Update- 48
अगली सुबह वही अमावस्या की रात का दिन था, नीलम ने आज सुबह नहा कर गुलाबी रंग का सूट पहन लिया था, इसी दिन दोपहर में रजनी काकी के साथ बिरजू को देखने आयी थी और उधर घर पे उदयराज रजनी द्वारा छुपाया हुआ कागज ढूंढ रहा था, ये वही दिन था 7वां दिन, उधर आज की रात रजनी और उदयराज का रसीला मिलन कुल वृक्ष के नीचे हुआ और उसी रात इधर नीलम और बिरजू की भी रसीली चुदाई हुई थी, उधर रजनी और उदयराज महापाप का रसीला आनंद ले रहे थे और इधर नीलम और बिरजू भी महापाप के लज़्ज़त का भोग लगा रहे थे, ये वही दिन था, इसी रात इस गांव में महापाप की सिसकारियां दो जगह गूंजी थी।
नीलम की माँ करीब 12:30 तक नीलम के नाना के घर जाने वाली थी तभी रजनी और काकी आ गयी थी फिर वह उनसे काफी देर बातें करती रही और करीब 2 बजे अपने मायके जाने के लिए निकली थी, काकी ने नीलम की माँ से पूछा भी था कि क्या बात हो गयी अचानक कैसे तू अपने मायके जा रही है तो नीलम की माँ ने काकी को धीरे से सारी बातें बता दी थी, काकी ने भी अपनी सहमति जताई कि ठीक है करके देख ले, नीलम की कोख कब से सूनी है, क्या पता ईश्वर सुन लें।
नीलम की माँ 2 बजे तक थैले में जामुन लेके जा चुकी थी, बिरजू का हाँथ काफी हद तक ठीक हो गया था, काकी, नीलम, बिरजू और रजनी काफी देर बातें करते रहे, नीलम ने एक बार सोचा कि वो रजनी से अपनी मन की बात कहे पर न जाने क्यों कुछ सोच कर वो चुप ही रह गयी थी, उसने सोचा था कि बाद में कभी उससे पूछेगी, अभी तो उसे इतनी बेचैनी थी कि जैसे तैसे वो समय काट रही थी।
नीलम ने रजनी और काकी को खाना खिलाया और जामुन भी दिए खाने को, रजनी का मन तो लग नही रहा था इसलिए वो जल्दी आ गयी थी, काकी काफी देर तक बैठी थी नीलम से बातें करती रही, मन तो अब नीलम का भी नही लग रहा था वो और बिरजू सोच रहे थे कि काकी जल्दी जाए पर बोल भी नही सकते थे, खैर जैसे तैसे काकी भी चली गयी।
शाम हो चुकी थी अंधेरा हो गया था, नीलम ने घर के अंदर और बाहर लालटेन जला दी और जैसे ही बरामदे में खाट पर बैठे अपने बाबू के पास से उन्हें मुस्कुराते हुए देखकर घर में जाने के लिए उनके आगे से गुजरी कि बिरजू ने लपककर नीलम का हाँथ पकड़ लिया, नीलम ने मुड़कर मुस्कुराते हुए पलटकर देखा बिरजू ने नीलम को अपने ऊपर खींच लिया, नीलम आआआआहहहह करते हुए अपने बाबू के ऊपर गिरी और दोनों बाप बेटी खाट पर लेट गए।
बिरजू ने झट से नीलम के होंठों को अपने होंठों में भर लिया तो नीलम जोर से सिसक उठी, दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे, होंठों के मिलन की असीम लज़्ज़त में दोनों खो गए, बिरजू का लंड खड़ा होने लगा, नीलम की चूचीयाँ सख्त होने लगी, काफी देर दोनों अमरबेल की तरह एक दूसरे से लिपटे, एक दूसरे के होंठों को तन्मयता से चूमने चाटने लगे, नीलम का बदन मजे में सुलगने लगा, तन बदन में तरंगे उठने लगी, वासना का उठान जोर पकड़ने लगा, बिरजू ने काफी देर अपनी बेटी के होंठ चूसने के बाद होंठ अलग किये, नीलम के हल्के हल्के वासना में हिलते होंठों को वो देखने लगा, नीलम ने आंखें बंद की हुई थी एकाएक उसने भी आंखें खोलकर अपने बाबू को थोड़ी दूर जल रही लालटेन की हल्की रोशनी में देखा, तो बिरजू बोला- कितनी खूबसूरत है तू
नीलम अपने बाबू की आंखों में देखते हुए- आपकी बेटी की खूबसूरती सिर्फ आपके लिए है, सिर्फ आपके लिए।
नीलम ने भारी आवाज में कहा- मैं आपके लिए बहुत तरसी हूँ बाबू बहुत।
बिरजू- तो तूने मुझे पहले कभी इशारा क्यों नही किया।
नीलम- कैसे करती बहुत डरती थी, लोक लाज की वजह से, फिर ये सोचती थी कि आप अम्मा के हो मेरे कैसे हो सकते हो?
बिरजू- ओह! मेरी बिटिया, तेरी अम्मा से भी पहले मैं तेरा हूँ सिर्फ तेरा। सिर्फ अपनी बेटी का हूँ मैं।
नीलम- अपनी सगी बेटी को इतना चाहते हैं आप।
बिरजू- बहुत, बहुत मेरी बेटी बहुत।
नीलम- ओओओओहहहहह....मेरे बाबू, क्यों हम अब तक इतने दूर दूर थे।
बिरजू- अब तो पास आ गए न, अब तो मैं अपनी बेटी के अंदर समा ही जाऊंगा, बहुत अंदर तक।
नीलम- अपनी सगी बेटी के अंदर, बहुत अंदर
बिरजू- हां, अब रहा नही जाता।
नीलम- तो समा जाना आज रात, अब तो कोई भी नही है, हम दोनों ही है घर पे अकेले, किसी का कोई डर भी नही, किसी को पता भी नही चलेगा, बाबू....सुनो न (नीलम ने अपने बाबू के कान में धीरे से कहा)
बिरजू- बोल न
नीलम- अपनी सगी बेटी के ऊपर चढ़ो न, बगल में क्यों लेटे हो, अब तो किसी का डर नही।
इतना सुनते ही बिरजू नीलम के गालों पर ताबड़तोड़ चूमता हुआ उसके ऊपर धीरे धीरे चढ़ने लगा और नीलम भी सिसकते हुए अपने बाबू के नीचे आने लगी, बिरजू पूरी तरह चढ़ गया नीलम के ऊपर, दोनों ही कराह उठे, नीलम ने अपने पैर बिरजू की कमर पर उठाकर लपेट दिये, बिरजू नीलम को गालों, होंठों, गर्दन, कान के पास ताबड़तोड़ चूमने लगा, नीलम जोर जोर से सिसकने लगी और बोली- आप चूमते हो तो कितना अच्छा लगता है बाबू, बहुत मजा आता है।
बिरजू- अच्छा, ऐसा क्यों (बिरजू ने जानबूझ के पूछा)
नीलम ने शर्माते हुए कहा- क्योंकि आप बाबू हो और.....
बिरजू- और क्या?
नीलम ने धीरे से कहा- और..... मैं आपकी बेटी, वो भी सगी बेटी, आप मेरे बाबू हैं इसलिए बहुत शर्म भी आती है और असीम आनंद भी।
बिरजू- सच
नीलम- हाँ, बाबू बहुत अच्छा लगता है, जब आप मुझे चूमते और सहलाते हो, अजीब सी गुदगुदी होती है, तन बदन में झुरझुरी हो जाती है।
बिरजी का लंड अपनी ही सगी बेटी के मुँह से ये सुनके लोहा हो गया और सीधा नीलम की बूर पर कपड़े के ऊपर से ही बूर में धसने लगा, बिरजू हल्के हल्के लंड से बूर को रगड़ने लगा, नीलम ने तड़प के आंखें बंद कर ली, बिरजू लगातार उसे हर जगह चूमे जा रहा था।
अभी सिर्फ शाम के 7:30 ही हुए थे और दोनों बाप बेटी गुथे हुए थे, इतना जरूर था कि अंधेरा हो गया था, लालटेन हल्की रोशनी में जल रही थी, कोई घर पर आ भी सकता था पर अब दोनों को होश कहाँ था, इतनी गनीमत थी कि वो दोनों बरामदे में थे।
बिरजू नीलम को बेताहाशा चूमे जा रहा था नीलम की सांसें उखड़ने लगी, मदहोश होकर सिसकने लगी वो, हाँ बाबू ऐसे ही........और चूमो मुझे.........जी भरके चूमो बाबू अपनी सगी बेटी को.........आआआआआआआहहह हहह......हाहाहाहाहाहाययययय........अब तो अम्मा भी नही है........खूब प्यार करो अपनी बिटिया को.....बाबू......ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़........हाहाहाहाहाहाययययय......अम्मा कितना अच्छा लग रहा है।
बिरजू लगातार मदहोशी में नीलम को चूमता जा रहा था नीलम का पूरा चेहरा, गर्दन, कान के आस पास का हिस्सा बिरजू के प्यार भरे चुम्बन से गीला हो चुका था जिसने नीलम की दहकती बूर में झनझनाहट पैदा कर दी और वो रिसने लगी।
नीलम- बाबू, ओ मेरे बाबू
बिरजू- हाँ मेरी रानी
नीलम- लालटेन बुझा देती हूं।
बिरजू रुककर नीलम को प्यार से देखने लगा
नीलम- बुझा देती हूं न, क्या पता कोई आ ही जाए इस वक्त, अभी ज्यादा रात नही हुई है न, थोड़ी देर अंधेरे में प्यार करके फिर जला दूंगी।
बिरजू - हाँ, जा बुझा दे।
नीलम जैसे ही उठने को हुई वहां शेरु और बीना न जाने कहाँ से द्वार पे भटकते भटकते आ गए, नीलम गर्भवती बीना को देखकर मुस्कुरा दी।
नीलम और बिरजू बरामदे में थे वहां से बाहर द्वार पर सब दिख रहा था। नीलम और बिरजू ने शेरु और बीना को देखा, तो बिरजू बोला- अरे इस वक्त ये दोनों कहाँ से आ गए, शायद भूखे हैं कुछ खाने को दे दे इनको।
नीलम- बाबू, जरा बीना को ध्यान से देखो।
बिरजू- क्या हुआ उसको? ये बाप बेटी भी हमेशा साथ साथ ही रहते हैं।
नीलम- अरे उसको देखो, देखो तो सही, आपको कुछ फर्क नही लग रहा।
बिरजू और नीलम ने एक दूसरे को अभी भी बाहों में भर रखा था, और बिरजू नीलम पर चढ़ा हुआ था, क्योंकि जैसे ही नीलम उठने को हुई थी वैसे ही शेरु और बीना आ गए थे तो वो दोनों फिर लेट गए।
बिरजू ने बीना को ध्यान से देखा फिर बोला- इसको क्या हुआ कुछ तो नही।
नीलम- अरे बहुत ध्यान से देखो उसका पेट फूला हुआ है (नीलम ने फिर बिरजू के कान में कहा) बाबू वो न गर्भवती है।
बिरजू- क्या......सच
नीलम- हाँ, और पता है उसको गर्भवती किसने किया है।
बिरजू- किसने
नीलम ने वासना में आंखें बंद कर भारी आवाज में अपने बाबू के कान में कहा- खुद उसके पिता ने, शेरु ने
बिरजू अवाक सा नीलम की आंखों में देखने लगा- सच
नीलम ने शर्मा कर हाँ में सर हिलाते हुए अपना चेहरा हाथ से छुपा लिया, तो बिरजू ने उसके हाँथ को हटा कर नीलम को शर्माते हुए देखा तो वो और शर्मा गयी, बिरजू बोला- तुझे कैसे पता?
नीलम ने धीरे से कहा- मैन शेरु को कई बार बीना को "वो" करते हुए देखा था।
बिरजू ने अपने लंड से एक झटका अपनी बेटी की बूर पर कपड़ों के ऊपर से मारा और बोला- वो क्या मेरी रानी।
नीलम जोर से सिसक उठी पर शर्मा कर चुप रही।
बिरजू ने फिर पूछा - बोल न
नीलम वासना में कंपते हुए- "बीना को चोदते हुए।"
और इतना कहकर नीलम अपने बाबू से सिसकारी लेते हुए चिपक गयी।
बिरजू ये जानकर थोड़ा हैरान हुआ फिर उसने अपनी बेटी नीलम के चेहरे को बड़े प्यार से देखा, नीलम की आंखें बंद थी बिरजू बोला- आंखें खोल न
नीलम ने आंखें खोल दी, उसकी आँखों में शर्मो हया साफ दिख रही थी
बिरजू- तूने इन दोनों की चुदाई देखी है
नीलम ने हम्म में सिर हिलाकर कहा फिर बोली- कई बार देखी है।
बिरजू नीलम को और नीलम बिरजू की आंखों में देखते रहे, फिर बिरजू बोला- अगर मेरी बेटी पैदा होगी तो वो बिल्कुल मेरी बेटी जैसी खूबसूरत होगी न।
नीलम ये सुनकर अपने बाबू का अर्थ समझते ही गनगना गयी और सिरहकर ओह बाबू कहते हुए अपने बाबू से फिर कसके लिपट गयी, उसकी सांसे तेज चलने लगी, काफी देर सांसों को काबू करने के बाद नीलम धीरे से बोली- और बाबू बेटा होगा तो बिल्कुल आपके जैसा बलशाली होगा न।
ये बोलकर नीलम सर उठा के अपने बाबू की आंखों में देखने लगी फिर बोली- आप मुझे बच्चा दोगे बाबू?
बिरजू बड़े प्यार से नीलम के बालों को सहलाता हुआ- क्यों नही मेरी बेटी, मेरी जान, क्यों नही, तेरी सूनी कोख अब सूनी नही रहेगी, किसी को पता भी नही चलेगा।
बिरजू ने आगे कहा- बछिया को बैल को तो दिखाना पड़ेगा न तभी तो उसको बच्चा होगा और फिर वो दूध देगी, और फिर मेरी सेहत बनेगी।
नीलम- ओह! मेरे बाबू, आप अपनी इस बछिया की कोख में बीज बो दीजिए, ताकि वो आपके बच्चे को जन्म दे और ढेर सारा दूध आपको पिलाये, मेरे बाबू अपनी इस बछिया के अरमान पूरे कर दीजिए। ये बछिया सिर्फ आपकी है।
बिरजू- जरूर मेरी बच्ची,
नीलम ने फिर बड़ी कामुकता से बिरजू के कान में कहा- बेटी से बेटी पैदा करोगे, बाबू?
बिरजू ने नीलम के कान में कहा- बेटी को चोदकर बेटी पैदा करूँगा।
नीलम सिसक उठी
बिरजू बोला- बोल न, एक बार धीरे से
नीलम ने बिरजू के कान में बोला- बेटी को चोद कर बेटी पैदा करना बाबू सच बहुत मजा आएगा, सगी बेटी को चोदकर।
बिरजू और नीलम कराह उठे ये बोलकर
बिरजू- मजा आयेगा न
नीलम सिरहते हुए- बहुत बाबू, बहुत, जैसे शेरु ने किया, बीना को बहुत मजा आया था।
बिरजू- चिंता न कर मेरी बिटिया तुझे भी पूरा मजा आएगा।
नीलम और बिरजू दोनों कस के लिपट गए और बिरजू ने लंड से एक सूखा घस्सा बूर पर मारा तो नीलम चिहुँक कर सिसक गयी और बोली- लालटेन बुझा देती हूं बाबू।
बिरजू- हाँ बुझा दे और इनको भी खाना दे दे।
नीलम- या तो बाबू पहले खाना बना लेती हूं, खाना भी तो बनाना है न।
बिरजू- हाँ ये भी तो करना ही है, तू खाना बना ले मैं जानवरों को चारा डाल देता हूँ। लेकिन तूने आज साड़ी क्यों नही पहनी?, कल वादा किया था न!
नीलम बिरजू की आंखों में देखते हुए- अब पहनूँगी न मेरे बाबू, दिन में अम्मा थी तो कैसे पहनती, अभी नहा के साड़ी पहनूँगी आपकी पसंद की और वो भी?
बिरजू- वो भी क्या?
नीलम- अरे भूल गए, कच्छी बाबू कच्छी, काले रंग की।
नीलम ये बोलकर मुस्कुरा उठी, बिरजू ने उसे चूम लिया।
बिरजू और नीलम उठे, बरामदे से बाहर आये तो देखा कि शेरु बीना की बूर सूंघ रहा था, नीलम और बिरजू उनको देखने लगे, बीना चुपचाप खड़ी होकर अपनी बूर शेरु को सुंघाने लगी, बिरजू ने ये देखकर नीलम को बाहों में भर लिया नीलम अपने बाबू की बाहों में आ गयी और दोनों बीना और शेरु को देखने लगे, बिरजू- कितना मजा आ रहा होगा शेरु को बूर सूंघने में।
नीलम ये सुनते ही शर्मा कर धत्त बोलते हुए घर में भाग गई और थोड़ी देर बाद कुछ खाना लेकर आई और दोनों को दिया, शेरु और बीना खाना खाने लगे, नीलम अपने बाबू को मुस्कुराकर देखते हुए इशारे से बोली- मैं नहाने जा रही हूँ और घर में चली गयी, बिरजू समझ गया इशारा, पहले तो वो जानवरों को चारा डाल के आया फिर घर में गया और गुसलखाने की तरफ बढ़ा, एक छोटा लालटेन आंगन में जल रहा था, गुसलखाने के दरवाजे पर पर्दा लगा था, अंदर पानी गिरने की आवाज आ रही थी, जिससे पता लग रहा था कि नीलम नहा रही है बिरजू ने गुसलखाने के दरवाजे पर जाके एक हाथ से पर्दा सरकाया तो देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी, नीलम ने अपना सूट उतार दिया था और ऊपर सिर्फ ब्रा पहन रखी थी, नीचे सलवार पहन रखी थी, पूरा बदन भीगा हुआ था, अभी नहाना उसने शुरू ही किया था, अपने बाबू को देखकर वो खड़ी हो गई।
बिरजू ने आगे बढ़कर उसे पीछे से बाहों में भर लिया।
बिरजू- कितनी खूबसूरत है तू बेटी, रहा नही जाता बिल्कुल अब
नीलम- आआआआआहहहहह........बाबू, रहा तो मुझसे भी नही जा रहा।
बिरजू- मुझे शेरु बनना है
नीलम अपने बाबू का इरादा समझ गयी और वासना में चूर होकर बोली- हाय, तो फिर मैं बीना बन जाती हूँ बाबू और इतना कहकर नीलम अपने दोनों हाँथ सिसकते हुए दीवार पर लगा कर पैरों को हल्का खोलते हुए भीगी सलवार में चौड़ी सी गांड को बाहर को उभारकर सिसकते हुए खड़ी हो गयी और बोली- लो बाबू सूँघो अपनी बेटी को....आआआहह, जैसे कल सुबह सूंघ रहे थे।
बिरजू नीचे बैठकर अपनी बेटी की चौड़ी गुदाज गांड को पहले तो जोर जोर से दबाने और भीचने लगा फिर एकाएक उसने नीलम की मखमली गांड को फैलाया और दोनों पाटों के बीच में सलवार के ऊपर से ही चूम लिया, नीलम जोर से कराह उठी, बिरजू ने एकाएक अपनी नाक गांड के छेद पर सलवार के ऊपर से ही लगा दी और मदहोश होकर मादक गंध को सूंघने लगा, दोनों हांथों से गांड को सहलाये जा रहा था, कुछ पल तक बिरजू अपनी सगी बेटी नीलम की गांड को कस कस के दबा दबा के सूंघता रहा कि तभी नीलम ने कराहते हुए सलवार का नाड़ा जल्दी से खोल दिया और गीली सलवार सरककर नीचे गिरने लगी, बिरजू ने अपना मुँह हटाकर सलवार को नीचे गिर जाने दिया और अब....अब तो नीलम सिर्फ पैंटी और ब्रा में खड़ी थी।
नीलम धीरे से सिसकते हुए बोली- बाबू सूँघो न, बहुत अच्छा लग रहा है।
बिरजू ने ये सुनते ही कराहते हुए दोनों हांथों से नीलम की चौड़ी विशाल गांड को अच्छे से फाड़कर पैंटी को साइड किया और साइड करते ही अपनी सगी बेटी के गांड का गुलाबी छेद और बूर की निचली फांकें हल्की रोशनी में देखकर नशे में मदहोश हो गया, क्या गांड थी नीलम की ऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़फ़फ़, और वो गांड का गुलाबी छेद उसके हल्के से नीचे गीली बूर का हल्के काले बालों से भरा निचला हिस्सा, और उसमे से निकलती गरम गरम पेशाब और काम रस की मिली जुली भीनी भीनी मादक सी महक बिरजू को पागल कर गयी। नीलम ने सिसकारते हुए फिर आग्रह किया- बाबू जल्दी सुंघों न छेद को, खाओ न उसको।
बिरजू भूखे भेड़िये की तरह नीलम की गांड के गुलाबी से छेद पर टूट पड़ा, अपनी नाक छेद पर भिड़ाकर बड़ी तेज से कराहते हुए सूँघा, एक मादक सी महक बिरजू के अंदर तक समाती चली गयी, नीलम भी मस्ती में अपने बाबू की नाक और उससे निकलती गरम गरम सांसें अपनी गांड की छेद पर महसूस कर मचलते हुए कराह उठी और उसने अपना एक हाथ पीछे लेजाकर अपने बाबू का सर और भी अपनी गांड की छेद पर दबा दिया, आआआआआआहहहहहहह.........अम्मा........ ओओओओहहह........बाबू........सूंघों न और अच्छे से मेरी गांड को सूंघों बाबू..............जैसे शेरु सूंघता है अपनी बेटी की बूर और गांड को....वैसे ही सूँघो..........इसकी खुशबू लो..........ऊऊऊईईईईईईई....….कितना मजा आ रहा है...........कैसा लग रहा है न बाबू...........कभी सोचा नही था कि आप मुझे नंगा करके मेरी गांड के छेद को सूंघेंगे............आआआआहहह......दैय्या.......हे भगवान.......मेरे बाबू.......ये सब करने में भी कितना मजा है न............करो न बाबू जोर जोर से चाटो छेद को........आआआआहहहह।
बिरजू- आआआआहहहह मेरी बेटी क्या महक है तेरी चौड़ी गांड की.......ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़...... मजा ही आ गया........कितनी चौड़ी गांड है तेरी..........कितनी नरम और बड़ी है तेरी गांड........कितनी मोटी है........ये छेद कितना प्यारा है गांड का.......हाय।
बिरजू नीलम की गांड के छेद पर जीभ गोल गोल घुमाने लगा, जीभ से चाटने लगा।
नीलम- उफ़्फ़फ़फ़ हाय मेरे बाबू चाटो ऐसे ही अपनी बेटी की गांड.........हाय
पूरी गांड थूक से सन गयी, बिरजू कभी जीभ से चाटता कभी सूंघता, कभी उंगली से छेद को धीरे धीरे सहलाता, कभी चूमने लगता।
नीलम- बाबू.........आह, अपनी बेटी की बूर कब चटोगे मेरे राजा, गांड के छेद से बस थोड़ा सा ही नीचे है वो, उसको भी चाट लो न बाबू।
दरअसल बिरजू नीलम की गांड फाड़े खाली उसकी गांड के छेद को सूंघ रहा था, चाट चूम और सहला रहा था, गांड के छेद की गंध ने उसे मतवाला कर रखा था और जब नीलम ने बूर चाटने का आग्रह किया तब उसका ध्यान नीचे गया और उसने आंखें खोलकर देखा तो नीलम ने अपनी गांड को और ऊपर को उठाकर अपनी बूर को परोस रखा था, नीलम दोनों पैर फैलाये आंखे बंद किये खड़ी थी, गांड उसने पीछे को और उभार रखी थी, अपने एक हाँथ से वो बिरजू के सर को सहला रही थी और उसका दूसरा हाँथ से दीवार पर टेक लगाए हुए थी, बिरजू ने दोनों हांथों से नीलम की चौड़ी गांड को अच्छे से फाड़ रखा था। पहले तो उसने एक हाँथ से पैंटी को साइड किया हुआ था फिर नीलम के बूर चाटने के आग्रह पर बिरजू ने पैंटी को पकड़ा और उसको नीचे जाँघों तक एक ही झटके में नीचे खींचकर अपनी सगी बेटी की गांड को पूरा नंगा कर दिया, मोटी मोटी कसी हुई मखमली गांड के दोनों पाट उछलकर नंगे हो गए, कितना कसाव था गांड में, नीलम आह करके मचल उठी।
बिरजू ने अपनी बिटिया की मदमस्त गांड को दोनों हांथों से कस के फैला दिया, बूर की दोनों फांक हल्की सी खुल गयी, बिरजू ने अपनी प्यासी जीभ अपनी बेटी की प्यासी बूर के दोनों फाँकों के बीच घुसेड़ दी।
नीलम जोर से ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़........बाबू करते हुए उछल पड़ी, बिरजू लप्प लप्प बूर को पीछे से चाटने लगा, नीलम अपनी गांड को और अच्छे से ऊपर को उठाकर हाय हाय करते हुए अपनी बूर को अपने बाबू की जीभ पर रगड़ने लगी।
नीलम- आआआहहहह........ऊऊऊईईईईईईई......अम्मा.........हाय बाबू लगता है आज आप मुझे नहाने नही दोगे.............सब कुछ यहीं कर लोगे क्या...........हाय बाबू............कितना अच्छा बूर चाटते हो आप...........मजा आ गया......ऐसे ही चाटो..........उफ़्फ़फ़फ़.........बूर चटवाने में कितना मजा आता है..........हाय...... चूत चटवाने में.............कितनी मस्त है आपकी जीभ...........सच में बहुत अच्छा लग रहा है..........ओह मेरे बाबू....
बिरजू लपलपा कर नीलम की पूरी बूर पर पीछे से जीभ लगा लगा के चाटने लगा, बूर से निकल रहे रस और पेशाब की मिली जुली गंध ने उसे पागल कर दिया था, अपनी ही सगी बेटी के पेशाब के गंध को सूंघ सूंघ कर वो बदहवास होता जा रहा था, पूरे गुसलखाने में चप्प चप्प की बूर चटाई की आवाज दोनों की सिसकियों के साथ गूंजने लगी, नीलम के पैर खड़े खड़े थरथराने लगे, वासना में वो हाय हाय करते हुए कांपने लगी।
बिरजू बड़ी ही तन्मयता से एक हाँथ से नीलम की गांड फैलाये और दूसरे हाँथ से अपनी ही सगी बेटी की मखमली बूर को फैला फैला कर सपड़ सपड़ जीभ से चाटे जा रहा था, नीलम बहुत गर्म हो चुकी थी ऐसी मस्त बूर चटाई वो भी पीछे से आज तक कभी नही हुई थी, वो भी सगे पिता की जीभ से, जब उससे बर्दाश्त नही हुआ तो उसने कराहते हुए बोला- बाबू अभी बस करो.......मुझे नहा लेने दो न..........फिर अपनी बेटी को अच्छे से सारी रात चोदकर एक बेटी पैदा करना, इसी बूर से निकलेगी वो, थोड़ा सब्र करो बाबू, मेरी बात मान लो न बाबू.....आआआआआहहहहह।
बिरजू बड़ी मुश्किल से रुका और नीलम के कान में बोला- आआआआआआहहहहहहहह.......बिटिया, तेरी बूर, कितनी खूबसूरत है, ये कितनी मादक है......कितनी दहक रही है..आआआआहहह.....मेरी बेटी.......इसको चोदकर चोदकर तुझे बच्चा दूंगा मेरी बेटी।
नीलम- हाय, हाँ बाबू मुझे आपसे ही बच्चा चाहिए, सिर्फ आपसे.........ओफ़फ़फ़.......मेरे बलमा सिर्फ आप ही हैं मेरे बाबू।
बिरजू ने धीरे से नीलम के कान में कहा- बूर
नीलम गनगना कर बिरजू से सीधी होकर लिपट गयी, पैंटी तो नीलम की नीचे जांघ तक सरकी ही हुई थी आगे से उसकी बूर बिल्कुल नंगी थी। बिरजू ने एक हाँथ में नीलम की पनियायी हुई बूर को भर लिया और फाँकों की दरार में उंगली चलाने लगा और दुबारा उसके कान में धीरे से बोला- बूर
नीलम जोर से सिरह गयी।
बिरजू ने फिर कान में बोला- बूर
नीलम ये सुनकर फिर गनगना गयी, बिरजू बूर को बराबर सहला रहा था।
नीलम समझ गयी की उसके बाबू उसके कान में बार बार बूर क्यों बोल रहे हैं, उसने बड़ी मादक आवाज में अपने बाबू के कान में सिसकते हुए बोला- लंड
बिरजू- बूर
नीलम- हाय बाबू....लंड
बिरजू- मेरी बेटी की बूर
नीलम- मेरे बाबू का लंड
नीलम और बिरजू दोनों बोल बोल कर और सुन सुनकर गनगना जा रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को कस के बाहों में भरा हुआ था।
बिरजू- मेरी सगी बेटी को बूर
नीलम सिसकते हुए- हाय! मेरे सगे बाबू का लंड
इतने में बिरजू ने अपनी बेटी का हाँथ पकड़कर धोती में फौलाद हो चुके अपने 8 इंच लंबे, 3 इंच मोटे लन्ड पर रख दिया, नीलम के पूरे बदन में अपने बाबू का लन्ड छूते ही सनसनी दौड़ गयी, वह जोर से कराही, बिरजू नीलम की बूर को हल्का हल्का सहला ही रह था और अब नीलम भी अपने बाबू के विशाल लंड को धोती के ऊपर से ही पकड़ पकड़ कर सिसकते हुए मुआयना करने लगी, पूरे तने हुए लंड पर वो मचलते हुए अपना हाँथ फेरने लगी, कभी कभी नीचे मोटे मोटे दोनों आंड को भी मस्ती में भरकर सहलाने लगती। बिरजू की मस्ती में आंखें बंद हो गयी, सगी बेटी के नरम नरम हाथ अपने लन्ड पर महसूस कर बिरजू अनियंत्रित सा होने लगा। नीलम अपने सगे बाबू का लन्ड सहलाकर मस्त हो गयी।
दोनों बाप बेटी अब एक दूसरे का लंड और बूर सहला रहे थे।
बिरजू ने कराहते हुए कहा- मेरी बेटी की बूर में मेरा लंड।
नीलम ने सिरहते हुए कान में कहा- अपनी सगी बेटी नीलम की बूर में आपका मोटा सा मूसल जैसा लंड।
नीलम ने फिर धीरे से बिरजू के कान में सिसकते हुए कहा- बाबू...सगी बेटी को चोदने में बहुत मजा आएगा न, अम्मा से भी ज्यादा।
बिरजू- हाय.....हाँ मेरी प्यारी बिटिया, सगी बेटी को चोदने का मजा ही कुछ और है, बहुत रसीला मजा आएगा।
नीलम- आह....बाबू बस करो मैं नहा कर खाना बना लूं, फिर प्यार करेंगे सारी रात।
बिरजू- हाँ, ठीक है
और ऐसा कहते हुए उसने बूर पर से हाथ हटा लिया, नीलम के होंठों पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और गुसलखाने से बाहर आ गया, नीलम ने अपनी पैंटी को निकाल कर ब्रा भी निकाल दिया और नहाया, बिरजू भी बाहर आकर लेट गया, नीलम ने नहा कर लाल साड़ी और ब्लॉउज पहना और अंदर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन ली, फिर वह जल्दी जल्दी खाना बनाने लगी, जल्दी ही उसने कुछ हल्का फुल्का बना लिया, बिरजू ने नीलम को आंगन में अपनी गोद में बैठाकर बड़े प्यार से अपने हांथों से खाना खिलाया, नीलम ने भी अपने बाबू की आंखों में देखते मुस्कुराते हुए खाना खाया और उन्हें भी अपने हाथों से खिलाया।
रात के 11:30 हो चुके थे, नीलम ने अपने बाबू से कहा- बाबू अब आप बरामदे में लेटो, थोड़ी देर में आना, 12 बजे तक, बिरजू अपनी बेटी को चूमकर जाकर बरामदे में खाट पर लेट गया। 12 बजने का इंतज़ार करने लगा, बाहर द्वार पर लालटेन बुझा दिया, जैसे ही बारह बजे वो घर में गया, नीलम को ढूंढने लगा, सारे कमरों का दरवाजा खुला था बस एक का पल्ला सटाया हुआ था और उसमे लालटेन जलने की रोशनी भी आ रही थी, बिरजू ने उस कमरे का दरवाजा खोला तो नीलम लाल साड़ी पहने दुल्हन की तरह सजी हुई पलंग पर बैठी थी, उसने घूंघट किया हुआ था, बिरजू पलंग के पास आकर बैठ गया और उसने नीलम का घूंघट धीरे से उठा दिया नीलम दुल्हन की तरह सजी हुई थी, उसकी आंखें बंद थी, बिरजू ने धीरे से उसके होंठों को चूमते हुए बोला- हाय..मेरी दुल्हन
नीलम सिसकते हुए- दुल्हन नही बाबू.......बेटी......सगी बेटी......सगी बेटी बोलो न......बेटी हूँ न आपकी
बिरजू- आह मेरी बेटी, मेरी सगी बेटी।
नीलम- हाय, मेरे बाबू, अब आया न मजा।
और दोनों बाप बेटी एक दूसरे की बाहों में समा गए, बिरजू ने नीलम को बाहों में उठा लिया और लालटेन बुझाते हुए उसको बाहों में उठाये उठाये बाहर आ गया और बरामदे में खाट पर लिटा दिया, अमावस्या की अंधेरी रात थी, गांव के सब लोग खर्राटे लेने लगे थे, बिरजू ने घर के सारे लालटेन बुझा दिए थे, बाहर का लालटेन भी बुझा दिया था, बाहर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी जो बरामदे के अंदर तक आ रही थी, गुप्प अंधेरा था, बिरजू के घर के थोड़ी थोड़ी दूर पर कुछ और घर भी थे।