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Incest पूर्वसंध्या का रिवाज़

Professor Octopus

Love With Lust
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ये एक पूरी तरह से काल्पनिक कहानी है... जिस का असल जिंदगी से कोई संबंध नहीं...

में आज आप के साथ एक मेरे जीवन में हुए बेहत अजीब और सुखदायक अनुभव को लेकर आया हु...ये एक ऐसा अनुभव है जो हर किसी के नसीब में नहीं होता... नही ज्यादातर मामलों में कोई ऐसा अपने सपने में भी सोचता है.. आज भी वो रात मेरी आखों के सामने आते ही मेरा लिंग उत्तेजना से लोहे के माफिक सख्त होकर खड़ा हुआ उस रात को याद करते हुए अपना पानी छोड़ देता है....

आज से करीबन 25 साल पहले में गांव अपने घर आया था नोकरी से कुछ दिन की छुट्टी लेकर... मेरी और कुसुम की सगाई पूरे एक साल चली थी...और आज पूरे एक साल बाद जाके कुछ दिन बाद हमारी सादी होने वाली थी...हम ने एक दूसरे को ठीक से देखा तक नहीं था... मेरी सरकारी नौकरी थी तो लड़की की हर या ना का कोई सवाल ही नही था.. मेरे सास ससुर ने बिना मुझे देखे ही बापूजी को अपनी और से हा कर दी... और बापूजी ने भी मेरी जानकारी के बिना ही अपनी और से ये रिश्ता पक्का कर दिया...

सगाई के दिन हमारी पहली मुलाकात हुए... सगाई एक के वक्त कमरे में इतना अंधेरा था कि मुझे ज्यादा कुछ नहीं दिखा...उसके गोरे गोरे हाथ जब मेने देखे में खुशी से उछल ही पड़ा था.. पतले नाजुक हाथ जब मेरे काले हाथो में आई वो जैसे कंपकंपा गई.. बिचारी कुसुम... वो तो अपनी नजरे जुकाई बस खड़ी ही थी....

सगाई में बाद मेरे दोस्त ने मेरे कान में आके कहा.."तेरी सास तो पूरी गोरी चिट्ठी महिला है क्या कड़क बदन की मालकिन ही यार...तेरे बाप ने अच्छा रिश्ता देखा है" में उसकी बात समझ गया तब असकर लड़की को मां को देख के ही अंदाजा लगाना होता था की लड़की कैसी होगी...

मेरी नजर भी सासु मां पे गई में अपनी खुसी छुपा नहीं पाया क्या कमाल की जवानी चढ़ी हुई थी इस उम्र में मेरी सास के जिस्म पे...में कुसुम को मन ही मन उसकी मां को देख के सोचने लगा...

अब कुछ ही दिनों बाद हमारी सादी होने को थी...में ज्यादा अपने गांव में रहा नही था.. पहले पढ़ाई के लिए फिर अपने काम से गांव से बाहर ही रहता...मुझे सादियो में होने वाले रीति रिवाजों का इतना ज्ञान नही रहा...

सादी का दिन जैसे जैसे करीब आ रहा था घर में तैयारी बड़ रही थी...पूरा घर रिस्तेदारो की बड़बड़ और बच्चो की चहल पहल से गूंजता रहता...

हमारे यहां शादी से पहले हल्दी लगाते है कुछ दिनो तक..जैसे की सादी से कुछ दिल पहले ही सब औरते मिल के हल्दी लगाने आती दूल्हे को... ये रस्म घर के अंदर ही की जाती और वहा बस औरते और लड़कियां होती हैं... मर्द बाहर बैठ के अपनी बैठक लगाई होते हे...

में बड़ा शरमा रहा था कि मुझे हल्दी लगाने वाली है..में बड़ा बैचेन था की सब के हाथ मेरे बदन पे लगाने वाले है...

में शर्म से लाल होकर एक सफेद कुर्ते में बैठा था...मेरी चाची के हल्दी से लिपटे हुए हाथ मेरे गालों से होते हुए मेरे गले तक पहुंच रहे थे...कुछ ही पल में भाभियों और बहनों ने मेरे कुर्ते को निकल दिया...में शर्म से अपना सर झुका दिया... मुझे बनियान या अंडरवेयर न पहने के लिए मां ने पहले ही बोल दिया था... मेरी सवाली चमकदार त्वचा को देख चाची बोली "बड़ा गहरा रंग है ठीक से लगाओ हल्दी..नही तो अपनी पत्नी के आगे हमारा बेटा फीका पड़ जाएगा" चाची ने मेरी छाती पे हल्दी लगाई...कुछ ही देर में में हल्दी से पूरा रंग गया...

मां दूर खड़ी मुझे देख मुस्करा रही थी...

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तभी दादी वहा आके मां को डाटते हुए बोली "क्या देख रही है हाथ चला अपने... चलो सब बाहर जाओ पूर्वसंध्या की तैयारी शुरू कर बहुरानी...." सब बाहर चले गई मां हैरानी से दादी को देख रही थी..." और जैसे उन्हे कुछ याद आया वो फिर से हस दी...मुझे देख...
अब कमरे में सिर्फ चाची मां दादी और में थे... चाची मेरी और आके मेरी धोती के नाड़े को ढीला कर दी..."ये क्या कर रहे हो चाची आप" चाची बड़ी बड़ी आंखें मुझे देख रही थी..फिर मां को देख के बोली. "क्या सुधा ये सब भी नहीं सिखाया तूने अपने बेटे को दो दिन में तो पूर्वसंध्या का रिवाज़ करना है और अभी ये हाल है"..."हा हा भूल गई थी.. अब आप दोनों जाओ में बात कर लूंगी... मेरे बेटे को तंग मत करो अब"
दादी और चाची भी चले गई...

मां ने देख लिया की में हैरानी से सब सुन रहा हु मेरे लिए ये सब बातें बहोत नई जो थी...
"बेटा कुछ नही करना ही बस अपनी धोती को हटा दे वहा भी लगानी होगी हल्दी.."

मां के मुंह से ये सुन में आश्चर्य से उन्हें देखता ही रहा...की मां खुद ही अपने हाथ से पकड़ के कपड़ा नीचे कर दी...मेरा लिंग पहले से उत्तेजित होकर मां के सामने खड़ा हो चुका था... मां की आंखे बड़ी हो गई मेरे लिंग के आकार को देखकर...वो बोली " बेटा आंखे बंद कर ले" मैने अपनी आखें बंद कर दी...और दूसरे ही पल मां के मुलायम हाथ मेरे लिंग को पकड़ लिए...और उसकी मालिश करने लगी...मेरी आहे निकल गई.."आह मां बस आह मां दर्द हो रहा है" लेकिन मां नही रुकी...और बोली "मेरे लाल कुछ नही होगा मां पे भरोसा नही है तुझे" में उत्तेजन ने तड़प उठा था पहली बार मेरे लिंग पर किसी महिला के हाथ चल रहे थे... कुछ देर में ही मेने अपना गाड़ा वीर्य मां के हाथो में निकल दिया...लेकिन me गलत था मेरी आखें खुली तो मेने देखा कुछ बूंदे मां के मुंह पर भी पड़ी थी...मां उठ के बाहर चली गई...

में अपने कपड़े पहन घर के पीछे ही बाहर निकल गया और कुच दूर अपने आप को दिया फिर दोस्तो की और निकल गया...

बाहर मां ने जैसे ही दरवाजा खोला दादी और कुछ औरते मां के ही इंतज़ार में खड़ी थी..मां ने अपना वीर्य से गीला हाथ दादी को देखा के हसी के साथ बोली "माझी आप के बेटे से ज्यादा निकाला है देखो मेरा तो मुंह भी खराब कर दिया" "आखिर पोता किस का है बहु" "लेकिन दूध तो मेरा पी के इतना तड़ागा हुआ है आप का पोता" "ज्यादा उछल मत सुधा रानी ये जितना मोटा होगा उतना ही तुझे दर्द देगा.." चाची हस के बोली...और सब औरते हसने लगी...और मां भी सोचने लगी की उनका क्या होगा अपने ही बेटे के लिंग को योनि में लेकर क्या वो ले भी पायेगी...




 
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दो दिन यही सब चला...और आज वो रात थी जब मां मेरे साथ सोएगी...में अपने कुछ दोस्त और भाई के साथ बैठा था... "भाई तूने पहले कभी किया है कि नई" मेने ना में सर हिला दिया... "कोई नई डराना मत चाची सीखा देगी...बस उनका साथ देता रहना.." में ध्यान से सुन रहा था..."अबे साले अपनी मां को ही पेट से मत कर देना तू.. हा हा..."
एक दोस्त हस्ते हुए बोला...मेरे डर सा गया...मेरे हाव भाव देख मेरे चाचा का बड़ा लड़का बोला... "छोटे तू इनकी बात क्यों सुन रहा है... चाची सब संभाल लेगी.."

दूसरी और मां अपनी सहेलियों के साथ गप्पे लड़ा रही थी.."सुधा आज रात से तैयारी कैसी है" मां हस के बोली "क्या तैयारी क्या करनी अब"
"अरे पागल ठीक से सज सहर के सोना आज रात को बेटा जवान है.. कुछ तो खयाल रख उसका...सब सिखा देना नही तो बहु बोलेगी सासू मां ने कुछ सिखाया ही नही अपने बेटे को"

मां शर्म से लाल हो गई.."वैसे सुधा के चूचे तो देखो आज तो बड़े फूल गई है बिचारी पूरा दिन पानी जरेगी..बेटे के प्यार के लिए तड़प उठी होगी सुधा की बुरिया"
"आप सब क्या बोल रहे हो ऐसा कुछ नही...बेटा है तो बस शर्म आती है..आप तो जैसे रोज लेती हो न अपने बेटे का मूसल"
"देता तो में तो रोज लेती बहुरिया.. लेकिन तू आने दे तब न मेरे लाल को मेरे पास रोज पांव खोल के लेट जाती है बिचारे को पूरा सुखा दी हो..."

"तो आज रात आप भी अपने बेटे को अपना दूध पिला ही दो..."

और दादी और मां हसने लगे...

रात को फिर से हल्दी लगाई गई...और फिर मां ने अपने हाथो से मेरे लिंग की मालिश की... आज मेरी मलाई नही निकली तो मां मुस्करा के बोली..."मेरा लाल बड़ी जल्दी सब सीख रहा है...जा नहा ले में में भी नहा के आती हु"

ने नहा के घर में आया अब तक सब लोग चले गई थे...मुझे आता देख ही दादी बोल उठी.."चलो बेटा(पापा) बाहर निकल आओ..." और पापा और दादी दादी बाहर निकल कर आंगन में चारपाई डालने लगे...और चाची अपने घर चली गई...जाते जाते दादी को धीरे से कान में कहा "सासुमा जेठजी को दूध पिला देना...बड़े पता नही कितने दिन से जेठानी जी बचा रही होगी उसके बेटे के लिए हा हा..."

दादी ने चाची को थक्का दिया और बोली "तुझे बड़ी फिकर हो रही है ना तो तू ही पीला दे वैसे भी तेरा दूध खतम नही कर पायेगा कोई मर्द अकेला"
 
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Enjoywuth

Well-Known Member
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बहुत बढ़िया लिख रहे हो भाई। सब कुछ बहुत खुला खुला है पूरे गांव मैं सब को पता है के आज मां चोदने वाली है
 
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