• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
फागुन के दिन चार भाग ४४ रीत और रीत की रीत - पृष्ठ ४४७

अपडेट पोस्टेड

कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Sutradhar

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
फागुन के दिन चार भाग ४४

रीत और रीत की रीत -
५,८२, १९४
shalwar-11.jpg

तांत्रिक, तंत्र मंत्र शुरू करने के पहले जैसे जगह शुद्ध करते हैं, चारो ओर ताजे काटे बकरे का खून,.... बीच में श्मशान में सिद्ध की गयी चौदह अमावस्या के बाद मिली, मंत्र पोषित खोपड़ी, चारो कोनो पर कीलें और और पूजा की रक्षा के लिए रक्षा पिशाचनी और सिद्ध किया हुआ साही का काँटा, वराह का दांत,...

एकदम उसी तरह से उस डेस्कटॉप और कम्युनिकेशन के सारे यंत्रो की मैंने रक्षा की,... फिर घडी की ओर देखा और इतना गुस्सा लगा,...

गुड्डी को गए लग रहा था घंटो हो गए, लेकिन ये झूठी घड़ी देवी सिर्फ पांच मिनट बता रही थीं और गुड्डी साथ होती है तो यही घड़ी दौड़ दौड़ कर घण्टे का टाइम मिनट में खतम कर देती है, यहाँ तक की चन्द्रमा भी दुश्मन हो जाता है रात हुयी नहीं की सुबह हो जाती है.

तो अभी भी चालीस मिनट करीब था और इतनी देर काफी थी, रीत का मेसेज खोल के पढ़ने के लिए, जरूरी हो तो कुछ बात के लिए और अपने हैकर दोस्तों का हाल चाल जानने के लिए, अब सारे मेसेज मेरे, क्लाउड सर्वर से होकर आते जहाँ मिलेट्री ग्रेड के सिक्योर फायरवाल लगी हैं

मैंने रीत का मेसेज खोल लिया।

ये रीत भी अजब चीज थी, देखने में इतनी सेक्सी मस्त माल, बात करने में इत्ती शोख, लेकिन जासूसी में ये शरलॉक होम्स की नानी नहीं तो मौसी जरूर लग रही थी, जो काम दर्जनों रॉ और आई बी के एजेंट मिल के हफ़्तों में नहीं कर पाते वो उसने एक शाम में कर दिया, जेड को ट्रेस करने का। चलिए अभी पूरा नहीं लेकिन काफी कुछ अंदाज लग गया था, उसकी आवा जाही के बारे में

shalwar-61fb1f0c61e7fa3b607ae5edf2fd43c0-high.webp


रीत की रिपोर्ट थी चेतसिंह घाट से;



वो और कार्लोस जब घाट पे पहुँचे तो रात हो गई थी। घाट पे सन्नाटा सा था, बस इक्के दुक्के लोग, एक-दो नावें थी। बिन्दू मलाह को रीत ने ढूँढ़ लिया।

वो एक अध्दा लगा चुका था। लेकिन फेलू दा का फोन उसके पास आ चुका था और उसने रीत को पहचान भी लिया। उसने बोला की कोई अकेला आदमी तो नहीं हाँ कभी-कभी कुछ जोड़े मजे पानी के लिए यहाँ से नाव लेते हैं और एक-दो घंटा चक्कर काटकर आते हैं। दो-चार नावें हैं जो थोड़ा डीलक्स क्लास की हैं, उनकी ज्यादा डिमांड रहती है।

एक मेघराज करके नाव है उसमें एक छोटा सा बेडरूम और टायलेट भी है। अभी तो वो नाव निकली है। कल सुबह उसके मलाह से वो बात करा देगा।

कारलोस ने कहा की यहाँ तक आये हैं तो गंगाजी तक उतर के आते हैं। वहां एक लड़के से उन्होंने मेघराज नाव के बारे में पूछा तो एक लड़के ने बोला की वो 5-7 मिनट पहले ही काशी करवट की ओर गई है। उसमें एक जोड़ा था, आप लोगों की तरह। अगर आपौ लोग मजा वजा करना चाहे तो। उधर एक नाव है ले लीजिये दो घंटा का 400 लगता है।
Boat-BSB-bajra-boat-ride-in-river-ganga.jpg


रीत बोली- “हाँ एकदम…” और उन लोगों ने नाव कर ली।



नाव वाले से उन्होंने बोला की काशी करवट की ओर चलो और थोड़ा तेजी से।

कुछ हो देर में वो दूसरी नाव दिख रही थी।

एक बड़ी सी नाव जिसका ⅔ हिस्सा कवर्ड था नाव में सिर्फ मल्लाह ही दिख रहा था। रीत और कार्लोस भी कवर्ड हिस्से में आ गए थे और खिड़की से बायनाक्युलर से देख रहे थे।


सामने के नाव में रूम ऐसे भाग में से लाईट दिख रही थी।
Boat-d23ce9-e237b6eeb3cc4eb3ba4eadf4e82fa885-mv2.jpg




कार्लोस ने एक छोटा सा क्रास बो निकालकर नाव में जहाँ से लाईट आ रही थी, वहां पे मारा।


रीत के बोलने के पहले ही कार्लोस ने बताया की उसने एक छोटा सा ट्रांसमीटर क्रास बो से मारा है जो सामने की नाव में पैबस्त हो गया है। ये 5 मिनट के भीतर नाव की लोकेशन, नाव से अगर कोई क्म्नुनिकेशन किया जा रहा है, किस टाइप का फोन इश्तेमाल हो रहा है और भी बहुत कुछ ट्रांसमिट करता रहेगा। इसकी रेंज करीब 15 किलोमीटर है और ये 12 घंटे तक आपरेट करेगा।

रीत ने कार्लोस के कैमरे से उस नाव की कई फोटुयें भी खिंची।

इसमें नार्मल फोटो के साथ थर्मल इमेजिंग की भी फैसिलिटी थी। थोड़ी देर में काशी करवट से वो नाव मुड़ी और बनारस वाले तट से दूर। रामनगर साइड में होकर चलने लगी।


इमेज देखकर ही रीत मुस्कराकर कार्लोस से बोली की ये 90% सस्पेक्टेड आदमी “जेड…” ही है, क्योंकि एक आदमी तो मलाह है जिसकी इमेज एक किनारे पे आ रही है लेकिन ये दोनों थरमल इमेज जो रूम के अन्दर है वो थोड़ी दूर-दूर हैं। अगर ये मजे पानी के लिये आते तो ऐसे थोड़े ही बैठते।अब तक काम चालू हो गया होता। दोनों इमेज चिपकी आतीं। "
कार्लोस जोर से मुस्कराया और रीत से हाथ मिला लिया, " एकदम सही पकड़ा है, अब ये आ गया हमारे हाथ में लेकिन देखते हैं क्या करता है "
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
घाट
Boat-Ghat-book-boat-tour-in-varanasi-qye788zil33cbkg8lwlr75zyw0vppkzuwc2aihj6dc.jpg


थोड़ी देर में उनका शक और गहरा गया जब ट्रांसमीटर से लगातार मोबाइल पे कमुनिकेशन के सिगनल आने लगे।


जब वो नाव दशाश्वमेध घाट के पास से निकली तो वो आदमी बाहर निकला और किसी लांग रेंज कैमरे से घाट की आरती की फोटुयें खींचने लगा।

रीत ने कार्लोस से कहा की हो सकता है ये कोई टूरिस्ट ही हो। इसलिए आरती की फोटो खींच रहा है।
Ghat-2-download.jpg



कार्लोस बिना बोले अपने कैमरे से उस आदमी की फोटो खींचने की कोशिश करता रहा फिर मुश्कुराकर रीत से बोला,
" न। दो बातें ध्यान से देखो। इस आदमी का लोकेशन और कैमरे का एंगल। ये इस तरह खड़ा है की किसी भी एंगल से इसका फोटो खींचना मुश्किल है। इतनी सावधानी ये क्यों बरत रहा है, दूसरी बात कैमरे का एंगल आरती की और नहीं है नीचे की ओर है यानि ये घाट पे लोकेशन की रेकी कर रहा है। माई गूड्नेस। इसका मतलब साफ है की आरती टार्गेट हो सकती है और ये फाइनल रेकी लग रही है इसका मतलब 48 घंटे के अन्दर। होली के पहले वाली शाम को।"

घाट से आगे निकलने के बाद रीत ने अचानक नोटिस किया की सामने वाली नाव से एक लम्बा एरियल बाहर निकला है और ट्रांसमीटर मानिटर पे भी सिगनल चेंज हो गए हैं।

उसने कार्लोस को बोला। कार्लोस ने एक पल के लिए बाहर झाँका और फिर अपने फोन पे जल्दी-जल्दी उसने कुछ नंबर डायल किये और फ्रेंच में बात करने लगा।

और फिर रीत से मुश्कुराकर बोला। ही इज गान नाऊ।

रीत के कुछ भी समझ में नहीं आया।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
रीत बनारस से

bride-shalwar-hd.jpg


कार्लोस ने बोला ये सेटलाईट फोन इश्तेमाल कर रहा है। एंड वी हैड आइडेंटीफाइड। ये थूर्या सेट फोन है सेट फोन कई कंपनी के हैं। इरिडियम, इमार्सेट। मैंने ब्रिटिश कंपनी डेलमाँ से जिसके पास बेस्ट थूर्या मानिटरिंग सिस्टम है उसे बोल दिया है।

रीत पल भरकर लिए सोचती रही फिर बोली-

“ये सेट फोन का इश्तेमाल अपने कंट्रोलर से बात करने के लिए कर रहा होगा। आपने बोला था की इसके ऐसे कई स्लीपर और भी और सीटीस में हो सकते हैं, तो जिसको ये फोन कर रहा है उसका फोन ट्रैक करके, उनका भी कुछ अंदाज लगा सकते हैं, कम से कम किस शहर से सेट फोन से उस कंट्रोलर से बातें हो रही हैं।

कार्लोस के आँखों में एक चमक आई और फिर उसने अपने फोन पे फ्रेंच में एक-दो लोगों से बात की।

अगले घाट पे फिर वो आदमी बाहर निकला, फोटुयें खींची और घाट के बाद सेटलाईट फोन का एंटीना बाहर निकला।
Ghat-BSB-images.jpg


कार्लोस ये देखते हुए खुश हो गया और रीत से झट से हाथ मिलाया-

“अब ये गया। मैंने जी॰पी॰एस॰ को आर्डिनेट दे दिए थे। ये लग रहा है की ये फोटो भेज रहा है मेसेज के साथ…”

कुछ ही देर में कार्लोस के फोन पे एक मेसेज आया। जो हमारा सस्पेक्ट था जेड, उसके सेट फोन का आई डी।

रीत ने वो नंबर भी मेसेज में दिया था।

अस्सी घाट पे उस जेड ने काफी देर तक अपनी नाव खड़ी रखी, वहां भी उस समय आरती चल रही थी।


रीत और कार्लोस वहां उतर गए। रीत कार्लोस को लंका ले गई जहाँ पहलवान की दुकान पे उन्होंने लस्सी पिया, और कार्लोस ने रीत को घर छोड़ दिया।

Lassi-img-20190301-115547935.jpg


रास्ते में रीत ने कार्लोस से पूछा की हम ये बात डी॰बी॰ को बता के इस आदमी को पकड़ा सकते हैं।



कार्लोस ने साफ मना कर दिया। वो बोला की

" पहली बार तो ये की 90% इस आदमी को जिन्दा पकड़ना मुश्किल होगा ये सुसाइड कर लेगा और उससे भी ज्यादा जरूरी बात है। इससे ज्यादा इम्पार्टेंट ये है की एक इसके कमुनिकेशन नेट वर्क से पूरे जाल का पता चल सकता है और दूसरा सबसे जरूरी है बाम्ब्स का पता चलना। वरना इसकी जगह अगर किसी और ने ले ली तो फिर असंभव हो जाएगा।"



रीत सवा दस बजे अपने घर पहुँच गई थी
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
और अब मेरी बारी

Satelite-gallery-satellite-68-3.webp


रीत को जो करना था उससे बहुत ज्यादा उसने कर दिया, पास होती तो दो चार चुम्मे तो ले ही लेता, आज तीन बार घुसम घूसाई बस होते होते बची, और बाद में उसकी बात से समझ में आया की वो मुझे गुड्डी के लिए छोड़ रही थी, उसकी छोटी बहन की तरह, बचपन की सबसे पक्की सहेली।

लेकिन कार्लोस के साथ मिल के जो उसने रेकी की, आज शाम से ही मैदान में आयी, और दस बजते बजते जेड के एकदम नजदीक पहुँच गयी,उस्तादों की उस्ताद है


shalwar-d757a34e93aa88967221551472215ca5.jpg

रीत के लिए भी मेरे पास बहुत काम थे, और सबसे जरुरी काम था, रीत की रक्षा, और उसका एक आवश्यक अंश था, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम कम्प्रोमाइज न हो, न उसका लैपटॉप न उसके मोबाईल फोन, रिपोर्ट मैंने कहा था लैपटॉप से ही भेजना और रीत से कांटेक्ट भी मैं उसके लॅपटॉप से ही करूँगा,

कारण यह था की जब मैंने उसके लैपटॉप से छेड़खानी की थी तो उसमे एक सॉफ्टवेयर इंस्टाल कर दिया था जिसने मेरे सेफ फोन्स और लैपटॉप से उसको जोड़ दिया था, और साथ चार रक्षक मैंने उसके लैपटॉप पर बैठा दिए थे जो उसकी सिस्टम फाइल्स, एडमिन और एक्सेसिबिलिटी पर बिना बोले चुप चाप निगाह रख रहे थे, उन्होंने पिछले छह महीनो का पैटर्न चेक कर लिया तो और कोई अगर उस लैपटॉप को एक्सेस करता तो मेरे पास अलार्म बेल बज जाती,

तो पहले मैंने रीत की सिस्टम फाइल्स में घुस के सब जांच पड़ताल की।

सब सेफ था, यहाँ तक की जो रिपोर्ट रीत ने भेजी थी वो भी एक नीली पीली फिल्मो के फोल्डर में दबी पड़ी थी, और रीत खुद फेसबुक पे मेसेंजर पे किसी सहेली से गपिया रही थी।

अब मैंने रीत की रिपोर्ट फिर से पढ़ी, और गूगल अर्थ का एक वर्जन जो सिर्फ डिफेन्स या होम मिनिस्ट्री के पास होता है, वो निकाल के उसपे सारे जगहें पिन की, नाव की लोकेशन, जहाँ से सेटफोन से बात हुयी, और जहाँ से उसने घाट की आरती की पिक्चर्स ली थीं

कुछ बाते साफ़ थीं, आई बी की मदद से वॉयस और मोबाइल फोन ट्रैक करने की जो वांस चल रही थीं, उसके बारे में जेड को कुछ कुछअंदाज था

सेट फोन उसने उस जगह खोला जहाँ नदी का पाट न सिर्फ खूब चौड़ा था और उस की नाव, रामनगर साइड में थी यानी आई बी की सर्वेलेंस वां की रेंज के बाहर,

उसी तरह जब वो आरती की पिक्चर्स ले रहा था उस समय ढेर सारी टूरिस्ट नावें नदी में थीं और उसमे से भी कई लोग आरती की पिक्चर ले रहे थे, ये तो कार्लोस की तेज निगाह थी जो उसने एंगल से अंदाज लगा लिया की उस का असली उद्देश्य क्या है।

Ghat-ganga-aarti-0.webp


रीत की रिपोर्ट के अलावा कार्लोस ने भी कुछ डाटा भेजा था। वो बोट की लोकेशन, टाइम जब उसने सेट फोन इस्तेमाल किया, फोन की फ्रीवेंसी ऐसे ढेर सारे टेक्नीकल डिटेल्स थे।



कार्लोस की दोनों बातें सही थीं, एक तो उस आदमी के कम्युनिकेशन नेटवर्क को पकड़ना और उसके सहारे बाकी लोगों तक पहुँचाना



दूसरे बॉम्ब के बारे में पता करना

और यह बिना रीत को पिकचर में लाये करना था और उस आदमी को भी अंदाज नहीं लगना चाहिए की उसका सिस्टम कम्प्रोमाइज्ड है

एक बार के लिए आनंद ने सोचा की उसके फोन को हैक किया जाय, लेकिन फिर उन्हें धयान आया, जैसे उन्होंने रीत के फोन के सिस्टम को चेक करने के लिए लैपटॉप के प्रोटेक्शन के लिए इंतजाम किये हैं उसी तरह से इंतजाम किया होगा,

और उन्होंने अपना काम शुरू किया, हैकर्स से कांटेक्ट करने का, और उसके पहले कार्लोस का दिया डाटा और जो उन्होंने लोकेष्ण का मैप बनाया था, सब अपने क्लाउड सरवर पर डाल के दो चार ताले लगा के चाभी जेब में रख दी और डार्क वेब में घुस गए।



डार्क वेब में चार पांच जगह उन्होंने जाना वर्जित कर रखा था, पेड़ो या चाइल्ड सेक्स, ड्रग्स, रेप, और मर्डर कांट्रेक्ट। एक तो हर आदमी को अपनी लाइन खींचनी चाहिए दूसरे इन सब जगहों पर बड़े देशों के सर्वेलेंस वालो की नजर रहती है, हाँ सेक्स साइट्स, फेम डॉम या सीस्फिकेशन ऐसे साइट पे आने जाने में उन्हें परहेज नहीं था।



तो एक बीडीएस साइट का दरवाजा खोल कर वो अंदर घुसे और सुरंग के रास्तों से अपने हैकर मित्रों से मिले और उन्हें क्लाउड सरवर में उस फोन के बारे में जो ताला लगा कर उन्होंने रखा था, उसकी चाभी उन लोगो के हवाले कर दी। तय यह हुआ की उस आदमी को नहीं हैक कर सकते हैं लेकिन सेटलाइट कम्पनी को तो हैक कर ही सकते हैं और उसके सर्वर में घुस के कम्युनिकेशन के मकड़ जाल का पता लगा सकते हैं


अपने एक ब्लैक हैट मित्र से उन्होंने ये भी कहा की उस सेटलाइट कम्युनिएकशन नेटवर्क के उस हिस्से में एक सोया हुआ वायरस छोड़ दें और जब वो चाहें उसे एक्टिवेट कर दें तो कम से पांच छ घंटे के लिए वो सेटलाइट नेटवर्क इनएक्टिव हो जाए।

उनके चार पांच हैकर मित्र काम पर लग गए लेकिन उन्हें भी कुछ समय लगता रिपोर्ट देने में।



और अब डार्क वे से निकल कर उन्होंने दूसरा काम शुरू किया



सोचने का, और वो भी बॉम्ब और आर डी एक्स के बारे में
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Sutradhar

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
बॉम्ब, बॉम्बर और




Bomb-366-3668188-timer-drawing-bomb-icon.jpg






कार्लोस की बात में दम था, जेड तक पहुंचना जरूरी है लेकिन वो मकड़े के जाल के केंद्र में बैठे हुए मकड़े की तरह है, और बिना जाल को जरा सा भी हिलाये वहां पहुंचना होगा।

जेड अकेला स्लीपर एजेंट नहीं होगा बनारस में, हाँ वो अकेला होगा जिसे कंट्रोलर ने अभी एक्टिवेट किया होगा, और जेड सेटलाइट फोन से अपने प्लान की एक एक बार कंट्रोलर तक पहुंचा रहा होगा। जेड को जरा भी शक होगा की उस तक सरकारी एजेंसियों के हाथ पहुँच गए हैं तो या वो वह गायब हो जाएगा या फिर सुसाइड कर लेगा और सारे राज उसके साथ गायब हो जायेंगे लें दुश्मन का ऑपरेशन नहीं रुकेगा।

कंट्रोलर किसी दूसरे स्लीपर को एक्टिवेट कर देगा और उसे जेड की दी गयी सब इन्फो पास कर देगा और रिसोरेसज भी,

इसलिए जेड के साथ ये भी पता करना पड़ेगा की बॉम्ब कहाँ है, कैसे हैं और उन्हें कहाँ एक्सप्लोड किया जाएगा,

इसके लिए शायद बॉम्ब के आर्किटेक्चर से कुछ अंदाज लगे, क्योंकि हर बॉम्ब मेकर अपना फिंगर प्रिंट छोड़ देता है, और थोड़ा एक्सपीरियंस और सोच से कुछ अंदाज लग जाता है।

दूसरी बात ये है की बॉम्ब की ट्रिगरिंग डिवाइस क्या होगी, अब चू दे गर्ल्स स्कूल में तो मूषक महाराज ने ही तार काटा था लेकिन ये हर बार होगा,नहीं तो कोई और ट्रिगर डिवाइस होगी, वो कौन सी होगी ये भी बॉम्ब के आर्किटेक्चर पे डिपेंड करेगा और उसके इस्तेमाल पे और हो सकता है ये आखिरी मिनट पे जो लोग बॉम्ब के डिस्ट्रीब्यूशन में इन्वॉल्व्ड हो उन्हें दिया जाए। ये तय है की वो नियत समय के पहले बॉम्ब के गलती से भी एक्सप्लोड नहीं होने देना चाहेंगे, और चू दे गर्ल्स स्कूल की घटना से वैसे ही जेड और कंट्रोलर दोनों चिंतित होंगे, इसलिए शायद जैसा रीत ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, आज जेड ने अपने कंट्रोलर से सेट फोन पे बात की।

तो मैंने एक बार फिर अपने उस डेस्कटॉप पे, थ्री डी डिजाइन का सॉफ्टवेयर खोला।

बॉम्ब के साथ सबसे बड़ी परेशानी होती है की विस्फोट के पहले कम लोग ही उसे देखते हैं पर इस मामले में मैंने चू दे गर्ल्स स्कूल के बॉम्ब को बहुत नजदीक से देखा था और उसके साथ ही डीबी ने जो उनके फोरंसिक और एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट्स ने बम्ब के टुकड़ो की जांच की थी उसकी भी डिटेल्ड रिपोर्ट दीं थी

बस उसी के बेस पे और कुछ अंदाज से मैंने बॉम्ब का आर्किटेक्चर बनाने की कोशिश की, और मैंने धमाके को देखा भी था, जो डैमेज था उसे भी देखा था तो उसके कॉन्टेंट के बारे में जो मेरा अंदाज था वो भी लिख दिया।

सूरत में एक बॉम्ब एक्स्प्लोजिव्स का सेंटर था रिसर्च का जिसे एन आई ए ( नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ) और डिफेंस के लोग चलाते थे और जिसमे एक डाटा बेस था जहाँ पिछले १९९० के बाद के सारे एक्सप्लोजन और बॉम्ब्स के रिकार्ड, ड्राइंग और सस्पेक्टेड बॉम्ब मेकर्स के बारे में रिकार्ड दर्ज था और वो एक सुपर कम्प्यूटर पर था। कोई ड्राइंग देने पर पर पांच से दस मिनट में वो पॉसिबल बॉम्ब मेकर्स के नाम और उसकी पॉसिबिल ड्राइंग, उससे मिलते जुलते बॉम्ब्स की ड्राइंग सब उगला देता था,

तो मैंने जो ड्राइंग बनायीं थी बस उसी चतुर बुद्धिमान कम्प्यूटर के पास रवाना कर दीं और खुद बनारस में पिछले दस साल के बॉम्ब के इतहास के बारे में सोचने लगा, क्या पता उसी से जुड़ा हो। एक तो घाट, धार्मिक स्थल और ट्रेन बॉम्ब अटैक के निशाने पर थे और इस बार भी वो हो सकते हैं , हालाकिं हर बार बॉम्बर नयी जगह सोचता है। एक बार बनारस में प्रेशर कूकर का भी इस्तेमाल हो चूका है बॉम्ब के लिए तो अबकी क्या होगा ?


जो बॉम्ब मैंने देखा था पहले मैंने सोचा था की वो प्रेशर से एक्टिवेट होगा, जैसे लड़कियां वहां से उठेंगी बेंच से, उसी समय वो विस्फोट कर देगा, देखने से लग रहा था लेकिन ऐसा था नहीं, हां ये हो सकता है की प्रेशर ट्रिगर डिवाइस उसमे न लगाई गयी हो चुम्मन को देने के पहले और उसका काम रिमोट से एक्सप्लोड करके उसकी एफेक्टिवनेस चेक करना हो पर वो लड़कियों पे रोब मारने के लिए डराने के लिए वो बॉम्ब लाया हो। और वो रिमोट एक्सप्लोजन में उड़ गया हो।

लेकिन तभी मेरे कम्प्यूटर पे मेसेज आया, सूरत से रिपोर्ट आ गयी थी और पहली बात थी बॉम्ब की डिजाइन के बारे में।

मेरा शक एकदम सही साबित हुआ और जो मैंने डीबी को बताया था वो बात भी,

ये बॉम्ब सूरत में मिले उन बॉम्ब्स की तरह हैं तो एक्सप्लोड नहीं हुए थे, उसके पहले ही वो पकड़ लिए गए, उनकी ट्रिगरिंग डिवाइस बहुत कॉम्प्लिकेटेड थी और उसी में कुछ प्रॉब्लम्स थी,

सेंटर ने पांच बॉम्ब्स के आर्किटेक्चर दिए थे जिनकी ड्राईंग से मेरी ड्राईंग मिलती जुलती थी, और उसी के साथ उन के पांच बॉम्ब मेकर्स के भी नाम और पिकचर्स भी, हाँ उसमे दो की फोटुएं नहीं थी, और एक की न तो फोटो न कोई डिस्क्रिप्शन, बस बॉम्बर के नाम से उसे डिजिगनेट किया गया था , सूरत के बॉम्ब इसी के थे और उसके अलावा भी मुम्बई में ट्रेन ब्लास्ट और दिल्ली में ट्रांसिस्टर बॉम्ब भी इसी से जुड़े थे।

सेंटर ने शक जाहिर किया था की जिन दो की पिक्स नहीं हैं उन्ही में से किसी के फ़िंगरप्रिंट हैं यहाँ

पर मुझे पक्का शक था की ये बॉम्बर का किया धरा है, और ये सोच के मेरी रूह काँप गयी। उसके बारे में मैं काफी कॉन्फिडेंशियल फाइल्स देखी थीं। बहुत ही तेज दिमाग वाला और हर तरह के एक्सप्लोसिव्स का एक्सपर्ट, और उसके लास्ट कारनामे तो बहुत भयानक थे

उसने पिछले तीन साल से सेकंडरी एक्सप्लोसिव्स का इस्तेमाल शुरू किया है और एक दोजगहों पर सीमा से जुड़ेराज्यों में

लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना था की ये सिर्फ एक्सपेरिमेंट्स थे और अगली बार अगर कहीं ये मैदान में आया तो उसका इस्तेमाल और बड़े लेवल पे होगा, और मैं सोच रहा था की क्या वह अगली जगह बनारस तो नहीं, और वहां तो अब मेरा परसनल स्टेक भी है, पहली बात तो रीत की सेफ्टी, फिर गुड्डी की कोई न कोई सहेली, और मेरा गुड्डी से टांका पर्मनेंट वाला भीड़ गया, फिर तो मेरी ससुराल,

सेकेंडरी के फॉरेन के मैंने कुछ वीडियो देखे थे, बॉम्ब लगाने वाले दो या तीन लेयर के बॉम्ब इस्तेमाल करते थे, बॉम्ब एक्सप्लोजन के पांच दस मिनट के अंदर, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड, पुलिस, मिडिया सब पहुँच जाते

चलिए हिन्दुतान है, पन्दरह बीस मिनट लगेगा, सबको पहुँचने में

तो ये सेकंडरी एक्सप्लोजन उसी के बाद शुरू होते थे, और उन की ट्रिगरिंग डिवाइस अलग अलग होती थी और काफी प्रेशर ऐटिवेटेड होती थीं, और उसमे भी वेट सेंसिटिव, जैसे पैदल कोई हो, बाइक हो तो वो नहीं एक्टिवेट होंगी लेकिन कोई भारी गाड़ी जैसे फायरब्रिगेड, एम्बुलेंस या पुलिस की गाड़ियां, जैसे ही उनका वजन पड़ेगा वो एक्टिव हो जाएंगी और २ से ५ मिनट के अंदर एक्सप्लोजन होगा। और यह प्राइमरी एक्सप्लोजन से पांच से दस गुना होगा और कई जगहों पर ऐसी दिवस, बॉम्ब फूटने के जीरो प्वाइंट से १०० से ५०० मीटर के अंदर होंगे।



एक और डिवाइस मैंने कहीं देखी थी और इसी बॉमबर का कमाल थी,

फोटो सेंसिटिव जो लाइट से ट्रिगर होती थी, अक्सर बॉम्ब डिस्पोजल वाले ढूंढते हैं की कहीं अन एक्स्प्लोडेड बॉम्ब तो नहींहै ?


और किसी गार्बेज बिन से अगर लटकता तार दिख गया या टाइमर की टिक टिक सुनाई दिया तो बस उस गार्बेज बिन को खोल के टार्च से अंदर तक देखते हैं बस वही लाइट बॉम्ब को एक्टिवेट कर देती हैं और लाइट पड़ने के मिनट भर के अंदर बूम



सेकेंडरी एक्प्लोजन की पेरीफेरी पे कई बार इनसेंडियरी या आग वाली डिवाइसेज भी होती हैं और फिर चारो ओर आग ही आग



अब सीन ये होता है की मिडिया, पुलिस, बड़े अफसर एम्बुलेंस सब पहुंची कोई न्यूज कास्टर ताज़ी लिपस्टिक लगा के बोलना शुरू की, सबसे पहले हमारे चैनल पे और बहाल में हुआ धड़ाम, उसकी मिडिया की वान के ही परखच्चे उड़ गए और सब कुछ लाइव टीवी पे, एम्बुलेंस मेडिकल के लोग पुलिस वाले सब घायल

और कुछ देर के बाद अगल बगल की दुकाने भी वो आग वाली डिवाइसेज से

बनारस में तो वैसे भी हर जगह भीड़ रहती है और वहां तो वैसे भी बॉम्ब फूटेगा तो उसे देखने हजारों लोग पहुँच जाएंगे और फिर ये सेकंडरी डिवाइसेज



और एक उससे भी बड़ा बॉम्ब है जो बॉम्बर नहीं बनाता लेकिन उसका कंट्रोलर प्लान करता है



नफरत का बॉम्ब, ''

अफवाहें, सोशल मिडिया और आपदा में अवसर ढूंढने वाले, वो घाव देते हैं जसिके आगे बॉम्ब का घाव कुछ भी नहीं है



लेकिन सवाल था कर क्या सकते हैं, कैसे इसे रोक सकते हैं और मेरा ध्यान आर डी एक्स की ओर गया, इस बॉम्ब में पकक्का आर डी एक्स है। और एक बात होती है एक्सप्लोसिव्स में, फ्रैग्मेंट्स और प्रोजेक्टाइल, अक्सर विस्फोटक में लोहे की छीलन, कीले और इस तरह के टुकड़े रहते हैं हैं जो विस्फोट होने के बाद तेजी से लोगों को चुभ कर घायल करते हैं लेकिन प्रोजेक्टाइल या इ ऍफ़ पी ( एक्सप्लोसिव्ली फार्म्ड प्रोजेक्टाइल ) एक विशेष दिशा में जाकर भारी नुक्सान पहुंचाते हैं और आरमर्ड वेहिकल या छोटे मोठे टैंक्स को भी डैमेज कर सकते हैं।



बॉम्बर की सेकंडरी डिवाइसेज में इस तरह के तत्व मिले थे।



अब मैं यह सोचने पर लग गया आर डी एक्स आया कहाँ से ? मुंबई के मामले में आर डी एक्स विदेश से समुद्र के रस्ते से आया था, और इस बार भी कहीं विदेश से आया होगा, पर समुद्र या वायु मार्ग से ले आना अब असम्भव है और बनारस की बात है तो, मैं सोचता था और मेरी चमकी।



नेपाल।

नेपाल और भारत की सीमा सटी है, खेत, घर, गाँव सब जुड़े और नेपाल में सुरक्षा इतनी कड़ी नहीं है तो विदेश से नेपाल और वहां से सीमा पार कर के बनारस,



पर ये सिर्फ अंदाज था और उसकी पुष्टि के लिए मुझे कुछ और लोगों को पकड़ना खंगालना था, डीबी ने जो आई बी के कांटेक्ट दिए,

कस्टम में जो मेरी जान पहचान थी और कुछ गोरखपुर के लोकल मिडिया वाले, सबको मैंने यह सन्देश भेक दिया की पिछले २०-२५ दिन में सीमा पर कुछ ख़ास हलचल हुयी है क्या या नेपाल के अंदर

उन सबका जवाब कल शाम से पहले नहीं आने वाला था और मैंने डेस्कटॉप बंद किया और फिर से गुड्डी का इन्तजार।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Sutradhar

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
इन्तजार, लम्बा इंतजार


गुड्डी

Girl-K-e709eea90d4fded2949a183df42726f7.jpg



उन सबका जवाब कल शाम से पहले नहीं आने वाला था और मैंने डेस्कटॉप बंद किया और फिर से गुड्डी का इन्तजार।

लेकिन मेरी निगाह में तो सबसे बड़ा विघ्न घड़ी थी। लगता है रुक गई थी। अभी भी अबस 14 मिनट हुए थे गुड्डी के कमरे की की बत्ती बंद हुए और उसने बोला था 20 मिनट बाद। मैंने मोबाइल पे टाइम चेक किया। 6 मिनट बचे थ



अभी भी मेरी आँखें घड़ी पे टिकी थी।

4 मिनट 20 सेकंड बचे थे। मैंने दोनों मोबाइल साइलेंट मोड़ पे कर दिए और फिर आँख बंद कर 20 बार गहरी सांसे ली, लेकिन ना तो जंगबहादुर कंट्रोल में आ रहे थे और न मन। मैंने एक बार फिर पानी पिया।



मैंने घड़ी पे नजर डाली। साढ़े दस बज रहे थे। पूरे 12 मिनट हो गए थे, गुड्डी को शीला भाभी के पास गए। दोनों की बातों की आवाजें आ रही थी। कब तक बातें करेंगी दोनों और ये गुड्डी भी ना आ जाती कोई बहाना करके।


मैंने एक बार सोचा की जाकर गुड्डी को बुला लूं। लेकिन फिर लगा की ये शीला भाभी भी। कहीं उन्हें शक हो गया तो।


ये भी पता नहीं कहाँ से आ गईं, ये नहीं होती तो नीचे के फ्लोर पे सिर्फ मैं और गुड्डी रहते। फिर तो अब तक। मंजू बाहर आउट हाउस में रहती थी और वैसे भी उसके साथ बहुत कुछ छुपाने वाली बात नहीं थी।

15 मिनट हो गए थे गुड्डी के गए। मुझे एक बार लगा की बाहर निकलकर देखूं लेकिन गुड्डी ने साफ कहा था की मैं अपने कमरे की बत्ती बंद रखूं कोई आवाज ना करूँ। जिससे शीला भाभी को लगे की मैं सो गया हूँ।

मेरा मन कर रहा था की बीच वाला दरवाजा खोलकर अभी चला जाऊं। लेकिन गुड्डी ने बोला था की उसके कमरे की बत्ती बंद होने के 20 मिनट बाद ही उसके कमरे में आउँ और उसने बोला था तो कोई मतलब तो होगा ना।

मैं थोड़ी देर सर्फिंग करता रहा फिर मुझे अचानक कार्लोस की बात याद आई लाजिस्टिक और फाइनेंसियल कनेक्शन की। एक तो बाम्ब लगाने की और उसके साथ कहीं बनारस से बाहर भी तो नहीं ट्रांसपोर्ट कुछ किया गया हो। बनारस से क्या ट्रांसपोर्ट हो सकता है क्या ट्रेडिंग होती है।

अचानक मुझे स्ट्राइक किया बनारसी साड़ी।

मैंने ब्राईट प्लेनेट के डीप क्वेरी मैनेजर पे लाग आन किया। इसपर नार्मल सर्च इंजन से कम से कम 1000 गुना ज्यादा जानकारी मिलती है। बनारसी साड़ी, ट्रेडिंग, ट्रक कंपनी, ट्रांसपोर्ट। 10 मिनट तक मैं सर्फ करता रहा और जो मुझे काम लायक जानकारी मिली मैंने एक फोल्डर पे सेव कर लिया।

25 मिनट हो गए थे गुड्डी के गए। अभी तक बात की आवाज आ रही थी पौने गयारह। सारी बातें वो लोग आज ही कर डालेंगी क्या?

मैंने कंप्यूटर बंद किया।

थोड़ी देर लेटा लेकिन मन में तो बस गुड्डी की शकल सामने थी। आज मिले तो। लेकिन कब,

अब जंगबहादुर भी कुनमुनाने लगे थे।

मैं थोड़ी देर बाद फिर अलमारी के सामने खड़ा था जहाँ चंदा भाभी का दिया सामन गुड्डी ने रखा था मेरे मन में चंदा भाभी की बातें गूँज रही थी।



"आज मौका मत छोड़ना। जिस दिन लड़की का उपवास खतम होता है न उस दिन तो ऐसा तूफान रहता है, चूत में ऐसी खुजली मचती है।

अलमारी मैंने खोली। उसमें से सांडे का तेल निकालकर दो बूँद अपने हथियार पे। कल जैसे चंदा भाभी ने मला था। जैसे चंदा भाभी ने सिखाया था मैं सुपाड़ा खोलकर ही रखता था। एक बूँद तेल मैंने उसपे भी।

तब तक मेरा सिक्योर फोन बजा, एक मेसेज था। अर्जेंट। वाई वाई का। मेरे तो पहले दिमाग में नहीं घुसा फिर याद आया ये रीत का कोड है। डी॰बी॰ का मेसेज उसने फारवर्ड किया था। मेरे पीचा करने की रिपोर्ट।



उन्होंने लिखा था की एक कत्थई सूट वाला बाइक पर मेरे पीछे था

उन्होंने मोबाइल कंपनियों को पहले से बोलकर रखा था। एक किसी ने मेरे घर के पास के मोबाइल टावर की काल्स ट्रेस करने के लिए बोला था और डी॰बी॰ ने उसे गो अहेड दे दिया है। जो लोग पीछा कर रहे थे और जिसने काल ट्रेस करने के लिए बोला था सबकी काल ट्रेस की जा रही है और उन पर टैब रखा जा रहा है। इसका मतलब की उनकी निगाह में मैं अभी भी उनके काम में विघ्न उतपन्न कर सकता हूँ।



अचानक मेरा ध्यान बाहर गया बात-चीत की आवाजें बंद हो गई थी।



इसका मतलब। मेरा जवाब तुरंत मिल गया गुड्डी के कमरे के पहले दरवाजा खुलने की आवाज। फिर बंद होने की और सिटकिनी लगने की आवाज। दो मिनट के बाद गुड्डी ने बत्ती बंद कर दी। घुप्प अँधेरा।



मेरा मन कर रहा था की बीच वाला दरवाजा खोलकर अभी चला जाऊं। लेकिन गुड्डी ने बोला था की उसके कमरे की बत्ती बंद होने के 20 मिनट बाद ही उसके कमरे में आउँ। और उसने बोला था तो कोई मतलब तो होगा ना।

पूरे दो मिनट हो गए थे उसके कमरे की बत्ती बंद हुए मेरी निगाह दीवाल घड़ी की मिनट वाली सूई पे थी। सरक ही नहीं रही थी। मैंने मोबाइल पे टाइम देखा उसमें भी सिर्फ ढाई मिनट हुए थे। मेरा हाथ बार-बार पाजामे के ऊपर जाता था लेकिन गुड्डी ने मना किया था की अब तुम अपना हाथ नहीं। मैंने बैठकर एक बार पानी पिया घड़ी देखी 7 मिनट।

कुछ देर बीच वाले दरवाजे के पास खड़ा रहा गुड्डी के कमरे से कान लगाकर कोई आवाज नहीं आ रही थी। उसे नींद भी जल्दी आ जाती है। 10 मिनट हो गए थे।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Sutradhar

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
गुड्डी गायब

Girl-78969c1f4f79008d9fe2adcf69ad7214.jpg




कुछ देर बीच वाले दरवाजे के पास खड़ा रहा गुड्डी के कमरे से कान लगाकर कोई आवाज नहीं आ रही थी। उसे नींद भी जल्दी आ जाती है। 10 मिनट हो गए थे।

बोला तो गुड्डी ने २० मिनट था, गुड्डी के कमरे में आने के बाद, लेकिन मुझसे नहीं रहा गया, ये स्साली घडी बार बार बंद हो जाती है, मिनट की सुई घंटे की तरह चल रही है, सुस्ता सुस्ता के,

पन्दरह मिनट बाद मैंने हलके से हम दोनों के कमरे के बीच का दरवाजा सम्हल के खोला, एकदम दबे पाँव,


वो सो रही थी, ओढ़े बीढे, ये लड़की न इसको इत्ती जल्दी नींद भी आ गयी, मैं बस चुपचाप चद्दर के ऊपर से देखता रहा सोचता रहा जगाऊँ न जगाऊँ, अभी भी बीस मिनट नहीं हुए हैं, जोर की डांट पड़ेगी,



पर रहा नहीं गया गुड्डी के कमरे में घुप अँधेरा था। बस एक खिड़की थोड़ी सी खुली थी उससे चांदनी चल चल कर पलंग के दूसरी तरफ आ रही थी।

पहले मैंने सोचा की मोबाइल की लाईट इश्तेमाल करूँ फिर। वैसे ही दबे पाँव उसके पलंग के पास पहुँचा। वो शायद करवट लेटी थी। चद्दर सिर तक ओढ़े। दुपट्टा उसका तकिये के पास था। मैंने सोचा था की एक झटके से उसका चद्दर उठाऊंगा। और फिर बांहों में उठाकर अपने कमरे में।

लेकिन मैं उसको चद्दर के ऊपर से देखता रहा जैसे वो गहरे ख़्वाबों में डूबी हो।

मैंने हल्के से चद्दर उठायी। मेरी चीख निकलते-निकलते रुक गई।


चद्दर के नीचे गुड्डी नहीं थी।

तकिये इस तरह लगाकर रखे गए थे जैसे लग रहा हो की वो सो रही हो। सिर से लेकर पैर तक।



कहाँ गई वो।



मैंने सारे दरवाजे देखे।

सब अन्दर से बंद थे। सिवाय उसके जिधर से मैं आया था। उधर घुसते ही मैंने उसे उठंगा दिया था। तो अन्दर के दरवाजे कैसे बंद हुए। मैंने झुक के पलंग के नीचे चारों और कमरे में यहाँ तक की अलमारी में भी देख लिया।



कहाँ गई वो।

कोई क्ल्यू नहीं मेरी सारी ट्रेनिंग बेकार।

अगर ये कोई कहानी होती तो कमेंट में कोई जरूर बोलता। साले और ठरकीपन करो, सीरियसली ट्रेनिंग करते तो ये सब नहीं होता न। और स्माइली वाला स्लैप स्लैप होता।


मैंने एक बार फिर देखा।

कहीं गुड्डी को शीला भाभी ने तो नहीं रोक लिया अपने पास। लेकिन फिर दरवाजे अन्दर से कैसे बंद हैं और तकिये के शेप में।



अचानक मुझे याद आया डी॰बी॰ का मेसेज। एक आदमी घर के बाहर 10 बजे से खड़ा है।

कहीं वो तो छत के रास्ते नहीं,

छत के रास्ते से आकर वो यहाँ इंतजार कर रहा हो और उसी ने। चादर के नीचे वो शेप बनाकर। जिससे जब मैं दरवाजे से देखूं तो मुझे लगे की गुड्डी सो रही है और अन्दर घुसूं तो,...

कहीं गुड्डी शीला भाभी के पास ही सो गई हो। शीला भाभी को हम दोनों पे कुछ शक तो था ही।


मेरा मन नहीं मान रहा था।

मैंने एक बार फिर से तकिये को सूंघा उसमें से गुड्डी के बालों की महक आ रही थी। तो।



कहीं वो आदमी पलंग के नीचे तो नहीं छुपा था और जब गुड्डी आकर सो गई हो तो,.... बत्ती बंद हुए 20 मिनट हो चुके थे और 20 मिनट काफी होता है।

मैंने एक बार फिर चारों ओर देखा सारे दरवाजे सिवाय जिधर से मैं आया था अन्दर से बंद। कमरा खाली,... तो अगर कोई और भी आया,.... तो गया कहाँ?



एक बार फिर मैंने पलंग के नीचे देखा और मेरी रूह काँप गई।

मेरे दिमाग से उतर गया था। इस कमरे के नीचे एक छोटा सा तहखाना था। वो हमेशा बंद रहता था। उसमें सिर्फ कूड़ा कबाड़ भरा रहता था। वो दरवाजा हल्का सा खुला था।



वो दरवाजा हल्का सा खुला था।


तहखाने के दरवाजे के ऊपर मैंने सब साफ किया और मोबाइल की रोशनी में अन्दर देखा। अन्दर पूरा अँधेरा था, कुछ नहीं दिख रहा था। दूर दरवाजा खींचने से भी नहीं खुल रहा था। सिर्फ एक हिस्सा लकड़ी के दरवाजे का थोड़ा सा खुला था।

तभी मेरी चमकी। दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा था।



भाभी ने एक चिट्ठी में लिखा था की उन लोगों ने तहखाना चिनवा दिया है। लकड़ी थोड़ी टेढ़ी हो गई थी इसलिए लग रहा था की दरवाजा खुला हुआ है।



मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था, बस मना रहा था गुड्डी को कुछ न हो, बस उसे कुछ न हो, एक बार आज सही सलामत मिल जाए, बस मैं उसे तंग भी नहीं करूँगा, .....सोने दूंगा, बस देखता रहूंगा



बस गुड्डी को कुछ न हो, दरवाजे सारे बंद लेकिन गुड्डी गयी कहाँ,

और मम्मी क्या कहेंगी, अपनी बेटी भेजी थी तेरे साथ और पहली रात ही,
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Sutradhar

komaalrani

Well-Known Member
23,802
64,147
259
6 posts in 20 days

NumberThreadDate of postIInd Post
1जोरू का गुलाम252 तीज पार्टी की तैयारी, 253 गुड्डी बेचारी पढ़ाई की मारी5th October16th October
2छुटकी -होली दीदी की ससुराल मेंभाग १०७

बुच्ची और चुनिया भाग १०८ - खुल गया नाड़ा
29th September12th October
3फागुन के दिन चार भाग ४३ -घर और भाभीभाग ४४ रीत और रीत की रीत6th October18th October
 
  • Like
Reactions: Sutradhar
Top