• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance फख्त इक ख्वाहिश

2,976
2,863
159
Bhai sahab Aap ki story padh kar maja aaya. Par abhi Tak update ki pratiksha kar raha hu. Ab thoda is polish wale kirdar ko or dabang banao or kuch tarakki karwao to maza aaye.


Thanks bhai.... maaf karna update nhi likh paya... busy bhi tha aur mann bhi nahi karta tha kuch likhne ka.
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma
2,976
2,863
159
waiting ...


Sorry bro ... Hope n pray that you all will be as fine as u were wen i left...... just came here to ask for little more time.
 
2,976
2,863
159

शुक्रिया दोस्त 🙏

वैसे, अपडेट तो तैयार है. कुछ चीजों को लेकर आॅपिनियन चाहिये थी Sumo and ADMIN की, उधर से जवाब आने पर पोस्ट कर दूंगा.
 
2,976
2,863
159


रेनावरी से हमारे टूटे रिश्ते को डैड के‌ साथ मिलकर अब मिस्टर आज़ ने आगे निभाना था, क्यूंकि हमारे करीबी रिश्तेदारों के नाम‌ पर कोई नहीं था सिवाय राजौरिया अंकल‌ के. और उनसे भी अपना रिश्ता सिर्फ और सिर्फ जज्बाती था, जिसको उन्होंने अपने खून के रिश्तों से ज्यादा तरजीह दी.




........



" ओके, तो अब क्या प्लान‌ है? आई मीन, उदयपुर के लिए तो अब बहुत लेट होगा?


मेरे इस सवाल पर जब रोज़दा की पुतलियां सिकुड़ने लगी तब समझ आया कि मैं कितनी बडी़ गलती कर चुका हूं. अगले कुछ घंटे वो मुझे पुराने शहर की दुकान दर दुकान घुमा रही थी और मेरे पास दूसरा कोई चारा नहीं था. मेरे लिए अच्छी बात यह थी कि इस बार मेरा वालेट यूनिफार्म में था जो चेंज‌ करने‌ के बाद होटेल-रुम में थी.


काफी देर की पैदल भाग-दौड़ के बाद अपना अगला ठिकाना था वो रूफ-टाॅप कैफे, जो हवामहल रोड़ के दूसरी तरफ पड़ता था. काफी अच्छी जगह थी यह, लजी़ज खाने के साथ पुराने शहर का पूरा नज़ारा देखने को मिलता था. आज का दिन बडा़ यादगार था मेरे लिए क्यूंकि पहली बार किसी ने मेरे प्यार से पहले मुझे कुबूल किया और उस शर्त को भी, जिसके पूरा होने के ख्वाब पर मेरा परिवार‌ जी रहा था.


खैर, वजह और जगह दोनों ही रोमांटिक थी. इसलिए माहौल को भांपते हुऐ मैं फिर से रोज़दा को स्पेशल फील‌ कराने की कोशिश करने लगा तो अपनी बदकिस्मत फिर से सामने आ गई.


" यह स्यूट नहीं करता आपको... वैसे भी अगर आपको फ्लर्ट करना आता तो आज यहां मेरी जगह अपराजिता या शिवानी दीदी होती " ट्श्यू‌पेपर से अपने लिप्स को वाइप करते हुऐ रोज़दा ने टोका.


" तुम ये बार-बार अपराजिता को बीच में क्यूं लाती हो?? साॅरी, मुझे वो सब करना नहीं आता पर मैं कुछ‌ करने‌ की कोशिश तो कर रहा हूं " फ्रस्ट्रेशन से शुरूआत‌ तो गुस्से भरी आवाज़ से हुई मगर बात खत्म होने‌ तक मैं ताजा ताजा बने इस रिश्ते‌ को सम्हाल चुका था.


" मैं तो तुम्हारे साथ हूं पर तुम कुछ भूल रहे हो. अब हम दोस्त नहीं रहे समर और फिर भी तुम इस बारे में बात करने पर न जाने क्यूं उबलने लगते हो? "


एक बात सच बोल रही थी वो, पता नहीं क्यूं भागने लगा था अपनी जिंदगी से. पहले शिवानी फिर अपराजिता और अब रोज़दा, जिससे तो आज शादी करने का डिसाइड कर चुका था मैं..... किस लिए?? इन रिश्ते-नातों के बीच कुछ ख्वाहिशें मेरी भी तो थीं.


" गुरुग्राम चलोगी?? मुझे डैड से मिलना है... उसके बाद तुम्हारे हर सवाल का जवाब होगा मेरे पास "


" अभी?? "


" हां... कुछ क्लीयर करना है और इस बहाने तुम शिवानी से भी मिल लोगी.... "


" पर मुझे तुम्हारे मुंह से सुनना है "


" अब चलो भी.. दोनों के मुंह से सुन लेना.. ईवन‌ माम-डैड और अंकल-आंटी से भी. टिकिट बुक कर रहा हूं मैं, अगली फ्लाइ.... "


" हैंग आन समर... और नहीं मिलना मुझे शिवानी से. वैसे भी भरोसा है मुझे तुम पर, बस अहसास करना था वो प्यार जिसको तुमने इन दोनों पर बेवजह लुटाया "


हाथ से फोन छीनकर रोज़दा मेरे उसी हाथ की उंगलियों को सहलाते हुए बताने लगी कि उसे यह तीन दिन मेरे साथ गुजारने थे, सिर्फ इसलिए ही वो यहां आई थी. उसे उम्मीद नहीं थी बात एका-एक हमारी शादी तक पहुंचेगी, और अब जब हमारा यह रिश्ता तय हो चुका है तो उसे मेरे बारे में वो सब जानना था जो इक दोस्त की तरह न उसने कभी पूछा और न मैंने ही खुद से उसे बताया.


" स्कूल से यूनिवर्सिटी तक तुम्हारा पसंदीदा सब्जेक्ट क्या था? " रोज़दा के बिल पे करने के बाद मैंने उससे पूछा और डिसाइड कर लिया कि होटल पहुंचने पर जो मैडम को जानना था वो सच-सच बता दूंगा.


" स्कूल में ड्राइंग और बाद में एग्रीकल्चर " बिना लाग लपेट रोज़दा ने बताया.


" मेरा था 'लाइट' और इसके बारे में जानने के जुनून ने एक दिन मेरे सामने इतना अंधेरा कर दिया कि मैं अगले कुछ सालों सिर्फ गुमनामी में रहा "


" रहने दो समर. मुझे अपराजिता और शिवानी के साथ तुम्हारे रिश्ते के बारे में जानना था, फेवरेट सब्जेक्ट के बारे में नहीं " रोज़दा ने फिर से चिढ़ते हुए बोला.


" तो आपकी शिवानी को मुझसे नहीं मेरे इस जुनून से प्यार था. क्यूंकि इसके अलावा मेरे पास ऐसा कुछ नहीं था जिससे कि लोगों के बीच मेरी गिनती हो "


" मतलब?? "


" मतलब यह कि शिवानी की कहानी थोडी लम्बी है "


" वक्त है आज हमारे पास "


" हम्म्म.... हम दोनों की फ्रैंडशिप से ज्यादा हमारे परिवारों‌ के‌ बीच भावनात्मक जुड़ाव रहा है. 10th तक तो हम दोनों बस ऐसे पडौ़सी थे जो स्कूल में भी एक ही क्लास में पढ़ते. हालांकि हमारा रिश्ता हम दोनों के पैदा होने के 6-7 साल बाद तब कर दिया गया था जब हमारे दादाजी की डैथ हुई, मगर मेरी शिवानी से दोस्ती इक-तरफा ही रही. उसे ना तो मैं पसंद था और ना ही हमारा वो रिश्ता, जिसकी चिढ़ देर सवेर वो सबके सामने स्कूल में निकालती "


" हम्म... तो चाइल्ड-हुड़ फ्रैंडशिप थी. तो इस फ्रैंडशिप का प्यार में बदलाव कैसे हुआ? "


" बदलाव प्यार से नहीं ह्यूमिलिएशन से हुआ "


" ओह्के.... पर ह्यूमिलिएट होने‌ के बाद क्यूं?? मैं होती तो..... "


" तो नहीं करती. यही ना ", रोजदा को बीच में रोक कर मैंने उसे गाडी़ चाबी दी और ड्राइव करने का इशारा किया.


" करैक्ट " रोजदा ने जवाब दिया और गाडी़ स्टार्ट कर ड्राइव करने लगी.


" तुम्हें भी तो शुरू में, मैं पसंद नहीं था "


" मुझे आज भी पुलिसवाले पसंद नहीं. तुम एक्सशेप्शन निकले जिसने मुझे हर बार गलत प्रूव किया, और शायद ये वजहें रही हैं जिन्होंने आज हमें एक किया "


" वो बस मेरा फर्ज था "


" जो‌ बाकी पुलिसवाले नहीं निभाते "


" ओके तो, तुम्हें ये जानकर कैसा लगेगा कि मैंने पुलिस सर्विस सिर्फ पैसा कमाने के लिए ज्वाइन‌ की थी "


" बहुत अफसोस होगा पर यह सच नहीं है "


" ........... "


" ख़ामोश क्यूं हो गये?? "


" क्यूंकि सच यही है "


ख़ामोश होने की बारी अब रोज़दा की थी. उसकी लम्बी-गहरी सांसों से मैं अंदाजा लगा सकता था उस वक्त उसका हाथ स्टयेरिंग व्हील पर नहीं होता तो एक थप्पड़ तो अब तक वो मेरे गाल पर लगा चुकी होती. होटल आने तक ना हमारे बीच कोई बातचीत हुई और ना ही आई कांटेक्ट, अगरचे उसके हाव-भाव से मुझे वो हताश जरूर लग रही थी.


" कुछ देर मुझे‌ अकेला छोड़ोगे प्लीज "


रुम में आने के बाद जब रोजदा की खामोशी टूटी तो उसके यह लफ्ज़ थे, जिसका बडी़ अदब से लिहाज रखना उस नाजुक वक्त में बहुत जरुरी था इसलिए बिना शिकायत किये मैं बालकनी में आ कर अपने फोन को टटोलने लगा. कुछ मिस्सड काल्स थीं जिनका जवाब देकर मैं आज‌ के बारे में माऀ को अपडेट दे कर, उनसे वहां के बारे में बात कर रहा था कि पीछे से रोज़दा ने मुझे व्हिस्की का ग्लास पकडा़ दिया और खुद पास में रखी चेयर पर बैठ गयी.


मुझे लगा था कि वो शायद हमारी बातें सुन रही है और बाद में माॅम के बोलने पर मैंने उसे मोबाइल दिया तो उसके pre-occupied एक्सप्रैशन से मेरा अंदाजा गलत‌ साबित हो गया. मां से बात करते हुऐ वो नार्मल तो लग रही थी पर अब उसकी प्राथमिकताएं जरुर बदल गई थी. जहां थोड़ी देर पहले उसे मेरे साथ टाइम स्पेंड करना था तो अब उसने जल्द से जल्द माॅम-डैड से मिलने का ठान लिया था.


" चलो गुरुग्राम चलते‌ हैं " इतना बोलकर वो अपना बैग निकाल कर पैकिंग करने लगी.


" अब ऐसा क्या हो गया कि तुम्हें.... "


" क्यूंकि तुम बेवकूफ बना रहे हो ", गुस्से में मेरी बात काट कर रोज़दा चिल्लाई.


" ........मैं समझा नहीं? मैंने ऐसा क्या किया?? "


" झूठे... अगर तुम्हें पैसे से इतना लगाव था तो उस दिन तुमने डैड को मना क्यूं किया? 32 लाख की आफिस जाॅब तुम्हारी पुलिस सर्विस से तो कहीं ज्यादा ही थी. और तुम ये बोल क्यूं नहीं देते कि तुम मुझसे अपने लिए नहीं, अपने मां बाप के लिए शादी कर रहे हो... क्या नहीं किया मैंने तुम्हारे लिए??? विटनैस बनने से लेकर गार्जियन्स आफ उदयपुर तक हर जगह तो तुम्हारा साथ दिया और तुमने यहां आने के बाद एक बार भी मेरा हाल पूछना जरूरी नहीं समझा? बहुत खुदगर्‌ज हो तुम समर, झूठ बोलते हो कि तुम्हें प्यार है मुझसे. अगर होता तो क्या एक बार भी..... "


बस इतना ही सुना गया मेरे से, और इसके बाद उसकी जुबान मेरी जुबान की गिरफ्त से छूटने की नाकाम कोशिश कर रही थी. थोडी देर बात उसकी तरफ से विरोध सहयोग में बदल गया और फिर हमारी उंगलियां इक-दूसरे के शरीर के हिस्सों को, अपना होने‌ का अहसास दिला रही थीं.


" अपने नाखून बढाने चाहिये तुम्हें " अलग होने‌ पर‌ मैंने रोज़दा को बोला.


" एग्रोनोमिस्ट हूं मैं, किसी एड एजेंसी की माडल नहीं "


" माडलिंग करती तो बेहतर रहता. चलो मिलकर स्विच करते हैं दोनों. मैं पुलिस से रिजा़इन करता हूं और एग्रोनो‌मी से तुम रिजाइन करो "


" लव यू समर..... कभी झूठ नहीं बोलना मेरे से. इसके अलावा और कुछ नहीं चाहिये मुझे " इतना बोलकर रोजदा फिर से चिपक गई.


" आई लव यू टू डीयरी... बस जताना नहीं आता. जानती हो पहली बार तुम्हारे बारे में अपने लोगों से मैंने क्या सुना था?? "


" क्या?? "


" मेरे लिए फरिश्ता बनाकर भेजा था ईश्वर ने तुम्हें. और अपनों से मैं कभी कुछ नहीं छुपाता, वैसे भी झूठ से सख्त नफरत है मेरे परिवार को, जिसका हिस्सा अब तुम भी बन चुकी हो " रोजदा की आंखों में आंखें डाल कर मैंने वो सच उसे बताया जो मेरे हर एक अजीज़ का जानन या मानना था...


...वायदा करता हूं, मेरी वजह से तुम्हें कभी शर्मिंदा नहीं होना पडे़गा. यह सच है कि एक वक्त मुझे बेईमानी से पैसे कमाने‌ की तलब लगी थी, पर इसके बारे में जब माॅम-डैड ने समझाया तब मैं अपनी नीयत और माइन्ड-सेट दोनों को बदल चुका था " बात खत्म करते हुऐ मैंने एक बार और उसे अपने गले से लगाया और ड्रिंक बनाने लगा.


" मैं जानती हूं तुम ऐसे नहीं हो. उस इंसीडेंट के बाद डैड ने तुम्हारे और तुम्हारी बैकग्राउंड के बारे में जानकारी लेने के बाद ही मेरे से रिग्रेट किया. पहले उनको डाउट था कि तुम उनके पैसे के लिए मेरे से नजदीकियां बढ़ा रहे हो पर जब उन्हें तुम्हारे कश्मीरी कनैक्शन का पता लगा तब उनक..... "


" वेट... मुझे बताओगी रोज़दा कि क्या पता लगा उन्हें मेरे बारे में?? " अब सनकने की बारी मेरी थी. कश्मीर की बात उठने पर मुझे जानना था कि रोज़दा के क्या वही सोच तो नहीं रखते जो कभी शिवानी की.


" यही कि तुम्हारी फैमिली कश्मीर से है और पालनपुर तुम्हारा बर्थप्लेस. यहां से स्कूलिंग के बाद तुम्हारी बाकी की पढ़ाई मेसरा से हुई और उसके बाद की कहानी तो पब्लिक में है ही "


" और मेरे माॅम-डैड?? "


" वो... उनके बारे में जो कुछ मैं जानती हूं वह तो तुमने ही मुझे बताया है? तुम ऐसे घूर क्यूं रहे हो मुझे समर? क्या मैंने कुछ.... "


" कुछ नहीं.. बस ऐसे ही " रोज़दा की कांपती आवाज़ सुनकर मेरा दिल पिघल गया. वैसे भी, उसने अभी तक जो कुछ भी बताया उसमें कुछ अफेंशिव नहीं था तो, इस बात को आज के लिए यहीं पर खत्म करना मुझे ज्यादा‌ वाजिब लगा.



दरअसल हम कश्मीरियों को लेकर, चाहे वो हिंदू पंडित हो या मुस्लिम, ज्यादातर लोगों की सोच बहुत ग़लत थी. हमसे सिम्पथी तो सब रखते थे मगर इज्ज़त कोई नहीं करता. सबको लगता हम और हमारा सूबा उनके टैक्स पर पलते हैं मगर हिम्मत नहीं होती थी उन चंद लोगों को रोकने की जिन्होंने अपने राजनैतिक फायदे के लिए धरती के इस स्वर्ग को सालों तक नफरत की आग में झोंके रखा. खैर ये सिलसिला अब टूटने वाला था क्यूंकि 2 Nation Theory के नुकसान अब दोनों मजहब के लोगों के सामने आने लगे थे, बस इंतजार था दोनों तरफ के मजहबी कट्टरपंथ के अंत होने का.


 
Last edited:

firefox420

Well-Known Member
3,371
13,845
143
took you long enough .. Mr. Writer .. and i m really not sure about .. "a pen is mighter then the sword" .. because it's actually sword that drew blood .. pen or not 'A' pen .. well let's not go on that path .. we are on a so called Romantic true-fiction dread mystOry :D ...

but will definately wait for 'The' meeting of Rajoria's and O:Z's .. don't go .. don't go .. i hope ms. o:z doesn't go .. or we will be seeing another history in making ...
 
2,976
2,863
159
took you long enough .. Mr. Writer .. and i m really not sure about .. "a pen is mighter then the sword" .. because it's actually sword that drew blood .. pen or not 'A' pen .. well let's not go on that path .. we are on a so called Romantic true-fiction dread mystOry :D ...

but will definately wait for 'The' meeting of Rajoria's and O:Z's .. don't go .. don't go .. i hope ms. o:z doesn't go .. or we will be seeing another history in making ...

देर करने के लिए खेद है.
लास्ट अपडेट के बाद रीडर्स से कोई जवाब नहीं मिला तो माफ़ करना मुझे लगा लोगों को यह कहानी पसंद नहीं आ रही है.

देखिये मैं हिंसक नहीं हूं. जो काम लोग प्यार के लिए कर जाते हैं वो तलवार के बस का नहीं. रोमांस फिक्शन बोलना बेहतर रहेगा... मिस्ट्री तो बस नैरेशन में डाली है... ईवैंट्श को कनैक्ट करने के लिए.

जैसे मैंने पहले बताया राजोरिया अंकल का किरदार बहुत खास है तो आज़ फैमिली के साथ उनकी मुलाकात भी ठीक वैसे ही रही. मुख्य नायिका अपराजिता ही है, पर यह मिस आज़ ही हैं जिन्होंने समर को एक अलग राह और पहचान दी.
 
1,445
3,069
159
कहानी बहुत ही शानदार ढंग से चल रही है । इस को बीच मे अधूरा मत छोड़ना
 
  • Like
Reactions: fountain_pen

firefox420

Well-Known Member
3,371
13,845
143
देर करने के लिए खेद है.
लास्ट अपडेट के बाद रीडर्स से कोई जवाब नहीं मिला तो माफ़ करना मुझे लगा लोगों को यह कहानी पसंद नहीं आ रही है.

देखिये मैं हिंसक नहीं हूं. जो काम लोग प्यार के लिए कर जाते हैं वो तलवार के बस का नहीं. रोमांस फिक्शन बोलना बेहतर रहेगा... मिस्ट्री तो बस नैरेशन में डाली है... ईवैंट्श को कनैक्ट करने के लिए.

जैसे मैंने पहले बताया राजोरिया अंकल का किरदार बहुत खास है तो आज़ फैमिली के साथ उनकी मुलाकात भी ठीक वैसे ही रही. मुख्य नायिका अपराजिता ही है, पर यह मिस आज़ ही हैं जिन्होंने समर को एक अलग राह और पहचान दी.

ab ye kamaal to aapki khooni kalam he dikha sakti hai lekhak mahoday (pardon my neivity !coz sometimes i get too dark) ab to agli mulakaat ka besabri se intezaar rahega .. bas meri besabri ko majboori mein goom khoya hua chaand na bana dijiyega .. ki hum aapki raah hi taakte reh jaaye bandhuvar ...
 
2,976
2,863
159
ab ye kamaal to aapki khooni kalam he dikha sakti hai lekhak mahoday (pardon my neivity !coz sometimes i get too dark) ab to agli mulakaat ka besabri se intezaar rahega .. bas meri besabri ko majboori mein goom khoya hua chaand na bana dijiyega .. ki hum aapki raah hi taakte reh jaaye bandhuvar ...


Maaf karna bhai.... Mulaqaat to hoti rahengi par update shaayad hi mile. Waise bhi.... Aur bhi achchi threads hain yahaan.
 
Top