३,,,तभी सुगंधा अपनी चिकनी नंगी पीठ पर नुकीली चीज की ठोकर और चुभन महसूस करते ही उत्तेजना के मारे सिहर उठी उसे समझते देर नहीं लगी कि यह चुभन किस चीज की है,,,, जिस चीज की चुभन व अपनी नंगी पीठ पर कर रही थी वह और कुछ नहीं उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड था इस बात का अहसास उसे होते उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी बुर कचौड़ी की तरफ फूल गई वह समझ नहीं पा रही थी कि स्थिति का सामना हुआ कैसे करें जबकि इस बात का एहसास रोहन को बिल्कुल भी नहीं था,,,, वह तो अपनी मां की ब्रा की पत्ती को पकड़कर दुनिया की सारी बातें भूल चुका था उसकी आंखों के सामने केवल उसकी मां की नंगी पीठ और लाल रंग की ब्रा नजर आ रही थी जिसका हुक उसे खोलना था उसकी उंगलियां कांप रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे खोलना है और इसी कशमकश में वह थोड़ा आगे की तरफ बढ़ते जा रहा था जिससे उसके लंड का दबाव सुगंधा की पीठ पर और ज्यादा होता जा रहा था इस दबाव को सुगंधा अपनी पीठ पर महसूस करके उसका असर अपनी पावरोटी जैसी फूली हुई बुर पर कर रही थी जिसमें से मदन रस लगातार बह रहा था सुगंधा की सांसे तेज हो चली थी उसके जी में तो आ रहा था कि इसी समय वह घुटनों के बल बैठकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के आगे परोस दे और उसे जबरदस्ती हुक्म दे कि वह अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार दे,,,,,,, लेकिन इस समय वह असमर्थ थी वह अपने बेटे के लंड को अपनी पीठ पर महसूस किए जा रही थी जिसका तगड़ा रगड़ वह अपनी पीठ पर महसूस करके मस्त हुए जा रही थी।
रोहन अभी भी अपनी मां की ब्रा को खोलने में उलझा हुआ था सुगंधा को इतने से ही पता चल गया था कि उसका बेटा अभी नादान है। और वाकई में रोहन अभी नादान ही था उसे औरतों के अंगों के बारे में और उनको पहनने के वस्त्रों के बारे में वह अभी बिल्कुल नादान था वह सिर्फ उन्हें देखा भर था,,,,, इसलिए ब्रा को कैसे पहना जाता है कैसे खोला जाता है इस बारे में और बिल्कुल अनजान था सुगंधा को यह समझते देर नहीं लगी एक तो वैसे ही वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की चुभन अपनी पीठ पर महसूस करके मस्त हुए जा रही थी और ऊपर से उसकी उंगलियां उसकी ब्रा की पट्टियों से खेल रही थी इसलिए वह बोली,,,,,।
क्या बात है बेटा तुझसे हो नहीं रहा है क्या,,,,?
नहीं मम्मी मुझे समझ में नहीं आ रहा है,,की कैसे खोला जाता है (वह शर्मिंदा होता हुआ बोला।)
अरे जब तुझसे ब्रा का हुक नहीं खुल रहा है तो पता नहीं तू क्या करेगा,,,,,,,( सुगंधा नाराजगी दर्शाते हुए बोली।)
कितना आसान है बस तू ब्रा की पट्टी के दोनों छोर को पकड़ कर एक दूसरे की तरफ खींच अपने आप हुक खुल जाएगा।,,,
( रोहन ने वैसा ही किया जैसा कि उसकी मां बता रही थी और अगले ही पल थोड़े से ही प्रयास में रोहन ने अपनी मां के ब्रा का हुक खोल दिया और जैसे ही उसने अपनी मां की ब्रा को खोला वैसे ही तुरंत रोहन का लंड उत्तेजना के मारे चूंकि मारने लगा उसके अरमान मचलने लगे उसके जी में तो आ रहा था कि पीछे से वह अपनी मां को बाहों में भर ले और अपने दोनों हथेलियों में उसकी मदमस्त नारंगी ओ को कस लें,,, लेकिन रोहन अपने मन को समझा कर बस एक गर्म आह भरकर रह गया,,,,, तभी उसकी मां अपने हैं कथा हाथ से अपनी ब्रा को निकालते हुए बोली,,,,।)
देखा ना कितने आराम से खुल गया मर्दों को तो यह काम सबसे पहले आता है भले चाहे कुछ भी ना आता हो और तू यह सब से कैसे अनजान रहे क्या मुझे समझ में नहीं आता चल कोई बात नहीं धीरे-धीरे तू भी यह सब सीख लेगा इतना कहते हुए सुगंधा अपने बाल के जुड़े को खोल दी और अगले ही पल उसके रेशमी मुलायम बाल काले बादल की तरह चिकनी पीठ पर फैलते चले गए और बाल सीधे उसकी कमर तक पहुंच गए रोहन तो यह सब देख कर अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पा रहा था,,,, और दूसरी तरफ अभी भी सुगंधा अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की रगड़ को अपनी पीठ पर अच्छी खासा महसूस कर रही थी और इस बार वह बोल पडी,,,,,
बेटा अपना पैर थोड़ा पीछे रख तेरा घुटना चुभ रहा है अपनी मां की बात सुनते ही जैसे रोहन ने अपनी नजरों को नीचे किया वह एकदम से सन्न रह रह गया,, उसकी पेंट में बना तंबू अभी भी उसकी चिकनी पीठ पर ठोकर मार रहा था जिसे देखते ही रोहन डर के मारे,,, पीछे हो गया और तुरंत बिस्तर से नीचे उतर गया जोकि,,, सुगंधा अपने बेटे की इस घबराहट को कनखियों से देख रही थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी रोहन यही समझ रहा था कि उसकी मां को यह नहीं पता था कि उसकी पीठ पर जो चीज चुभ रहा था वह उसका पैर नहीं बल्कि उसका मोटा तगड़ा लंड था, लेकिन सुगंधा सब कुछ जानती थी। सुगंधा एक दम मस्त हो चुकी थी और वहां अगले ही पल ऐसी हरकत करने लगी कि जिसे देखकर रोहन क्यों तेज ना चरम शिखर पर पहुंच गई वॉच अपनी जवानी की आग को संभाल नहीं संभाल पा रहा था बेचारा कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा मादक और कामुकता से भरा हुआ था कि उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दे लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को बचाए हुए था ।
वह चोर नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था जोकि पल भर में ही देखते ही देखते अपने बदन से साड़ी उतार के बिस्तर के नीचे फेंक दी थी और साड़ी उतारने के बाद अपनी पेटीकोट की डोरी को धीरे धीरे खोल रही थी।,,
रोहन के लिए यह नजारा बेहद उत्तेजक और उन मादक था रोहन के लिए ही क्यों दुनिया के हर मर्द के लिए यह नजारा बेहद उत्तेजना से भरा हुआ होता है हर मर्द की ख्वाहिश यही होती है कि कोई भी औरत उसकी आंखों के सामने धीरे-धीरे करके अपने कपड़े उतारे और इसीलिए रोहन अपने आपको बेहद खुशनसीब समझ रहा था कि उसकी आंखों के सामने उसकी खुद की मां धीरे-धीरे करके अपने कपड़े उतार रहे थे रोहन की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी उसे लगने लगा था कि शायद उसकी मां आज वह सब करेगी जो एक औरत एक मर्द के साथ करती है मन उसके मन में जवानी की चिंगारी पहुंच रही थी वह चोर नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था जो कि उसकी तरफ पीठ किए अपने पेटीकोट की डोरी खोल रही थी और अगले ही पल अपने पेटिकोट का नाड़ा ढीला करके वह बोली,,,।
बेटा अब सही है तू अब अच्छे से मेरे बदन की मालिश कर लेगा,,,,
( वह वापस पेट के बल लेट गई,,,, यह देख कर रोहन को थोड़ी बहुत निराशा हुई लेकिन उसके लिए इतना भी बहुत ज्यादा था,,,, सुगंधा पीठ के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी उसके घने रेशमी बार उसकी नंगी पीठ पर बिखरे हुए थे चिकनी सुडोल पीठ देखकर रोहन के तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, और उसकी नजर ऊपर से लेकर नीचे की तरफ धीरे-धीरे दौड़ रही थी और कमर के नीचे वाली उन्नत भाग पर आकर उसकी नजर रुक गई,,,, पेटिकोट के ढीला होते ही सुगंधा की मदमस्त,,भरावदार गांड और ज्यादा चौड़ी लग रही थी जिसे देखकर रोहन का लंड पजामे मे ठुनकी मार रहा था।,,,
रोहन की नजरों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी जो कि इस समय अर्धनग्न अवस्था में थी जिस के पतन का हर एक और को भगवान ने अपने हाथों से तराशा था जिसकी खूबसूरती में आकर्षण का खजाना भरा हुआ था उस औरत को देखकर रोहन के तन बदन में वासना की चिंगारी ज्वाला का रूप ले रही थी उत्तेजना के मारे रोहन का बदन सूखे हुए पत्तों की तरह कप कपा रहा था। रोहन की नजरें सुगंधा की मदमस्त गांड के बीचो बीच टिकी हुई थी और वह अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पा रहा था इसलिए ना चाहते हुए भी अपने एक हाथ से वह पेजामैं मे बने अपने तंबू को हल्के से मसल दिया,,,,,,,।
चल अब अच्छे से मेरी मालिश कर दे,,,,
( सुगंधा की आवाज कानों में पड़ते ही जैसे रोहन नींद से जागा हो इस तरह से हक लाते हुए बोला।)
हहहहहह,,,, हां,,, मम्मी,, अभी कर देता हूं,,,,,।
अपने बेटे का जवाब सुनकर सुगंधा हल्के से मुस्कुरा दी उसका तन बदन अगले पल के लिए पूरी तरह से तैयार था वैसे तो उसकी इच्छा कर रही थी कि वह अपने सारे कपड़े उतार कर एक दिन नंगी होकर अपने बेटे से मालिश का मजा ले लेकिन उसके अंदर का शर्म अभी जीवित था जो कि इस तरह की बेशर्मी करने से उसे रोक रहा था। धड़कते दिल के साथ वहां अपने बेटे की मजबूत हथेलियों की रगड़ अपनी पीठ पर महसूस करने के लिए तैयार हो गई और रोहन भी अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर अपनी मजबूत हथेलियों की रगड़ करने के लिए तैयार हो गया था उसके जीवन का यह पहला मौका था जब किसी औरत की वह मालिश कर रहा था और वह भी अपनी मां के खूबसूरत बदन की इसलिए एक बार फिर वह अपने घुटनों को मोड़कर बिस्तर पर रख दिया और कटोरी से सरसों की धार को उसकी कमर पर गिराने लगा एक बार फिर से सुगंधा मदहोश होने लगी और अगले ही पल रोहन कमर से लेकर के ऊपर गर्दन तक उसकी नंगी चिकनी पीठ पर अपना हाथ फेरता रहा ऐसा करने में उसे बेहद काम उत्तेजना का अनुभव हो रहा था।
सुगंधाको इस मालिश से बेहद आनंद और राहत का अनुभव हो रहा था अब तक उसकी मालिश बेला करते आ रही थी जो कि उसके सामने सुगंधा थोड़ा बहुत शर्म का अनुभव कर दी थी लेकिन उसके कहने पर धीरे-धीरे वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी,,, और वही वह अपनी बेटे से चाहती थी कि उसका बेटा उसे अपने कपड़े उतारने के लिए कहे और वह उसके कहने के साथ ही अपने सारे कपड़े उतार कर उसके सामने नंगी होकर लेट जाए,,, और उससे मालिश का भरपूर आनंद उठाएं लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था।।,,,
रोहन अपनी मां की मालिश बड़े जोरों पर कर रहा था उपर गर्दन से लेकर के नीचे कमर तक सरसों के तेल की वजह से उसके हाथ इधर-उधर फिसल रहे थे रोहन को अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और इसके चलते वह जहां तहा अपनी मां के बदन को कसके दबोच ले रहा था जिससे उसकी उत्तेजना का साफ पता चल रहा था जब वह अपनी हथेलियों को ऊपर कंधों की तरफ ले जाता तो कंधों को जोर से अपनी हथेली में दबोच लेता मानो की जैसी अपनी मां को पीछे से चोद रहा हो और जब नीचे की तरफ लेकर आता तो उसकी नाजुक मदमस्त कमर को दोनों हाथों में थाम लेता यह सब सारी स्थिति संभोगनीय अवस्था की थी । इसलिए तो इस तरह की मजबूत पकड़ को देखते हुए सुगंधा अपने बेटे के साथ कल्पना करने लगी थी कि जैसे वह उसे घोड़ी बना कर पीछे से उसकी रसीली चूत में उसके कंधों को कस के पकड़ कर अपनी प्यास बुझाते हुए अपने लंड को अंदर-बाहर कर रहा है और उसकी नाजुक कमर को थामकर उसे जमकर चोद रहा है यह सब कल्पना करके उसकी बुर पानी पानी हुए जा रही थी।,,,, ना चाहते हुए भी जब-जब रोहन अपनी हथेलियों का दवा उसके बदन पर कस्ता तब तक उत्तेजना के मारे सुगंधा के मुंह से गर्म सिसकारी छूट जा रही थी जिसे सुनकर रोहन मदमस्त हुआ जा रहा था।,,,
मौसम पूरी तरह से बेईमान हो चुका था बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी खिड़की के बाहर चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था बस ठंडी हवा का झोंका कमरे के अंदर अपनी ठंडक महसूस करा जा रहा था लेकिन जवानी की गर्मी को शीतलता प्रदान नहीं कर पा रहा था क्योंकि इतनी ठंडक होने के बावजूद भी दोनों के माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे पेटिकोट के ढीले होने की वजह से रोहन की लालच अपनी मां के गोलाकार नितंबों को देखकर बढ़ती जा रही थी बार-बार उसकी इच्छा हो रही थी कि अपनी मां के पेटीकोट के अंदर अपना हाथ डाल दे अपनी मां की नंगी चूतड़ो को अपने हाथों से सहलाएं उसे दबाए उसे मसले उसकी ऊष्मां को अपने हथेलियों में महसूस करें।,,,, उधर सुगंधा भी इसी लालच में थी कि उसका बेटा उत्तेजना बस अपने दोनों हथेलियों को उसके पेटीकोट के अंदर जरूर डालेगा और अपनी मजबूत हथेलियो मैं उसकी बड़ी-बड़ी गांड को लेकर दबाएगा मसले गा और इसीलिए उसने अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली की थी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था वह मन ही मन अपने बेटे को भलाबुरा गाली दे रही थी करती भी क्या बेचारी,, अपने बेटे से इतनी आस लगाकर हिम्मत दिखाते हुए एक मां से औरत बनकर अपनी मर्यादा और संस्कारों को दूर करके,, एक मां का शर्म त्याग कर बेशर्म औरत बनते हुए वह इतनी हद तक आ चुकी थी कि उसका बेटा उसकी मजबूरी और इशारे को समझकर उसे अपनी बाहों में भर कर प्यार करेगा और सीधी स्तर पर बरसों से दबी हुई उसकी बुर की प्यास को अपने मोटे तगड़े लंड से चोद कर बुझाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था सुगंधा इसीलिए मन ही मन क्रोध करते हुए कसमसा जा रही थी,,,,
रोहन अपनी मस्ती में खोया हुआ अपनी मां की बदन की मालिश कर रहा था अपनी उत्तेजना को वह अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर संभाल नहीं पा रहा था और पीठ के ऊपरी सतह पर मालिश करते हुए और अपनी उंगलियां नीचे की तरफ ले जा रहा था जिससे सुगंधा की बड़ी-बड़ी चुचियों का बाहरी हिस्सा उसकी उंगलियों से स्पर्श हो जा रहा जिससे उसके तन बदन में गुदगुदी मच जा रही थी और अपने बेटे की इस हरकत को सुगंधा खूब अच्छे से महसूस कर रही थी वह तो अपने बेटे से इससे भी ज्यादा की उम्मीद लगाकर बैठी थी वह चाह रही थी कि वह अपने दोनों हाथों में उसकी चूचियों को लेकर रगड़ दे उत्तेजना के मारे सुगंधा भी कसमसा ने लगी थी,,,, रोहन की हिम्मत बढ़ती जा रही थी वह अपनी हथेलियों को चिकनी पीठ पर लगाते हुए नीचे की तरफ ला रहा था और जैसे ही कमर तक उसकी हथेली पहुंचती थी वह जानबूझकर अपनी हथेलियों को हल्के से पेटीकोट के अंदर की तरफ सरकार दे रहा था जिससे सुगंधा के नितंबों की ऊंचाई की शुरुआत की तरफ का हिस्सा रोहन को बहुत अच्छे से महसूस हो रहा था और इस हरकत की वजह से सुगंधा के तन बदन में वासना की चिंगारियां फूट रही थी,,, उससे भी अपने बेटे की हरकत अपने अंदर दबाए नहीं दब रही थी जिससे उसकी मदमस्त गांड में एक तरंग सी उठ जा रही थी जिसे देखकर रोहन का मन मचल जा रहा था वह बार-बार अपनी हरकत को दोहरा रहा था उसे मजा आने लगा था लेकिन सुगंधा इससे ज्यादा बढ़ने के बारे में सोच रही थी और वह अपने बेटे से एक बहाने से बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,,,
बेटा मैं तो एकदम डर गई थी जब उस हरामजादे ने तुझ पर वार करके तुझे बेहोश कर दिया था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मैं तो एकदम डर गई थी।,,,,,,
( एक बार फिर से उसी बात का जिक्र अपनी मां के मुंह से सुनकर रोहन को लगने लगा था कि उसकी मां फिर से वही सब बातें करना चाहती है इसलिए उसका भी मन खुलने लगा और वह बोला।)
डर तो मैं भी गया था मम्मी मुझे लगने लगा था कि,,,( इतना कहकर रोहन चुप हो गया और अपनी मां की पतली चिकनी कमर पर अपनी हथेली को रगड़ ते हुए उसकी मालिश करते रहा,,,)
क्या लगने लगा था,,,,
कैसे बताऊं मम्मी मुझे शर्म आ रही है,,,,।
अच्छा तो जनाब को शर्म आ रही है अपनी मां के नंगे बदन को देख कर मालिश करते हुए शर्म नहीं आ रही है और बताने में शर्म आ रही है,,,,,,।
( रोहन अपनी मां की बात को सुनकर चिप्स आ गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहें लेकिन अपनी मां को इस तरह से खुला हुआ और उनकी खुली हुई बातें सुनकर उसमें थोड़ी थोड़ी हिम्मत आ रही थी और वह अपनी मम्मी की बातों का जवाब देते हुए बोला,,,।)
क्या मम्मी तुम भी ना मैं तुम्हारे बदन की मालिश कर रहा हूं ताकि तुम्हारे बदन का दर्द दूर हो जाए और तुम हो कि मुझे यह सब कह रही हो,,,,
( रोहन जानबूझकर अपनी मां से नाराज होते हुए बोला,,,,)
तो इसमें गलत ही क्या है एक नौजवान लड़का है और ऐसे में तुम जैसे नौजवान लड़कों की नजर औरतों के बदन पर इधर-उधर दौड़ती रहती है इसमें बुरा क्या है यह सब तो बिल्कुल सामान्य है।
क्या मम्मी तुम भी,,,, ( रोहन इस बार धीरे-धीरे अपनी हथेली को अपनी मां की पीठ की तरफ ले जाकर हल्के से अपनी उंगलियों से अपनी मां की चुचियों को छू लिया जिससे सुगंधा भी उत्तेजना के मारे गनगना गई,,,,)
क्या मम्मी तुम भी क्या,,,,,, मैं जो कह रही हूं सच कह रही हूं,,, क्या तू औरतों लड़कियों को नहीं देखता क्या तू औरतों के अंगों को देखकर मस्त नहीं हो जाता तू सच सच बताना तुझे मेरी कसम,,,,,
( सुगंधा जानबूझकर बातों ही बातों में अपने बेटे को अपनी कसम दे दी थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी कसम और कभी नहीं डालता और अपनी मां की कसम सुनकर रोहन असमंजस में पड़ गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह कुछ सेकंड तक इधर उधर देखता रहा लेकिन फिर उसके दिमाग में झपकी हुई थी जब उसकी मां खुद सब कुछ जानना चाहती है तो उसे बताने में क्या हर्ज है,,, वह भी अब अपनी बातों को नमक मिर्च लगाकर बताने के लिए तैयार था)
क्या मम्मी तुम भी अपना कसम दे रही हो तुम जानती हो कि मैं तुम्हारी कसम कभी नहीं टालता इस तरह के सवाल करने की क्या जरूरत है,,,
जरूरत है बेटा मैं जानना चाहती हूं कि मेरा बेटा दूसरे लड़कों की तरह इस उम्र में आकर सामान्य तो है ना क्योंकि सामान्य वही लोग होते हैं जो औरतों लड़कियों को उनके अंगों को देख कर मस्त हो जाते हैं,,,। क्या तू दूसरे लड़कों की तरह औरतों और लड़कियों को नहीं झांकता उनके अंगों को घूर कर नहीं देखता सच सच बताना तुझे मैंने अपनी कसम दी हूं,,,,
( रोहन अपनी मां की बातों को सुनकर एकदम मस्त हुए जा रहा था वह मन में सोचने लगा कि जब उसकी मां इस तरह से खुलकर बातें कर रही है और बिल्कुल भी हीचकीचा नहीं रही है तो वह किस बात की शर्म कर रहा है,,,,, वैसे भी इस तरह की बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और पहली बार वह किसी औरत से और वादी अपनी मां से इस तरह से खुलकर गंदी बातें कर रहा था।)
देखता हूं मम्मी,,,, लेकिन तुम्हें कैसे देख सकता हूं तुम तो मेरी मम्मी हो,,, मैं तुम्हें नहीं देखता,,,,,
इसका मतलब मैं सुंदर नहीं हूं,,,,।
नहीं मम्मी ऐसी बिल्कुल भी बात नहीं है तुम तो बहुत खूबसूरत हो और जहां तक मैं जानता हूं कि मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा हूं,,,( रोहन अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर मालिश करते हुए बोला,,, सुगंधा अपने बेटे की बात और खास करके अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे अपने बेटे से अपनी तारीफ सुनकर अच्छा लग रहा था,,,,।)
तू झूठ कह रहा है सिर्फ बातें बना रहा है मुझे बहकाने के लिए यह सब बोल रहा है ना मैं सब जानती हूं।,,,
नहीं मम्मी ने सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,
खा मेरी कसम कि तू सच कह रहा है,,, ।
तुम्हारी कसम मम्मी मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,
तो क्या दूसरी औरतों की तरह मेरे वह अंग भी खूबसूरत है जिन्हें तो दूसरे औरतों में देखता है ।(सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे से इस तरह के खुले सवाल पूछ रही थी)
यह कैसा सवाल है मम्मी मैं इसका जवाब नहीं दे पाऊंगा,,,,
( रोहन जानबूझकर यह बात कह रहा था बल्कि वह तो खुद अंदर से उत्सुक था इस तरह के सवाल का जवाब खुलकर देने के लिए लेकिन अपनी मां के सामने थोड़ा बहुत नाटक कर रहा था।)
क्यों नहीं दे पाएगा देख मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है मैं तुझसे पहले भी कह चुकी हूं मुझे भी तो पता चलना चाहिए ना कि मैं भी खूबसूरत हो और मेरे अंग भी दूसरे औरतों की तरह खूबसूरत है तभी तो दूसरे मर्दों की तरह तू मुझे देखता है,,,।
मैंने यह कब कहा कि मैं तुम्हें देखता हूं,,,
इसका मतलब तू झूठ कह रहा था कि मैं खूबसूरत हूं सिर्फ बातें बना रहा था ना,,,,
नहीं मम्मी में बातें नहीं बना रहा तुम सही में खूबसूरत हो,,,,
तो सच सच बता (सुगंधा तुरंत अपना सर उठा कर अपने बेटे की तरफ देखते हुए) क्या मैं खूबसूरत नहीं हूं,,,( इतना कहने के साथ ही सुगंधा की नजर अपने बेटे के पजामी में बने तंबू पर गई जो पकड़ कर पूरी तरह से लेफ्ट की तरह हो गया था उसे देखते ही सुगंधा की आंखों में चमक उतर गई और अपनी मां की नजर को रोहन समझ गया कि वह क्या देख रही है सुगंधा जानबूझकर एकटक अपने बेटे के पजामे मैं बने तंबू को देखते हुए बोली,,) मेरे बदन की बनावट दूसरी औरतों की तरह खूबसूरत नहीं है क्या तुम मुझे सच में नहीं देखते तुझे मेरी कसम है सच सच बताना,,, ( इतना कहने के साथ सुगंधा वापस उसी स्थिति में हो गई जैसे पहले थीे वैसे तो उसकी इच्छा बिल्कुल भी नहीं कर रही थी अपने बेटे के पजामे में बने तंबू से नजर हटाने के लिए लेकिन इस तरह से वह ज्यादा देर तक घूर नहीं सकती थी क्योंकि उसकी बुर पानी से लबालब हो गई थी,,,
रोहन असमंजस में पड़ गया था उसी समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां के सवाल का कैसे जवाब दे उसे डर लग रहा था कि कहीं उसके मन की बात सुनने के बाद कहीं उसकी मां उससे नाराज ना हो जाए लेकिन फिर सोचा ऐसा नहीं हो सकता अगर ऐसा होता तो वह सफर वाले दिन ही उसे डांट फटकार करती उससे नाराज होती है लेकिन उसने ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया था इसलिए उसे लगने लगा था कि अपनी मां से इस तरह से बातें करने में किसी बात का भी डर किसी बात का भी खतरा बिल्कुल भी नहीं था और वैसे भी जब उसकी मां इस तरह की बातें उसके मुंह से सुनना चाहती थी तो उसे एतराज क्यों करना इसलिए वह बोला,,,