• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery प्रीत +दिल अपना प्रीत पराई 2

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,497
87,473
259
#1

मेला ..........

अपने आप में एक संसार को समेटे हुए, तमाम जहाँ के रंग , रंग बिरंगे परिधानों में सजे संवरे लोग . खिलोनो के लिए जिद करते बच्चे, चाट के ठेले पर भीड , खेल तमाशे . मैं हमेशा सोचता था की मैं मेला कब देखूंगा. और मैं क्या मेरी उम्र के तमाम लोग जो मेरे साथ बड़े हो रहे थे कभी न कभी इस बारे में सोचते होंगे जरुर . और सोचे भी क्यों न मेरे गाँव मे कभी मेला लगता ही नहीं था ,

पर आज मेरी मेले जाने की ख्वाहिश पूरी होने वाली थी , कमसेकम मैं तो ऐसा ही सोच रहा था .मैं रतनगढ़ जा रहा था मेला देखने . इस मेले के बारे में बहुत सुना था , और इस बार मैंने सोच लिया था की चाहे कुछ भी हो जाये मैं मेला देख कर जरुर रहूँगा. पर किसे पता था की तक़दीर का ये एक इशारा था मेरे लिए , खैर. साइकिल के तेज पैडल मारते हुए मैंने जंगल को पार कर लिया था जो मेरे गाँव और रतनगढ़ को जोड़ता था ,

धड़कने कुछ बढ़ी सी थी , एक उत्साह था और होता क्यों न. मेला देखने का सपना जैसे पूरा सा ही होने को था . जैसे मेरी आँखे एक नए संसार को देख रही थी . एक औरत सर पर मटके रखे नाच रही थी , कुछ लोग झूले झूल रहे थे कुछ चाट पकोड़ी की दुकानों पर थे तो कुछ औरते सामान खरीद रही थी एक तरफ खूब सारी ऊंट गाड़िया , बैल गाड़िया थी तरह तरफ के लोग रंग बिरंगे कपडे पहने अपने आप में मग्न थे. और मैं हैरान . हवा में शोर था, कभी मैं इधर जाता तो कभी उधर, एक दुकान पर जी भर के जलेबी , बर्फी खायी . थोड़ी नमकीन चखी.

मैं नहीं जानता था की मेरे कदम किस तरफ ले जा रहे थे .अगर घंटियों का वो शोर मेरा ध्यान भंग नहीं कर देता. उस ऊंचे टीले पर कोई मंदिर था मैं भी उस तरफ चल दिया . सीढियों के पास मैंने परसाद लिया और मंदिर की तरफ बढ़ने लगा. सीढियों ने जैसे मेरी सांस फुला दी थी. एक बिशाल मंदिर जिसके बारे में क्या कहूँ, जो देखे बस देखता रह जाये. बरसो पुराने संगमरमर की बनाई ये ईमारत . मैं भी भीड़ में शामिल हो गया . तारा माता का मंदिर था ये. पुजारी ने मेरे हाथो से प्रसाद लिया और मुझे पूजन करने को कहा.

“मुझे यहाँ की रीत नहीं मालूम पुजारी जी ” मैंने इतना कहा

पुजारी ने न जाने किस नजर से देखा मुझे और बोला - किस गाँव के हो बेटे .

मैं- जी यहीं पास का .

पुजारी- मैंने पूछा किस गाँव के हो

मैं- अर्जुन ....... अर्जुनगढ़

पुजारी की आँखों को जैसे जलते देखा मैंने उसने आस पास देखा और प्रसाद की पन्नी मेरे हाथ में रखते हुए बोला- मुर्ख, जिस रस्ते से आया है तुरंत लौट जा , इस से पहले की कुछ अनिष्ट हो जाये जा, भाग जा .

मुझे तिरस्कार सा लगा ये. पर मैं जानता था की मेरी हिमाकत भारी पड़ सकती है तो मंदिर से बाहर की तरफ मुड गया मैं,. मेरी नजर सूरज पर पड़ी जो अस्त होने को मचल रहा था . उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ कितना समय बीत गया मुझे यहाँ ..........................

मैंने क्यों बताया गाँव का नाम , मैं कोई और नाम भी बता सकता था अपने आप से कहाँ मैंने . . अपने आप से बात करते हुए मैंने आधा मेला पार कर लिया था की तभी मेरी नजर शर्बत के ठेले पर पड़ी तो मैं खुद को रोक नहीं पाया .

मैंने ठेले वाले को एक शर्बत के लिए कहा ही था की किसी ने मुझे धक्का दिया और साइड में कर दिया .

“पहले हमारे लिए बना रे ”

मैंने देखा वो पांच लड़के थे , बदतमीज से

“भाई धक्का देने की क्या जरुरत थी ” मैंने कहा

उन लडको ने मुझे घूर के देखा , उनमे से एक बोला - क्या बोला बे.

मैं- यहीं बोला की धक्का क्यों दिया

मेरी बात पूरी होने से पहले ही मेरे कान पर एक थप्पड़ आ पड़ा था और फिर एक और घूंसा

“साले तेरी इतनी औकात हमसे सवाल करेगा, तेरी हिम्मत कैसे हुई आँख मिलाने की, एक मिनट . हमारे गाँव का नहीं है तू. नहीं है तू . पकड़ो रे इसे ” जिसने मुझे मारा था वो चिल्लाया .

मैंने उसे धक्का सा दिया और भागने लगा तभी उनमे से एक लड़के ने मारा मुझे किसी चीज़ से . मैं चीख भी नहीं पाया और भागने लगा . मेरी चाह मुझ पर भारी पड़ने वाली थी . गलिया बकते हुए वो लड़के मेरे पीछे भागने लगे, मेले में लोग हमें ही देखने लगे जैसे. साँस फूलने लगी थी , मेरी साइकिल यहाँ से दूर थी और गाँव उस से भी दूर ........ मैं पूरी ताकत लगा के भाग रहा था की तभी मुझे लगा की कुछ चुभा मुझे , तेज दर्द ने हिला दिया मुझे पर अभी लगने लगा था की जैसे वो मुझे पकड़ लेंगे. मैंने एक मोड़ लिया और तभी किसी हाथ ने मुझे पकड़ कर खींच लिया .मैं संभलता इस से पहले मैंने एक हाथ को अपने मुह पर महसूस किया

स्स्श्हह्ह्ह्हह चुप रहो .

तम्बू के अँधेरे में मैंने देखा वो एक लड़की थी .

“चुप रहो ” वो फुसफुसाई

मैं अपनी उलझी साँस पर काबू पाने की कोशिश करने लगा. बाहर उन लडको के दौड़ने की आवाजे आई ......

कुछ देर बाद उस लड़की ने मेरे मुह से हाथ हटाया और तम्बू के बाहर चली गयी , कुछ देर बाद वो आई और बोली- चले गए वो लोग.

“शुक्रिया ” मैंने कहा.

उसने ऊपर से निचे मुझे देखा और पास रखे मटके से एक गिलास भर के मुझे देते हुए बोली- पियो

बेहद ठंडा पानी जैसे बर्फ घोल रखी हो और शरबत से भी ज्यादा मिठास .

“थोड़ी देर बाद निकलना यहाँ से , अँधेरा सा हो जायेगा तो चले जाना अपनी मंजिल ”

“देर हो जाएगी वैसे ही बहुत देर हुई ” मैंने कहा

लड़की- ये तो पहले सोचना था न.

मैं अनसुना करते हुए चलने को हुआ ही था की मेरे तन में तेज दर्द हुआ “आई ” मैं जैसे सिसक पड़ा

“क्या हुआ ” वो बोली-

मैं- चोट लगी .

मैंने अपनी पीठ पर हाथ लगाया और मेरा हाथ खून से सं गया.

शायद वो लड़की मेरा हाल समझ गयी थी...

“मुझे देखने दो ”उसने कहा पर मैं तम्बू से बहार निकला और जहाँ मैंने साइकिल छुपाई थी उस और चल पड़ा . मेरी आँखों में आंसू थे और बदन में दर्द .......................

आँख जैसे बंद हो जाना चाहती थी .और फिर कुछ याद नहीं रहा


.
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,634
35,005
219
:congrats:

आखिर आ ही गए..............
इंतज़ार खत्म हुआ.... जो बरसों से कर रहे थे हम

एक नयी शुरुआत .............. "प्रीत"
 

Rahul

Kingkong
60,514
70,677
354
:congrats:dadu xf ko ek aur adhuri kahani dene ke liye are itna bhi tharkipana na karo kam se kam kauno story complete kar do yahan bhi..:dost:
 
Last edited:

Ag Mahan

:dazed:
1,416
1,122
159
Congrats for new thread,
Hamesa ki tarah shuruwat touchy hai, wahi ganw wala mahol + mela + Paani, ye tere har story me rahta hai :D waise ek baat ajeeb hai tu adultry prefix me kab se likhne laga?

Bas hamesa ki tarah is baar beech me mat rokna aur koshish karna complete ho jaaye :love:

Agle update ka besabri se intezar rahega
 

Rekha rani

Well-Known Member
2,408
10,205
159
शानदार अपडेट नई कहानी के लिए शुभकामनाये, ये कहानी भी नई ऊँचाई छुये आपकी दूसरी कहानियों की तरह और हमे ये मेगा कहानी मिले पढ़ने को।
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,634
35,005
219
abki bar scene dil apna preet parai se udhaar lekar kahani shuru kar di................

gazab ka likhte ho...............aisa lagta hai..........jaise wahin pahunch gaye.............mele mein :)

keep it up
 
Top