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Erotica पार्टी के बाद

आपको कैसी लगी?


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Nevil singh

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अध्याय ५


भिखारी ने मुझे जो चीज मुझे दिखाई, ऐसी चीज मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी| भिखारी के दो टाँगों के बीच जघन के बालों का एक मैला सा जंगल था... और उसके बीच में उसका काला काला सा लिंग और बड़े बड़े दो अंडकोष, अपनी ज़िंदगी की जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही मेरे नसीब में पराए मर्दों का गुप्ताँग देखना लिखा हुआ था, पर उस भिखारी का लिंग करीब- करीब 8 इंच लंबा डेढ़ इंच मोटा और एक लोहे के रॉड की तरह सीधा था… ऐसा तलवार की तरह सीधा सपाट लिंग मैंने अपनी ज़िन्दगी में लेना तो दूर कभी देखा भी नहीं था... इस लिए उसे देखते ही मेरे जी ललचाने लगा... पर वह भिखारी बहुत गन्दा दिख रहा था... उसके ददन से न जाने कैसी बदबू आ रही थी, जो कि इस चार दीवारी के अंदर और तेज़ लग रही थी...

उस वक्त मेरे दिमाग में दो बातें घूम रही थी, कि मैं झट से अपना हॉल्टर उठाउँ और इस भिखारी को धक्का मारकर उसकी कुटिया से भाग निकलूं... दूसरा यहीं रह कर इस भिखारी के इतने लंबे और मोटे लिंग से चुद कर एक नया मज़ा लूँ...

मैं यह सब सोच ही रही थी कि भिखारी ने अपनी रूखी सूखी उंगलियों से मेरे कोमल यौनांग को छूते हुए कहा, “तेरी चुत में बाल क्यों नही हैं?”

“जी बाबा मैं इस जगह को बिल्कुल साफ सुथरा रखती हूं...”

“ऐसा क्यों?” शायद उस भिखारी को मालूम नहीं था कि आजकल की ज़्यादातर लड़कियां हेयर रिमूवर का इस्तेमाल करती हैं या फिर वह जान बूझकर अनजान बन रहा था... यह तो पता नहीं|

“ऐसे ही… ताकि लोगों को देख कर अच्छा लगे... लोगबाग अपना लंड इसके अंदर घुसा देते हैं… उसके बाद धक्के लगाते हैं… तभी तो मुझे मजा आता है ना... फिर हिलाते हिलाते उनके लंड से गरम- गरम माल निकल के गिरता है... यह जगह तो मेरे लिए मौज मस्ती का एक जरिया भी तो है ना...” मैं बिल्कुल भोली भाली सीधी सादी बनकर उस भिखारी के सवालों का जवाब दे रही थी पर मैंने उसे यह नहीं बताया कि यह मेरे लिए आमदनी का जरिया भी है|

भिखारी मानो मगन सा होकर मेरे कोमल यौनांग को अपनी उंगलियों से सहलाए जा रहा था... और उसकी रूखी सूखी चमडी की छुयन से मुझे भी सेक्स का नशा चढ़ रहा था|

"कब से कर रही है, यह सब?"

"मैं बहुत छोटी थी तब पहली बार मेरी आंटी ने मेरे साथ ऐसा करवाया था..."

"अच्छा" भिखारी अभी भी मेरे यौनांग से खेल रहा था...

मैने शायद शराब और सेक्स के नशे में ही बड़ी उत्सुकता के साथ पूछा, “बाबा, क्या आप...” कहते कहते मैं रुक सी गई...

“क्या बोली, लड़की?” भखारी को भ जैसे होश आया|

शायद मैं यही अवचेतन रूप में सोच कर हिचकिचा रही थी कि जब यह भिखारी मेरे यौनांग में अपना लिंग घुसाएगा तो मुझे कितनी दर्द होगी?... लेकिन अब तो बहुत देर हो चुकी थी, इसलिए मेरे मूह से धीरे से निकला, “... चोदेंगे नही?”

“हाँ...हाँ...हाँ... बिल्कुल... बिल्कुल... बिल्कुल... मैं इसीलिए तो तुझे अपनी कुटिया में लेकर आया हूं” यह कह कर भखारी मुझे पकड़ने के लिए आगे बढ़ा... लेकिन मैने अपनी हथेली उसके गंदे से सीने में रख कर दृढ़ता से उसे पीछे धकेला और बोली, “रुकिये...”

“क्यों?” हक्का बक्का हो कर भिखारी ने पूछा|

“हमारे बीच यह तय हुआ था कि पहले हम दोनो बैठ कर शराब पिएँगे, उसके बाद चुदाई...” मैने उसे याद दिलाया|

“हाँ...हाँ...हाँ... बिल्कुल... बिल्कुल... बिल्कुल...”

अब तो भिखारी के मन में शायद लड्डू से फूट रहे थे क्योंकि एक तो उसे बिन पैसों की महंगी शराब पीने को मिल रही थी उसके ऊपर मुझ जैसी हाई क्लास लड़की... वह भी मुफ्त में... और मेरे दिमाग़ के एक कोने से शयाद यह आवाज़ आ रही थी कि ‘अभी भी वक़्त है, पागल लड़की... इस गंदे से आदमी को शराब पीला- पीला कर के बेहोश कर दे और भाग यहाँ से...’ पर मैं बोली, “पानी ले कर आइए…”

क्रमश:

jalwanashi update.
 
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Nevil singh

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अध्याय ६

उसके घर की कुटिया में एक मिट्टी की सुराही रखी हुई थी जिसमें पानी था, उसने पहले सुराई के अंदर झांक के देखा कि पानी है कि नहीं... उसमें पानी था फिर उसने पास रखे एक लोटे को उठाया उसके अंदर देखा और फिर उसने उस लोटे में सुराही से पानी डाला और मेरे पास ले आया|

मैं उकड़ू होकर जमीन पर बैठ गई, और मैं जानबूझकर अपनी टांगों को फैला कर बैठी थी ताकि वह बूढ़ा भीकारी मेरे हर एक अंग को अच्छी तरह से देख सके| मुझे उसके सामने अपनी नग्नता का प्रदर्शन करने में बड़ा मजा आ रहा था|

और फिर मैंने प्लास्टिक के बैग में से बोतल निकाली और फिर प्लास्टिक के गिलास में भिखारी के लिए थोड़ी ज्यादा शराब डाली और अपने लिए थोड़ी कम, फिर उसने पानी मिलाया और भिखारी का गिलास मैंने उसकी तरफ बढ़ा दिया| भिखारी भी मेरे सामने उकड़ू होकर बैठ गया और उसने मेरे हाथ से गिलास लिया| मैंने उसकी तरफ गिलास उठाकर कहा, “चियर्स..”

भिखारी मुस्कुराया और उसने दोबारा अपनी रूखी-सूखी उंगली से मेरी यौनांग में हाथ फेरा| इस बार मेरे पूरे बदन में एक गुदगुदी सी महसूस हुई मेरे अंदर सेक्स चढ़ता जा रहा था... लेकिन मेरी अंतरात्मा बार बार मुझसे कह रही थी, ‘अरे पगली, इस भिखारी को शराब पिला पिला कर बेहोश कर दे और भाग जा यहाँ से... यह अपने लंड से तुझे फाड़ कर तेरे दो टुकड़े कर डालेगा...’

मैंने शराब के गिलास से घूँट ली और भिखारी एक ही बार में करीब आधा गिलास शराब गटक गया... पर शराब का घूँट पीते ही मुझे उल्टी सी आने को हुई... ऐसा पहले कभी नही हुआ था- क्योंकि अब तक तो मैं एक ‘प्रोफेशनल पियक्कड़’ बन चुकी थी... मैने प्लास्टिक के पैकेट से सिगरेट और माचिस निकाल कर एक सिगरेट जलाई| भखारी ने कहा, “यह सिगरेट मुझे दे दे... इसको तूने खुद अपने होठों से लगा कर जलाया है...”

मैने सिगरेट का एक लंबा सा काश लिया और सिगरेट उसको थमा दी, और पैकेट में से दूसरी सिगतेर निकाल कर उसे जलाया और एक लंबा सा काश लिया|

भिखारी भी सिगरेट के लंबे लंबे काश ले रहा था| उसने हाथ बढ़ा कर मेरे स्तनों को सहलाने लगा... और हल्के हल्के दबा दबा कर देखने लगा... मुझे यह सब अच्छा ही लग रहा था... फिर बोला, “तू पी क्यों नही रही?”

“जी, कुछ नही, ऐसे ही”, मैने प्लास्टिक में से निरोध का पैकेट निकाल कर उसकी तरफ़ फैंका... और मैने भी शराब का बड़ा सा घूँट पिया| इस बार दुबारा मुझे फिर उल्टी सी आने को हुई और मेरा सर चकराने लगा... इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मुझे लगा की पूरी दुनिया मेरे आँखों के सामने घूम रही है और मैं धड़ाम से फर्श पर लुढ़क गई…

उसके बाद मैने देखा कि भखारी मुस्कुरा रहा था और बड़े मज़े से सिगरेट का काश और शराब पिए जा रहा था| उसने अपना गिलास ख़तम किया और फिर उसने शराब की बोतल उठाई और उसमें अपना मूह लगा कर एक ही साँस में काफ़ी सारा शराब यूँ ही पी गया| उसके बाद वह घुटनों के बल रेंगते हुए मेरी तरफ बढ़ने लगा... कहाँ तो मैं इस भिखारी को बेवकूफ़ समझ रही थी और इसको थोड़ा बहला फुसला कर थोडी मस्ती लेना चाहती थी... पर यह क्या हुआ?

मेरे अंदर जो बची खुची चेतना थी उसको इकठ्ठा करके इसबार उठ कर भागने को हुई... पर मैं उठ नही पा रही थी...बस मुझे सिर्फ़ इतना याद है कि मैने देखा भखारी निरोध का पैकेट फाड़ कर अपने लिंग पर चढ़ा रहा था, और मन ही मन अपनी ही धुन में वह पर बढ़ा रहा था “यह तो दानेदार (dotted) कंडोम है इसे चढ़ाकर इस लौंडिया को चोदने में बड़ा मजा आएगा”

उसके बाद मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया...

क्रमश:

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अध्याय ७


कुछ देर बाद जब मुझे होश आया तब मुझे एहसास हुआ कि मैं जमीन पर बिल्कुल चारों खाने चित्त हो कर पड़ी हुई हूं... वह बूढ़ा भिखारी मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था... उसने मेरी दोनो टांगे पर फैला दी थी और मेरी दोनों टांगों के बीच में काफी फासला था और उसके बीच में वह लेटा हुआ था... और वह जी भर के मेरे साथ चुम्मा-चाटी कर रहा था… मैंने उसको धकेलकर हटाने की कोशिश की लेकिन मेरे शरीर को मानो लकवा मार गया था...

न जाने कितनी देर तक वह भी कारी मुझे चूमता रहा... चाटता रहा.... मेरे दोनों स्तनों को जी भर के दबा- दबा कर मज़े लेता रहा... मेरी चूचियों को चूस -चूस कर मानो मेरी पूरी जवानी का रस पी जाने की जैसे उसने ठान ली थी... उसके बाद उसने अपना लिंग मेरे यौनंग में घुसा दिया| मैं दर्द से चीख उठी लेकिन उसने मेरे मुंह पर हाथ रख कर मेरी आवाज़ को दबा दिया... और फिर बढ़े ही जोश के साथ उसने मुझे चोदना शुरू किया...



एक तो उसका लिंग इतना बढ़ा और मोटा था और उसके ऊपर से ना जाने कहाँ से उसके अंदर इतनी ताक़त आ गई थी... वह रुका नही... बस अपना काम जारी रखता गया... रखता गया... रखता गया...

मैं उसके वजन से दबकर सिर्फ छटपटा ही रही ... शुरू शुरू में मुझे काफी तकलीफ हो रही थी, लेकिन उसके बाद मानो सब कुछ ठीक हो गया... मुझे भी मज़ा आने लगा लेकिन भिखारी जो था वह मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था... वह बस अपना काम जारी रखता गया... रखता गया... रखता गया...

जहां तक मुझे याद है मैंने कम से कम दो बार अपना पानी छोड़ दिया होगा लेकिन भिखारी रुकने का नाम नहीं ले रहा था आखिरकार मुझे लगा कि उसका भी वीर्य स्खलन हो गया और वह मेरे ऊपर निढाल होकर लुढ़क गया... पर तब तक शायद मैं फिर से बेहोश हो चुकी थी|

***

“भौं- भौं... भौं- भौं...भौं- भौं…”

एक कुत्ते के भौंकने की आवाज से मेरी नींद खुली या फिर मैं कहूं कि मेरी बेहोशी टूटी| पहले पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं और बूढ़े भिखारी की कुटिया में बिल्कुल खुली नंगी चित्त होकर पड़ी हुई हूं... मेरी दोनो टांगे तभी भी एकदम फैली हुई है और वह बूढ़ा भिखारी का बदन मेरे ऊपर था मैं उसके वजन से दबी हुई थी और कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि उसका शीतल पड़ा हुआ लिंग अभी तक मेरे गुप्तांग के अंदर घुसा हुआ है... और वह भिखारी अब नशे की हालत में बिल्कुल धुत्त सा हो कर निढाल हो कर मेरे उपर पड़ा हुआ था... धीरे- धीरे मुझे पूरा पूरा होश आने लगा और मैने उस भिखारी को धकेल कर अपने उपर से हटाया... फर्श पर मेरे यौनांग से निकले हुए खून के छींटे सॉफ नज़र आ रहे थे…

उसे हटाते वक्त उसका लिंग तो मेरे यौनंग से अलग हो गया था, पर कंडोम उसके लिंग से सरक गई थी और अभी भी मेरे यौनंग से थोड़ा सा बाहर लटकी हुई थी| मैंने कंडोम को खींच कर दूर फेंक दिया और वह कुत्ता कभी भी भौंके जा रहा था... शायद वह इस भिखारी का पालतू होगा… मुझे अनजान को देख करके वह सिर्फ भौंके ही जा रहा था... उसके क्या मालूम की कुछ देर पहले ही मेरे साथ क्या हुआ था…

मेरे पुर बदन से बदबू आ रही थी, मेरा चेहरा भी भिखारी की लार से गीला गीला और चिपचिपा लग रहा था| मैने किसी तरह से अपना हॉल्टर उठा कर धूल झाड़ कर उसे पहना... और इससे पहले की उस भिखारी को होश आए, मैने अपना प्लास्टिक का पैकेट उठाया, देखा कि उसमें गाड़ी की चाबी है कि नही और कुत्ते को डरा के भगाने के बाद मैं वहाँ से भाग निकली...

बाहर दिन चढ़ आया था| चारों तरफ सूरज की रोशनी फैल चुकी थी| रास्ते में लोग बाग आ जा रहे थे| पहले तो मुझे रास्ता समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन फिर मुझे रेलगाड़ियों की आवाज सुनाई दी और मैं उस दिशा की तरफ दौड़ पड़ी|

जल्दी ही मुझे अपनी लाल चमचमाती हुई मारुति आल्टो कार दिख गई... मैं भाग कर जल्दी से गाड़ी के पास पहुंची और उसके दरवाज़े में चाबी लगाई... मैं जानती थी कि आसपास के लोग अवाक होकर मेरी तरफ देख रहे थे क्योंकि मेरे हॉल्टर पर अभी भी धूल मिट्टी लगी हुई थी| लेकिन मैंने उनकी परवाह नहीं की मैंने जल्दी-जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोला और उस में जा बैठी और गाड़ी स्टार्ट कर दी है लेकिन मैंने देखा कि अभी भी फाटक बंद है गाड़ी में लगी घड़ी में सुबह के पौने आठ बज रहे थे|

क्रमश:

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Nevil singh

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अध्याय ८


कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया थालगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया

हालांकि रेलवे फाटक खुलने में चंद ही मिनट और लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था...

रेलवे फाटक खुल गया था... मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया... और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी...

गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था... शायद दानेदारवाली बात उसको पसंद आ गई थी... नही तो पता नही क्या हो जाता... ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी... अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता... शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा... क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती... उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ... और उसने ठीक ही सोचा था| पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूंएक हाई क्लास कॉल गर्लआज कई साल हो गएमैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं|



मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे रुबीना आंटी के हाथों बेच दिया था| तब से मैं रुबीना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ|

मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए रुबीना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था... मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना... चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद... मुझे से कोई मतलब नहीं था... अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से... जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे रुबीना आंटी को देना पड़ता था...

पर आज पहली बार मैं रुबीना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद| न जाने रुबीना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही...

***

रुबीना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए| उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था| मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, "अरी आएशा? कहाँ थी इतनी देर तक...? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल..." वह बोलते बोलते रुक गई... उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, "क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है... क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या...?"

और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी| रुबीना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई| इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक रुबीना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती|

मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई| मैंने रुबीना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी| लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा| कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया... वह भी बिल्कुल मुफ़्त में|

रुबीना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या तुझे अच्छी तरह याद है आएशा, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?"

जी हां मुझे अच्छी तरह याद है…”

ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो... मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी...

उसके बाद रुबीना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई| मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी| किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि रुबीना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं|

उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और रुबीना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे| तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?"

"जी, हाँ.. कसम से"

"ठीक है... अच्छी बात है..."

"क्या मतलब?"

रुबीना आंटी बोलीं, "कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है| जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है... तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके... मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके... तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा..."

मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी| मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, "चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे... ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी| उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए| लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है... और हां याद रखना... तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना... और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना..."

और उसके बाद मैं और रुबीना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे...

रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी... न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो... यह तो कोई नहीं जानता... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था... शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी..

आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी|

समाप्त
behtreen update ke sath samapan.
 

Lutgaya

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अध्याय ८


कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया थालगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया

हालांकि रेलवे फाटक खुलने में चंद ही मिनट और लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था...

रेलवे फाटक खुल गया था... मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया... और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी...

गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था... शायद दानेदारवाली बात उसको पसंद आ गई थी... नही तो पता नही क्या हो जाता... ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी... अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता... शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा... क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती... उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ... और उसने ठीक ही सोचा था| पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूंएक हाई क्लास कॉल गर्लआज कई साल हो गएमैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं|



मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे रुबीना आंटी के हाथों बेच दिया था| तब से मैं रुबीना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ|

मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए रुबीना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था... मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना... चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद... मुझे से कोई मतलब नहीं था... अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से... जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे रुबीना आंटी को देना पड़ता था...

पर आज पहली बार मैं रुबीना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद| न जाने रुबीना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही...

***

रुबीना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए| उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था| मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, "अरी आएशा? कहाँ थी इतनी देर तक...? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल..." वह बोलते बोलते रुक गई... उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, "क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है... क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या...?"

और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी| रुबीना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई| इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक रुबीना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती|

मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई| मैंने रुबीना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी| लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा| कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया... वह भी बिल्कुल मुफ़्त में|

रुबीना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या तुझे अच्छी तरह याद है आएशा, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?"

जी हां मुझे अच्छी तरह याद है…”

ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो... मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी...

उसके बाद रुबीना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई| मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी| किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि रुबीना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं|

उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और रुबीना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे| तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?"

"जी, हाँ.. कसम से"

"ठीक है... अच्छी बात है..."

"क्या मतलब?"

रुबीना आंटी बोलीं, "कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है| जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है... तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके... मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके... तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा..."

मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी| मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, "चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे... ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी| उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए| लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है... और हां याद रखना... तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना... और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना..."

और उसके बाद मैं और रुबीना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे...

रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी... न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो... यह तो कोई नहीं जानता... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था... शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी..

आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी|

समाप्त
कहानी के इस अपडेट का अंतिम शब्द (समाप्त)पढकर सदमा लगा
आगे बढ़ाने की गुंजाईश थी फ़िर भी आपकी लेखनी को सलाम
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 
अध्याय ८


कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया थालगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया

हालांकि रेलवे फाटक खुलने में चंद ही मिनट और लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था...

रेलवे फाटक खुल गया था... मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया... और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी...

गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था... शायद दानेदारवाली बात उसको पसंद आ गई थी... नही तो पता नही क्या हो जाता... ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी... अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता... शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा... क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती... उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ... और उसने ठीक ही सोचा था| पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूंएक हाई क्लास कॉल गर्लआज कई साल हो गएमैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं|




मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे रुबीना आंटी के हाथों बेच दिया था| तब से मैं रुबीना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ|

मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए रुबीना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था... मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना... चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद... मुझे से कोई मतलब नहीं था... अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से... जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे रुबीना आंटी को देना पड़ता था...

पर आज पहली बार मैं रुबीना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद| न जाने रुबीना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही...

***

रुबीना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए| उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था| मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, "अरी आएशा? कहाँ थी इतनी देर तक...? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल..." वह बोलते बोलते रुक गई... उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, "क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है... क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या...?"

और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी| रुबीना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई| इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक रुबीना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती|

मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई| मैंने रुबीना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी| लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा| कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया... वह भी बिल्कुल मुफ़्त में|

रुबीना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या तुझे अच्छी तरह याद है आएशा, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?"

जी हां मुझे अच्छी तरह याद है…”

ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो... मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी...

उसके बाद रुबीना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई| मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी| किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि रुबीना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं|

उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और रुबीना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे| तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?"

"जी, हाँ.. कसम से"

"ठीक है... अच्छी बात है..."

"क्या मतलब?"

रुबीना आंटी बोलीं, "कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है| जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है... तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके... मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके... तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा..."

मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी| मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, "चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे... ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी| उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए| लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है... और हां याद रखना... तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना... और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना..."

और उसके बाद मैं और रुबीना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे...

रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी... न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो... यह तो कोई नहीं जानता... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था... शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी..

आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी|

समाप्त
नाग चम्पा जी आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी धन्यवाद
 
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सबसे पहले मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहूंगी कि आपने मेरी कहानी पढ़ी और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि यह कहानी आपको अच्छी लगी है|

मैं चाहूंगी कि आप मेरी दूसरी कहानियां भी पढ़ें|

PS देरी से जवाब देने के लिए मैं माफी चाहूंगी|
 

naag.champa

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Hi friends,
I have tried and uploaded an Audio link to this story. Please let me know what do you think. Hope it is not deleted by then!

नमस्ते दोस्तों,

मैंने इस कहानी का एक ऑडियो लिंक आज़माया और अपलोड किया है। कृपया मुझे बताएं कि आप क्या सोचते हैं। आशा है तब तक इसे हटा नहीं दिया गया होगा!
 
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Delta101

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I have tried and uploaded an Audio link to this story. Please let me know what do you think. Hope it is not deleted by then!

नमस्ते दोस्तों,

मैंने इस कहानी का एक ऑडियो लिंक आज़माया और अपलोड किया है। कृपया मुझे बताएं कि आप क्या सोचते हैं। आशा है तब तक इसे हटा नहीं दिया गया होगा!
nice... upgradation is good with new modes.
 
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