिया और बोली - यहाँ कुछ खुशबु आ रही थी , देख रहे थे आज पका क्या है ?
वर्षा - पर बुआ , सब्जी अधूरी पकी हुई छोड़ कर कुछ और ही पकाया क्या ?
लता सकपका गई, बोली - अरे मुझे टॉयलेट आ गई थी तो जल्दी भागना पड़ा। आधे में बंद कर दिया।
वर्षा - पापा तो कह रहे थे आप कपडे धो रही हो। और टॉयलेट में कोई इतना देर भी करता है क्या ?
लता - चुप करो। मेरी मर्जी मैं कुछ भी करूँ।
वर्षा - हाँ, आपके भाई हैं , आपकी मर्जी उनके साथ कुछ भी करो हमें उससे क्या। क्यों नैना ?
नैना - सही बात। चलो, सोचा था खाना तैयार मिलेगा। अब टाइम लगेगा।
लता - चलो बैठो तुम दोनों मैं जल्दी से करती हूँ।
वर्षा - नैना तू चल बैठ मैं मदद कर देती हूँ।
नैना सोफे पर जाकर अनुराग के पास बैठ गई।
वर्षा लता से - बुआ कम से कम पोछा तो कर देती। पूरा फर्श आप दोनों के माल से चिपचिपा रहा है।
लता - तू जो सोच रही है , वैसा कुछ भी नहीं हुआ है ?
वर्षा ने अपने ऊँगली पर लगे अनुराग और लता के काम रस को लता के गाल से टच कराया और बोली - ये क्या है ?
लता धीरे से - वो वो बस तेरे जाने के बाद वो अनुराग ने यहीं अपना माल निकाल दिया ?
वर्षा - यहाँ , लगता है पापा ने माँ के साथ की याद आपके साथ मिलकर ताजा कर ली।
लता - बोला न जो तू सच रही है वैसा कुछ भी नहीं हुआ है। बस वो यहाँ मेरे गांड पर रगड़ कर अपना माल निकाल लिया।
लता ने इस तरह बोला था जिसे देख वर्षा को हंसी आ गई। बोली - हीहीहीहीहीही ,किचन में गांड मरवा ली आपने। चूत से पहले गांड दे दी।
लता ने उसके पीठ पर एक धौल मारा और खुद भी हँसते हुए कहा - सफाई नहीं दूंगी तुझे। तेरे मन करे तो तू भी गांड मरवा ले। तेरी भी मस्त गांड है एकदम सुलेखा जैसी। और माल निकलते वक़्त तुम सबका नाम लेकर माल निकाला है। तू अपनी देख कितने दिन बचेगी।
वर्षा - जब बहन भाई को बहनचोद बना रही है तो मैं बेटीचोद भी बनवा दूंगी।
लता - पर अभी खाना बना। भूख लगी है।
वर्षा - इतनी मेहनत के बाद भूख तो लगेगी ही।
उधर अनुराग ने भी आवाज दी - भाई और कितनी देर लगेगी। पेट में चूहे कूद रहे हैं।
वर्षा - अजगर लुंगी में लेकर सबको डस रहे हैं और पेट चूहे कूदा रहे हैं।
ये सुन लता भी हंसने लगी।
उधर नैना और अनुराग टीवी देखते हुए बातें कर रहे थे।
नैना - अभी तबियत कैसी रह रही है ?
अनुराग - ठीक है। अब तो काफी सुधार है। सब तेरे गाइडेंस की वजह से है।
नैना - गाइडेंस मेरा है पर इनाम आप मेरी माँ को दे रहे हैं ?
अनुराग - क्या मतलब ?
नैना - इतने भी भोले मत बनिए। सब पता है मुझे। आपको मेरा थोड़ा भी ख्याल नहीं है। आपकी सारी शर्तें मेरे साथ हैं पर बहन और बेटी के साथ मजे करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है।
अनुराग को पता था की यहाँ की बातें नैना को और वर्षा को पता है। शायद तृप्ति को भी। वो अपने सोफे उठकर बड़े सोफे पर चला गया जहाँ नैना वर्षा के बेटे के साथ खेल भी रही थी। अनुराग को बिलकुल पास देख नैना के दिल की धड़कन तेज हो गई। अनुराग ने किचन की तरफ देखा वर्षा और लता बीजी थे। अनुराग ने नैना का हाथ अपने हाथ में ले लिया और पुछा - तू क्या चाहती है ?
नैना - वही जो मामी ने आपसे कहा था। मेरा हक़ जो उन्होंने आपसे देने को कहा था।
अनुराग - तुझे पता है बचपन से कभी भी तेरी तरफ मैंने गलत निगाहों से नहीं देखा। तुझे वर्षा और रूबी जैसा ही माना है।
नैना ने अनुराग के आँखों में आँख डाल कर देखते हुए कहा - अगर वर्षा दी जैसे माना है उनके जैसा प्यार देंगे ?
अनुराग दो पल के लिए खामोश हो गए। फिर बोले - तू बचपन से जिद्दी है। सारे बच्चे मुझसे डरते थे पर एक तू ही थी जिसे डर नहीं लगता था।
नैना - वो हक़ था जो मामी ने मुझे शुरू से दिया है। मैं स्पेशल थी। स्पेशल ही रहूंगी। अब देखना ये है की आप कब स्वीकार करते हैं
अनुराग - मुझे पता है। तू मेरे लिए भी स्पेशल है।
नैना - फिर क्या दिक्कत है
अनुराग - कोई दिक्कत नहीं है। बस समझ नहीं आ रहा है।
नैना - जब समझ नहीं आये तो सब समय पर छोड़ देना चाहिए। जैसे मैंने छोड़ा हुआ है।
अनुराग ने नैना के हाथ को उठाया और उसे चूमते हुए कहा - जो हुकुम मालकिन ?
नैना ने भी अनुराह के हाथो को चूमते हुए कहा - ऐसा मत कहिये। मेरे मालिक आप हैं।
अनुराग - पर मेरी मालकिन तो सुलेखा थी। अगर उसकी इक्छा के हिसाब से चलें तो मालकिन हुई न तुम।
नैना ने किचन की तरफ देखा वर्षा और लता अब भी बीजी थे।
नैना ने अनुराग के गाल पर एक पप्पी दे दी और कहा - आई लव यू।
अनुराग ने भी पलट कर नैना के गाल पर एक किस दे दिया और कहा - आई लव यू टू।
उन दोनों की किस देख वर्षा के बेटा बोल पड़ा - मुझे पप्पी कौन देगा।
ये सुन दोनों घबरा से गए। हैं लता सुन न ले। नैना ने उसे गोद में उठा लिया और उसके एक गाल पर किस कर दिया। अनुराग ने भी झुक कर उसके दुसरे गाल पर किस कर दिया। तभी लता पलट गई। उसने कहा - ये मामा भांजी दोनों को बेटू पर बड़ा प्यार आ रहा है।
वर्षा भी ये सुन पलट गई। उसने नैना और अनुराग को एक साथ देखा तो समझ गई कुछ हुआ है।
लता को वहां जाने से रोकने के लिए उसने कहा - अब मेरे बेटा इतना प्यारा है। सब प्यार ही करेंगे। पर आप जरा जल्दी सलाद काट दो। भूख सच में लगी है। मैं पानी वानी रखती हूँ। वर्षा ने नैना से कहा - तू भी कुछ मदद करेगी डॉक्टरनी या सब हमी करेंगे। पापा जल्दी हाथ मुँह धो आइये खाना निकलने वाला है।
वर्षा ने कुछ ही पल में स्थिति संभल लिया था।
खाना पीना होने के बाद कुछ देर तक बातें हुई फिर नैना लता को भी लेकर घर की तरफ चल पड़ी । जाते जाते नैना वर्षा के कान में कह गई - आज की रात तुझे मजा आएगा। वर्षा मन ही मन सोच रही थी - आजकल रात मालिश के वक़्त तो ऐसे ही मजा आता है। अब उससे आगे बढ़ने की हिम्मत अभी उसमे नहीं आई थी। पर उसके मन में ये उधेड़बुन चल रही थी की सच में उसके पापा ने लता की गांड मार ली है , या फिर चूत ली है या जैसा की बुआ कह रही थी सिर्फ गांड में घिस्सा मारा है। उसने ये सोच लिया था की आज मालिश के वक़्त अपने बाप के मुँह से ये निकलवा ही लेगी।
उधर नैना ने गाडी चलाते वक़्त लता से कहा - आजकल मामा के घर क्या चल रहा है ?
लता - क्या चल रहा है इस बात का क्या मतलब ?
नैना - मुझे सब पता है।
लता - क्या पता है ?
नैना - इतनी भोली न बनो।
नैना ने गाडी साइड में लगा लिया और अपने पेंट के जेब से लता की ब्रा निकल ली और उसके हाथ में थमाते हुए कहा - ये क्या है ?
लता ये देख सन्न रह गई। उसका माथा घूम गया। उसे समझ नहीं आया की नैना के हाथ में ये कैसे लगा। उसने कहाँ छोड़ दिया था उसे। तभी उसे ख्याल आया की ये तो फ्रिज के बगल में ही रह गया था। पर नैना की नजर उस पर कैसे पड़ी।
उसने डरते हुए कहा - तुझे कहाँ मिली ?
नैना मुश्कुराते हुए - वही जहाँ मामा ने निकला था। बाथरूम की तरफ भागते वक़्त फ्रिज के कॉर्नर में पड़े ब्रा को वही छोड़ दिया था।
लता - बकवास मत कर । ऐसा कुछ नहीं है। भाई है वो मेरा। वो गर्मी लग रही थी तो मैंने वहीँ निकाल दिया होगा। रह गया होगा।
नैना - कितना झूठ बोलोगी ? और किचन में जमीन पर गिरे मामा के माल का क्या ? भाई का ख्याल रखने को बोला था उससे चुद जाने को नहीं।
लता चुप ही रही।
नैना - माना मामा अकेले हैं पर ऐसा भी उनके अकेलेपन को दूर करने की क्या जरुरत थी। पापा को पता है ?
लता डरते हुए बोली - देख तू गलत समझ रही है। और इन सबमे अपने पापा को क्यों घसीट रही है?
नैना - दुनिया को ज्ञान देती हो पर खुद ही ऐसा काम ?
ये सब लता रोने लगी। उसे रोटा देख नैना घबरा गई। उसने साइड में गाडी रोक दी। बोली - अरे तुम रो क्यों रही हो ?
लता - मुझसे गलती हो गई। पर मैंने अनु के साथ वो सब कुछ भी नहीं किया है। वो बेचारा तो कितना अकेला है। इतना सीधा है बीवी मरने के बाद आजतक किसी और औरत की तरफ नज़रें उठा कर भी नहीं देखि। बस उसके प्यार में थोड़ा कुछ हो गया ? मुझे माफ़ कर दे। मुझसे पाप हो गया।
नैना ने उसके आखों के आंसू पोछे और कहा - अरे मेरी भोली माँ। मैं तो बस थोड़ी खिंचाई कर रही थी। मुझे पता है तुम उनसे बहुत प्यार करती हो। मैं जानती हूँ अपने भाई के लिए तुम कुछ भी कर सकती हो। वर्षा दी भी तो वही कर रही हैं। मैं भी मामा को बहुत प्यार करती हूँ। मैं भी उनकी खुशियां ही चाहती हूँ। डरो मत पापा से कुछ नहीं कहूँगी।
लता ने ये सब सुन रहत की सांस ली। पर अंदर डर बना हुआ था। उसने पुछा - पर एक बात बोलूं तू जैसा तू समझ रही है वैसा कुछ नहीं हुआ है।
नैना - माँ , मैंने बोला ना। मामा की जितनी खुशी आप चाहती हो उससे कम मैं भी नहीं चाहती होउंगी। मामा के चेहरे पर शांति और खुशियां देख कर मुझे भी अंदर से उतनी ही ख़ुशी है। अब आप और वर्षा दी उसके लिए उनसे चुद भी जाओ तो मुझे फर्क नहीं पड़ता।
लता समझ गई नैना को काफी कुछ पता है। वो खामोश हो गई। उसे लगा नैना भी अनुराग से कम प्यार नहीं करती है।
घर पहुँच कर लता नैना को थैंक्स बोलती है। अपने कमरे में जाते जाते वो ये भी बोलती है - तेरे मामा तुझे भी बड़ा याद करते है।
नैना मन ही मन सोचती है - ये मुझे पता है। जो मुझे पता है जब आपको पता चलेगा तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। खैर आप अभी मजे ले लो। मेरी बारी भी आएगी।