वर्षा अपने कमरे में लौट तो आई पर कुछ ही देर में उसके स्तनों में दर्द होने लगा। दरअसल उसके स्तन दूध से भर गए थे। रोज वो खाली करके अपने पिता को दूध देती थी पर आज निकाल नहीं पाई तो वो भरे हुए थे। उसका बेटा भी गहरी नींद में थाम उसे भी नहीं पीला सकती थी। काफी देर उसने दर्द को बर्दास्त करने की कोशिश क। पर अंत में उसे हार माननी ही पड़ी।
उसने नाइटी पहन राखी थी जो सिर्फ जांघो तक थी और कंधे पर डोरी से लटकी थी। निचे उसने एक छोटी सी पैंटी पहन रखी थी। आखिरकार उसने अनुराग के कमरे कि तरफ कदम बढ़ा दिए। एक एडल्ट कि ब्रेस्टफीड कराने के एहसास को वो भूल ही चुकी थी। उसके पति ने कभी ज्यादा कुछ किया नहीं था। वैसे भी कुछ महीनो से वो यहीं थी। उसके मन में डर था कि कहीं और कोई गलती न हो जाये। फिर आखिरकार उसने सोचा बुआ भी तो सब कर ही रही है। जो होगा देखा जायेगा। कब तक वो जिस्म के भूख से वंचित रहेगी। कब तक तरसेगी। सिर्फ वही नहीं उसके पिता का भी तो वही हाल था।
कमरे में पहुँच कर उसने दरवाजा खोला। उसे लगा शायद अनुराग सो गए हैं। वो लौटने का सोचने लगी।
तभी अनुराग ने कहा - वर्षा, सब ठीक है न ?
वर्षा - आप सोये नहीं ?
अनुराग - नहीं, बस सोच रहा था। तुम्हारी बात भी सही है। मैं तुम्हारा बाप हूँ। तुम कैसे मुझे डायरेक्ट दूध पीला सकती हो। उस पर मुँह लगाने का तो तुम्हारे बच्चे और पति का ही हक़ है।
वर्षा बेड के नजदीक पहुँच गई। उसने कहा - आपको लगता है अब हमारे बीच बाप बेटी का रिश्ता बचा भी है ?
अनुराग सोच में डूबा रहा। वो अँधेरे में वर्षा के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगा।
वर्षा - चलिए खिसकिये। दूध भर गया है। पंप खराब होने से निकल नहीं पाया अब दर्द हो रहा है। अब चाहे बच्चा बनिए या बाप या कुछ और ही, पर पी जाइये।
अनुराग ख़ुशी से उछाल पड़े। तुरंत खिसक कर वर्षा को जगह दे दिया। वर्षा अनुराग की बगल में लेट गई। अनुराग ने उसके तरफ मुँह कर लिया था। वर्षा ने अपना एक स्तन निकाल लिया, उसके निकलते ही अनुराग ने लपक कर उस पर मुँह लगा दिया। उसने लता की स्तन दबाये तो थे पर स्तन पर मुँह बहुत दिन बाद लगाया था। उसने उसके निप्पल दांतो से जोर से दबा दिया।
वर्षा कि चीख निकल गई। बोली - इस्सस आराम से। काटेंगे तो नहीं दूंगी।
अनुराग - तेरी माँ की जाने की बाद अब मुँह लगाया है। भूल गया हूँ सब। वैसे तेरी माँ को जोर से दबवाना ही अच्छा लगता था।
वर्षा - दबवाना अलग है। दबाओ जोर से पर काटो तो मत। और उस दिन बुआ की पिए नहीं थे। ।
अनुराग - अरे कहाँ , बस दबाया था।
वर्षा - हम्म। अब चुप चाप पी जाओ । प्यार से। आपके हिस्से का ही दूध है।
अनुराग - बच्चा बनकर पियूं या ~~
वर्षा - बाप बनकर ही पियो। बाप को पिलाने की मजे कुछ और है। अभी तक वही सोच कर पंप करती थी।
अनुराग - तो फिर तुम मुझे बेटी ~~~
वर्षा - अब चुपचाप पी लो बेटीचोद।
ये सुनकर अनुराग का लंड सलामी देने लगा। अनुराग की मुँह लगाने से वर्षा कि हालत खराब हो रही थी। उसके स्तनों को किसी वयस्क पुरुष काफी समय बाद टच कर रहा था। उसके चूत में भी कुछ कुछ होने लगा। वर्षा अनुराग की बालों को सहलाये जा रही थी पर साथ ही अपने पैरों को आपस में रगड़ भी रही थी। अनुराग ने भी दूध पीते पीते अपने एक पेअर को वर्षा के ऊपर रख दिया। अनुराग के पैर जैसे ही वर्षा के जांघो पर पड़े वो पिघल सी गई। अब अनुराग ने वर्षा के दुसरे स्तन को निकाल पीना शुरू कर दिया था। वो न सिर्फ उसके स्तनों से दूध पी रहा था बल्कि दुसरे वाले को दबा भी रहा था। वर्षा कीचूत गीली हो चुकी थी। ऊपर से तो नाइटी उतर ही चुकी थी, नीचे से भी सिमट कर कमर तक आ चुकी थी। अनुराग का लंड अब डायरेक्ट उसके चूत की पास दस्तक दे रहा था। वर्षा से बर्दास्त नहीं हो रहा था। उसका मन कर रहा था कि बस अनुराग उसे चोद दे। उधर अनुराग का मन कर रहा था वो वर्षा की ऊपर चढ़ चोद दे। पर वो जबरदस्ती नहीं करना चाह रहा था। उसने कभी भी सुलेखा तक की साथ जबरदस्ती नहीं की थी। इस लिए बस अभी वो दूध ख़त्म होने की बाद भी उसके स्तनों से ही खेल रहा था।
वर्षा को पता था कि अनुराग कुछ नहीं करने वाले। अभी तक उसने ना लता की साथ कुछ किया था न ही उसके साथ। नैना जो खुद को सौंपने को तैयार थी आज जाकर उसे छुआ था। उसे लगा उसे ही अब कोई कदम उठाना पड़ेगा।
वर्षा - आह्ह्हह्ह पापा।
अनुराग - हम्म
वर्षा - दूध ख़त्म हो गया है।
अनुराग - ओह्ह , हाँ।
वर्षा - पापा कुछ और तो नहीं चाहिए न ?
अनुराग - आज तू शाम को मालिश करना भूल गई। मालिश कर दे। तेरी माँ मालिश करते समय स्तनपान कराती थी।
वर्षा आपके पैरों में दर्द है क्या ?
अनुराग - पैरों में नहीं। वो जो उनके बीच में तीसरा लटक रहा है ना उसमे दर्द है।
वर्षा - आज आपने बुआ की ली है। कहीं उससे तो नहीं है न ?
अनुराग - बुआ ने तो बस अपने पिछवाड़े में रगड़वा लिया। दिया होता तो दर्द नहीं रहता।
वर्षा - हीहीहीही । बुवा ने आज आपके साथ खेल कर दिया।
अनुराग - हाँ। पर तू मत कर। प्लीज कर दे मालिश।
वर्षा - ठीक है।
अब अनुराग सीधा पीठ के बल लेट गया। वर्षा अब उसके ऊपर दोनों तरफ पैर करके हो गई। उसके बैठते ही नाइटी कमर पर आकर गिर पड़ी। अनुराग ने उसके स्तन पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा। उधर वर्षा ने अनुराग के लैंड को पेट से पैरेलल किया और पैंटी के ऊपर से ही अपने चूत के फांको के बीच फंसा लिया। अब वो अपने कमर को आगे पीछे करने लगी। अनुराग को अब मजे आने लगे। सुबह बहन की गांड में फंसा कर माल निकाला था और अब बेटी के चूत में।
वर्षा - आह आह, पापा दर्द कम हो रहा है ?
अनुराग - आह आह हाँ। कम तो हो रहा है। तेरी मुनिया भी मालिश करके थक गई होगी। तू कहे तो उसे थोड़ा प्यार कर दूँ।
वर्षा - पापा
अनुराग - एक बार उसकी पप्पी लेने का मन कर रहा है।
वर्षा - आह आह। आप मानेंगे तो है नहीं। ठीक है।
अब वर्षा उठ गई उसने अपनी पैंटी उतार दी और अनुराग के मुँह की तरफ अपनी चूत कर दिया। उसने अनुराग का लंड अब मुँह में ले लिया। अनुराग ने उसकी नंगी चूत पर जीभ फेरना शुरू कर दिया।
अनुराग - बड़ी प्यारी है ये। कितना रस भरा है। बिलकुल तेरे स्तनों की तरह।
वर्षा - सड़प सड़प। तो पी जाइये न। वैसे उसमे और भी रस है। आपको क्या बताना। अब आपकी हो गई है जैसे चाहे प्यार करिये और जितना चाहे रस निकालिये। आह आह।
अनुराग वर्षा की छूट चाटे जा रहा था और वर्षा उसके लंड को मुँह में गन्ने की तरह चूसे जा रही थी ।
वर्षा - पापा कैसा टेस्ट है मेरा ?
अनुराग - एकदम मस्त। तू अपने माँ पर गई है। मुँह लगाते ही उसकी चूत भी बरसात करने लगती थी।
वर्षा - आह , पापा कमाल आपके जीभ का है। जरा मुनिया का जो रखवाला है उसे भी प्यार करिये।
अनुराग - ऐसे मजा नहीं आएगा। तू लेट मैं ठीक से प्यार करूँगा।
वर्षा - पर आपके मुन्ने का क्या होगा ?
अनुराग - मुन्ने को तो अब मुनिया से मिलकर ही चैन आएगा।
वर्षा - आप सच में बेटीचोद बनने का मूड बना चुके हैं।
अनुराग - मेरी बिटिया है ही ऐसी। चल आ जा।
अब वर्षा उठ कर अनुराग के बगल में लेट गई। अनुराग ने उठकर बगल के टेबल लैंप को जला दिया। वर्षा ने झट से अपने एक हाथ से अपने स्तन और दुसरे से चूत को धक् लिया। बोली - पापा लाइट क्यों जला दिए। प्लीज बुझा दीजिये। मुझे शर्म आ रही है।
अनुराग - देखने तो। तेरी असली सुंदरता तो अभी तक छुपी हुई थी। और अब कैसा शर्माना। देख मेरे होठो पर लगे अपने रस को कितना बहाया है।
वर्षा - आप नहीं मानोगे।
अनुराग - अब कितना मानूं ?
अनुराग वर्षा के बगल में लेट गए और उसके होठो को किस करके बोला - आँखें खोल जरा। देख तेरा बाप तुझे कितना प्यार करता है। अनुराग ने उसके चेहरे पर चुम्मियों की बरसात कर दी। दोबारा उसके होठ को किस किया तो इस बार वर्षा ने आँखें खोल दी और उसका साथ देने लगी। कुछ देर ऐसे ही एक दुसरे को चूमने के बाद वर्षा ने कहा - लगता है दूध फिर से बन गया है।
अनुराग ने अब गौर से उसके स्तनों की तरफ देखा। अभी तक दूर दूर से उसकी सुंदरता के मजे ले रहे थे। आज गौर से देखने का मौका मिला था। भरे भरे उन्नत स्तन और उस पर गहरा भूरा गोल गोल ओरोला और उस पर ताज सा बैठा बड़े खजूर से निप्पल। उसे सुलेखा की याद आ गई। सुलेखा के स्तन भी ऐसे ही थे। उसके निप्पल थोड़े ज्यादा बड़े थे। कई बार तो कहती थी जितना बच्चों ने नहीं चूसा उससे ज्यादा तो तुमने खींचकर और चूस कर बड़े कर दिए हैं।
अनुराग ने वर्षा से कहा - दूध पी ला न।
वर्षा - पी लीजिये न
अनुराग - ऐसे नहीं। बोल - पापा मेरा दूध पियो।
वर्षा - आप मुझे बेशरम बना कर मानेंगे।
अनुराग - उसी में तो मजा है।
वर्षा - पापा मेरा दूध पी जाओ। खालो कर दो इन दूध भरे कटोरों को। बहुत तकलीफ दे रहे हैं ये।
अनुराग - सुन, मुझे बेटु समझ पीला ना।
वर्षा - पापा , मुझे ये सब नहीं होगा। बस अब पी जाओ।
अनुराग ने उसके निप्पल उमेठते हुए कहा - प्लीज।
वर्षा - मादरचोद , अपनी माँ का दूध पी जा। तेरी माँ ने दूध बचा कर रखा है तेरे लिए। बस अब जिद्द न कर पी जा।
अनुराग ने तुरंत उसके एक स्तन को मुँह में भर लिया और पीने लगा। उसके मुँह लगाते ही दूध की एक धार सी निकली। वर्षा भी सिसकारन लेने लगी।
वर्षा - आह , आह , पी ले बेटा। पी जा।
वर्षा ने अनुराग का दूसरा हाथ लिया और अपने दुसरे स्तन पर रख दिया। अनुराग ने उसे भी दबाना निचोड़ना शुरू कर दिया। अब वर्षा करवट लेती थी और अनुराग उसके सीने से लगा दूध पी रहा था, जैसे की एक बच्चा पी रहा हो। कुछ देर तक वर्षा ने अनुराग को अपने दोनों स्तनों को बदल बदल कर दूध पिलाया।
दूध ख़त्म होने पर वर्षा बोली - अब ?
अनुराग - जिस काम के लिए तुझे लिटाया था वो करूँगा। ऊपर का रस पी लिया अब निचे का पियूँगा।
वर्षा - वो कैसे लोगे ? माँ बनाकर , बेटी बनाकर या सुलेखा बनाकर।
अनुराग - पहले बेटी फिर तू सुलेखा बनाकर चोदूंगा।
वर्षा - चुदाई की बाद में। पहले मेरी चूत चाट कर उसे ठंढा करो। साली गीली हो गई है पर पता नहीं क्यों गर्मी हो रखी है।
अनुराग उसके पैरों की तरफ खिशक कर बोलै - अभी अपने नरम और गीली जीभ से ठंढा करता हूँ।
अब अनुराग उसके पैरों के बीच में आ गया। वर्षा ने अपने पैर उसके कंधे पर रख दिया। अनुराग ने चाटना नहीं शुरू किया बल्कि वो वर्षा की तरफ देखने लगा।
वर्षा - क्या?
फिर वो समझ गई। बोली - पापा, आपकी बेटी की चूत पनिया चुकी है। बेटी की मुनिया को चाट कर उसे साफ़ करो। उसकी गर्मी को अपने नरम गीले होठो और जीभ से शांत कर दो ।
अनुराग ने अब अपनी जीभ वर्षा के चूत पर रख दिया। सच में सिर्फ चूत ही नहीं बल्कि जंघे भी गीले हो रखे थे। अनुराग ने उसी चाटना शुरू कर दिया। अनुराग अपने जीभ को उसके चूत के बिलकुल निचले हिस्से से लेकर ऊपर तक चाट रहा था। कभी कभी वो चूत की फांको के बीच में जीभ फंसा कर उससे अंदर बाहर करने लगता था। वर्षा अपने दोनों हाथ से अपने स्तनों को खुद ही दबा रही थी। साथ ही वो उत्तेजना में अपने सर को इधर उधर पटक रही थी।
वर्षा - आह , इसस , पापा बस ऐसे ही। फ़क मी पापा फ़क में हार्ड। बस आने ही वाली हूँ। रुकना नहीं। बस्स्स आपकी वर्षा आ गई। माआआ देखो पापा ने मेरा पानी निकाल दिया।
वर्षा ने अपने दोनों पैरों से अनुराग के शरीर को दबा दिया। उसने अपने हाथ से अनुराग के बालों को जोर से पकड़ लिया और चूत पर दबा दिया। उसका पूरा शरीर काँप रहा था। वो बुरी तरह से स्खलित हो रही थी। अनुराग उसके चूत से बहते पानी को सडप सडप करते हुए पीये जा रहा था। इस बार वर्षा ने बारिश ही कर दी थी। कुछ देर अपने चरम स्थिति में रहने के बाद वर्षा ने अपने पिता को अपने ऊपर खींच लिया और अपने बाँहों में भर कर चूमने लगी।
उसने अपने पिता से कहा - बहुत मजा आया पापा। शायद पहली बार इतना मजा आया। आई लव यू। अब समझ आया आप और माँ कैसे खुश थे।
अनुराग ने उसे चूम लिया और कहा - अभी तो बस जीभ से मजा दिया है। मेरा मुन्ना तेरी मुनिया के अंदर जब अपने माल की बारिश करेगा तो सोच कितना मजा आएगा।
वर्षा - मतलब बेटी को चोद कर ही मानोगे ?
अनुराग - तेरा मन नहीं है तो रहने देते हैं।
वर्षा - मतलब ये भी मुझसे ही कहवाओगे ?
अनुराग - उसी में तो मजा है। पर जल्दी नहीं है।
अनुराग वर्षा के ऊपर लेता हुआ था। उसका लंड वर्षा के चूत के ठीक ऊपर था। दोनों एक दुसरे कभी किस करते तो कभी चाट लेते। कभी वर्षा अनुराग को जोर से बाँहों में जकड लेती तो कभी वो उसे जोर से दबा देता। बीच बीच में वो उसके निप्पल को काटता या दांतो के बीच में दबा लेता। उसने आज कई जगह पर वर्षा को लव बाइट दिए थे।
वर्षा - पापा , माँ भी आपको बेटाबना कर दूध पिलाती थी क्या ?
अनुराग ने उसके स्तनों दबाते हुए बोलै - हम तो कई तरह के रोल प्ले करते थे।
वर्षा - हमारे जाने के बाद तो और भी फ्री हो गए होंगे ?
अनुराग - हाँ। मत पूछ हम कितना मजा करते थे।
वर्षा - आप मिस करते हैं उन्हें ?
अनुराग - हाँ। बहुत ज्यादा।
वर्षा - आज के बाद भी ?
अनुराग - तुझमे उसी की तो झलक है ?
वर्षा - और नैना में ? उसकी इच्छा कब पूरी करेंगे ?
अनुराग - नैना तो अलग है। सच कहूँ तो वो हम दोनों की प्रेमिका है। माँ की ज्यादा थी।
वर्षा - आप उसे प्यार नहीं करते ?
अनुराग - कौन बेवक़ूफ़ होगा जो अपने से प्यार करने वाले को प्यार नहीं करेगा। मैं खुशनसीब हूँ जो मुझे इतने प्यार करने वाले लोग मिले हैं। ये प्यार ठुकराना मतलब मुझसे बड़ा बेवक़ूफ़ कौन होगा।
वर्षा - हम्म। पर वो आपको हम सबसे ज्यादा प्यार करती है।
अनुराग - हम्म। पर अभी तो मेरा मन तुझे प्यार करने का हो रहा है। अपनी वर्षा को , लेखा को , छोटी सुलेखा को।
वर्षा - पापा , जा मन कर रहा है तो कर लीजिये ?
अनुराग - क्या?
वर्षा - आप भी न।
अनुराग - बोल न ?
वर्षा ने अनुराग के आँखों में आँख डालते हुए कहा - पापा , आपकी बेटी वर्षा आपके लंड की प्यासी है। मेरी मुनिया आपके मुन्ने से मिलना चाह रही है। खुद में समाना चाह रही है। पापा आप अपनी बेटी को चोद दो। पेल दो। बेटी की चूत बहुत प्यासी है। बुझा दो मेरी प्यास।
अनुराग ने अपना कमर उठाया और अपने लंड को उसके चूत पर सेट किया। उसकी चूत पहले से बहुत गीली हो रखी थी। अनुराग ने एक ही झटके में अपना लंड उसके चूत में उतार दिया।
वर्षा - माआआआ। पेल दिया मेरे बाप ने मुझे। आह।
अनुराग के लंड को काफी समय बाद चूत मिली थी। अनुराग को लगा की उसने अपना लंड किसी संकरे से गुफा में डाल दिया हो। उसे लगा की उसका लंड तुरंत पानी छोड़ देगा। इस लिए वो बस अंदर डाले हुए वर्षा के ऊपर लेटा रहा।
वर्षा - रुक क्यों गए पापा। चोदो न। अब मत तरसाओ। प्लीज पेल दो। मेरी चूत बहुत प्यासी है।
अनुराग ने अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया। दोनों को मजा आने लगा। पर वर्षा को तो पूरी चुदाई चाहिए थी।
उसने कहा - पापा तेज करो न। तेजी से पेलो। बहुत हुआ , अब बर्दास्त नहीं होता।
अनुराग ने भी जल्दी आने की चिंता छोड़ दी और उसे तेजी से पेलने लगा।
अनुराग - ले , अपने बाप का लंड लेना चाहती थी न। ले अब चुद अपने बाप से।
वर्षा - उह आह। एस्स। चुदना चाह रही थी अपने बाप से। जिस दिन से जवान हुई उसी दिन से। चोद दो मुझे। अपना बना लो पापा। आह आह। जल्दी। तेज और तेज।। मेरा होना वाला है। बस हो ही गया। हां।
अनुराग ने तेजी से उसे छोड़ना शुरू किया। दोनों पसीने से लथपथ थे। कमरे में एसी चल रहा था पर वो बेअसर था। कुछ ही देर में वर्षा ने अपने दोनों पैर अनुराग के कमर के दोनों तरफ जोर से लपेट लिए। उसका शरीर फिर से थरथराने लगा। वो स्खलित हो रही थी। उसकी स्थिति देख अनुराग भी स्खलित होने लगे। उसका लंड भी अपना पूरा माल निकाल दिया। वर्षा ने अपने चूत को ऐसे भींच लिया जैसे वो अपने चूत से उसे चूस रही हो। उसने अनुराग के कमर को तब तक अपने पैर से जकड़े रखा जब तक उसके लंड से वीर्य का एक एक बूँद नहीं निकल गया। जब प्रेम का ज्वार कम हुआ तो उसने अनुराग को अपने जकड़न से मुक्त किया। अनुराग उसके बगल में लुढ़क गए।
वर्षा हँसते हुए बोली - आज बेटी चोद हो ही गए आप।
अनुराग - हाँ। बहुत मजा दिया तुमने।
वर्षा - अभी तो मजे की शुरुवात हुई है।