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Erotica पार्टी के बाद

आपको कैसी लगी?


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naag.champa

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अध्याय ३

बस फिर क्या था, दो या तीन ड्रिंक लेने के बाद, मैने पार्टी से निकालने का फ़ैसला किया और अब मैं कार चला रही थी, और डाक्टर को कोस रही थी|

लेकिन मेरी किस्मत ने मेरे को फिर से धोखा दे दिया, हमेशा की तरह रेल का फाटक बंद हो चुका था और अब कोई चारा नही था, मुझे आधा या पौना घंटा यहीं इंतज़ार करना ही पड़ेगा क्योंकि जब तक माल गाड़ियाँ नही गुजर जातीं; फाटक खुलनेवाला नही था |

मैंने मायूसी की एक साँस ली और कार में लगे रेडियो को आन करने गई; तब मैने देखाकी चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था| सिर्फ़ धीरे धीरे आती जाती रेल गाड़ियों के अलावा और कहीं से कोई भी आवाज़ नही आ रही थी| आस पास दूसरा कोई आदमी भी नही था| अब मुझे थोड़ा-थोड़ा डर सा लगने लगा|

उस वक़्त रात के साढ़े तीन बाज रहे थे|

खैर, मैने एक सिगरेट सुलगाई और एक लंबा सा कश लिया और सीट को पीछे की तरफ थोड़ा झुका कर के आँखे मूंद के इंतेज़ार करने लगी की कब फाटक खुलेगा|

ना जाने कितनी देर मैं ऐसे अधलेटी अवस्था मे थी, मेरा ध्यान तब बटा जब मुझे किसीने पुकारा, “ए लड़की, मुझे भी एक बीड़ी पीला ना”

मैने देखा की एक बुजुर्ग भखारी मेरी गाड़ी की खिड़की के पास खड़ा है और वह शायद काफ़ी देर से मुझे देख रहा था|

“यह बीड़ी नही है बाबा, सिगरेट है... आप पिएँगे?”

“हाँ... हाँ... दे ना”

मैने अपना जूठा सिगरेट जिसके मैने दो या तीन ही कश लिए थे, उसे दे दिया|

“इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है?” भखारी ने मेरे से पूछा

“फाटक खुलने का इंतेज़ार कर रही हूँ, बाबा”

“ठीक है, ठीक है”, भिखारी कुछ बेताब सा हो रहा था, “तू दारू पी कर आई है?”

शायद मुझमें से महक आ रही थी| अब मुझे थोड़ी मस्ती सूझी, “हाँ बाबा, क्या करूँ, एक आदमी ने मुझे पीला दिया... पर आप किसी से कहना नही…”

“ठीक है, ठीक है... कुछ पैसे हैं तेरे पास?” भिखारी ने पूछा

“पैसे?”

“हाँ, हाँ पैसे...”

“जी देखती हूँ”, मैने पर्स में पैसे खोजने का नाटक किया, पर भखारी की नज़र बचाकर मैने एक दस का नोट अपनी मुट्ठी मे छिपा लिया| मैने ध्याने से आस पास देखा, दूर दूरतक कोई नही था, फाटक के पास आती जाती माल गाड़ियाँ और स्ट्रीट लाइट की रौशनी में मैं और वह भिखारी अकेले थे|

मुझे हल्का हल्का नशा तो हो रखा ही, मैने अपनी मस्ती को थोड़ा आगे बढ़ाने की सोची,”माफ़ करना बाबा... मेरे पर्स में तो पैसे नही हैं”

“अपने ब्लऊज मे देख, मुझे पता है, तेरे जैसी लाड़िकियाँ और औरतें ब्लऊज में भी पैसे रखती हैं”, भिखारी ने कहा, वह मेरे हॉल्टर को ब्लऊज कह रहा था|

“मेरे जैसी लड़कियाँ? क्या मतलब?” मैं सचमुच थोड़ा हैरान हो गई|

“मतलब बड़े बड़े मम्मे वाली”

“हाय दैया...”, मैने शरमाने का नाटक किया, “ठीक है देखती हूँ”

यह कह कर मैने, अपने हॉल्टर का स्ट्रैप जोकि मेरी गर्दन पर बँधा हुआ था, उसे खोल दिया और अपना जानना सीना उसके सामने नंगा कर दिया|

मेरा जुड़ा भी खुल गया, बालों से मेरा एक वक्ष स्थल धक गया, मैं अंजान होते हुए बोली, “बाबा आपने ठीक कहा था, लीजिए, एक दस का नोट मिल गया मुझे|”

भिखारी ने दस का नोट मेरे से ले लिया पर उसकी आँखे मेरे मम्मो पर ही टिकी थीं|

“हाय दैया...”, मैने फिर शरमाने का नाटक किया, “बाबा, मैं तो नशे में भूल ही गये थी की मैने अंदर कुछ नही पहना, दैया रे दैया... आपने तो मुझे नंगा देख लिया”

“नही, मैने तुझे नंगा नही देखा,”

“क्या मतलब?”

“बताता हूँ, पहले एक बात बता लड़की... तेरे पास एक और सिगरेट है क्या?”

“जी हाँ”

“और दारू?”

“हाँ जी पर, पानी नही है बाबा”

“पानी मेरी कुटिया मे है... चल मेरी कुटिया में चल... फाटक खुलने में अभी आधा घंटा और देर है... मेरे साथ बैठ के दारू पी ले... लेकिन जब तो अपने सारे कपड़े उतार देगी तभी मैं समझूंगा कि मैंने तुझे नंगा देखा है…”

“मैं अगर आप की कुटिया में जा कर के नंगी हो गई तो क्या आप मुझे चोद देंगे?”

“हाँ, मैं तुझे चोदने के लिए ही कुटिया में लेकर जा रहा हूँ, अगर मैं काहूं तो यही. तुझे चोद सकता हूँ पर कुछ लिहाज कर रहा हूँ, तेरे बाल और मम्मे देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है, पर तुझे कोई एतराज़ है क्या...?

क्रमश:

 
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naag.champa

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:congrats:for new thread:flowers:
Hi Axba,:)
मेरे इस थ्रेड में आपका स्वागत है| आपको मेरी कहानी पढ़कर अच्छी लगी इस बात की मुझे खुशी है:love: | मैं नियमित रूप से अपनी कहानी कि अपडेट्स देती रहूंगी और मैं चाहूंगी कि आप मेरी कहानी को पढ़ते रहें| मुझे आशा है कि मेरी कहानी आपको अच्छी लगेगी, अपने मुजिवान कमैंट्सदेते रहे, यह मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है| ?
मैंने इस फोरम में एक और कहानी भी लिखी है| मेरी कहानियों का मैंने एक Index बना रखा है उसका लिंक भी मैं आपके साथ शेयर कर रही हूं|
 

naag.champa

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haha bahut khoob very lusty ayesha
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद BREGO4 :thankyou:

मेरी इस कहानी में भी आपके कमैंट्स देखकर मैं बहुत खुश हूं :love: | कहानी का अगला अपडेट मैं जल्द ही पोस्ट करूंगी, आशा है मेरी पिछली कहानी की तरह यह कहानी भी आपको पसंद आएगी|


? ? ? ?
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अध्याय ३

बस फिर क्या था, दो या तीन ड्रिंक लेने के बाद, मैने पार्टी से निकालने का फ़ैसला किया और अब मैं कार चला रही थी, और डाक्टर को कोस रही थी|

लेकिन मेरी किस्मत ने मेरे को फिर से धोखा दे दिया, हमेशा की तरह रेल का फाटक बंद हो चुका था और अब कोई चारा नही था, मुझे आधा या पौना घंटा यहीं इंतज़ार करना ही पड़ेगा क्योंकि जब तक माल गाड़ियाँ नही गुजर जातीं; फाटक खुलनेवाला नही था |

मैंने मायूसी की एक साँस ली और कार में लगे रेडियो को आन करने गई; तब मैने देखाकी चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था| सिर्फ़ धीरे धीरे आती जाती रेल गाड़ियों के अलावा और कहीं से कोई भी आवाज़ नही आ रही थी| आस पास दूसरा कोई आदमी भी नही था| अब मुझे थोड़ा-थोड़ा डर सा लगने लगा|

उस वक़्त रात के साढ़े तीन बाज रहे थे|

खैर, मैने एक सिगरेट सुलगाई और एक लंबा सा कश लिया और सीट को पीछे की तरफ थोड़ा झुका कर के आँखे मूंद के इंतेज़ार करने लगी की कब फाटक खुलेगा|

ना जाने कितनी देर मैं ऐसे अधलेटी अवस्था मे थी, मेरा ध्यान तब बटा जब मुझे किसीने पुकारा, “ए लड़की, मुझे भी एक बीड़ी पीला ना”

मैने देखा की एक बुजुर्ग भखारी मेरी गाड़ी की खिड़की के पास खड़ा है और वह शायद काफ़ी देर से मुझे देख रहा था|

“यह बीड़ी नही है बाबा, सिगरेट है... आप पिएँगे?”

“हाँ... हाँ... दे ना”

मैने अपना जूठा सिगरेट जिसके मैने दो या तीन ही कश लिए थे, उसे दे दिया|

“इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है?” भखारी ने मेरे से पूछा

“फाटक खुलने का इंतेज़ार कर रही हूँ, बाबा”

“ठीक है, ठीक है”, भिखारी कुछ बेताब सा हो रहा था, “तू दारू पी कर आई है?”

शायद मुझमें से महक आ रही थी| अब मुझे थोड़ी मस्ती सूझी, “हाँ बाबा, क्या करूँ, एक आदमी ने मुझे पीला दिया... पर आप किसी से कहना नही…”

“ठीक है, ठीक है... कुछ पैसे हैं तेरे पास?” भिखारी ने पूछा

“पैसे?”

“हाँ, हाँ पैसे...”

“जी देखती हूँ”, मैने पर्स में पैसे खोजने का नाटक किया, पर भखारी की नज़र बचाकर मैने एक दस का नोट अपनी मुट्ठी मे छिपा लिया| मैने ध्याने से आस पास देखा, दूर दूरतक कोई नही था, फाटक के पास आती जाती माल गाड़ियाँ और स्ट्रीट लाइट की रौशनी में मैं और वह भिखारी अकेले थे|

मुझे हल्का हल्का नशा तो हो रखा ही, मैने अपनी मस्ती को थोड़ा आगे बढ़ाने की सोची,”माफ़ करना बाबा... मेरे पर्स में तो पैसे नही हैं”

“अपने ब्लऊज मे देख, मुझे पता है, तेरे जैसी लाड़िकियाँ और औरतें ब्लऊज में भी पैसे रखती हैं”, भिखारी ने कहा, वह मेरे हॉल्टर को ब्लऊज कह रहा था|

“मेरे जैसी लड़कियाँ? क्या मतलब?” मैं सचमुच थोड़ा हैरान हो गई|

“मतलब बड़े बड़े मम्मे वाली”

“हाय दैया...”, मैने शरमाने का नाटक किया, “ठीक है देखती हूँ”

यह कह कर मैने, अपने हॉल्टर का स्ट्रैप जोकि मेरी गर्दन पर बँधा हुआ था, उसे खोल दिया और अपना जानना सीना उसके सामने नंगा कर दिया|

मेरा जुड़ा भी खुल गया, बालों से मेरा एक वक्ष स्थल धक गया, मैं अंजान होते हुए बोली, “बाबा आपने ठीक कहा था, लीजिए, एक दस का नोट मिल गया मुझे|”

भिखारी ने दस का नोट मेरे से ले लिया पर उसकी आँखे मेरे मम्मो पर ही टिकी थीं|

“हाय दैया...”, मैने फिर शरमाने का नाटक किया, “बाबा, मैं तो नशे में भूल ही गये थी की मैने अंदर कुछ नही पहना, दैया रे दैया... आपने तो मुझे नंगा देख लिया”

“नही, मैने तुझे नंगा नही देखा,”

“क्या मतलब?”

“बताता हूँ, पहले एक बात बता लड़की... तेरे पास एक और सिगरेट है क्या?”

“जी हाँ”

“और दारू?”

“हाँ जी पर, पानी नही है बाबा”

“पानी मेरी कुटिया मे है... चल मेरी कुटिया में चल... फाटक खुलने में अभी आधा घंटा और देर है... मेरे साथ बैठ के दारू पी ले... लेकिन जब तो अपने सारे कपड़े उतार देगी तभी मैं समझूंगा कि मैंने तुझे नंगा देखा है…”

“मैं अगर आप की कुटिया में जा कर के नंगी हो गई तो क्या आप मुझे चोद देंगे?”

“हाँ, मैं तुझे चोदने के लिए ही कुटिया में लेकर जा रहा हूँ, अगर मैं काहूं तो यही. तुझे चोद सकता हूँ पर कुछ लिहाज कर रहा हूँ, तेरे बाल और मम्मे देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है, पर तुझे कोई एतराज़ है क्या...?

क्रमश:
:reading:
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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102,916
304
अध्याय ३

बस फिर क्या था, दो या तीन ड्रिंक लेने के बाद, मैने पार्टी से निकालने का फ़ैसला किया और अब मैं कार चला रही थी, और डाक्टर को कोस रही थी|

लेकिन मेरी किस्मत ने मेरे को फिर से धोखा दे दिया, हमेशा की तरह रेल का फाटक बंद हो चुका था और अब कोई चारा नही था, मुझे आधा या पौना घंटा यहीं इंतज़ार करना ही पड़ेगा क्योंकि जब तक माल गाड़ियाँ नही गुजर जातीं; फाटक खुलनेवाला नही था |

मैंने मायूसी की एक साँस ली और कार में लगे रेडियो को आन करने गई; तब मैने देखाकी चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था| सिर्फ़ धीरे धीरे आती जाती रेल गाड़ियों के अलावा और कहीं से कोई भी आवाज़ नही आ रही थी| आस पास दूसरा कोई आदमी भी नही था| अब मुझे थोड़ा-थोड़ा डर सा लगने लगा|

उस वक़्त रात के साढ़े तीन बाज रहे थे|

खैर, मैने एक सिगरेट सुलगाई और एक लंबा सा कश लिया और सीट को पीछे की तरफ थोड़ा झुका कर के आँखे मूंद के इंतेज़ार करने लगी की कब फाटक खुलेगा|

ना जाने कितनी देर मैं ऐसे अधलेटी अवस्था मे थी, मेरा ध्यान तब बटा जब मुझे किसीने पुकारा, “ए लड़की, मुझे भी एक बीड़ी पीला ना”

मैने देखा की एक बुजुर्ग भखारी मेरी गाड़ी की खिड़की के पास खड़ा है और वह शायद काफ़ी देर से मुझे देख रहा था|

“यह बीड़ी नही है बाबा, सिगरेट है... आप पिएँगे?”

“हाँ... हाँ... दे ना”

मैने अपना जूठा सिगरेट जिसके मैने दो या तीन ही कश लिए थे, उसे दे दिया|

“इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है?” भखारी ने मेरे से पूछा

“फाटक खुलने का इंतेज़ार कर रही हूँ, बाबा”

“ठीक है, ठीक है”, भिखारी कुछ बेताब सा हो रहा था, “तू दारू पी कर आई है?”

शायद मुझमें से महक आ रही थी| अब मुझे थोड़ी मस्ती सूझी, “हाँ बाबा, क्या करूँ, एक आदमी ने मुझे पीला दिया... पर आप किसी से कहना नही…”

“ठीक है, ठीक है... कुछ पैसे हैं तेरे पास?” भिखारी ने पूछा

“पैसे?”

“हाँ, हाँ पैसे...”

“जी देखती हूँ”, मैने पर्स में पैसे खोजने का नाटक किया, पर भखारी की नज़र बचाकर मैने एक दस का नोट अपनी मुट्ठी मे छिपा लिया| मैने ध्याने से आस पास देखा, दूर दूरतक कोई नही था, फाटक के पास आती जाती माल गाड़ियाँ और स्ट्रीट लाइट की रौशनी में मैं और वह भिखारी अकेले थे|

मुझे हल्का हल्का नशा तो हो रखा ही, मैने अपनी मस्ती को थोड़ा आगे बढ़ाने की सोची,”माफ़ करना बाबा... मेरे पर्स में तो पैसे नही हैं”

“अपने ब्लऊज मे देख, मुझे पता है, तेरे जैसी लाड़िकियाँ और औरतें ब्लऊज में भी पैसे रखती हैं”, भिखारी ने कहा, वह मेरे हॉल्टर को ब्लऊज कह रहा था|

“मेरे जैसी लड़कियाँ? क्या मतलब?” मैं सचमुच थोड़ा हैरान हो गई|

“मतलब बड़े बड़े मम्मे वाली”

“हाय दैया...”, मैने शरमाने का नाटक किया, “ठीक है देखती हूँ”

यह कह कर मैने, अपने हॉल्टर का स्ट्रैप जोकि मेरी गर्दन पर बँधा हुआ था, उसे खोल दिया और अपना जानना सीना उसके सामने नंगा कर दिया|

मेरा जुड़ा भी खुल गया, बालों से मेरा एक वक्ष स्थल धक गया, मैं अंजान होते हुए बोली, “बाबा आपने ठीक कहा था, लीजिए, एक दस का नोट मिल गया मुझे|”

भिखारी ने दस का नोट मेरे से ले लिया पर उसकी आँखे मेरे मम्मो पर ही टिकी थीं|

“हाय दैया...”, मैने फिर शरमाने का नाटक किया, “बाबा, मैं तो नशे में भूल ही गये थी की मैने अंदर कुछ नही पहना, दैया रे दैया... आपने तो मुझे नंगा देख लिया”

“नही, मैने तुझे नंगा नही देखा,”

“क्या मतलब?”

“बताता हूँ, पहले एक बात बता लड़की... तेरे पास एक और सिगरेट है क्या?”

“जी हाँ”

“और दारू?”

“हाँ जी पर, पानी नही है बाबा”

“पानी मेरी कुटिया मे है... चल मेरी कुटिया में चल... फाटक खुलने में अभी आधा घंटा और देर है... मेरे साथ बैठ के दारू पी ले... लेकिन जब तो अपने सारे कपड़े उतार देगी तभी मैं समझूंगा कि मैंने तुझे नंगा देखा है…”

“मैं अगर आप की कुटिया में जा कर के नंगी हो गई तो क्या आप मुझे चोद देंगे?”

“हाँ, मैं तुझे चोदने के लिए ही कुटिया में लेकर जा रहा हूँ, अगर मैं काहूं तो यही. तुझे चोद सकता हूँ पर कुछ लिहाज कर रहा हूँ, तेरे बाल और मम्मे देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है, पर तुझे कोई एतराज़ है क्या...?

क्रमश:
Awesome update.
Budhhe ke bhi achhe din aa gaye ??
 

Chutiyadr

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