"अब और कितना डराएगी !! हां मैने अपने सगे बेटे से अपनी चूत चुदवाइ है और कुच्छ देर बाद अपनी गान्ड भी मरवाउन्गि. मैं मेरे बेटे की रंडी हूँ, उखाड़ ले जो तुझसे उखाड़ते बने" क्रोध से भरपूर नीमा के शब्द उसके बीते बुरे सपनो के परिचायक थे. कष्ट-प्रद जिन हलातो का सामना उसे करना पड़ा था, पूर्ण-रूप से स्नेहा को ज़िम्मेदार मान कर वह अपना गम हल्का कर रही थी, उस पर अपनी भडास निकाल रही थी. "वहाँ दरवाज़े पर क्यों खड़ी है !! अंदर आ और हिम्मत है तो रोक कर दिखा मुझे" वह दोबारा गर्जि और तभी स्नेहा के कदम उसे रफ़्तार पकड़ते नज़र आए जैसे उसने अपनी मा की चुनौती को स्वीकार कर लिया हो. शंका-स्वरूप नीमा ने फॉरन अपने निचले होंठ को अपने नुकीले दांतो को मध्य चबा कर देखा और दर्द महसूस करते ही समझ गयी कि इस बार कुदरत ने उसे नही बख्शा, उसकी बेटी हक़ीक़त में उसके कमरे भीतर मौजूद है.
"ह्म्म्म !! लो आ गयी मगर आप तो खुद ही रुक गयी माँ, मुझे रोकने की ज़रूरत ही नही पड़ी" वह नीमा के संपूर्ण जिस्म को घूरते हुए बोली. बिस्तर के नरम गद्दे पर धन्से उसकी माँ के नंगे, मांसल चूतडो का घुमावदार कटाव बेहद प्रभावशाली था. नाइटी की हद्द तो जैसे उसकी माँ के गुदाज़ पेट के ऊपर सिमट कर समाप्त हो गयी थी. आल्ति-पालती की मुद्रा में बैठे होने की वजह से उसकी कामरस से लबालब भरी चूत के अत्यंत सूजे होंठ स्नेहा को उसकी माँ के बदन से कहीं ज़्यादा काप्कपाते नज़र आते हैं, जिनकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली छवि से स्त्री होने के बावजूद वह अछूती नही रह पाती और क्षण मात्र में ही स्वयं की कुवारि चूत के भीतर एक अजीब सी सनसनाहट महसूस करती है.
"क्या हुआ विक्की !! माँ रुक क्यों गयी ?" उसने बिस्तर पर खड़े अपने नंगे भाई से पुच्छा जो सिवाए मूक्दर्शक बने रहने के और कर भी क्या सकता था. "अभी कुच्छ देर पहले तो किसी रंडी की तरह तेरे लंड का सुपाडा चूम रही थीं. अब क्या हुआ, कहीं इन्हें शरम तो नही आ गयी ?" अपने छोटे भाई का जवाब ना मिलने के उपरांत स्नेहा अश्लीलतापूर्वक बोली.
उसकी इस हृदयभेदी तोचना से क्षुब्ध नीमा के हाथ ने अपने आप उसके बेटे के तने लंड को छोड़ दिया और बिस्तर पर जा गिरा, मानो लकवे का शिकार हो गया हो. "बस कर स्नेहा !! मुझे और जलील मत कर बेटी" रुन्वासि नीमा किस्मत के आगे हथियार डाल देती है. प्रत्यक्षरूप से स्नेहा को वह इतनी दुखद प्रतीत हुई जितनी पूर्व में कभी नज़र नही आई थी. वह वाकयि निष्क्रिय थी, उसकी विह्वल आँखो से उत्तेजना की उमंग, जोश और उत्साह की सारी चमक फीकी पड़ चुकी थी. अपनी बेटी के आगमन पर वह बिल्कुल निर्जीव हो गयी थी जैसे उसके पंख पखेरू उड़ चुके हों. स्नेहा को उसके लिए अफ़सोस हुआ मगर नियती के फ़ैसले को टालना कहाँ संभव था. अपनी मा के निष्प्राण, उदासीन चेहरे को देख वह उसे अन्य कोई टीस देने की क्षमता खो देती है.
"मुझे आप से कोई शिक़ायत नही माँ !! हां थोड़ी नाराज़ ज़रूर हूँ क्यों कि आप इस नलायक को मुझसे ज़्यादा प्यार करती हो" बोल कर स्नेहा अपनी माँ को चौंकाते हुए उसके सीने से चिपक जाती है और एकायक बदले उसके स्वाभाव के मद्देनज़र नीमा पहले से कहीं अधिक घबरा गयी. उसके लिए विश्वास कर पाना बेहद कठिन था कि जहाँ उसकी बेटी को उसके ऊपर चिल्लाना चाहिए, बुरी से बुरी गालियों से नवाज़ना चाहिए वहीं इसके ठीक विपरीत वह अपनी माँ के पापी करम को नज़रअंदाज़ कर उसे दुलार रही थी
"क .. क्या !! क्या कहा तूने .. कि तुझे अपनी माँ से कोई शिक़ायत नही म .. मगर मैं तो तेरे छोटे भाई के साथ ...." लड़खड़ाती आवाज़ में नीमा ने कहा, हलाकी हल्की सी राहत की साँस का अनुभव उसे अवश्य हुवा मगर इतना भी नही कि अपना शर्मसार कथन स्पष्ट लहजे में पूरा कर पाती.
"हां माँ !! आप ने ठीक सुना" आलिंगन तोड़ स्नेहा मुस्कुरा कर बोली "मुझे काफ़ी पहले मालूम चल गया था कि आप विक्की से अपनी चूत चुदवाती हो" उसने बिना किसी झेंप के कहा, उसके वहाँ आने का मक़सद ही यही था कि अपनी माँ को रंगे हाथो पकड़ सके और अपने इस प्रयास में उसने अविश्वसनीय सफलता भी अर्जित की थी.
"तू .. तुझे पता था स्नेहा ?" पुछ्ते वक़्त नीमा का चेहरा लजा गया, अपनी बेटी की अश्लील भाषा के प्रयोग से उसे बहुत हैरानी हुई और फॉरन अपनी अधनंगी अवस्था छुपाने हेतु वह अपनी नाइटी को अपने पेट से नीचे खींच कर अपनी चूत धाँकने का प्रयत्न करती है मगर इसके लिए उसे अपने चूतडो को बिस्तर से ऊपर उठाना आवश्यक था जो वह नही कर पाई, बस नाइटी का महीन कपड़ा पकड़ कर अपना हाथ अपनी चूत के मुहाने पर रखने भर से उसे संतोष करना पड़ा, उसकी संपूर्ण चिकनी टांगे और चूतडो का निचला हिस्सा अब भी नंगा था.
"बोला तो सही !! आप दोनो को कयि बार चुदाई करते देख चुकी हूँ. शुरुआत में बड़ा अजीब लगा, गुस्सा भी बहुत आया मगर इंटरनेट पर इन्सेस्ट से रिलेटेड दर्ज़नो वेबसाइट्स देख कर यकीन हो गया कि कुच्छ परिवारो में ऐसा होता है, जहाँ खूनी रिश्ते छुप्छुप कर आपस में संभोग किया करते हैं" किसी विद्वान की भाँति स्नेहा बोली "पर माँ !! इन्सेस्ट ब्लॉग्स पढ़ने के बाद जाने मुझे क्या हो गया है, सारे बदन में दर्द उठने लगा है, नींद नही आती, हर वक़्त दिल बेचैनि से भरा रहता है और मेरी चूत तो काफ़ी दिनो से पानी छोड़ रही है, एक पल को भी सूखी नही रह पाती" उसने अंजान बनने का नाटक किया और पाजामे के ऊपर से अपनी कुँवारी चूत को मसल कर दिखाती है ताकि नीमा उसके ढोंग की असलियत पहचान ना सके.