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Adultery प्रीत +दिल अपना प्रीत पराई 2

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#85

अंतिम अध्याय

जिन्दगी अपनी होकर भी अपनी नहीं थी, कहने को सब था मेरे पास मेरी जान आयत थी , मेरा गाँव देवगढ़ था पर फिर भी ये बर्बाद घर मुझसे हजारो सवाल पूछता था और मेरे पास कोइ जवाब नहीं था . एक दर्द था सीने में , मैं रोना चाहता था पर कर न पाया ये. आयत का साथ होना खुशनसीबी थी मेरे लिए , टूट कर चाहती थी वो मुझे पर कलेजे पर कुछ ऐसे जख्म थे जिनका भरना नामुमकिन था .

एक ऐसा ही जख्म था पूजा का, मैं घंटो उस टूटे छज्जे को देखता रहता था जिस पर खड़ी होकर वो इंतज़ार करती थी की कब मैं उसकी गली से गुजरूँगा. एक घाव था जस्सी का, जस्सी जो मेरा मान थी , अभिमान था मुझे उस पर की कभी अगर मैं न रहा तो सब संभाल लेगी वो , हम तो बस नाम के थे इस घर में कोई असली मर्द था तो वो जस्सी थी , पर कुछ ऐसी बात भी थी की जिसने इस हस्ते खेलते घर में बर्बादी की आग लगा दी थी .

“किस सोच में डूबे हो ” आयत ने मेरे पास आते हुए कहा

मैं- कुछ , कुछ नहीं

उसने मेरे हाथ में चाय का प्याला दिया और बोली- हमें अतीत को भुलाना ही होगा,

मैं- पर कैसे इतना आसान भी तो नहीं

आयत- पर आने वाली जिन्दगी के लिए कोशिश तो करनी होगी, कब तक इन जंजीरों को बांधे रखोगे ,पिछली जिन्दगी को भूल कर नए जीवन के बारे में सोचना होगा हमें.

मैं- हम लाख कोशिश कर ले सरकार, पर अतीत पीछा नहीं छोड़ेगा

आयत- जानती हु, पर अब इस जिंदगानी को तो भी जीना है न, और फिर तुम ही तो कहते थे न की तुम मेरे दामन में ज़माने भर की खुशिया भर देना चाहते हो .

मैं- हाँ मेरी जान

आयत- तो फिर चलो

मैं कहाँ

आयत- एक नयी शुरुआत करने .

आयत और मैं लाल मंदिर आ गए.

मैं- यहाँ किसलिए

वो- नयी शुरआत

वो मेरा हाथ पकड़ के तालाब के पास ले आई और बोली- समय आ गया है की इस जंजाल से मुक्ति पायी जाए,

आयत ने पानी अपनी अंजुल में लिया और मन्त्र पढने लगी , पानी में लहर उठने लगी , फिर मैंने कुछ ऐसा देखा जो बस भाग्वाले ही देख पाते है , मैंने नाह्र्विरो को देखा, ऐसा अलौकिक द्रश्य की मैं क्या वर्णन करू, मैं नहीं जानता था की आयत ने मंत्रो की भाषा में उनसे क्या कहा पर मैंने उनको मुस्कुराते देखा . वो पास आये और आयत के सर पर अपना हाथ रखा और गायब हो गए. तालाब का सारा पानी सूख गया . अब वहां कुछ नहीं था सिवाय गाद के .

“मैंने मुक्त कर दिया उनको ” बोली आयत

मैं- सही किया. अब जब धन नहिः होगा तो कोई लालच नहीं करेगा.

आयत सीढिया चढ़ते हुए मंदिर में आई और कुछ मन्त्र पढने लगी , उसने एक पात्र में हम दोनों का खून मिलाया और चढ़ा दिया. आस पास आग लगनी शुरू हुई, वो मन्त्र पढ़ती रही धरती हिलने लगी थी , पर वो आँखे मूंदे लगी रही , घंटे भर बाद एक जोरदार आवाज हुई और मंदिर गायब हो गया .

मैं- क्या हुआ ये

वो- मैंने अपनी शक्तिया माँ को वापिस लौटा दी है , मेरी असली शक्ति तुम हो मुझे इन सब की जरुरत नहीं .

मैं- एक मिनट ये तुम्हारे चेहरे को क्या हुआ

वो- क्या

मैं- तुम, तुम तो , तुम तो और हसीन हो गयी हो. ऐसा लगता है की उम्र थोड़ी और कम हो गयी है तुम्हारी

वो- श्याद

वापसी में हम थोड़ी देर पीर साहब की मजार पर रुके.

मैं- एक बात पुछु , तुम्हे जस्सी पर शक कब हुआ था

वो- कभी नहीं होता, देखो जस्सी हमेशा तुम पर अपना हक़ तो जताती थी ही, और हम भी उसके स्नेह को समझते थे पर धीरे धीरे वो जलने लगी थी जब भी तुम मेरे या पूजा के साथ होती, वो झल्लाती, गुस्सा होती , और फिर पूजा की तबियत अचानक से ख़राब होने लगी, तुम जानते हो हमने उसे सब जगह दिखाया पर कोई असर न हुआ.

मैं नासमझ कभी समझी नहीं की जस्सी उसे जहर दे रही है, तंत्र का जहर बहुत धीरे असर करता है पर वार बहुत गहरा होता है , पूजा कई बार मुझे इशारो में बताना चाहती थी पर मैं नादान समझी नहीं .और फिर एक दिन पूजा की मौत हो गयी . याद है तुम्हे जब हम उसकी अस्थिया लेने गए थे वो बिलकुल काली थी तब मुझे ध्यान आया.

अक्सर जब भी मुझे कही तुम्हारे साथ जाना होता या जब भी हम साथ होते जस्सी किसी न किसी बहाने से हमें अलग कर देती और फिर जब उसके और मेरे झगडे होने लगे. कैसे वो हम दोनों के मन में खटास पैदा करने लगी थी .

फिर तुमने फैसला किया की हम देवगढ़ छोड़ कर मेरे घर रहेंगे, तो जस्सी से बर्दाश्त नहीं हुआ , तुम्हे याद है जल्दी ही मेरे गर्भ में हमारे प्यार की निशानी आ गयी थी , पर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. उस रात जब तुम शहर गए थे जस्सी हवेली पर आई, उसने कहा की उस से भूल हुई थी , वो मुझे वापिस देवगढ़ लेने आई थी ,

मैंने कहा की जब तक कुंदन नहीं आ जाता मैं नहीं जाउंगी , चूँकि मैं गर्भावस्था में थी तो मेरी शक्तिया कम हो गयी थी , उसने चाल से मुझे विश्वाश दिलाया की तुम्हारी उस से बात हो गयी है मैं उसके साथ चल दी.

रस्ते में मैं माथा टेकने के लिए मजार पर रुकी और तभी उसने अपना गन्दा खेल खेल दिया. इन्सान सबसे कमजोर जब होता है जब वो इबादत में होता है , उसने ठीक वो समय ही चुना , मेरे पेट पर वार किया उसने . गर्भ की हत्या कर दी उसने, मेरी जान ली, पर मैंने मेरी याद का एक टुकड़ा मजार पर छोड़ दिया, और कसम खाई की एक दिन मैं लौटूंगी और जब वो दिन आएगा मेरी याद मुझे मेरे होने का अहसास करवाएगी, वो रुबाब वाली जो तुम्हे मिलती थी मेरी ही याद थी .

मैं- तुम जानती हो जब वो मंजर आँखों के सामने आता है तो आज भी दिल टूट जाता है दुनिया को उजड़ते देखा था मैंने, तुम्हारे वियोग में मैंने वही अपने प्राण त्यागे थे, मुझे मालूम हो गया था की जस्सी ने ये अत्याचार किया था , मेरे अंतिम शब्द यही थे की वो मुझे कभी पा नहीं सकेगी. पर शायद जस्सी ने भी ठीक वैसा ही किया होगा उसने भी अपनी याद सुरक्षित रखी होगी, क्योंकि जब चबूतरा टुटा तभी वो याद उसमे समाई होगी.

आयत- मेनका की बेटी थी वो ,

मैं- अकाट्य सत्य. जस्सी जैसी कोई नहीं थी पर न जाने कब वो हक़ और पाने में फर्क करना भूल गयी. पर इस जन्म में तुम्हारी बेटी बन कर आना उसका

आयत- एक तरह का आवरण पर खैर, अब क्या फायदा इन बातो का , दुखो का मौसम बीता अब सुख आया है

उसने मेरा हाथ थाम लिया. शाम होते होते हम देवगढ़ लौट आये ,एक दुसरे की बाँहों में बाहे डाले . पर वहां आकर कुछ और ही देखने को मिला , पिताजी की गाडी उसी घर के आगे खड़ी थी , हम देखने गए तो अन्दर पाया की सविता और पिताजी दोनों की लाशे पड़ी थी . आधा आधा शारीर पिघला हुआ, न जाने क्यों कोई दुःख नहीं हुआ ,

खैर, कुछ महीने बीत गए थे , मैंने और आयत ने नयी दुनिया बसा ली थी , हम खुश थे उस शाम मौसम अजीब सा हुआ पड़ा था लगता था की बारिश गिरेगी आज, मैं अपने चोबारे की खिड़की पर खड़ा घटाओ को देख रहा था की बिजली कुछ जोर से गरजी, मेरी नजर शीशे पर पड़ी और वही रह गयी, शीशे में वो थी .................

समाप्त ....
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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:lotpot: :D. हम ने क्या डिमांड करना है अब आप ने ही पार्ट 3 की गुंजाइश छोड़ दी है. कुंदन को उसकी आयत मिल गयी और क्या चाहिए
मोहब्बत और नफरत एक सी होती है मित्र, कोई खास अन्तर नहीं होता दोनों मे
 

kamdev99008

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मोहब्बत और नफरत एक सी होती है मित्र, कोई खास अन्तर नहीं होता दोनों मे
मोहब्बत से नफरत में शायद शिद्दत ज्यादा होती है.............................
इसीलिए..... जिस आयत से नफरत थी जस्सी को.... अगले जन्म में उसी की बेटी बनकर पैदा हुई...........
 

gagan243001

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Aap ki kahani mein abhi bahut sari gunjaish Baki Rah gai Jaise Ki Aakhir ke andar Jassi aayat ko Uske asali naam se jo ki is Janm Mein the Unse Kahin bhi sambodhit nahin kiya Gaya iske sath hi UN donon Ki Maut Ke bad mein devgadh ka kya hua kaise hua Durg alag alag Gaon Ban Gaye iske sath hi hero Ke Baap Ne Kya Kya Kiya aur Savita ke upar Jis gaon ki Hatya ka shak tha vah bad mein uska Kuchh Bhi Nahin dikhaya Gaya
 

Rahul

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wonderfull story dadu:love:
 
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