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Adultery पुलिसवाली

Jaatrisky

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उधर दूसरी ओर पुलिस थाने के सामने गाड़ी की ब्रेक लगी और उड़ती धूल के बीच कानून की सनसनी, इंस्पेक्टर रेखा वर्मा आँखों पर काला चश्मा लगाए नीचे उतरती है और एकदम से पिछली खिड़की खोलकर भोला को झटकते हुए नीचे खिचा और कालर पकड़ कर लगभग उसको घसीटते हुए थाने के अंदर की ओर ले जाती है। साथ में 4-5 पुलिस वाले भी थे जिनके हाथों में डंडे थे।
भोला भी लड़खड़ाते हुए थोड़े से विरोध के साथ गुस्से को चेहरे पर भरकर चल देता है।

'चल हरामी! आज बताऊँगी तुझे कि रेखा किस बला का नाम है?' - भोला को जोर से धक्का देकर सामने टेबल की ओर फेंकते हुए रेखा ने कहा।

गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, लगभग साढ़े 5 फीट लंबाई और कसे हुए शरीर वाली रेखा के रोबिले कैरक्टर के सामने अच्छे अच्छे गुंडे भी पानी भरते थे। आसपास के लोगों के साथ साथ उसके थाने के पुलिस वाले भी उस से बहुत डरते थे। उसकी मेहनत और ईमानदारी की बदौलत ही सिर्फ 3 साल में वो इंस्पेक्टर बन गयी। डर के साथ साथ उसकी सुंदरता के चर्चे भी बहुत थे। खुद उसके थाने के पुलिस वाले भी नजरें चुराकर उसके यौवन को निहारते रहते। वो है भी कुछ ऐसी ही।
पुलिस की वर्दी में वह सब पर कयामत ढ़ा रही थी। भरे हुए मांसल पट, सिकुड़ा हुआ पेट और छातीयां तो जैसे शर्ट के बटन तोड़कर बाहर कूद पड़ेंगी। आर्म पीट की जगह पर वर्दी पे लगा पसीना माहौल में गर्मी पैदा कर रहा था। अपना चश्मा और टोपी उतार कर वह कुर्सी पर बैठ ग़यी।

शर्ट का कॉलर ठीक करता हुआ भोला टेबल के सामने खड़ा हो गया और एक पुलिस वाले ने उसका हाथ पकड़ लिया। हालांकि भोला इतने पुलिस वालों से घिरा हुआ था मगर उसके चेहरे पर डर का भाव बिल्कुल नहीं था। पहले भी कई बार उसको पुलिस ने पकड़ा था मगर नटवर ने उसको बड़े अधिकारियों की मदद से छुड़वा लिया था। मगर इंस्पेक्टर रेखा के सामने वो पहली बार अरेस्ट हुआ था। हालांकि इंस्पेक्टर रेखा की दबंगई के किस्से उसने बहुत लोगों से सुने थे और उसे पता था कि कैसे वह अपराधियों से नफरत करती थी और कितने बुरे तरीके से उनका टॉर्चर करके उनसे जुर्म कबूल करवा लेती थी, मगर उसके लिए ये कोई नयी बात नहीं थी तो उसके अंदर डर नहीं था। बल्कि पहली बार वो इंस्पेक्टर रेखा की खूबसूरती को निहार रहा था। वह कुछ ही सेकंड में सिर से पैर तक रेखा के तन को घूर गया। और आखिर में उसकी नजर रेखा की 36 इंच की छातीयों पर ठहर ग़यी जब उसको रेखा के बैठने से शर्ट के बटनों के खिंच जाने से अंदर से उसकी लाल ब्रा दिखाई दी। और अब उसके चेहरे पर एक ना पहचानी जाने वाली अदा आ ग़यी। मगर वो बिना कुछ भाव के ज्यों का त्यों खड़ा रहा। उसका ध्यान इंस्पेक्टर रेखा की आवाज ने तोड़ा।

'नाम क्या है तेरा?'

'भोला' - भोला ने जवाब दिया।

रेखा - 'बता उस ट्रक में क्या था और तुम उसे कहाँ से लेकर आए थे?'

भोला रेखा की आंखों में देखते हुए- 'उसमे फैक्ट्री के लिए माल था और क्या?'

'अगर सिर्फ फैक्ट्री का माल था तो उसको तेरे साथी भगा कर क्यों ले गए?'- रेखा ने हाथ में डंडा उठा कर कुर्सी से खड़े होते हुए कड़कती आवाज में पूछा।

' मुझे क्या मालूम वो तो वो लोग ही बता सकते हैं।' भोला ने भी थोड़ी आवाज ऊंची की।

' लेकिन मुझे मालूम है तुम्हारे गैर कानूनी धंधों के बारे में। सीधी तरह से बता दे नहीं तो तू शायद मुझे नहीं जानता।' रेखा ने भोला के नजदीक आ कर उसके बाल खींचते हुए पूछा।

'आआआआहहहहहहह..... बाल छोड़ साली। तू मुझे नहीं जानती कि मैं कौन हूं? आआआआआआआआ......... '

भोला के मुँह से गाली सुनकर रेखा को गुस्सा आया और उसने भोला के मुंह पर जोर से थप्पड़ जड़ दिया। 2-3 पुलिस वाले भी पास आकर उसको थप्पड़ और लातों से मारने लगे और भोला नीचे फ़र्श पर गिर गया।

' मारो हरामी को और हवालात मे डालो। इस से थोड़ी देर मे निपटूंगी। ' रेखा ने चिल्लाते हुए कहा।

पुलिस वाले भोला को घसीटते हुए ले जाने लगे मगर वह बोलता हुआ जा रहा था।

'साली, तू ये बहुत बड़ी गलती कर रही है। तुझे ये गलती बहुत भारी पड़ेगी। देख लेना।'
और भोला को हवालात में डाल दिया जाता है।

रेखा गुस्से में लाल होकर वापिस चेयर पर एकदम से बैठ जाती है और उसको पता ही नहीं चलता कि उसकी शर्ट का एक बटन खुल जाता है। जहां से उसकी चुच्चियों की गहराई साफ दिख रही थी। सोच में डूबी हुई रेखा को पता ही नहीं चला कि सामने सब पुलिस वालों को ये नजारा साफ दिख रहा है।
उन सब की आँखें फटी की फटी रह ग़यी। यह बिल्कुल नयी चीज थी उनके लिए। रेखा की तेज सांसो के साथ साथ उसके दोनों आम ऊपर नीचे हो रहे थे।

भोला के मुँह से साली शब्द सुनकर रेखा को गुस्सा भी आया और वो हैरान भी थी। ऐसा नहीं है कि उसने ये गाली पहली बार सुनी थी मगर उसके सामने किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई थी कि कोई उसको गाली दे सके। यह उस जैसी स्वाभिमानी औरत के लिए असहनीय था तो उसने सोच लिया कि वो भोला को आज सबक जरूर सिखाएगी।

'मैडम! ओ मैडम!'
रेखा हड़बड़ा जाती है और ऊपर नजर उठाई तो सामने इंस्पेक्टर अजीत खड़ा था।

'ह... ह... हां। बोलो।'

ये अजीत बड़ा ही अय्याश किस्म का आदमी था जोकि पुलिस में होकर भी बड़े - बड़े आदमियों से पैसे खाता था और उनको पुलिस की सीक्रेट जानकारियां भी देता था। नटवर भी उनमें से एक है।

'मैडम जी। आप क्यूँ इन गुंडे लोगों के मुँह लगती हो? ये सब अच्छे लोग नहीं है।' अजीत ने रेखा की चुच्चियों को घूरते हुए कहा। रेखा की जवानी देख कर वह भी बहक गया था। और इस नजारे का पूरा आनंद उठा रहा था।
' आप थक ग़यी होंगी, जाइए घर जाइए। मैं देख लूंगा इसे।' उसने बोलना जारी रखा।

रेखा अब भी उसकी नजरों को नही पढ़ा और बोली - 'नहीं सर। इस को तो मैं ही सबक सिखाऊँगी। इसको इसकी नानी ना याद दिलाई तो मेरा भी नाम रेखा नहीं!'
'अरे रेखा जी। मैं उसे देख लूँगा, आप क्यों परेशान हो रही हो? अरे किशन जा मैडम के लिए पानी मंगवा।' अजीत ने हवलदार किशन की तरफ इशारा किया और फिर से ध्यान रेखा की छाती पर टिका दिया।

इस बार रेखा ने भी नोटिस किया और जब नीचे देखा तो वो चोंक ग़यी और हड़बड़ाहट में समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे?
रेखा की हालत देखकर अजित मुस्कुराने लगा और इस से पहले कि रेखा उसकी तरफ देखती वो दूसरी तरफ देखने लगा ताकि रेखा को उस पर शक़ ना हो।

रेखा ने भी किसी तरह से स्थिति को संभालने के लिए उपर देखा तो थोड़ी तसल्ली हुई और जल्दी से बटन बंद कर लिया। और थोड़े कॉन्फिडेंस से अपना फोन उठाते हुए खड़ी हो गई ये कहते हुए कि अभी वह घर नही जाएगी और पहले भोला से पूछताछ करेगी।
 

Jaatrisky

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रेखा किशन हवलदार को ऑर्डर देती है कि भीमा को टॉर्चर रूम में लेकर आओ।
2-3 पुलिस वाले उसको जेल से बाहर लाते हैं और खिंचते हुए टॉर्चर रूम में घुस जाते हैं जहां रेखा पहले से मौजूद थी।

टार्चर रूम में 1 कुर्सी रखी थी उसके सामने 1 पुराना सा टेबल जिस पर एक मोटा सा डंडा रखा था। इस कमरे की दीवारों पर रंग काफी पुराना हो चुका था और जगह - जगह पर रंग की पपड़ीयां फटी हुई थी।
ऊपर एक बहुत ही पुराना पंखा लगा था जो कि चर - चर की आवाज के साथ बहुत धीरे - धीरे चल रहा था। फ़र्श कई जगहों से टूटा हुआ था और धूल से सना हुआ। पूरे कमरे से अजीब सी बदबू आ रही थी।
दीवारों में 3-4 लोहे के कुंडे लगे थे जिनसे की क़ैदी को बांधकर पिटाई की जाती थी। कुछ तो मई का महीना और कुछ सिर्फ़ 1 पुराने से पंखे के कारण वहां गर्मी बहुत थी।

भोला को अंदर लाया गया। उसके दोनों हाथों में हथकड़ी लगी हुयी थी। सिपाही बड़ी मुश्किल से उसको लेके आये क्योंकि 38 साल का भोला उन सब पुलिसवालों से मजबूत था। कद तो ठीक ठाक कोई 5'7" के आसपास मगर शरीर से बहुत हट्टा - कट्टा था। पेट थोड़ा सा बाहर की तरफ निकला हुआ और चौड़ी छाती पर घने बालों का गुच्छा दिखाई दे रहा था। घुंघराले और उलझे हुए बाल, मोटी नाक, और जब मुँह खोलता था तो पीले दांतो की बत्तीसी को देखके सामने वाले को उल्टी आ जाए। शर्ट के ऊपर के 2 बटन खींचतान में टूट चुके थे और पैंट पर जगह - जगह मिट्टी लगी हुई थी।
कुल मिलाकर भोला बदसूरती का बहुत अच्छा उदाहरण था।


उसको रेखा के सामने खड़ा किया जाता है और भोला के शरीर से आ रही बदबू से उसकी भौंहें सिकुड़ जाती हैं। इस से रेखा के मन में उसके लिए नफरत और बढ़ जाती है। वह बिना देरी किए मेज पर रखा डंडा उठा लेती है और पुलिस वालों की तरफ भोला को छोड़ने का इशारा करती है। किशन हवलदार जो कि रेखा का सबसे बड़ा विश्वास- पात्र है, को छोड़कर बाकी सभी सिपाही बाहर चले जाते हैं।

दूसरी तरफ रेखा के सामने आने पर भोला थोड़ा शांत हुआ लेकिन बिना किसी डर के वो रेखा को घूरने लगा। वो रेखा के बहुत नजदीक था जिस से रेखा के शरीर से आने वाली पसीने की भीनी - भीनी खुशबू को आराम से सूंघ सकता था। रेखा को देखकर यहाँ आने का उसको ज्यादा दुख नहीं हो रहा था। वो चुपचाप रेखा के सौंदर्य का मुआयना कर रहा था।

क्या औरत है यार? एकदम फाड़ू माल। साला आजतक ऐसी आइटम हाथ नहीं लगी। भेनचोद अगर इसकी चूत मिल जाए तो जिन्दगी बन जाए। वो लगातार रेखा को घूरना जारी रखता है और बेखबर था कि वह पुलिस के कब्जे में है और वो भी टॉर्चर रूम में। उसकी आँखों की हवस साफ देखी जा सकती थी। आखिर में उसकी नजर रेखा की भारी भरकम चूचियों पर टिक जाती है।

रेखा के साथ - साथ किशन भी ये सब देख रहा था। किशन की नजरें जब भोला की नजरों का पीछा करती है तो वह भी रेखा की छाती को देखने लगा। रेखा के साइड में खड़ा होने के कारण उसको तो वो और भी बड़ी लग रही थी। वो रेखा का जूनियर था मगर आखिर था तो एक मर्द। उसने पहली बार रेखा मैडम को इस तरीके से देखा था और वो भी एक गुंडे के सामने।

रेखा का पाला आजतक बहुत से गुंडों और बदमाशों से पड़ा था और उन सबको रेखा ने बिना किसी खास मुश्किल के हार मनवा दी थी। लेकिन भोला का उसको ऐसे घूरना, वो भी उसके जूनियर के सामने, उसके लिए एक नया अनुभव था। कुछ देर के लिए वो गुस्से के साथ - साथ थोड़ी शर्मिंदगी महसूस करती है और मुड़कर किशन का रिएक्शन देखने के लिए उस की तरफ़ देखती है और पाती है कि किशन भी उसकी ब्रेस्ट को घूर रहा है तो वो और भी शर्मिंदा होती है और गुस्से को भूलकर सोचती है कि ये सब क्या है? मगर वो अपनी खूबसूरती के बारे में भी अच्छे से जानती थी। उसे पता था कि उसके फ़िगर के कितने दीवाने हैं और थोड़ी देर पहले की घटना भी उसकी जहन में आई जब उसकी शर्ट का बटन खुला था। अंदर ही अंदर वो खुश हो जाती है जैसा कि हर औरत के साथ होता है। इस कमरे में दोनों मर्द कैसे उसकी जवानी में खो गए थे, ये सोचकर रेखा आनंदीत हो जाती है।
वो फिर से भोला को देखती है जोकि किशन को उसकी ब्रेस्ट घूरते हुए देख रहा था। जब भोला और रेखा की नजर भोला से मिलती हैं तो भोला के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान फैल गई। रेखा भी झेंप जाती है।
लेकिन जल्द ही स्थिति को संभालने की कोशिश में वो उन दोनों को इग्नोर करते हुए अपने आप को नॉर्मल करती है और वापिस उसी कॉन्फिडेंस और गुस्से से बोलना शुरू करती है-

'देख भोला! सीधी तरह से बता दे कि वो ट्रक कहाँ लेकर गए हैं?

रेखा की आवाज से उन दोनों का ध्यान टूटता है और
किशन एकदम से डर से थोड़ा अलर्ट हो जाता है और सोचता है कि अच्छा हुआ मैडम ने कुछ नहीं देखा मगर हकीकत में ऐसा नहीं था।

लेकिन भोला ने रेखा की बात का कोई जवाब नहीं दिया। और वह रेखा की और देखता हुआ ज्यों का त्यों खड़ा रहा।

रेखा गुस्से से - 'बता ना हराम जादे वो ट्रक में क्या था और उसको कहां लेकर गए?

भोला -' बोला ना उसमे कुछ भी नहीं था ऐसा? '

रेखा -' मैं जानती हूँ तुमने उसमें नकली मेडिसिन डाल रखी थी क्योंकि हमारे पास इसकी पक्की खबर थी'

भोला(ऊंची आवाज में) -' किस चुतिए ने तुझे खबर दी थी। '

किशन के सामने गाली सुनकर रेखा फिर से शर्मिंदा हो गई लेकिन वो कुछ कहती उस से पहले ही किशन बोल पड़ा।

' गाली क्यों देता है बे? ढंग से जवाब नहीं दे सकता क्या?'

किशन की बात सुनकर भोला को गुस्सा आता है और वो चिल्लाता है -

'भो्‍सड़ी के। तू मुझे तमीज सिखाएगा मादरचोद! अभी थोड़ी देर पहले तू अपनी इस अम्मा की चूचियों को ताड़ रहा था तब तेरी तमीज गांड में घुस गई थी क्या?

यह सुनकर किशन भोंचक्का रह गया और उसे समझ ही नहीं आया कि वो सब उसने कब देख लिया। वो कभी भोला की तरफ देखता तो कभी रेखा की तरफ। रेखा का भी सारा गुस्सा फुर्र हो गया। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। इतनी गंदी गाली के लिए ना तो वो तैयार थी और ना ही किशन। मगर भोला के लिए ये आम बात थी।

'अ...अ..बे... क... क.. क्या ब.....क रहा है...?' जैसे तैसे किशन ने हिम्मत जुटाई और स्थिति को संभालने की कोशिश की।

'अरे किसे चुतिया बना रहा है भेनचोद! पूछ इस माल से। इसने भी तो देखा था तुझे' भोला ने विजयी मुस्कान के साथ रेखा को घूरते हुए कहा।

ये रेखा और किशन दोनों के लिए एक बहुत बड़ा झटका था। किशन बेचारा अब क्या जवाब देता? उसकी तो सिट्टी पीट्टी गुम हो गई। उसने एक नजर रेखा को देखा और नजरें नीची कर ली। रेखा जैसी रौबदार पुलिस वाली भी इस स्थिति में खुद को असहाय महसूस कर रही थी। एक तो भोला की गालियाँ और ऊपर से ये सब। वो भोला के केस को जितना आसान मान रही थी उतना था नही।

मगर वो भी कुछ कम नहीं थी। उसने आव देखा ना ताव और हाथ में डंडा लिए आगे बढ़ी और 2-3 भोला के पैरों पर रशीद कर दिए।
भोला को समझ नहीं आया कि ये सब क्या हुआ? वो जमीन पर गिर पड़ा और दर्द से कराहने लगा।

'तू क्या समझता है बे? तेरे ये बोलने से मै चुप रहूँगी? चुपचाप जो पूछती हूँ उसका जवाब दे दे वरना पुलिस के डंडे की ताकत को शायद तू नहीं जानता' - रेखा ने चिल्लाते हुए कहा।

'आआआआआआ............ हहहह.... मर गया.......। भेनचोद रांड साली। मार क्यों रही है? तू शायद मेरे बारे में जानती नहीं है! तेरे जैसी कितनियों को मैंने अपने लंड पर बिठाया है तुझे नहीं मालूम।
अबे ओ, हवलदार तू तो जानता है मुझे। समझा दे अपनी इस छिनाल को। नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा ' - भोला चिल्लाया।

भोला के मुँह से लंड शब्द सुनकर रेखा का गला मुँह को आ गया। उसका गुस्सा फिर से उड़ गया। और सारे बदन मे बिजली दौड़ गई। सोचने लगती है कि कोई इतना बेशरम कैसे हो सकता है? कैसे इतनी गंदी गाली दे रहा है? सबसे बड़ी बात उसके जूनियर के सामने। अकेली होती तो भी कोई बात नहीं थी। इतना तो वो समझ चुकी थी कि भोला को तोड़ना इतना आसान नहीं है और वो गाली भी जरूर देगा मगर किशन के सामने मैं ये सब संभाल नहीं सकती तो क्यों न किशन को बाहर भेज दिया जाए। हां ये ठीक रहेगा। उसने मन ही मन फैसला किया और बिना किशन की तरफ मुड़े बोली क्यों कि ये सब सुनकर वो किशन से आँख नहीं मिला सकती थी।

'किशन! तुम बाहर जाओ।मैं अकेले संभाल लूंगी इसे'

किशन को भोला के कारनामों के बारे में जानता था कि वो कितना खतरनाक है तो उसे रेखा की ये बात सही नहीं लगी उसने कहा -

'मगर मैडम, ये बहुत ही ख......'

रेखा (बीच में बात काटते हुए थोडी जोर से) - 'जो कहा गया है वो करो और मुझे बीच में कोई खलल नहीं चाहिए, समझे!'

किशन को पता था कि भोला जैसा शातिर रेखा मैडम के अकेले काबू नहीं आने वाला मगर उसकी अब मना करने की हिम्मत नहीं हुई और ' जी मैडम' कहते हुए बाहर चला गया।

रेखा नहीं जानती थी कि उसने कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली थी। उसका अपने आप पर इतना ओवर कॉन्फिडेंस उस पर भारी पड़ने वाला था।

और भोला की कातिलाना मुस्कान से यह साफ पता चल रहा था।
 
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