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Erotica पेशाब

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Deshi lund 9

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तो दोस्तों साबी का ये सफर तो यही खत्म हुआ, आपने पढ़ा कैसे एक औरत के जीवन मे छोटी सी पेशाब की घटना ने उसे जीवन मा असली सुख दे दिया.
सम्भोग क्या होता है वो जाना.

साबी ऐसे ही छोटी छोटी कहानियों के साथ आपके सामने आती रहेगी.

जल्द ही साबी सीरीज की दूसरी कहानी ले कर आऊंगा.

"घर आया मेहमान "

आपका दोस्त andy pndy 👍
Hi good
 

Garam Lekhika

Rajiya Rizvi
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अपडेट -4

दोनों काले राक्षस अपने भयानक लंड लिए खड़े थे, कार की दूधिया रौशनी मे साफ उनका आकर प्रकार दिख रहा था.
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साबी का हलक सुख चूका था उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी की मर्दो का ऐसा भी होता है.
उसके पति का तो इसका आधा भी नहीं था.
अभी साबी के लिए कम ही था की दोनों ने अपने लंड को किसी चाबुक की तरह झटका देते हुए चमड़ी को पीछे खिंच लिया, एक अजीब सी गन्दी कैसेली गंध फ़ैल गई
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पहले से ही मदहोश साबी के होश फाकता हो गए,
साबी टकटकी लगाए उस करिश्मे को देखे जा रही थी, इधर वो दोनों अपने लंड को फाटकरते तो सीधा चोट साबी की चुत पर लगती.
ना जाने किस भावना मे साबी ने अपनी जांघो को आपस मे भींच लिया, अपनी चुत को जितना दबा सकती थी उतना उसने दबा लिया.
चेहरे के भाव बदल रहे थे, ना जाने किस लालच मे उसके होंठ दांतो तले दबते चले गए.
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"उउउफ्फ्फ...... यार ये पेशाब क्यों नहीं आ रहा "
कालिया ने हरिया को बोला
"अभी तो दारू पी है रुक 1मिनिट आयेगा "
दोनों वापस से अपने लंड के साथ खेल रहे थे, दोनों की नजरें साबी पर थी और साबी की नजर उनके लंड पर.
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"क्या हुआ मैडम.... ऐसे क्या घूर रहु हो, शादीशुदा हो आप तो आपके पति जैसा ही है "
"न्नन्न.... नहीं.... नहीं है "
"क्या नहीं है?"
ना जाने साबी किस नशे मे थी.
"त्तत... तुम्हारे जैसा नहीं है " साबी किसी रोबोट मे बदल गई थी वो सिर्फ उन दोनों के लंड को देखे जा रही थी.
एक गर्मी से उसका बदन जल रहा था.
"क्या नहीं है.... ये लंड....?"
"हहहह..... हाँ... ये... लललल...."
"पूरा बोलो आपके पति के पास नहीं है ऐसा लंड " हरिया मौके का पूरा फायदा उठा रहा था.
अभी साबी कुछ समझती की कालिया उसके नजदीक आ खड़ा हुआ
"मेरे.... मममम.... मेरे पति का ऐसा नहीं है " शायद आज साबी ने पहली बार अपने पति के लंड की तुलना किसी से की थी.
"कोई बात नहीं हमारा है ना ये ठंडा कर देगा आपको " कालिया ने साबी के पीछे आ अपने लंड को उसकी मोटी गद्दाराई गांड से छुआ दिया.
इस छुवन से जैसे साबी का ध्यान भंग हुआ हो.
"ककककक.... क्या.... क्या ठंडा कर दोगे "
"अरे कार ठंडी कर देंगे गरम हो गई है ना " जवाब हरिया ने दिया
कालिया साबी के पीछे खड़ा था और हरिया सामने.
साबी किसी कुतिया की तरह बीच मे थी.
हक्की बक्की परेशान लेकिन ये परेशानी अब किसी और चीज की थी, उसके जलते जिस्म की.
"लेकिन अभी भी पेशाब नहीं आ रहा, हमने कितने कौशिश कर ली " दोनों ने एक बार फिर अपने लंड की चमड़ी को आगे पीछे खींच किया.
वही एक कैसेली गन्दी स्मेल साबी से जा टकराई, उसका मन मस्तिष्क अब काबू से बाहर हो रहा था,
स्मेल गन्दी थी फिर भी वो उसे और ज्यादा सूंघ लेना चाहती थी.
"स्सणीयफ़्फ़्फ़..... शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....."
"मैडम आप यदि अपने हाथो से पकड़ के थोड़ा हिला दो तो शायद पेशाब आ जाये "
कालिया ने एक प्रस्ताव फिर रख दिया.
"कककक.... क्या मै... मै.... मै कैसे " साबी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया.
उसके ऊपर एक के बाद एक बम्ब फूटने जा रहे थे.
"अब हमने तो हिला के देख लिया नहीं हो रहा "
कालिया ने जैसे कान मे फुसफुसाया.
एक गन्दी सी स्मेल फिर से साबी के जिस्म मे घुल गई.
वो दोनों के जाल मे फसते जा रही थी, ऊपर से दोनों अपने अपने भयानक लंड का प्रदर्शन कर रहे थे.
"समय नहीं है मैडम पूरी रात यही खड़े रहना है क्या? " हरिया ने साबी का हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया.
"इस्स्स....... ऊफ्फफ्फ्फ़.... एक गरम सी लहर हरिया के लंड से साबी के हाथो मे जा समाई.
हरिया का लंड किसी गरम लोहे की तरह तप रहा था.
परिणाम साबी के मुँह से एक हलकी सिस्करी निकल पड़ी.
उसे तुरंत हाथ हटा लेना चाहिए था, लेकिन नहीं ना जाने किस जाल मे फ़सी थी.
एक टक अपने हाथ मे थामे हरिया के लंड को देखे जा रही थी, लंड ऐसा की हाथ मे समा ही नहीं रहा था,
मुट्ठी पूरी बंद भी नहीं हो पा रही थी, जिस्म जल रहा था, पिघल रहा था.
ये पिघलान चुत के मुहने चुने लगी थी.
साबी हैरान थी ऐसा कैसे हो सकता है, उसके पति का लंड तो उसकी हथेली मे छुप जाया करता था.
"सोच क्या रही हो मैडम, हिलाओ ना हरिया का लंड "
पीछे खड़े कालिया ने अपनी कमर को आगे की तरफ झटका दिया, उसका लंड साबी की गद्दाराई गांड मे धसने को बेताब था.
"आउच.... आअह्ह्ह.....आए.. हैं... हाँ... करती हूँ " साबी उस चोट से जैसे होश मे आई.
उसका हाथ ना जाने किस आवेश मे हरिया के लंड पर रेंग गया.
"आअह्ह्ह...... मैडम जी कितने कोमल है आपके हाथ " हरिया ने भी ऐसा अनुभव कहाँ पाया था,
लगता था जैसे किसी रुई के ढेर मे उसके लंड को कस दिया गया हो.
साबी जैसे किसी जादू टोटके मे बँधी थी, उसके हाथ खुद बा खुद हरिया के लंड को तराशने लगे.
जैसे वो उसकी लम्बाई मोटाई नाप रही हो.
पीछे खड़ा कालिया अपने लंड की धार साबी के गद्दाराई गांड मे लगा रहा था.
साबी को इस बात का अहसास था, लेकिन वो ये अहसास और ज्यादा चाहती थी उसकी तरफ से कोई आपत्ति ना देख कालिया बिल्कुल जा चिपका.
एक कड़क लोहे की तरह गरम चुज साबी की गांड की दरार मे जा धसी, गाऊन का कपड़ा दोनों पाट मे समाता चला गया.
जैसे जैसर गांड पे दबाव पड़ता, वैसे वैसे साबी के हथेली का दबाव हरिया के लंड पर कसता जाता.
सही के हाथ हरिया के लंड पर दौड़ पड़े थे, पीछे को खिंचती तो एक गुलाबी आलू के आकर का हिस्सा बाहर आ जाता जिस पर कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा लगा था, झट से चमड़ी आगे कर उस हिस्से को ढक देती.
कालिया भी कब टक देखता बेचारा, उसने भी अपने लंड को साबी के दूसरे हाथ मे थमा दिया.
अब साबी को इस से क्या परहेज होता.
साबी ने महसूस किया की कालिया का लंड ज्यादा मोटा है, चाह कर भी उसे अपनी हथेली मे भर नहीं पा रही थी.
लेकिन वो लड़की ही क्या जो लंड से हार मान जाये.
साबी का मादक जिस्म तड़प रहा था, मचल रहा था दोनों लंड की गर्मी उसके हाथो से होती सीधा चुत टक जा रही थीअब ye खेल सिर्फ पेशाब मा नहीं रह गया था.
साबी कस कस कर दोनों के लंड घिस रही थी, शायद बच्चों मे जिन्न और चिराग की कहानी सुनी हो उसी प्रेरणा से वो दोनों के लंड घिस रही थी.
हाथ कुछ कुछ पसीने और लंड से निकली कुछ लिसलिसी चीज से गीले हो चले थे.
"आआहहहह.... बस बस.... उफ्फ्फ.... मैडम रुको हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...." कोमल मादक उत्तेजित हाथो की रगड़ दोनों ना झेल सके.
लेकिन साबी जैसे कही खोई हुई ही, उसके हाथ अभी भी उनके लंड को घिस रहे थे.
आअह्ह्ह.... मैडम.... " दोनों ने अपने अपने लंड को झटके से आज़ाद करा लिया.
हुम्म्मफ़्फ़्फ़.... ह्म्म्मफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...... मैडम क्या कर रही है आप, नोच लोगी क्या " दोनों के चेहरे लाल थे.
साबी इस झटके से जैसे होश मे आई हो, वो क्या कर रही थी, वो इतनी उठावली कैसे हो गई थी.
"सससस..... सोरी.... सॉरी मैंने सुना नहीं " साबी का मन ग्लानि से भर गया, लेकिन जिस्म अभी भी हवस की आग मे था आंखे लाल हो गई थी, वो रुकना नहीं चाहती थी.
"अब शायद पेशाब आ जाये " दोनों कार का रेडिएटर खोल अपने अपने लंड को उसके मुहाने पर टिका दिया.
"टप... टप.... टप...." लेकिन ये क्या मात्र 2 बून्द ही गिरी.
"उफ्फ्फ.... मैडम जी पेशाब तो अभी भी नहीं आ रहा?"
कालिया ने फिर से मुँह बना लिया.
"त्तत..... तो... अब.... तुमने जो कहाँ मैंने कर तो दिया " साबी ने भी बड़ी मासूमियत से कहा.
"क्या कर दिया? आप हमारे लंड को नोंचने मे लगी थी,"
"वी... वो..... वो.... सॉरी... जल्दबाज़ी मे हो गया " साबी ने साफ झूठ बोल दिया, ये काम जल्दबाज़ी मे नहीं बल्कि हवस मे हुआ था उसका जिस्म ऐसे भयानक खूबसूरत काले लंड देख बेमानी पर उतर आया था.
"इसे प्यार से सहलाते है मैडम, कभी अपने पति का नहीं हिलाया क्या "
दोनों अब खुल के उसके निजी पलों के बारे मे बात कर रहे थे, धीरे धीरे साबी और फसती जा रही थी.
अब साबी क्या कहती, उसे कभी जरुरत ही नहीं पड़ी, कभी हाथ मे लिया भी तो अहसास ही नहीं की हाथ मे कुछ है "न्नन्न... ननन.... नहीं "
साबी धीरे से बोल गई.
"क्या मैडम शादीसुदा हो फिर भी " ये बात एक टोंट मे कही है जैसे कालिया ने उसे धिक्कारा हो.
"कोई बात नहीं हम है ना, आप चाहे तो इसे मुँह मे ले के सहला दीजिये, शायद तब पेशाब आ जायेगा " हरिया ने बेबाक प्रस्ताव रख दिया.
Ab tak ki mere sabse Khubsurat kahani hai ye
 
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Shetan

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अपडेट -3


"वो... वो.... कक्क.... क्या?" साबी तो लूटी पीटी खड़ी थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

"पानी नहीं है पेशाब करना पड़ेगा " हरिया ने जरा ऊँची आवाज़ मे बोला जैसे साबी कम सुनती हो.

"लल्ल.... ललललल...... लेकिन.. लेकिन "
"क्या लेकिन अब कोई रास्ता भी नहीं है, सुनसान सड़क है, अँधेरी रात है कोई चोर लुटेरा या जानवर आ गया तो आपके साथ साथ हम भी गए"
कालिया ने सीधी बात कह दी.

मरती क्या ना करती "ठ... ठ....ठ..... ठीक है " साबी ने हामी भर दी.
"ठीक है तो करो "
"मै.... मै.... मै कैसे कर सकती हूँ?"

"वैसे ही जैसे अभी थोड़ी देर पहले हम लोगो पर मुता था "
साबी की अब घिघी बंध गई थी, हालांकि उसे पेशाब का प्रेशर महसूस हो रहा था.

पहली बार अनजाने मे हुआ लेकिन अभी वो दो अनजान लोगो के सामने कैसे कर सकती थी.

"वो... वो.... वो गलती से हुआ, मैंने देखा नहीं था, अब भला इतनी रात को झाड़ियों मे कौन क्या करता है?"
साबी ने गलती स्वीकार कर ली थी मन हल्का हो चला था, साबी उन दोनो की बात का जवाब दे रही थी.

"हम तो दारू पीने बैठे थे झाड़ियों मे, लेकिन ये हरामी पानी ही नहीं लाया, अभी पानी के बारे मे सोचते ही की आप ने पेशाब कर दिया हम लोगो पर " कालिया ने फिर बेचारा सा मुँह बना लिया.

"वो... वो... सॉरी मैंने देखा नहीं था " साबी झेम्प गई थी परन्तु सर नीचे किये एक बार मुस्कुरा दी.
बेचारे कालिया का चेहरा ही ऐसा बना हुआ था.

"तुझे मूत आ रहा है क्या कालिया?"
"नहीं यार दिन से एक बून्द पानी नहीं गया पेट मे मूत कहाँ से आएगा " कालिया ने जवाब दिया

दोनों ही पेशाब और मूत शब्द पर जोर दे रहे थे, नजरें साबी पे ही गड़ी हुई थी जैसे वो जज है फैसला उसके हाथ मे है.


"लललल.... लेकिन मै?"
साबी की आंखे बड़ी हो गई
"हमसे क्या शर्माना मैडम हमने तो देख ही लिया है झरना कहाँ से निकलता है.

"वो.. वो... वो.... अनजाने मे हुआ था " साबी सकपका गई एक अजीब सी गर्मी महसूस करने लगी थी इन दोनों की बातो से.

"हमें तो आई नहीं है पेशाब "
दो पल को सन्नाटा छा गया.
इन दोनों को आई नहीं थी, साबी शर्म के मारे कुछ कर नहीं सकती थी.
"एक तरीका है कालिया" हरिया ने कालिया को कुछ इशारा किया.
"क्या?" जवाब साबी ने दिया उसे उम्मीद की किरण नजर आई.
"मैडम वो... वो... हम थोड़ी दारू पी लेते है, पेट मे जाएगी तो पेशाब बन जायेगा "
"ददद.... दारू....?"
साबी चौंक गई, उसका पति वही पी के तो पड़ा था कार मे.
उसने खुद ने हलकी वोडका पी थी उसी का परिणाम था उसको तेज़ पेशाब का प्रेशर.
"हहह..... मममम....." साबी ने हामी भर दी.
साबी की हामी थी की अगले ही पल हरिया ने कुर्ता ऊपर कर देसी दारू की बोत्तल निकाल ली, और झट से प्लास्टिक ग्लास मे आधा भर दिया.
एक तीखी तेज़ दारू की स्मेल ने साबी के नाथूनो को भीगो दिया.
"ईई.... सससस.... ये क्या है?"
"दारू है मैडम देसी संतरा "
"जल्दी पियो अब " साबी अब काफ़ी घुल मिल गई थी उसे बस इस मुसीबत से छूटकारा चाहिए था.
"लेकिन पानी कहाँ है?" कालिया ने मुँह बना दिया
"अभी तुमने ही तो कहाँ दारू पी लोगे तो प्रेशर बन जायेगा "
"ये थोड़ी ना कहाँ था की सुखी पिएंगे मर नहीं जायेंगे ऐसे हम लोग "
" फिर पानी कहाँ से आएगा? " साबी ने मुँह बनाया
"आपकी चुत से थोड़ा पानी मिल जाता तो काम हो जाता " इस बार कालिया ने सीधा हमला कर दिया
"कककक..... ककककया?
"अरे आपकी चुत का पानी... मतलब पेशाब "

"छिईई.... ये क्या बदतमीजी है "साबी का हलक सुख गया, रोंगटे खड़े हो गए.
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पहली बार कोई व्यक्ति उसके कोमल गुप्त अंगों को चुत बोल रहा था, बोल क्या रहा था उसका पानी मांग रहा था.
"अब यही तरीका है मैडम आपके हर बात मे नाटक है, हमें क्या गरज पड़ी है आपकी मदद की, चल कालिया पानी कही और देख लेंगे"
इस बार हरिया बहुत तेज़ बिगड़ा था.

साबी का गुस्स्सा फुर्ररर... हो गया ये समय नहीं था इन सब बातो का.
"ररर..... रुको...."
मूड कर जाते हरिया कालिया रुक गए.
दोनों ने अपने ग्लास आगे बढ़ा दिए.
साबी का मन मचल रहा था, ऐसे गंदे लोग वो पहली बार देख रही थी, कोई किसी का पेशाब कैसे पी सकता है याकककक.... "
"मैडम मज़बूरी मे सब करना पड़ता है " हरिया ने जैसे साबी का दिमाग़ पढ़ लिया हो.

"कार गरम है उसे पानी चाहिए और हमें दारू के लिए, आपका पेशाब शायद इतना ना निकले क्युकी अभी आप मूत के आई हो "
साबी सिर्फ सुने जा रही थी जैसे जैसे सुनती उसके रोंगटे खड़े हो जाते, ऐसा अतरंगी आईडिया उसने पहली बार सुना था.
साबी परेशान थी क्या करे क्या नहीं, मना करती है तो ये दोनों चले जायेंगे, वो क्या करेगी इस सुनसान सड़क पर.
"चलो कुछ नहीं से कुछ सही "
साबी को अब ये सब रोमांचित कर रहा था, उसके जांघो के बीच का हिस्सा कुलबुला रहा था.
ऐसा अनुभव उसने कभी नहीं लिया था.
ना जाने कैसे उसके हाथ आगे को बढ़ गए, कालिया हरिया के हाथो मे थामे ग्लास को जा पकड़ा, एक बार को हाथ जरूर काँपे थे परन्तु ये कहना मुश्किल था की वजह डर है या जिस्म मे उठता रोमांच.

"तुम दोनों उधर देखो " साबी ने ग्लास हाथ मे पकडे बोला.

"अब हमसे क्या छुपाना मैडम हम आपकी चुत देख ही चुके है हेहेहेहे..."दोनों एक साथ गन्दी हसीं हस दिए.

चुत देख लेने के अहसास से ही साबी का प्रेशर तेज़ हो गया, शादी के बाद ये पहली बार था जिनसे वो ऐसी बात सुन रही थी.
"ललललल... लेकिन "
"लेकिन क्या मैडम जी वैसे भी अंधेरा है कुछ नहीं दिखेगा "
कालिया ने बात काट दी.
साबी ने ग्लास कार की हेडलाइट के ऊपर रख दिए, और एक हाथ नीचे कर गाउन ऊपर करने लगी.

दिल धाड़ धाड़ कार बज रहा था जैसे सीना फट ही जायेगा, साबी ने गजब की हिम्मत दिखाई थी.
गाउन जांघो तक ऊपर चढ़ आया था, दो सुडोल मोटी चिकनी जाँघे रौशनी मे चमक उठी.
सामने कालिया हरिया दिदे फाड़े एकटक उस हसीन नज़ारे को देखे जा रहे थे.
साबी का हाथ आगे बढ़ा और ग्लास उठा गाउन के अंदर गायब हो गया.
"सससससससस...... इईईस्स्स्स..... एक सुरमई आवाज़ ने सुनसान माहौल को चिर के रख दिया.
पेशाब की मोटी धर ग्लास मे भरने लगी.
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गरम गरम एक कामुक स्मेल लिया हुआ पेशाब.
साबी के चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे, जहा अभी कसमकास थी वो असीम शांति मे तब्दील होती जा रही थी.
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सामने दोनों के चेहरे लाल थे, सीधा असर उनके पाजामे मे देखा जा सकता था, जहा एक बड़ा सा उभार आ गया था.

साबी ने झट से दूसरा ग्लास भी अंदर डाल लिया.
"ससससससस..... ईईस्स्स.....हुम्म्मफ़्फ़्फ़.... उफ्फफ्फ्फ़...." साबी ने एक राहत की सांस लेते हुए एक आखिरी बून्द भी टपका दी.
जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.
"ये लो....." साबी ने तुरंत हाथ आगे बढ़ा दिए.
दोनों ने तुरंत हाथ बढ़ा कर उन अमृत कलाश की थाम लिया.
वो अमृत कलाश ही तो था, जिसे साबी नामक अप्सरा उन काले दानवो को खुद अपने हाथ से दे रही थी.
"गट.... गट.... गटक.... गाटाक...." अभी साबी कुछ और सोच पाती की दोनों ने एक ही झटके मे साबी के गरम पेशाब से भरे दारू के पेग को एक सांस मे ख़त्म कर दिया.
"आआआहहहहह....."
"उफ्फ्फ्फ़....."
तीनो के मुँह से एक साथ एक आह निकल गई.
साबी तो जैसे आज दुनिया का आठवा अजूबा देख रही थी, उसने ऐसा कभी सपने मे भी नहीं सोचा था हालांकि कभी कभी किसी पब्लिक टॉयलेट मे जाती थी तो वहा की स्मेल उसे आकर्षित जरूर लगती थी परन्तु कोई उसके पेशाब को पी भी सकता है....

"आआआहहहहम..... मैडम क्या स्वाद है आपके पेशाब का, इतना गरम और नशीला उफ्फ्फ्फ़.... हुम्म्मफ़्फ़्फ़...."
एक गरम और अजीब सी गंध आ कर साबी के चेहरे से टकरा गई, इस स्मेल मे पेशाब और दारू का एक अजीब सा मिक्चर था.

ये गंध सीधी साबी के दिमाग़ मे चढ़ गई.
उसके जिस्म मे एक अजीब सी हलचल ने जन्म ले लिया था, उसके जांघो के बीच जैसे कुछ था जो बाहर निकलना चाहता था एक खुजली सी होने लगी थी.
चुपचाप दोनों को देखे जा रही थी.

"अब आएगा ना पेशाब "
दोनों ने ग्लास साइड रख अपने अपने पाजामे के अगले हिस्से को सहला दिया.
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साबी की नजर उनपर ही टिकी थी, उनके हाथो का पीछा किया तो उसकी सांस जहा थी वही अटक गई "यययय.... ये क्या है...."
एक बढ़ा सा लंबा उभार बना हुआ था जिसे दोनों अपने काले हाथो से सहला रहे थे.

साबी का दिल धाड़ धाड़ कर बजने लगा "क्या... कककक... क्या ये वही है "
नहीं.... नहीं ऐसा तो नहीं होता.
अभी साबी किसी नतीजे ओए पहुंचती ही की.
"ससससससरररर...... करता दोनों का गन्दा पजामा नीचे की धूल चाटने लगा.
साबी की नजर पाजामे के साथ नीचे गई, और लगभग ही तुरंत ऊपर उठ गई,
पजामा नीचे है तो ऊपर क्या है....
अब लड़की कोई हो, कितनी शरीफ हो वो ये नजारा तो देखना ही चाहेगी, ये कोतुहल की बात है,
ऊपर से गरमाता जिस्म, मन मे उठती एक हलचल.
जैसे ही साबी की नजर सामने पड़ी, उसकी आंखे फ़ैलती चली गई, मुँह खुलाता चला गया जैसे अभी चीख पड़ेगी शायद चीख भी देती लेकिन सांस वही अटक गई.
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सामने हरिया कालिया के भयानक काले लंड अपनी औकात मे खड़े थे.
साबी की जैसे सांस टंग गई थी. उसने ऐसा कुछ आज से पहले कभी देखा नहीं था.


"मैडम.... मैडम...."
साबी शून्य मे थी, कभी हरिया के लम्बे लंड को देखती तो कभी कालिया के हद से ज्यादा मोटे लंड को.
दोनों के लंड एकदम काले, बालो के घोसले से निकले हुए थे, लंड के नीचे दो बड़े बड़े टट्टे झूल रहे थे.
जैसे कोई आलू हो.
"मैडम.... मैडम.... थोड़ा पीछे हटो हम रेडिएटर मे पेशाब करते है.
Jitna amezing sexual topic. Utni hi amezing skill
 
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andypndy

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Ab tak ki mere sabse Khubsurat kahani hai ye
Thank you... पाठक को कहानी अच्छी लगे यही एक लेखक का खिताब होता है 😀
 
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Premkumar65

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दोस्तों आपके सामने एक छोटी सी कहानी ले कर आया हूँ.
जो की एक रात की घटना पर आधारित है.
कैसे एक छोटी सी पेशाब की घटना, कितना बढ़ा बदलाव ला सकती है.
चलिए एक सफर पर चलते है.

पेशाब

IMG-20231101-110756-028.jpg



"क्या आरिफ क्या जरुरत थी इतना पीने की?"

साबी ने अपने लड़खड़ाते पति आरिफ का हाथ पकड़ते हुए बोला

"अरे जान कुछ नहीं हुआ है ये तो मेरा रोज़ का है "

आरिफ ने अपने हाथ को छुड़ाते हुए दिलासा दिया.

साबी और आरिफ पति पत्नी आज अपने दोस्त की किसी पार्टी मे शामिल थे.

ऊंचे घराने के थे तो लाजमी है पार्टी भी अलीशान थी, शाबाब कबाब सब कुछ शामिल था.

इसी माहौल मे आरिफ ने कुछ ज्यादा ही ड्रिंक कर ली थी, हालांकि उसके कहे अनुसार ये समान्य बात थी

लेकिन साबी कुछ परेशान थी, उसे जल्दी घर पहुंचना था उसके दो बच्चे घर पे उनकी राह देख रहे होंगे.

हालांकि बच्चे बड़े थे, साबी खुद 40 के पड़ाव मे थी लेकिन कोई माई का लाल ये बात कह नहीं सकता था.

आज पार्टी मे भी साबी सभी के आकर्षन का केंद्र बनी हुई थी.
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सिल्क one पीस गाउन मे क्या कहर ढा रही थी ये तो वही जाने जिनके अरमानो पे सांप मंडरा रहे हो.

साबी आज उम्र के 40वे दशक मे थी, लेकिन काया अभी भी कोई 30 साल की युवती की थी.

कसा हुआ बदन, कड़क माध्यम आकर के स्तन जिसकी मादक लकीरें चमकिले गाउन मे साफ देखि जा सकती थी. बाहर को निकली गांड किसी घमंडी पहाड़ की तरह बाहर को निकली शोभा बिखेर रही थी.
आज पार्टी मे सभी मर्दो की नजर इसी खजाने पर थी.

"क्या बात है साबी आज सारे मर्द तुम्हे ही देख रहे है "
कई महिलाओ ने साबी को जैसे तने मारे हो.
औरते खूबसूरत औरतों से जलती ही है.

साबी क्या करती हस के रह जाती.

"ऐसा कुछ नहीं है आप लोग भी ना " हालांकि साबी जानती थी मर्दो की नजर को.

उसका बदन था ही ऐसा, जो देखता जी भर के देखता.

आज पार्टी मे भी ऐसा ही था.

34 के कैसे हुए स्तन अपने पराक्रम पे थे ही ऊपर से क़यामत ये की साबी ने गाउन पहना हुआ था जिसमे उसके नितम्भ साफ झलक पड़ रहे थे.

चलती तो आपस मे रागड खा कर एक कामुक आवाज़ उत्पन कर दे रहे थे.

ना जाने कितने मर्द आज पार्टी मे पानी फैला चुके होंगे.

कितने तो अपनी किस्मत को कोष रहे होंगे " हमें क्यों नहीं मिली ऐसी औरत "

मर्द तो मर्द जलने मे औरते भी कम ना थी.

उनके टोंट साबी भली भांति समझती थी.

कई मर्दो ने आज पार्टी मे इस मौके को भूनना भी चाहा लेकिन कामयाब नहीं हो सके, साबी किसी को भाव देने मे भलाई नहीं समझती थी या फिर उसकी ये पसंद थी ही नहीं.

बिगड़े अमीर शराबी लोग जिन्हे हुश्न की कोई परवाह नहीं.

समय रात 11:30

चलो रवि बहुत समय हो गया बच्चे इंतज़ार कर रहे होंगे, सर्दी का समय है "
साबी लगभग आरिफ को पकडे बाहर लेती चली गई.
करती भी क्या आरिफ दोस्तों के बीच से हट ही नहीं रहा था.
हालांकि साबी ने भी एक दो पैग वोडका के ले लिए थे, बाकि महिलाओ के दबाव मे.
लेकिन नशा कुछ खास नहीं था जबकि वोडका से जिस्म मे कुछ गर्मी थी.

जो की इस सर्दी मे स्लीवलेस पहने साबी के लिए राहत का सबाब था.
दोनों कार तक पहुंच चुके थे.
"आरिफ आप चला लोगे ना कार?" साबी ने अशांका जहिर की.
"अरे बेग़म तुम बैठो, सब चला लूंगा मै "
कुछ ही पलों मे कार हाईवे पर थी.
साबी के चेहरे पे एक अलग ही भाव था ना जाने उसका धयान कहाँ था, उसे बार बार पार्टी के दृश्य ही याद आ रहे थे.

कैसे सब लोग उसे ही घुर रहे थे, कोई बूब्स देखता तो कोई पलट पलट के उसकी हिलती मादक गांड को निहारता
जो की उम्र के साथ और भी मादक और बड़ी हो चली थी.
साबी का जिस्म गरम था, कुछ कुछ वोडका का असर था तो कुछ उन निगाहो का जो उसके जिस्म को भेद रही थी, कपडे फाड़ कर अंदर घुस जाना चाहती थी.

अभी कार कुछ दूर चली थी थी की "उफ्फफ्फ्फ़...... ये रोड " कार के झटको से साबी के नाभि के निचे कुछ हलचल हो रही थी.

जब से पार्टी से निकली थी एक दबाव तो महसूस हो रहा था जो की अब पेशाब का रूप ले चूका था.
हर झटके के साथ लगता जैसे पेशाब की कुछ बुँदे निकल ही जाएगी.
साबी ने आरिफ की तरफ देखा जो की कार चलाने और सामने सड़क पर आंखे जमाए बैठा था.
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थोड़ी दूर जाने पे अहसास हुआ की अब सहन कारना मुश्किल है.
"आरिफ ..... आरिफ ..... आरिफ .... कार रोको ना "
साबी ने जैसे याचना की हो.
"क्या हुआ जान अभी पुणे शहर आने मे 25km का फासला है.
"वो बात नहीं है मुझे टॉयलेट आया है "
"रुको थोड़ी देर सुनसान रास्ता है आगे कही ढाबे पे रोकता हु"
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आरिफ कार चलाने पर ध्यान दे रहा था.
वो होता है ना दारू पीने के बाद आदमी गाड़ी चलाने मे एक्स्ट्रा ध्यान फूँक देता है रवि की भी यही हालत थी.

"तभी तो कह रही हूँ रोड सुनसान है, जल्दी से कर लुंगी, अब रोकना मुश्किल है "
साबी के सब्र का पेमाना छलक रहा था.

"क्या यार तुम भी..... चरररररर......." करती कार रुक गई."
कार का रुकना था साबी तुरंत गेट खोल दौड़ पड़ी, सड़क सुनसान थी.
क्या देखना था क्या समझना था,
तुरंत सड़क किनारे पहुंची, एक झटके मे गाउन ऊपर किया, चड्डी निचे की और बैठ गई वही सड़क किनारे....

ससससससररररर......... ररररर...... सससससस......
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एक तेज़ धार चुत से निकल सड़क किनारे मिट्टी को गीली करती चली गई.
साबी को मानो स्वर्ग मिल गया हो, ऐसी राहत ऐसा सुकून क्या बयान किया जाये इस सुख को.
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साबी की आंखे बंद होती चली गई, जिस्म के रोंगटे खड़े होते चले गए.
जैसे जैसे पेशाब बाहर आता गया वैसे ही जिस्म हल्का होता चला गया,
लेकिन जिस्म की गरमहट अभी भी बारकरार थी, ऊपर से ठंडी हवा के झोंके उसकी चुत से होते गांड की दरार को छेड़ते आगे भाग जा रहे थे.

गजब का सुकून था.
साबी ऐसा कुछ जीवन मे पहली बार कर रही थी.
ये पहला मौका था जब वो ऐसे खुले मे मूत रही थी.
समय समय की बात है.
कभी उसकी चुत से निकले अमृत की गवाह उसकी अलीशान महंगी टॉयलेट सीट थी आज ये गिरती मरती सड़क है.

उसी स्थान पर कुछ समय पहले.

"अबे मादरचोद हरिया साले दारू तो ले आया ये, पानी तेरा बाप लाएगा "
"चुप भोसडीके मुझे लगा पानी तू ला रहा है"
हरिया और कालिया पास ही गांव के हरामी अधेड उम्र के आदमी सड़क किनारे बैठे दारू पर बहस कर रहे थे.
दोनों ही बचपन के यार, एक नम्बर के पियक्कड़, बदनाम, मनचंले आदमी.
उम्र के हिसाब से 50वा दशक चल रहा था, लेकिन आज भी वही जवानी बारकरार थी.
ना कभी शादी की ना कोई जिम्मेदारी
बस दारू और लोंड़ियाबाजी से ही इनकी पहचान थी, गांव की औरते इन दोनों से बच के ही चलती थी.
हालांकि गांव और आस पास के इलाके मे इनका दबदबा भरपूर था, कुछ तो दोनों की एकता और कुछ इनके लंड की ताकत.
जी हाँ.... ये दोनों ही किसी राक्षस से कम नहीं थे दीखते मे काले कलूटे लेकिन बदन ऐसा की कोई चट्टान हो.
जिसको चोदते साथ ही चोदते, और जो औरत चुद जाती वो इनकी दीवानी ही हो जाती.
महिलाओ मे लोकप्रिय थे लेकिन गांव के आदमी इन्हे दुश्मन ही मानते थे.
आज भी साले दारू के लिए लड़ रहे थे.
की तभी....



चाररर....... करती एक सफ़ेद कार सड़क पर आ रुकी.
images-1.jpg

अभी दोनों कुछ समझते ही की...
एक अप्सरा जैसी शहरी औरत जल्दी से कार का गेट खोल भागती हुई सड़क किनारे ही जा बैठी.

ऊपर सड़क उसके जस्ट निचे हरिया कालिया.....
साबी का गाउन ऊपर होता गया, इन दोनों की सांसे हलक मे चढ़ती चली गई.

दोनों के सामने एक शहरी साफ चिकिनी चुत चमक रही थी, अभी दोनों कुछ सोच समझ पाते की ससससरररर....... ररररर..... सससस...... उस अमृत कलश से एक तेज़ धार फुट पड़ी.
4422861.gif

"आआआहहहह..... उफ्फ्फफ्फ्फ़....." साबी के मुँह से एक राहत की सांस निकल पड़ी.
सामने ही झड़ी के पीछे हरिया कालिया को जैसे सांप सूंघ गया था, कभी एक दूसरे को देखते तो कभी सामने के दृश्य को.
साबी इन सब से अनजान आंख बंद किये, राहत की सांसे भर रही थी.
20210802-234103.jpg

साबी को राहत थी लेकिन उन दोनों की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

साबी की चुत से निकले पेशाब की एक एक बून्द सड़क को नहीं उनके जिस्म को गिला कर रही थी.
क्युकी साबी जहा बैठी थी, उसके सामने ही झाड़ी के पार निचे हरिया कालिया दारू पीने बैठे थे.

पेशाब की धार छटक के उन दोनों के जिस्म को भिगो रही थी,
और ये दोनों काम पीपाशु रक्षासो को तो जैसे स्वर्ग का नजारा दिख गया था इसके लिए वो इस अमृत मे भीग जाना चाहते थे.
20210802-222001.jpg


Contd.....
Wonderful start.
 

Colonel_RDX

Snap : your.vust Kik : doctor.Rdx
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तो दोस्तों साबी का ये सफर तो यही खत्म हुआ, आपने पढ़ा कैसे एक औरत के जीवन मे छोटी सी पेशाब की घटना ने उसे जीवन मा असली सुख दे दिया.
सम्भोग क्या होता है वो जाना.

साबी ऐसे ही छोटी छोटी कहानियों के साथ आपके सामने आती रहेगी.

जल्द ही साबी सीरीज की दूसरी कहानी ले कर आऊंगा.

"घर आया मेहमान "

आपका दोस्त andy pndy 👍
बहुत उम्दा रचना है एंडी भाई
 
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Aagasyta (Y. A.)

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



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