Update- 47
नीलम की माँ एक तो वैसे ही थकी थी ऊपर से नीलम की बेहतरीन सर की तेल मालिश से जल्द ही चली गयी वो तगड़े नींद की आगोश में।
बिरजू एक टक अपनी बेटी की पीठ को कुछ देर अंधेरे में देखता रहा, नीलम बस एक फुट की दूरी पर ही थी, बिरजू ने एक हाँथ से पीठ पर लहरा रहे बालों को हटाया और दूसरा हाँथ उसकी पीठ पर रख दिया, नीलम गुदगुदा गयी, धीरे धीरे बिरजू के हाँथ नीलम की पीठ को सहलाने लगे, नीलम और बिरजू की आंखें बंद हो गयी, बिरजू ने बाल को हटा के अपनी बेटी के नग्न पीठ को थोड़ा आगे होकर चूम लिया, अपने बाबू के होंठ आज पहली बार अपनी पीठ पर लगते ही नीलम सिसक उठी, मस्ती में आंखें बंद थी उसकी, बदन में उठी अजीब सी सनसनी और गनगनाहट से उसने अपनी जाँघे भीच ली। बिरजू धीरे धीरे हौले हौले एक के बाद एक कई गीले चुम्बन अपनी बेटी के पीठ पर कई जगह मदहोश होते हुए अंकित करता गया, और नीलम अपने होंठ दांतों में दबाए आंखें बंद किये बहुत मुश्किल से अपनी सिसकी दबाती चली गयी।
कुछ एक पल बाद नीलम ने अपना हाँथ पीछे ले जा के अपने बाबू का एक हाँथ पकड़ा और उसे आगे की तरफ लाते हुए धीरे से अपनी मखमली दायीं चूची पर रख दिया, बिरजू खुशी से भर गया कि उसकी बेटी वाकई में निडर है और कितनी उतावली हो रखी है। उसका लंड खड़ा होने लगा, अपनी बेटी की दाहिनी चूची को वो चोली के ऊपर से भर भर के दबाने और सहलाने लगा, नीलम की हालत खराब होने लगी उसके निप्पल सख्त होने लगे, बीच बीच में बिरजू द्वारा निप्पल को तेज मसल देने से उसके मुँह से सी-सी की आवाज न चाहते हुए भी हल्के हल्के निकल ही जा रही थी, लेकिन ये बहुत रिस्की था, पर क्या करें मन मान भी तो नही रहा था दोनों का।
आँख बंद किये वो अपने सगे बाबू से अपनी चूची दबवाने का असीम आनंद ले रही थी कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, नीलम के निप्पल फूलकर किसी जामुन की भांति बड़े हो चुके थे और बिरजू का लंड धोती में लोहा बन चुका था।
बिरजू कुछ देर अपनी बेटी की पीठ को लगातार चूमते हुए उसकी दायीं चूची को मीजता, दबाता और सहलाता रहा, फिर उसने थोड़ा सही से लेटते हुए अपने दूसरे हाँथ को भी आगे ले जाकर नीलम की दूसरी चूची को भी अपने हांथों में भर लिया और अब दोनों चूचीयों को हांथों में भर भर के मदहोशी में दबाने लगा, नीलम के लिए बहुत मुश्किल हो रही थी क्योंकि माँ बिल्कुल पास ही थी और अति आनंद में निकल रही सिसकी को वो अब रोकने में खुद को असमर्थ पा रही थी, बार बार जाँघों को आपस में सिकोड़ ले रही थी क्योंकि गनगनाहट अब पूरे बदन में दौड़ रही थी, जाँघों के बीच जब उसे तेज सनसनाहट महसूस होती तब वो तेजी से अपनी जाँघे भींच लेती।
कुछ देर ऐसे ही दोनों बाप बेटी चुपके चुपके चूची मर्दन का आनंद लेते रहे फिर जब नीलम से अब बर्दाश्त नही हुआ तो उसने एक हाँथ से अपने बाबू के दोनों हांथों को पकड़ कर रुकने का इशारा किया, बिरजू रुक गया, कुछ देर के लिए उसने अपने हाँथ पीछे खींच लिए, नीलम की सांसें तेज चलने लगी थी।
बिरजू ने फिर से नीलम की पीठ को बेसब्री से चूमना शुरू कर दिया, पीठ का जितना भी खुला हिस्सा था वो बिरजू के थूक से भीग चुका था, नीलम सिरह सिरह जा रही थी।
एकाएक बिरजू ने अपने दोनों हाँथ नीलम के चहरे के सामने लाया नीलम अपने बाबू के हाँथ की उंगलियां आश्चर्य से देखने लगी की उसके बाबू क्या कर रहे हैं, बिरजू ने उल्टे हाँथ की तर्जनी उंगली और अंगूठे को मिलाकर गोल बनाया और सीधे हाँथ की तर्जनी उंगली को उस गोल छेद में डालकर अंदर बाहर करते हुए नीलम को दिखाकर ये इशारा किया कि लंड बूर चोदने के लिए बहुत तड़प रहा है।
नीलम ये देखते ही शर्म से पानी पानी हो गयी, मन में सोचने लगी उसके बाबू कितने बदमाश हो गए हैं, उनका चूत मारने का बहुत ही मन कर रहा है, ये इशारा देखकर मजा तो नीलम को भी बहुत आया पर वो शर्मा भी गयी, उसने पीछे पलटकर मुस्कुराते हुए अपने बाबू को देखा और फुसफुसाकर धीरे से बोली- बदमाश! सब्र करो, आज नही कल मिलेगी।
बिरजू- रहा नही जाता
नीलम- कैसे भी रहो, रहा तो मुझसे भी नही जा रहा, पर बर्दाश्त कर रही हूं न बाबू।
बिरजू- मुझे तेरे ऊपर लेटना है, चल न बरामदे में अपनी खाट पर।
नीलम- अम्मा जग जाएगी तो।
बिरजू- इतनी जल्दी नही जागेगी, गहरी नींद में है, चल न, बस एक बार, तेरे ऊपर लेटने का मन कर रहा है बहुत।
नीलम का भी मन डोल गया, उसे भी लगा मौका तो है, थोड़ा हिम्मत करें तो हो सकता है, वो फुसफुसाकर बोली- अच्छा बाबू ठीक है मैं जाती हूँ अपनी खाट पर तुम आना चुपके से।
और नीलम ने एक बार अपनी माँ को देखा तो वो सारे घोड़े सस्ते दाम पर बेंचकर सो रही थी, नीलम मुस्कुराई और धीरे से उठकर बरामदे में जाकर अपनी खाट पर लेट गयी।
थोड़ी देर बाद बिरजू धीरे से उठा और नीलम की खाट के पास जाने लगा, नीलम खाट पर चित लेटी बड़ी ही बेसब्री से अपने बाबू का इंतजार कर रही थी, नीलम को अपना इंतजार करता देख वासना से बिरजू की लार टपक गयी और वो धीरे से आआआआआआआआआआहहहहहहह.......मेरी बेटी बोलता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया।
नीलम ने भी बाहें फैला के ओओओओहहहहहहहहह...........मेरे प्यारे बाबू......धीरे बोलो, बिरजू को अपनी बाहों में भर लिया।
आज पहली बार बिरजू अपनी सगी बेटी के ऊपर चढ़ा था वो भी शादीशुदा, नीलम को भी मानो होश नही था, शर्मो हया और वासना का मीठा मीठा मिश्रण पूरे बदन के रोएं खड़े कर दे रहा था, कैसा लग रहा था आज, एक शर्म, मर्यादा, लाज की एक आखिरी लकीर भी अब टूट चुकी थी, ये वही बाबू हैं जिनसे वो पैदा हुई है, जिस लंड से वो पैदा हुई है आज उसी बलशाली लंड को अपनी जिस्म की गहराई में अंदर तक महसूस करने के लिए तड़प गयी है, कैसी है यह वासना अपने ही सगे बाबू की हो चुकी है वो।
दोनों हल्का हल्का सिसकारी लेते हुए आंखें बंद किए एक दूसरे के बदन को महसूस कर अनंत आनंद में खोए रहे, बिरजू का लोहे समान दहाड़ता लंड नीलम की दोनों जाँघों के बीच घाघरे में छिपी बूर के ऊपर ठोकर मारने लगा तो नीलम अपने बाबू का मोटा लन्ड कपड़े के ऊपर से ही अपनी बूर पर महसूस कर व्याकुल हो गयी, मस्ती में आंखें बंद कर अपने होंठों को दांतों से दबा लेती।
आज अपनी ही सगी बेटी के ऊपर चढ़कर बिरजू सातवें आसमान में उड़ रहा था, कैसा होता है सगी बेटी का बदन ये आज उसे अच्छे से महसूस हो रहा था, अपनी ही सगी बेटी के साथ वासना का खेल खेलने में जो परम सुख मिलता है वो कहीं नही ये बात आज बिरजू को मतवाला कर दे रही थी, कितना मखमली बदन था नीलम का, कितना गुदाज, उसकी मोटी मोटी चूचीयाँ बिरजू के चौड़े सीने से दबी हुई थी।
नीलम और बिरजू ने एक बार सर घुमाकर बाहर थोड़ी दूर द्वार पर सो रही नीलम की माँ को देखा और फिर मदहोश आंखों से एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे, अंधेरा था इसलिए ज्यादा कुछ दिखाई नही दे रहा था, बिरजू ने धीरे से अपने होंठ आज पहली बार अपनी बेटी के होंठों पर रख दिये, नीलम ने तड़पकर अपने बाबू के होंठों का स्वागत करते हुए अपने होंठों में भर लिए और दोनों ही बाप बेटी एक दूसरे के होंठों को बेताहाशा चूमने लगे, बिरजू आज पहली बार अपनी सगी बेटी के होंठों को चूमकर बदहवास हो गया, क्या नरम नरम होंठ थे, बचपन से लेकर आज तक वो इन नरम नरम होंठों को देखता चला आ रहा था, जब नीलम बोलती थी तो कैसे उसके होंठ हिलते थे, जब हँसती थी तो कैसे उसके नरम नरम होंठ खुलकर फैलते थे। जिन होंठों को वो बचपन से देखता चला आ रहा है वो होंठ आज उसके होंठों में थे, दोनों के होंठ एक दूसरे को खा जाने वाली स्थिति में चूम और चाट रहे थे।
हल्की हल्की सिसकारियां और होंठ चूसने की चप चप आवाज़ें होने लगी तो नीलम धीरे से किसी तरह रुककर सिसकते हुए बोली- बाबू आवाज नही, बहुत धीरे धीरे।
बिरजू ने हंसते हुए उसके गालों को ताबड़तोड़ चूम लिया तो वो शर्मा गयी, बिरजू ने कपड़े के ऊपर से ही लंड से एक धक्का बूर पर मारा तो नीलम आआआआआहहहहह....बाबू कहते हुए मचल गयी, फिर बोली- बस बाबू, अभी नही, नही तो मैं बेकाबू हो जाउंगी, मेरे राजा।
और अपने दोनों पैर उठाकर बिरजू की कमर पर लपेट लिए कपड़े के ऊपर से ही बिरजू का दहाड़ता लंड नीलम की दहकती बूर पर रगड़ खाने लगा, नीलम अपने बाबू का लंबा मोटा लंड महसूस कर वासना से भर चुकी थी, जिस लंड को उसने कुछ दिन पहले देखा था और उसको पाने के लिए मिन्नतें की थी आज वही लंड सच में उसकी बूर में घुसने के लिए दहाड़ रहा था।
नीलम ने अपने को संभालते हुए बोला- बाबू, हाँथ की उंगलियों से क्या इशारा कर रहे थे उस वक्त?
बिरजू- मेरा चिज्जी खाने का मन कर रहा है बहुत, वही कह रहा था।
नीलम- ओओहह, बाबू, कल खा लेना चिज्जी, अच्छे से, अभी कैसे खिलाऊँ आपको चिज्जी, अम्मा है न।
बिरजू- तो फिर मुझे दिखा ही दो।
नीलम- चिज्जी को देखोगे भी कैसे बाबू, अंधेरा है न, कल दिन में दिखाउंगी अच्छे से, मान जाओ बाबू, मेरे प्यारे बाबू।
बिरजू ने फिर कहा- अच्छा तो फिर मुझे मेरे जामुन खिला दो, तुमने बोला था न कि आज जामुन खिलाऊंगी।
नीलम ने एक बार अपनी माँ की तरफ देखा फिर बोला- अच्छा ठीक है बाबू लो, धीरे धीरे खाना, आवाज मत करना।
और ऐसा कह कर नीलम अपनी चोली के बटन खोलने लगी और एक ही पल में सारे बटन खोल कर चोली के दोनों पल्लों को हटा कर इधर उधर कर दिया, ब्रा में उसकी कसी हुई बड़ी बड़ी दोनों चूचीयाँ दिखने लगी, बिरजू की अपनी सगी बेटी की इतनी बड़ी बड़ी चूचीयाँ ब्रा के ऊपर से ही देखकर आँखे फटी की फटी रह गयी।
नीलम ने हाथ पीछे लेजाकर ब्रा का हुक खोलकर ब्रा को ऊपर गर्दन की तरफ उठा कर अपनी कयामत ला देने वाली दोनों चूचीयों को अपने सगे बाबू के आगे निवस्त्र कर दिया, स्पॉन्ज की तरह दोनों गुदाज बड़ी बड़ी चूचीयाँ उछलकर बाहर आ गयी, अंधेरे में बस हल्का हल्का ही दिख रहा था फिर भी बिरजू आंखें फाड़े नीलम की दोनों चूचीयों को बदहवास सा देखता रह गया, वासना और जोश की वजह से दोनों चूचीयाँ किसी गोल गुब्बारे की तरह फूलकर सख्त हो गयी थी और उनकी गोलाइयाँ देखते ही बनती थी, आज पहली बार सगी बेटी की नंगी चूचीयाँ आंखों के सामने थी, दोनों की सांसें वासना में तेज तेज चल रही थी, तेज सांसें चलने से नीलम की दोनों उन्नत चूचीयाँ ऊपर नीचे हो रही थी, बिरजू ने धीरे से अपना बायां हाँथ उठाकर दायीं गोल चूची पर रखा तो नीलम थरथरा गयी आआआआआहहहहह....बाबू, आज पहली बार उसके बाबू ने उसकी नंगी चूची को अपने हांथों से छुआ था, क्या नरम नरम फूली हुई गोल गोल चूची थी नीलम की और उफ्फ उसपर वो जामुन के आकार का फूला हुआ सख्त निप्पल। नशे में बिरजू की आंखें बंद हो गयी, बिरजू ने दायीं चूची को हाथों में लिया और भर भर के दबाना शुरू कर दिया, नीलम हल्के हल्के सिसकने लगी फिर धीरे से कराहते हुए बोली- बाबू जल्दी से अपना जामुन थोड़ा सा खा लो, फिर कल अच्छे से खाना।
बिरजू ने ये सुनते ही दायीं चूची का जामुन जैसा मोटा सख्त निप्पल अपने मुँह में भर लिया और नीलम मस्ती में लहरा गयी, मुँह से उसके तेज से सिसकी निकली, बिरजू तेज तेज वासना में चूर होकर निप्पल पीने लगा और चूची को भी दबाने लगा, नीलम मस्ती में अपने दोनों पैरों को आपस में रगड़ने लगी जो उसने मोड़कर अपने बाबू की कमर से बांध रखे थे, मस्ती में भरकर उसकी आंखें बंद हो गयी और अपने हांथों से अपने बाबू के बालों को बडे प्यार से सहलाते हुए हल्के हल्के आआआहहह..........आआआ आआआहहहहह करने लगी।
बिरजू लपलपा कर अपनी सगी बेटी की चूची पिये जा रहा था, निप्पल चाटे और चूसे जा रहा था, कभी कभी दांतों से काट भी लेता तो नीलम दबी आवाज में कराहते हुए अपने नाखून पीठ को सहलाते हुए उसमे गड़ा देती, कैसे नीलम अपने सगे बाबू को अपनी चूची खोलकर पिला रही थी कितना मादक दृश्य था।
नीलम ने सिसकते हुए अपने दोनों हांथों से दोनों चूचीयों को पकड़ा और दोनों निप्पल को बिल्कुल पास पास कर दिया बिरजू ने दोनों निप्पल को एक साथ मुँह में भर लिया और नीलम कराह उठी, अपनी चूची को वैसे ही पकड़े रही और बिरजू एक साथ दोनों निप्पल मुँह में भरकर पीता रहा, नीलम दबी आवाज में सिसकती रही, एकाएक उसको लगा कि अम्मा करवट ले रही हैं तो उसने धीरे से बिरजू से कहा- बाबू बस, लगता है अम्मा उठेंगी।
और नीलम ने झट ब्रा को नीचे खींचकर दोनों चूची को ढक लिया और चोली के बटन लगाने लगी, दोनों बाप बेटी चुप करके एक दूसरे को बाहों में भरे नीलम की माँ की तरफ कुछ देर देखते रहे और जब ये आस्वस्त हो गए कि वो सो रही है तो बिरजू बोला- जामुन तो बहुत प्यारे और बहुत ही मीठे हैं मेरी बेटी के।
नीलम ने शर्माते हुए बिरजू की पीठ पर चिकोटी काट ली और बोली- बाबू सुन लेगी अम्मा जरूर, मीठे मीठे जामुन चुपचाप खा लेते हैं ज्यादा बोलते नही हैं पगलू।
बिरजू- नही सुनेगी मेरी रानी, वो सो रही है। अच्छा सुन
नीलम- हम्म, बोलो न बाबू
बिरजू- मुझे मेरी चिज्जी देखना है।
नीलम सिसकते हुए- कैसे देखोगे बाबू बहुत अंधेरा है, बत्ती जला नही सकते।
बिरजू- छू कर देखूंगा बस, जल्दी से
नीलम- ठीक है मेरे बदमाश बाबू, तुम मानोगे नही, तो छू लो थोड़ा सा।
और फिर बिरजू मुस्कुराते हुए नीलम के बगल में लेट गया और उसके तड़पते होंठों पर अपने होंठ रख दिये, नशे में फिर नीलम की आंखें बंद हो गयी, बिरजू ने लेटे लेटे अपने सीधे हाँथ से अपनी सगी बेटी के घाघरे को नीचे से उठाया और पैरों व मोटी मोटी जाँघों को सिसकते हुए सहलाने लगा, नीलम तड़प उठी, बिरजू आज पहली बार अपनी बेटी की मांसल जाँघों को छू और सहला रहा था, अपने बाबू के हाँथ अपनी जाँघों पर रेंगते हुए महसूस कर नीलम तड़प कर कराह उठी, कितनी मोटी मोटी मादक जांघे थी नीलम की, जाँघों को छूते और काफी देर सहलाने के बाद बिरजू ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी नीलम की मखमली फूली हुई रसभरी महकती बूर को हथेली में भरकर दबोच लिया और नीलम कराह उठी, बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आवाज को दबाया और
भारी सांसों से उसने बोला- बाबू जल्दी करो, छुओ न चिज्जी को,
इतना सुनते ही बिरजू ने नीलम की पैंटी की इलास्टिक को उठाते हुए हाँथ अंदर डाल दिया और अपनी शादीशुदा सगी बेटी की रस बहाती बूर पर हाँथ रख दिया, नीलम गनगना कर अपने बाबू से लिपट गयी और उनके सीने में शर्म से मुँह छिपा लिया, बिरजू धीरे से कान में बोला- यही है न चिज्जी?
नीलम शर्म के मारे कुछ नही बोली
तो फिर बिरजू ने दुबारा पूछा- बोल न, यही है न वो चिज्जी जिसको खाते हैं
इस बार नीलम ने बहुत शर्माते हुए धीरे से कान के पास मुँह ले जाकर बोला- हां मेरे बाबू यही है वो चिज्जी जिसको खाते हैं।
इतना सुनते ही बिरजू वासना में सिसक उठा और अपनी बेटी की बूर को हाँथ से सहलाने लगा, नीलम की बूर बिल्कुल पनिया गयी थी, वो अपने बाबू के सीने में मुँह छुपाये धीरे धीरे होंठों को भीचते हुए हाय हाय करने लगी, कितनी मोटी मोटी मखमली फांकें थी नीलम की बूर की, भगनासा कितना फूला हुआ और मुलायम सा था, हल्के हल्के बालों में छिपी अपनी बेटी की दहकती बूर को बिरजू मसलने लगा, नीलम से रहा नही जा रहा था तो उसने बिरजू का हाँथ पकड़ लिया और फुसफुसाके बोली- बाबू बस, अब बस करो, रहा नही जाता, अम्मा जग सकती है कभी भी, कल खूब प्यार कर लेना जी भरके, बस भी करो मेरे बाबू, मुझसे रहा नही जा रहा, बाकी की सारी चिज्जी कल खा लेना अच्छे से।
बिरजू ने तड़पते हुए अपनी बेटी को चूम लिया और बोला- ठीक है तू सो जा अब मैं अपनी खाट पर जाता हूँ, पर एक बार तो बता दे
नीलम - क्या बाबू?
बिरजू- इस चिज्जी को और क्या बोलते हैं।
नीलम पहले तो शर्मा गयी फिर कुछ देर बाद धीरे से कान में बोली - इसको...बूबूबूबूरररररर....बोलते हैं
और कहकर फिर शर्म से लाल हो गयी।
बिरजू- हाहाहाहाहाहायययययय.......….…..ऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़फ़फ़ मेरी जान, और क्या बोलते हैं?
नीलम- अच्छा जाओ सो जाओ बाबू, मुझे शर्म आती है, अब मुझे नही पता।
बिरजू- बता न, बस एक बार और फिर चला जाऊंगा, जल्दी से बोल दे। बोल न
नीलम फिर शर्माते हुए कान में धीरे से- इसको चूचूचूचूचूतततत.....भी बोलते है, अब खुश।
बिरजू- हाय मेरी जान।
और नीलम फिर शर्मा जाती है, बिरजू नीलम को कस के होंठों पर एक चुम्बन लेता है और अपनी खाट पर जाकर लेट जाता है, कुछ देर तक तो नीलम और बिरजू तड़पते हुए एक दूसरे को अंधेरे में देखते रहते हैं फिर धीरे धीरे सो जाते हैं।