• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

Member
181
616
109

Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

Update {{87}}​
Update {{88}}​
Update {{89}}​
Update {{90}}​
Update {{91}}​
Update {{92}}​
Update {{93}}​
Update {{94}}​
Update {{95}}​
Update {{96}}​
Update {{97}}​
Update {{98}}​
Update {{99}}​
Update {{100}}​




 
Last edited:

S_Kumar

Your Friend
498
4,154
139
Update- 59

चंद्रभान हौले हौले अपनी बेटी में बहू की कल्पना कर उसकी गांड के छेद को सहलाते हुए बोला- बहू

नगमा- हाँ......बाबू जी.......मेरा मतलब मेरे ससुर जी

चंद्रभान और नगमा दोनों मुस्कुराने लगे

चंद्रभान- गांड खोल न.......अब रहा नही जा रहा.......तेरी गांड मारने को बेताब है लंड।

नगमा- भौजी की गांड मारके रहोगे आप.......बदमाश!........थोड़ा ऊपर उठो, मुझे पलटने के लिए जगह तो दो मेरे ससुर जी।

चन्द्रभान नगमा के ऊपर से उठ गया, नगमा पेट के बल घूमकर लेट गयी, लेटते वक्त पहले तो उसने साड़ी को पूरा पैर तक ढक लिया पर जब पेट के बल लेटी तो बड़ी अदा से अपनी साड़ी दोनों हांथों से पकड़कर अपने बाबू को कातिल मुस्कान के साथ देखते हुए ऊपर उठाने लगी, चंद्रभान आंखें फाड़े अपनी बेटी का निवस्त्र होता शरीर देखने लगा और देखते ही देखते नगमा ने अपनी 38 साइज की चौड़ी मखमली गोरी गोरी गांड अपने बाबू के सामने खोलकर रख दी।

ऐसा नही था कि चंद्रभान पहली बार नगमा की गांड देख रहा था इससे पहले भी न जाने कितनी बार उसने अपनी बेटी की गांड देखी, सहलाई और मारी थी पर हर बार जब नगमा अपनी गांड खोलती थी तो अपनी सगी बेटी की मनमोहक चौड़ी गुदाज गांड देखकर वो पगला ही जाता था और उसका मन करता था कि गप्प से अपना मूसल जैसा लन्ड अपनी सगी बेटी की गाँड़ में पेल दे।

मंत्रमुग्ध सा अभी चंद्रभान नगमा की गाँड़ को देख ही रहा था कि नगमा ने कुछ ऐसा कर दिया कि चंद्रभान के मुँह से आह निकल गयी, नगमा ने ये बोलते हुए "बाबू भौजी की गाँड़ ऐसी ही होगी न" अपने दोनों हांथों से अपनी गाँड़ के दोनों पाट को फाड़ कर उसका छोटा सा गुलाबी छेद दिखाया और अपने बाबू को देखकर खुद भी आहें भरने लगी।

चंद्रभान- वाह मेरी बिटिया आज तो तूने मुझे मेरी बहू का भी मजा दे दिया, तेरी जैसी बिटिया पाकर मैं धन्य हो गया।

चंद्रभान ने नीचे झुककर बड़े प्यार से अपनी बेटी के गाल को चूमकर मानो उसका शुक्रिया किया।

नगमा- बाबू.....मैं आपकी हूँ और आप मेरे, आपका सुख मेरा सुख है, जो आपको चाहिए जैसा चाहिए मैं वैसी ही बन जाउंगी, वही सुख दूंगी आपको, आप निश्चिन्त रहिये, आपको मजा आना चाहिए बस।

चंद्रभान नगमा के बगल में लेटकर उसको बाहों में भर लेता है और भावुक होकर दुलारने लगता है, नगमा भी थोड़ा भावुक होकर अपने बाबू से लिपट जाती है।

नगमा फिर धीरे से चंद्रभान के कान में- बाबू भौजी की गाँड़ मारिये न, मेरी गाँड़ को भौजी की गाँड़ समझ कर मार के देखिए कि कितना मजा आता है।

(ऐसा कहकर नगमा अपने बाबू के फौलाद हो चुके लंड को अपनी हथेली में भरकर एक कातिल मुस्कान के साथ सहलाने लगती है)

चंद्रभान मस्ती में भरकर फिर से नगमा के ऊपर आ जाता है और नगमा फिर से पेट के बल लेटकर अपनी गाँड़ को दोनों हांथों से फाड़कर, थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसके गुलाबी छेद को अपने बाबू के सामने परोसते हुए बोलती है- लो पिताजी अपनी बहू की गाँड़।

चंद्रभान नीचे झुककर पहले तो गाँड़ के छेद को जीभ से चाटता है, जीभ की छुअन गाँड़ के छेद पर पाकर नगमा का बदन थरथरा जाता है, एक मीठी सिसकारी उसके मुँह से फूट पड़ती है, अपनी गाँड़ को वो अपने दोनों हांथों से वैसे ही चीरे रहती है।

थोड़ी देर गाँड़ के छेद को सूंघने और चाटने के बाद चंद्रभान नगमा की पूरी गाँड़ को अपनी दोनों हथेली में जितना हो सके भर भरकर मीजता, सहलाता और दबाता है, नगमा जोर जोर से सिसकारने लगती है, काफी देर गाँड़ का अच्छे से मुआयना करने के बाद चंद्रभान बोलता है- बहू

नगमा मस्ती में आंखें बंद किये हुए- हाँ पिताजी

चंद्रभान- मार लूं अब तेरी गाँड़

नगमा- हाँ मारिये न पिता जी, पूछना कैसा....जल्दी मारिये....डालिये अपना लंड अपनी बहू की गाँड़ में।

ये सुनते ही चंद्रभान अपने दहाड़ते लंड को हांथों में लेकर अपनी बेटी की गाँड़ के गुलाबी छेद पर सेट करता है और एक तेज धक्का मरता है।

नगमा जोर से कराह उठती है- पिताजी धीरे से....मैं सच में भौजी नही हूँ......बेटी हूँ आपकी....थोड़ा धीरे से.....बाबू

लन्ड सरसराता हुआ आधा नगमा की गाँड़ में समा जाता है, नगमा का बदन अकड़ जाता है, चंद्रभान उसके ऊपर लेटकर उसे दबोच लेता है और एकएक तुरंत एक जोरदार दूसरा धक्का इतनी तेज मरता है कि उसका समूचा लंड नगमा की गाँड़ में उतर जाता है

दर्द से नगमा तेजी से सीत्कार उठती है, चंद्रभान जल्दी से झुककर नगमा को "ओह मेरी बहू.... मेरी प्यारी बहू" कहकर चूमने लगता है, दर्द से कराहते हुए भी नगमा की हंसी छूट पड़ती है और फिर वो जल्दी से दिखावा गुस्सा करते हुए हाँथ घुमा कर चंद्रभान की गाँड़ पर एक मुक्का मारते हुए बोली- पहले गच्च से एक ही बार में पूरा लंड घुसा दो फिर प्यार से दुलारो....बहुत बदमाश हो पिताजी आप.....कितना दर्द हो रहा है मुझे.......आपको पता भी है.......थोड़ी देर रुके रहना अभी धक्का मत लगाना।

चंद्रभान- क्या करूँ बेटी तेरी गाँड़ देखकर तो मैं पहले ही बेकाबू हो जाता हूँ ऊपर से तूने जो बहू का अलग से तड़का लगाया है उससे तो मैं पगला ही गया हूँ।

नगमा- अच्छा जी, तो कैसा लग रहा है भौजी की गाँड़ में पूरा लंड डाल के, नरम नरम है न

चंद्रभान- मत पूछ मेरी बेटी.....बहू की कल्पना करके ही इतना मजा आ रहा है कि क्या बताऊँ।

नगमा- अच्छा मेरे प्यारे बाबू, बहू के चक्कर में बेटी को न भूल जाना।

चंद्रभान- कैसी बातें करती है मेरी रानी, तू पहले है, बाकी सब बाद में।

नगमा- मेरे बाबू...मेरा सैयां...अब मारो न भौजी की मखमली गाँड़.....मारो

चंद्रभान- मैं तुझे बेटी बोलकर गाँड़ मारूं, या बहू

नगमा- जो आपका मन कर रहा है, वो बोलिये

चंद्रभान- मेरा तो दोनों कर रहा है

नगमा- तो एक एक करके दोनों बोलिये, और जल्दी मारिये मेरी गाँड़...अब रहा नही जाता।

चंद्रभान- तो तू आग्रह कर न...और मजा आएगा।

नगमा- अच्छा जी....

चंद्रभान- हाँ.... बोल न...आग्रह कर

नगमा- बाबू जी......गाँड़ मारिये न अपनी बिटिया की......….....................पिताजी....ओ मेरे ससुर जी.....गाँड़ मारिये न अपनी बहू की

(कहने के बाद नगमा मस्ती में हंस पड़ी)

चंद्रभान "आह मेरी बेटी.....ओह मेरी बहू" " आह क्या गाँड़ है तेरी" कह कहकर नगमा की गाँड़ मारने लगा, जब चंद्रभान बेटी बोलता तो नगमा बाबू जी बोलती और जब चंद्रभान बहू बोलता तो नगमा मस्ती में सिसकारते हुए पिताजी या ससुर जी बोलती, शुरू में धीरे धक्कों से शुरू हुई चुदाई धीरे धीरे तेज धक्कों के साथ आगे बढ़ने लगी, नगमा अब अपनी गाँड़ को पूरा उठा उठा कर ताल से ताल मिला रही थी, पूरी झोपड़ी में आह बहू... आह बेटी और हाय बाबू....उफ्फ पिताजी, हाय पिताजी की आवाज गूंजने लगी।

चंद्रभान पूरी ताकत से नगमा की गाँड़ में दनादन धक्के लगाने लगा, नगमा ने अपने दोनों हांथों से बिस्तर को पकड़ कर मानो भींच सा रखा था, दोनों को इतना मजा आज पहली बार आ रहा था, इसका कारण साफ था कि इस चुदाई में काल्पनिक तौर पर उस घर की बहू भी शामिल थी।

चंद्रभान से ज्यादा देर टिका नही गया और वह एक मोटी वीर्य की धार छोड़ते हुए " ओह मेरी बहू, मेरे बेटे की पत्नी, क्या गाँड़ है तेरी" कहते हुए झड़ने लगा, नगमा अपने बाबू की मस्ती भरी सिसकारी और बातें सुनकर मस्ती से भर गई और मुस्कुराने लगी। नगमा की गाँड़ चंद्रभान के गरम वीर्य से भर गई, चंद्रभान नगमा के ऊपर ढेर हो गया और काफी देर तक लेटा रहा फिर अपना सुस्त लंड नगमा की गाँड़ से निकाला और बगल में लेट गया, नगमा ने अपने बाबू को सहलाते हुए बाहों में ले लिया।
 

Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
3,343
4,947
158
Bhai nilam....kaha hai..... mast update tha
 
  • Like
Reactions: S_Kumar

pprsprs0

Well-Known Member
4,106
6,253
159
Update- 59

चंद्रभान हौले हौले अपनी बेटी में बहू की कल्पना कर उसकी गांड के छेद को सहलाते हुए बोला- बहू

नगमा- हाँ......बाबू जी.......मेरा मतलब मेरे ससुर जी

चंद्रभान और नगमा दोनों मुस्कुराने लगे

चंद्रभान- गांड खोल न.......अब रहा नही जा रहा.......तेरी गांड मारने को बेताब है लंड।

नगमा- भौजी की गांड मारके रहोगे आप.......बदमाश!........थोड़ा ऊपर उठो, मुझे पलटने के लिए जगह तो दो मेरे ससुर जी।

चन्द्रभान नगमा के ऊपर से उठ गया, नगमा पेट के बल घूमकर लेट गयी, लेटते वक्त पहले तो उसने साड़ी को पूरा पैर तक ढक लिया पर जब पेट के बल लेटी तो बड़ी अदा से अपनी साड़ी दोनों हांथों से पकड़कर अपने बाबू को कातिल मुस्कान के साथ देखते हुए ऊपर उठाने लगी, चंद्रभान आंखें फाड़े अपनी बेटी का निवस्त्र होता शरीर देखने लगा और देखते ही देखते नगमा ने अपनी 38 साइज की चौड़ी मखमली गोरी गोरी गांड अपने बाबू के सामने खोलकर रख दी।

ऐसा नही था कि चंद्रभान पहली बार नगमा की गांड देख रहा था इससे पहले भी न जाने कितनी बार उसने अपनी बेटी की गांड देखी, सहलाई और मारी थी पर हर बार जब नगमा अपनी गांड खोलती थी तो अपनी सगी बेटी की मनमोहक चौड़ी गुदाज गांड देखकर वो पगला ही जाता था और उसका मन करता था कि गप्प से अपना मूसल जैसा लन्ड अपनी सगी बेटी की गाँड़ में पेल दे।

मंत्रमुग्ध सा अभी चंद्रभान नगमा की गाँड़ को देख ही रहा था कि नगमा ने कुछ ऐसा कर दिया कि चंद्रभान के मुँह से आह निकल गयी, नगमा ने ये बोलते हुए "बाबू भौजी की गाँड़ ऐसी ही होगी न" अपने दोनों हांथों से अपनी गाँड़ के दोनों पाट को फाड़ कर उसका छोटा सा गुलाबी छेद दिखाया और अपने बाबू को देखकर खुद भी आहें भरने लगी।

चंद्रभान- वाह मेरी बिटिया आज तो तूने मुझे मेरी बहू का भी मजा दे दिया, तेरी जैसी बिटिया पाकर मैं धन्य हो गया।

चंद्रभान ने नीचे झुककर बड़े प्यार से अपनी बेटी के गाल को चूमकर मानो उसका शुक्रिया किया।

नगमा- बाबू.....मैं आपकी हूँ और आप मेरे, आपका सुख मेरा सुख है, जो आपको चाहिए जैसा चाहिए मैं वैसी ही बन जाउंगी, वही सुख दूंगी आपको, आप निश्चिन्त रहिये, आपको मजा आना चाहिए बस।

चंद्रभान नगमा के बगल में लेटकर उसको बाहों में भर लेता है और भावुक होकर दुलारने लगता है, नगमा भी थोड़ा भावुक होकर अपने बाबू से लिपट जाती है।

नगमा फिर धीरे से चंद्रभान के कान में- बाबू भौजी की गाँड़ मारिये न, मेरी गाँड़ को भौजी की गाँड़ समझ कर मार के देखिए कि कितना मजा आता है।

(ऐसा कहकर नगमा अपने बाबू के फौलाद हो चुके लंड को अपनी हथेली में भरकर एक कातिल मुस्कान के साथ सहलाने लगती है)

चंद्रभान मस्ती में भरकर फिर से नगमा के ऊपर आ जाता है और नगमा फिर से पेट के बल लेटकर अपनी गाँड़ को दोनों हांथों से फाड़कर, थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसके गुलाबी छेद को अपने बाबू के सामने परोसते हुए बोलती है- लो पिताजी अपनी बहू की गाँड़।

चंद्रभान नीचे झुककर पहले तो गाँड़ के छेद को जीभ से चाटता है, जीभ की छुअन गाँड़ के छेद पर पाकर नगमा का बदन थरथरा जाता है, एक मीठी सिसकारी उसके मुँह से फूट पड़ती है, अपनी गाँड़ को वो अपने दोनों हांथों से वैसे ही चीरे रहती है।

थोड़ी देर गाँड़ के छेद को सूंघने और चाटने के बाद चंद्रभान नगमा की पूरी गाँड़ को अपनी दोनों हथेली में जितना हो सके भर भरकर मीजता, सहलाता और दबाता है, नगमा जोर जोर से सिसकारने लगती है, काफी देर गाँड़ का अच्छे से मुआयना करने के बाद चंद्रभान बोलता है- बहू

नगमा मस्ती में आंखें बंद किये हुए- हाँ पिताजी

चंद्रभान- मार लूं अब तेरी गाँड़

नगमा- हाँ मारिये न पिता जी, पूछना कैसा....जल्दी मारिये....डालिये अपना लंड अपनी बहू की गाँड़ में।

ये सुनते ही चंद्रभान अपने दहाड़ते लंड को हांथों में लेकर अपनी बेटी की गाँड़ के गुलाबी छेद पर सेट करता है और एक तेज धक्का मरता है।

नगमा जोर से कराह उठती है- पिताजी धीरे से....मैं सच में भौजी नही हूँ......बेटी हूँ आपकी....थोड़ा धीरे से.....बाबू

लन्ड सरसराता हुआ आधा नगमा की गाँड़ में समा जाता है, नगमा का बदन अकड़ जाता है, चंद्रभान उसके ऊपर लेटकर उसे दबोच लेता है और एकएक तुरंत एक जोरदार दूसरा धक्का इतनी तेज मरता है कि उसका समूचा लंड नगमा की गाँड़ में उतर जाता है

दर्द से नगमा तेजी से सीत्कार उठती है, चंद्रभान जल्दी से झुककर नगमा को "ओह मेरी बहू.... मेरी प्यारी बहू" कहकर चूमने लगता है, दर्द से कराहते हुए भी नगमा की हंसी छूट पड़ती है और फिर वो जल्दी से दिखावा गुस्सा करते हुए हाँथ घुमा कर चंद्रभान की गाँड़ पर एक मुक्का मारते हुए बोली- पहले गच्च से एक ही बार में पूरा लंड घुसा दो फिर प्यार से दुलारो....बहुत बदमाश हो पिताजी आप.....कितना दर्द हो रहा है मुझे.......आपको पता भी है.......थोड़ी देर रुके रहना अभी धक्का मत लगाना।

चंद्रभान- क्या करूँ बेटी तेरी गाँड़ देखकर तो मैं पहले ही बेकाबू हो जाता हूँ ऊपर से तूने जो बहू का अलग से तड़का लगाया है उससे तो मैं पगला ही गया हूँ।

नगमा- अच्छा जी, तो कैसा लग रहा है भौजी की गाँड़ में पूरा लंड डाल के, नरम नरम है न

चंद्रभान- मत पूछ मेरी बेटी.....बहू की कल्पना करके ही इतना मजा आ रहा है कि क्या बताऊँ।

नगमा- अच्छा मेरे प्यारे बाबू, बहू के चक्कर में बेटी को न भूल जाना।

चंद्रभान- कैसी बातें करती है मेरी रानी, तू पहले है, बाकी सब बाद में।

नगमा- मेरे बाबू...मेरा सैयां...अब मारो न भौजी की मखमली गाँड़.....मारो

चंद्रभान- मैं तुझे बेटी बोलकर गाँड़ मारूं, या बहू

नगमा- जो आपका मन कर रहा है, वो बोलिये

चंद्रभान- मेरा तो दोनों कर रहा है

नगमा- तो एक एक करके दोनों बोलिये, और जल्दी मारिये मेरी गाँड़...अब रहा नही जाता।

चंद्रभान- तो तू आग्रह कर न...और मजा आएगा।

नगमा- अच्छा जी....

चंद्रभान- हाँ.... बोल न...आग्रह कर

नगमा- बाबू जी......गाँड़ मारिये न अपनी बिटिया की......….....................पिताजी....ओ मेरे ससुर जी.....गाँड़ मारिये न अपनी बहू की

(कहने के बाद नगमा मस्ती में हंस पड़ी)

चंद्रभान "आह मेरी बेटी.....ओह मेरी बहू" " आह क्या गाँड़ है तेरी" कह कहकर नगमा की गाँड़ मारने लगा, जब चंद्रभान बेटी बोलता तो नगमा बाबू जी बोलती और जब चंद्रभान बहू बोलता तो नगमा मस्ती में सिसकारते हुए पिताजी या ससुर जी बोलती, शुरू में धीरे धक्कों से शुरू हुई चुदाई धीरे धीरे तेज धक्कों के साथ आगे बढ़ने लगी, नगमा अब अपनी गाँड़ को पूरा उठा उठा कर ताल से ताल मिला रही थी, पूरी झोपड़ी में आह बहू... आह बेटी और हाय बाबू....उफ्फ पिताजी, हाय पिताजी की आवाज गूंजने लगी।

चंद्रभान पूरी ताकत से नगमा की गाँड़ में दनादन धक्के लगाने लगा, नगमा ने अपने दोनों हांथों से बिस्तर को पकड़ कर मानो भींच सा रखा था, दोनों को इतना मजा आज पहली बार आ रहा था, इसका कारण साफ था कि इस चुदाई में काल्पनिक तौर पर उस घर की बहू भी शामिल थी।

चंद्रभान से ज्यादा देर टिका नही गया और वह एक मोटी वीर्य की धार छोड़ते हुए " ओह मेरी बहू, मेरे बेटे की पत्नी, क्या गाँड़ है तेरी" कहते हुए झड़ने लगा, नगमा अपने बाबू की मस्ती भरी सिसकारी और बातें सुनकर मस्ती से भर गई और मुस्कुराने लगी। नगमा की गाँड़ चंद्रभान के गरम वीर्य से भर गई, चंद्रभान नगमा के ऊपर ढेर हो गया और काफी देर तक लेटा रहा फिर अपना सुस्त लंड नगमा की गाँड़ से निकाला और बगल में लेट गया, नगमा ने अपने बाबू को सहलाते हुए बाहों में ले लिया।
Mast hai ab भौजी Ka BHI Milan unke Papa se Kara do
 

Lucky-the-racer

Well-Known Member
5,206
4,806
189
Update- 59

चंद्रभान हौले हौले अपनी बेटी में बहू की कल्पना कर उसकी गांड के छेद को सहलाते हुए बोला- बहू

नगमा- हाँ......बाबू जी.......मेरा मतलब मेरे ससुर जी

चंद्रभान और नगमा दोनों मुस्कुराने लगे

चंद्रभान- गांड खोल न.......अब रहा नही जा रहा.......तेरी गांड मारने को बेताब है लंड।

नगमा- भौजी की गांड मारके रहोगे आप.......बदमाश!........थोड़ा ऊपर उठो, मुझे पलटने के लिए जगह तो दो मेरे ससुर जी।

चन्द्रभान नगमा के ऊपर से उठ गया, नगमा पेट के बल घूमकर लेट गयी, लेटते वक्त पहले तो उसने साड़ी को पूरा पैर तक ढक लिया पर जब पेट के बल लेटी तो बड़ी अदा से अपनी साड़ी दोनों हांथों से पकड़कर अपने बाबू को कातिल मुस्कान के साथ देखते हुए ऊपर उठाने लगी, चंद्रभान आंखें फाड़े अपनी बेटी का निवस्त्र होता शरीर देखने लगा और देखते ही देखते नगमा ने अपनी 38 साइज की चौड़ी मखमली गोरी गोरी गांड अपने बाबू के सामने खोलकर रख दी।

ऐसा नही था कि चंद्रभान पहली बार नगमा की गांड देख रहा था इससे पहले भी न जाने कितनी बार उसने अपनी बेटी की गांड देखी, सहलाई और मारी थी पर हर बार जब नगमा अपनी गांड खोलती थी तो अपनी सगी बेटी की मनमोहक चौड़ी गुदाज गांड देखकर वो पगला ही जाता था और उसका मन करता था कि गप्प से अपना मूसल जैसा लन्ड अपनी सगी बेटी की गाँड़ में पेल दे।

मंत्रमुग्ध सा अभी चंद्रभान नगमा की गाँड़ को देख ही रहा था कि नगमा ने कुछ ऐसा कर दिया कि चंद्रभान के मुँह से आह निकल गयी, नगमा ने ये बोलते हुए "बाबू भौजी की गाँड़ ऐसी ही होगी न" अपने दोनों हांथों से अपनी गाँड़ के दोनों पाट को फाड़ कर उसका छोटा सा गुलाबी छेद दिखाया और अपने बाबू को देखकर खुद भी आहें भरने लगी।

चंद्रभान- वाह मेरी बिटिया आज तो तूने मुझे मेरी बहू का भी मजा दे दिया, तेरी जैसी बिटिया पाकर मैं धन्य हो गया।

चंद्रभान ने नीचे झुककर बड़े प्यार से अपनी बेटी के गाल को चूमकर मानो उसका शुक्रिया किया।

नगमा- बाबू.....मैं आपकी हूँ और आप मेरे, आपका सुख मेरा सुख है, जो आपको चाहिए जैसा चाहिए मैं वैसी ही बन जाउंगी, वही सुख दूंगी आपको, आप निश्चिन्त रहिये, आपको मजा आना चाहिए बस।

चंद्रभान नगमा के बगल में लेटकर उसको बाहों में भर लेता है और भावुक होकर दुलारने लगता है, नगमा भी थोड़ा भावुक होकर अपने बाबू से लिपट जाती है।

नगमा फिर धीरे से चंद्रभान के कान में- बाबू भौजी की गाँड़ मारिये न, मेरी गाँड़ को भौजी की गाँड़ समझ कर मार के देखिए कि कितना मजा आता है।

(ऐसा कहकर नगमा अपने बाबू के फौलाद हो चुके लंड को अपनी हथेली में भरकर एक कातिल मुस्कान के साथ सहलाने लगती है)

चंद्रभान मस्ती में भरकर फिर से नगमा के ऊपर आ जाता है और नगमा फिर से पेट के बल लेटकर अपनी गाँड़ को दोनों हांथों से फाड़कर, थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसके गुलाबी छेद को अपने बाबू के सामने परोसते हुए बोलती है- लो पिताजी अपनी बहू की गाँड़।

चंद्रभान नीचे झुककर पहले तो गाँड़ के छेद को जीभ से चाटता है, जीभ की छुअन गाँड़ के छेद पर पाकर नगमा का बदन थरथरा जाता है, एक मीठी सिसकारी उसके मुँह से फूट पड़ती है, अपनी गाँड़ को वो अपने दोनों हांथों से वैसे ही चीरे रहती है।

थोड़ी देर गाँड़ के छेद को सूंघने और चाटने के बाद चंद्रभान नगमा की पूरी गाँड़ को अपनी दोनों हथेली में जितना हो सके भर भरकर मीजता, सहलाता और दबाता है, नगमा जोर जोर से सिसकारने लगती है, काफी देर गाँड़ का अच्छे से मुआयना करने के बाद चंद्रभान बोलता है- बहू

नगमा मस्ती में आंखें बंद किये हुए- हाँ पिताजी

चंद्रभान- मार लूं अब तेरी गाँड़

नगमा- हाँ मारिये न पिता जी, पूछना कैसा....जल्दी मारिये....डालिये अपना लंड अपनी बहू की गाँड़ में।

ये सुनते ही चंद्रभान अपने दहाड़ते लंड को हांथों में लेकर अपनी बेटी की गाँड़ के गुलाबी छेद पर सेट करता है और एक तेज धक्का मरता है।

नगमा जोर से कराह उठती है- पिताजी धीरे से....मैं सच में भौजी नही हूँ......बेटी हूँ आपकी....थोड़ा धीरे से.....बाबू

लन्ड सरसराता हुआ आधा नगमा की गाँड़ में समा जाता है, नगमा का बदन अकड़ जाता है, चंद्रभान उसके ऊपर लेटकर उसे दबोच लेता है और एकएक तुरंत एक जोरदार दूसरा धक्का इतनी तेज मरता है कि उसका समूचा लंड नगमा की गाँड़ में उतर जाता है

दर्द से नगमा तेजी से सीत्कार उठती है, चंद्रभान जल्दी से झुककर नगमा को "ओह मेरी बहू.... मेरी प्यारी बहू" कहकर चूमने लगता है, दर्द से कराहते हुए भी नगमा की हंसी छूट पड़ती है और फिर वो जल्दी से दिखावा गुस्सा करते हुए हाँथ घुमा कर चंद्रभान की गाँड़ पर एक मुक्का मारते हुए बोली- पहले गच्च से एक ही बार में पूरा लंड घुसा दो फिर प्यार से दुलारो....बहुत बदमाश हो पिताजी आप.....कितना दर्द हो रहा है मुझे.......आपको पता भी है.......थोड़ी देर रुके रहना अभी धक्का मत लगाना।

चंद्रभान- क्या करूँ बेटी तेरी गाँड़ देखकर तो मैं पहले ही बेकाबू हो जाता हूँ ऊपर से तूने जो बहू का अलग से तड़का लगाया है उससे तो मैं पगला ही गया हूँ।

नगमा- अच्छा जी, तो कैसा लग रहा है भौजी की गाँड़ में पूरा लंड डाल के, नरम नरम है न

चंद्रभान- मत पूछ मेरी बेटी.....बहू की कल्पना करके ही इतना मजा आ रहा है कि क्या बताऊँ।

नगमा- अच्छा मेरे प्यारे बाबू, बहू के चक्कर में बेटी को न भूल जाना।

चंद्रभान- कैसी बातें करती है मेरी रानी, तू पहले है, बाकी सब बाद में।

नगमा- मेरे बाबू...मेरा सैयां...अब मारो न भौजी की मखमली गाँड़.....मारो

चंद्रभान- मैं तुझे बेटी बोलकर गाँड़ मारूं, या बहू

नगमा- जो आपका मन कर रहा है, वो बोलिये

चंद्रभान- मेरा तो दोनों कर रहा है

नगमा- तो एक एक करके दोनों बोलिये, और जल्दी मारिये मेरी गाँड़...अब रहा नही जाता।

चंद्रभान- तो तू आग्रह कर न...और मजा आएगा।

नगमा- अच्छा जी....

चंद्रभान- हाँ.... बोल न...आग्रह कर

नगमा- बाबू जी......गाँड़ मारिये न अपनी बिटिया की......….....................पिताजी....ओ मेरे ससुर जी.....गाँड़ मारिये न अपनी बहू की

(कहने के बाद नगमा मस्ती में हंस पड़ी)

चंद्रभान "आह मेरी बेटी.....ओह मेरी बहू" " आह क्या गाँड़ है तेरी" कह कहकर नगमा की गाँड़ मारने लगा, जब चंद्रभान बेटी बोलता तो नगमा बाबू जी बोलती और जब चंद्रभान बहू बोलता तो नगमा मस्ती में सिसकारते हुए पिताजी या ससुर जी बोलती, शुरू में धीरे धक्कों से शुरू हुई चुदाई धीरे धीरे तेज धक्कों के साथ आगे बढ़ने लगी, नगमा अब अपनी गाँड़ को पूरा उठा उठा कर ताल से ताल मिला रही थी, पूरी झोपड़ी में आह बहू... आह बेटी और हाय बाबू....उफ्फ पिताजी, हाय पिताजी की आवाज गूंजने लगी।

चंद्रभान पूरी ताकत से नगमा की गाँड़ में दनादन धक्के लगाने लगा, नगमा ने अपने दोनों हांथों से बिस्तर को पकड़ कर मानो भींच सा रखा था, दोनों को इतना मजा आज पहली बार आ रहा था, इसका कारण साफ था कि इस चुदाई में काल्पनिक तौर पर उस घर की बहू भी शामिल थी।

चंद्रभान से ज्यादा देर टिका नही गया और वह एक मोटी वीर्य की धार छोड़ते हुए " ओह मेरी बहू, मेरे बेटे की पत्नी, क्या गाँड़ है तेरी" कहते हुए झड़ने लगा, नगमा अपने बाबू की मस्ती भरी सिसकारी और बातें सुनकर मस्ती से भर गई और मुस्कुराने लगी। नगमा की गाँड़ चंद्रभान के गरम वीर्य से भर गई, चंद्रभान नगमा के ऊपर ढेर हो गया और काफी देर तक लेटा रहा फिर अपना सुस्त लंड नगमा की गाँड़ से निकाला और बगल में लेट गया, नगमा ने अपने बाबू को सहलाते हुए बाहों में ले लिया।
Awesome update
 
Last edited:
  • Like
Reactions: S_Kumar and Napster

123@abc

Just chilling
894
1,380
139
Update- 59

चंद्रभान हौले हौले अपनी बेटी में बहू की कल्पना कर उसकी गांड के छेद को सहलाते हुए बोला- बहू

नगमा- हाँ......बाबू जी.......मेरा मतलब मेरे ससुर जी

चंद्रभान और नगमा दोनों मुस्कुराने लगे

चंद्रभान- गांड खोल न.......अब रहा नही जा रहा.......तेरी गांड मारने को बेताब है लंड।

नगमा- भौजी की गांड मारके रहोगे आप.......बदमाश!........थोड़ा ऊपर उठो, मुझे पलटने के लिए जगह तो दो मेरे ससुर जी।

चन्द्रभान नगमा के ऊपर से उठ गया, नगमा पेट के बल घूमकर लेट गयी, लेटते वक्त पहले तो उसने साड़ी को पूरा पैर तक ढक लिया पर जब पेट के बल लेटी तो बड़ी अदा से अपनी साड़ी दोनों हांथों से पकड़कर अपने बाबू को कातिल मुस्कान के साथ देखते हुए ऊपर उठाने लगी, चंद्रभान आंखें फाड़े अपनी बेटी का निवस्त्र होता शरीर देखने लगा और देखते ही देखते नगमा ने अपनी 38 साइज की चौड़ी मखमली गोरी गोरी गांड अपने बाबू के सामने खोलकर रख दी।

ऐसा नही था कि चंद्रभान पहली बार नगमा की गांड देख रहा था इससे पहले भी न जाने कितनी बार उसने अपनी बेटी की गांड देखी, सहलाई और मारी थी पर हर बार जब नगमा अपनी गांड खोलती थी तो अपनी सगी बेटी की मनमोहक चौड़ी गुदाज गांड देखकर वो पगला ही जाता था और उसका मन करता था कि गप्प से अपना मूसल जैसा लन्ड अपनी सगी बेटी की गाँड़ में पेल दे।

मंत्रमुग्ध सा अभी चंद्रभान नगमा की गाँड़ को देख ही रहा था कि नगमा ने कुछ ऐसा कर दिया कि चंद्रभान के मुँह से आह निकल गयी, नगमा ने ये बोलते हुए "बाबू भौजी की गाँड़ ऐसी ही होगी न" अपने दोनों हांथों से अपनी गाँड़ के दोनों पाट को फाड़ कर उसका छोटा सा गुलाबी छेद दिखाया और अपने बाबू को देखकर खुद भी आहें भरने लगी।

चंद्रभान- वाह मेरी बिटिया आज तो तूने मुझे मेरी बहू का भी मजा दे दिया, तेरी जैसी बिटिया पाकर मैं धन्य हो गया।

चंद्रभान ने नीचे झुककर बड़े प्यार से अपनी बेटी के गाल को चूमकर मानो उसका शुक्रिया किया।

नगमा- बाबू.....मैं आपकी हूँ और आप मेरे, आपका सुख मेरा सुख है, जो आपको चाहिए जैसा चाहिए मैं वैसी ही बन जाउंगी, वही सुख दूंगी आपको, आप निश्चिन्त रहिये, आपको मजा आना चाहिए बस।

चंद्रभान नगमा के बगल में लेटकर उसको बाहों में भर लेता है और भावुक होकर दुलारने लगता है, नगमा भी थोड़ा भावुक होकर अपने बाबू से लिपट जाती है।

नगमा फिर धीरे से चंद्रभान के कान में- बाबू भौजी की गाँड़ मारिये न, मेरी गाँड़ को भौजी की गाँड़ समझ कर मार के देखिए कि कितना मजा आता है।

(ऐसा कहकर नगमा अपने बाबू के फौलाद हो चुके लंड को अपनी हथेली में भरकर एक कातिल मुस्कान के साथ सहलाने लगती है)

चंद्रभान मस्ती में भरकर फिर से नगमा के ऊपर आ जाता है और नगमा फिर से पेट के बल लेटकर अपनी गाँड़ को दोनों हांथों से फाड़कर, थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसके गुलाबी छेद को अपने बाबू के सामने परोसते हुए बोलती है- लो पिताजी अपनी बहू की गाँड़।

चंद्रभान नीचे झुककर पहले तो गाँड़ के छेद को जीभ से चाटता है, जीभ की छुअन गाँड़ के छेद पर पाकर नगमा का बदन थरथरा जाता है, एक मीठी सिसकारी उसके मुँह से फूट पड़ती है, अपनी गाँड़ को वो अपने दोनों हांथों से वैसे ही चीरे रहती है।

थोड़ी देर गाँड़ के छेद को सूंघने और चाटने के बाद चंद्रभान नगमा की पूरी गाँड़ को अपनी दोनों हथेली में जितना हो सके भर भरकर मीजता, सहलाता और दबाता है, नगमा जोर जोर से सिसकारने लगती है, काफी देर गाँड़ का अच्छे से मुआयना करने के बाद चंद्रभान बोलता है- बहू

नगमा मस्ती में आंखें बंद किये हुए- हाँ पिताजी

चंद्रभान- मार लूं अब तेरी गाँड़

नगमा- हाँ मारिये न पिता जी, पूछना कैसा....जल्दी मारिये....डालिये अपना लंड अपनी बहू की गाँड़ में।

ये सुनते ही चंद्रभान अपने दहाड़ते लंड को हांथों में लेकर अपनी बेटी की गाँड़ के गुलाबी छेद पर सेट करता है और एक तेज धक्का मरता है।

नगमा जोर से कराह उठती है- पिताजी धीरे से....मैं सच में भौजी नही हूँ......बेटी हूँ आपकी....थोड़ा धीरे से.....बाबू

लन्ड सरसराता हुआ आधा नगमा की गाँड़ में समा जाता है, नगमा का बदन अकड़ जाता है, चंद्रभान उसके ऊपर लेटकर उसे दबोच लेता है और एकएक तुरंत एक जोरदार दूसरा धक्का इतनी तेज मरता है कि उसका समूचा लंड नगमा की गाँड़ में उतर जाता है

दर्द से नगमा तेजी से सीत्कार उठती है, चंद्रभान जल्दी से झुककर नगमा को "ओह मेरी बहू.... मेरी प्यारी बहू" कहकर चूमने लगता है, दर्द से कराहते हुए भी नगमा की हंसी छूट पड़ती है और फिर वो जल्दी से दिखावा गुस्सा करते हुए हाँथ घुमा कर चंद्रभान की गाँड़ पर एक मुक्का मारते हुए बोली- पहले गच्च से एक ही बार में पूरा लंड घुसा दो फिर प्यार से दुलारो....बहुत बदमाश हो पिताजी आप.....कितना दर्द हो रहा है मुझे.......आपको पता भी है.......थोड़ी देर रुके रहना अभी धक्का मत लगाना।

चंद्रभान- क्या करूँ बेटी तेरी गाँड़ देखकर तो मैं पहले ही बेकाबू हो जाता हूँ ऊपर से तूने जो बहू का अलग से तड़का लगाया है उससे तो मैं पगला ही गया हूँ।

नगमा- अच्छा जी, तो कैसा लग रहा है भौजी की गाँड़ में पूरा लंड डाल के, नरम नरम है न

चंद्रभान- मत पूछ मेरी बेटी.....बहू की कल्पना करके ही इतना मजा आ रहा है कि क्या बताऊँ।

नगमा- अच्छा मेरे प्यारे बाबू, बहू के चक्कर में बेटी को न भूल जाना।

चंद्रभान- कैसी बातें करती है मेरी रानी, तू पहले है, बाकी सब बाद में।

नगमा- मेरे बाबू...मेरा सैयां...अब मारो न भौजी की मखमली गाँड़.....मारो

चंद्रभान- मैं तुझे बेटी बोलकर गाँड़ मारूं, या बहू

नगमा- जो आपका मन कर रहा है, वो बोलिये

चंद्रभान- मेरा तो दोनों कर रहा है

नगमा- तो एक एक करके दोनों बोलिये, और जल्दी मारिये मेरी गाँड़...अब रहा नही जाता।

चंद्रभान- तो तू आग्रह कर न...और मजा आएगा।

नगमा- अच्छा जी....

चंद्रभान- हाँ.... बोल न...आग्रह कर

नगमा- बाबू जी......गाँड़ मारिये न अपनी बिटिया की......….....................पिताजी....ओ मेरे ससुर जी.....गाँड़ मारिये न अपनी बहू की

(कहने के बाद नगमा मस्ती में हंस पड़ी)

चंद्रभान "आह मेरी बेटी.....ओह मेरी बहू" " आह क्या गाँड़ है तेरी" कह कहकर नगमा की गाँड़ मारने लगा, जब चंद्रभान बेटी बोलता तो नगमा बाबू जी बोलती और जब चंद्रभान बहू बोलता तो नगमा मस्ती में सिसकारते हुए पिताजी या ससुर जी बोलती, शुरू में धीरे धक्कों से शुरू हुई चुदाई धीरे धीरे तेज धक्कों के साथ आगे बढ़ने लगी, नगमा अब अपनी गाँड़ को पूरा उठा उठा कर ताल से ताल मिला रही थी, पूरी झोपड़ी में आह बहू... आह बेटी और हाय बाबू....उफ्फ पिताजी, हाय पिताजी की आवाज गूंजने लगी।

चंद्रभान पूरी ताकत से नगमा की गाँड़ में दनादन धक्के लगाने लगा, नगमा ने अपने दोनों हांथों से बिस्तर को पकड़ कर मानो भींच सा रखा था, दोनों को इतना मजा आज पहली बार आ रहा था, इसका कारण साफ था कि इस चुदाई में काल्पनिक तौर पर उस घर की बहू भी शामिल थी।

चंद्रभान से ज्यादा देर टिका नही गया और वह एक मोटी वीर्य की धार छोड़ते हुए " ओह मेरी बहू, मेरे बेटे की पत्नी, क्या गाँड़ है तेरी" कहते हुए झड़ने लगा, नगमा अपने बाबू की मस्ती भरी सिसकारी और बातें सुनकर मस्ती से भर गई और मुस्कुराने लगी। नगमा की गाँड़ चंद्रभान के गरम वीर्य से भर गई, चंद्रभान नगमा के ऊपर ढेर हो गया और काफी देर तक लेटा रहा फिर अपना सुस्त लंड नगमा की गाँड़ से निकाला और बगल में लेट गया, नगमा ने अपने बाबू को सहलाते हुए बाहों में ले लिया।

आईऐ पिताजी
london-andrews-dildo-fuck-1.gif

बेटी समझ कर चुदाई कीजिए या फिर बहु
बस अपनी जमीन समझ कर जोत दिजिए
pool-side-ass-fuck.gif

अअअआआआआहह पिताजी
 

Rahul007

Active Member
1,252
1,276
158
Thanks a lot for this extraordinary update! Just awesome and amazing update!
 
  • Like
Reactions: S_Kumar and Napster

Napster

Well-Known Member
5,130
14,062
188
देर आये दुरुस्त आये बडा ही शानदार और कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा :applause:
 
Top