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Adultery पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

deeppreeti

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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


परिचय

ये कहानी की 2011-12 है जो वर्तमान समय से लगभग 9-10 साल पहले वर्ष 2011-12 में सूरत शुरू हुई थी ।

पेश है एक नयी कहानी जिसमे आपको जीवन के सभी रंग मिलेंगे खास तौर पर कामुकता से भरपूर होगी ये कहानी l

इसमें मिलेगा आपको पड़ोसियों से सेक्स, युवतियों से सेक्स, ऑफिस में सेक्स, पार्क में सेक्स, सिनेमा में सेक्स, नौकरानी से सेक्स , ग्रुप सेक्स, कुंवारा सेक्स, कॉलेज सेक्स, डॉक्टर के साथ सेक्स, बच्चे के लिए SEX, गर्भादान, इत्यादिl

कहानी लम्बी चलेगी और उम्मीद है आप सब को मजा आएगाl

दीपक कुमार



INDEX

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे



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CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे


आगमन और परिचय

PART 1- परिचय
PART 2- परिचय

उपहार
PART 1- उपहार
PART 2- उपहार
PART 3- उपहार


CHAPTER- 2

मानवी- मेरी पड़ोसन
PART - 1 सुबह- सुबह
PART- 2 दीवानी
PART- 3 सोनू के लिए बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया
PART- 4 स्वपनदोष
PART-5 एक कप कॉफी
PART-6 दर्द का इलाज
PART-7 मालिश
PART-8 राज
PART-9 सुन्दर बदलाव
PART-10 आशा से मुलाकात
PART-11 पार्क का निर्जन कोना

PART-12 गुप्त इशारे
PART-13 छत पर सारी रात
PART-14 छत पर सेक्स
PART-15 छत पर गुदा सेक्स



CHAPTER- 3

रुसी युवती ऐना


PART-1 होटल में ऐना से मुलाकात
PART-2 जल परी
PART-3 जल परी के साथ जल क्रीड़ा
PART-4 जल परी के साथ
PART-5 स्विमिंग पूल के किनारे
PART-6 स्विमिंग पूल के किनारे चुदाई
PART-7 स्विमिंग पूल के अंदर चुदाई
PART-8
PART-9
PART-10
PART-11

CHAPTER- 4
कामदेव की उपासना

PART-1 कामदेव की कहानी
PART-2 कामदेव हैं कौन

PART-3 यज्ञ द्वारा पापों का प्रायश्चित
PART-4 साधना के नियम
PART-5 कामरूप क्षेत्र की राजकुमारी से भेंट
PART-6 राजकुमारी - सपनो की रानी


CHAPTER- 5
रुपाली - मेरी पड़ोसन
PART-1 कामुक दृश्यमं
PART-2 बल्ब फ्यूज हो गया
PART-3 स्टूल (छोटी मेज)
PART-4 वास्तविकता या एक सपना
PART-5 ( 69 )

PART-6 प्रस्ताव
PART-7 ईशा- माफ़ी की प्राथना
PART-8 फिल्म
PART-9 कामुक फिल्म
PART-10 हस्तमैथुन
PART-11 अंतराल

PART-12 अंतराल के बाद
PART-13 थिएटर में चुदाई
PART-14 सुपर संडे
PART-15 सुपर संडे - ईशा
PART-16 सुपर संडे - ईशा की परख
PART-17 सुपर संडे - ईशा का विर्जिनिटी टेस्ट
PART-18 सुपर संडे - जाल में ईशा
PART-19 सुपर संडे - इजहार
PART-20 सुपर संडे - ईशा की तयारी
PART-21 सुपर संडे - ईशा का कौमार्य भेदन
PART-22 सुपर संडे - ईशा के साथ सम्भोग का आनंद
PART-23 सुपर संडे - शाही हर्बल तेल से मालिश
PART-24 सुपर संडे - कपल मालिश
PART-25 सुपर संडे - क्लब सैंडविच मालिश
PART-26 सुपर संडे - सुपर लेस्बियन शो
PART-27 सुपर संडे - लेस्बियन त्रिकोण
PART-28 सुपर संडे - सुरक्षा
PART-29 सुपर संडे - मानवी
PART-30 सुपर संडे - रूपाली के साथ सुहागरात
PART-31 सुपर संडे - रूपाली के साथ

CHAPTER-6
पश्ताचाप


PART- 1 / PART- 2


VOLUME II
विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1
विवाह से पहले

PART- 1 /PART- 2/ PART- 3/ PART- 4/ PART -5/PART- 6/ PART- 7/PART- 8/PART- 9/PART-10
PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/PART-16/PART-17/PART-18/PART-19/PART-20
PART- 21/PART-22/
PART- 23 page 37/PART- 24-page 39/PART- 25/PART- 26/PART -27 Page 40/PART-28/PART-29/ PART-30 page 41 /PART-31/PART-32 page 42 /PART- 33/PART- 34/PART- 35/PART- 36/PART -37/
PART-38/PART-39/PART-40
PART-41/
PART- 42/PART -43/PART-44/PART-45/PART-46/PART-47/PART-48/PART-49/PART-50/
PART-51/PART- 52/PART -53/PART-54/PART-55/PART-56/PART-57/PART-58


CHAPTER-2
नयी भाभी की सुहागरात

PART- 1 (PAGE 48) /PART- 2/ PART- 3/ PART- 4/ PART -5/PART- 6/ PART- 7/PART- 8/PART- 9/PART-10
PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/ PART- 16/PART- 17/PART- 18/PART- 19


CHAPTER-3

बैचलर पार्टी

PART- 1 /PART- 2/ PART- 3/ PART- 4/ PART -5/PART- 6/ PART- 7/
PART- 8/PART- 9/PART-10 /PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/
PART- 16/PART- 17/PART- 18/PART- 19/PART-20/ PART-21/PART-22/
/PART- 23/PART- 24/PART-25/

CHAPTER-4
विवाह

PART-1/ PART-2/PART-3/ PART- 4/PART-5/
PART-6/PART-7/ PART- 8/PART-9/ PART- 10/
PART-11/

विवाह- सुहागरात
PART-1/PART-2/ PART- 3/PART-4/
PART-5/PART-6/ PART- 7/PART-8/
PART-9/PART-10 / PART-11/PART-12/
PART- 13/PART-14/PART-15/
PART-16/

PART-17/ PART- 18/PART-19/ PART- 20

CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)

PART-1/ PART-2/PART-3/ PART- 4/PART-5/
PART-6/PART-7/ PART- 8/PART-9/ PART- 10/
PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/
PART-16/PART-17/PART-18/PART-19/PART-20
PART- 21/PART- 22/PART- 23/PART- 24/PART-25/
PART-26/PART-27/PART-28/
PART-29/PART-30
PART- 31/PART- 32/PART- 33/PART- 34/PART-35/
PART-36/PART-37/PART-38/PART-39/PART-40
PART- 41/


A1


UPDATE 001
CHAPTER- 1 आगमन और परिचय
आगमन
Incest/Taboo
UPDATE 002परिचय.Incest/Taboo
UPDATE 003आशा को उपहार दिए.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 004उपहारErotic Couplings
UPDATE 005युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ को उपहार.Incest/Taboo
UPDATE 006CHAPTER- 2 मानवी- मेरी पड़ोसन

सुबह- सुबह मेरी पड़ोसन मानवी.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 007लंड की दीवानी मानवी भाभी.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 008सोनू के लिए ख़ुशी का दिन आया.Romance
UPDATE 009स्वपनदोष.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 010एक कप कॉफीRomance
UPDATE 011मानवी के दर्द का इलाजNonConsent/Reluctance
UPDATE 012मानवी की मालिश और इलाजErotic Couplings
UPDATE 013सेक्सी गदरायी हुई महिला के साथ सम्भोग.Erotic Couplings
UPDATE 014मानवी मे सुन्दर बदलाव.Erotic Couplings
UPDATE 015आशा से एक और मुलाकात .Erotic Couplings
UPDATE 016पार्क के निर्जन कोने में भाभी के साथ.Erotic Couplings
UPDATE 017हमारे गुप्त इशारे.Erotic Couplings
UPDATE 018छत पर सारी रात.Incest/Taboo
UPDATE 019छत पर सेक्स.Erotic Couplings
UPDATE 020छत पर गुदा सेक्स.Anal
UPDATE 021CHAPTER- 3 रुसी युवती ऐना

होटल में रुसी युवती ऐना से मुलाकात.
Interracial Love
UPDATE 022 (जल परी रुसी युवती ऐनाErotic Couplings
UPDATE 023रुसी जल पारी ऐना के साथ जल क्रीड़ाErotic Couplings
UPDATE 024 (रुसी जल परी ऐना के साथInterracial Love
UPDATE 025रुसी युवती ऐना के साथ जल क्रीड़ा.Interracial Love
UPDATE 026रुसी युवती ऐना के साथ चुंबन.Interracial Love
UPDATE 027रुसी युवती ऐना स्विमिंग पूल के किनारे.Interracial Love
UPDATE 028रुसी युवती ऐना के साथ स्विमिंग पूल के किनारे चुदाई.Interracial Love
UPDATE 029रुसी युवती ऐना के साथ पूल के पानी में चुदाई.Interracial Love
UPDATE 030रुसी युवती ऐना के साथ कमरे में चुदाई.Interracial Love
UPDATE 031CHAPTER- 4 परिवार

गर्भदान.
Erotic Couplings
UPDATE 032परिवार की वंशावली.Erotic Couplings
UPDATE 033वंश वृद्धि के लिए साधन - प्रायश्चित मदन, गर्भदान के नियम.Erotic Couplings
UPDATE 034राजकुमारी से भेंट.Romance
UPDATE 035CHAPTER- 5 रुपाली - मेरी पड़ोसन

कामुक दृश्यमं.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 036रुपाली पड़ोसन का बल्ब फ्यूज हो गया.NonConsent/Reluctance
UPDATE 037स्टूल (छोटी मेज).NonConsent/Reluctance
UPDATE 038रुपाली मेरी पड़ोसन, वास्तविकता या एक सपना.NonConsent/Reluctance
UPDATE 039रुपाली पड़ोसन के साथ 69 सेक्स.NonConsent/Reluctance
UPDATE 040राजकुमारी के साथ विवाह प्रस्ताव.Loving Wives
UPDATE 041ईशा के पीछे बगीचे में.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 042ईशा की माफ़ी की प्राथना.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 043रुपाली भाभी के साथ फिल्म देखना.Romance
UPDATE 044पड़ोसन के साथ कामुक फ़िल्म देखना.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 045पड़ोसन ने किया हस्त मैथुन.NonConsent/Reluctance
UPDATE 046कामुक फिल्म का अंतराल.NonConsent/Reluctance
UPDATE 047कामुक फिल्म अंतराल के बाद मुखमैथुन.Erotic Couplings
UPDATE 048पड़ोसन की फिल्म थिएटर में चुदाई .Erotic Couplings
UPDATE 049पड़ोसन के साथ सुपर संडे.Erotic Couplings
UPDATE 050सुपर संडे - ईशा.Romance
UPDATE 051सुपर संडे-ईशा की परख.NonConsent/Reluctance
UPDATE 052विर्जिनिटी टेस्ट.First Time
UPDATE 053सुपर संडे-जाल में ईशा.NonConsent/Reluctance
UPDATE 054सुपर संडे-इज़हार.NonConsent/Reluctance
UPDATE 055ईशा की तयारी .First Time
UPDATE 056सुपर संडे-ईशा का कौमार्य भेदन .First Time
UPDATE 057सुपर संडे-ईशा के साथ सम्भोग का आनंदFirst Time
UPDATE 058सुपर संडे-शाही हर्बल तेल से मालिश.Group Sex
UPDATE 059सुपर संडे-कपल मालिश.Erotic Couplings
UPDATE 060सुपर संडे-क्लब सैंडविच मालिश.Erotic Couplings
UPDATE 061सुपर संडे-सुपर लेस्बियन शो.Lesbian Sex
UPDATE 062लेस्बियन त्रिकोण.Lesbian Sex
UPDATE 063सुरक्षाErotic Couplings
UPDATE 064सुपर संडे-मानवी.Incest/Taboo
UPDATE 065रूपाली के साथ सुहागरातErotic Couplings
UPDATE 066रूपाली के साथ सुहागरात .Erotic Couplings
UPDATE 067सुपर संडे-रूपाली के साथ.Erotic Couplings
UPDATE 068CHAPTER 6 पश्ताचाप

पैतृक स्थान
Loving Wives
UPDATE 069राज .Loving Wives
UPDATE 070VOLUME II विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1 विवाह से पहले


दावत.
Group Sex
UPDATE 071समूह सेक्स दावत.Group Sex
UPDATE 072प्रातः काल भ्रमण मुलाकात.Mind Control
UPDATE 073घायल वृद्ध .Mind Control
UPDATE 074घायल वृद्ध की अंगूठी.Mind Control
UPDATE 075राज कुमारी के साथ सगाई.Romance
UPDATE 076इलेक्ट्रॉनिक लाकर का पासवर्ड.Mind Control
UPDATE 077चमत्कारी अंगूठी.Mind Control
UPDATE 078इच्छा की शक्ति या सपना .Mind Control
UPDATE 079वृद्ध से एक और मुलाकात.Mind Control
UPDATE 080मानसिक नियंत्रण.Mind Control
UPDATE 081मानसिक नियंत्रण.Mind Control
UPDATE 082अंगूठी की शक्तियों का पहला प्रयोग -समस्या और समाधान..Mind Control
UPDATE 083गर्भाधान की समस्या और समाधान.Mind Control
UPDATE 084भाभी का कृत्रिम गर्भधान.First Time
UPDATE 085सेक्स की इच्छा.Erotic Couplings
UPDATE 086कामवासना का जंगली जुनून सवार.Mind Control
UPDATE 087मेरे अंतरंग हमसफ़र.Erotic Couplings
UPDATE 088मैंने अपना रानिवास-हरम बनाने का फैसला किया.Mind Control
UPDATE 089सेक्सी लाल रंग की पोशाक.Erotic Couplings
UPDATE 090युवा प्रशिक्षु के प्रशिक्षण का सबसे महत्त्वपूर्ण सबक.How To
UPDATE 091पोशाक का चयनRomance
UPDATE 092मौसियो के परिवार.Incest/Taboo
UPDATE 093मौसियो की पोतिया का मेट्रो ट्रेन में पहला सेक्स अनुभव.First Time
UPDATE 094मेट्रो ट्रेन में मौसियो की पोतियो के पहले कामुक अनुभव .First Time
UPDATE 095मौसियो की पोतियो की नग्न तैराकी.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 096मौसियो की पोतियो का परस्पर निरीक्षण और हस्तमैथुन.Lesbian Sex
UPDATE 097समलैंगिकता का दूसरा सत्र.Lesbian Sex
UPDATE 098समलैंगिक कजिन बहनेLesbian Sex
UPDATE 099समलैंगिक कजिन बहने.Lesbian Sex
UPDATE 100समलैंगिक कजिन बहने.Lesbian Sex
UPDATE 101असली मजे का थोड़ा-सा स्वाद.Sci-Fi & Fantasy
UPDATE 102असली मजे.First Time
UPDATE 103बेतहाशा चुंबन और मजे.First Time
UPDATE 104बेतहाशा स्तनों की चुसाई और मजे.First Time
UPDATE 105प्रतिक्रियाFirst Time
UPDATE 106लंड की चुसाई और मजे.First Time
UPDATE 107दुल्हन बनी नीता.First Time
UPDATE 108कुंवारी नीता की पहली चुदाई.First Time
UPDATE 109कुंवारी नीता की पहली चुदाई.First Time
UPDATE 110कुंवारी रीता की पहली चुदाई.Incest/Taboo
UPDATE 111कुंवारी रीता की पहली चुदाई.First Time
UPDATE 112धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है.First Time
UPDATE 113चुदाई से पहले उसे गर्म किया.First Time
UPDATE 114लंड का योनि में प्रथम प्रवेशFirst Time
UPDATE 115लंड के योनि में प्रथम प्रवेश के बाद मस्तीभरी चुदाई.First Time
UPDATE 116प्रेम निवेदन और समर्पण.Erotic Couplings
UPDATE 117मरीना का प्रेम निवेदन .Erotic Couplings
UPDATE 118मरीना का प्रेम निवेदनErotic Couplings
UPDATE 119मरीना का प्रेम निवेदन- मैं कुछ करूँFirst Time
UPDATE 120मरीना से प्यारErotic Couplings
UPDATE 121मरीना के साथ मुख मैथुनErotic Couplings
UPDATE 122जो तुमको हो पसंदBDSM
UPDATE 123दो तरफा चुसाईGroup Sex
UPDATE 124फोरसमGroup Sex
UPDATE 125डरGroup Sex
UPDATE 126मरीना का कौमर्य भंगFirst Time
UPDATE 127हेमा की कामुकताErotic Couplings
UPDATE 128कुंवारी हेमा का कौमार्य भंगFirst Time
UPDATE 129हस्तमैथुन के साथ-साथ चुदाईErotic Couplings
UPDATE 130बहनो की साथ-साथ में चुदाईGroup Sex
UPDATE 131अर्धनग्न तरुण- नर्तकीExhibitionist & Voyeur
UPDATE 132तुम्हारे ही लिए आया हूँ.Romance
UPDATE 133जल क्रीड़ाRomance
UPDATE 134फूलों से प्राकृतिक शृंगारRomance
UPDATE 135अलोकिक रचनाRomance
UPDATE 136वीर्यदान के लिए संकल्पErotic Couplings
UPDATE 137VOLUME II CHAPTER-2 नयी भाभी की सुहागरात

ओवुलेशन प्रक्रिया
How To
UPDATE 138 (नयी भाभी की सुहागरात - राजमाता ने लिया साक्षात्कार.How To
UPDATE 139 (असाधरण परिस्तिथियों में असाधारण कार्य.How To
UPDATE 140क्या और कैसे करना है.How To
UPDATE 141नयी भाभी की सुहागरात में सम्भोग कैसे करना है.How To
UPDATE 142हस्तमैथुन और स्खलन.How To
UPDATE 143सुहागरात की तयारी.Incest/Taboo
UPDATE 144नयी रानी की सुहागरात सुहागसेज.Incest/Taboo
UPDATE 145नयी रानी की सुहागरात.Incest/Taboo
UPDATE 146सुहागरात में नयी रानी भाभी का कौमार्य भंग.First Time
UPDATE 147नयी रानी के साथ सम्भोग.First Time
UPDATE 148नयी रानी का गर्भादान.First Time
UPDATE 149नयी रानी के साथ पिक्चर अभी बाकी हैFirst Time
UPDATE 150भोर में आँख खुलीFirst Time
UPDATE 151रानी गर्भवती हुई है या नहीं?First Time
UPDATE 152एक बार फिर.Erotic Couplings
UPDATE 153रानी माँ ने एकांत प्रदान कियाErotic Couplings
UPDATE 154लग रहा था कि मेरा इरेक्शन कभी कम नहीं होगाErotic Couplings
UPDATE 155मालिश से आराम और चुदाई.Erotic Couplings
UPDATE 156 VOLUME II CHAPTER-3 बैचलर पार्टी

बैचलर पार्टी की तयारी
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 157बैचलर पार्टी डांस पार्टी की तयारीExhibitionist & Voyeur
UPDATE 158नर्तकियों की तलाशErotic Couplings
UPDATE 159नर्तकियों की तलाशExhibitionist & Voyeur
UPDATE 160बैचलर पार्टी के लिए डांसरExhibitionist & Voyeur
UPDATE 161बैचलर पार्टी के लिए बारगर्ल्स डांसरExhibitionist & Voyeur
UPDATE 162लैप डांसरExhibitionist & Voyeur
UPDATE 163बैचलर पार्टी- संधि और विधि, संगीत और नृत्यExhibitionist & Voyeur
UPDATE 164बैचलर पार्टी-संगीत और नृत्य और नवविवाहितExhibitionist & Voyeur
UPDATE 165बैचलर पार्टी की शुरुआतExhibitionist & Voyeur
UPDATE 166बैचलर पार्टी- शो का आनंदExhibitionist & Voyeur
UPDATE 167बैचलर पार्टी-प्रतिभागिGroup Sex
UPDATE 168बैचलर पार्टी - मंच से नीचे का नजाराGroup Sex
UPDATE 169बैचलर पार्टी मंच का नजाराExhibitionist & Voyeur
UPDATE 170कौमार्य भंग करने के लिए प्रशंसा और बधाईGroup Sex
UPDATE 171आनंद आनंदExhibitionist & Voyeur
UPDATE 172बैचलर पार्टी-अध्भुत कामुकताGroup Sex
UPDATE 173बैचलर पार्टी अध्भुत कामुकता और चुदाईGroup Sex
UPDATE 174बैचलर पार्टी तरोताजा कामुकता और चुदाईGroup Sex
UPDATE 175बैचलर पार्टी- तरोताजा चुदाईExhibitionist & Voyeur
UPDATE 176बैचलर पार्टी तरोताजा कामुकता और समूह सेक्सGroup Sex
UPDATE 177बैचलर पार्टी सेक्सी समूह नृत्यExhibitionist & Voyeur
UPDATE 178बैचलर पार्टी सेक्सी समूह नृत्य.Group Sex
UPDATE 179बैचलर पार्टी लैप डांसGroup Sex
UPDATE 180बैचलर पार्टी नंगा नाच और समूह सेक्स.Group Sex
UPDATE 181VOLUME II CHAPTER 4 विवाह

विवाह से पहले मिलने को दिल बेकरार है
Romance
UPDATE 182बेकरार दिल का प्रेमालापRomance
UPDATE 183विवाह पूर्व प्रेमालाप का सुनहरा समयRomance
UPDATE 184सुनहरा समयInterracial Love
UPDATE 185मंगेतरों का परस्पर परिचयLoving Wives
UPDATE 186हल्दी समारोहLoving Wives
UPDATE 187मेहंदी संगीत और नृत्यErotic Couplings
UPDATE 188विवाहLoving Wives
UPDATE 189दुल्हन की बिदाईLoving Wives
UPDATE 190दुल्हन का सोलह श्रृंगारFirst Time
UPDATE 191स्वर्ग की अप्सराLoving Wives
UPDATE 192 VOLUME II CHAPTER 4 सुहागरात

सुहागरात के दंगल की तैयारी
First Time
UPDATE 193सुहाग कक्षLoving Wives
UPDATE 194पूरे जीवन चलने वाले प्यार और जुनून की चाहतLoving Wives
UPDATE 195अरमानो वाली रात सुहागरातLoving Wives
UPDATE 196सुहागरात-मैं चुपचाप निहारता रहाFirst Time
UPDATE 197सुहागरात- चक्रनितम्बा, फूलो से श्रृंगारFirst Time
UPDATE 198सुहागरात- वासना के ज़्वार-भाटेFirst Time
UPDATE 199सुहागरात-अध्भुत नजाराFirst Time
UPDATE 200सुहागरात पहला ओर्गास्म अनुभवLoving Wives
UPDATE 201सुहागरात लिंग दर्शन पहलाExhibitionist & Voyeur
UPDATE 202अच्छे मजेदार सेक्स का अच्छा पक्ष बार बार करना और दोहरानाLoving Wives
UPDATE 203सुहागरात कौमार्य भेदनLoving Wives
UPDATE 204सुहागरात कौमार्य भेदन फिर प्रथम सम्भोगFirst Time
UPDATE 205सुहागरात कौमार्य भेदन के बाद प्रथम सम्पूर्ण मिलन का आनंदLoving Wives
UPDATE 206सुहागरात में कौमार्य भेदन पहले मोहक मिलन का प्रभावFirst Time
UPDATE 207गर्भाधान के लिए सेवक आपकी सेवा के लिए प्रस्तुत हैIncest/Taboo
UPDATE 208भाभी की सेवाIncest/Taboo
UPDATE 209सुहागरात -कोई देख रहा हैExhibitionist & Voyeur
UPDATE 210सुहागरात- एक साथ तीन का स्नान और सम्भोगLoving Wives
UPDATE 211मेरी सुहागरात और भाभी की संतान की मुरादLoving Wives
A1

 
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 03


प्रातः काल भ्रमण


सुबह हुई और मैं सुबह तड़के ही उठ गया तो देखा मैं नंगा ही अकेला सो रहा था और तीनो लड़किया लिली चेरी और डेज़ी पता नहीं कब उठ कर चली गयी थी मैंने दरवाजा खोला तो अभी भोर नहीं हुई थी और बहुत मीठी और ठंडी हवा चल रही थी .. मेरा मन इस मौसम में घूमने का हुआ . अंदर से लगा जंगल में जा कर घूम कर आना चाहिए और मंदिर में पूजन दर्शन भी कर लेता हूँ फिर मुझे ध्यान आया की महर्षि अमर मुनि गुरूजी ने जो पांच कार्य सुबह सुबह करने को कहे थे वो भी तो करने होंगे ..

वहां देखा तो वहां एक मेज पर एक थैला पड़ा था मैंने उसे खोला तो उसमे महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने के लिए दूध और दही गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए आटा और अनाज दाल , पक्षियों के लिए अनाज और आटे की गोली और कुछ रोटी घी और -चीनी रखी हुई थी और साथ ही में एक टोर्च , एक बोतल पानी भी रखा हुआ था .


MW2


मुझे बहुत अच्छा लगा की महर्षि अमर मुनि गुरूजी के आदेश अनुसार सभी चीजों को प्राप्त व्यवस्था की गयी है और मैंने मंदिर जाने का निश्चय कर लिया फिर मैं हाथ मुंह धोकर कपडे पहने और जेब में पर्स मोबाइल इत्यादि रखा और सैर करने जंगल की तरफ निकला तो बाहर दो सुरक्षा कर्मी थी जिन्हे मेरी सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया था . वो मेरे पीछे आने लगे तो मैंने उन्हें कहा जब तब मुझे कोई खतरा न हो वो वो मुझसे दूरी बना कर रखे ..

जब में अपने कक्ष से निकला तो सबसे पहले उद्यान के पास से निकला तो वहां बड़े सुन्दर फूल घास पर बिखरे हुए थे ,, मैंने फूल चुने और उन्हें थैले में रख लिया की इन्हे पूजा करते हुए मंदिर में अर्पण करूंगा .

आगे मेरी उसकी नजर आम और जामुन के पेड़ो पर पड़ी वहां आम और जामुन के बहुत बड़े पेड़ थे जिसपे फल लगे हुए थे उसपे चढ़ना तो मेरे बस का नहीं था जब मैं मैं उन पेड़ो के करीब गया वहां मैंने देखा कि पेड़ के नीचे कुछ पके हुए मीठे फल गिरे हुए हैं। मैंने एक फल चखा तो उसका स्वाद बहुत मीठा और अनोखा सा था उन फलो को मैं जल्दी-जल्दी चुन कर रुमाल में बाँध कर थैले में डाल लिया और वहां से आगे बढ़ गया ।

मंदिर के पाद पहुंचा तो मंदिर अभी खुला नहीं था .. मैंने बाहर से ही प्रणाम किया और मैंने सोचा थोड़ी सैर कर लेता हूँ फिर वापसी पर पूजा कर लूँगा .. और आगे बढ़ गया ..

आगे रास्ते में एक बहेलिया ( शिकारी ) मिला उसने कुछ तोते पकड़ कर पिंजरे में बंद कर रखे थे .. मैंने उसे बोला इन पक्षियों का क्या करोगे तो उसने बोला इन्हे बेचूंगा .... मैंने उसे बोला ये पक्षी मुझे दे दो .. तो उसने बोलै इनका दाम दो तभी दूंगा .. तो मैंने अपना पर्स निकाल कर उसने जितने पैसे कहे उतने उसे दे दिए और उसे बोला वो पक्षियों को पकड़ना और मारना छोड़ दे मैं उसे कोई काम दिला दूंगा .. पक्षी आज़ाद उसदे हुए ही ज्यादा अच्छे लगते हैं .. और मैंने उन पक्षियों को आज़ाद कर दिया . और मैंने उस बहेलिये को दिन में हमारे महाराज के ऑफिस आने को बोला जहाँ उसे काम मैं दिलवा दूंगा और उसे निशानी के तौर पर अपना कार्ड दे दिया .. मैंने कहा वहां ऑफिस में ये कार्ड दिखा देना तुम्हे काम मिल जाएगा .

आगे गया तो वहां एक कुटिया नज़र आयी जिसके बाहर पेड़ के नीचे बैठने की जगह बनी हुई थी और उसपे एक साधु बाबा अकेले बैठे आँखे बंद किए साधना कर रहे थे।

मैं जाते जाते रुक गया और थोड़ी देर खड़ा रहकर बाबा को देखने लगा। फिर बाबा उठे और अपनी कुटिया में चले गए मैं वहां गया तो देखा की साधू बाबा जिस जगह बैठे हैं वो जगह काफी गंदी है और वहा कीड़े मकोड़े भी थे । मैंने वहां पड़ी कुछ पत्तिया उठायी और साधु बाबा के बैठने की जगह पर झाड़ू मार कर उसे साफ़ किया और वहां पर कुछ नर्म और आरामदायक पत्तिया बिछा दी ताकि वहाँ बाबा आराम से बैठ सके।

मैंने देखा साधू बाबा तब तक बाहर आ गए थे और थोड़ी ही दूर पर खड़े मेरी सारी हरकतें देख रहे थे।

उनके होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई सफाई करने के बाद मैंने कुछ हरी पत्तियों पर जो मैं फल चुन कर लाया था सजा दिए और साधु बाबा को बोला बाबा लीजिए बाबा मुझे रास्ते से आते आते ये फल मिले हैं अब आप यहाँ आ जाईये और ये मीठे फल खा लीजिये ये बहुत मीठे फल हैं बाबा ।

बाबा बोले तुम्हे पहले कभी नहीं देखा . कौन हो तुम ?

बाबा मैं महाराज हरमोहिंदर का चचेरा भाई हूँ कल ही यहाँ आया हूँ बाबा

बाबा मैं जानता हूँ तुम्हारा नाम दीपक हैं यहां जंगल में क्या करने आये हो ?

मैं अपना नाम सुन कर चौंका मैंने बोला बाबा आप तो सब जानते हो फिर भी मुझ से सुनना चाहते हो इसलिए मैंने उनको सारी बात बता दी..



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बाबा मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखते हुए बोले क्या तुमने कुछ खाया है?

मैंने ना मे सिर हिला दिया और बोलै बस बाबा ये फल चखा था बहुत मीठा है आ आप भी खा लीजिये

बाबा ने एक फल मेरे हाथ से लिया और खा कर बोले सच में बहुत मीठा है !

और जूठा फल मुझे दे दिया मैं हिचका तो बाबा बोले तुम इसे प्रसाद समझ कर खाओ ..

मैंने वो फल खाया उसके बाद बाबा ने मेरा दाहिना हाथ पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके ध्यान करने लगे .. तो मुझे अपने अंदर एक अजीब सी ताकत और तरंगे महसूस हुई मुझे लग रहा था जैसे बाबा से कुछ तरंगे मेरे अंदर आ रही थी और उनके मन में चल रहा जाप मुझे स्पष्ट सुनाई दे रहा था । ये बहुत ही दिव्य और अनोखा एहसास था मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है???

मेरी आंखें खुल नहीं पा रही थी और ताकत और बेचैनी महसूस हो रही थी और बहुत विचित्र समझ में ना आने वाली दिव्य ज्ञान की बाते बहुत तेजी से मेरे दिल और दिमाग में समा रही थी ।



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इस कुछ देर बाद मेरी बंद आँखों में ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत तेजी से एक अनजान गुफा में जिसमे मुझे हल्का सा प्रकाश नजर आ रहा था उसकी तरफ मैं तेजी से जा रहा था .. या यु कहीये मैं उड़ कर उस प्रकाश ही तरफ जा रहा था .. और बाबा की आवाज गूंज रही थी और प्रकाश ही प्रकाश दिख रहा था . जिसमे में भी उसी प्रकाश में खो गया और मेरा दिमाग और मन जैसे रोशन हो गया था ।

मेरा मन एक दम शांत हो गया और मैंने मन में ही बाबा से पुछा बाबा ये क्या है बाबा ये मुझे क्या हो रहा है मुझे बंद आँखो से ये क्या क्या नजर आ रहा है। मुझे इतना भारी क्यों लग रहा है?

बाबा बोले बेटा तुम जन्म से ही दिव्य शक्तियों के मालिक हो यहाँ मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था मेरे गुरु दादा गुरु महर्षि अमर मुनि ने मुझे यहाँ तुम्हारे लिए ही भेजा है तुम्हारे अंदर की दिव्य शक्तिया अभी तक सोई हुई थी उनके जागने का समय आ गया है और जो शक्तियों मैंने तुम्हे दी हैं वो तुम्हारे अंदर की उन दिव्य शकितयों को जगा देंगी और तुम्हे जो और शकितया शीघ्र ही मिलने वाली हैं तुम उन्हें भी संभाल पाओगे . और भी कई दिव्य शक्तिया तुम्हारे अंदर हैं पुत्र जो समय और साधना के साथ साथ बढ़ती, निखरती और सवरती जाएंगी। अब तुम योगासन , प्रणाम और ध्यान किया करो और उन्होंने मुझे योगासन , प्रणाम और ध्यान का ज्ञान दिया और उसी अवस्था में सब सीखा भी दिया

इन शक्तियों के कारण तुम्हारी शरीरिक और दिव्य आत्मिक ताकतों में भी बढ़ोतरी होगी ।



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हर ताकत मिलने से पहले वो दिव्य शक्तिया तुम्हारी परीक्षा लेंगी जिनमे तुम्हे उत्तीर्ण होना होगा और उसमे सहायक होगा तुम्हारा सरल स्वाभाव और तुम्हारे अंदर दूसरो की मदद करने का भाव . इनकी ही सहायता से तुम हर परीक्षा में उत्तीर्ण हो अपनी सभी पूर्व जन्मो में अर्जित दिव्य शक्तियों को पुनः प्राप्त कर लोगो .

आज भी तुम्हारी उस बहेलिये के रूप में एक देव ने तुम्हारी परीक्षा ली थी जिसमे तुम अपनी सात्विक शक्तियों और स्वभाव के कारण उत्तीर्ण हुए हो . और आगे उनसे तुम्हे उनसे शीघ्र ही दिव्या शक्ति प्राप्त होगी .

तुम्हारे शरीर से एक ऐसी दिव्य सुगंध निकलती है जिसकी वजह से बहुत सारे लोग तुमसे आकर्षित होते हैं और इसी आकर्षण के कारण तुम ने अभी तक महसूस किया होगा जो तुमसे मिलता है वो तुम्हारा ही हो जाता है . और तुम्हे ये बाते गुप्त ही रखनी होंगी

गुरुदेव समय समय पर तुम्हारी सहायता करते रहेंगे .. जय गुरुदेव . जय महादेव ॐ शांति कह कर ग साधु बाबा ने आँखे खोल di. मैंने उनके चरणों में गिर कर उन्हें प्रणाम किया ..
उन्हें ने मुझे आशीर्वाद दिया और बोलै इन दिव्य शक्तियों का प्रयोग सोच समझकर और किसी की मदद करने के लिए ही करना। पुत्र इनका गलत प्रयोग से हमेशा परहेज करना ...

और इन शक्तियों से घबराना मत ये तुझे कभी कोई हानि नहीं पहुंचाएंगी पर इनके प्रदर्शन करने से भी हमेशा बचना लोगों के सामने अपनी इन शक्तियों का दिखावा मत करना ।
कुछ दिन तुझे अपनी इन शक्तियों की वजह से थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन बाद मे तुम्हे इन की आदत पड़ जाएगी।

और वो बोले अब जाओ कुमार अपनी प्रातः काल की भ्रमण पूरा करो .


कहानी जारी रहेगी
 
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 04


घायल वृद्ध


उसके बाद मैं भ्रमण के लिए आगे निकल गया तो कुछ दूर जाने पर काली चींटिया नज़र आयी तो मैंने देखा एक जगह से बहुत सारी चींटिया निकल रही थी तो मैंने उधर आटा डाला .. थोड़ा आगे गया तो देखा वहां पानी की एक छोटी सी धारा बह रही थी . जो दूसरी तरफ जा रही थी अचानक उसमे पानी बढ़ने लगा और लगा तो ये धारा अब बह कर उसी चींटियों के घर की तरफ जायेगी जिससे उन चींटोयो को खतरा हो सकता है तो मैंने वहां पर थोड़ी सी मिटटी और पत्थर के टुकड़े इकठे करके बाँध सा बना दिया जिससे पानी उधर न जा पाए और चींटियों का घर सुरक्षित रहे . मैंने फिर पानी में हाथ धोये और एक अंजुली भर कर पानी पिया तो पानी साफ़ था और काफी ठंडा और मीठा था .

मैंने थोड़ा आगे ए मुझे वहां एक छोटा सा तालाब नज़र आया और उसने तैरती हुई मछलिया नज़र आयी तो मैंने तालाब में अपने साथ लायी हुई आटे की गोलिया उस तालाब में में डाल दी .

फिर आगे गया तो वहां जंगल काफी घना हो गया जिसके कारण अँधेरा भी घना हो गया और बादलों ने चाँद को ढक लिया । कभी-कभी बादलों और पेड़ो के बीच से छन्न कर चाँद की चांदनी में सब कुछ रोशन हो जाता था । कच्चेी पगडण्डी काफी लम्बी लग रही थी और वहां जानवरों की आवाज़ के आ रही थी मैंने टोर्च जला ली थी

चाँद की रौशनी में पगडण्डी के किनारे मुझे एक ढेर के जैसा कुछ नज़र आया दूर से यह किसी प्रकार के घायल जानवर की तरह लग रहा था लेकिन चांदनी में मुझे लगा किसी शिकारी या जानवर ने किसी अन्य जानवर को पकड़ लिया था और शिकार हो गया था और मैंने वहां पर टार्च की रोशनी फेंकी जिससे वो ढेर हिलने लगा ।


मैंने टोर्च के प्रकाश को चारों ओर फेंक कर ये सुनिश्चित किया की आसपास कोई जानवर या मानव हमलावर तो छिपा हुआ नहीं है जब मुझे सब सुरक्धित लगा तो मैं आगे बढ़ा और उस ढेर के पास पहुंचा, साथ ही साथ अपनी आंखों को तेजी से बाईं और दाईं ओर घुमाते हुए, सभी दिशाओं को स्कैन करते हुए मामूली संकेतों की तलाश की की कोई और तो वहां नहीं है । ढेर में मुझे धूल से ढका किसी इंसान का चेहरा दिखाई दिया जो खून से लथपथ था . सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वह जीवित था और उसके होठों से कराह निकल रही थी।



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मैंने अपनी टोर्च से प्रकाशित क्षेत्र की परिधि यह सोचकर को स्कैन किया कि क्या यह एक जाल हो सकता है, दोस्तों से कहानियाँ सुनी थीं और उसे कई मौकों पर पुलिस बल के द्वारा भी चेतावनी दी गई थी, इस तरह की स्थिति में रुकें नहीं क्योंकि ये एक जाल हो सकता है जिसमे बदमाश लोग जो इसके साथी हो सकते हैं झपट्टा मारने के लिए झाड़ी में छिपे हमला कर सकते हैं। मुझे कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा तो मैंने फैसला किया कि मैं इस जंगल में एक घायल इंसान को ऐसे नहीं छोड़ सकता। मैं सहज रूप से जानता था कि अगर मैं चला गया, तो पगडण्डी के किनारे वह इंसान मर सकता है और यह मेरे विवेक पर हमेशा के लिए एक भार होगा और फिर डॉक्टर होने के नाते मेरा कर्तव्य था इस इंसान की मदद करना और उसे इलाज देना ।

मैंने अपनी पानी की बोतल निकाल ली, और पगडण्डी के किनारे निष्क्रिय पड़े हुए घायल के पास गया, उसका सिर एक कोहनी पर टिका हुआ था मैं घायल व्यक्ति को अर्ध-बैठने की स्थिति में सहारा देने के लिए उसके नीचे अपना हाथ ले गया और उसके फटे और सूखे होंठों पर अपनी बोतल से थोड़ा सा पानी डाला।

करीब से देखने पर मुझे पता चला कि उस घायल के पैर स्पष्ट रूप से टूटे गए थे और उसका कई अलग-अलग जगहों से बुरी तरह से खून बह रहा था, मैंने अपने मन में आकलन किया ये इंसान बुरी तरह घायल और बहुत गंभीर स्थिति में था। मैंने तुरंत फैसला किया कि उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए और उस समय मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उस आदमी को और कौन सी चोटें लगी हुई है जो मैं देख नहीं पाया था और यदि मैं उसे उठाता तो उसे और नुकसान होने का भी डर था


INJ1

मुझे याद आया कि मैंने अपने टॉर्च बैग में कुछ जीवन रक्षक होम्योपैथिक दवाएं और आयुर्वेदिक जीवन रक्षक दवाएं रखी थीं जो मैंने एक डॉक्टर होने के नाते उनके मुँह में उनकी जान बचाने ले लिए डाल दी मैंने तुरंत मेरे पीछे आ रहे मेरे सुरक्षा दोनों गार्डों को बुलाया और दो लकड़ी के टुकड़े लाने के लिए जिससे स्ट्रेचर बनाया जा सके और मैंने फुर्ती से अपना कुर्ता और पायजामा निकाल दिया।

मैंने इस बीच उस बूढ़े आदमी से बात की और पूछा कि उसे और कहाँ दर्द है, चोट लगने से घायल और खून बहने से कमजोर हो चुके उस वृद्ध व्यक्ति ने मेरी आँखों में देखा और बोलने की व्यर्थ कोशिश की, फिर अचानक गहरी सांस लेते हुए वो घायल व्यक्ति कराह उठा और बेहोश हो गया।

मैंने चारों ओर देखा और गार्ड से चाकू ले कर पास के पेड़ की मोटी छाल की निकाला और उसे टूटे हुए अंगों के साथ रखा, उन्हें स्थिर करते हुए जंगल से लताये काट कर उनसे उस छाल की बाँध दिया और वृद्ध के घायल पैरों को स्थिर किया ।

इस बीच वो दोनों सुरक्षा कर्मी दो लकड़ी के टुकड़े ले लाए और मैंने मेरे कपड़ों का उपयोग करके जल्दी से एक स्ट्रेचर बनाया और बूढ़े को स्ट्रेचर पर लिटा दिया, उसे उठाया और वापस महल की ओर दौड़ पड़े। इसी बीच मैंने अपनी सचिव हेमा को फोन किया और उन्हें जल्दी से जंगल की ओर एम्बुलेंस भेजने के लिए कहा। अगले कुछ मिनटों में एम्बुलेंस आ गई और अस्पताल पहुंच कर उस घायल को आपातकाल हताहत विभाग में ले गया ।

मुझे ये स्पष्ट था कि बूढ़ा बहुत बुरी तरह से घायल हो गया था और मैंने अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए स्वेच्छा से भुगतान किया और अपना परिचय दिया ताकि बूढ़े व्यक्ति को जल्दी से इलाज मिल सके। मैंने तुरंत अपना सारा विवरण अस्पताल को दिया और उन्हें बताया कि मैं एक डॉक्टर हूं फिर मैंने रोगी की जांच की और पाया कि वह बुरी तरह से घायल था .



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जब अस्प्ताल के कर्मचारियों ने पूछा "क्या हम आपका पता जान सकते हैं? हमें पुलिस के लिए इसकी आवश्यकता पड़ेगी । ये घायल आपको कहां और कब मिले, इसके बारे में पुलिस आपसे जानना चाहेगी मुझे पता था इस प्रकार के विवरण सभी अस्पताल लेते हैं ताकि अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए भुगतान होने के बारे में पता चले । उस समय ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं था और ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने अपनी चिंता व्यक्त की "रोगी एक गंभीर स्थिति में लग रहा है और यह कि आपके दवरा किये गए उन सभी प्रयासों और सहायता के बावजूद मामले की वास्तविकता यह है कि मरीज का बचना काफी कठिन है ।"

मैंने नर्स से कहा मैं एक होमेओपेथिक ही सही पर एक डॉक्टर हूँ कि मैंने उसे कुछ जीवन रक्षक दवाएं दी हैं और उससे कहा कि मैं महाराजा का रिश्तेदार हूं। यह सुनकर चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ने लगीं और जल्दी ही भाई महाराजा भी डॉक्टरों की एक टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर भी आ गए और वो लोग मरीज को तुरत ऑपरेशन थिएटर में ले गए ।

महाराज मुझे घर वापिस ले आये और घर पहुँचकर उन्हों में मुझे जंगल में इस तरह जाने के लिए डांटा और मैं उन्हें ये नहीं समझा सका कि मैं ऐसे समय एक अनजान जगह में जंगल में क्यों गया । उन्हों में मुझे बोला तुमने ऐसी मूर्खता क्यों की क्या तुम्हे नहीं मालूम ऐसे समय में मेरी हत्या आसानी से की जा सकती थी। पर मुझे खुशी थी मैं इस समय साधू बाबा से मिल पाया और एक घायल आदमी की मदद कर पाया जो वह पता नहीं कितनी देर से घायल पड़ा था और मुझेे उसकी सहायता करने के लिए चुना था .

कुछ घंटों के बाद मैंने अस्पताल को फोन किया और बूढ़े आदमी के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की, जिसके लिए मेरी अपनी जान जोखिम में पड़ सकती थी और मैंने बोलै वो बजुर्ग जो बुरी तरह से घायल थे और जिन्हे मैं आज सुबह ही अस्पताल लाया था, तब अस्पताल ने मुझे बताया कि रोगी जीवित था लेकिन उसकी हालत बहुत अच्छी नहीं है वो बार बार बेहोश हो रहा है और होश में, आने पर वह मरीज मेरे बारे में पूछ रहा था।

अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा, "हमें पता है, आपने पहले ही बूढ़े व्यक्ति की सहायता करने के लिए बहुत कुछ किया है लेकिन हम चाहते हैं कि आप अस्पताल में आएं और उस मरते हुए व्यक्ति को आपके आने से शान्ति मिलेगी ।" अनिच्छा से मैं अस्पताल जाने के लिए सहमत हो गया उस बूढ़े व्यक्ति से मिलने के लिए अस्पताल चला गया।

अस्पताल पहुंचकर मैंने तुरंत ड्यूटी रिसेप्शनिस्ट को बताया कि मैं कौन हूँ तो मुझे तुरंत गहन चिकित्सा इकाई (ICU. ) में ले जाया गया । बूढ़ा आदमी पैरो पर प्लास्टर के साथ बिस्तर पर लेटा हुआ था अभी बेहोश था और उसकी सांस उथली थी और एक ऑक्सीजन मास्क उसे लगा हुआ था । उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, उसके चेहरे और शरीर के अन्य घावों को सिल दिया गया था, लेकिन उसका रंग पीला हो गया था और ऐसा लग रहा था को वह ज्यादा देर जीवित नहीं रहेगा।

उसके माथे और बाजुओं पर नाग बना हुआ था मैंने नर्सिंग स्टाफ पुछा "इनके ठीक होने की क्या संभावना है?" उन्होंने गंभीरता से नक्कारात्मक सिर हिलाया।

ड्यूटी पर तैनात नर्स ने मुझे बताया की ये काफी समय ऑपरेशन थिएटर में रहे है और डॉक्टरों ने जितना संभव हो सका कर दिया है, लेकिन इन्हे काफी चोटे लगी हैं जिनका इलाज अभी भी किया जाना है, इलाज उनकी खराब स्थिति के कारण स्थगित करना पड़ा था क्योंकि उसके लिए इन्हे मूर्छित करना होगा और इनकी हालत ऐसी लग रही है की फिर इन्हे होश में लाना काफी मुश्किल हो जाएगा .

इतने में वहां डॉक्टर आ गए और बोले हम इनकी चोटे देख आश्चर्यचकित हैं कि ये अब तक जीवित हैं. इनकी चोटें इतनी खराब और गहरी हैं जिनसे लंबी अवधि के लिए रक्त स्राव होने के कारण इनका काफ़ी रक्त बह चूका है और ऐसी चोटों से तो अब तक एक मजबूत स्वस्थ आदमी की भी मौत हो चुकी होती ।" हमारे राय से किसी जानवर ने इनपे हमला किया था.

फिर मैंने उससे कहा कि मैंने इन्हे जंगल में कुछ प्रारंभिक उपचार दिया है और कुछ जीवन रक्षक दवाएं दी हैं जो मैं हमेशा अपने साथ रखता हूं। यह सुनकर नर्स ने कहा कि शायद यही कारण है कि मरीज अब तक जीवित है ।

मैं सोच ही रहा था की क्या ये बूढ़ा आदमी अब होश में आएगा, उससे बात करने की बात तो दूर, मैं बैठ कर उन्हें देख रहा था डॉक्टर ने मुझे मरीज को प्राथमिक चिकित्सा और कुछ जीवन रक्षक दवाएं देने के लिए धन्यवाद दिया और उसने डॉक्टर को मुझे धन्यवाद देते सुना मैंने डॉक्टर से पुछा क्या मैं इन्हे अपनी दवाये और दे सकता हूँ तो डॉक्टर बोले इसमें कोई बुराई नहीं है

मैंने भी कहा डॉक्टर साहब आपने जो किया है उसके लिए आपका बहूत धन्यवाद पर शायद मेरी दवाओं से इन्हे कुछ फायदा हो जाए तो डॉक्टर बोले इसमें कोई बुराई नहीं है . मेडिकल साइंस में अभी बहुत से पहेलियाँ अनसुलझी हुई हैं और डॉक्टर फिर चले गए ।

उनके जाते ही मरीज ने आँखे खोल दी ,मैंने अपने बैग से निकाल कर उस मरीज को कुछ और दवाये दी फिर उसने धीरे-धीरे अपना हाथ उठाया और अपनी उंगली का उपयोग करते हुए उसने मुझे आगे आने के लिए संकेत किया और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, उस घायल बजुर्ग ने अपनी बाँहें हिलायीं और एक हाथ से एक पुरानी अँगूठी जिसपे सांप बना हुआ था उसे अपनी उंगली से खींच कर मुझे लेने का इशारा किया। मैंने अपने हाथों से वापस इशारा किया और नाकारत्मक सिर हिलाया और धीरे से बोला।

मैंने कहा "नहीं, नहीं, मुझे इनाम के तौर पर आपसे कुछ नहीं चाहिए मैं आपको जंगल में उस हालत में नहीं छोड़ सकता था ।"

कहानी जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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जबरदस्त और शानदार कहानी बहुत शानदार मोड़ पर है
 
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कहानी बहुत ही रोमांचक मोड़ पर आ गई है
दिपक को बुढ़े बाबा की अंगूठी से कोई शक्ति मिलने की संभावना लगती है
जबरदस्त लेखन और धमाकेदार अपडेट
मज़ा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजियेगा
 

deeppreeti

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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 05

घायल वृद्ध की अंगूठी



मैंने देखा बूढ़े के होंठ हिल रहे थे पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया . मेरे इंकार के देख वो मरणासन्न घायल बूढ़ा व्यथित हो गया और उसने मुझे फिर से अंगूठी लेने का इशारा किया, इस डर से कि मेरे इंकार के कारण से घायल आदमी को तकलीफ होगी, मैंने उसे ले लिया।

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही मैंने अंगूठी को अपने हाथ में लिया वो मुझे ऊर्जावान लगी और साथ ही उन घायल वृद्ध के हाथो से मेरे अंदर ऊर्जा का संचार होने लगा बिलकुल वैसे ही जैसे प्रातः काल में साधु बाबा के साथ हुआ था और वो पीतल जैसी लगने वाली अंगूठी से ऊर्जा निकलने लगी और सोने की फीकी चमक देने लगी। बूढ़े ने मेरी तर्जनी (index.) उंगली की ओर इशारा किया और धीरे से अपना सिर हिला कर मुझे अंगूठी तर्जनी मे पहनने का इशारा किया ।

उसे खुश करने के लिए और उसे फिर सेअशांत होने से रोकने के लिए, मैंने धीरे-धीरे उस घायल वृद्ध आदमी के अनुरोध का पालन किया, यह सोचकर कि इस सरल इशारे से क्या नुकसान हो सकता है और उस अंगूठी को अपनी तर्जनी ऊँगली में पहनने का प्रयास किया, मुझे पूरा विश्वास था कि ये अंगूठी मेरी उंगली पर बहुत छोटी रहेगी । .

यह अंगूठी मेरी उंगली पर फिसलती चली गयी और उसकी फीकी चमक से निकलती हुई ऊर्जा से अंगूठी एक नई सोने की अंगूठी की तरह चमक उठी। और मेरी ऊँगली पर समायोजित होते हुए आरामदायक फिट हो रही थी . अंगूठी मेरी ऊँगली के पोर से आराम से पार हो गयी और पूरी तरह उंगली में फिट हो गयी । मैंने देखा वो बिलकुल आराम से ऐसे फिट हो गयी थी जैसे वो मेरे लिए ही बनायीं गयी हो .

उस वृद्ध की अपरिचित भाषा जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था उसके शब्दों का अर्थ मुझे समझ आने लगा गया,और मैं उसकी भाषा से पूरी तरह परिचित हो गया। अचानक ही मुझे एक ऐसी भाषा समझने आने लगी जिसे मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैंने आँखे बंद कर उसकी तरफ ध्यान लगाया तो मुझे अव्वज सुनाई दी जी निश्चित रूप से उस वृद्ध की ही थी .



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मेरी सहायता के लिए आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद,लोगों ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया था ।" फिर उसने जारी रखते हुए कहा " ये दुर्घटना आपके मिलने से कुछ घंटे पहले हुई थी, मैं जंगल में लकडिया इकट्ठा कर रहा था जब मेरा पैर जानवरों के लिए शिकारियों द्वारा बिछाए गए शिकंजे में फंस गया और मैं एक बड़े खड़े में गिर गया जिससे मेरी टांग टूट गयी और तभी एक बड़े जानवर ने मुझ पर हमला किया जिससे मैं घायल हो गया और खड़े में ही बहुत देर तक लेटा मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन कोई भी मदद करने के लिए नहीं आया ।"

फिर मैं किसी तरह से उस गड्डे से बाहर निकला पर चल पाने में बिलकुल असमर्थ था और मुझे लगा अब मेरा अंतिम समय आ गया है .

तभी नर्स वह आयी और उसने उस बोली में घायल वृद्ध से पुछा अब आप कैसे हैं
वृद्ध ने तो कोई जवाब नहीं दिया पर मैं उसी बोली में बोला ,

"इन्होने अपनी आँखें खोली थीं और ओंठ हिलाये थे लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया इन्होने कोई बात नहीं की।"

नर्स को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, अभी तक मेरी बातचीत से उसे ऐसा नहीं लगा था मैं उसकी भाषा और बोली समझ और बोल सकता हूँ, खासकर जब उत्तर उसकी मातृभाषा में इतनी अच्छी तरह से मेरे द्वारा दिया गया था। नर्स ने फिर उसी भाषा में जवाब दिया. "

मैं शीघ्र ही इन्हे देखने के लिए डॉक्टर को बुलवाती हूँ;

फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को ढूंढने चली गयी ।




फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को ढूंढने चली गयी ।

नर्स के चले जाने के बाद फिर मेरे को आवाज आयी, मैंने बूढ़े की ओर देखा लेकिन यह स्पष्ट था कि वह होश में नहीं था और सीधे किसी से बात करने में असमर्थ था। मुझे लगा रहा था कि आवाज उस बूढ़े आदमी की है


वो बजुर्ग फिर बोलने लगा , "मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं, मैं अब थक गया हूं और मेरे गुरु ने मुझे यह अंगूठी एक योग्य व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया था और बताया था जो आदमी जो आपकी जीवन या मृत्यु की आपात स्थिति में आपकी मदद करेगा वही इसका अगला उत्तराधिकारी होगा । मुझे लगता है कि आप इस अंगूठी को पहनने के लिए बिलकुल सही उत्तराधिकारी हैं क्योंकि आप दयालु और मददगार हैं ।"

"मुझे आपको सूचित करना है कि अंगूठी की शक्तियां लगभग असीमित हैं; यह अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, जैसे आप मेरी बात समझ रहे हैं वैसे ही आप दुनिया की हर भाषा और बिजली समझ सकेंगे . इसके अतिरिक्त भी आपको इसकी विशेषताएं और दिव्य शक्तिया धीरे धीरे पता चलती जाएंगी .

ये अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक और मानसिक सभी चीजों पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाती है और पहनने वाले को अपने जीवन के समाप्त होने से पहले इस अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी।" आपको इसके बल को नियंत्रित करना सीखना होगा और इस काम में आपके गुरु आपके सहायक होंगे और जैसे वो आपको निर्देशित करे आप वैसे ही करे अन्यथा इस अंगूठी की दिव्य बल आप पर नियंत्रण कर लेगा . इस से आपका शारीरिक और मानसिक बल बढ़ जाएगा .

इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले . इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है . यदि इसने आपके दिमाग पर नियंत्रण करे लिया तो परिणाम न केवल आपके लिए बल्कि सामान्य रूप से दुनिया के लिए क्या होगा ये कोई नहीं जानता ।" आवाज जारी रही "जैसा कि मैंने कहा है कि मैं अब जीवन से थक गया हूं और मैंने दुर्घटना के बाद खुद को ठीक करने के लिए अंगूठी की शक्ति का उपयोग नहीं किया बल्कि प्रकृति को अपना काम करने दिया है,

आधुनिक दुनिया मेरे लिए नहीं है, इसके मूल्य अब वे नहीं हैं जिनका मैं हिस्सा बनना चाहता हूं, लेकिन मैं अपने इस नश्वर शरीर को तब तक नहीं त्याग कर सकता जब तक कि मुझे एक योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता है और यदि आप मेरे बचावकर्ता के रूप में अंगूठी के उपहार को स्वीकार नहीं करते हैं तो मुझे नया उत्तराधिकारी खोजना होगा । यदि आप अंगूठी और उसकी सभी शक्तियों को स्वीकार करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि जब तक आपको इसका योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता तब तक आपको जीवित रहना होगा

अंगूठी को स्वीकार करने से अंगूठी की असीमित शक्तियां केवल आपकी अपनी कल्पना से चलेंगी और मैं आपको कुछ समय तक इस अंगूठी के साथ देखता रहूंगा जब मुझे ये भरोसा हो जाएगा की आप इसके योग्य हैं तभी मैं चैन से मर सकता हूं। आपको निर्णय यहां और अभी करना होगा या आपको इसे स्वीकार करना होगा अन्यथा इस अंगूठी को मुझे वापस करना होगा, चुनाव केवल आपका है और आपको अकेले करना है। अंगूठी की शकतोयो को नियंत्रण करने के लिए आप आपने गुरुदेव की मदद ले सकते हैं और जहाँ तक मैं देख रहा हूँ उन्होंने आपको इसके लिए कुछ शक्तिया प्रदान कर दी हैं .. "

आप महसूस कर ही रहे हैं इसी अंगूठी के कारण आप मेरी बात समझ पा रहे हैं और ये अंगूठी दुनिया की हर भाषा और हर बोली को समझने की क्षमता प्रदान करती है और किसी को भी संबोधित करते समय वे आपके द्वारा बोले गए हर शब्द को तुरंत समझ जाएंगे।

उस बजुर्ग की आवाज की इस बात से मेरा दिमाग घूम गया और मैंने यह आकलन करने की कोशिश की कि अंगूठी मेरे लिए क्या कर सकती है और मुझ पर कौन सी जिम्मेदारियां आ जाएंगी । मेरी कल्पनाके घोड़े भागने लगे और अधिकांश मनुष्यों की तरह इस तरह की शक्ति के विचार ने मेरे अंगूठी न स्वीकार करने के किसी भी प्रतिरोध पर काबू पा लिया और मुझे इस शक्ति को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। जैसे ही मेरे मन में निर्णय हो गया, मैंने उसके अंग जहां जहां चोट लगी थी वहां अपना हाथ फेरा और महर्षि का ध्यान किया और महादेव से उस घायल बूढ़े के स्वस्थ्य लाभ की प्राथना की और देखा वो घायल बूढ़े के चेहरे पर दर्द गायब हो गया और वो सो गया .. तभी डॉक्टर आ गया और उसने उसे चेक किया और बोलै अब ये पहले से बेहतर लग रहा है .. हम इनके कुछ टेस्ट और कर लेते हैं ..

मैंने डॉक्टर से बोला आपकी नर्स शायद इन घायल बूढ़े के समूह को या इनके कबीले को जानती है आप उन्हें इनके बारे में सूचना दे . मैंने इन्हे अपनी थोड़ी दवाये दे दी हैं और उन्हें कुछ कांच की छोटी शीशीया देता हुए कहा ये दवाये आप इन्हे २ -२ घंटो बाद दे दे .. मुझे लगता है ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगे.. ,मैं इन्हे जल्द ही दुबारा देखने आऊँगा ..

उसके बाद मैं वहां से चला आया और जड़ी बूटियों वाले जल से स्नान कर तरो ताजा हो गया और उसके बाद मैं भाई महाराज के साथ पूजा अर्चना की और दूध और दही फल फूल और अन्य पूजा सामग्री को अर्पण किया . वही दादा गुरुदेव् महर्षि के आदेश अनुसार गाय को रोटी खिलाई और हवन में अग्नि को निर्देशित सामग्री अपर्ण की .

फिर मैं पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महाराज माताजी और पिताजी के साथ स्पेशल फ्लाइट द्वारा कामरूप (आसाम) के लिए रवाना हो गया .


कहानी जारी रहेगी
 
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 05

घायल वृद्ध की अंगूठी


मैंने देखा बूढ़े के होंठ हिल रहे थे पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया . मेरे इंकार के देख वो मरणासन्न घायल बूढ़ा व्यथित हो गया और उसने मुझे फिर से अंगूठी लेने का इशारा किया, इस डर से कि मेरे इंकार के कारण से घायल आदमी को तकलीफ होगी, मैंने उसे ले लिया।

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही मैंने अंगूठी को अपने हाथ में लिया वो मुझे ऊर्जावान लगी और साथ ही उन घायल वृद्ध के हाथो से मेरे अंदर ऊर्जा का संचार होने लगा बिलकुल वैसे ही जैसे प्रातः काल में साधु बाबा के साथ हुआ था और वो पीतल जैसी लगने वाली अंगूठी से ऊर्जा निकलने लगी और सोने की फीकी चमक देने लगी। बूढ़े ने मेरी तर्जनी (index.) उंगली की ओर इशारा किया और धीरे से अपना सिर हिला कर मुझे अंगूठी तर्जनी मे पहनने का इशारा किया ।

उसे खुश करने के लिए और उसे फिर सेअशांत होने से रोकने के लिए, मैंने धीरे-धीरे उस घायल वृद्ध आदमी के अनुरोध का पालन किया, यह सोचकर कि इस सरल इशारे से क्या नुकसान हो सकता है और उस अंगूठी को अपनी तर्जनी ऊँगली में पहनने का प्रयास किया, मुझे पूरा विश्वास था कि ये अंगूठी मेरी उंगली पर बहुत छोटी रहेगी । .

यह अंगूठी मेरी उंगली पर फिसलती चली गयी और उसकी फीकी चमक से निकलती हुई ऊर्जा से अंगूठी एक नई सोने की अंगूठी की तरह चमक उठी। और मेरी ऊँगली पर समायोजित होते हुए आरामदायक फिट हो रही थी . अंगूठी मेरी ऊँगली के पोर से आराम से पार हो गयी और पूरी तरह उंगली में फिट हो गयी । मैंने देखा वो बिलकुल आराम से ऐसे फिट हो गयी थी जैसे वो मेरे लिए ही बनायीं गयी हो .

उस वृद्ध की अपरिचित भाषा जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था उसके शब्दों का अर्थ मुझे समझ आने लगा गया,और मैं उसकी भाषा से पूरी तरह परिचित हो गया। अचानक ही मुझे एक ऐसी भाषा समझने आने लगी जिसे मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैंने आँखे बंद कर उसकी तरफ ध्यान लगाया तो मुझे अव्वज सुनाई दी जी निश्चित रूप से उस वृद्ध की ही थी

मेरी सहायता के लिए आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद,लोगों ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया था ।" फिर उसने जारी रखते हुए कहा " ये दुर्घटना आपके मिलने से कुछ घंटे पहले हुई थी, मैं जंगल में लकडिया इकट्ठा कर रहा था जब मेरा पैर जानवरों के लिए शिकारियों द्वारा बिछाए गए शिकंजे में फंस गया और मैं एक बड़े खड़े में गिर गया जिससे मेरी टांग टूट गयी और तभी एक बड़े जानवर ने मुझ पर हमला किया जिससे मैं घायल हो गया और खड़े में ही बहुत देर तक लेटा मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन कोई भी मदद करने के लिए नहीं आया ।"

फिर मैं किसी तरह से उस गड्डे से बाहर निकला पर चल पाने में बिलकुल असमर्थ था और मुझे लगा अब मेरा अंतिम समय आ गया है .

तभी नर्स वह आयी और उसने उस बोली में घायल वृद्ध से पुछा अब आप कैसे हैं
वृद्ध ने तो कोई जवाब नहीं दिया पर मैं उसी बोली में बोला ,

"इन्होने अपनी आँखें खोली थीं और ओंठ हिलाये थे लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया इन्होने कोई बात नहीं की।"

नर्स को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, अभी तक मेरी बातचीत से उसे ऐसा नहीं लगा था मैं उसकी भाषा और बोली समझ और बोल सकता हूँ, खासकर जब उत्तर उसकी मातृभाषा में इतनी अच्छी तरह से मेरे द्वारा दिया गया था। नर्स ने फिर उसी भाषा में जवाब दिया. "

मैं शीघ्र ही इन्हे देखने के लिए डॉक्टर को बुलवाती हूँ;

फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को ढूंढने चली गयी ।


फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को ढूंढने चली गयी ।

नर्स के चले जाने के बाद फिर मेरे को आवाज आयी, मैंने बूढ़े की ओर देखा लेकिन यह स्पष्ट था कि वह होश में नहीं था और सीधे किसी से बात करने में असमर्थ था। मुझे लगा रहा था कि आवाज उस बूढ़े आदमी की है


वो बजुर्ग फिर बोलने लगा , "मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं, मैं अब थक गया हूं और मेरे गुरु ने मुझे यह अंगूठी एक योग्य व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया था और बताया था जो आदमी जो आपकी जीवन या मृत्यु की आपात स्थिति में आपकी मदद करेगा वही इसका अगला उत्तराधिकारी होगा । मुझे लगता है कि आप इस अंगूठी को पहनने के लिए बिलकुल सही उत्तराधिकारी हैं क्योंकि आप दयालु और मददगार हैं ।"

"मुझे आपको सूचित करना है कि अंगूठी की शक्तियां लगभग असीमित हैं; यह अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, जैसे आप मेरी बात समझ रहे हैं वैसे ही आप दुनिया की हर भाषा और बिजली समझ सकेंगे . इसके अतिरिक्त भी आपको इसकी विशेषताएं और दिव्य शक्तिया धीरे धीरे पता चलती जाएंगी .

ये अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक और मानसिक सभी चीजों पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाती है और पहनने वाले को अपने जीवन के समाप्त होने से पहले इस अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी।" आपको इसके बल को नियंत्रित करना सीखना होगा और इस काम में आपके गुरु आपके सहायक होंगे और जैसे वो आपको निर्देशित करे आप वैसे ही करे अन्यथा इस अंगूठी की दिव्य बल आप पर नियंत्रण कर लेगा . इस से आपका शारीरिक और मानसिक बल बढ़ जाएगा .

इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले . इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है . यदि इसने आपके दिमाग पर नियंत्रण करे लिया तो परिणाम न केवल आपके लिए बल्कि सामान्य रूप से दुनिया के लिए क्या होगा ये कोई नहीं जानता ।" आवाज जारी रही "जैसा कि मैंने कहा है कि मैं अब जीवन से थक गया हूं और मैंने दुर्घटना के बाद खुद को ठीक करने के लिए अंगूठी की शक्ति का उपयोग नहीं किया बल्कि प्रकृति को अपना काम करने दिया है,

आधुनिक दुनिया मेरे लिए नहीं है, इसके मूल्य अब वे नहीं हैं जिनका मैं हिस्सा बनना चाहता हूं, लेकिन मैं अपने इस नश्वर शरीर को तब तक नहीं त्याग कर सकता जब तक कि मुझे एक योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता है और यदि आप मेरे बचावकर्ता के रूप में अंगूठी के उपहार को स्वीकार नहीं करते हैं तो मुझे नया उत्तराधिकारी खोजना होगा । यदि आप अंगूठी और उसकी सभी शक्तियों को स्वीकार करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि जब तक आपको इसका योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता तब तक आपको जीवित रहना होगा

अंगूठी को स्वीकार करने से अंगूठी की असीमित शक्तियां केवल आपकी अपनी कल्पना से चलेंगी और मैं आपको कुछ समय तक इस अंगूठी के साथ देखता रहूंगा जब मुझे ये भरोसा हो जाएगा की आप इसके योग्य हैं तभी मैं चैन से मर सकता हूं। आपको निर्णय यहां और अभी करना होगा या आपको इसे स्वीकार करना होगा अन्यथा इस अंगूठी को मुझे वापस करना होगा, चुनाव केवल आपका है और आपको अकेले करना है। अंगूठी की शकतोयो को नियंत्रण करने के लिए आप आपने गुरुदेव की मदद ले सकते हैं और जहाँ तक मैं देख रहा हूँ उन्होंने आपको इसके लिए कुछ शक्तिया प्रदान कर दी हैं .. "

आप महसूस कर ही रहे हैं इसी अंगूठी के कारण आप मेरी बात समझ पा रहे हैं और ये अंगूठी दुनिया की हर भाषा और हर बोली को समझने की क्षमता प्रदान करती है और किसी को भी संबोधित करते समय वे आपके द्वारा बोले गए हर शब्द को तुरंत समझ जाएंगे।

उस बजुर्ग की आवाज की इस बात से मेरा दिमाग घूम गया और मैंने यह आकलन करने की कोशिश की कि अंगूठी मेरे लिए क्या कर सकती है और मुझ पर कौन सी जिम्मेदारियां आ जाएंगी । मेरी कल्पनाके घोड़े भागने लगे और अधिकांश मनुष्यों की तरह इस तरह की शक्ति के विचार ने मेरे अंगूठी न स्वीकार करने के किसी भी प्रतिरोध पर काबू पा लिया और मुझे इस शक्ति को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। जैसे ही मेरे मन में निर्णय हो गया, मैंने उसके अंग जहां जहां चोट लगी थी वहां अपना हाथ फेरा और महर्षि का ध्यान किया और महादेव से उस घायल बूढ़े के स्वस्थ्य लाभ की प्राथना की और देखा वो घायल बूढ़े के चेहरे पर दर्द गायब हो गया और वो सो गया .. तभी डॉक्टर आ गया और उसने उसे चेक किया और बोलै अब ये पहले से बेहतर लग रहा है .. हम इनके कुछ टेस्ट और कर लेते हैं ..

मैंने डॉक्टर से बोला आपकी नर्स शायद इन घायल बूढ़े के समूह को या इनके कबीले को जानती है आप उन्हें इनके बारे में सूचना दे . मैंने इन्हे अपनी थोड़ी दवाये दे दी हैं और उन्हें कुछ कांच की छोटी शीशीया देता हुए कहा ये दवाये आप इन्हे २ -२ घंटो बाद दे दे .. मुझे लगता है ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगे.. ,मैं इन्हे जल्द ही दुबारा देखने आऊँगा ..

उसके बाद मैं वहां से चला आया और जड़ी बूटियों वाले जल से स्नान कर तरो ताजा हो गया और उसके बाद मैं भाई महाराज के साथ कुलदेवता के दर्शनों को गया और वहां पूजा अर्चना की और शिव लिंग पर दूध और दही फल फूल और अन्य पूजा सामग्री को अर्पण किया . वही मंदिर के प्रांगण में दादा गुरुदेव् महर्षि के आदेश अनुसार गाय को रोटी खिलाई और हवन कुंड में अग्नि को महर्षि द्वारा निर्देशित सामग्री अपर्ण की .

फिर मैं पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महाराज माताजी और पिताजी के साथ स्पेशल फ्लाइट द्वारा कामरूप (आसाम) के लिए रवाना हो गया .

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बहुत सुंदर और अद्भुत अपडेट है भाई
दिपक को बुढ़े बाबा की अंगूठी के माध्यम से अपरिमित शक्ति मिली है उसका क्या उपयोग होता है देखते हैं कुछ अद्भुत होने की संभावना बनती जा रही है
जबरदस्त अपडेट :adore:
मज़ा आ गया :applause::applause:
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजियेगा
 
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 06


मैं भाई महाराज, कुलगुरु मृदुल, पिताजी और माताजी के साथ कामरूप चले गए . फ्लाइट में हमारे साथ मेरी नवनियुक्त सचिव हेमा भी थी. आसाम जा कर हम पहले एक होटल में जा कर रुके और उसके बाद कामरूप क्षेत्र के (आसाम ) के महाराज उमानाथ के घर में राजकुमारी ज्योत्स्ना से मिलने चले गए

प्रवेश द्वार पर कामरूप रियासत के महाराज उमानाथ ने माल्यार्पण के साथ हमारा स्वागत किया और मैंने महाराज वीरसेन और पत्नी महारानी को प्रणाम किया फिर हमने महाराज उमानाथ के महल में प्रवेश किया

महल के अंदरूनी हिस्से को शानदार ढंग से सजाया गया था और मुझे रेशमी तकिये के साथ एक एक सिंहासन पर बिठया गया पास की खिड़की से एक बड़ा स्विमिंग पूल और उसके साथ ही सुन्दर फूलों और फलों के पेड़ों वाला एक प्यारा बगीचा था । वहाँ मीठी मीठी ठंडी हवा चल रही थी और अपनी उपस्थिति महसूस कराने के लिए वो जगह बिलकुल उपयुक्त थी,,

मेरे पिता और भाई महाराज का आसन महाराज उमानाथ की बगल में था और मेरी माता जी महाराज उमानाथ की महारानी के साथ बैठी हुई थी और महाराज उमानाथ का पुत्र राजकुमार महीपनाथ मेरे पास ही एक दुसरे आसन पर बैठा हुआ था . मेरे साथ की सीट राजकुमारी के लिए खाली थी .. हमारे कुलगुरु मृदुल जी महराज उमानाथ के राजपुरोहित और कुलगुरु के साथ बैठे हुए थे . फिर महराज उमानाथ का सचिव उपस्थित हुआ और सबको प्रणाम करने के बाद बोला हमारे अनुरोध को स्वीकार करने के लिए और यहाँ पधारने के लिए आपका दिल की गहराइयों से धन्यवाद, मुझे आशा है कि आप हमारे आतिथ्य का आनंद लेंगे और हम आपके ठहरने को सार्थक और आरामदायक बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। और फिर सबको जल पान करने के लिए आग्रह किया

फिर सचिव ने कहा " राजकुमारी ज्योत्स्ना जल्दी ही पधारेंगी और आप उनके साथ चर्चा कर सकते हैं, । ” मुझे प्रणाम किया और चला गया।

जल्द ही दरवाजों के पास चहल-पहल हुई और हेमा ने धीमी आवाज में मुझ से कहा, " कुमार राजकुमारी आ रही हैं ।" मैंने सिर हिलाया और अपने सुंदर आगंतुकों या मेजबानों का स्वागत करने के लिए खुद उठ गया !

जब राजकुमारी ज्योत्स्ना आई तो मेरे दिल की धड़कन ही रुक गयी उसकी उम्र लगभग 18 बर्ष थी बहूत ही सुंदर चेहरा था बहूत ही भोली-भाली थी नैन नकश बहूत ही तीखे थे. मेरी नजरे राजकुमारी ज्योत्सना पर टिक गयी .... . . गोरा रंग लम्बी पतली सुन्दर मांसल शारीर, उन्नत एवं सुडौल वक्ष: स्थल, काले घने और लंबे बाल, सजीव एवं माधुर्य पूर्ण आँखे , होंठो पे लिपस्टिक मनमोहक मुस्कान दिल को गुदगुदा देने वाला अंदाज और यौवन से लदी हुई राजकुमारी ज्योत्सना ने मेरे मन को आज फिर विचिलित कर दिया.




मैं ज्योत्सना को अपलक देखता रहा. सुंदर और गुलाबी होठ, आकर्षक चेहरा और अद्वितीय आाभा मे युक्त शरीर राजकुमारी ज्योत्सना आकर्षक साडी और गहने अलंकार और पुष्प धारण किये हुए , सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित दर और बेहद आकर्षक.थी

उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे.

ज्योत्सना ने भी मुझे देखा और अपनी आँखे शर्मा कर नीचे झुका ली .

18 वर्ष की उम्र की अन्नहड़ मदमस्ति और यौवन रस से परिपूर्ण संसार के द्वितीय सौन्दर्य की सम्राजञी राजकुमारी ज्योत्सना को देखते ही मेरे होश गुम हो गए.

ऐसा लग रहा था काम देव ने अपनेसारे बाण मेरे ऊपर छोड़ दिए थे

सब मिल कर एक ऐसा सौन्दर्य जो उंगली लगने पर मैला हो जाए ।उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे

मेरे मन राजकुमारी ज्योत्स्ना को देख बेकाबू हो रहा था. उनकी गोल गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। उसके होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले। मेरा मन कर रहा था कि बस उसके रस भरे ओंठो और स्तनों को को चूमता और चूसता और चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ?





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मैं ऐसे ही कामुक खयालो में खो गया था और मैंने देखा राजकुमारी भी झुकी हुई आँखों से मुझे चोरी चोरी देखती थी और जब मुझे उन्हें ही देखते हुए पा कर फिर आँखे झुका लेती थी

राजकुमारी के साथ उनकी दो सखिया भी थी जो बेहद सुन्दर थी और वो राजकुमारी को मेरे पोआस ले आयी और मेरे पास बिठा दिया .. मैं बस उसे ही देखे जा रहा था .. तब मेरे माता जी ने उससे कुछ पुछा जिसका ज्योत्स्ना ने हाजी या सर हिला कर जवाब दे दिए ..

तब महाराज ने मुझ से कहाः कुमार आप भी कुछ राज कुमारी से पूछ लीजिये पर मुझे तो होश ही नहीं था . मैं तो राजकुमारी के चेहरे और सौंदर्य को निहारने में खोया हुआ था ..

तब मेरी माता जी ने बॉल आप दोनों एक साथ खड़े हो जाए हमे आपकी जोड़ी को एक साथ देखना है

हम दोनों साथ खड़े हुए तो माता जी बोली जोड़ी बहुत सुन्दर लग रही है और जच रही है

फिर मेरे पिताजी ने बोला दीपक तुम को राजकुमारी से कुछ पूछना है तो पूछ लो .. मैं कुछ बोलता इस से पहले ही मुझे लगा राज कुमारी मुझ से कुछ कहना चाहती है पर सब बड़ो के बीच में कहने से सकुचा रही थी .

मैंने बस इतना ही कहा पिताजी . और मन से सोचा .और मैंने महाराज उमानाथ और पिताजी की और देखा और सोचा महाराज हम दोनों को कुछ देर अकेला छोड़ दीजिये .. और इतने में पिताजी ने महाराज और भाई महाराज से बोला हमे कुमार और राजकुमारी को अकेले छोड़ना चाहिए ताकि ये आपस में बात कर सके ..

तो महाराज ने इशारा किया और मेरी सचिव और राजकुमारी की सखियों के साथ हम दोनों बगीचे में चले गए .. तो मैंने राज कुमारी से पुछा .. कहिए आप मुझ से क्या कहना चाहती हैं

क्या मैं आपको पसंद आया .. तो राजकुमारी बोली . जी मुझे आपसे ये कहना था मैं अभी अपने पढाई जातरी रखना चाहती हूँ .. पर मुझे लगता है जैसे अपने अभी मेरे मन में क्या है ये जान लिया आप मेरे मन की बात अभी से जान लेते हो , इसलिए अब मुझे और कुछ नहीं कहना है .

तो मैंने कहा आप मुझे पसंद तो करती हो तो राजकुमारी ने शर्मा कर हाँ में सर झुका दिया .. मेरी हाँ तो सब मेरी नजरो से भांप ही चुके थे .. तो राजकुमारी की दोनों सखियों ने हमारी बाते सुन ली और जोर से बधाई हो बोलती हुई एक अंदर भाग गयी और दूसरी राजकुमारी के पास आकर हम दोनों को बधाई देने लगी


B-KISS


उसके बाद सबने एक दुसरे को बधाई दी और मिठाई खिलाई और परंपरा के अनुसार अँगूठिया और शगुन इत्यादि दिए गए . फिर कुलगुरु मृदुल जी ने महाराज के कुलगुरु और पुरोहित के साथ मिल कर १५ दिन बाद विवाह का शुभ महूरत निकाल दिया .. उसके बाद दोपहर का भोज महाराज उमानाथ ने दिया .. और चुकी अब आगे हमे भाई महाराज के विवाह की तयारी करनी थी और फिर महाऋषि के पास हिमालय जाना था तो महाराज उमानाथ से आज्ञा लेकर वापिस आ होटल आ गये

होटल में भाई महाराज मेरे पास आये और बोले कुमार मैं अपनी मरीना नाम की सबसे भरोसेमंद और सक्षम महिला अंगरक्षक को आपकी सुरक्षा के लिए हमेशा आपके साथ रहने के लिए तैनात कर रहा हूँ "

उन्होंने कहा, " वो आपके सबसे निजी क्षणों के दौरान भी हमेशा आपके साथ रहेगी मुझे आशा है कि आप इस व्यवस्था को स्वीकार करेंगे क्योंकि मुझे लगता है आज सुबह हुई घटना के कारन मैंने पूरी तरह से सोच समझ कर और गुरुदेव और आपके पिता जी के साथ परामर्श के बाद ही ये निर्णय लिया है और मुझे पूरा विश्वास है आप इस निर्णय को बड़े भाई के आदेश की तरह से मानेगे.

फिर महाराज ने "मरीना" कह कर पुकारा तो वह पर्दे के दरवाजे से बाहर आयी ।

मुझे कहना होगा कि मैं कई महिलाओं को देखकर उनकी सुंदरता को सराहा है लेकिन मरीना की पहली झलक ने ही मेरी सांसें रोक लीं।

मरीना तेजस्वी गोरी सुनहरे बालो वाली, (blonde.) लगभग इकीस साल की जर्मन थी जिसने आकर्षक ग्रीष्मकालीन पोशाक पहनी हुई थी जो उसके सुन्दर स्तनों के आकार को दर्शा रही थी जिसमे से उसकी आकर्षक और लम्बी टाँगे प्रकट हो रही थी । मैं उसकी काय की कामुकता से प्रभावित हो गया था , वह एक आकर्षक महिला थी, उसे देख मैं अपनी प्रतिक्रिया पर हैरान था और मैं उसे अपनी बाहो में लेकर भोगना चाहता था उसकी आँखे भूरे रंग की थी और वो शारीरिक रूप से शक्तिशाली दिख रही थी। उसका व्यवहार सौम्य था और उसका रूप लुभावना और आकर्षक था .

उसका चेहरा आत्मविश्वास से बेहद शांत था औरउसकी निगाहें स्वाभाविक रूप से चौकस थीं। उसके नितंब अच्छी तरह से गोल थे और उसकी जांघों की मांसपेशियां शानदार ढंग से मजबूत थी और उसके पैर लंबे थे। वो मेरे पास आयी वह झुकी अपनी कमर को तेजी से मोड़ा और मेरे हाथों को अपनी हथेलियों में मजबूती से पकड़ कर उसने मेरे हाथो को धीरे से चूम मेरा अभिवादन किया और दृढ़ आवाज में बोली महामहिम! मरीना आपकी सेवा मे रात और दिन उपस्थित है ।

मैं रोमांचित था। मुझे लगा मुझे नहीं मरीना के शरीर को रखवाली की ज़रूरत थी "मैं भी हूँ," मैंने कहा जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया और मुस्करा कर उसके हाथ को मैंने प्यार से सहला दिया l

कहानी जारी रहेगी
 
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