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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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Vira Creation

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Same
ऐसी कहानियां बहुत ही कम देखने को मिलती है।
यकीन मानियेगा की जब पढ़ना start की मैने तो 1 पेज से लेकर पूरे 34 पेज पढ़ने के बाद ही मोबाइल से नजर हटी मेरी।।
बीच मे phone calls भी आये जो डिसकनेक्ट कर दिए मैंने , लेकिन ये कहानी पढ़ना जारी रखी ।
शब्दो से बड़े माहिर तरीके से खेल रहे हो जो भी हो।
मेरी ख्वाहिश है कि मैं इसे एक long and complete स्टोरी के रूप में देखूं।

आपके साथ हमारा प्यार बना रहेगा writer साहब ।
Thing happened

With me sir
 

sunoanuj

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गजब अपडेट । 👏👏👏
 
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Rachit Chaudhary

B a Game Changer ,world is already full of players
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Vira Creation

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दोस्त आपके suggestion के लिए शुक्रिया, आपसे पहले भी कुछ भाइयों ने ये suggestion दिया था, पर मैं इसके लिए माफी चाहूंगा, क्योंकि मेरा ये मानना है कि story को पढ़कर अपने दिलो दिमाग में जो कल्पना चलती है वह लगाई गई pics से कहीं ज्यादा बेहतर होती है, पहली बात तो story के हिसाब से pics मिलती नही और इधर उधर की फालतू pics लगा के खुद के मन में बनने वाली कल्पना धूमिल हो जाती है। जो मजा अपनी खुद की कल्पना में है वो लगाई गई pics में नही होती।

या तो pics खुद से draw की गई हो story के according, पर इतना टाइम और इतनी skill अभी है नही।

तो उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे, बाकी आपका बहुत बहुत शुक्रिया comments करने के लिए।

Story पढ़ते रहिये और खुद की कल्पना में खो जाइये
Bilkul sahi kaha hai sir aapne
 
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S_Kumar

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Update- 78

रजनी ने देखा की उसकी बेटी अभी भी सो ही रही थी, वो भी उसके बगल में लेट गयी, अभी उसको लेटे कुछ देर ही हुआ था कि काकी हाथ में शहद से भरी बाल्टी लेकर आती नज़र आई।

काकी- रजनी...देख कितना शहद निकला है...आधी से ज्यादा बाल्टी भर गई है।

रजनी खाट से उठ बैठी- हां काकी ये तो काफी शहद है, छत्ता भी तो काफी पुराना था, है न काकी

काकी- हाँ तभी तो

रजनी- ले चखेगी....जा उदय को भी दे दे खाने को शुद्ध शहद।

रजनी- रुको कटोरी लाती हूँ

रजनी झट से घर में गयी और एक कटोरी ले आयी, काकी ने बाल्टी टेढ़ी कर थोड़ा शहद कटोरी में डाला।

रजनी- काकी तुम ये शहद रसोई में एक नई मटकी रखी है उसमें डाल दो मैं ये कटोरी वाला शहद बाबू को खिला कर आती हूँ।

काकी- ठीक है....पर उदय है कहाँ?

रजनी- अरे वो दालान के बगल में खाट डाल के लेटे हैं वहां धूप अच्छी आ रही है।

काकी- ठीक है तू दे आ उसको शहद, मैं बाकी का शहद मटकी में जाकर रख देती हूं।

(काकी घर में गयी और रजनी अपने बाबू के पास कटोरी में शहद लेकर गयी)

रजनी- बाबू....ओ बाबू....सो गए क्या?

उदयराज- नही तो....क्या बात है मेरी रानी....मेरी जान

रजनी- धीरे बोलो काकी आ गयी हैं... सुन लेंगी....लो ये शहद चखो...ताजा ताजा.....अभी अभी काकी लेकर आई हैं.... देखो कितना मीठा है।

उदयराज- अच्छा देखूं तो जरा....

उदयराज ने उंगली से शहद उठाया और थोड़ा सा चाट कर बोला- मिठास कम है इसमें....तुमने चखा?

रजनी अपने बाबू के बगल में खाट पर बैठते हुए बोली- हाँ बाबू मैंने चखा...मुझे तो बहुत मीठा लगा।

उदयराज- पर मुझे तो फीका लग रहा है

(रजनी अपने बाबू की मंशा समझ गयी)

रजनी- फीका लग रहा है?

उदयराज- हम्म

रजनी ने अपनी एक उंगली शहद में डुबोई और अपने बाबू के मुँह में डाल दी

रजनी- अब......अब कैसा लगा?

उदयराज- हाँ... अब मीठा तो लगा पर वो बात नही आई जो एक अच्छे शहद में होनी चाहिए।

रजनी- अच्छा जी.....तो जीभ बाहर निकालो

उदयराज ने अपनी जीभ बाहर निकाली

रजनी ने एक बार पलट कर चारों तरफ देखा फिर अपनी जीभ निकाल कर जीभ से शहद को उठाया और अपने बाबू की जीभ पर चारों तरफ लगाने लगी तो मस्ती में उदयराज ने रजनी के चेहरे को पकड़कर उसकी शहद में डूबी जीभ को मुँह में भरकर चूसने लगा, थोड़ी देर बड़ी तन्मयता से चूसने के बाद छोड़ा, रजनी का चेहरा गुलाबी हो गया।

रजनी हल्का सिसकते हुए- अब मजा आया बाबू।

उदयराज- बहुत....अब जाके शहद की मिठास का मजा आया...पर

रजनी- पर क्या......मेरे सैयां जी

उदयराज ने कुछ बोला नही और अपनी एक उंगली रजनी के ब्लॉउज के ऊपर उभरे हुए निप्पल पर रख दी

रजनी- यहां पे लगा के चखाऊँ?.....दुद्दू पे

उदयराज- हाँ... चखा दो न.....शहद की मटकी तो ये है न।

रजनी- मेरे पगलू बाबू.....काकी आ गयी हैं

उदयराज- वो तो घर में हैं न....जल्दी से चखा दो।

मन तो रजनी का भी था इसलिए रजनी उठ कर खड़ी हो गयी और अपने बाबू के सामने आ गयी

रजनी- लो पकड़ो कटोरी फिर

उदयराज ने कटोरी थाम ली, रजनी ने झुककर झट से अपनी सीधी चूची को ब्लॉउज ऊपर करके निकाला और निप्पल को शहद में डूबा कर अपने बाबू के होंठों के पास करके बोली- लो पियो जल्दी से बाबू।

एक बार पुनः अपनी सगी बेटी की गोरी गोरी मोटी सी चूची देखकर उदयराज को जोश चढ़ने लगा, मोटा सा गुलाबी निप्पल शहद में डूबा हुआ था, शहद निप्पल के अलावा आधी चूची पर लगा हुआ गज़ब ही उत्तेजित कर रहा था, उदयराज ने लप्प से मोटी सी चूची का रसीला शहद लगा निप्पल मुँह में भरकर चूस लिया, रजनी की सिसकी निकल गयी, उसने एक बार पीछे पलट कर देखा और दुबारा चूची को पकड़कर कटोरी में डुबोया और अपने बाबू के मुँह में सिसकते हुए भर दिया, उदयराज आंखें बंद किये हुए बच्चों की तरह चाट चाट कर चूची पीने लगा, दबाने पर चूची से निकलता दूध और मीठा मीठा शहद का स्वाद उदयराज को उत्तेजित करने लगा, ऊपर से चूची पिलाने की अपनी बेटी की अदा ने उसके लंड को लोहे की तरह टनटना दिया, उदयराज चूची दबा दबा के अपनी बेटी का दूध शहद के साथ पीने लगा, नीलम मस्ती में फिर सिसकने लगी, अपने बाबू के सर को पकड़कर जोर जोर से सहलाते हुए अपनी चूची पर दबाने लगी, कुछ देर ऐसे ही चलता रहा फिर नीलम ने वक्त की नजाकत को समझते हुए अपने बाबू के सिर के बालों को सहलाकर उनको चेताया कि बाबू अब रहने दो, कोई देख लेगा, उदयराज ने बड़ी मुश्किल से चूची को छोड़ा और रजनी ने मुस्कुराते हुए अपने बाबू के थूक से सनी चूची को ब्लॉउज के अंदर किया और जाने लगी थोड़ी दूर जाकर पलटकर बोली "अब कैसा लगा शहद मेरे बाबू को"

उदयराज- बहुत मजा आया....पर शहद और मीठा हो सकता है, बस थोड़ी सी कसर रह गयी है।

रजनी- कैसे मैं समझी नही बाबू?

उदयराज ने अपनी उंगली से रजनी की बूर की तरफ इशारा किया, रजनी का चेहरा हल्का गुलाबी हो गया

रजनी- वहां पे

उदयराज- हां एक बार बस

रजनी- बाबू काकी आ चुकी हैं..... कभी भी आ सकती है.....वहां पर रात को लगा के चख लेना।

उदयराज- बस एक बार जल्दी से.....आओ न

रजनी से भी इस आग्रह पर रहा नही गया, उसने एक बार फिर पीछे मुड़कर देखा और झट से अपने बाबू के पास आकर खड़ी हो गयी, एक पैर उसने खाट की पाटी पर रखा, साड़ी को आगे से उठाया, गोरी गोरी जाँघों के बीच फंसी छोटी सी कच्ची को जल्दी से एक हाँथ से किनारे किया, उदयराज अभी कुछ देर पहले ही अपनी सगी बेटी की बूर को कस कस के चोद चुका था पर फिर भी अपनी बेटी की रसीली गीली बूर को देखकर मचल गया, बूर से अभी भी कुछ देर पहले हुई जबरदस्त चुदाई से निकले काम रस की मनमोहक गंध आ रही थी।
उदयराज बूर देखकर दुबारा मस्त हो गया।

रजनी ने जल्दी से एक उँगली से शहद उठाया और जिस हाँथ से कच्छी को खींच रखा था उसी हाँथ की दो उंगली से बूर की फांक को हल्का सा फाड़ कर शहद को फांकों के बीच और भग्नासे पर लगाया, उदयराज ने झट से जीभ निकाल कर बूर को चाट लिया, दो उंगली से रजनी ने बूर फाड़ रखी थी, अत्यधिक रोमांच और गुदगुदी में रजनी फिर सीत्कार उठी और उसके पैर तक थरथरा गए, एक पल उसे लगा की वो एक पैर पर खड़ी ही नही हो पाएगी पर जैसे तैसे वो अपने को संभाल रही थी, एक हाँथ से उसने अपने बाबू के सर को पकड़ा और दूसरे हाँथ की उंगली को दुबारा शहद में डुबोया और फिर से बूर की फांकों पर और पूरी बूर पर लगा कर बोली- बाबू जल्दी जल्दी और चाटो....मजा आ रहा है। उदयराज ने अपने एक हाँथ में कटोरी थाम रखी थी और दूसरे हाँथ से अपनी बेटी की कच्छी को साइड खींचे हुए था

उदयराज जी भरकर कुछ देर अपनी सगी बिटिया की बूर चाटने लगा, जोश के मारे रजनी की जांघें, नितंब, पैर सब थरथरा जा रहे थे, कटोरी का सारा शहद रजनी ने "ना ना, अब बस बाबू, अब बस करो काकी देख लेंगी" कहते और सिसकते हुए बूर पर बार बार लगा लगा के चटवा चटवा के खत्म कर दिया, बूर फूल कर लाल हो गयी, बड़ी मुश्किल से फिर रजनी ने अपनी बूर को अपने बाबू के मुँह से हटाया और कच्छी ठीक करके साड़ी सही की। दोनों ही मदहोश हो चुके थे, उदयराज बोला- अब जाके शहद का असली मजा आया, ऐसे चखते हैं शहद।

रजनी- धत्त गन्दू.....बहुत बदमाश हो गए हो बाबू आप।

उदयराज- मजा नही आया क्या मेरी बिटिया को।

रजनी- मजा नही आता तो भला चटवाती, देखो सारा शहद खत्म हो गया।

उदयराज- तो जाकर और ले आओ।

रजनी- अब बस.....अब रात को......मैं भी तो चखूंगी रात को असली शहद

उदयराज- क्यों नही......मैं तो तड़प ही रहा हूँ उस पल के लिए....एक बात बोलूं?

रजनी- ह्म्म्म

उदयराज- तेरी बूर बहुत रसीली और सुंदर है बेटी...मदहोश कर देती है


रजनी का चेहरा फिर गुलाबी हो गया- सब आपकी वजह से है......गन्दू जी......मेरे गन्दू.....शुग्गू बाबू

इतना कहकर रजनी भागकर घर में आ गयी।
 
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