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Adultery प्रीत +दिल अपना प्रीत पराई 2

Studxyz

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दो नयी कहानिया है
पहली romantic ये उन दिनों की बात है
दूसरी डार्क क्राइम थ्रिल गुजारिश
किसे पढ़ना चाहेंगे

भाई जी पहले इस कहानी का एक आखरी अपडेट दे दो फिर जो भी कहानी लिखो उसमे प्रीत का एंगल ज़रूर रखना :vhappy1:
 

Rahul

Kingkong
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nice update lekin story ko short kiya gaya kai point rah gaye mere hisaab se jaise kabir ko pyar karne wali mari fir wapas aayi fir ladai kiya fir gayi wo fir wapas aayi fir mar gayi sab sawalon ke jabaab mile lekin bahut speed me mile
 

Studxyz

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nice update lekin story ko short kiya gaya kai point rah gaye mere hisaab se jaise kabir ko pyar karne wali mari fir wapas aayi fir ladai kiya fir gayi wo fir wapas aayi fir mar gayi sab sawalon ke jabaab mile lekin bahut speed me mile

रुबाब वाली जो की शायद छज्जे वाली थी उसका भी कुछ नहीं बताया उस बेचारी ने कबीर की इतनी मदद करि और कटे सिरों से फुटबॉल भी खेला फिर भी उसका अंत काट दिया
 
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RAAZ

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Wow aaj Jassi ka raaz bhi khul gaya aur hum sab Jassi kisi aur ko samjha bethay huay thay. To phir woh kaun hain. Abhi Pooja ka character bhi baaqi hain dekhtay hain kia kia naye khel dikhate hai yah preet jo sab ko apna diwana kar gayi.

#

तमाम बातो को भूल कर हम एक नयी दुनिया बसाने जा रहे थे पर क्या ये इतना आसान था, और फिर वो मोहब्बत ही क्या जो बार बार किसी कसौटी पर तोली ना जाए, आज की रात भी कुछ ऐसी ही थी जब शायद इस कहानी का अंत होना था ,आज की रात एक नयी कहानी लिखने वाली थी , ये रात ही थी जो बताएगी की सुख किसका, दुःख किसके भाग का, आयत और कुंदन की कहानी का भाग ये रात ही लिखने वाली थी .

मैं अपनी जान का हाथ पकडे आँगन में खड़ा था , कभी मैं उस चाँद को देखता जो आसमान में था कभी मैं उस चाँद को देखता जो बाँहों में था . पर अभी चाँद के साथ बिजली भी आनी थी बल्कि यूँ कहूँ की आ चुकी थी , सीढियों से उतर कर वो आ रही थी अब मैं क्या कहूँ उसके बारे में और क्या ही कहूँ मैं उसे मेघा कहूँ या जस्सी, ठकुराइन जसप्रीत.

उसे देखते ही मेरा दिल जोरो से धडक उठा , चाँद रात में मैंने उसकी आँखों में वो चमक देखि, वो चमक जिसके ताप को मैं पहले भी सह चूका था .

“तो वक्त ने फिर से हमें उसी जगह लाकर खड़ा कर दिया. नसीब के निराले खेल ”जस्सी ने हमारे पास आते हुए कहा

“जस्सी, ” मेरे होंठो से निकला

“हाँ, जस्सी , मैं ठकुराइन जसप्रीत , इस घर की मालकिन, इस गाँव की मालकिन ” उसने बड़े दंभ से कहा

मैंने एक नजर आयत को देखा और बोला- हाँ सब तुम्हारा ही है, पहले भी तुम्हारा ही था आज भी और हमेशा ही रहेगा ,

जस्सी- खोखली बाते , मेरा तो सब कुछ होकर भी नहीं हुआ. मुझसे तो सब लूट ले गयी ये

मैं- मैं तुम्हारा कभी नहीं था , हो ही नहीं सकता था तुम्हारा , मैंने कभी देखा नहीं तुम्हे उस नजर से, बेशक हम एक दुसरे के बहुत करीब थे, पर ये दिल हमेशा आयात के लिए धड़का तब भी आज भी .

“नफरत है मुझे इस नाम से , सुना तुमने नफरत है मुझे, कल की छोरी न जाने कहा से आई और इस घर को बर्बाद कर गयी सब कुछ छीन गयी ” जस्सी ने गुस्से से कहा

“मैंने कभी कुछ नहीं छीना किसी से, मुझे जरुरत ही नहीं थी इस ऐश की इस धन संपदा की , मैं तो भटकती रूह थी जिसे जिन्दगी दी मेरे सरकार ने , मुझे तब भी कुछ नहीं चाहिए था आज भी नहीं, तुम रखो सब मैं कुंदन को लेकर कही और चली जाउंगी , कही भी रह लेंगे हम ” आयत ने कहा

जस्सी- मुर्ख, तुझे क्या लगता है मुझे इस भौतिक सुख की चाह है , नियति देखो मुझे इस जन्म में अपनी सबसे बड़ी दुश्मन के गर्भ से पैदा किया , कुछ कुछ संकेत मुझे हमेशा मिलते रहे मेरे इतिहास के पर देख पीर साहब की मजार टूटी और मेरी याद उस कैद से आजाद हो गयी , जस्सी लौट आई, और अब तो पीर साहब भी कुछ नहीं कर सकते कुंदन ने उनको साक्षी मानकर ही फेरे लिए है मेरे साथ , अब उसकी ब्याहता मैं हु तू नहीं

जस्सी हसने लगी .

“धोखा, तूने धोखा किया, छल से मेरे नाम का सिंदूर भरा है तूने अपनी मांग में ,तू अपना ये हठ छोड़ दे, तूने जो भी किया मैं भूलता हु पिछली बातो को जस्सी मेरे लिए सबसे बढ़के थी , उसका स्थान वाही रहने दे, इतना भी मत गिरो की अंत में कुछ शेष न रहे, ” मैंने उस से कहा

“कुंदन जस्सी का था और रहेगा, मियन तब तुम्हे न पा सकी अब जरुर पाऊँगी पति हो तुम मेरे अब और सिंदूर के मान को तो माँ तारा भी नहीं झुठला सकती ” जस्सी ने कहा

मैं- झूठ हमेशा झूठ होता है , कुंदन की सांसे अगर किसी की है तो बस आयत की

मैंने आयत का हाथ पकड़ा और कहा - चलो, यहाँ से हम कही और रह लेंगे.

मैं दरवाजे तक पहुंचा भी नहीं था की वो झटके से बंद हो गया . मैंने मुड कर देखा जस्सी हमारी तरफ आ रही थी .

“नहीं कुंदन कब तक ये चूहे बिल्ली का खेल खेलोगे, आज फैसला कर ही लेते है हम तीनो के नसीब का फैसला ” जस्सी ने कहा

मैं- कुंदन क्या कोई सामान है की आधा आधा बाँट लिया या फिर तुम अपने हिसाब से तय करोगी, कुंदन सिर्फ आयत का है और रहेगा

जस्सी- मुझे गुस्सा दिला रहे हो तुम

मैं- गुस्सा तो पहले भी किया था न तुमने सब बर्बाद कर दिया. ये मत भूलो की याददाश्त केवल तुम्हारी ही वापिस आई है मेरी भी आई है और ये तो मैं फिर भी उन यादो को दिल के किसी कोने में दफना रहा हूँ क्योंकि इतिहास की नफरत पर कभी भी भविष्य का सुख नहीं मिल सकता , मुझे आज भी याद है पूजा, उस बेचारी का क्या कसूर था , पाप कम नहीं है तुम्हारे .

जस्सी- तो एक और पाप सही, तब तुम्हे नहीं पा सकी थी अब पा लुंगी

“तब तुमने धोखा किया था जस्सी, तब कुंदन अकेला था अब नहीं अब उसके साथ उसकी ढाल है ,तुम्हे आजमाइश करनी है कर लो प्रीत की डोर टूटी जरुर थी पर धागे उलझे रहे , और मैं आयत अपनी डोर को वापिस बाँध दूंगी ” आयत मेरे आगे आकर खड़ी हो गयी.

“मुझे तू न पहले समझ पायी थी न आज समझ पायेगी , मेनका की बेटी हु मैं ,जिस ताकत पर तुझे नाज है आयत उस से न जाने कितनी शक्तिशाली हूँ मैं , तू तब भी नहीं टिक पाई थी आज भी नहीं ” जस्सी बोली

“मैंने कभी अभिमान नहीं किया, और करती भी किसलिए मैं तो कुछ भी नहीं थी बिखरी हुई रेत थी मैं जिसे कुंदन ने आकार दिया. मैंने तो अपनी सब ताकत माँ तारा के आगे रख दी थी की मैं कुंदन के साथ जी सकू, सब कुछ तब भी तुम्हारा ही था जस्सी और आज भी है , और जैसा कुंदन ने कहा हम कही दूर चले जायेंगे ” आयत ने कहा

जस्सी- दूर तो तुम्हे जाना ही है मेरे और कुंदन से दूर,

जस्सी ने अपने हाथ हिलाए और आयत को एक झटका सा लगा .

“जस्सी, छोड़ उसे याद रखना उसे अगर कुछ भी हुआ तो ठीक नहीं रहेगा ” चीखा मैं
 

Rahul

Kingkong
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रुबाब वाली जो की शायद छज्जे वाली थी उसका भी कुछ नहीं बताया उस बेचारी ने कैर की इतनी मदद करि और कटे सिरों से फुटबॉल भी खेला फिर भी उसका अंत काट दिया
is kahani me bahut jhol hai bhai kuch saaf saaf nahi hai reader khud dimag lagaye aur sab samjh le :(
 

Studxyz

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is kahani me bahut jhol hai bhai kuch saaf saaf nahi hai reader khud dimag lagaye aur sab samjh le :(

इस कहानी को सही से समझने के लिया पिछले पढ़ना बहुत ज़रूरी है और उधर इस कहानी का पिछले अंक लिखने वाले हमारे @kamdev99008 भी मुसाफिर भाई के गुरु हैं अगर वो उस कहानी को यहाँ तेज़ी से छाप देते तो बहुत से पढ़ने वालों को इस कहानी का मज़ा डबल ट्रिपल हो जाता

फौजी उर्फ़ मुसाफिर भाई ने एक बेमिसाल रहस्मयी आकर्षक प्यार व् तकरार से भरी कहानी लिखी फिर भी अंत में एक डाक्टर बन कर बेदर्दी से पोस्टमॉर्टेम किया गया को की आराम से प्यार से करना चाहिए था जब पढ़ने वालों के इमोशन्स का तूफान उठा दिया था तो उसका शांत भी वैसे ही करना था
 
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Sakal

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दो नयी कहानिया है
पहली romantic ये उन दिनों की बात है
दूसरी डार्क क्राइम थ्रिल गुजारिश
किसे पढ़ना चाहेंगे
Gujarish
 
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RAAZ

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Aapse Guzarish ki Guzarish hain bhai

दो नयी कहानिया है
पहली romantic ये उन दिनों की बात है
दूसरी डार्क क्राइम थ्रिल गुजारिश
किसे पढ़ना चाहेंगे
 
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