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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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S_Kumar

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वातावरण एकदम काममय कर दिया।

कामुकता से परिपूर्ण।



आपसे निवेदन है कि ऐसी एक रचना भाई बहन और एक रचना मां बेटे पर रचिऐ।
ये खत्म होने के बाद
 

S_Kumar

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Sir bhot zordar jaa rhi h story
Mera suggestion h agar paap hi bacha skta h to bade se bada paap hona chahiye...
Rajni or neelam ki adla badli honi chahiye unke bapuo ke sath ....
Fir rajni ka uske sasur ke sath sath
neelam ka uske sasur se sampark bnaya jaye to gazab ho jaye
Suggestion ke liye thank you, aage dekhte jaiye kya hota hai
 

S_Kumar

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Update- 52

नीलम और बिरजू जब सोए तब तक रात के 3 बज चुके थे, नीलम अपने बाबू की बाहों में सिमटी सो रही थी, बारिश की वजह से मौसम ठंडा हो चुका था, रात को जब नीलम और बिरजू को थोड़ी ठंड सी लगी तो नीलम अपने बाबू से बोली- बाबू मुझे ठड़ी लग रही है।

बिरजू ने उसे और कस के बाहों में भरते हुए कहा- मेरे माल को ठंड लग रही है।

नीलम ने नींद में कहा- हाँ बाबू आपके माल को, आपकी रांड को ठंड लग रही थी।

बिरजू- मेरे होते हुए मेरी जान को ठंड कैसे लग सकती है।

नीलम- बाबू वो पीठ का हिस्सा खुला है न, इसलिए।

बिरजू ने कहा- अच्छा रुक।

और उसने उठकर पास ही रखे चादर को उठाया और अपनी बिटिया को बाहों में भरकर चादर ओढ़कर फिर से दोनों चटाई पर लेट गए, चादर ओढ़ने से गर्माहट हुई और दोनों फिर से एक दूसरे को बाहों में भरकर हौले हौले चूमने लगे।

नीलम- बाबू

बिरजू- बोल मेरी बिटिया।

नीलम कान में धीरे से- बिटिया नही......रांड......रांड बोलो न बाबू, बिटिया तो मैं आपकी हूँ ही, पर मुझे रांड बोला करो न, सुनकर बहुत जोश और रोमांच होता है, एक बेटी अपने बाप की रांड हो इससे मजेदार और कामुक क्या हो सकता है। रांड बोलो न बाबू......बोलो

बिरजु कान में धीरे से- रांड

नीलम- आआआआआहहहहहह........और बोलो

बिरजू- आह मेरी रांड......मेरी रंडी

नीलम- ओओओओहहहहहह........बाबू......बेटी लगा के बोलो न, सगी बेटी लगा के।

बिरजू- ओह मेरी बेटी......मेरी रंडी.....मेरी अपनी सगी बेटी ही मेरी रांड है........मेरा लौड़ा लेती है अपनी बूर में।

नीलम- आआआआआआआआआआआआआहहहहहहहहहह.........मेरे राजा.....मेरे बाबू......हाँ लेगी अपने बाबू का मस्त लौड़ा अपनी बूर में वो, उसका हक है, करले जिसको जो करना है....और बोलो न....बाबू

बिरजु- एक चीज़ और बोलूं तेरे कान में।

नीलम- बोलो न बाबू गंदा गंदा बोलो जो भी बोलना है, गंदा सुनके बड़ा मजा आता है, जब आप धीरे से कान में बोलते हो....बोलो

बिरजू- मेरी छिनाल

नीलम- हहहहहहययययययय......फिर बोलो

बिरजू- मेरी छिनाल, मेरी रांड........मेरी बेटी मेरी छिनाल है.......मेरी रांड है

नीलम- आह बाबू और? और क्या हूँ मैं आपकी


बिरजू- और....और मेरी जान है तू, मेरी सजनी है तू।

नीलम- वो तो मैं हूँ ही मेरे सैयां। बाबू सुनो न आपको पता है?

बिरजू- क्या?

नीलम- यही की हर औरत के अंदर एक रांड और छिनाल छुपी होती है और वो रांड केवल सिर्फ केवल अपने उस मर्द के लिए होती है जो उसे अच्छे से चोद चोद कर जन्नत की सैर कराता है। जब तक औरत चुदाई के दौरान छिनाल का रूप नही ले लेती, चुदाई में मजा ही कहाँ आता है बाबू।

बिरजू- अच्छा मुझे तो पता नही था, बात तो सही कही मेरी बिटिया (बिरजू ने जानबूझकर बनते हुए कहा)

नीलम- हाँ और क्या, ये सच है...अच्छा सुनो बाबू।

बिरजू- बोल

नीलम- बाबू मेरी बुरिया न...

बिरजू- ये बुरिया क्या होती है मेरी रांड (बिरजू ने फिर जानबूझकर बनते हुए कहा)

नीलम ने बिरजू की पीठ पर हल्के से चिकोटी काटते हुए कहा- हे भगवान बाबू........बुरिया का मतलब बूर.......बाबू......बूर, वही जिसको आप दो बार अच्छे से चोद के फाड़ दिए हो, समझे अब।

बिरजू- अच्छा हाँ......समझ गया, फिर क्या हुआ मेरी प्यारी सी रांड की बुरिया को।

नीलम- मेरी बुरिया न मुझसे कह रही थी कि उसको सुबह सुबह एक बार और अच्छे से आपका लंड चाहिए.......ओह लंड नही लौड़ा.....आपका लौड़ा।

बिरजू- तो खोल अभी डालता हूँ।

नीलम- बाबू अभी नही अभी सो जाओ, मैंने उसको बोला कि सुबह मिलेगा अब, क्योंकि मुझे नींद आ रही है। तो फिर सुबह अपनी इस रांड को एक बार और चोद देना बाबू.....ठीक

और नीलम ऐसा कहके हंसने लगी।

बिरजू ने उसके होंठों पर चुम्बन लिया और बोला- जो हुकुम मेरी जान, मेरी प्यारी सी रांड।

नीलम- हाय..... तो चलो अब सो जाओ।

और फिर नीलम और बिरजू दुबारा सोने लगे, बादल हौले हौले बरस ही रहे थे, काफी अंधेरा था बाहर।

सुबह 4:30 पर नीलम की आंख खुल गयी, उसने देखा कि बारिश थोड़ी थम गई थी पर उजाला होने में अभी लगभग एक घण्टा बाकी है, उसने अपने बाबू के होंठों को धीरे से चूम लिया, बिरजू की आंख अपनी बेटी के नरम होंठों के लगते ही खुल गयी।

नीलम- बाबू अब चलो घर के अंदर।

बिरजू ने भी नीलम को चूमते हुए बोला- हाँ मेरी बेटी चल।

और दोनों जब उठे तो पूरे नंगे थे, अंधेरा अब भी छाया हुआ था, जैसे ही दोनों खड़े हुए बिरजू ने नीलम को बाहों में उठा लिया नीलम मस्ती में अपने बाबू की बाहों में झूल गयी, बिरजू नीलम को लेकर घर के अंदर पीछे वाले कमरे में आ गया, अंधेरे में अंदाजा लगाते हुए उसने नीलम को पलंग पर लिटाया और लालटेन जलाया। नीलम ने झट से एक चादर ओढ़ ली और बनावटी शर्म दिखाते हुए कहा

नीलम - बाबू लालटेन मत जलाओ, मुझे शर्म आ रही है।

बिरजू- अच्छा, मेरी बिटिया को शर्म आ रही है।

नीलम- शर्म तो आएगी ही न, आप पिता हो मेरे और मैं आपकी बेटी, वो भी सगी

बिरजू- पर मुझे तो देखना है?

नीलम- क्या देखोगे बाबू, सब कुछ तो देख लिया।

बिरजू- वही देखुंगा, मन कहाँ भरता है उसको देखकर।

नीलम- किसको देखोगे बाबू?

बिरजू- तेरी महकती बूर को, तेरी बुरिया को

नीलम ये सुनकर मदहोश होती हुई- तेरी कौन बाबू

बिरजू- अपनी बेटी की मखमली बूर को देखुंगा।

नीलम- ओह बाबू.....कौन बेटी

बिरजू- मेरी सगी बेटी, मेरी रांड बेटी, मेरी छिनाल बेटी।

नीलम- आआआआहहहहह.......मेरे बाबू......तो देख लीजिए न, ये चादर हटा कर देखिए न अपनी सगी बेटी की प्यासी बूर को।

बिरजू ने आहें भरते हुए नीलम के चादर को जैसे ही खींचने के लिए पकड़ा

नीलम सिसकते हुए- बाबू चादर पूरा मत उठाइये, थोड़ा अलग सा करिए मजा आएगा और।

बिरजू- क्या बेटी जल्दी बोल, मुझे रुका नही जा रहा।

नीलम- बाबू अपनी रांड की बूर को चादर फाड़ कर देखिए न, बूर के ऊपर चादर को थोड़ा सा फाड़कर बूर को देख लीजिए।

बिरजू ये सुनते ही चादर को ठीक बूर के ऊपर हल्का सा फाड़ता है और छोटे से झरोखे से अपनी बेटी की रसभरी महकती बूर को देखकर एक बार फिर पागल सा हो जाता है, नीलम मंद मंद मुस्कुराते हुए एक टक लगाए अपने बाबू को देख रही थी और बिरजू अपनी बेटी की बूर को चादर में बने छेद से देख रहा था।

नीलम - बाबू

बिरजू- हाँ मेरी बेटी

नीलम- जैसे अपने अभी चादर को फाड़ा न, वैसे ही अपनी इस रांड की बूर को फाड़ के मेरी सुबह सुहानी कर दो।

ये कहते ही नीलम ने खुद ही चादर को हटा दिया और दोनों पैर को अच्छे से ऊपर उठा कर फैला दिए।

बिरजू अपनी बेटी के मखमली बदन को रोशनी में देखकर वासना से भर गया, उसका दहाड़ता लंड तनकर सलामी देने लगा, नीलम अपने दोनों पैर हवा में फैलाए लेटी थी उसने अपने दोनों हाँथ से बूर की फाँकों को अच्छे से फैलाकर खोल दिया, उसकी बूर बिल्कुल पनिया चुकी थी, बिरजू ने बिल्कुल देर न करते हुए अपनी सगी बेटी के इस अत्यंत कामुक निमंत्रण से बेकाबू होकर झट से उसकी दोनों जाँघों के बीच आ गया और अपने चिंघाड़ाते लंड के सुपाड़े को अपनी सगी बेटी की बूर के गुलाबी छेद पर लगा कर एक ऐसा ज़ोरदार धक्का मारा की पूरा का पूरा 8 इंच का लन्ड नीलम की बूर में गहराई तक समाता चला गया, बूर काफी रिस रही थी बिरजू का लंड नीलम की बच्चेदानी पर जाकर फिट हो गया, एकाएक इतना बड़ा लम्बा लंड इस बार एक ही बार में पूरा अंदर तक घुसेड़ देने से नीलम दर्द और मीठे मीठे आनंद से तड़प उठी,
आआआआआआहहहहहह .......ऊऊऊऊईईईईईई.......... अम्मामामामामा..................बाबू...............इस बार तो अपने एक ही बार में पूरा लंड मेरी बूर में उतार दिया.................मर ही गयी आपकी ये रांड.............हाहाहाहाहायययययय..............कितना बड़ा है दैय्या............सच में...........बाबू आपका.............चोदो बाबू अब मुझे ............चोदो अपनी रांड को सुबह सुबह.........आआआआआआहहहहहह......

बिरजू भी अति आनंद की अनुभूति में कराह उठा और अपनी बेटी पर चढ़ गया, नीलम ने अपने बाबू को अपने आगोश में भर लिया और दोनों पैर हवा में फैलाये रही, बिरजू कस कस के नीलम को बेताहाशा चूमने लगा, नीलम अत्यंत आनंद में मदहोशी की हालत में सिसकने लगी, कराहने लगी।

बिरजू काफी देर नीलम की बूर में जड़ तक लंड पेले उसे जी भरके चूमता रहा, काफी देर तक उसकी मदमस्त सख्त हो चुकी चूचीयों को चूसता दबाता रहा, निप्पल से खेलता रहा, नीलम जोश के मारे हल्का हल्का अपनी चौड़ी गांड को ऊपर को उछाल उछाल के अपने बाबू को चोदने का इशारा करती पर बिरजू उसके बदन को चूमने सहलाने और दबाने का मजा ले रहा था नीलम भी सिसकते और चूसने सहलाने और मसलने से मिल रहे आनंद में खो जाती, जोर जोर सीत्कारने लगती पर जब बदन में चुदाई की तरंगें उठती तो फिर नीचे से हल्का हल्का गांड उछाल के अपने बाबू को बूर चोदने का इशारा करती।

पूरा कमरा उत्तेजक सिसकियों से गूंज उठा, लंड बूर में जड़ तक घुसा हुआ था, नीलम ने अब अपने पैर अपने बाबू की कमर में लपेट दिए, जब बिरजू ने काफी देर तक अपनी बेटी को चूम सहला लिया तो मदहोशी से अपनी बेटी को देखा, नीलम ने भी नशे में भारी हो चुकी पलकों को उठाकर अपने बाबू को देखा और धीरे से बोला- अब चोदिये न बाबू अपनी इस रंडी को।

बिरजू ने मस्ती में अपनी सगी बिटिया को चोदना शुरू किया, नीलम मस्ती में कराहने लगी, जोर जोर सिसकने लगी, शुरू शुरू में धीरे धीरे धक्के लगाने के बाद बिरजू ने दोनों हांथों को नीलम के चूतड़ों के नीचे ले जाकर अच्छे से उठाया और अच्छे से हुमच हुमच कर पूरा पूरा लंड घच्च घच्च बूर में पेलने लगा, नीलम को जन्नत का अहसास होने लगा, अत्यंत आनंद के अहसास से वो भी चुदाई का भरपूर मजा लेती हुई अपनी चौड़ी गांड नीचे से उछाल उछाल के चुदने लगी।

बिरजू- आह मेरी बेटी........ मेरी रांड.........मेरी रांड है तू न

नीलम- हाय......बाबू...... हाँ मैं आपकी रंडी हूँ...…......छिनाल हूँ मैं आपकी..........आआआआआआहहहहहह................ऐसे ही घच्च घच्च चोदो बाबू.............पूरा पूरा लौड़ा पेलो मेरी बुरिया में..............आआआआआआहहहहहह.................अपनी बेटी की चूत में बाबू..............चूत में.................आआआआआआआहहहहहह................बेटी की रसभरी चूत और पिता का मोटा लंड.............. हाय............ क्या मिलन है............. चोदो मेरे सैयां.............देखो कैसे फच्च फच्च आवाज आने लगी चूत और लंड के मिलन की...........आआआआआआहहहहहह.......बाबू............हाय आपका लंड....

नीलम ऐसे ही वासना में खोई चुदाई के आनंद में बड़बड़ाती जा रही थी और बिरजू उसे दनादन चोदे जा रहा था, पूरा कमरा कामुक सिसकियों से गूंज उठा।

पूरे पूरे लंड का मखमली रसभरी बूर में आवागमन नीलम के बदन में एक बार फिर से अतुलनीय आनंद की तरंगें उठाने लगा, कैसे उसके सगे पिता का मोटा लंड जड़ तक गच्च से बूर में समा रहा था और सट्ट से पूरा बाहर आ रहा था, अपनी बेटी के गुदाज बदन को भोगते हुए बिरजू भी स्खलन की ओर बढ़ने लगा, बिरजू बहुत ही तेज तेज धक्के लगाते हुए हुमच हुमच कर गांड उठा उठा कर अपनी सगी बेटी को चोदने लगा, एकाएक नीलम को असीम आनंद की गुदगुदी सी हुई और वो जोर से सीत्कारते हुए अपने बाबू से लिपट कर झड़ने लागू, अपनी मोटी गुदाज गांड को उछालकर उसने अपने बाबू के मोटे लंड को खुद ही अपनी रसभरी बूर में अच्छे से भर लिया और हाय हाय करते हुए झड़ने लगी तभी एकाएक बिरजू भी दहाड़ते हुए भरभरा कर नीलम पर धराशाही हो गया और वो भी अपनी बेटी को अपनी बाहों में भरकर जोर जोर से कराहते झड़ने लगा, दोनों एक दूसरे को वासना के चरम आनंद में मदहोश होकर चूमने लगे और झड़ने लगे, जहां नीलम की बूर ने फड़कते हुए रस की झड़ी लगा दी वहीं बिरजू के गरजते लंड ने भी गरम गरम लावा अपनी सगी बेटी की रसीली बूर में सुबह सुबह छोड़कर उसको जन्नत का सुख दिया, दोनों एक दूसरे को बेताहाशा पागलों की तरह चूम रहे थे, फिर काफी देर तक बिरजू और नीलम एक दूसरे में समाए लेटे रहे, सुबह हो चुकी थी, हल्का हल्का उजाला होने लगा था।
 

Rachit Chaudhary

B a Game Changer ,world is already full of players
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Update- 52

नीलम और बिरजू जब सोए तब तक रात के 3 बज चुके थे, नीलम अपने बाबू की बाहों में सिमटी सो रही थी, बारिश की वजह से मौसम ठंडा हो चुका था, रात को जब नीलम और बिरजू को थोड़ी ठंड सी लगी तो नीलम अपने बाबू से बोली- बाबू मुझे ठड़ी लग रही है।

बिरजू ने उसे और कस के बाहों में भरते हुए कहा- मेरे माल को ठंड लग रही है।

नीलम ने नींद में कहा- हाँ बाबू आपके माल को, आपकी रांड को ठंड लग रही थी।

बिरजू- मेरे होते हुए मेरी जान को ठंड कैसे लग सकती है।

नीलम- बाबू वो पीठ का हिस्सा खुला है न, इसलिए।

बिरजू ने कहा- अच्छा रुक।

और उसने उठकर पास ही रखे चादर को उठाया और अपनी बिटिया को बाहों में भरकर चादर ओढ़कर फिर से दोनों चटाई पर लेट गए, चादर ओढ़ने से गर्माहट हुई और दोनों फिर से एक दूसरे को बाहों में भरकर हौले हौले चूमने लगे।

नीलम- बाबू

बिरजू- बोल मेरी बिटिया।

नीलम कान में धीरे से- बिटिया नही......रांड......रांड बोलो न बाबू, बिटिया तो मैं आपकी हूँ ही, पर मुझे रांड बोला करो न, सुनकर बहुत जोश और रोमांच होता है, एक बेटी अपने बाप की रांड हो इससे मजेदार और कामुक क्या हो सकता है। रांड बोलो न बाबू......बोलो

बिरजु कान में धीरे से- रांड

नीलम- आआआआआहहहहहह........और बोलो

बिरजू- आह मेरी रांड......मेरी रंडी

नीलम- ओओओओहहहहहह........बाबू......बेटी लगा के बोलो न, सगी बेटी लगा के।

बिरजू- ओह मेरी बेटी......मेरी रंडी.....मेरी अपनी सगी बेटी ही मेरी रांड है........मेरा लौड़ा लेती है अपनी बूर में।

नीलम- आआआआआआआआआआआआआहहहहहहहहहह.........मेरे राजा.....मेरे बाबू......हाँ लेगी अपने बाबू का मस्त लौड़ा अपनी बूर में वो, उसका हक है, करले जिसको जो करना है....और बोलो न....बाबू

बिरजु- एक चीज़ और बोलूं तेरे कान में।

नीलम- बोलो न बाबू गंदा गंदा बोलो जो भी बोलना है, गंदा सुनके बड़ा मजा आता है, जब आप धीरे से कान में बोलते हो....बोलो

बिरजू- मेरी छिनाल

नीलम- हहहहहहययययययय......फिर बोलो

बिरजू- मेरी छिनाल, मेरी रांड........मेरी बेटी मेरी छिनाल है.......मेरी रांड है

नीलम- आह बाबू और? और क्या हूँ मैं आपकी


बिरजू- और....और मेरी जान है तू, मेरी सजनी है तू।

नीलम- वो तो मैं हूँ ही मेरे सैयां। बाबू सुनो न आपको पता है?

बिरजू- क्या?

नीलम- यही की हर औरत के अंदर एक रांड और छिनाल छुपी होती है और वो रांड केवल सिर्फ केवल अपने उस मर्द के लिए होती है जो उसे अच्छे से चोद चोद कर जन्नत की सैर कराता है। जब तक औरत चुदाई के दौरान छिनाल का रूप नही ले लेती, चुदाई में मजा ही कहाँ आता है बाबू।

बिरजू- अच्छा मुझे तो पता नही था, बात तो सही कही मेरी बिटिया (बिरजू ने जानबूझकर बनते हुए कहा)

नीलम- हाँ और क्या, ये सच है...अच्छा सुनो बाबू।

बिरजू- बोल

नीलम- बाबू मेरी बुरिया न...

बिरजू- ये बुरिया क्या होती है मेरी रांड (बिरजू ने फिर जानबूझकर बनते हुए कहा)

नीलम ने बिरजू की पीठ पर हल्के से चिकोटी काटते हुए कहा- हे भगवान बाबू........बुरिया का मतलब बूर.......बाबू......बूर, वही जिसको आप दो बार अच्छे से चोद के फाड़ दिए हो, समझे अब।

बिरजू- अच्छा हाँ......समझ गया, फिर क्या हुआ मेरी प्यारी सी रांड की बुरिया को।

नीलम- मेरी बुरिया न मुझसे कह रही थी कि उसको सुबह सुबह एक बार और अच्छे से आपका लंड चाहिए.......ओह लंड नही लौड़ा.....आपका लौड़ा।

बिरजू- तो खोल अभी डालता हूँ।

नीलम- बाबू अभी नही अभी सो जाओ, मैंने उसको बोला कि सुबह मिलेगा अब, क्योंकि मुझे नींद आ रही है। तो फिर सुबह अपनी इस रांड को एक बार और चोद देना बाबू.....ठीक

और नीलम ऐसा कहके हंसने लगी।

बिरजू ने उसके होंठों पर चुम्बन लिया और बोला- जो हुकुम मेरी जान, मेरी प्यारी सी रांड।

नीलम- हाय..... तो चलो अब सो जाओ।

और फिर नीलम और बिरजू दुबारा सोने लगे, बादल हौले हौले बरस ही रहे थे, काफी अंधेरा था बाहर।

सुबह 4:30 पर नीलम की आंख खुल गयी, उसने देखा कि बारिश थोड़ी थम गई थी पर उजाला होने में अभी लगभग एक घण्टा बाकी है, उसने अपने बाबू के होंठों को धीरे से चूम लिया, बिरजू की आंख अपनी बेटी के नरम होंठों के लगते ही खुल गयी।

नीलम- बाबू अब चलो घर के अंदर।

बिरजू ने भी नीलम को चूमते हुए बोला- हाँ मेरी बेटी चल।

और दोनों जब उठे तो पूरे नंगे थे, अंधेरा अब भी छाया हुआ था, जैसे ही दोनों खड़े हुए बिरजू ने नीलम को बाहों में उठा लिया नीलम मस्ती में अपने बाबू की बाहों में झूल गयी, बिरजू नीलम को लेकर घर के अंदर पीछे वाले कमरे में आ गया, अंधेरे में अंदाजा लगाते हुए उसने नीलम को पलंग पर लिटाया और लालटेन जलाया। नीलम ने झट से एक चादर ओढ़ ली और बनावटी शर्म दिखाते हुए कहा

नीलम - बाबू लालटेन मत जलाओ, मुझे शर्म आ रही है।

बिरजू- अच्छा, मेरी बिटिया को शर्म आ रही है।

नीलम- शर्म तो आएगी ही न, आप पिता हो मेरे और मैं आपकी बेटी, वो भी सगी

बिरजू- पर मुझे तो देखना है?

नीलम- क्या देखोगे बाबू, सब कुछ तो देख लिया।

बिरजू- वही देखुंगा, मन कहाँ भरता है उसको देखकर।

नीलम- किसको देखोगे बाबू?

बिरजू- तेरी महकती बूर को, तेरी बुरिया को

नीलम ये सुनकर मदहोश होती हुई- तेरी कौन बाबू

बिरजू- अपनी बेटी की मखमली बूर को देखुंगा।

नीलम- ओह बाबू.....कौन बेटी

बिरजू- मेरी सगी बेटी, मेरी रांड बेटी, मेरी छिनाल बेटी।

नीलम- आआआआहहहहह.......मेरे बाबू......तो देख लीजिए न, ये चादर हटा कर देखिए न अपनी सगी बेटी की प्यासी बूर को।

बिरजू ने आहें भरते हुए नीलम के चादर को जैसे ही खींचने के लिए पकड़ा

नीलम सिसकते हुए- बाबू चादर पूरा मत उठाइये, थोड़ा अलग सा करिए मजा आएगा और।

बिरजू- क्या बेटी जल्दी बोल, मुझे रुका नही जा रहा।

नीलम- बाबू अपनी रांड की बूर को चादर फाड़ कर देखिए न, बूर के ऊपर चादर को थोड़ा सा फाड़कर बूर को देख लीजिए।

बिरजू ये सुनते ही चादर को ठीक बूर के ऊपर हल्का सा फाड़ता है और छोटे से झरोखे से अपनी बेटी की रसभरी महकती बूर को देखकर एक बार फिर पागल सा हो जाता है, नीलम मंद मंद मुस्कुराते हुए एक टक लगाए अपने बाबू को देख रही थी और बिरजू अपनी बेटी की बूर को चादर में बने छेद से देख रहा था।

नीलम - बाबू

बिरजू- हाँ मेरी बेटी

नीलम- जैसे अपने अभी चादर को फाड़ा न, वैसे ही अपनी इस रांड की बूर को फाड़ के मेरी सुबह सुहानी कर दो।

ये कहते ही नीलम ने खुद ही चादर को हटा दिया और दोनों पैर को अच्छे से ऊपर उठा कर फैला दिए।

बिरजू अपनी बेटी के मखमली बदन को रोशनी में देखकर वासना से भर गया, उसका दहाड़ता लंड तनकर सलामी देने लगा, नीलम अपने दोनों पैर हवा में फैलाए लेटी थी उसने अपने दोनों हाँथ से बूर की फाँकों को अच्छे से फैलाकर खोल दिया, उसकी बूर बिल्कुल पनिया चुकी थी, बिरजू ने बिल्कुल देर न करते हुए अपनी सगी बेटी के इस अत्यंत कामुक निमंत्रण से बेकाबू होकर झट से उसकी दोनों जाँघों के बीच आ गया और अपने चिंघाड़ाते लंड के सुपाड़े को अपनी सगी बेटी की बूर के गुलाबी छेद पर लगा कर एक ऐसा ज़ोरदार धक्का मारा की पूरा का पूरा 8 इंच का लन्ड नीलम की बूर में गहराई तक समाता चला गया, बूर काफी रिस रही थी बिरजू का लंड नीलम की बच्चेदानी पर जाकर फिट हो गया, एकाएक इतना बड़ा लम्बा लंड इस बार एक ही बार में पूरा अंदर तक घुसेड़ देने से नीलम दर्द और मीठे मीठे आनंद से तड़प उठी,
आआआआआआहहहहहह .......ऊऊऊऊईईईईईई.......... अम्मामामामामा..................बाबू...............इस बार तो अपने एक ही बार में पूरा लंड मेरी बूर में उतार दिया.................मर ही गयी आपकी ये रांड.............हाहाहाहाहायययययय..............कितना बड़ा है दैय्या............सच में...........बाबू आपका.............चोदो बाबू अब मुझे ............चोदो अपनी रांड को सुबह सुबह.........आआआआआआहहहहहह......

बिरजू भी अति आनंद की अनुभूति में कराह उठा और अपनी बेटी पर चढ़ गया, नीलम ने अपने बाबू को अपने आगोश में भर लिया और दोनों पैर हवा में फैलाये रही, बिरजू कस कस के नीलम को बेताहाशा चूमने लगा, नीलम अत्यंत आनंद में मदहोशी की हालत में सिसकने लगी, कराहने लगी।

बिरजू काफी देर नीलम की बूर में जड़ तक लंड पेले उसे जी भरके चूमता रहा, काफी देर तक उसकी मदमस्त सख्त हो चुकी चूचीयों को चूसता दबाता रहा, निप्पल से खेलता रहा, नीलम जोश के मारे हल्का हल्का अपनी चौड़ी गांड को ऊपर को उछाल उछाल के अपने बाबू को चोदने का इशारा करती पर बिरजू उसके बदन को चूमने सहलाने और दबाने का मजा ले रहा था नीलम भी सिसकते और चूसने सहलाने और मसलने से मिल रहे आनंद में खो जाती, जोर जोर सीत्कारने लगती पर जब बदन में चुदाई की तरंगें उठती तो फिर नीचे से हल्का हल्का गांड उछाल के अपने बाबू को बूर चोदने का इशारा करती।

पूरा कमरा उत्तेजक सिसकियों से गूंज उठा, लंड बूर में जड़ तक घुसा हुआ था, नीलम ने अब अपने पैर अपने बाबू की कमर में लपेट दिए, जब बिरजू ने काफी देर तक अपनी बेटी को चूम सहला लिया तो मदहोशी से अपनी बेटी को देखा, नीलम ने भी नशे में भारी हो चुकी पलकों को उठाकर अपने बाबू को देखा और धीरे से बोला- अब चोदिये न बाबू अपनी इस रंडी को।

बिरजू ने मस्ती में अपनी सगी बिटिया को चोदना शुरू किया, नीलम मस्ती में कराहने लगी, जोर जोर सिसकने लगी, शुरू शुरू में धीरे धीरे धक्के लगाने के बाद बिरजू ने दोनों हांथों को नीलम के चूतड़ों के नीचे ले जाकर अच्छे से उठाया और अच्छे से हुमच हुमच कर पूरा पूरा लंड घच्च घच्च बूर में पेलने लगा, नीलम को जन्नत का अहसास होने लगा, अत्यंत आनंद के अहसास से वो भी चुदाई का भरपूर मजा लेती हुई अपनी चौड़ी गांड नीचे से उछाल उछाल के चुदने लगी।

बिरजू- आह मेरी बेटी........ मेरी रांड.........मेरी रांड है तू न

नीलम- हाय......बाबू...... हाँ मैं आपकी रंडी हूँ...…......छिनाल हूँ मैं आपकी..........आआआआआआहहहहहह................ऐसे ही घच्च घच्च चोदो बाबू.............पूरा पूरा लौड़ा पेलो मेरी बुरिया में..............आआआआआआहहहहहह.................अपनी बेटी की चूत में बाबू..............चूत में.................आआआआआआआहहहहहह................बेटी की रसभरी चूत और पिता का मोटा लंड.............. हाय............ क्या मिलन है............. चोदो मेरे सैयां.............देखो कैसे फच्च फच्च आवाज आने लगी चूत और लंड के मिलन की...........आआआआआआहहहहहह.......बाबू............हाय आपका लंड....

नीलम ऐसे ही वासना में खोई चुदाई के आनंद में बड़बड़ाती जा रही थी और बिरजू उसे दनादन चोदे जा रहा था, पूरा कमरा कामुक सिसकियों से गूंज उठा।

पूरे पूरे लंड का मखमली रसभरी बूर में आवागमन नीलम के बदन में एक बार फिर से अतुलनीय आनंद की तरंगें उठाने लगा, कैसे उसके सगे पिता का मोटा लंड जड़ तक गच्च से बूर में समा रहा था और सट्ट से पूरा बाहर आ रहा था, अपनी बेटी के गुदाज बदन को भोगते हुए बिरजू भी स्खलन की ओर बढ़ने लगा, बिरजू बहुत ही तेज तेज धक्के लगाते हुए हुमच हुमच कर गांड उठा उठा कर अपनी सगी बेटी को चोदने लगा, एकाएक नीलम को असीम आनंद की गुदगुदी सी हुई और वो जोर से सीत्कारते हुए अपने बाबू से लिपट कर झड़ने लागू, अपनी मोटी गुदाज गांड को उछालकर उसने अपने बाबू के मोटे लंड को खुद ही अपनी रसभरी बूर में अच्छे से भर लिया और हाय हाय करते हुए झड़ने लगी तभी एकाएक बिरजू भी दहाड़ते हुए भरभरा कर नीलम पर धराशाही हो गया और वो भी अपनी बेटी को अपनी बाहों में भरकर जोर जोर से कराहते झड़ने लगा, दोनों एक दूसरे को वासना के चरम आनंद में मदहोश होकर चूमने लगे और झड़ने लगे, जहां नीलम की बूर ने फड़कते हुए रस की झड़ी लगा दी वहीं बिरजू के गरजते लंड ने भी गरम गरम लावा अपनी सगी बेटी की रसीली बूर में सुबह सुबह छोड़कर उसको जन्नत का सुख दिया, दोनों एक दूसरे को बेताहाशा पागलों की तरह चूम रहे थे, फिर काफी देर तक बिरजू और नीलम एक दूसरे में समाए लेटे रहे, सुबह हो चुकी थी, हल्का हल्का उजाला होने लगा था।
Jabardast
 

Gharbaruh

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नीलम- यही की हर औरत के अंदर एक रांड और छिनाल छुपी होती है और वो रांड केवल सिर्फ केवल अपने उस मर्द के लिए होती है
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Jangali

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Update- 52

नीलम और बिरजू जब सोए तब तक रात के 3 बज चुके थे, नीलम अपने बाबू की बाहों में सिमटी सो रही थी, बारिश की वजह से मौसम ठंडा हो चुका था, रात को जब नीलम और बिरजू को थोड़ी ठंड सी लगी तो नीलम अपने बाबू से बोली- बाबू मुझे ठड़ी लग रही है।

बिरजू ने उसे और कस के बाहों में भरते हुए कहा- मेरे माल को ठंड लग रही है।

नीलम ने नींद में कहा- हाँ बाबू आपके माल को, आपकी रांड को ठंड लग रही थी।

बिरजू- मेरे होते हुए मेरी जान को ठंड कैसे लग सकती है।

नीलम- बाबू वो पीठ का हिस्सा खुला है न, इसलिए।

बिरजू ने कहा- अच्छा रुक।

और उसने उठकर पास ही रखे चादर को उठाया और अपनी बिटिया को बाहों में भरकर चादर ओढ़कर फिर से दोनों चटाई पर लेट गए, चादर ओढ़ने से गर्माहट हुई और दोनों फिर से एक दूसरे को बाहों में भरकर हौले हौले चूमने लगे।

नीलम- बाबू

बिरजू- बोल मेरी बिटिया।

नीलम कान में धीरे से- बिटिया नही......रांड......रांड बोलो न बाबू, बिटिया तो मैं आपकी हूँ ही, पर मुझे रांड बोला करो न, सुनकर बहुत जोश और रोमांच होता है, एक बेटी अपने बाप की रांड हो इससे मजेदार और कामुक क्या हो सकता है। रांड बोलो न बाबू......बोलो

बिरजु कान में धीरे से- रांड

नीलम- आआआआआहहहहहह........और बोलो

बिरजू- आह मेरी रांड......मेरी रंडी

नीलम- ओओओओहहहहहह........बाबू......बेटी लगा के बोलो न, सगी बेटी लगा के।

बिरजू- ओह मेरी बेटी......मेरी रंडी.....मेरी अपनी सगी बेटी ही मेरी रांड है........मेरा लौड़ा लेती है अपनी बूर में।

नीलम- आआआआआआआआआआआआआहहहहहहहहहह.........मेरे राजा.....मेरे बाबू......हाँ लेगी अपने बाबू का मस्त लौड़ा अपनी बूर में वो, उसका हक है, करले जिसको जो करना है....और बोलो न....बाबू

बिरजु- एक चीज़ और बोलूं तेरे कान में।

नीलम- बोलो न बाबू गंदा गंदा बोलो जो भी बोलना है, गंदा सुनके बड़ा मजा आता है, जब आप धीरे से कान में बोलते हो....बोलो

बिरजू- मेरी छिनाल

नीलम- हहहहहहययययययय......फिर बोलो

बिरजू- मेरी छिनाल, मेरी रांड........मेरी बेटी मेरी छिनाल है.......मेरी रांड है

नीलम- आह बाबू और? और क्या हूँ मैं आपकी


बिरजू- और....और मेरी जान है तू, मेरी सजनी है तू।

नीलम- वो तो मैं हूँ ही मेरे सैयां। बाबू सुनो न आपको पता है?

बिरजू- क्या?

नीलम- यही की हर औरत के अंदर एक रांड और छिनाल छुपी होती है और वो रांड केवल सिर्फ केवल अपने उस मर्द के लिए होती है जो उसे अच्छे से चोद चोद कर जन्नत की सैर कराता है। जब तक औरत चुदाई के दौरान छिनाल का रूप नही ले लेती, चुदाई में मजा ही कहाँ आता है बाबू।

बिरजू- अच्छा मुझे तो पता नही था, बात तो सही कही मेरी बिटिया (बिरजू ने जानबूझकर बनते हुए कहा)

नीलम- हाँ और क्या, ये सच है...अच्छा सुनो बाबू।

बिरजू- बोल

नीलम- बाबू मेरी बुरिया न...

बिरजू- ये बुरिया क्या होती है मेरी रांड (बिरजू ने फिर जानबूझकर बनते हुए कहा)

नीलम ने बिरजू की पीठ पर हल्के से चिकोटी काटते हुए कहा- हे भगवान बाबू........बुरिया का मतलब बूर.......बाबू......बूर, वही जिसको आप दो बार अच्छे से चोद के फाड़ दिए हो, समझे अब।

बिरजू- अच्छा हाँ......समझ गया, फिर क्या हुआ मेरी प्यारी सी रांड की बुरिया को।

नीलम- मेरी बुरिया न मुझसे कह रही थी कि उसको सुबह सुबह एक बार और अच्छे से आपका लंड चाहिए.......ओह लंड नही लौड़ा.....आपका लौड़ा।

बिरजू- तो खोल अभी डालता हूँ।

नीलम- बाबू अभी नही अभी सो जाओ, मैंने उसको बोला कि सुबह मिलेगा अब, क्योंकि मुझे नींद आ रही है। तो फिर सुबह अपनी इस रांड को एक बार और चोद देना बाबू.....ठीक

और नीलम ऐसा कहके हंसने लगी।

बिरजू ने उसके होंठों पर चुम्बन लिया और बोला- जो हुकुम मेरी जान, मेरी प्यारी सी रांड।

नीलम- हाय..... तो चलो अब सो जाओ।

और फिर नीलम और बिरजू दुबारा सोने लगे, बादल हौले हौले बरस ही रहे थे, काफी अंधेरा था बाहर।

सुबह 4:30 पर नीलम की आंख खुल गयी, उसने देखा कि बारिश थोड़ी थम गई थी पर उजाला होने में अभी लगभग एक घण्टा बाकी है, उसने अपने बाबू के होंठों को धीरे से चूम लिया, बिरजू की आंख अपनी बेटी के नरम होंठों के लगते ही खुल गयी।

नीलम- बाबू अब चलो घर के अंदर।

बिरजू ने भी नीलम को चूमते हुए बोला- हाँ मेरी बेटी चल।

और दोनों जब उठे तो पूरे नंगे थे, अंधेरा अब भी छाया हुआ था, जैसे ही दोनों खड़े हुए बिरजू ने नीलम को बाहों में उठा लिया नीलम मस्ती में अपने बाबू की बाहों में झूल गयी, बिरजू नीलम को लेकर घर के अंदर पीछे वाले कमरे में आ गया, अंधेरे में अंदाजा लगाते हुए उसने नीलम को पलंग पर लिटाया और लालटेन जलाया। नीलम ने झट से एक चादर ओढ़ ली और बनावटी शर्म दिखाते हुए कहा

नीलम - बाबू लालटेन मत जलाओ, मुझे शर्म आ रही है।

बिरजू- अच्छा, मेरी बिटिया को शर्म आ रही है।

नीलम- शर्म तो आएगी ही न, आप पिता हो मेरे और मैं आपकी बेटी, वो भी सगी

बिरजू- पर मुझे तो देखना है?

नीलम- क्या देखोगे बाबू, सब कुछ तो देख लिया।

बिरजू- वही देखुंगा, मन कहाँ भरता है उसको देखकर।

नीलम- किसको देखोगे बाबू?

बिरजू- तेरी महकती बूर को, तेरी बुरिया को

नीलम ये सुनकर मदहोश होती हुई- तेरी कौन बाबू

बिरजू- अपनी बेटी की मखमली बूर को देखुंगा।

नीलम- ओह बाबू.....कौन बेटी

बिरजू- मेरी सगी बेटी, मेरी रांड बेटी, मेरी छिनाल बेटी।

नीलम- आआआआहहहहह.......मेरे बाबू......तो देख लीजिए न, ये चादर हटा कर देखिए न अपनी सगी बेटी की प्यासी बूर को।

बिरजू ने आहें भरते हुए नीलम के चादर को जैसे ही खींचने के लिए पकड़ा

नीलम सिसकते हुए- बाबू चादर पूरा मत उठाइये, थोड़ा अलग सा करिए मजा आएगा और।

बिरजू- क्या बेटी जल्दी बोल, मुझे रुका नही जा रहा।

नीलम- बाबू अपनी रांड की बूर को चादर फाड़ कर देखिए न, बूर के ऊपर चादर को थोड़ा सा फाड़कर बूर को देख लीजिए।

बिरजू ये सुनते ही चादर को ठीक बूर के ऊपर हल्का सा फाड़ता है और छोटे से झरोखे से अपनी बेटी की रसभरी महकती बूर को देखकर एक बार फिर पागल सा हो जाता है, नीलम मंद मंद मुस्कुराते हुए एक टक लगाए अपने बाबू को देख रही थी और बिरजू अपनी बेटी की बूर को चादर में बने छेद से देख रहा था।

नीलम - बाबू

बिरजू- हाँ मेरी बेटी

नीलम- जैसे अपने अभी चादर को फाड़ा न, वैसे ही अपनी इस रांड की बूर को फाड़ के मेरी सुबह सुहानी कर दो।

ये कहते ही नीलम ने खुद ही चादर को हटा दिया और दोनों पैर को अच्छे से ऊपर उठा कर फैला दिए।

बिरजू अपनी बेटी के मखमली बदन को रोशनी में देखकर वासना से भर गया, उसका दहाड़ता लंड तनकर सलामी देने लगा, नीलम अपने दोनों पैर हवा में फैलाए लेटी थी उसने अपने दोनों हाँथ से बूर की फाँकों को अच्छे से फैलाकर खोल दिया, उसकी बूर बिल्कुल पनिया चुकी थी, बिरजू ने बिल्कुल देर न करते हुए अपनी सगी बेटी के इस अत्यंत कामुक निमंत्रण से बेकाबू होकर झट से उसकी दोनों जाँघों के बीच आ गया और अपने चिंघाड़ाते लंड के सुपाड़े को अपनी सगी बेटी की बूर के गुलाबी छेद पर लगा कर एक ऐसा ज़ोरदार धक्का मारा की पूरा का पूरा 8 इंच का लन्ड नीलम की बूर में गहराई तक समाता चला गया, बूर काफी रिस रही थी बिरजू का लंड नीलम की बच्चेदानी पर जाकर फिट हो गया, एकाएक इतना बड़ा लम्बा लंड इस बार एक ही बार में पूरा अंदर तक घुसेड़ देने से नीलम दर्द और मीठे मीठे आनंद से तड़प उठी,
आआआआआआहहहहहह .......ऊऊऊऊईईईईईई.......... अम्मामामामामा..................बाबू...............इस बार तो अपने एक ही बार में पूरा लंड मेरी बूर में उतार दिया.................मर ही गयी आपकी ये रांड.............हाहाहाहाहायययययय..............कितना बड़ा है दैय्या............सच में...........बाबू आपका.............चोदो बाबू अब मुझे ............चोदो अपनी रांड को सुबह सुबह.........आआआआआआहहहहहह......

बिरजू भी अति आनंद की अनुभूति में कराह उठा और अपनी बेटी पर चढ़ गया, नीलम ने अपने बाबू को अपने आगोश में भर लिया और दोनों पैर हवा में फैलाये रही, बिरजू कस कस के नीलम को बेताहाशा चूमने लगा, नीलम अत्यंत आनंद में मदहोशी की हालत में सिसकने लगी, कराहने लगी।

बिरजू काफी देर नीलम की बूर में जड़ तक लंड पेले उसे जी भरके चूमता रहा, काफी देर तक उसकी मदमस्त सख्त हो चुकी चूचीयों को चूसता दबाता रहा, निप्पल से खेलता रहा, नीलम जोश के मारे हल्का हल्का अपनी चौड़ी गांड को ऊपर को उछाल उछाल के अपने बाबू को चोदने का इशारा करती पर बिरजू उसके बदन को चूमने सहलाने और दबाने का मजा ले रहा था नीलम भी सिसकते और चूसने सहलाने और मसलने से मिल रहे आनंद में खो जाती, जोर जोर सीत्कारने लगती पर जब बदन में चुदाई की तरंगें उठती तो फिर नीचे से हल्का हल्का गांड उछाल के अपने बाबू को बूर चोदने का इशारा करती।

पूरा कमरा उत्तेजक सिसकियों से गूंज उठा, लंड बूर में जड़ तक घुसा हुआ था, नीलम ने अब अपने पैर अपने बाबू की कमर में लपेट दिए, जब बिरजू ने काफी देर तक अपनी बेटी को चूम सहला लिया तो मदहोशी से अपनी बेटी को देखा, नीलम ने भी नशे में भारी हो चुकी पलकों को उठाकर अपने बाबू को देखा और धीरे से बोला- अब चोदिये न बाबू अपनी इस रंडी को।

बिरजू ने मस्ती में अपनी सगी बिटिया को चोदना शुरू किया, नीलम मस्ती में कराहने लगी, जोर जोर सिसकने लगी, शुरू शुरू में धीरे धीरे धक्के लगाने के बाद बिरजू ने दोनों हांथों को नीलम के चूतड़ों के नीचे ले जाकर अच्छे से उठाया और अच्छे से हुमच हुमच कर पूरा पूरा लंड घच्च घच्च बूर में पेलने लगा, नीलम को जन्नत का अहसास होने लगा, अत्यंत आनंद के अहसास से वो भी चुदाई का भरपूर मजा लेती हुई अपनी चौड़ी गांड नीचे से उछाल उछाल के चुदने लगी।

बिरजू- आह मेरी बेटी........ मेरी रांड.........मेरी रांड है तू न

नीलम- हाय......बाबू...... हाँ मैं आपकी रंडी हूँ...…......छिनाल हूँ मैं आपकी..........आआआआआआहहहहहह................ऐसे ही घच्च घच्च चोदो बाबू.............पूरा पूरा लौड़ा पेलो मेरी बुरिया में..............आआआआआआहहहहहह.................अपनी बेटी की चूत में बाबू..............चूत में.................आआआआआआआहहहहहह................बेटी की रसभरी चूत और पिता का मोटा लंड.............. हाय............ क्या मिलन है............. चोदो मेरे सैयां.............देखो कैसे फच्च फच्च आवाज आने लगी चूत और लंड के मिलन की...........आआआआआआहहहहहह.......बाबू............हाय आपका लंड....

नीलम ऐसे ही वासना में खोई चुदाई के आनंद में बड़बड़ाती जा रही थी और बिरजू उसे दनादन चोदे जा रहा था, पूरा कमरा कामुक सिसकियों से गूंज उठा।

पूरे पूरे लंड का मखमली रसभरी बूर में आवागमन नीलम के बदन में एक बार फिर से अतुलनीय आनंद की तरंगें उठाने लगा, कैसे उसके सगे पिता का मोटा लंड जड़ तक गच्च से बूर में समा रहा था और सट्ट से पूरा बाहर आ रहा था, अपनी बेटी के गुदाज बदन को भोगते हुए बिरजू भी स्खलन की ओर बढ़ने लगा, बिरजू बहुत ही तेज तेज धक्के लगाते हुए हुमच हुमच कर गांड उठा उठा कर अपनी सगी बेटी को चोदने लगा, एकाएक नीलम को असीम आनंद की गुदगुदी सी हुई और वो जोर से सीत्कारते हुए अपने बाबू से लिपट कर झड़ने लागू, अपनी मोटी गुदाज गांड को उछालकर उसने अपने बाबू के मोटे लंड को खुद ही अपनी रसभरी बूर में अच्छे से भर लिया और हाय हाय करते हुए झड़ने लगी तभी एकाएक बिरजू भी दहाड़ते हुए भरभरा कर नीलम पर धराशाही हो गया और वो भी अपनी बेटी को अपनी बाहों में भरकर जोर जोर से कराहते झड़ने लगा, दोनों एक दूसरे को वासना के चरम आनंद में मदहोश होकर चूमने लगे और झड़ने लगे, जहां नीलम की बूर ने फड़कते हुए रस की झड़ी लगा दी वहीं बिरजू के गरजते लंड ने भी गरम गरम लावा अपनी सगी बेटी की रसीली बूर में सुबह सुबह छोड़कर उसको जन्नत का सुख दिया, दोनों एक दूसरे को बेताहाशा पागलों की तरह चूम रहे थे, फिर काफी देर तक बिरजू और नीलम एक दूसरे में समाए लेटे रहे, सुबह हो चुकी थी, हल्का हल्का उजाला होने लगा था।
बहुत खुब बेटी है बुरीया तोहार
चोदे ले बाबू भर के अकवार
 
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