अध्याय १
पार्टी से लौटते वक़्त, मैं कार थोड़ा तेज ही चला रही थी|
एक तो देर हो जाई थी, दूसरा, रात के तीन बजने वाले थे, मेरा घर रेलवे फाटक के दूसरी ओर था और एक बार माल गाड़ियों की आवाजाही शुरू होने की वजह से फाटक बंद हो गया; तो कम से कम आधा घंटा या फिर उससे भी ज़्यादा वक़्त के लिए अटक के रहना पड़ेगा|
मैं सोच रही थी की घर जा के, ब्लैक डॉग विस्की की बोतल ख़त्म कर दूँगी क्यों की मेरी प्यास अधूरी ही रह गई थी|
यह पार्टी “फ्रेंडशिप क्लब” ने आयोजित की थी, यहाँ कई तरह के “बोल्ड “ संपर्क बनते हैं| पार्टी में कई आदमियों ने मेरे साथ डांस किया था, लेकिन इन सब का सिर्फ़ एक ही मकसद था, मुझे छूना|
चूँकि मैने जान बूझ कर उस दिन सिर्फ़ एक हॉल्टर पहन कर गई थी, इसलिए शायद मैं बहुत लोगों की दिलरूबा बनी हुई थी| मेरा बदन सामने से तो ढाका हुआ था पर मेरी पीठ बिलकुल नंगी थी| हॉल्टर पहनने की वजह से मैने ब्रा नही पहनी थी... मेरे बड़े-बड़े स्तन मेरे हर कदम पर थिरक रहे थे... शायद इस लिए इतने लोग मेरे साथ डांस करने के लिए बेताब हो रहे थे, उन्हे मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरने का मौका जो चाहिए था और वह लोग चाहते थे की मुझे अपने सीने से चिपटा मेरे स्तानो की छूअन का मज़ा ले सके| लेकिन मैने अपने बाल खोल रखे थे| कुछ लोग इसी लिए दुआ कर रहे थे की मैं एक जुड़ा बाँध लूँ, ताकि उन्हे मेरी नंगी पीठ की पहुँच मिल सके|
एक काले रंग के हाल्टर में गोरी चिट्टी लड़की को देखकर किसका दिल नहीं मचल उठेगा?… ऐसे ही एक जनाब थे डाक्टर डिसिल्वा… जो चन्द ही मिनटों मे मेरा मेरा दीवाना बन गए थे…
एक आदमी के साथ डांस करने के बाद जैसे ही मैं बार काउंटर पर पहुँची, डाक्टर साहब मेरे पास आ कर बोले, “माफ़ कीजिएगा मिस, के आप मेरे साथ एक ड्रिंक लेना पसंद करेंगी?”
“जी ज़रूर, आपकी तारीफ?” आख़िर मैं यहाँ तफ़री का लिए आई थी, एक उम्र से दुगना दिखने वाला मर्द अगर मेरे साथ बैठ के पीना चाहे तो हर्ज़ क्या है? इस अय्याशी की महफिल में मुझे मुफ्त की शराब तो पीने को मिल रही है|
“मेरा नाम डाक्टर डिसिल्वा है, मैं एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हूँ|”
“डाक्टर साहब, मेरा नाम आएशा है, मैं एक स्त्री हूँ, लेकिन मुझे कोई रोग नही है... हा हा हा हा ...”
“हा हा हा हा”
थोड़ी ही देर में मैं डाक्टर साहब के साथ घुल मिल गई थी|
डाक्टर साहब बोले, “अगर आप बुरा ना माने तो मैं आप जैसे खूबसूरत लड़की के साथ डांस करना चाहता हूँ| पर मेरी एक विनती है आप से...”
“जी बोलिए...”
“आप अपने बालों को जुड़े मे ज़रूर बाँध लीजिएगा...”
“क्यों? क्या आपको मेरे खुले बाल अच्छे नही लग रहे?”
“जी, नही... ऐसी बात नही है... खुले बालों में आप बहुत सुंदर दिख रहीं है... बस मैं चाहता हूँ कि आप मेरे साथ डांस करते वक़्त और सैक्सी दिखें... आपकी पीठ नंगी रहेगी तो हम दोनो को डांस करने में मज़ा आएगा... आपने ब्रा तो नही पहन रखी होगी?”
“क्यों?”
डाक्टर साहब थोड़ा सपकपा गये, “जी, मिस कुछ नही, मैने ऐसे ही पूछ लिया...”
“जी, नही... आपने शायद गौर नहीं किया होगा कि मैंने एक हॉल्टर पहन रखा है| इसलिए मेरी पीठ बिल्कुल खुली है; अगर मैं ब्रा पहनती तो उसका स्ट्रैप जरूर दिखता और इस ड्रेस का सारा शो मिट्टी में मिल जाता...”
“बहुत अच्छी बात है...”
मैं हंस पड़ी, मैने कहा, “मैं जानती हूँ डाक्टर साहब... आप मेरे बूब्स (स्तनो) पर हाथ फेरना चाहते हैं...”
डाक्टर साहब भी हंस पड़े, क्योंकि उनका इरादा यही था|
मैं बोली, “ठीक है, मैं भी यहाँ तफ़री के लिए आई हूँ... मुझे कोई ऐतराज़ नही है... पर आप ज़ोर से दबाना मत, दर्द होती है…”
क्रमश: