Mast updateUpdate 15
में दवाई और खाना लेकर वापस लौट ही रहा था की मेरे फोन की घड़ी बजी ये कोई अनजान नंबर था मेने कुछ देर सोच फोन उठा लिया...सामने से एक आवाज आई जिसे में अच्छे से जानता था में सामने से आवाज आई "बेटा कैसे हो तुम सब ठीक होना" मुझे कुछ समझ नहीं आया क्या कहूं मेरे दिल में कही तरह के भाग उभर रहे थे मैने थोड़े गुस्से में आकर कहा "रोंग नम्बर" और फोन काट दिया...
में मां के पास पहुंच गया और हम ने पहले खाना खाया और फिर मां ने दवाई ली.. दवाई लेते ही मां कुछ ही देर में गहरी नींद में चली गई..
में कुछ देर वही उनके पास बैठा रहा उन्हें इसे गहरी नींद में सोया हुआ देख मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मुझे उत्तेजित कर के मुझे से बोल रहा था की आदि ये अच्छा मौका हे उठा दे अपनी मां का पेटीकोट और कर ले दीदार अपनी मां की योनि का... लेकिन मैने जैसे तैसे मेरे अंदर में दबी हुई हवस को रोके रखा...ये सच था की मेरे दिमाग में मां के लिए बहोत हवस भरी हुई थी लेकिन में उनकी इज्जत और आदर भी करता था..में उनकी ऐसी हालत में उनका कोई फायदा नही उठा सकता था...लेकिन मां के जिस्म को इतना पास से यू बैठे बैठे इसी जगा पर देखना मुझे जरूरत से अधिक ही उत्तेजित कर रहा था...
अब मुझ से बारदस्त नही हो रहा था..मां के दोनो सुडोल स्तन मेरी आखों के आगे उनकी हर सास के साथ बड़े ही धीरे धीरे उपर आ हो रहे थे...मेने धीरे से डरते हुए मां के सीने से पल्लू हटा दिया..और मुझे एक तेज कटर सा लगा जैसे मेरी पूरी बॉडी में बिजली दौड़ रही हो...मेरी आखों के सामने मां के स्तन उनके ब्लाउज में जैसे मुझे कह रहे थे की हमे आजाद कर दो...मुझे मां की काली ब्रा दिखी जो ब्लाउज के उभार से बटन के बीच की जगा से साफ देख रही थी...मेरा लन्ड एकदम से तन उठा और मेरा पुरा बदन गरमी से पसीना पसीना हो गया....
मेरा हाथ अपने आप ही मां के स्तनों को सहलाने लगा मुझे अपने हाथो में मां के मुलायम स्तन का स्पर्श पागल कर रहा था की मां ने अपनी करवट बदल दी...और मेरे सामने मां की अर्ध नंगी पीठ और कमर मेरी आंखो में समा गई में मां की गोरी त्वचा से बड़ा ही प्रभावित हो रहा था कोई दाग या बाल का नामो निशान नहीं बस मखन जेसी गोरी गोरी चमड़ी में मां को इसे देख और उत्तेजित होकर उठ खड़ा हुआ...
मां का पेटीकोट भी उनके घुटनों तक सरक गया था ये सब देख में इतना उत्तेजित हो गया की एक बार तो दिल में आया की अभी मां को पकड़ के चोद दूं लेकिन मैने जैसे तैसे खुद को संभाला....
और बाहर निकाल आया और पास पास देख के कुछ दूर जाकर एक खेत में घुस गया और खेत में थोड़ा अंदर जा के बैठ गया और अपना लोहे जैसा सख़्त लोड़ा बाहर निकाला और अपनी प्यारी मां की यौन सुदरता को सोचते हुए अपना लिंग आगे पीछे करने लगा..
मेरी आंखे बंद होने लगी और कुछ मिनटों में मेरा वीर्य रूपी अमृत की एक तेज धार निकली और दूर जाके जमीन और फसल पे गिरने लगी... करीबन चार से पांच धार में मेरा वीर्य मां के लिए निकला और में शांत हुआ और अपने होस में आया...
जैसे में होस में आया...मुझे एक तेज तेज चीखे सुनाई दी..ये दर्द से भरी हुई आवाजे सुन मेरा दिल जोर जोर से धड़क उठा.. मेने ठीक से सुना की आवाज कहा से आ रही है तो मेरा और दिल बैठ गया में डर गया और उस आवाज की और जाने लगा... मेरे दिल दिमाग में बाहोत बुरे खयाल आने लगे.. जैसे जैसे मेरे कदम मां की और बड़ रहे थे मेरा दिन और तेजी से धड़क रहा था...
में पूरी हिम्मत कर के मां जहा सो रही थी वहा पहुंच गया मैने अपनी आखें बंद कर दी...
"आह आह आह आह आउच"
ये कामुक आवाजे वही सी आ रही थी जहा मां सो रही थी मेरा पूरा शरीर कांपने लगा और में पूरी तरह से सुन पड़ गया...
मेने धीरे से अपनी आखें खोली...
और सामने के नजारा देख तुरत ही अपनी आखें बंद कर दी..मेरी आखों से आसू बहने लगे... मुझे ज्यादा कुछ नहीं दिखा बस एक आदमी एक औरत के उपर चढकर उसे बड़ी तेजी से बेरहमी से चोद रहा था और औरत भी पूरी तरह से उस मर्द का साथ देते हुए अंचल रही थी...
सामने का नजारा कुछ ऐसा था...
मेरी आखों में आसू थे... की मेरे कानो में दूर से एक आवाज सुनाई दी "आदि बेटा कहा हो... आदि"
में तुरत पीछे मुड़ा तो कुछ दूर मां दिखी जो मुझे ही सायद खोजते हुए खेतो की और चली गई थी...में मां की और भागा और उन्हें कस के अपनी बाहों में भर लिया....और रोने लगा...
मां ने कहा "क्या हुआ तूझे कहा चला गया था"
मेने अपने आसू पोछते हुए कहा "कही नही मां बस यही टहल रहा था"