Update- 53
आज ही का वो दिन था जब रजनी और उदयराज भी जमकर कुल वृक्ष के नीचे, खेत में और नदी में रसीली चुदाई करके घर लौटे थे और थककर सो रहे थे और इधर नीलम और बिरजू भी महापाप का अतुल्य आनंद लेकर एक दूसरे की बाहों में लेटे थे, हल्का हल्का उजाला होना शुरू हो गया था।
बिरजू उठने लगा तो नीलम ने फिर खींचकर अपनी बाहों में भर लिया और बोली- कहाँ बाबू, अभी लेटो न मेरी बाहों में।
बिरजू- हल्का हल्का उजाला हो रहा है।
नीलम- तो होने दो, बारिश हो रही है, सब अपने घरों में दुबके होंगे, अभी कौन किसके घर आएगा बाबू, आओ लेटो न मेरी आगोश में।
बिरजू- ठीक है मेरी रांड पर रुक जरा एक बार बाहर देख तो लूं, बारिश हो भी रही है या नही।
नीलम- ठीक है मेरे राजा, जाओ जल्दी आना
बिरजू फट से उठकर एक चादर अपने मदरजात नंगे बदन पर लपेटता है और बाहर जाता है, देखता है तो बारिश हल्की हल्की हो ही रही थी, नीलम सही कह रही थी सब अपने अपने घरों में दुबके थे अभी, बिरजू ये देखकर अंदर आ जाता है और मुख्य दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है।
आकर पलंग के पास खड़ा हो जाता है उसने चादर ओढ़ ही रखी थी, नीलम ने भी बिरजू के जाने के बाद वही चादर जो बूर के ठीक सामने फाड़ी गयी थी ओढ़ ली थी, इस बार उसको ऐसे ओढ़ी थी कि चादर का फटा हुआ हिस्सा ठीक बायीं चूची के ऊपर था और गोरी गोरी मोटी चूची का काफी हिस्सा फटे हुए चादर में से बाहर को निकला हुआ था मोटे से जामुन जैसा निप्पल तनकर सख्त हो गया था, बिरजू तो चादर के झरोखे से झांकते हुए निप्पल को देखता रह गया ऐसा नही था कि वह पहली बार चूची को देख रहा था पर जिस तरह नीलम दिखा रही थी वो अदा बहुत रोमांटिक और कामुक थी।
नीलम की अदा ही सबसे ज्यादा बिरजू का मन मोह लेती थी, नीलम ने बड़े प्यार से अपने बाबू को देखा जो उसकी सख्त चूची को ललचाई नज़रों से घूर रहा था, नीलम मुस्कुराने लगी, बिरजू ने भी नीलम को देखते हुए अपने शरीर से चादर को हटा दिया और नीलम की मस्त मोटी चूची को देखकर बिरजू का लन्ड फिर से लगभग आधा खड़ा हो चुका था, नीलम की नज़र अपने बाबू के लन्ड पर पड़ते ही वो भी उसे घूरने लगी, अपने बाबू के पूरे नंगे बदन को वो ऊपर से नीचे तक एक टक लगा के घूरने लगी मानो पहली बार देख रही हो, यही होता है जब अपना मनपसंद साथी संभोग की दुनियां में मिल जाय तो उससे मन कभी भरता नही।
नीलम ने इशारे से अपने बाबू को और पास बुलाया फिर अपने सीधे हाँथ से बिरजू के मोटे विशाल लन्ड को पकड़ लिया और बड़े प्यार से उसकी आगे की चमड़ी को खोलकर पीछे किया, लंड का मोटा सा सुपाड़ा निकलकर बाहर आ गया, पहले तो नीलम ने आगे बढ़कर लेटे लेटे उसे आह भरते हुए सूँघा, एक तेज वीर्य की खुशबू उसे मदहोश कर गयी, फिर नीलम ने मुँह खोलकर सिसकते हुए लप्प से बड़े प्यार से सुपाड़े को मुँह में भर लिया, बिरजू ने आँखें बंद कर ली और कराहते हुए अपनी बेटी के सर को प्यार से पकड़ लिया, नीलम ने लॉलीपॉप की तरह अपने बाबू के लंड के सुपाड़े को चार पांच बार चूसा और मदहोशी से सर उठा के अपने बाबू को देखकर बोली- बाबू ये सच में बहुत प्यारा है, मैं इसके बिना अब नही रह सकती, मुझे अब ससुराल नही जाना, मेरा मायका ही तो मेरी ससुराल है अब, बिना आपसे चुदे मैं कैसे जी पाऊंगी मेरे बाबू, इस लंड से मुझे चोद चोद के जल्दी बच्चा पैदा करो न बाबू, ताकि जल्दी आपकी छिनार को दूध होने लगे और फिर आपकी रांड आपको रोज दूध पिलाएगी।
नीलम ने चादर के ऊपर से ही अपनी झांकती चूची को दोनों हांथों से पकड़कर अपने बाबू को दिखाते हुए बोली- देखो न बाबू, आपकी बेटी की चूची का निप्पल कैसे सूखा हुआ है, जब आप अपनी रांड बेटी को चोद चोद के बच्चा पैदा करोगे तो फिर इसमें से दूध की धार बहेगी और फिर पाप का मजा लेने में और मजा आएगा मेरे राजा।
नीलम ये सब मदहोशी में अपनी चूची को चादर के ऊपर से पकड़े अपने बाबू को दिखाते हुए बोले जा रही थी, फटे चादर में से मोटी सी चूची बाहर निकली हुई थी, नीलम ने दोनों हांथों से चूची को पकड़ा हुआ था, पहले तो बिरजू कुछ बोला नही, उसे चादर से झांकती चूची देखकर जोश इतना चढ़ा हुआ था कि उसने नीचे झुककर लप्प से मोटी सी चूची को मुँह में भर लिया, नीलम की जोर से सिसकी निकल गयी और वह एक हाथ से चूची को चादर के ऊपर से ही पकड़े अपने बाबू के मुँह में ठूसने लगी और दूसरे हाँथ से अपने बाबू के सर को जोर से सिसकारी लेते हुए सहलाने लगी।
काफी देर तक बिरजू नीलम की चूची को पीता रहा और नीलम पिलाती रही, काला निप्पल थूक से सन गया था और तनकर किसी बड़े जामुन के आकार का हो गया था, नीलम कराहते हुए अपने बाबू के सर को सहलाना छोड़ उनके खड़े लंड को पकड़कर उसकी चमड़ी को खोलने और बंद करने लगी, नीलम ने एक बार अपने हाँथ में ढेर सारा थूक लगाया और अपने बाबू के लंड के सुपाड़े पर लगा कर फिर से लन्ड को खोलने बन्द करने लगी, बिरजू को बहुत मजा आने लगा और वह तेज तेज अपनी बिटिया की चूची को पीने लगा।
दोनों फिर से सिसकने लगे
अब बिरजू बोला- मेरी रानी.....मेरी छिनाल......मेरी सजनी.....मैं भी कहाँ तेरे बिना रह पाऊंगा अब, तुझे अब तेरे ससुराल में भेजूंगा ही नही।
नीलम- हां बाबू....मुझे नही जाना अब वहां
बिरजू- मैं कुछ उपाय निकलता हूँ बेटी तू चिंता मत कर।
नीलम- पाप का मजा नही ले पाएंगे बाबू फिर हम अगर मैं वहां चली गयी तो।
बिरजू- तू ठीक कहती है, तेरी बुरिया के बिना अब मेरा लौड़ा नही रह सकता।
नीलम ने अपने बाबू को अपने ऊपर खींच लिया और बिरजू अपनी बेटी के ऊपर फिर से चढ़ गया।
बिरजू नीलम के ऊपर लेटकर उसके कान में- मैं तेरे को छिनार और रांड बोलता हूं तो तुझे कैसा लगता है?
नीलम- बहुत जोश चढ़ता है बाबू सुनकर, बदन गनगना जाता है ये सोचकर कि मैं आपकी, अपने बाबू की छिनार हूँ।
नीलम ने आगे कहा- बाबू मैं कुछ पूछूं आप बताना....... ठीक
बिरजू ने अपना लंड नीलम की बूर की फांक में रगड़ दिया तो वो सिसकते हुए चिंहुँक गयी।
बिरजू - हां ठीक,......पूछ
नीलम- जो मिट्टी के बर्तन बनाता है उसको क्या बोलते हैं?
बिरजू- उसको तो कुम्हार बोलते है, पर क्यों?
नीलम- अरे बाबू बताओ न? जो पूछूं वो बताओ बस.....ठीक
बिरजू- ठीक
ऐसा बोलकर बिरजू ने फिर लंड को बूर पर रगड़ दिया
नीलम- आह! बाबू.....जो बाल काटता है उसको क्या बोलते हैं?
बिरजू- नाई
नीलम- जो खेत जोतता है उसको?
बिरजू- किसान......ये तू मेरे से अनेक शब्दों के एक शब्द क्यों पूछ रही है, मेरी परीक्षा चल रही है क्या?
नीलम- अरे बाबू तुम बताते जाओ बस।
बिरजू- अच्छा पूछ
नीलम- हम्म्म्म...... जो तपस्या करता हो?
बिरजू- तपस्वी
नीलम ने फिर कान में धीरे से कहा- और जो अपनी सगी बेटी को चोदता हो.....वो
बिरजू- वो
नीलम- हम्म
बिरजू- वो तो तू ही बता दे मेरे कान में धीरे से
नीलम- उसको बोलते है बाबू.......बेटी को चोदने वाला
बिरजू- आआआआहहह......लेकिन ये एक शब्द थोड़ी न हुआ मेरी रांड....एक शब्द बताओ
नीलम ने फिर बड़े नशीले अंदाज में बिरजू के कान में कहा- बेटीचोद........है ना..
जैसे ही नीलम ने ये शब्द बोला बिरजू ने अपना लंड नीलम की मखमली रिसती बूर में अंदर तक एक ही बार में घुसेड़ दिया।
नीलम जोर से कराह उठी और मस्ती में अपने बाबू से लिपट गयी।
बिरजू- हाय....क्या नशा है तेरी बातों में....सच
कुछ देर तक बिरजू नीलम की बूर में लन्ड पेले पड़ा रहा और नीलम अपने बाबू की पीठ सहलाती रही।
नीलम सिसकते हुए बोली- बाबू मेरी पुरानी ससुराल में पड़ोस में एक औरत है पता है वो किसी भी आदमी पर जब गुस्सा होती है तो कैसी गाली देती हैं
बिरजू- पुरानी ससुराल?
नीलम- अरे हाँ मेरे बुध्धू राम, मेरे बच्चे के पिता जी......पुरानी ससुराल....नई तो ये है न
नीलम ने एक चपत अपने बाबू की पीठ पर मारा तो बिरजू ने जवाब में लन्ड बूर में से आधा निकाल के एक गच्चा जोर से मारा, नीलम गनगना गयी।
नीलम- हाय बाबू.....धीरे से......ऊऊऊऊईईईईईई अम्मा
बिरजू - अरे हां, तो फिर.....कैसे गाली देती है वो।
नीलम- वो बोलती है......"साला अपनी मईया को चोद के पैदा हुआ है"........अब बताओ कोई अपनी माँ को चोद के खुद कैसे पैदा होगा ?
बिरजू और नीलम दोनों हंसने लगे।
बिरजू- उसका बेटा ऐसे ही पैदा हुआ होगा, उसी को चोद के, तभी उसे पता है।
नीलम- हाँ सही कहा आपने बाबू।
बिरजू धीरे धीरे लंड बूर में अंदर बाहर करने लगा
नीलम सिसकने लगी और बोली- जरा भी देर लंड को बूर में घुसे हुए रोककर आराम नही करने देते ये मेरे बुध्धू राम.....बाबू
बिरजू- क्या करूँ मेरी छिनाल, तेरी बूर है ही इतनी मक्ख़न की डालने के बाद रुका ही नही जाता।
नीलम सिसकते हुए- बाबू
बिरजू- हाँ मेरी रानी
नीलम- अपने दामाद के सामने अपनी छिनाल बिटिया को चोदोगे?
बिरजू- दामाद के सामने.....मतलब
बिरजू बराबर बूर को हौले हौले चोद रहा था और दोनों सिसकते भी जा रहे थे
नीलम- अरे मेरा मतलब वो बगल में सोता रहेगा और आप अपनी सगी बिटिया को बगल में लिटाकर चोदना........हाय कितना मजा आएगा.....कितना रोमांच होगा।
बिरजू को ये सोचकर अत्यधिक रोमांच सा हुआ कि कैसा लगेगा एक ही बिस्तर पर बगल में मेरा दामाद लेटा होगा और मैं अपनी सगी बेटी को उसके पति के मौजूदगी में चोदुंगा।
रोमांच में आकर उसने अपने धक्के थोड़ा तेज ही कर दिया, नीलम के दोनों पैर उसने उठाकर अपनी कमर पर लपेट दिए और थोड़ा तेज तेज अपनी बेटी की बूर में लंड पेलने लगा, नीलम की तो मस्ती में आंखें बंद हो गयी, क्या मस्त लौड़ा था उसके बाबू का, कैसे बूर के अंदर बाहर हो रहा था। मस्ती में वो अपने बाबू की पीठ सहलाने लगी और उन्हें दुलारने लगी।
बिरजू- हां मेरी जान, मजा तो बहुत आएगा पर ये होगा कैसे, क्योंकि अपनी बिटिया को अब मैं वहां छोड़ नही सकता, किसी न किसी बहाने यहीं रखूंगा, तो ये मजा मिलेगा कैसे? लेकिन अगर ये काम तेरी पुरानी ससुराल में ही हो तो मजा और भी आ जायेगा क्यों?
नीलम- हाँ बाबू......आह..... उई....बाबू जरा धीरे धीरे हौले हौले चोदो....बात तो आप सही कह रहे हो, आप अगर ससुराल में आकर मुझे अपने दामाद के बगल में लिटा के चोदोगे तो रोमांच से बदन कितना गनगना जाएगा, लेकिन इसके लिए फिर मुझे वहां जाना पड़ेगा, बाबू अब मैं कहीं भी रहूँ बस मुझे आपका नशीला सा ये लन्ड मिलना चाहिए बस।
बिरजू- तेरी बूर के बिना मैं भी नही रह सकता मेरी जान, सिर्फ एक दो दिन के लिए वहां जाना फिर आ जाना।
नीलम- बाबू एक काम करो न एक बार अपने दामाद को यहीं बुला लो, एक बार यहीं पर उनकी मौजूदगी में चुदाई करेंगे।
बिरजू जोश में आकर हुमच हुमच कर नीलम की रसीली बूर चोदने लगा, दोनों कामुक प्लान बनाते जा रहे थे और घचा घच्च चुदाई भी कर रहे थे, नीलम कभी कभी तेजी से सिसक देती तो कभी कभी वासना में अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदने लगती।
बिरजू- हां मेरी बेटी ये भी सही कहा तूने, तू ही किसी बहाने से बुला फिर तेरे पति के सामने तुझे ही हम चुदाई करेंगे।
नीलम- मेरे पति के सामने
नीलम ने आंख नाचते हुए कहा
बिरजू- हां तेरे पति के सामने ही तो
नीलम- पगलू मेरे पति तो सिर्फ और सर्फ आप हो, वो तो बस नाम के हैं अब
बिरजू- अच्छा जी
नीलम- हम्म
बिरजू- मैं तो पिता हूँ तेरा
नीलम- पति भी हो और पिता तो हो ही......ठीक है मैं उनको कल ही कैसे भी करके बुलाती हूँ एक दिन के लिए।
बिरजू- हाँ ठीक
बिरजू तेज तेज जोश में धक्के मारने लगा, नीलम मस्ती में गांड उठा उठा के चुदवाने लगी, तेज तेज सिसकियों की आवाज गूंजने लगी, दोनों पूर्ण रूप से नंगे थे। तेज तेज धक्कों से नीलम का पूरा बदन हिल रहा था, जोर जोर से सिसकते हुए वो अपने बाबू को सहलाये और दुलारे जा रही थी और वासना में सराबोर होकर कामुक बातें बोले जा रही थी- हाँ बाबू ऐसे ही चोदो..........ऐसे ही हुमच हुमच के तेज धक्के मारो.......मेरी बुरिया में............आह बाबू.............ऊऊऊऊईईईईईई........... थोड़ा किनारे से बूर की दीवारों से रगड़ते हुए अपना लंड अपनी इस रंडी की बूर में पेलो.......रगड़ता हुआ बच्चेदानी तक जाता है तो जन्नत का मजा आ जाता है पिता जी...........मेरे पिता जी..........आह..... मेरे बाबू जी.........चोदो अपनी बेटी को..........तरस मत खाओ...........बूर तो होती ही है फाड़ने के लिए..............एक बार और चोद चोद के फाड़ दो मेरी बूर...........आआआआआहहहहहहह
नीलम ऐसे ही बड़बड़ाये जा रही थी और बिरजू तेज तेज धक्के मारे जा रहा था, एकाएक बिरजू ने नीलम की चूची को मुँह में भरा और पीने लगा, मस्ती में नीलम और मचल गयी, पूरा बदन उसका वासना में एक बार फिर ऐंठने सा लगा, एकाएक बाहर कुछ लोगों की हल्की हल्की आवाजें आने लगी।
नीलम तो पूरी मस्ती में थी पर बिरजू के कान खड़े हो गए, अभी तक तो वो यही सोच रहे थे कि बारिश हो रही है तो कौन आएगा सुबह सुबह, पर कोई तो था, बिरजू ने मन में कोसते हुए उठने की कोशिश की तो नीलम ने उनकी कमर को थाम लिया और पूछा- बाबू क्या हुआ चोदो न, रुक क्यों गए।
बिरजू- लगता है कोई आया है बाहर
नीलम- पर बाबू वो रोने लगेगी।
बिरजू- वहीं जिसके मुँह से आप निवाला छीन रहे हो सुबह सुबह, देखो न कैसे मजे से खा रही है।
बिरजू आश्चर्य से- कौन?....किसके मुँह से निवाला छीन रहा हूँ, मैं समझा नही।
नीलम- अरे मेरे बुध्धू राम........ये
ऐसा कहते हुए नीलम ने बड़ी अदा से अपने बाबू का हाँथ पकड़ा और अपनी बूर पर ले गयी जो बिरजू का पूरा लंड लीले हुए थी, और दोनों नीचे देखने लगे, लंड पूरा बूर में घुसा हुआ था।
नीलम- किसी के मुँह से निवाला नही छीनते बाबू, देखो कैसे बेसुध होकर मस्ती में आपका मोटा लंड खा रही है मेरी ये बुरिया, अब आप निकाल लोगे तो ये रोने लगेगी और फिर चुप कराए चुप भी नही होगी, अभी मजधार में न छोड़ो इसे, न रुलाओ बाबू इसको, इसके हक़ का खा लेने दो इसे पूरा। अब निवाला मुँह में ले रखा है तो खा लेने दो पूरा अपनी इस रांड की बुरिया को।
इतना सुनते ही बिरजू ने सर उठा के नीलम की आंखों में देखा तो नीलम खिलखिला के हंस भी दी और वासना भारी आंखों से विनती भी करने लगी की बाबू अभी चोदो रुको मत चाहे आग ही लग जाये पूरी दुनिया को।
बिरजू ने बड़े प्यार से नीलम के गाल को चूम लिया और बोला- बहुत प्यारी प्यारी बातें आती है मेरी इस बिटिया को, तेरी इन बातों का ही दीवाना हूँ मैं।
नीलम सिसकते हुए- बिटिया नही रांड, रांड हूँ न आपकी मैं।
बिरजू- हां मेरी रांड, अब तो चाहे कुछ भी हो अपनी रांड को चोद के ही छोडूंगा।
और फिर बिरजू ने नीलम के ऊपर अच्छे से चढ़ते हुए अपने दोनों हांथों से उसके विशाल 36 की साइज की चौड़ी गांड को अपने हांथों से उठा लिया और अपना मोटा दहाड़ता लंड तेज तेज धक्कों के साथ पूरा पूरा बूर में डाल डाल कर कराहते हुए रसीली बूर चोदने लगा, नीलम की दुबारा सिसकिया निकलने लगी, कुछ ही देर में पूरा कमरा मादक सिसकियों से गूंज उठा, पूरी पलंग तेज तेज धक्कों से चरमरा गई, करीब 10 मिनट की लगातार बाप बेटी की धुँवाधार चुदाई से दोनों के बदन थरथराने लगे और दोनो ही एक बार फिर तेज तेज हाँफते हुए कस के एक दूसरे से लिपट गए और सीत्कारते हुए एक साथ झड़ने लगे, कुछ देर तक झड़ने के बाद दोनों शांत होकर एक दूसरे को चूमने सहलाने लगे फिर बिरजू ने एक जोरदार चुम्बन नीलम के होंठों पर लिया और बोला-अब जाकर देखूं जरा क्या मामला है।
नीलम- हाँ बाबू जाओ अब, अब नही रोयेगी ये, पेट भर गया इसका अभी के लिए तो।
बिरजू- भूख लगेगी तो फिर बताता ठीक
नीलम ने भी मुस्कुराते हुए- ठीक बाबू...बिल्कुल
बिरजु ने झट से कपड़े पहने और बाहर आ गया, नीलम ने भी कपड़े पहन लिए।
बिरजू ने बाहर आके देखा तो किसी जानवर के पैरों के निशान थे द्वार पर, देखते ही वो समझ गया कि सुबह सुबह किसी के जानवर ने खूंटे से रस्सी तुड़ा ली होगी और इधर उधर भागता हुआ उसके द्वार पर आ गया होगा और उसको पकड़ने के लिए लोग आए होंगे, खैर अब तो कोई नही था द्वार पर, वो बाहर आ गया और एक अंगडाई लेते हुए जानवरों को चार डालने चला गया, नीलम भी मस्ती में काफी देर बिस्तर पर बैठी रही ये सोचते हुए की जिंदगी में अचानक ही कितने रंग घुल गए, ईश्वर जब देता है तो सच में छप्पर फाड़ के देता है, आज वो बहुत ही खुश थी, उठी खाट से और नाश्ता बनाने लगी।