Jassybabra
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कामुक भाग....अपडेट 18 (भाग 2)
रागिनी अपने अंगों से साबुन के झागों को फुहारे के नीचे खड़े हो निजात पा रही थी। फिर उसने अपने मखमली टॉवल से अपने शोला बदन को पोछा। बदन को सूखने के बाद पूरी बॉडी पर मॉश्चराइजर क्रीम और बॉडी लोशन से खुशबूदार किया।
एक ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी का सेट अपने बदन के खास हिस्सो को कवर करने के लिए पहने और उसके ऊपर ब्लैक कलर की घुटनो तक आती नाइटी पहन ली जो हल्की ट्रांसपेरेंस थी। फिर शीशे के सामने खड़े हो अपने बदन को देखते हुए अपने बालों को ड्रायर से सुखाने लगी।
जब शीशे में अपने जानलेवा रूप जो कुछ ज्यादा ही जलवे बिखेर रहा था को देखा तो मंत्रमुग्ध सी हो गयी पर तभी उसके दिमाग मे बात आयी कि वो इस रूप में राज के सामने कैसे जाएगी। अब यह सोच कर उसे शरम आने लगी।
उसके गाल गुलाबी होने लग गए थे। बड़ी हिम्मत कर बाल सुखाने के बाद वो बाथरूम से निकल कर ड्रेसिंग टेबल के सामने पहुँची। वहाँ उसने मांग भरने के लिए सिंदूर की डिब्बी रख रखी थी उसे ले कर राज के पास पहुच गयी।
राज जो अभी तक बाथरूम के दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठा था वो रागिनी के रूप सौन्दर्य को देख अपने आप को भूल बस एक टक रागिनी को देखे जा रहा था। जब रागिनी को उसने घुटनो तक शार्ट ट्रांसपेरेंट ब्लेक नाइटी में देखा तो उसके शरीर मे करंट सा दौड़ गया। खून की रफ्तार दुगुनी हो गयी। उत्तेजना के कारण लिंग में तनाव उतपन्न हो गया।
रागिनी राज के पास आ सिंदूर की डिब्बी खोल उसकी ओर बढ़ा दी तो राज ने एक चुटकी सिंदूर ले उसकी मांग भर कर उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।
दोनो एक दूसरे के बदन को अपनी अपनी ओर दबा रहे थे जैसे कि एक दूसरे में समा ही जायेंगे। राज ने अपने लबो को रागिनी के गुलाबी लबो से जोड़ दिए। रागिनी का बदन कंपकंपा रहा था।
राज के हाथ उसकी पीठ पर घूमते हुए धीरे धीरे नीचे उसके कूल्हों की ओर बढ़ रहे थे। दोनो भारी कूल्हों को सहला कर उनको मसलने में राज को मज़ा ही आ गया। रागिनी राज के हाँथो को अपने कूल्हों को पा कर राज से कुछ ज्यादा ही जोर से चिपक रही थी, वो उसके होंठो को पागलो की तरह चूस रही थी। जैसे ही राज का हाँथ रागिनी के दोनो कूल्हों की दरार में घुसा तो मज़े में रागिनी ने अपनी जीभ राज के मुह में डाल दी। अब राज किस करते हुए एक हाँथ से अपने कपड़े खोलने लगा। रागिनी ने शर्म के मारे अपने या राज के कपड़े खोलने पहल नही करि। राज के बदन पर सिर्फ अंडरवियर ही रह गयी तो उसने रागिनी के बदन से पहले नाइटी को हटाया। फिर उसकी पीठ पे हाँथो को ले जा कर ब्रा के हुक को खोला और रागिनी को डबलबेड पर लेटा दिया।
आज राज का कुछ और ही मुड़ था सो उसने सबसे पहले नीचे से ही हमले का प्लान बनाया। उसने रागिनी की पेंटी को दोनो हाँथो से पकड़ उसके शरीर से अलग कर दी। फिर उसकी टैंगो को फैला कर उसकी खूबसूरत चमकीली योनि जो उसके पानी से चमक रही थी को निहारा और अपने लबो को सीधे उसके योनि के लबो से जोड़ दिए।
रागिनी- उफ अ अ आह आह सीSSSई क्या कर रहे हो आप। यह जगह आपके मुह लगाने की नही है आह उफ आआआई आप पुरे पागल हो और मुझे भी पागल बना दोगे। यह कैसा मज़ा दे दिया आपने मेरे अंदर आग भड़का दी आआह और जोर से चुसो मुझे मज़ा आ रहा है। आआहा आआह अंदर जिबान डालने से खुजली को सुकून मिल रहा है। आआह
कुछ देर उसकी योनि को चूमने चूसने के बाद राज का अगला हमला उसके श्वेत भारी स्तनों पर हुआ। उसने उसके स्तनों को दोनो हाँथो में पकड़ा और उसे कस कर दबा दिया। आआआआह जोर से रागिनी की चीख ही निकल गयी। राज ने फिर अपनी जिबान से उसके नुकीले निप्पल्स को टच किया। उसके बूब्स को चाटना स्टार्ट किया दूसरे स्तन को हाँथ से सहलाना जारी रखा। कभी इस स्तन से दुग्धपान की कोशिश करता तो कभी दूसरे स्तन से। कुछ देर तक दोनो वक्षो से जी भर के खेलने के बाद राज उसकी गर्दन से होंते हुए होंठो पर पहुच गया।
लंबा स्मूच चालू हो गया। एक दूसरे को अपनी जबान चुसवाने लगे साथ ही राज का एक हाँथ रागिनी के नितम्बो को सहला रहा था तो कभी कभी मसल रहा था। अब रागिनी बहुत ज्यादा गरम और मदहोश हो गयी तो उसने राज से आंखों ही आंखों में आगे बढ़ने की इल्तज़ा की। राज ने उसकी डिमांड को समझा और बिना कोई नखरे करे अपने अंडरवियर को निकाल कर अपने लंबे और मोटे लिंग को आज़ाद कर दिया।
राज लिंग को हाँथ से पकड़ कर रागिनी की योनि पर घर्षण करने लगा। जब लिंग कुछ चिकना हुआ तो उसने योनि को भेदना स्टार्ट कर दिया।
रागिनी को दर्द होने लगा उसने अपने दोनों हाँथो से राज की कमर को थाम लिया। राज ने रागिनी के वक्षो को सहलाना स्टार्ट किया और साथ ही लबो को लबो से चूसना भी। फिर राज ने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा लिंग रागिनी की योनि में उतार दिया। रागिनी दर्द के मारे तड़प उठी पर राज के वजन के नीचे दबी वो कुछ न कर सकी। कुछ देर राज ने शांति बनाए रखी बिना हिलेडुले वो सिर्फ उसके लबो को चूसता रहा। जब रागिनी ने नीचे से कमर हिला कर इशारा किया तब राज ने अपने हाँथो को उसके वक्ष पर रख कमर को ऊपर नीचे करना प्रारंभ किया।
दोनो एक दूसरे के शरीर को सहलाते हुए संभोग क्रिया का आनंद लेने लग गए। कभी राज के हाँथ उसकी चिकनी जांघो पर जाते तो कभी दोनो कूल्हों के मर्दन को चले जाते, कभी दोनो स्तनों का मर्दन करता तो कभी शरीर के दुसरे हिस्सो को सहलाने लगता। दोनो के होंठ तो जैसे चिपक ही गये थे, दोनो में से कोई भी एक दूसरे के होंठो को छोड़ने के लिए तैयार नही था। सांस उखड़ती तो 2 मिनेट के लिए अलग होते एयर फिर वापस होंठो को मिला लेते।
दोनो एक घंटे तक एक दूसरे को आनंद देने में लग गए। प्यार ही प्यार बह रहा था आज इस हवेली की फिज़ाओ में। अलग अलग आसन में संभोग कर जब एक घंटे बाद दोनों तृप्त हुए तब तक रागिनी 5 बार और राज एक बार स्खलित हो चुका था। जब दोनो की सांसे संयमित हुए तो राज और रागिनी दोनो साथ मे बाथरूम में गए, एक दूसरे को फ्रेश किया और बैड पर वापस आ कर दोनो फिर वही क्रिया दोहराने में लग गए। इस रात रागिनी ने जमकर यौनसुख लिया। 2 बार संभोग क्रिया से निव्रत हो कर दोनो एक दूसरे को आलिंगनबद्ध कर सो गए।
शानदार लिखा....अपडेट 19
प्रजेंट टाइम 2022
अगले दिन कॉलेज ओवर होने के बाद राज अपने तीनो दोस्तो के साथ पहाड़ी एरिया में एकांत जगह पर बियर पी रहा था। उसके तीनो दोस्त दिखते लल्लू थे पर थे बड़े काम के। एक तो चारो कम्प्यूटर जीनियस थे। हैकिंग से लगा कर कई नए गेजेट्स बनाने में इन चारों ने खूब कमाल किया था। इन तीनो के प्रोजेक्ट्स की फंडिंग राज ही करता था। कॉलेज के पहले 2 साल तक राज ने इन तीनो की सुबह शाम मार्शल आर्ट्स की खूब प्रेक्टिस करवाई। तीनो को हथियार चलाने की भी बहुत प्रेक्टिस करवाई। अब तो कई बार इन लोगो ने हथियार प्रेक्टिकली यूज़ कर लिया था। लास्ट के 2 साल से तबरेज़ चाचा इन तीनो के गुरु रह कर बहुत कुछ सीखा चुके है। कुल मिला कर तीनो परफेक्ट प्राइवेट जासूस बन चुके थे। राज तो यह ट्रेनिंग बचपन से ले रहा था तो उसका कोई मुकाबला नही था। राज कुलगुरु और उनके दोनो शिष्यों का भी चेला रह चुका था तो उसको दुनिया मे लड़ाई की जो पुरातन टेक्निक्स है वो आती थी। राज योग और ध्यान में भी मास्टरी पा चुका था। उसका शरीर पहलवनो जैसा कठोर हो कर भी बहुत लचीला और फ्लेक्सिबल था। गुरुजी उसे ध्यान और योग के माध्यम से प्रकृति से जुड़ना सीखा रहे थे ताकि ज़रूरत पड़ने पर प्रकृति से ऊर्जा ग्रहण करि जा सके। राज अपने ध्यान और योग के अंतिम पड़ाव पर नही पहुच पाया था। गुरुजी के अनुसार राज ने प्रकृति को महसूस करना तो स्टार्ट कर दिया है पर उनसे ऊर्जा ग्रहण करने के लिए उसे अभी साल भर और प्रयत्न करते रहना है जोकि राज डेली मॉर्निंग में करता है।
तो चारो दोस्त आज पीते हुए गहन चर्चा में लगे हुए थे।
नीलेश- भाई, हम कब तक तेरे छुपे हुए हथियार बने रहेंगे। अब तो हमे भी आमने सामने लड़ने का मौका मिलना चाहिए।
विकास- ओर नही तो क्या, कल एक बार तो ईच्छा हुई कि तेरे को दिया हुआ वचन तोड़ दे और उन नमूनों को जान से मार दे जिन्होंने हमारी बहनों से छेड़खानी करि थी।
अभि- यार उस दिन बॉर में भी हम सिर्फ खड़े रह कर देखते रहे और उस बाबर के भाई फैज़ान को ऐसे ही जाने दिया। यार ये कब तक चलेगा यह बता।
राज- देखो यारो अपने दुश्मन पर कभी भी अपने पत्ते मत खोलो। तुम तीनो मेरे साथ बचपन से हो और कॉलेज के 2 साल मेने तुम्हे ट्रेंड किया फिर बाद के 2 साल तबरेज़ चाचा ने तुम्हे ट्रेंड करवाया उसका कोई तो मकसद होगा कि अभी तुम्हे सामने नही ला रहा। अपना दुश्मन हमे कमज़ोर समझता है तभी तो ओवरकॉन्फिडेंस में बार बार गलती कर जाता है। जिस दिन उसके सामने हमारे सारे पत्ते ओपन हो गए उस दिन से उसकी प्लानिंग और तैयारी अभी से 100 गुना ज्यादा हो जाएगी यानी अपना नुकसान और उनका फायदा ही फायदा। दोस्तो शेर खामोशी से और 2 कदम पीछे खींच कर ही शिकार को दबोचने का प्रयास करता है तो अभी शांति बनाये रखो।
विकास- हा भाई हम तो ऐसे ही जासूस बने फिर रहे है सभी ज्ञान तो तेरे पास ही है ना, जब किसी दिन वो लोग बड़ा नुकसान कर देंगे तब अपने को पछताना न पड़ जाये।
नीलेश- यार राज हम तीनों की स्किल्स के बारे में अभी कोई नही जानता तो क्यो ना अपन पहल कर उनके एक एक मोहरे को हटाना चालू कर दे।
राज- देखो दोस्तो लड़ाई हमेशा बल से नही बुद्धि से जीती जाती है, हा तुम लोग कह सकते हो कि बल और हौंसले से लड़ाई जीती जाती है पर वो तब संभव होता है जब आमने सामने की लड़ाई हो। यहाँ तो शतरंज की बिसात बिछी हुयी है। हमे मालूम ही नही है कि उनके प्यादे कहा कहा छुप कर हम पर नज़र रखे है या हो सकता है कि मेरे अपनो में भी उनके गुप्तचर या मेरे आसपास के लोगो मे उनके स्लीपर सेल हो, सो दोस्तो चुपचाप बियर पियो और चील मारो। इतना ज्यादा दिमाग ना चलाया करो, वो काम मेरा है।
अभि- तूने कभी यह क्यो नही बताया कि तूने हमारे लिए ऐसा क्या सोच रखा है जो हमे कही जॉब के लिए अप्लाई के लिए भी मना कर रखा है। और तो और हमारी गर्लफ्रैंड भी हमारी स्किल और हमारे काम से अनजान है क्योंकि श्री प्रभु राज महाराज ने हमे यह सब बातें राज़ रखने के लिए अपनी दोस्ती की कसम दे रखी है।
राज- सालों आज प्रकृति की गौद में बैठ कर बियर पीने का आनंद लेने के लिए तुम कमीनो को ले कर आया हु कभी तो सकून से बैठ कर बिना बात किये पी लिया करो। एक घंटे से मेरा सर खा गए हो। थोड़ी देर बातचीत बंद करो, आंखे बंद कर बियर पीते हुए इस खामोशी को अपने दिल मे उतरने दो फिर देखो तुम्हे कितना सुकुन मिलेगा।
विकास- भाई ज्यादा होशियार तो बने ही मत। तू बातो को कैसे टालता है वो हम बचपन से देखते आये है। अभि ने जो पूछा उसका जवाब दे भाई क्योकि यह हमारा लास्ट ईयर है, लास्ट कुछ साल तो हम तेरे टालने को हँसी में उड़ा देते थे पर छह महीने बाद जब इंजीनियरिंग कंप्लीट हो जाएगी तब घरवालो को क्या जवाब देंगे। अब भाई सवालों को मत टाल।
राज- भाइयो सबसे पहले तो एक बात समझ लो कोई परफेक्ट जासूस तभी होता है कि उसके एक हाँथ को मालूम नही होता कि दूसरा हाँथ क्या कर रहा है, इससे क्या समझे चमन चूतियों?
नीलेश- लौड़ा समझे। अब सीधे सीधे अभि की बात का जवाब दे दिमाग मत घूमा।
राज- हाहाहा लगता है बियर अपना कमाल दिखाने लग गयी है जो लोंडे भड़क गए है तो सुनो ध्यान से, मुझे अपने व अपने परिवार की सेफ्टी और स्पेशियलि तुम तीनो की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए तुम्हारे हुनर और तुमको अभी तक छुपा रखा है। तुम तीनो की गर्लफ्रैंड कॉलेज में आ कर बनी, निशा से उनकी फ्रेंडशिप कॉलेज में ही हुई सो मुझे कुछ प्रिकॉशन रखने पड़े। यार एक बात बताओ यदि कोई बंदा इंटेलिजेंस में पोस्टेड हो या रॉ का एजेंट हो तो क्या अपने परिवार या दोस्तो को बताता है कि वह क्या और कहा काम करता है, नही बताता क्योकि उनसे इस बात के पहले ही अग्रीमेंट साइन कराया जाता है। बहुत ही कॉन्फिडेंशियल इन्फो हो जाती है कि एजेंट कोनसा कब और कहा क्या काम कर रहा है। तो इसलिए आज तक मेरे तीन काबिल एजेंट का पता किसी को नही होने दे रहा हु।
अब तुम्हारी जॉब वाली समस्या तो मेरे पास तीन ऑफर है मर्ज़ी की लाइन चूज़ कर सकते हो,
1- रॉ या इंटेलिजेंस सर्विसेज जॉइन करना
2- पुलिस सर्विसेज जॉइन करना
3- बिज़नेस जॉइन करना
क्योकि मैं तुम तीनो को नोकरियो के लिए कंपनीज़ की लाइन में खड़ा नही देख सकता। तो आराम से अपनी अपनी लाइन के बारे में सोचो तीनो आपस मे डिस्कस करो और फिर मुझे बता देना। तुम लोग जो भी लाइन में जाना है उसकी तैयारी उसके लिए पैसा उसके लिए पॉवर और सिफारिश सब मैं करूँगा सो टेंशन बिल्कुल मत लेना।
एकदम बेहतरीन और शानदार भाग....अपडेट 20
प्रजेंट टाइम 2022
रीना- (दोनो बहने अपने जिम में जो घर पर ही था में एक्सरसाइज करते हुए) दीदी भाई अपने प्यार को क्यो नही अपना रहे। 2 साल हो गए हम दोनों से उन्होंने दूरी बना रखी है। अब तो उनको यह भी मालूम हो गया कि हम दोनों का प्यार उनके लिए आकर्षण नही रियल और रूहानी है। मैं भाई का साथ बहुत मिस करती हूं, उनकी हमारे लिए केयर, हमारे लिए उनका हद से ज्यादा प्यार, साथ घूमना साथ शॉपिंग पर जाना साथ मे सोना और स्पेशियलि उनका हम दोनों को स्पेशल फील करवाना की हम दोनों उनके लिए बहुत खास है। यह सब मुझे वापस कब मिलेगा।
निशा- छोटी चिंता मत कर वो दिन ज्यादा दूर नही है जब हमें पहले से भी ज्यादा प्यार मिलेगा। भाई एक एथिकल पर्सन है, उनकी सामाजिक बेड़िया बहुत ज्यादा मजबूत है और सबसे बड़ी बात यह है कि वो कुलगुरु के आश्रम से जुड़े हुए है। वहाँ कुछ ज्यादा ही आध्यात्मिक ज्ञान उनके दिमाग मे डाला गया है सो उनको इतना टाइम लग रहा है। पर भाई ने जिस दिन प्यार के बारे में जाना और उसके लिए सोचना चालू किया तबसे उनके दिल एवम दिमाग मे निशा रीना का नाम ही गूंजेगा। मुझे हमारे प्यार पर पूरा भरोसा है। आध्यात्म की राह प्रेम से हो कर ही गुजरती है। भगवान से प्यार हो तो ही भक्ति की लौ जलती है। भक्ति एक प्रकार से प्यार ही तो है।।
रीना- आप भी कैसी बहकी बहकी बाते करती हो। भक्ति और प्यार एक कैसे हो सकता है। भक्ति एक दम पवित्र और पाक होती है और प्यार में शारीरिक मिलन भी एक पार्ट है तो दोनो एक कैसे हुए।
निशा- छोटी एक बात हमेशा ध्यान रखना कि प्यार और भक्ति दोनो मैं समर्पण की भावना होती है, दोनो में त्याग की भावना होती है। आत्मा की गहराइयों तक का जुड़ाव ही किसी को पागलपन की हद तक चाहने को मजबूर कर सकता है। जब किसी को इस हद तक चाहते हो तो उसकी खुशी ही आपके लिए मायने रखती है। इसमें त्याग और समर्पण दोनो ही भावना आ जाती है। एक छोटा सा उदाहरण याद रखना कि मीरा की मोहन के लिए भक्ति ही उसका प्यार या फिर मीरा का प्यार ही उसकी भक्ति बन गया था। जहाँ उसे दुनिया के किसी सुख दुख शरीर माया मोह क्रोध ईष्या से कोई फर्क नही पड़ता था। वो तो प्रेम दीवानी हो गयी थी यानी कृष्ण की भक्ति में खुद को खो बैठी थी। इसलिए मैंने उस दिन तुझे भैया से 6 महीने बाद कि बात पर रोक दिया था।
रीना- आपको क्या मालूम कि मैं भैया को क्या कहने वाली थी, और हो सकता है कि जो मैं बोलने वाली थी उससे भैया हमारे प्यार की गहराई को समझ लेते और हमे अपना लेते। वो तो वहाँ उन नमूनों के आ जाने के कारण मैन बात फिर नही उठायी वरना कार में बैठ कर भी मै भैया को मानने पर मजबूर कर देती।
निशा- मैं तुझको तेरे से ज्यादा जानती हूं मेरी बहन, मुझे मालूम था कि तू भैया को इमोशनली ब्लैकमेल करने वाली थी। उनको जबर्दस्ती अपने प्यार को मनवा कर तू उनको हमेशा के लिए खो देती। और तू यही बोलने वाली थी ना कि 6 महीने में आपने मुझे नही अपनाया तो मैं सुसाइड कर लुंगी। पर छोटी प्यार में जबर्दस्ती नही होती है। प्यार एक अहसास है जो दोनो तरफ सेम हो तो जिंदगी जन्नत से कम नही और यदि यह जबर्दस्ती का सौदा है तो वो प्यार होता ही नही है। मैन दिल मे सोच रखा है कि 6 महीने तक उनके जवाब का इंतजार करूंगी। उन्होंने अपने प्यार को अपना लिया तो दुनियाभर की खुशियां मेरे दामन में होंगी यदि नही अपनाया तो में उन्हें अपने प्यार के दामन से आज़ाद कर दूंगी ताकि वह खुशी खुशी अपनी जिंदगी जी सके। उन्हें 2 साल से हमारे द्वारा दी गयी मानसिक पीड़ा से आज़ादी मिल जाएगी। हा इसका मतलब यह नही है कि मैं उनसे प्यार करना बन्द कर दूंगी। मेरा प्यार तो मेरी आत्मा का ही एक हिस्सा है जो मेरे मरने के बाद भी मेरे साथ ही रहेगा। पर मैं उनकी खुशी के लिए उनसे दूरी बना लुंगी।
रीना- आप साधु महात्माओं जैसे बात मत किया करो। मुझे यह समझ मे नही आता। मैं तो बस इतना जानती हूं कि भैया ने मुझे नही अपनाया तो मैं मर ही जाऊँगी।
इतने मे टीना और नीलू की एंट्री जिम में होती है
नीलू- हेलो बिग सिस्टर्स, हाऊ आर यु बोथ।
निशा- हेलो लिटिल प्रिंसेज, वी बोथ डूइंग वेल।
रीना- वैसे आप दोनों के शुभ कदम आज जिम में कैसे पड़ गए।
टीना- दीदी क्यो ना हम 2 दिन के लिए बुआ सा के घर चले। मुझे बुआ सा और वीर की याद आ रही है। साथ मे नानी सा से भी मिलना हो जाएगा। कितने दिन हो गए है उनसे मिले हुए।
निशा- गुड़िया पागल किसे बना रही है, मुझे मालूम है कि तुझे और नीलू को बुआसा की याद आ रही है या 2 दिन बाद जो संडे है उसकी प्लानिंग कर रही है।
नीलू- प्लानिंग, कैसी प्लानिंग दीदी। मुझे मॉम की याद आ रही थी तो मैंने ही टीना को दो दिन के लिए घर चलने के लिए कहा था। वैसे संडे को कुछ खास है क्या।
रीना- ओ मेरी समझदार छोटी बहना, हम सभी जानते है कि इस संडे को भैया नानी से मिलने वहा जाएंगे फिर बुआसा के साथ शॉपिंग पर जाएंगे। पर मेरी ज्यादा अक्ल वाली गुड़िया, बुआसा ने पहले ही बोल दिया था कि शॉपिंग पर वो और भैया अकेले जाएंगे। वहा अपनी दाल नही गलने वाली सो इतना दिमाग क्यो चला रही है।
टीना- तो क्या हुआ हम शॉपिंग पर उनसे अलग जाएंगे पर वही जाएंगे जहाँ वो लोग जाएंगे। नानीसा से मिलने वो जा रहे है तो हम भी नानीसा से मिलने ही जा रहे है। क्यो नीलू सही कहा ना।
निशा- तुम दोनों को जो अच्छा लगे वो करो पर मुझे कही जाने का फ़ोर्स मत करो। मैं संडे को चाची के साथ हॉस्पिटल जाऊंगी सो आई एम आउट ।
वही दूसरी तरफ एस पी विक्रमसिंह अपने घर मे इधर से उधर चहल कदमी कर रहा था। उसके दिमाग मे बहुत सारी बाते चल रही थी। उसका यहा ट्रांसफर राजा साहब ने ही करवाया था। एक प्रकार से वो यहा विरोधी गुट का बंदा बन कर आया था। उसका साला और नरपतसिंह अच्छे दोस्त थे। एसपी के ससुरजी विरोधी पार्टी के नेता है और राजा साहब के करीबी भी है तो एसपी विक्रम यहा नरपतसिंह के काले धंधों को प्रोटेक्ट करने के लिए ही तो पोस्ट हुआ था। पर विक्रमसिंह पंडित मोहन शर्मा और होम मिनिस्टर भवानीसिंह से सीधी दुश्मनी भी नही करना चाहता था। वो इन दोनों की पॉवर और रुतबा जनता था। वैसे भी आईजी कुंदन उसके सीनियर ऑफिसर थे तो उनको भी नाराज़ नही कर सकता था। उसके बेटे की हरकत के चलते वो बड़ी टेंशन में आ गया था। ऐसा नही था कि विक्रमसिंह नही जानता कि उसका बेटा कैसा है और क्या करता है। विक्रमसिंह हमेशा अपने बेटे को ही सपोर्ट करता था भले ही उसने किसी का रेप ही क्यो न कर दिया हो। उसका सोचना था कि हम ठाकुर है और यह हमारे शौक है तो इसमें कोई बुराई नही होती पर इस बार उसके बेटे ने गलत जगह मुँह मारने की कोशिश करि तो वो रास्ता ढूंढ रहा था कि इस मुसीबत से कैसे बचा जाए। एक घंटे तक इधर से उधर घूमने के बाद उसने सामने बैठे अपने बेटे की और देखा फिर उससे बोला
कमाल का भाग....अपडेट 21
प्रजेंट टाइम 2022
विक्रमसिंह- साले हरामखोर। तुझे ओर कोई लड़की नही मिली इस शहर में जो तू आते ही अपने मौत की सुपारी दे आया है। यह सब मेरी ही गलतियों का नतीजा है जो मुझे अब भुगतने के लिए तैयार होना पड़ेगा। तूने आज तक कितनी लड़कियों का शिकार किया कितनो का रेप किया और मैने तुझे हर बार हम ठाकुर है ठाकुरों के शौक भी बड़े होते है कह कर बढ़ावा दिया जिसके कारण आज तू सीधा यमदूतों से टकराने चला गया।
अभय ( एस पी विक्रम का बेटा)- क्या पापा आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे है। कोन है यह लोग जिससे आप डर रहे है। आप अपनी खुद की पॉवर को अंडरइस्टीमेटेड कर रहे है। अरे आप एक शहर के एसपी है, पूरा पुलिस प्रशासन आपके इशारे पर काम करता है। आपके ऊपर इस शहर के राजा साहब शेर सिंह जी का हाँथ है। और सबसे बड़ी बात मैं ठाकुर राजेश सिंह का नाती हु, मेरे नाना खुद एक बहुत बड़े बाहुबली नेता है जिनके आगे अच्छे अच्छो की पेंट गीली हो जाती है तो फिर आप ऐसे छोटे मोटे लोगों से क्यो डर रहे है।
विक्रमसिंह- अबे गधे किस मुगालते में जी रहा है तू, तेरे नाना बाहुबली नेता राजेशसिंह और तेरे मामा बहादुर सिंह भी आज तक उन लोगो का कुछ बिगाड़ नही पाये है। तेरे ननिहाल के और यहा के राजघराने के मुख्य दुश्मनों से उलझ कर आया है तू। तू बेटा इकलौता बच्चा है मेरा तेरे को खोना नही चाहता इसलिए इतना डरा हुआ हूं मैं। तुझे क्या पता कि आईजी कुंदन, मुकुंद, पृथ्वीसिंह और तबरेज़ कितने खूंखार और जालिम लोग है। इन लोगो से तेरे मामा उलझे थे कभी, राजघराने के लड़कों की संगत के कारण उनमे भी तेरे जैसी ही मूर्खता कूट कूट कर भरी हुई थी। जब तेरे मामा ने कुछ मूर्खतापूर्ण दुस्साहस किया तो इन लोगो ने तेरे नाना के एरिया में घुस कर सॉरी घर मे घुस कर जो तांडव मचाया था वो आज भी मुझे याद आता है तो मेरी रूह कांप जाती है। तेरी माँ और मामी उसी हमले की भेंट चढ़ी थी, साथ मे 40 ट्रेंड फाइटर को उस रात इन चारों ने मिल कर काट दिया था। तभी राजासाहब ने इन लोगो के साथ शान्ति का अग्रीमेंट किया कि कोई किसी पर हमला नही करेगा। कोई एक दूसरे के आड़े नही आएगा। जिस दिन किसी भी पार्टी ने अग्रीमेंट के नियमो को तोड़ा उसको यह शहर और इसके आसपास के शहर को छोड़ कर कही ओर बसना होगा। अब तू उस बुझी मशाल को माचिस की तिल्ली दिखाने की कोशिश कर के आ रहा है। अब मैं क्या करूँ यही सोच सोच के पागल हो रहा हु। तेरे मामा और नाना को बताया तो वो मामले को ज्यादा उलझा देंगे। यहाँ नरपतसिंह जी को बताया तो वह इसे अपने फायदे के लिए यूज़ करके युद्ध का बिगुल फूँक देगा। अब क्या करूँ मैं।
अभय- क्या पापा माँ और मामी को इन लोगो ने मारा था। इतनी बड़ी बात मुझे आज तक क्यो नही बताई गई। यदि आप को इन लोगो से इतना खोंफ है तो फिर आप इस शहर में ट्रांसफर हो कर क्यो आये?
विक्रमसिंह- अरे मूर्ख मैं यहा सिर्फ़ नरपतसिंह के धंधों को सपोर्ट करने आया हु ना कि उसके दुश्मनों के लिए बली का बकरा बनने। रही बात तेरी माँ की तो उसे जानबूझ के किसी ने नही मारा। जब वो लोग मेरी गर्दन काटने वाले थे तब तेरी माँ ने उनके सामने हाँथ जोड़ कर अपना आँचल फैला दिया कि मेरे सुहाग को मत उजाड़ो तो उन लोगो ने मुझे छोड़ दिया पर तेरे मामा को उन्होंने बहुत मारा पर तेरी माँ और मामी के बार बार माफी मांगने पर उन्होंने तेरे मामा को छोड़ दिया और वापस जाने लगे जब वो दरवाजे तक पहुचे तब तक तेरा मामा उठ गया उसने अपने टी टेबल के नीचे से छुपी हुई रिवाल्वर निकली और उनकी माँ बहनों के लिए अपशब्द बोलने लगा। जब वो लोग वापस पलटकर कर उसकी तरफ आने लगे तो तेरे मामा ने गोली चला दी , तेरे मामा का हाँथ तेरी माँ ने दूसरी तरफ कर दिया था जिसके कारण वो गोली सीधी तेरे मामी के सर के आरपार हो गयी वो वही मर गयी। यह देख कर पृथ्वी सिंह गुस्सा हो गया वो लोग औरतो की बहुत ज्यादा इज़्जत करते है तो उसने गुस्से से अपने पॉकेट से रिवाल्वर निकाल कर तेरे मामा पर फायर कर दिया पर यहा भी बहुत बड़ी गलती हो गयी क्योकि जैसे ही पृथ्वीसिंह ने फायर किया उससे पहले ही तेरी माँ तेरे मामा के आगे आ गयी थी जिससे सीधी उसके दिल मे गोली लगी। उसे ले कर मैं और सारे लोग हॉस्पिटल दौड़े पर तेरी माँ को नही बचाया जा सका उस रात कुल 42 मोते हुई थी मात्र तेरे मामा और नरपतसिंह की मूर्खता के कारण। बेटा जो बीत गया सो बीत गया। अग्रीमेंट के बाद से आज तक ऐसा कुछ नही हुआ जिससे वो आग फिर जले तो तू भी कुछ मत करना, मैं तेरे आगे हाँथ जोड़ता हु । अपनी माँ और मामी की कुर्बानियों को जाया मत होने देना।
अभय- ठीक है पापा मैं अब आगे चल कर उनसे नही उलझूँगा पर यदि वह लोग लड़ने आये तो मेरे में भी ठाकुरों का खून है उन्हें छोडूंगा नही।
विक्रमसिंह- बेटा तू जिंदा रहेगा तब लड़ेगा ना। सबसे पहले तो कैसे भी करके तुझे बचाना है। तेरे को उन लोगो से माफी मांगनी पड़ेगी तो मांग लेना पर कही भी अब अकड़ मत दिखाना।
अभय- ठीक है पापा। (और अपने मन मे सोचता है कि अभी आप जो मर्ज़ी मेरे से करवा लो पर मैं इन लोगो को ऐसे ही नही छोड़ सकता। एक तो इन लोगो से मेरी बेज्जती का बदला लेना है दूसरा मेरी माँ और मामी के हत्यारों को उनके वारिसों से मुक्त कर सबक भी सीखाना है। मेरा दोस्त फैज़ान औऱ उसके गुंडे अब मेरे बहुत काम आने वाले है।)
विक्रमसिंह सबसे पहले पृथ्वीसिंह को कॉल लगता है ताकि अपने बेटे को बचा सके। उसने सोच लिया था कि यदि पृथ्वीसिंह को यह मालूम होगा कि यह किसका बेटा है तो उसे वह कुछ नही करेगा और ना ही किसी को करने देगा।
विक्रमसिंह- हेलो, खंबाघनी हुकुम, मैं एसपी विक्रमसिंह बात कर रहा हु।
पृथ्वीसिंह- खंबाघनी, एसपी साहब। कहो कैसे कॉल किया। कुछ परेशानी है क्या?
विक्रमसिंह- हुकुम आपने मुझे वादा किया था कि कभी भी कोई काम हो, कैसी भी समस्या हो एक बार बोल देना तुम्हारा काम हो जाएगा। तो हुकुम इसलिए ही कॉल किया था।
पृथ्वीसिंह- हा एसपी साहब मुझे याद है, मैं अपने द्वारा की गई गलती और गुनाहों को कभी नही भूलता। मेरी जल्दबाजी और गुस्से में करि गयी एक गलत हरकत ने आपका परिवार तबाह कर दिया, आपकी बीवी को मेरे द्वारा गोली लगी यह मेरे दिल मे अभी बोझ की तरह ही है सो आप निश्चिंत हो कर अपनी समस्या बताये की क्या हुआ है।
विक्रमसिंह- हुकम ये तो आपका बड़प्पन है कि युद्ध मे मारे गए एक निरअपराध महिला के लिए आप आज तक गिल्टी महसूस करते हो जिसमें भी आपकी कोई गलती नही थी। हुकम, मेने बड़ी मुश्किल से बिन माँ के बच्चे को पाला है जिससे वो थोड़ा भटक गया है। उसे सही गलत की पहचान नही रही। इसी कारण से वो गलती कर आया है, यदि आपके द्वारा माफी मिल जाती तो फिर मैं आईजी साहब से बात करता। पृथ्वीसिंह- बस बस एसपी साहब। आगे आपको कुछ बोलने की ज़रूरत नही है। आपके बेटे ने हमारी घर की बेटियों के साथ बदत्तमीजी करि है तो उसे उसी दिन मार दिया जाता पर मुझे मालूम है कि यह वही बच्चा है जिसकी माँ का साया मेरे द्वारा छीना गया था तो हमने कोई एक्शन नही लिया। कल जब यह घटना हुई तभी हमे मालूम हो गया था। कुंदन और मेरी बात हो गयी थी तभी आपका बेटा अभी तक बचा है। वैसे कल जो इंस्पेक्टर वहा मामले को सम्हालने गए थे वो कुंदन ने ही भेजा था। इंस्पेक्टर प्रहलाद आपके बेटे को बचाने ही वहाँ गया था। नही तो हमे या आपको मालूम पड़ने से पहले ही बहुत बुरा हो चुका होता। सो आप टेंशन मत लीजिए आपके बेटे को कुछ नही होगा और आपको कही ओर कॉल करने की ज़रूरत भी नही है। हा बस अपने बेटे को इतना ज़रूर समझा देवे की माफी बार बार नही मिलती। जय माता दी
विक्रमसिंह- जय माता दी हुकुम।
(आगे कुछ बोलते या जवाब देते उससे पहले दूसरी तरफ से कॉल कट हो गया था।)
विक्रमसिंह बहुत ज्यादा खुश था कि उसके बेटे को उन लोगो ने माफ कर दिया और उसे कुछ करना भी नही पड़ा। एक बोझ सा था दिल पे वो उतर गया था। अपने बेटे की जान से ज्यादा और क्या बी कीमती कुछ होगा किसी के लिए। जब माफी मिल गयी तो विक्रम रिलेक्स हो कर सोफे पर गिर गया। कुछ देर आंखे बंद किये बैठा रहा।
विक्रमसिंह- बेटा तू खुशनसीब है कि तेरे माँ का बलिदान आज तेरी जान बचा गया। नही तो मैं सोच सोच के पागल हो रहा था कि तुझे इन लोगो से कैसे बचाऊ। अब मैं तेरे आगे हाँथ जोड़ता हु की जो मर्जी आये कर पर इन लोगो से कभी भी उलझने की कोशिश मत करना। यदि फिर भी जवानी ज्यादा जोश मार रही है तो तू तेरे मामा के घर चला जा। पर यहाँ से दूर हो जा। पृथ्वीसिंह ने साफ साफ बोला है कि माफी बार बार नही मिलती इसका साफ मतलब है कि तूने फिर कोई गलती करि तो मैं तुझे देख नही पाऊंगा। सो तू यहाँ से दूर चला जा। अभय- अब कोई गलती नही होगी पापा। अभी तो इस शहर में आया हु और आप अभी मुझे भगा रहे है। कुछ टाइम मुझे यहा गुजारने दो फिर मामा के पास भी चला जाऊंगा।
दोस्तो बहुत सारे नए पात्र आये है और नए जुड़ते भी जाएंगे सो मैं अगला पूरा अपडेट नए पात्र का इंट्रो से भरने वाला हु। पात्र के इंट्रो के साथ कहानी की झलकियां भी पढ़ने को मिलेंगी ।
क्या उम्दा और जोरदार भागा....अपडेट 22
कहानी की झलकियों के साथ बकाया पात्र परिचय:-
राज के दोस्त -
1- विकास- नॉर्मल फैमिली बेकग्राउंड, राज के साथ बचपन से स्कूल में रहा है। उम्र 21 साल, कंप्यूटर से BE फाइनल ईयर का स्टूडेंट है। राज और तबरेज़ चाचा के साथ 4 साल की कमांडो ट्रेनिंग कंप्लीट कर चुका है।
2- नीलेश- यह अपर मिडिल क्लास फेमेली का बच्चा है। इसके पेरेंट्स दोनो डॉक्टर है। हाल फिलहाल डॉ सुमन के हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे है। राज के साथ बचपन से स्कूल में रहा है। उम्र 21 साल, कंप्यूटर से BE फाइनल ईयर का स्टूडेंट है। राज और तबरेज़ चाचा के साथ 4 साल की कमांडो ट्रेनिंग कंप्लीट कर चुका है।
3- अभिषेक- यह पुअर फेमेली से बिलोंग करता है। इसके पेरेंट्स दोनो प्राइवेट जगह पर छोटी मोटी जॉब करते है। बड़ी मुश्किल से इनका घर चलता है। इसकी स्कूल टाइम से फीस राज की फैमिली ही बेयर करती है। राज की दादी ने राज के लिए यह फैसला किया था जो अभी तक फॉलो किया जाता है। यह भी राज के साथ बचपन से स्कूल में रहा है। उम्र 21 साल, कंप्यूटर से BE फाइनल ईयर का स्टूडेंट है। राज और तबरेज़ चाचा के साथ 4 साल की कमांडो ट्रेनिंग कंप्लीट कर चुका है।
निशा के फ्रेंड:
1- योगिता
2- कीर्ति
3- जीना
तीनो की उम्र 20 से 21 साल के मध्य है और यह तीनों MBBS के फाइनल ईयर की स्टूडेंट है।
रीना के फ्रेंड:
1- नूरी (तबरेज़ चाचा की बेटी) उम्र 19 साल, आर्ट्स फाइनल की स्टूडेंट।
2- रॉकी- 20 साल का लड़का, जो गरीब घर से बिलोंग करता है। इसका खर्चा या फीस भी राज के घर से ही जाती है। रीना के लिए यह उसके बड़े पापा का फेवर था। यह अभी तबरेज़ चाचा का शागिर्द बन ट्रेनिंग ले रहा है।
तबतेज़ मोहम्मद- उम्र 43 । यह मुकुंद के बचपन का यार है उसके लिए कई बार मरने मारने को तैयार रह चुका है। हर काम दोनो साथ ही किया करते थे। अभी यह दुनिया को दिखाने के लिए सिक्योरिटी एजेंसी चलाता है। इसने भी कई लोगो की फ़ौज खड़ी कर रखी है। अच्छा नेटवर्क है इनका। इनका एक बेटा है रेहान जो बाहर से पढ़ाई कर रहा है। बेटी नूरी रीना के साथ होती है।
गज़ाला- उम्र 42, यह तबरेज़ मोहम्मद की बेगम है। राज को बहुत पसंद करती है। इनके दो बच्चे है। एक है रेहान जो कि UK से MBA कर रहा है दूसरी नूरी है। यह पेशे से डॉक्टर है। डॉ सुमन की बेस्ट फ्रेंड है दोनो ने कॉलेज एक साथ किया था। दोनो ने अपनी सहेली के वुड बी के बेस्ट फ्रेंड से इश्क़ लड़ाया और शादी भी करि। मतलब सुमन ने मुकुंद से और तबरेज़ ने गज़ाला से इश्क़ कर शादी और निकाह किया। गज़ाला डेली हॉस्पिटल नही जाती सिर्फ इमरजेंसी कॉल पर ही सुमन के हॉस्पिटल में अपनी सेवा देती है।
अब अपन दुश्मन फैमिली का परिचय भी प्राप्त कर लेते है तो सबसे पहला परिचय है पूर्व राजा स्वर्गीय भानुप्रताप सिंह का है। इनके शासन में पंडित रमेश शर्मा इनके सलाहकार और राजवैद्य थे जो कि मोहन जी के पिताजी थे। राजा भानुप्रताप बहुत ही सुलझे हुए और समझदार व्यक्ति हुआ करते थे। जब देश आजाद हुआ तो राजशाही सत्ताओं का भी अंत हुआ। जितने राजे राजवाड़े थे उन्हें भारत मे मिलाया गया। तो राजा भानुप्रताप ने अक्लमंदी का परिचय देते हुए अपना एक पैर राजनीति में भी डाल दिया अपने भाई के रूप में। जिससे उनका पॉवर हमेशा बना रहा। उनके भाई ने राजनीति में अच्छी पकड़ बनाई। उसके बाद उनके बेटे भवानी सिंह ने भी अपने पिता के जैसे नेता गिरी को ही चुना। तो ऐसे यह से 2 शाखा चली की राजा भानुप्रताप और उनकी 2 संताने राजघराना और जमीन बिज़नेस आदि पर ध्यान देने लगे और राजा साहब के भाई तथा उनकी संताने पॉलिटिक्स और बिज़नेस को देखने लगी। इनकी दूसरी पीढ़ी में ही राजनीति को लेकर परिवार के सदस्यों में ठन गयी जो धीरे धीरे ईष्या व द्वेष कब दुश्मनी में बदल गया मालूम ही नही पड़ा। तो चले पात्र परिचय की ओर:
शेर सिंह- ये पूर्व महाराज भानुप्रताप सिंह के पुत्र है। अब वर्तमान में यहा के राजा यही है। लोग इन्हें राजा साहब कर ही बुलाते है। उम्र 70 साल है। इनका अपने चाचा से कोई लड़ाई झगड़ा नही था। दुश्मनी की रेखा इनके छोटे भाई औऱ चचेरे भाई के बीच से चालू हो कर आज बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है कि इनके बच्चों के बच्चों में भी दुश्मनी हो गयी है। राजा साहब के प्रयासों से ही अभी लड़ाई शांत हो रखी है। राजा साहब ने ही अपने भाई उनके दोस्त तथा अपने चचेरे भाई भवानीसिंह और उनके दोस्त मोहन के बीच शान्ति का अग्रीमेंट करवाया था। राजा साहब वैसे तो निष्पक्ष रहे है पर थोड़ा झुकाव अपने खून के प्रति यानी अपने छोटे भाई के प्रति ज्यादा रहा है जिससे स्थितियां इतनी बिगड़ी। पर यह कभी किसी लड़ाई और साजिश का हिस्सा नही रहे।
महारानी उर्मिला सिंह- उम्र 65 वर्ष, यह सभी से स्नेह रखने वाली महिला है। इनकी स्वर्गीय शांति देवी जो मोहन जी की वाइफ थी से और अनुराधा जी जो को भवानीसिंह की वाइफ है से बहुत पटती थी। आज भी जब अनुराधा से मिलना होता है तो उसे घंटो तक छोड़ती नही है। इनकी 2 संताने है जो कि दोनों ही लड़के है। एक इनपर गया है तो दूसरे पर अपने चाचा का साया पड़ा था।
गुमानसिंह- यह हालिया राजा साहब के छोटे भाई व पूर्व महाराज के छोटे सुपुत्र है। इनके कारण ही परिवार में दुश्मनी है। इनकी दोस्ती कुछ अराजक तत्वो के साथ शुरू से रही थी जिसके कारण यह हमेशा वोरोधी स्वभाव के ही रहे है। यह बहुत काइया टाइप व्यक्ति है जो चालाकी के साथ दुष्टता भी रखता था। इसकी घटिया चालबाजियों से इनका परिवार बिखर गया। यह ताउम्र दुश्मनी रखने वाला व्यक्ति है। इनकी उम्र 67 वर्ष है। यह बचपन से ही अपने चचेरे भाई भवानी और उसके मित्र मोहन से जलता था। इनदोनो से दुश्मनी के भाव के चलते ही जब भवानीसिंह अपने पिता की सीट से विधायक के लिए खड़ा होने लगा तो गुमानसिंह ने इसका विरोध किया और बोला कि मैं इस सीट से लड़ूंगा। पर उस समय राजा भानुप्रताप जीवित थे जो अपना बुढापा पलंग पर काट रहे थे उन्होंने फैसला दिया कि राजनीति का फील्ड उन्होंने ही अपने भाई को दिया था। तो उसकी जगह उसका बेटा ही लेगा। बस इस फैसले ने गुमानसिंह की दुश्मनी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। वो भवानीसिंह से हारा हुआ महसूस करने लगा। जिससे उसने आगे भूतकाल में कई चाले चली और इनसे लड़ाई लड़ी जो अग्रीमेंट के रूप में खत्म हुई पर षड्यंत्र अभी भी रचे जा रहे है।।
अल्का सिंह- यह बहुत ही साफ और सीधी महिला है इनकी उम्र 62 साल है। यह अपनी जेठानी महारानी उर्मिला सिंह की परछाई है। उर्मिला की राय के बिना यह कुछ नही करती है। इनकी भी अनुराधा और शान्ति से बहुत अच्छी दोस्ती थी। पर अपने आदमी के कुकर्मो के कारण अपनी सहेलियों के सामने जाने से कतराती है। इनकी एक मात्र बेटी है जो इकलौती है। उसका नाम रागिनी सिंह है।
रामसिंह- यह हालिया महाराज राजा साहब (शेर सिंह) के बड़े पुत्र है। इनकी उम्र 48 साल है। इनका होटल्स और रियल स्टेट का बिज़नेस है। इनका चरित्र भी अपने पिता की तरह ही है। यह अपनी माँ की तरह साफ दिल के सच्चे व्यक्ति है। इन्होंने कभी अपने परिवार या बाहर दुश्मनी निभाने की कोशिश नही करी। यह अपने चाचा गुमान सिंह से दूरी बना कर रहते है। इनका भवानीसिंह जी और मोहन जी से ठीक ठाक संबंध है। इतना प्रगाढ़ तो हो नही सकता पारिवारिक दुश्मनी के चलते बट जहाँ भी आमना सामना होता है बहुत सम्मान देते है उन लोगो को जिससे वो भी इन्हें स्नेह देते है।
नंदनी सिंह - यह भी एक राजघराने की राजकुमारी थी जो रामसिंह से शादी के बाद प्रतापगढ़ आ गयी। इनकी उम्र 45 साल है। यह अपने हसबेंड के जैसी ही है। यह अपने हसबेंड के बिज़नेस में हाँथ बटाती है। इनकी तीन संताने है जिसमे 2 लडकिया और एक लड़का है। इनके बच्चे बाहर होस्टल में रह कर ही पढ़े है। हाल में तीनों बच्चे US में है अपने मामा के पास वही रह कर पढ़ाई कर रहे है।
नरपतसिंह- इसकी उम्र 45 साल है। यह हालिया महाराज शेरसिंह के छोटे पुत्र है। यह रामसिंह के छोटे भाई है। यह अपने चाचा गुमानसिंह की सोहबत में ज्यादा रहा है। यह एकदम अय्याश प्रकृति का घटिया एवम क्रूर बंदा है। इसने आज तक शादी नही करि कई रखैल पाल रखी है। यह कहने को तो अपने भाई के साथ बिज़नेस करता है पर इसका मेन काम 2 नम्बर का धंदा है। यह ड्रग्स और हथियार की स्मगलिंग करता है। दूसरे शहरों में अमीरों के लिए इसने कई अय्याशीयो के ठिकाने बना रखे है जिससे इसे खूब रुपया मिलता है। यह अपने दोस्तों चेलो के साथ अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिये आये दिन प्लानिंग करता रहता है। इसका मुख्य दुश्मन भवानीसिंह का परिवार व पंडित परिवार है। यह इसके चाचा के भरमाये ही चलता है सो चाचा के दुश्मन इसके दुश्मन बन चुके है।
रागिनी सिंह- उम्र 41 साल, खूबसूरत महिला जिसने कभी शादी नही करि। यह गुमानसिंह और अल्का की इकलौती बेटी है। यह अपनी माँ और बड़ी माँ उर्मिला के सानिध्य में रही है जिससे यह साफ दिल की महिला है। किसी टाइम पर यह साधना की बेस्ट फ्रेंड हुआ करती थी बट परिवारिक दुश्मनी के कारण अब मुलाकात कम होती है। आज भी दोनो सहेली कभी कभार गुपचुप फोन पर बात कर लेती है। किसी टाइम पर रागिनी को मुकुंद से प्यार था पर ना तो इज़हार कर पाई और ना ही उससे शादी कर पाई। अपने प्यार को अपने से दूर जाने का कारण यह अपने पिता गुमानसिंह और चचेरे बड़े भाई नरपतसिंह को मानती है। नरपतसिंह ने ही इसके इज़हार का लेटर मुकुंद तक ना पहुचने दिया उसने वह लेटर गुमानसिंह को दिया और रागिनी को शहर से दूर भेज दिया गया था। वो जब तक वापस आयी तब तक उसके प्यार की दुनिया उजड़ चुकी थी। मुकुंद और सुमन शादी कर चुके थे। साथ ही उसकी बेस्ट फ्रेंड साधना की शादी अपने ही परिवार में जोकि अब दुश्मन है में हो चुकी थी। रागिनी बहुत ज्यादा टूट गयी थी उसने पूरी लाइफ बिना शादी के गुजारने के डिसीजन लिया। यह अपने कज़िन बड़े भाई नरपतसिंह और अपने बाप गुमानसिंह से बहुत ज्यादा नफरत करती है। यह अब दुबारा राज से प्यार कर बैठी है।
राजेश सिंह- उम्र 65 साल, बाहुबली जमींदार चित्तौड़गढ़ के पास के एक एरिया का। गुमानसिंह का खास मित्र है तथा भवानीसिंह और मोहनजी का बहुत बड़ा क्षत्रु है। इनके बीच कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है पर इन चारों को एक अग्रीमेंट ने बांध दिया जिससे अभी शांति कायम है। यह विपक्षी पार्टी से अपने एरिया से विधायक भी है। इसके 2 बच्चे थे जिसमें बड़ी बेटी एक हादसे का शिकार हो गयी जो इसके दुश्मनों के द्वारा गोली लगने से मारी गयी। दूसरा छोटा बेटा है।
बहादुर सिंह- यह राजेश सिंह का पुत्र है उम्र 42 साल है। यह 2 नम्बर के काम करता है। नरपतसिंह का खास मित्र एवम हमप्याला साथी है। यह भी अय्याश और घटिया आदमी है। अपने बाप की तरह बाहुबली है। अफीम और शराब का काम करता है। दुनिया को दिखाने के लिए बिजनेस के लिए कार के कई शोरूम्स थे इसके पास। इसकी पत्नी और बहन एक हादसे में मर गयी है जिनका कोई रोल नही है कहानी में।
विक्रमसिंह- यह राजेश सिंह का दामाद है वह बहादुर सिंह का जीजा है। यह 50 वर्ष का है। इसकी वाइफ पृथ्वीसिंह के द्वारा गलती से मारी गयी। यह अभी एसपी बन कर प्रतापगढ़ ही पोस्टेड है। यह अपने बेटे अभय के साथ रहता है।
अभय सिंह- यह एसपी विक्रम सिंह का बेटा है। इस पर अपने नाना और मामा का पूरा साया है। यह अपने पिता की ओर और नाना की ओर दोनो जगह का वारिस है। यह बाहर रह कर अपनी स्टडी कर चुका है अभी खाली अय्याशीयो को ही दुनिया बना कर बैठा है। इसकी उम्र 25 साल है। जब यह अपने मामा नाना के पास रहने चला जायेगा तब यह भी दुश्मनी की राह पकड़ेगा।
बाबर - एक लोकल डॉन जो नरपतसिंह और गुमानसिंह के लिये काम करता है। यह 2 नंबर के सारे काम करता है। दुनिया के लिए सारे काम का मालिक यह है पर ओरिजनल में यह नरपत और गुमानसिंह का नोकर है। काम उनके है संभालता यह है।
फैज़ान- यह बाबर का भाई है। यह छोटा मोटा गुंडा है। यह अपने भाई के दम पर हर जगह गुंडागर्दी करता रहता है। इसके साथ हर टाइम अपने भाई के कुछ गुंडे साथ मे रहते है जिस पर यह धौंस जामाता रहता है।
(अब अपन वापस पंडित परिवार के पक्ष के लोगो के परिचय की ओर चलते है)
स्वामी रामानन्द सागर- इनकी उम्र 80 के आसपास है। इनके चेहरे पर बहुत तेज है। यह राजपरिवार और पंडित परिवार के कुलगुरु भी है। इनका एक आश्रम है जो बहुत बड़ा है। जहाँ पर इनके बहुत सारे शिष्य रहते है तथा शिक्षा और दीक्षा प्राप्त करते है। इनका परिचय कहानी में विस्तृत रूप से दिया गया है। इनके मुख्य 2 शिष्य है।
आनंद स्वामी- यह रामानंद सागर जी के प्रमुख शिष्यों में एक है जिसका डिटेल कहानी में वर्णित होगा।
बसन्त स्वामी- यह स्वामी जी का दूसरा प्रमुख शिष्य है। इसका भी कहनी के साथ वर्णन मिलता रहेगा।
अब सबसे प्रमुख एक शख्स का जिक्र कुछ अपडेट पहले किया था उसका नाम बलदेव मामा। यह मध्यप्रदेश के एक राजघराने से ताल्लूक रखने वाला बाहुबली नेता और 1000 असुरों की सेना का मुखिया मान लो। इसका जिक्र कहानी में जब इसका आगमन होगा तभी करूँगा। वैसे यह पृथ्वी और गीता का मामा और राज का नाना है।