अपडेट नंबर 001.
" आआह्ह तेज तेज धक्के मारो ना उफ्फ, यूईईईईईई कितनी तडपी हु तुम्हारे बिन।
साजिया चुदते हुए जोर जोर से सिसक रही थी। उसका शौहर नाजिम उसके उपर चढ़ कर उसे चोद रहा था और साजिया नीचे से अपनी गांड़ उछाल उछाल कर उसे पूरा सहयोग दे रही थी। साजिया लंड को जड़ तक अन्दर लेने के लिए उछल रही थी जिससे उसकी चूचियां आपस में टकरा टकरा कर थप थप की आवाज पैदा कर रही थी और नाजिम ने मदहोश होकर उसकी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और मसलते हुए कस कस कर धक्के लगाने लगा तो साजिया के मजे की कोई सीमा नही थी और मस्ती से फिर से उसका मुंह खुलता चला गया
" आह तेज और तेज पूरी जोर से, और अंदर पूरा अंदर तक घुसाओ।
नाजिम का लंड अंत तक पूरा उसकी चूत में घुसा हुआ था और चुदती हुई साजिया उसे और अंदर घुसाने के लिए उकसा रही थी। दो मिनट की चुदाई में ही नाजिम पसीने पसीने हो गया था और साजिया की कसी हुई चूत का असर उसके लंड पर होने लगा और उसका बदन कांपने लगा तो उसने तेजी से लंड को बाहर निकाल कर जोर से उसकी चूत में घुसा दिया और उसके उपर ढेर होता चला गया। साजिया की चूत अभी ठीक से चुदी भी नही हुई थी कि आज फिर से नाजिम का काम तमाम हो गया और साजिया उसके झड़ कर ढीले होते हुए लंड को अपनी चूत को पूरी तरह से कस कर उसे बाहर जाने से रोकने लगी लेकिन उसकी एक नही चली और लंड किसी मरे हुए सांप की तरह चूत से बाहर निकलता चला गया। लंड जैसे ही पूरी तरह से बाहर निकला तो नाजिम की आंखे शर्म से झुक गई और साजिया का उत्तेजना से लाल चेहरा गुस्से से भभक उठा और बोली:"
" कभी तो मेरी आग बुझा दिया करो नाजिम। आज फिर से अधूरा हो छोड़ दिया मुझे।
नाजिम:" कितनी देर तो किया मैने, अब तुम्हारी चूत हैं ही इतनी गर्म कि मेरा लंड पिघल जाता हैं तो इसमें मेरी क्या गलती।
साजिया ने एक उंगली अपनी चूत के उपर फिराई और बोली:"
" आआआह्ह देख न कैसे भट्टी की तरह भभक रही है , थोड़ा सा आज तो चूस ले इसे
नाजिम ने उसकी बात सुनकर बुरा सा मुंह बनाया और अपनी नाक सिकोड़कर बोला:"
" छी छी, कितनी गंदी बात करती हो तुम। कितनी बार कह चुका हूं कि मुझसे गंदगी में मुंह नही डाला जाता समझी तुम।
सादिया ने एक उंगली चूत में घुसाई और नाजिम को दिखाते हुए उसे अपने मुंह में घुसा कर चूस लिया और बोली:"
" देख कुछ गंदा नही होता, कितना टेस्टी रस हैं खट्टा खट्टा सा मेरा। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
नाजिम का मूड खराब हो गया और वो थोड़ा गुस्से से बोला:"
" हान मैं तो बंदर ही ठीक हु। अब खुश बस।
साजिया ने अपने होंठो पर पड़ी हुई चूत रस की एक बूंद को अपनी जीभ से चाट लिया और कामुक इशारे करती हुई बोली
" ऐसे खुश हो जाती तो बात ही क्या थी। मुझे खुश करना तुम्हारे बस का काम नही हैं समझे।
नाजिम उसकी बात सुनकर आग बबूला हो गया और बोला:"
" बहुत ज्यादा गर्मी हैं तेरे अंदर ? कोठे पर ले जाकर बिठा दू तुझे ?
साजिया के होंठो पर स्माइल आ गई और एक उंगली अपनी चूत में घुसा कर तेजी से अंदर बाहर करती हुई बोली:"
" हाय बिठा दे ना, कम से कम थोड़ी तो आग ठंडी हो मेरी। कोई तो होगा जो मेरी प्यास बुझा दे।
नाजिम उसकी बात सुनकर बिना जवाब दिए उठ खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहन कर बाथरूम की तरफ चल दिया। साजिया नंगी ही बेड पर पड़ी रही और अपनी चूत अपनी उंगलियों से मसलती रही और उसकी दो उंगलियां उसकी चूत में घुस गई और साजिया की मस्ती भरी सिसकारियां घर में गूंजने लगी। थोड़ी देर के बाद उसकी चूत झड़ती चली गई और साजिया एक चादर ओढ़कर सो गई।
दोनो की शादी को करीब पांच साल हो गए थे। साजिया एक बिल्कुल सीधी सी गांव में पली बढ़ी मजहबी और संस्कारी लड़की थी लेकिन नाजिम ने शादी के बाद उसे सेक्स के बारे में सब कुछ बताया, चुदाई वीडियो दिखाई और साजिया पूरी तरह से परिपक्व होती चली गई। जब तो कभी अकेली पड़ी हुई चुदाई की वीडियो देखती और उसमे देखती की चूत चुसवाते समय लड़की को कितना लजीज एहसास और आनंद मिलता था तो उसकी चूत में भी चीटियां सी रेंग जाती लेकिन नाजिम इसे बहुत गन्दा समझता था। शुरू में तो सब कुछ ठीक रहा दोनो ने खूब जमकर सेक्स का मजा लिया। नाजिम खूब अच्छे से सेक्स करता था लेकिन कभी उसकी चूत नही चूसता था। साजिया फिर भी खुश था क्योंकि उसकी प्यास अच्छे से बुझ रही थी। धीरे धीरे नाजिम का लंड उसका साथ छोड़ने लगा और साजिया प्यासी की प्यासी ही रह जाती। पिछले करीब दो साल से ऐसा ही चल रहा था और साजिया हर दिन एक नई उम्मीद में अपने शौहर के लिए सजती लेकिन हर रोज सिर निराशा ही हाथ लगती और आज नाजिम एक हफ्ते के बाद वापिस आया तो साजिया की प्यास बुरी तरह से भड़की हुई थी और फिर से प्यासी रहने पर उसका गुस्सा फूट पड़ा और उसने आज पहली बार अपने शौहर को इतनी बात सुनाई थी नही तो आमतौर पर वो चुपचाप लेटकर सो जाती थी।
सादिया सोच रही थी कि उसे अपने शौहर के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि वो इतनी गन्दी बाते कैसे कर सकती है और अब उसका शौहर उसके बारे क्या सोच रहा होगा। मुझसे बहुत बड़ी खता हो गई। ये सब सोचते सोचते जैसे तैसे साजिया नींद के आगोश में चली गई।
अगले दिन वो सुबह उठी रात जो हुआ उसकी आंखो के सामने घूमने लगा तो साजिया की आंखे भर आई। उसे समझ नही आ रहा था कि वो अब अपने शौहर से कैसे आंखे मिलाएगी, माफी किन शब्दों में मांगे। भरी हुई आंखो से उसने अपने शौहर के लिए उसकी मन पसंद खीर बनाई और उसका टिफिन पैक करने के बाद दोनो नाश्ता करने बैठ गए। नाजिम रात हुए हादसे की वजह से बेहद उदास था और बिन कुछ बोले आराम से धीरे धीरे खा रहा था वहीं साजिया को समझ नही आ रहा था कि वो कहां से शुरू करे। साजिया ने एक धीरे से एक चम्मच खीर खाई और उसने अपने शौहर की तरफ देखा तो उसका उदास चेहरा देखकर साजिया का दिल भर आया और वो खड़ी होकर उसके सामने पहुंच गई और उसने बड़ी हिम्मत से अपना चेहरा ऊपर उठाया और अपने शौहर से आंखे मिलते ही उसकी रुलाई छूट गई और वो बिना कुछ बोले अपने शौहर से कसकर लिपट गई और जोर जोर से सुबक सुबक कर रोने लगी। नाजिम किसी बुत की तरह खामोश खड़ा रहा और जैसे ही अपनी बीवी के आंसुओ से उसका दामन भीगना शुरू हुआ था उसका दिल पसीज और और वो तसल्ली देते हुए बोला
" बस करो साजिया, क्या हुआ ऐसे क्यों रो रही हो तुम ?
साजिया और जोर जोर से रोने लगी तो नाजिम से उसे अपनी बांहों में कस लिया और बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराया और बोला:
" बस करो यार, क्या हो गया ? कुछ बताओ तो सही मुझे।
साजिया के आंसू अब काफी हद तक रुक गए थे और वो उसके सीने से लगी हुई बोली:"
" मुझे माफ कर दीजिए। रात मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। अल्लाह की कसम मैंने वो सब पता नही किस भावना में बहकर कह दिया।
नाजिम अपनी बीवी की वजह से रात से ही मानसिक रूप से तनाव महसूस कर रहा था लेकिन अभी उसके इस तरह माफी मांगने से इसे थोड़ा सुकून मिला और वो उसे समझाते हुए बोला
" बस भी करो तुम। मैं तो भूल ही गया था और अब तुम भी भूल जाओ। रात गई बात गई।
अपने शौहर की बात सुनकर साजिया का मन थोड़ा हल्का हुआ और फिर साथ में दोनो ने खीर खाई और उसके बाद नाजिम अपने ऑफिस के लिए निकल गया तो साजिया बोली
" सुनिए शाम को थोड़ा जल्दी घर आना आप। मैं आपका इंतजार करूंगी।
नाजिम ने उसे पलट कर स्माइल दी और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। साजिया घर के काम में लग गई लेकिन अभी उसके दिमाग में वही रात वाली बात घूम रही थी कि क्या उसे शौहर ने उसे सच में माफ कर दिया है।
वहीं नाजिम पूरे दिन ऑफिस के कामों में लगा तो रहा लेकिन उसका मन नही था। रह रहकर उसे साजिया की बात याद आ रही थी कि मुझे अब खुश करना तुम्हारे बस का काम नही हैं तो इसका मतलब है कि उसकी प्यास पूरी तरह से नही बुझती हैं। मतलब साजिया जिस्म की आग में झुलस रही हैं और अंदर ही अंदर घुल रही है। और रात जो हुआ वो उसकी प्यास ना बुझने का ही नतीजा था और फिर दिन मे सुबह उसने माफी भी मांगी लेकिन तीर तो कमान से रात ही निकल चुका था। रात उसने मेरी कितनी बुरी तरह से बेइज्जती करी। ये सोचते ही उसके आंखो में आंसू आ गए और उसने अपने जेब से रुमाल निकालकर अपना मुंह साफ किया और सोचने लगा कि उसने हमेशा साजिया का पूरा ध्यान रखा और कभी किसी चीज की कमी आने दी। मांगने से पहले उसकी हर एक ख्वाहिश पूरी करी लेकिन बदले में उसे क्या मिला सिर्फ बेइज्जती और बंदर कह दिया मुझे। उसने मेरे साथ ठीक नही किया और मैं कभी माफ नहीं करूंगा बल्कि इसका पूरा बदला लूंगा उससे। पूरे दिन उसके दिमाग में उथल पुथल चलती रही और शाम को घर जाने से पहले उसने एक सेक्स पावर की गोली ली ताकि आज पूरी रात उसे चोद सके ताकि उसका हमेशा के लेकर बंद कर सके। नाजिम सोच रहा रहा था कि आज रात मैं साजिया को बेड बेड घोड़ी बना बनाकर, उल्टी करके अपने नीचे मसल कर, हर तरह से पूरी बेदर्दी और कठोरता से चोदूंगा और जब वो दर्द के मारे जोर जोर से तड़प तड़प कर, कराह कर उससे छोड़ने के लिए भीख मांगने लगेगी तो उसका दर्द से तड़पता हुआ चेहरा देखकर मुझे कितना सुकून मिलेगा और मेरा बदला पूरा तब कहीं जाकर पूरा होगा।
नाजिम घर आया साजिया ने एक मुस्कान के साथ बांहे फैलाकर उसका स्वागत किया और उससे लिपट गई। नाजिम ने भी उसे अपने गले से लगा लिया और उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसकी छाती से कोई जहरीली नागिन लिपटी हुई हो। नाजिम ने अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी के आंखे साजिया का दर्द के मारे तड़पता कराहता चेहरा घूम उठा उसने खुशी के मारे अपनी आंखे खोल कर साजिया का माथा चूम लिया मानो बकरी के हलाल होने से पहले पहले दुलार पुचकार रहा हो।
साजिया खुश हो गई और बोली
" कैसा रहा आज आपका दिन ? काफी काम होगा आज तो ?
नाजिम:" हान काम तो बहुत था लेकिन फिर भी सब आसानी से हो गया।
साजिया ने खुशी खुशी नाजिम का गाल चूम लिया और बोली:"
" सच में आप बहुत मेहनत करते हैं मेरे लिए। चलिए अभी जल्दी से फ्रेश हो जाइए। फिर साथ में खाना खाते है।
जल्दी ही दोनो ने खाना खाया और साजिया बरतन धोने चली गई तो नाजिम ने अपनी जेब से गोली निकाल ली और उसे खा गया। थोड़ी देर बाद ही गोली का असर दिखने लगा और उसके लंड में जोरदार तनाव आना शुरू हो गया। नाजिम की आंखे वासना से लाल हो गई और गुस्से से उसकी उसकी आंखे पूरी तरह से लाल सी होकर सुलगने लगी और अपने बेडरूम में चला गया और पूरी तरह से नंगा होकर अपने जिस्म पर एक चादर लपेट कर साजिया का इंतजार करने लगा। नाजिम के जबड़े बार बार गुस्से से अपने आप भींच रहे थे और आज वो साजिया को किसी रण्डी की तरह मसलना चाहता था, चोदना नही बल्कि पेलना, ठोकना चाहता था। चाहे तो कितनी भी चींखे चिल्लाए लेकिन वो उस पर कोई रहम नहीं करने वाला था।
थोड़ी देर के बाद साजिया कमरे में दूध लेकर आई और उसके सामने खड़ी हो गई और ग्लास उसकी तरफ करते हुए बोली
" लीजिए दूध पीजिए।
नाजिम उसे उसे मुस्कुरा कर देखा और दूध का ग्लास एक तरफ रख कर उसे एक झटके से बेड पर खींच लिया और उसकी नाइटी को एक झटके से फाड़कर उसकी एक चूची को सीधे मुंह में भर लिया और चूसते हुए बोला
" आह साजिया दूध तो आज तेरी चुचियों का पी जाऊंगा।
साजिया इस तरह अचानक हुए हमले से हैरान हो गई लेकिन चूची चूसे जाने से उसे सुखद मस्ती का एहसास हुआ और सिसकते हुए बोली
" आह क्या करते हो? उफ्फ थोड़ा प्यार से कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूं।
नाजिम ने सीधे हाथ नीचे करके उसकी चूत में एक सूखी उंगली पूरी घुसा दी तो साजिया दर्द से कराह उठी और सिसक उठी
" आह नाजिम, इतने बेसबर मत बनो। थोड़ा तो रहम करो यार।
रहम शब्द अपने बीवी के मुंह से सुनकर नाजिम की नफरत को हवा मिली और बिना कुछ बोले साजिया की दोनो टांगो को फैला दिया और उसकी सूखी चूत के छेद पर अपने लंड को रखकर एक जोरदार धक्का मारा तो साजिया के मुंह से दर्द भरी चींख निकल गई क्योंकि लंड ने बुरी तरह से उसकी चूत की नाजुक दीवारों को रगड़ दिया था। उससे पहले की साजिया कुछ संभलती नाजिम ने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए और साजिया दर्द के मारे कराहने लगी और उसे ऊपर से धकेलने लगी तो नाजिम खुशी से झूम उठा और तेज तेज धक्के लगाने लगा तो उसकी कसी हुई बिल्कुल सूखी हुई गर्म चूत के आगे नाजिम का लंड जवाब दे गया और उसके लंड ने एक झटके के साथ उसकी चूत को भरना शुरू कर दिया तो चूत गीली हो गई और साजिया के मजा आने लगा तो मस्ती से सिसकती हुई उसके होंठो को चूसने लगी। लंड फिर से सिकुड़ कर छोटा होने लगा तो मस्ती में डूबी हुई साजिया सब लाज शर्म भूलकर आज पहली बार उसे पलटकर उसके उपर चढ़ गई और कमजोर होते लंड को अपने हाथ का सहारा देकर खुद ही अपनी चूत में घुसा लिया और उस पर कूदने लगी। नाजिम साजिया को फिर से मदहोश होते देखकर पसीने पसीने हो गया क्योंकि वो जानता था कि उसका लंड बिलकुल सिकुड़कर बाहर निकल जायेगा और वही हुआ। लंड पूरी तरह से बाहर निकल गया और साजिया जबरस्ती उसे पकड़ पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी लेकिन कामयाब नही हुई तो उसने सिसकते हुए सिकुड़ चुके लंड पर जोर जोर से अपनी चूत को आंखे पीछे रगड़ना शुरू कर दिया और अपनी दोनो आंखे बंद किए हुए खुद ही मस्ती से अपनी चूचियां मसले जा रही थी। शुरू में नाजिम साजिया पर भारी जरूर पड़ा था लेकिन अभी साजिया पूरी तरह से उसके उपर सवार हो चुकी थी और नाजिम हैरान परेशान सा चुपचाप पड़े हुए उसके उत्तेजना सा लाल भाभुका हो हुए चेहरे को देख रहा था और तभी साजिया पूरी जोर जोर से उछलने लगी और देखते ही देखते एक झटके के साथ उसके लंड पर जोर से बैठती चली गई और उसकी मस्ती की अधिकता से साजिया की आंखो की सफेद सफेद पुतलियां दिखने लगी और इसके साथ उसकी चूत झड़ती चली गई और उसकी चूत से निकलते हुए गर्म गर्म अमृत रस की गर्मी महसूस करके नाजिम झुलस सा उठा। चूत के झड़ते ही बेजान सी ऊपर गिर पड़ी और लंबी लंबी सांसे लेने लगी और नाजिम ने मजबूरी में उसे अपनी बांहों में कस लिया।
नाजिम जानता था कि वो आज फिर से पूरी तरह से बेइज्जत हो गया था क्योंकि साजिया ने आज भले ही जुबान से कुछ नही बोला था लेकिन उसकी हरकते सब बयान कर गई थी। साजिया नींद के आगोश में चली गई और नाजिम की नींद पूरी तरह से उड़ गई थी क्योंकि वो क्या सोच कर आया था और उसके साथ आज फिर से क्या हो गया।
मैं तो इसे तड़पाना चाहता हूं, कस कस कर पेलना चाहता था। अपना बदला लेना चाहता था लेकिन आज फिर से मेरी बेइज्जती हो गई। अब मुझे क्या। करना चाहिए ? कैसे अपना बदला पूरा करू ?