Update- 94
कुछ देर बाद उदय को ध्यान आया तो उसने रजनी की ओर बड़े आश्चर्य से मुस्कुराते हुए देखा
लंड अभी भी रजनी की बूर में घुसा हुआ था पर थोड़ा सुस्त पड़ गया था, दोनो का कामरस रिस रिस कर तकिये पर गिर रहा था, रजनी ने अपने बाबू को बड़े प्यार से अपनी ओर देखते हुए देखा तो बोली- क्या हुआ मेरे सैयां?
उदय - अम्मा की याद आ रही थी क्या मेरी बेटी को?
रजनी ने उदय को चूमते हुए पूछा- कब बाबू? (वैसे रजनी समझ गयी थी)
उदय ने रजनी के कान में धीरे से कहा- आपने बाबू से चुदवाते वक्त?
रजनी और उदय दोनो सिसक उठे, उदय के लन्ड ने बूर के अंदर एक हल्की सी ठुनकी ली जिसको रजनी ने बखूबी महसूस किया, ऐसा बोलते वक्त उदय थोड़ा ऊपर को सरका जिससे उसका लंड रजनी की बूर में थोड़ा अंदर सरक गया और किनारे किनारे से गाढ़ा सफेद सफेद वीर्य निकलकर रजनी की जांघों से होता हुआ तकिये पर गिरने लगा।
रजनी एक बार शर्मा गयी फिर बोली- अच्छा वो?
उदय- हाँ वो मेरी राँड़...क्या हो गया था मेरी बेटी को जो उसके मुँह से उत्तेजना में निकला "अम्मा देखो पापा चोद रहे हैं मुझे"
रजनी फिर शर्मा गयी- पता नही क्या हो गया था बाबू, कुछ भी बड़बड़ाये जा रही थी, पर न जाने क्यों मुझे बहुत गुदगुदी हुई वो बोलते हुए....बहुत उत्तेजना भी हुई, एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे अम्मा मुझे थोड़ी दूर खड़े होकर देख रही है और मैं आपसे चुदवा रही हूं, न मुझे डर लगा की अम्मा क्या सोचेंगी, न घबराहट हुई, न लाज लगी, बल्कि उल्टा बहुत अजीब सा मजा आया, और एक बात बताऊं?
उदय - हम्म
रजनी- अम्मा भी मुस्कुरा रही थी।
"आआआह" उदय के लंड ने धीरे धीरे सख्ती पकड़नी शुरू कर दी, रजनी ने भी मस्ती में आँखे बंद कर ली, उदय का धीरे धीरे सख्त होता लंड उसे बूर के अंदर अच्छे से महसूस हो रहा था।
उदय- तुझे ऐसा बोलते हुए मजा आया?
रजनी उदय को सहलाते हुए- हाँ बाबू बहुत...अब भी मन कर रहा है
उदय - क्या...क्या मन कर रहा है मेरी बिटिया का?
रजनी फुसफुसाते हुए- वही महसूस करने का।
उदय- तो किसने रोका है मेरी रानी...कर न महसूस।
रजनी धीरे धीरे उदय को सहलाने लगी फिर धीरे से उदय के कान में फुसफुसाई- आआआह.....मेरे बेटे...तू मुझे चोदेगा?....
उदय आश्चर्य से रजनी की आंखों में देखने लगा, उसे विश्वास नही हुआ कि रजनी ये बोलेगी, उसका लंड रजनी की बूर में सख्त एकदम लोहा बन गया, रजनी समझ गयी कि उसके बाबू को बहुत मजा आया है।
दोनो एक दूसरे को देखने लगे, रजनी की आंखें वासना से भरी हुई थी और वह कामुक मुस्कान लिए अपने बाबू की आंखों में एक आग्रह से देख रही थी। उदय अब समझा कि रजनी के मन में क्या है, वह क्या चाहती है? रजनी के मन की प्यास को वह अच्छे से जान गया, उसने रजनी को बड़े प्यार से गालों पर चूमा और बोला- माँ...मेरी अम्मा।
दोनो का बदन गनगना गया, रजनी ने "आह मेरा बेटा...मेरा बच्चा" बोलते हुए अपने बाबू को कस के आगोश में भर लिया।
उदय ने फिर धीरे से रजनी के कान में फुसफुसा कर बोला- अम्मा...मुझे बूर देगी....अपनी बूर चाटने देगी....?
रजनी मस्ती में सनसना गयी "हां मेरे लाल...मेरे राजा बेटा....बूर दूंगी मैं अपने राजा बेटा को?
उदय- तेरी बूर चोदने का बहुत मन करता है माँ... बहुत तरसता हूँ मैं तेरी रसभरी बूर के लिए।
रजनी की मस्ती में तेज सिसकारी निकल जाती है, उदय कस के अपना लंड रजनी की बूर में गाड़ देता है जिससे रजनी और मस्ती में सिसकते हुए उसके पीठ पर हल्का सा चिकोटी काट लेती है।
रजनी- ऊऊईईईईई मां.... हाँ मेरे बेटे...मैं भी तेरे लंड के लिए बहुत प्यासी हूँ.... तेरे से चुदवाना चाहती हूँ.... पर शर्म से कह नही पा रही थी....तेरी माँ बहुत तरस रही है तेरे लंड के लिए.....चोद अपनी माँ को....चोद दे मुझे बेटे.....आआआह..
एक बार फिर दोनों का बदन एक नई उत्तेजना के अहसास से जलने लगा, दोनो एक दूसरे को चूमने लगे, उदय ने एक बार लंड बूर से पूरा निकाला और कस के एक ही बार में रजनी की बूर में जड़ तक घुसेड़ दिया
"आआआह...मेरे लाल...धीरे धीरे...धीरे धीरे डाल अपनी माँ की बूर में"
"हाय अम्मा क्या बूर है तेरी...कितनी रसीली है..."
उदय से रहा नही गया और वह एक बार फिर कस कस के ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, रजनी भी बदहवास सी "हाय मेरे बेटे...आह मेरे लाल...चोद अपनी माँ को...आह ऐसे ही.." बोलते हुए सिसकारी लेते हुए अपने बाबू से चुदवाने लगी।
उदय ने सोचा भी नही था कि उसकी बेटी आज उसे जन्नत का अनोखा मजा देगी, उसकी सगी बेटी उसे माँ को चोदने का मजा इतनी लज्जत भरे तरीके से दिलाएगी, उसे विस्वास नही हो रहा था, और यही बात उसकी उत्तेजना को चरम पर ला रहा था, एक बार चुदाई कर चुके होने के बाद भी दुबारा उससे ज्यादा उत्तेजना का अहसाह इस बदलते हुए रिश्ते को सोचकर करने में दोनो बाप बेटी को आ रहा था।
रजनी कराहते हुए - आआआ आ आ आ आ आ आ ह ह ह ह...ऊऊईईईईई मईया..... आआआह मेरे बेटे.....धीरे धीरे....चोद.... तेरी अम्मा की बूर बस तेरी है.....तेरे बाबू को भी मैं नही दूँगी अब.....मेरी बूर बस मेरे बेटे के लिए है.....आआआह मेरे लाल....धीरे धीरे पेल अपनी माँ को....मां को पेलने का मजा ले ले मेरा लाल....देख कैसे...कितनी गहराई तक जा रहा है तेरा मूसल मेरी बूर में....ऊऊईईईईई मां
उदय ने एक बार फिर रजनी की गांड को दोनो हांथों से उठाया और उसे कस कस के हुमच हुमच कर चोदने लगा।
उदय- अम्मा...
रजनी- हाँ मेरे राजा बेटा.... आआआह
उदय- मजा आ रहा है मेरी अम्मा को
रजनी - बहुत मेरे राजा बेटा.... बहुत
तेज तेज धक्कों से रजनी की इधर उधर उछलती दोनो चूचीयों को उदय ने लप्प से मुंह में भरा और चोदते हुए पीने लगा, रजनी का बदन मस्ती में कांप गया, वो हाय हाय करने लगी, उदय के सर, पीठ और कमर को सहलाते हुए वह नीचे से अपनी गांड उछाल उछाल कर अपने बाबू को बेटे के रूप में महसूस कर मस्ती में चुदवाने लगी, इस तरह का आनंद आज पहली बार दोनो महसूस कर बेसुध हो गए थे।
इस बार उदय के लंड का सुपाड़ा बेटे के लंड के रूप में बार बार अपनी बच्चेदानी के मुहाने पर टकराता हुआ महसूस कर रजनी की बूर का बुरा हाल हो चुका था वह इतना पानी छोड़ रही थी कि खुद उसे भी यकीन नही हो रहा था कि माँ-बेटे के बीच की चुदाई इतनी वासनामय और आनददायक होती है की सबकुछ भुला दे।
अपनी सगी बेटी में अपनी माँ को पाकर उदय का लंड मारे उत्तेजना के किसी गर्म लोहे की तरह हो गया था।
रजनी ने कराहते हुए अपने दोनों हाँथ अपने बाबू के नितम्बों पर रखे और तेज तेज ताल से ताल मिलाते हुए नीचे से अपनी गांड उछाल उछाल कर अपने बेटे से चुदवाने लगी, उत्तेजना इतनी थी कि कुछ ही देर में दोनो फिर एक साथ सीत्कारते हुआ, मस्ती में कराहते हुए झड़ने लगे
"आआआह ह ह ह ह ह ह....मेरे लाल...मैं गयी....हाएएए.....ऊऊईईईईई अम्मा...कितना मजा है इसमें.....इस पाप में.....हाय मेरे राजा बेटा.... कितना प्यारा है तेरा लंड...
उदय भी कराहते हुए अपनी माँ के गर्भ में अपना गरम गरम वीर्य उड़ेलता हुआ उसपर ढेर हो गया।
रजनी कस के उदय को फिर अपनी आगोश में भरकर चूमने लगी, कुछ देर तक फिर दोनों झड़ते रहे, पूरा तकिया दोनो के वीर्य से पूरी तरह भीग गया। उदय और रजनी दोनो अपनी सांसों को काबू करते हुए एक दूसरे को बड़े प्यार से सहलाने लगे। रात के 3:30 हो चुके थे
ऊपर बैठी डायन बाप बेटी का ये नया खेल देखकर मस्ती में हँसे जा रही थी, वह आँगन के अंदर नही उतर सकती थी, क्योंकि उदय का घर मन्त्र से बांधा हुआ था, सुरक्षित था, इसलिए वह बस मुंडेर पर बैठी थी वरना वह नीचे उतरकर बूर का अर्क लेने के लिए कब से ललचा रही थी क्योंकि अंदर का दृश्य ही इतना कामुक और उत्तेजना भरा था कि वह डायन अपनी आंखों से सामने महापाप होते हुए देखकर सुध बुध खो बैठी थी, वह कुछ पल के लिए यह भूल गयी कि उसे सुलोचना ने बांध रखा है वह चाहकर भी इधर उधर कुछ उल्टा सीधा नही कर सकती थी। उदय और रजनी थककर एक दूसरे की बाहों में ऊँघने लगे।