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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 38 44.2%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 25 29.1%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 23 26.7%

  • Total voters
    86

Suma Das

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28
zabardast aur mast update! super sexy story! super erotic writings!
 
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abmg

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Super se bhi oopar
 
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Ek number

Well-Known Member
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लता बाहर आई तो देखा कि वर्षा किचन में कुछ काम कर रही थी। वो उसके पास पहुंची तो वर्षा बोली - अरे इतनी जल्दी ?
लता - चुप कर अभी एक ही दिन में कितनी चुदाई करेगा। वापस बीमार थोड़े ही बनाना है।
वर्षा - बुआ , वो तो ठीक है पर कितने दिनों के बाद तो उन्हें चूत नसीब हुई है।
लता - हाँ। वैसे गजब का स्टेमिना बना रखा है। इतने में तो अच्छे अच्छे की हालत लहराब हो जाती है। तेरे फूफा तो बस एक राउंड के बाद ही फुस्स हो जाते हैं।
वर्षा - तभी अपने भाई पर ही नजर थी आपकी। चलो अब आपको कोई फुस्स करेगा।
लता - चुप। चल जरा ड्राई फ्रूट वगैरह डाल कर शेक बना और देशी घी का हलवा भी।
वर्षा - अपना घी दे दो डायरेक्ट पी जायेंगे। कहो तो उसी का हलवा बना दूँ।
लता - तू मानेगी नहीं।
लता ने फिर ड्राई फ्रूट्स वगैरह डाल कर बढ़िया सा शेक बनाया और हलवा के साथ लेकर अनुराग के पास गई। देखा तो अनुराग सो रहा था। एकदम तसल्ली से जैसे कोई बच्चा। थका था तो नींद आणि ही थी। वैसे भी रात भर सोया कहाँ था। लता ने फिर भी उसे जगाया और नाश्ता दिया। नाश्ता करके अनुराग वापस सो गया। उसकी हालत देख लता मन ही मन हंस पड़ी।

खैर खाने के बाद वर्षा भी जम कर सोइ। लता ने उसे भी डिस्टर्ब नहीं किया। शाम को लता जब घर पहुंची तो वो भी थकी थी। दिन भर की घटनाओं को याद करते करते उसे झांटो वाली बात याद आ गई। अपने पति के चक्कर में उसने बड़ा कर रखा था। वो अचानक से काट कर अपने पति को डाउट में भी नहीं डालना चाहती थी। तो उसने सोते समय कहा - सुनो , निचे मेरे बहुत खुजली होती है।
उसके पति शेखर ने कहा - आओ तुम्हारी खुजली मिटा दूँ।
लता - कभी तो सीरियस हुआ करो। लगता है रशेस हो गए हैं।
शेखर - कोई दवा माँगा लो। नैना से पूछ लो दे देगी।
लता - हर बात पर नैना से पूछ लो। दवा तो ले लून, पर मैं सोच रही थी कि बाल भी काट लू। सोच रही थी शेव ही कर लेती हूँ।
शेखर थोड़ी देर तो चुप रहा फिर बोलै - लगता है साले का टेस्ट बदल गया है । या फिर भतीजी का पसंद नहीं आये ?
पहले तो लता घबरा गई। फिर सँभालते हुए बोली - क्या मजाक है ? अनु कहाँ से आ गया ? वर्षा की क्या बात है ?
शेखर हँसते हुए बोला - भाई इतने दिनों से जा रही थी। अचानक आज खुजली और शेव वाली बात कहाँ से आ गई ?
लता - बिमारी बोल कर आती है क्या ? पर तुम्हारी सोच इतनी घटिया कैसे हो सकती है ? मेरे भाई और भतीजी के बारे में कैसे बोल दिया ? उन्हें बीच में क्यों लेकर आये ?
शेखर - यार नाराज मत हो। चलो मैं ही शेव कर देता हूँ ? आजकल औरतें डिज़ाइन वाले बाल रखती हैं ? कहो तो कोई डिज़ाइन बना दूँ ?
लता - तुम पहले ये बताओ उनको बीच में क्यों ले आये ?
शेखर - जानेमन नाराज मत हो। हम तो सब रोले प्ले करते है ? क्यों भूल रही हो , अनु समझ कर तुमने मुझ पर बहुत चढ़ाई की है। और मैंने भी वर्षा बना कर कितनी बार पेला है तुम्हे ?
लता - वो कमरे के बीच में तुम वर्षा बना कर पेलो या नैना बनाकर। पर हकीकत में थोड़े ही होता है ?
शेखर - सच कहूँ तो तुम अनु से चुद जाओ तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। बेचारे के ऊपर वैसे ही तरस आता है। बीवी मरी तब से अकेला है। उसकी जगह कोई और होता तो अब तक कितनी रंडिया बुला पेल देता।
लता - तुम कर सकते हो पर मेरा भाई वैसा नहीं है।
शेखर - वही तो आश्चर्य होता है। उस पर से घर में गदराई दुधारू गाय भी है।
लता - छी , अपनी भतीजी के बारे में ऐसी गन्दी सोच ?
शेखर - चलो उसके बारे में नहीं सोचता। आओ चलो तुम्हारे बाल बना दूँ।
लता - नहीं रहने दो।
शेखर - चलो नखरे मत करो।
लता ने कुछ देर तो मान मनुहार करवाया पर कुछ देर बाद बोली - ठीक है।
शेखर - रोले प्ले के साथ करें मजा आएगा।
लता हँसते हुए - तुम नहीं सुधरोगे।
शेखर - तुम्हे देखकर कौन सुधारना चाहेगा मेरी बिटिया। बोलो क्या दिक्कत है।

---अब दोनों रोल प्ले में आ गए ---

लता - पापा , देखो न मेरे निचे खुजली हो रही है।
शेखर - निचे कहाँ ?
लता - वो पापा , निचे मेरे वेजाइना के पास।
शेखर - उसे हिंदी में क्या कहते हैं बेटा?
लता - पापा मुझे शर्म आती है।
शेखर - शरमाओगी तो मैं कैसे समझूंगा कि क्या हो रहा है ?
लता - वो पापा मेरे चूत के पास खुजली हो रही है।
शेखर - दिखाओ जरा।
लता में अपना पेटीकोट ऊपर कर लिया। उसने निचे कुछ नहीं पहना था। शेखर झूल कर देखता है और बोला - मुझे ठीक से दिख नहीं रहा है। ऐसा करो तुम उस सोफे पर बैठो मैं निचे से देखता हूँ।
लता कमरे में रखे बड़े से सोफे पर बैठ गई।
शेखर उसके पैरों के पास निचे बैठ गया और पेटीकोट को ऊपर करके देख कर बोला - आय हा। तुमने अपनी झांटे इतनी बढ़ा ली हैं। खुजली तो होगी न। इन्हे काटना पड़ेगा।
लता - पापा , वो मुझे खुद से करने में डर लगता है। शेव कैसे करून।
शेखर - मैं हूँ न। चलो मैं कर दूंगा। पर बदले में मुझे क्या मिलेगा ?
लता - आपकी ही औलाद हूँ। जो चाहे ले लेना। मेरा सब आपका ही तो है।
शेखर - तो अभी जरा कहो तो झांटो से जो टपक रहा है वो चाट लू?
लता - अब टपका दिया है तो चाट लो।
शेखर ने अपना मुँह उसके झाटो के झुरमुट में लगा दिया और चूत से रिसते पानी को चाटने लगा।

ये काम वो दोनों कमरे की लाइट जला कर ही करते थे। उन्होंने सेक्स के टाइम कभी कमरे को लॉक नहीं किया था न ही कमरे में अँधेरा। घर में उनके शिव सिर्फ नैना होती थी। वो दोनों थोड़ा ुआँसे तो खुले हुए थे ही पर नैना का डर वैसे भी नहीं था क्योंकि वो ऊपर के माले में बने अपने कमरे में ही होती थी। या फिर हॉस्पिटल में। पर आज नैना को वर्षा ने सब बता दिया था। उसने कह दिया था कि लता कि प्यास बुझी नहीं है तो पक्का आज घर में घमासान होगा। पता नहीं नैना को क्या सुझा आज वो उन दोनों को छुपकर देखने चली आई थी। उसने कमरे के बाहर खड़ी थी और शुरू से उनको सुन और देख रही थी। उन दोनों की बातें सुन आज उसे बहुत आश्चर्य हुआ। ख़ास कर इस रोल प्ले वाले गेम से। ये तो आश्चर्य था कि वो इसी परिवार के सदस्यों का रोल प्ले करते हैं पर झटका तो तब लगा जब उसने सुना कि उसके पिता को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है अगर उनकी खुद के बीवी अपने भाई से चुद जाये। उसे एक रहत ये भी लगी कि उसके पिता शायद मामा से रिश्ते के लिए आसानी से मान जायेंगे।

खैर अंदर काफी देर तक चूत चाटने के बाद शेखर बोला - बेटी अब जरा मेरे लंड कि सवारी भी कर लो।
लता बोली - पापा , सफाई के बाद करेंगे न। अभी कटर लेंगे तो फिर तब नहीं हो पायेगा।
शेखर - ठीक है चलो। फिर दोनों बाथरुम की तरफ चल पड़े।
इधर उन दोनों की कारस्तानी देख नैना से बर्दास्त नहीं हुआ। वो भाग कर अपने कमरे में पहुंची और सारे कपडे उतार दिए और फिर चूत में ऊँगली करने लग गई। वो अनुराग को याद करके ऊँगली कर रही थी। कभी उसे साजन बुलाती तो कभी मामा तो कभी पापा। गरम तो वो पहले से हो रखी थी, कुछ ही पल में उसकी चूत ने रास छोड़ दिया। वो हाँफते हांफते सोचने लगी कि अनुराग से शादी के बाद कैसे चुदेगी - पत्नी बनकर , बेटी बनकर या भतीजी बनकर।

इधर बाथरूम में लता कमोड की सीट पर नंगी पेअर फैलाये बैठी थी। और निचे शेखर पीढ़ी पर बैठा था। वो लता के के जांघो के बीच में शेविंग क्रीम लगा कर ब्रश रगड़ रहा था। लता ने अपने ब्लाउज के सामने के बटन खोल रखे थे, पर उन्हें उतारा नहीं था। वो थोड़ा आगे झुकी हुई थी ब्लॉउस के बीच लटकते बड़े बड़े स्तनों को शेखर के चेहरे के पास हिला डुला रही थी। जिसे शेखर बिना हाथ लगाए होठ और जीभ से पकड़ने चाटने कि कोशिश कर रहा था। जब वो पीछे हटती तो शेखर ब्रश उसके चूत में अंदर घुसेड़ देता जिससे वो मस्ती में आ जाती। दोनों का ऐसे ही खेल चल रहा था। काफी देर झाग बना लेना के बाद शेखर ने रजोर उठाया और सावधानी से उसके चूत के आस पास की बाल साफ़ करने लगा। वो एकदम एक्सपर्ट की तरह बिना नुक्सान पहुंचाए उसे शेव कर रहा था। एक्सपर्ट तो वो था ही। शादी के बाद से उसे ने लता की झांटे बनाई थी। कभी शेव करके तो कभी हेयर रेमोवेर क्रीम से। उसने लता से पुछा - डिज़ाइन बनानी है ?
लता कुछ सोचकर बोली - नहीं , रहने दो। पूरा साफ़ कर दो।
शेखर - हाँ , पहले साफ़ दिखाओ फिर उससे पूछ कर डिज़ाइन बता देना।
लता - तुम फिर उसे बीच में क्यों ला रहे हो। अगर ऐसे ही करना है तो रहने दो।
शेखर - यार नाराज मत हो, मैं मजाक कर रहा हूँ।
लता - नहीं , कभी कभी लगता है तुम सीरियस हो।
शेखर - यार सच बोलूं तो मेरा मन तो सीरियसली तुम्हे उससे चुदते देखने का है। सोचो जब हम भाई अहन का रोल प्ले करते हैं तो इतना मजा आता है। वास्तव में होगा तो कितना मजा आएगा।
लता - बड़े कमीने हो। बीवी को भी शेयर करना चाहते हो।
शेखर - यार , बस साले से ही तो कर रहा हूँ। घर की बात है। वैसे तो मेरा मन डबलिंग का है। हममे से एक तुम्हारे गांड में और एक चूत में। तुम्हे सैंडविच बनाकर छोड़ने में कितना मजा आएगा। और सोचो किसी तीसरे का लंड तुम्हारे मुँह में। वाह। देखो मेरा लंड मस्त हिचकोले ले रहा है। और तुम्हारी चूत देखो , बहे जा रही है।
लता - अब तीसरा भी आ गया। काम शास्त्र का आसान जब बनाओगे तो चूत से पानी तो आएगा ही। वैसे तीसरा किसे सोचा है ?
शेखर - तुम ही बता दो । कोई दामाद चाहिए या अविनाश चलेगा। घर की बात घर तक ही रहेगी।
लता - बस करो। अब मुझे शुशु आ रही है।
शेखर - शुशु आ रही है या चूत का पानी ?
लता - चूत तो इस बीच ना जाने कितना पनिया चुकी है। ये तो शुशु ही है।
शेखर - तो देर किस बात की। वैसे भी कितने दिन हुए नहाये हुए।
लता - जाने दो।
शेखर - प्लीज।
लता - तुम मानोगे तो नहीं।
कहकर लता वहीँ खड़ी हो गई। उसने शेखर के कंधे पर हाथ रखा और अपने मूट की धार से उसके कंधे और निचे के शरीर को गिला करती चली गई। गरम गरम धार पड़ते ही शेखर का शरीर गनगना गया। उसे किनकी सेक्स पसंद था। लता मूतने के बाद वही कमोड पर हाथ के सहारे से झुक कर खड़ी हो गई।
वो बोली- चल बेटीचोद अब अपनी रंडी बीवी को चोद।
शेखर - हाँ मेरी रंडी अब तो मेरा लंड भी चोदने को तैयार है। बहुत देर से रोक रखा था इसे।
लता - भोसड़ी के ढंग से पेलना और देर तक पेलना। जल्दी झड़े तो सच में तेरे सामने भाई के लंड पर झूला झूलूँगी।
शेखर ने अपना लंड पीछे से उसके चूत में डाल दिया और उसे छोड़ने लगा।
शेखर- भाई से तो तू अब भी चुद जा। एकदम रंडी है तू। अब डबलिंग नहीं ट्रिपलिंग करूँगा। चीखने का मौका भी नहीं मिलेगा। तेरे भतीजे का लंड तेरे मुँह में होगा।
लता - आह आह ,मादरचोद , जब यही करना है तो भाई और भतीजे का लंड छेद में लुंगी। तेरे लंड को बस चूसूंगी।
शेखर - ठीक है, गन्ना समझ के चूस लेना। पर तेरी गांड तो पहले मैं ही मरूंगा।
लता - आह आह , तुझसे चूत तो ली नहीं जाती , गांड क्या लेगा। जब भाई से ही चुदना है तो गांड पहले उसे दूंगी।
शेखर - दे देना, उसी को पहले दे देना। पर उसके बाद मुझे ही चाहिए। कम से कम गांड तो तेरी मिलेगी। बहनचोद जब मटका कर चलती है तो लंड तरस जाता है।
लता - ठीक है बेटीचोद ले लेना गांड उसके आड़। पहले जोर से चोद तो मुझे। आह आह। तेज और तेज। बस मेरा होने वाला है। पर भोसड़ी के उसके पहले तू मत आ जाना। आया तो गांड क्या आज के बाद चूत भी नहीं मिलेगी।
शेखर ने झुक कर उसके मुम्मे पकड़ लिया और दबाते हुए बोला - जब तक आज तेरी चूत फाड़ नहीं लूंगा तब तक नहीं आऊंगा। आह आह आह।
सच में आज शेखर ने संयम रखा हुआ था। या फिर लता आज कुछ ज्यादा चुदासी हो रखी थी । वो पहले झाड़ गई। जैसे ही चरम अवस्था में उसके शरीर में कंपन शुरू हुआ उसके साथ ही शेखर के लंड ने भी पानी छोड़ दिया। दोनों एक साथ ही फारिग हुए। दोनों पसीने पसीने हो चुके थे। शेखर ने शावर चालू कर दिया। दोनों चिपक कर वहीँ निचे खड़े हो गए ।
कुछ देर बाद लता ने उसके शरीर पर साबुन लगाते हुए कहा - हम दोनों सेक्स के टाइम कितने बदल जाते हैं। कितनी घटिया बात करने लगते हैं। किसी ने सुन लिया तो क्या सोचेगा ?
शेखर - आज तो तुम कुछ ज्यादा ही वाइल्ड हो गई थी। पक्का नैना ने सुना होगा।
लता - ठीक है सुना तो क्या। अब मियां बीवी सेक्स ही तो करेंगे।
शेखर - पुरे परिवार के साथ। हाहाहाहाहाहा
लता - हाय मैं तो भूल ही गई थी। तुम तो आज अविनाश को भी ले आये।
शेखर - देखो सोच कर इतना मजा आया तो करके कितना मजा आएगा।
लता ने रुक कर शहर की तरफ देखा और कहा - क्या तुम सच में सीरियस हो ?
शेखर ने उसे अपने तरफ खींच लिया और उसके गांड को दबाते हुए कहा - हाँ कम से कम इस बहाने तुम्हारी गांड तो मिलेगी।
लता - धत। पता नहीं मर्दो को औरतों के गांड में क्या मजा आता है।
शेखर - सच बताना , उसे भी पसंद है न।
लता उसके बाहों में लटक कर बोली - मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।
शेखर - मुझे पता है। और ये भी पता है अपने भाई को भी। तभी तो इस घर में होते हुए भी तुम वहीँ होती हो। उसे अकेला नहीं छोड़ पाती हो।
लता के आँखों में आंसू आ गए। बोली - हाँ मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ। एक वही तो है अकेला मेरा।
शेखर - यार तुम रोटी हुई अच्छी नहीं लगती। अब चलो मुझे ठंढ लग रही है। नैना की शिकायत के लिए भी तैयार रहना।
पर उन दोनों को प्या पता था नैना तो सब जान गई थी। नहाने के बाद दोनों कमरे से बाहर पानी पीने के लिए बाहर आये तो देखा नैना सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी। उसे देखते ही दोनों हंस पड़े।
नैना बोली - यार आप दोनों कमरा ठीक से लॉक कर लिया करो और धीमी आवाज में बात किया करो। नींद खोल दी मेरी।
शेखर - बात ?
नैना - हाँ , वही सेक्सी बात। एकदम बेशरम हो गए आप दोनों।
लता - जल्दी से शादी कर ले। फिर कंप्लेंट तू नहीं हम करेंगे।
नैना - जैसे की शादी करके यही रहूंगी ?
लता - मेरा तो यही मन है। इकलौती लड़की है दूर नहीं भेजूंगी। घर जमाई ले आउंगी।
नैना मन ही मन बोली - घर जमाई का तो पता नहीं पर घर का ही कोई जमाई आएगा।
लता - तूने कुछ कहा क्या ?
नैना - कुछ नहीं। सपने देखो। मैं जा रही हूँ सोने। और तुम दोनों भी सो जाना। और तुम्हे तो अपने प्यारे भाई की सेवा भी करने जाना है।
शेखर - वही तो मैं भी कह रहा हूँ थोड़ा ठीक से सेवा करे।
नैना ऊपर जाते समय बोली - मान लो बात पापा की। कर दो ठीक से सेवा। पापा भी खुश हो जायेंगे।
लता चप्पल निकाल लेती है और बोलती - भागती है या एक लगाऊं।
नैना जीभ चिढ़ाते अंदर चली जाती है।
लता शेखर से बोलती है - पता नहीं क्या क्या सुना है इस कमीनी ने। शादी करके चली जाता तो कम से कम हम फ्री तो हो पाते।
शेखर - चलो सोने चलो। फ्री तो हम अब भी हैं। एक राउंड फ्रीली करते हैं।
लता - और तुम्हारे साले की सेवा।
शेखर- हाँ, मैं तो भूल ही गया।
वो उसके गांड पर एक थप्पड़ मारते हुए बोला - सेवा करो साले की , मुझे तभी तो मेवा मिलेगा।
Mast update
 

Shan shah

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