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अध्याय 5
मामा को मिली माफ़ी… ..।
रात भर चुदाई करने के बाद दोनों भाई बहन काफी थक गये थे ।
रात भर चुदाई करने के बाद दोनों भाई बहन का भी थक गए थे और अब दोनों अलग-अलग आराम करने लगे ।
सानवी ने भी अपनी मम्मी के कमरे का दरवाजा खोल आराम करने लगी थी ।
और फिर दोनों गहरी नींद में सो गए
अगली सुबह मम्मी की आवाज सुनने के कारण सानवी की आंखें खुल जाती है।
और वह उठने के साथ बाथरूम की ओर जाने लगती है ।
मम्मी उसकी चाल को देखकर उसको ठोक देती है ।
मम्मी: तुम्हें क्या हुआ सानवी……
सानवी : कुछ नहीं मम्मी…..वही प्रॉब्लम
मम्मी : कौन सी …..?
सानवी: मम्मी वही लड़कियों वाली…..
मम्मी की समझ जाती है और वह उसको इशारा करके नहाने के लिए बोल देती है।
सानवी बाथरूम में चली जाती है
रितेश की भी आंखें उनकी बातचीत के कारण खुल गई थी ।
और वह ऊपर जाकर दोबारा सो जाता है
सानवी तेयार होकर बाथरूम से बाहर आ जाती है ।
और रसोई मे जाकर अपनी मम्मी का साथ देने लगती है।
उसकी मम्मी सानवी को देखती है और देखते ही थोड़ी सी सुन होती है ।
वह उसको कुछ बोले बिना ही ऊपर कमरे की ओर चल देती है ।
रितेश बेशुद्ध होकर बनियान और पजामा पहने सो रहा था ।
रितेश की मम्मी उसको देख कुछ कहे बिना नीचे आ जाती है ।
और अपना काम खत्म करने के बाद दुकान पर से चली जाती है ।
रितेश भी उठकर उठ कर नहा - धोकर सानवी से थोड़ा हंसी - मजाक के साथ उसके साथ रोमांटिक बातें करने लगता है ।
सानवी मेरी जान कैसा रहा रात को…….सच कहूं जब तुम मेरा पूरा साथ दे रही थी।
तुम मुझे बहुत ही कामुक लग रही थी।
क्या बताऊं भाई तुम्हारे साथ में तक हो जाएगा सोनी पल सानवी
रितेश : सानवी मैं तुमसे ही बहुत प्यार करता हूं ।
मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूं मैं तुम्हें एक पल के लिए भी दूर नहीं देखना चाहता ।
सानवी हँसी मजाक के साथ अपने भाई का मजाक उड़ाने लगती है ।
सानवी: अगर मुझसे इतना प्यार था तो मुझे इतने दिनों तक इग्नोर क्यों करते रहे ।
रितेश : मैंने कभी नहीं किया …..
सानवी : अच्छा बाबा …. हर बार तुम्हारे सामने मेकअप करके आती और कभी तुमने मेरी तारीफ भी नहीं की….
सानवी : इतने दिनों तक तुमने दिल की बात क्यों नहीं की … .
रितेश : मेरे अंदर डर था कहीं तुम मुझे गलत ना समझ लो…
और मुझे हमेशा के लिए तुमसे दूर ना रहना पड़े
इसलिए मैंने कभी अपने दिल की बाते नहीं बताई ।
रितेश : जब तुम्हें भी मुझसे भी प्यार था...तुम्हारे दिल में भी वहीं था ….जो मेरे दिल में था ….पर तुमने क्यों नहीं बताई. . . ?
सानवी : मुझे शर्म आती थी… ..
रितेश : सानवी सच कहूँ.. ..तुम्हारे बिना मेरा हर पल भारी हैं...…. तेरे लिए ही मैंने अपने आपको इतना मेंटेन करके रखा हुआ है ।
हर रोज तुम्हें दिखाने के लिए तुम्हारे हीरो इब्राहिम खान की तरह बनकर तुम्हारे सामने आता था।
रितेश : मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं सानवी…..
सानवी : अच्छा मेरे इब्राहिम का खान ……
मुझे नहीं मालूम था कि मेरा भाई 3 साल से मेरा दीवाना बना फिर रहा है।
रिशु सच कहूं तो मैं 3 साल से तेरी दीवानी बनी हुई हूँ।
जब तुम इतना सजधज कर मेरे सामने आते थे। मैं अपने नजर तुम पर से हटा ही नहीं पाती थी ।
लेकिन कहीं तुम मेरे बारे में कुछ गलत ना सोच लो ।
इसलिए तुम से हंसी मजाक और छेड़ छाड़ ही करती थी
ताकि मैं तुम्हारे साथ अधिक समय बिता सकूँ।
मुझे भी तुम्हारे बिना एक पल भारी होने लगा था ।
आज मेरी सारी हसरतें पूरी हो गई ।
रितेश : सिर्फ तेरी नहीं हम दोनों की ….
और दोनों हंसने लगते हैं रितेश रात के बारे में जानना चाहता है ।
सानवी : रात को जितना मजा किया …..उसकी सजा मुझे अब मिल रही है …
रितेश : सजा …..कैसी सजा…
सानवी : पूरा शरीर टूट चुका है और मेरी चूत बिल्कुल दुख रही है
ऐसा लग रहा है जैसे अंदर कोई घाँव हो गया है
रितेश : यार सानू…. दुख तो मेरा भी रहा है ।
पर मन अभी भी नहीं मान रहा …
रितेश अपनी आंखें मटकाने लगता है।
सानवी : आज के लिए…… तुम भूल जाओ कि आज ऐसा कुछ होगा..
आज मुझसे कुछ नहीं होने वाला और ना ही मैं कुछ कर पाने की हालत में हूं।
तभी सानवी की मम्मी घर पर आ जाती हैं वह कभी इस प्रकार दुकान से घर नहीं आई थी।
सानवी : मम्मी क्या हुआ……
मम्मी : कुछ नहीं …..बस आज सर दर्द करने लगा ।
सानवी: मम्मी आप दवाई लेकर आराम कर लो।
तुम काम...काम...काम….
तुम भी इतना काम क्यों करती हो….
रितेश : हां मम्मी …..
अब तो आप को आराम करना चाहिए।
और सानवी भी तो हैं… . .
रितेश यहां अपनी बहन को चिढ़ाने लगा ।
वैसे भी
दो बर्तन क्या साफ करती है अपने आप को मालूम नहीं क्या सोचने लगी
दो बर्तन साफ करके सारा दिन टीवी में बढ़ी रहती है
सानवी : तुम क्या करते हो …...।
चलो ठीक है दो ही सही….
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मैं कुछ तो करती हूं …..लेकिन तुम क्या करते हो …..।
रितेश : मैं पढ़ाई पर ध्यान दे रहा हूं ।
सानवी : मुझे मालूम है की तुम कितना ध्यान दे रहे हो …..
मुझे नहीं लगता तुम पास भी हो पाओगे।
रितेश की मम्मी दोनों की बात सुनकर सून हो जाती है
मम्मी : तुम दोनों अब बंद करोगे….यहां मेरे सर में दर्द है और तुम शोर मचाने लगे ।
तभी रितेश बहुत ही अनोखे अंदाज के साथ अपनी मम्मी के पास जाकर उसके गले में हाथ डाल कर और उसको थोड़ा पकड़कर बेडरूम में ले जाता है।
और बेड पर बैठा कर अपनी मम्मी के लिए दवाई लेने चला जाता है ।
वह दवाई और पानी का गिलास लाकर कहता है।
रितेश : मम्मी लो दवाई….
आज से आपको दुकान पर जाने की कोई जरूरत नहीं
बल्कि आप घर पर रहा करोगी ।
आपके अपने बेटा -बेटी होते हुए भी आप इतना काम करती हो ।
अब हमें भी कुछ करने दो….
सानवी अपने भाई की बात सुनकर खुश होने लगती है।
वह समझ जाती है कि भाई मम्मी को मस्का मार रहा है ।
रितेश : आज से तुम नहीं ….बल्कि वह महारानी दुकान को संभालेगी ….
यह सुनकर सानवी चौक जाती है
सानवी: मैं क्यों ….तुम क्यों नहीं ……?
तुम भी तो घर पर सारा दिन सोते रहते हो।
कुंभकरण की तरह….
तुम क्या करते हो सोना…..दौड़ना ….और रात को जिम करना ...बस
सानवी की मम्मी दोनों को चुप कराने लगती हैं और कहती है तुम अपनी - अपनी पढ़ाई पर ध्यान करो ।
मैं दुकान अपने आप ही संभाल लूंगी ।
तुम्हारी उम्र सिर्फ पढ़ाई करने की है
रितेश अपनी मम्मी की बात सुनकर उसके प्रति भावुक हो जाता है
वह अपने मम्मी को बेड पर लिटा कर उसके सर को दबाने लगता है।
और रितेश की मम्मी आंखें बंद कर लेती है।
रितेश की मम्मी के बूब्स सांस लेते समय ऊपर नीचे हो रहे थे ।
धीरे-धीरे रितेश की नजर अपने मम्मी के शरीर को घूरने लगती है।
और वह उन बातों को याद करने लगा ।
जब वह सोते हुए अपनी मम्मी के नितंबों में अपना लंड लगा कर सोया करता था।
उसकी पेंटी को अपने लंड से रगड़ने लगा था
और मामा और मम्मी की चुदाई को याद करके तो उसका लंड खड़ा होने लगा।
तभी उसकी मम्मी करवट बदल लेती है रितेश अपनी मम्मी की उभरी हुई गांड को देख कर वह कामवासना से पर चुका था ।
उसके अंदर आग लगने लगी थी उसके नितम्ब अलग-अलग बहुत ही कामुक लग रहे थे ।
रितेश उनको छूने की सोच रहा था।
कि अचानक रितेश की मम्मी रितेश को आराम करने के लिए बोल देती है।
और रितेश होश मे आता है
रितेश अपनी मम्मी को एक नजर जी भर कर देख लेने के बाद ऊपर कमरे में चला जाता है ।
और वहां पर अपनी मम्मी के कामुक शरीर के बारे में सोच कर सो जाता है
शाम के समय सानवी को सच में ही प्रॉब्लम हो गई थी ।
इस बारे में सानवी अपने भाई को बता देती है रितेश सानवी की बात समझ कर उसे अलग होकर सो जाता है
उधर रितेश की मम्मी को आज ना जाने क्या हो गया था।
वह अपने कमरे में लाइट और गेट बंद करके सिर्फ सोने का नाटक करने लगी थी।
और करीब 2 घंटे बाद उठकर वह पेशाब करने के बहाने बाहर आती है
और फिर रितेश और सानवी को देखती है
रितेश और सानवी दोनों बेसुध होकर अलग-अलग अपनी अपनी चारपाई पर सो रहे थे।
रितेश की मम्मी यह देखकर दोबारा अपने कमरे में जाकर सो जाती है ।
अगले दिन सवेरे फिर सानवी की मम्मी दुकान पर चली जाती है ।
सानवी और रितेश दोनों बातें करने लगते हैं।
कि अब कब मौका मिलेगा …
रितेश : इसको भी अभी आना था क्या…..
कब तक रहेंगे….?
सानवी : चार दिन तक भूल जाओ और मेरी भी हालत कुछ करने लायक नहीं है।
( सानवी खुश थी कि सही हुआ ….वरना उसका भाई उसको नहीं छोड़ता । )
रितेश : एक दिन भी बहुत भारी है… .
ऐसे ही दो दिन निकल गए और रितेश को अब कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो गया था।
अब तीसरी रात रितेश को कंट्रोल करना मुश्किल था ।
रितेश सानवी को छेड़ने लगता है
रितेश : सानू…...यार मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा…
वह उसको कुछ करने के लिए कहने लगता है
सानवी साफ मना कर देती है
लेकिन बार-बार अपने मासूम से चेहरे को लेकर रितेश अपनी बहन से विनती करता है।
सानवी को अपने मासूम भाई पर दया आ जाती है ।
और वह अपने भाई के नजदीक आकर उसकी सीने को सहलाने लगती है ।
और उसके होठों से अपने होंठ चिपका देती है।
रितेश उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी कमर और उसकी नितंबों को सहलाने लगता है
सानवी उसकी होंठों को चूसते हुए अपना हाथ उसके सीने पर से फिराते हुए…
धीरे धीरे नीचे की ओर ले जाकर उसके लंड को सहलाने लगती है।
और फिर उसके पजामे को नीचे सरका कर उसको मुट्ठी में भींच कर थोड़ा आगे पीछे करने लगती है ।
रितेश पागल हो जाता है …….वह उसके होंठों को छोड़कर हां हा हा हां की आवाज निकलने लगता है ।
रितेश की आंखें बंद थी ….वह अपने भाई के होठों पर अपना एक हाथ का अंगूठा ले जाकर उसको मसलने से लगती है
और दूसरे हाथ से अपने भाई का लंड को जोर-जोर से भींचने लगती है ।
फिर सांनवी उसके होठों पर किश..करके
उसके सीने को चूमती हुई नीचे आ जाती है
सानवी रितेश के सीने और पेट को अपने मुलायम हांथो और होंठों से सहलाती हुई चूमती हुई ।
बिल्कुल नीचे आ जाती है
उसके लंड को हल्का सा अपने मुंह में भर लेती है ।
और तभी रितेश चौक जाता है ।
उसको मालूम नहीं था सानवी ऐसा भी कर सकती है ।
और वह अपनी गर्दन को उठाकर सानवी को देखने लगता है ।
उसका मुँह खुला हुआ आँखे बिना पलक झपकाए सानवी को देख रही थी
सानवी ओर पूरी मस्ती में आकर उसके लंड को चूसने लगी।
रितेश का हाथ अपने आप उसके सर पर चला जाता है
और उसके सर को अपने लंड पर दबाने लगता है ।
और फिर अपनी गांड को नीचे से उठाकर लंड उसके मुंह में डाल डालने लगता है ।
सानवी की सांसे रुक जाती है और वह एकदम से उसको बाहर निकाल देती है।
और फिर रितेश की तरफ देखती है रितेश का मुंह खुला हुआ था और भाई थोड़ी तेज सांसे ले रहा था ।
और अपनी बहन को बिना पलक झपकाए देख रहा था ।
सानवी अपनी एक नजर रितेश पर डालकर दोबारा उसके लंड पर जीभ फिराते हुए चूसने लगती है ।
और लंड को अपनी मुट्टी मे भींच कर आगे - पीछे करने लगती है।
और बार बार उसको मुंह में भर कर चूसने लगती है।
रितेश का शरीर अकड़ने लगा और वह उसके सर को पकड़ कर ।
और अपनी गांड को ऊपर उठा कर…. उसके सर को दबाने आने लगा ।
कुछ ही देर बाद रितेश का सारा वीर्य सानवी के मुंह में भर जाता है ।
और वह उसको अपने अंदर ले जाती है यह देख कर रितेश की होठों पर मुस्कान आ गई।
और सानवी भी मुस्कान के साथ अपनी जीभ निकालकर ।
फिर उसके सुपाडे पर जीभ फिराकर साफ कर देती है ।
और फिर वह कामुक अंदाज में ऐसे ही ऊपर चढ़कर अपने भाई के सीने पर सर रख कर कहती है।
उसके सीने को सहलाती हुई
सानवी : रिशु….अब तो हो गया अब तो सो लेने दो ।
रितेश भी उसके चेहरे गाल और सर को सहलाता हुआ फिर उसको चूम लेता है
और मुस्कुरा कर उसको सोने की इजाजत दे देता है ।
फिर दोनों अपनी अपनी चारपाई पर गहरी नींद में सो जाते है।
दो-तीन दिन ऐसे से गुजर गए
सानवी को भी इंतजार था कि कब उसकी प्रॉब्लम खत्म होगी।
और वह रितेश के साथ दुबारा चुदाई का आनंद ले ।
अब एक रात सानवी सोते समय
सानवी : रिशु बस आज - आज ओर सब्र कर लो कल तुम्हारे सारे सब्र का बांध तोड़ दूंगी।
और दोनों बातें करके सो जाते है।
अगले दिन दोनों समय पर उठ जाते हैं
और दोनों ही नहाने के बाद अपने आप को बिल्कुल अच्छी तरह लग रहे थे
रितेश की लूकिंग किसी हीरो से कम नही थी।
सानवी भी हल्के मैकअप के साथ कमाल की लग रही थी ।
सानवी तैयार होकर अपनी मम्मी के साथ काम करने लगती है।
और उसकी मम्मी काम करने के बाद दुकान पर चली जाती है ।
दोनों भाई - बहन सिर्फ अपनी मम्मी के जाने का इंतजार कर रहे थे
और उसके जाते ही सानवी अपने भाई से लिपट जाती है ।
और उसको चूमने लगती है दोनों भाई बहनों में रासलीला शुरू हो जाती है।
और दोनों भाई - बहन अपने - अपने कपड़े उतारने लगते हैं
और साथ ही साथ एक दूसरे के शरीर के साथ खेलने लगते है
एक दूसरे के शरीर को चूमने और काटने लगते हैं ।
फिर रितेश अपनी बहन को चूमने के बाद उसकी चुदाई करने लगता है ।
चुदाई करते करते वह सानवी को उठाकर सोफे पर घोड़ी बना देता है।
और पीछे खड़ा होकर उसके बालों को पकड़कर उसकी चुदाई करने लगता है।
दोनों की कामुक आवाजे पूरे घर में गूंज रही थी ।
चुदाई करवाते हुए एकदम सानवी अपनी गर्दन घुमाकर अपने भाई को देखना चाहती थी।
लेकिन उसकी नजर बाहर खड़ी अपनी मम्मी पर जाती है
जो कि एक पत्थर की मूरत बनें उसकी आंखें थोड़ी जोड़ी और मुंह गुस्से से लाल…
सानवी एकदम आगे होकर अपने ऊपर कुछ कपड़े गेर लेती है
और रितेश भी सानवी की नजरों का पीछा करते हुए बाहर की तरह देखता है ।
रितेश नंगा खड़ा आपनी मम्मी को देखकर सुन जाता है
रितेश की मम्मी एकदम अंदर आकर सानवी के साथ मार पिटाई करने लगती है
गालियां देने लगती है
कि हे भगवान आपने मुझे यह दिन दिखाने से पहले मार क्यों नहीं दिया ।
किस बात की सजा दी तुमने मुझे….
मुझसे क्या गलती हो गई….
जो मुझे यह दिन देखने को मिला. ..
और यह कहते हुए रोते हुए सानवीगाली देने लगती है।
कलमुहि तुझे अपना भाई के मिला था …...अपना मुंह काला करवाने के लिए …
तुम्हें शर्म नहीं आई …..
अपने भाई के साथ अपना मुंह काला करवाते हुए….
तुमने थोड़ा सा भी अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा….
अपनी मम्मी के बारे में नहीं सोचा….
इस समाज के बारे में नहीं सोचा…..
तुम्हारे अंदर ज्यादा आग लगी हुई है…
मैं ठंडा कर देती हूं तुम्हें…….सानवी को पीटने लगती है
रितेश अपनी मम्मी के पैर में पड़ जाता है और उससे हुई गलती के लिए माफी मांगने लगता है
और वह सारा दोष अपने ऊपर लेने लगता है
उसकी मम्मी उसको चुप होने के लिए कहती है
और कहती है तुम्हें मेरी और इस परिवार के बारे में एक बार भी नहीं सोचा ।
रितेश की मम्मी रितेश को बहुत प्यार करती है
इसलिए वह रितेश की कम गलती निकाल कर सानवी को ज्यादा मार और डांट रही थी।
और सुबक सुबक कर रोने लगती है ।
रितेश भी अपनी गलती मानते हुवे मम्मी को समझाने लगा ।
वह तरह-तरह की बातें कर रही थी इस तरह अपने मम्मी को देखकर दोनों भाई बहन भावक हो जाते हैं
और बार-बार विनती करते हैं कि उन्हें क्षमा कर दो ।
दुबारा ऐसा कभी नहीं करेंगे उन्हें माफ कर दो
लेकिन
रितेश की मम्मी कुछ नहीं बोलती
फिर रितेश अपना दाव खेलता है और वह मर जाने या हमेशा घर को हमेशा के लिए छोड़ देने के लिए बोलता है ।
और अपने आप को मारने की एक्टिंग करने लगता है।
तब जाकर सानवी की मम्मी शांत हुई और उनके पास आने लगती है समझाने लगती है
की समाज के कुछ कायदे कानून है अगर तुम उनसे बाहर चलोगे तो कोई भी तुम्हें इज्जत नहीं देगा।
और तुम्हें घुट घुट कर रहना पड़ेगा और इस घुटन भरी जिंदगी से तुम्हें मौत अच्छी लगने लगेगी ।
इसलिए तुम समाज के उन कानून - कायदों को समझो ।
और उनके अंदर रहकर अपने जीवन मे ज्यादा खुश रहोगे
नहीं तो तुम जो कह रहे हो वही करने पर मजबूर हो जाओगे।
रितेश और सानवी दोनों अपनी मम्मी के पैरों में पड़कर कभी भी दुबारा ऐसी शिकायत का मौका ना देने को बोलते है
उन दोनों की मासुमियत को देख सानवी की मम्मी भी उनको माफ कर देती है
लेकिन फिर मन में कहीं ना कहीं चिंता बैठ गई थी ।
और उसका मन एक ओर चिंता से ….तो दूसरी तरफ सानवी के प्रति घिर्ना से भर गया था।
वह सानवी से नफरत करने लगी थी और सानवी को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगी थी।
अब तीनों घर में अलग अलग से रहने लगे थे।
तीनों ही एक दूसरे के साथ कम बातें करते थे।
सानवी दुकान को संभालने लगी थी वही रितेश अपने पढ़ाई पर ध्यान देने लगा ।
और अक्सर ऊपर कमरे में अकेला रहने लगा था।
अब तीनों एक परिवार के होकर भी एक दूसरे को अपना नहीं समझ रहे थे।
सानवी की मम्मी सब थोड़ा - थोड़ा नॉर्मल होने लगी।
वह अपने बच्चों को इस प्रकार उदास और अलग-अलग गुमसुम देखकर अपने बारे में सोचने लगी।
कि तुमने भी तो यही गलती की है तुम भी अपने सगे भाई से प्यार करती हो
जैसे मां - बाप वैसे बच्चे तो होंगे ही….।
इनमें उनका क्या दोष ….
और फिर यह सब सोचकर सानवी की मम्मी शाम के समय जब तीनों खाना खाते है
उनको समझाने लगती है उनको खून का रिश्ता याद दिलाती है ।
उनको बताती है कि उनका रिश्ता समाज में क्या है।
और तुम जो रिश्ता बनाने जा रहे हो वह समाज के लिए क्या होगा ।
तुम दोनों ही नहीं……. मैं और तुम्हारे मामा भी किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.।
तभी रितेश अपना दांव खेलता है और वह बड़े प्यार से और बहुत ही कामुक अंदाज के साथ अपने मम्मी को अपने प्यार के बारे में बताने लगता है ।
रितेश : मम्मी मैं सानवी से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं।
मुझे इसके बगैर एक पल भी रहना मंजूर नहीं
सच इस के बैगेर मैं मरना बेहतर समझता हूं
मम्मी : बेटा इतना समझाने पर भी तुम समझ क्यों नहीं रहे।
तुम्हें नहीं मालूम यह दुनिया कितनी गंदी है
रितेश : मम्मी मुझे दुनिया की नहीं सिर्फ आपकी परवाह है ।
इसलिए मैं जिंदा हूं ….वरना अब तक ना जाने क्या हो जाता … .?
मुझे भी मालूम नहीं ….?
सानवी भी चुपचाप मुंह लटकाए बैठी थी ।
रितेश की मम्मी उनको समझाते हुए पूछ लेती है ।
मम्मी : तुम इस रिश्ते में बंदे कैसे…?
और सानवी को फिर से गाली देती हुई कहती है
मम्मी: इस कलमूही के कारण ही….
इसने ही तुम पर डोरे डाले होंगे….
नहीं ….तुम ऐसे नहीं थे … . . ।
तुम तो बहुत शर्मीले और हर लड़की से दूर…..
इसने ही पहल की होगी …..
और सानवी को गालियां देते हुए कहते हैं
तुम्हारे कारण ही आज यह सब देखने को मिला रहा है ।
रितेश फिर अपना दांव खेलता है
रितेश : मम्मी सानवी की कोई गलती नहीं है ।
हम दोनों तो आप और मामा के संबंधों को देखकर बहक गए थे ।
सुजाता एकदम चौक जाती है
सानवी हिम्मत करके बोल ही पड़ती है
मम्मी हमें सब मालूम है कि आप और मामा का संबंध कैसा है
और आप हमें हर रोज नींद की गोली देकर क्या करते थे ।
सुजाता के पैरों तले जमीन निकल गई थी अब बारी उसकी थी और बाजी रितेश और सानवी के हाथ में थी।
दोनों भाई - बहन अपनी मम्मी के बहुत पास जाते हैं।
और कहते हैं मम्मी आप दोनों के संबंध को देख हम भी भूल गए कि हम भी भाई बहन हैं
और आगे बढ़ गए और एक दूसरे से प्यार करने लगे ।
यह सुन सुजाता यहां पर कुछ कहने के लायक नहीं थी ।
वह चुपचाप उन दोनों की बातें सुनने लगी।
रितेश कहने लगा मम्मी हम दोनों अब कभी भी आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे।
रितेश का दूसरा दांव
और मामा के वापस आने के बाद मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा ।
सुजाता उनकी बातों को सुनकर भाऊक जाती है ।
सुजाता :
और वह उनको अपने और सुरेश के संबंधों के बारे में बताते हुए ।
उनको अपने उन दुखों के बारे में बताती है ।
वह कहती है तुम नहीं जानते कि हमने कितने दुःख सहे हैं।
मुझे तुम्हारे प्यार से एतराज नहीं हैं।
मैं नहीं चाहती कि जो दिन हमने देखने पड़े वह तुम भी देखो ।
हम दोनों की किस्मत अच्छी थी जो हमें तुम्हारे पापा मिले।
और उन्होंने हमारे रिश्ते को मंजूर कर लिया था ।
रितेश : क्या पापा को सब पता था…..?
सुजाता : हां….।
और फिर उन दोनों को समझा कर रोने लगती है
तुम्हारे मामा भी ना जाने कहां चले गए … . . ?
उनका फोन भी नहीं मिलता ….
रितेश फिर से अपना दांव खेलता है
रितेश : मम्मी कुछ जरूरी काम होगा आ जाएंगे …।
हमारा परिवार उसका परिवार ही तो है वह अपने परिवार को छोड़कर भला कहां जा सकते हैं ।
तुम वैसे ही चिंता कर रही हो ….
बहुत जल्दी ही आ जाएंगे ….
सुजाता : कम से कम उसने बताना तो था
उसका फोन तो आना था ।
हर रोज बात हो जाती थी
लेकिन अब तो उसका फोन भी बंद आ रहा है
रितेश : मैं ट्राई करता हूं ।
शायद उसके फोन में कोई दिक्कत हो और कब है ठीक हो गई हो..
मैं मिलाता हूं फोन ….
और अपने मामा सुरेश के पास फोन लगा देते हैं
सुरेश के पास फोन जाता है ..
घंटी बजती है …
सुजाता और सानवी खुश हो जाते हैं ।
सुरेश ने सुजाता और सानवी का नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था ।
जिससे उन दोनों का फोन लग नहीं रहा था
उसने कभी नहीं सोचा था कि रितेश के फोन से भी फोन आ सकता है ।
सुरेश रितेश का नंबर देखकर चौक जाता है पर सोचने लगता है कि क्या कहेगा … ..?
सुरेश : हेलो …
और इधर से बहुत ही हल्की आवाज में हकलाते हुए रितेश हेलो बोलता है
रितेश : हैलो…..।
मामा...मैं...मैं ..रितेश …..।
सुरेश : हां...क्या बात है …..?
रितेश तुम परेशान लग रहे हो ..
रितेश : हां मामा ...ओ...वॉ...मम्मी ...फोन मम्मी ….
सुरेश: हां ...हां..क्या हुआ तेरी मम्मी को ….? क्या हुआ ….?
तेरी मम्मी को ...।
रितेश : मामा कई दिनों से बीमार है खाना खा नहीं रही ।
सिर्फ तुम्हें ही याद करती है...।
यह कहता हुआ रितेश अपने मम्मी के इशारा कर देता है चुप रहने का और थोड़ा सा सीरियस होने का… ।
रितेश : मामा आप घर पर आ जाओ …..
मुझे नहीं लगता की मम्मी आपके बिना जिंदा भी रह पाएगी या नहीं ….
सुरेश : हा ..हां....पर यहां पर अधिक काम होने के कारण कुछ दिनों बाद आने के लिए बोलता है ।
लेकिन रितेश उससे जिद करता है कि आपको आना होगा ।
और फिर अपनी मम्मी को फोन दे देता है
उसकी मम्मी भी एक्टिंग करते हुए ऐसा ऐसी बात करती है ।
जैसे सच मे मरने वाली हो।
सुजाता : हां हां कहाँ गये तुम्हारे वादे ….तुम्हारे बातें ..
वही तुम्हारी कसमें जो कहते थे कि हम मैं तुम और तुम्हारे परिवार से कभी भी दूर नहीं होगा।
कितने दिन हो गए...तुम्हारा ना फोन …
ना कुछ नाम पता ….कम से कम एक बार फोन करके बता तो देते ..
और इसके बाद में एक्टिंग करते हुए रोने लगती है ।
और रोते हुवे हा ...हा ..हा ..हम कौन हैं तुम्हारे
?
तुम्हें क्या फिक्र है हमारी …..?
ऐसे ही रोते हुए सुजाता अपने भाई को बुलाने लगती है।
और फिर सानवी भी अपनी मम्मी से फोन लेकर अपने मामा से बात करने लगती है।
सानवी : मामा आप तो बहुत ही ज्यादा मतलबी निकले।
आप को दो पैसे का काम क्या मिला हमें बताना भी जरूरी नही समझा…..?
अपनी गुड़िया रानी को बिना बताए ही घर से चले गए ।
मैंने आपके लिए कितना अच्छा खाना बनाया था ।
और उसके बाद एक बार भी फोन नहीं किया ।
अब मैं किसके साथ शैतानियां करूंगी एक आप ही तो थे जिसको मैं सताती थी ।
आप होते हो तो ….. मेरा बचपना भी मेरे पास होता है ।
आपके बिना तो कभी भी अपने बचपन की याद नहीं करती ।
कम से कम आप की गोद में बैठ कर अपना बचपना तो दिखा ही दिया करती थी ।
मुझसे कोई गलती हुई है क्या…?
या मेरी शैतानी के कारण आप इतने परेशान हो गए कि हमें बताना भी जरूरी नहीं समझा ।
और बिना बताए ही चले गए ।
सानवी उससे बहुत ही कामुक अंदाज में बातें कर रही थी।
और उसकी बात सुनकर सुरेश में मस्तीयां चढ़ने लगी ।
सुरेश : मैं कभी अपनी गुड़िया रानी को नही छोड़ सकता हूं
अरे एक तुम ही तो हो जो मेरी गोद में बैठ कर शैतानीयाँ करती है।
तुम्हारी शैतानी ही तो मेरा दिल खुश कर देती हैं
मै तो खुद तेरे साथ शैतानीयां करके तेरे बचपन के साथ मै भी अपने बचपन में जाना चाहता हूँ।
मै तो खुद तेरे साथ शैतानी करने का मौका देखता हूँ।
सानवी : हां हां क्यों नहीं …
फिर अब कब मौका मिलेगा आप की गोद में बैठ कर शैतानियां करने का. …
कल आओगे आप….?
अब आपके बिना बुरा हाल हो गया है
।
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मम्मी का….. ( मजाक में )
फिर ऐसे ही बातें करते हुए रितेश अपने मामा से बातें करने लगता है
और थोड़ा- सा अलग होकर उससे अपनी गलती मानता है।
रितेश : मामा मुझे माफ कर दो …?
सुरेश भी बातों में यहां पर सब भूल चुका था
रितेश : अगर आप कल नहीं आए ।
तो मैं समझूंगा कि आपने मुझे माफ नहीं किया
सुरेश : कल शाम तक पक्का….।
आने का पक्का वादा करता है
और फिर फोन रख देते है
तीनों ही हंसने लगते हैं
सुजाता : मुझे नहीं मालूम था कि मेरे बच्चे इतने समझदार हो चुके हैं …
कि हमारा ही उल्लू काटने पर लगे है ।
रितेश : मम्मी मैं उल्लू नहीं काट रहा ...मैं तो सिर्फ जल्दी से जल्दी मामा को बुलाना चाहता था।
इसलिए ऐसा किया फिर सब तीनों आपस में घुल मिल जाते हैं।
और ऐसे ही बातें करते हुए सो जाते हैं।
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