सुगंधा अपने बेटे की यह बात सुनकर मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसकी खुशी का ठिकाना ना था,, रोहन का हाथ अभी भी सुगंधा की पेटीकोट के अंदर घुसा हुआ था और उसकी उंगलियां सुगंधा की मदमस्त मस्त गांड पर थिरकट कर रही थी,,,
जोकि सुगंधाको अच्छा लग रहा था सुगंधा चाहती तो अपने बेटे के कहने के साथ ही वह अपनी पेटिकोट उतार कर एकदम नंगी हो जाती लेकिन ऐसा करना शायद उसे उचित नहीं लग रहा था वह जानबूझकर अपने बेटे के सामने हिचकी चा रही थी और हिचकिचाहट भरे शब्दों में बोली,,,,,।
क्या अपने सारे कपड़े उतार कर नननन,,,,नंगी हो जाऊं,,,, और वह भी तेरे सामने, नहीं मुझसे नहीं हो पाएगा,,,,,
मम्मी कैसे नहीं हो पाएगा जब तक तुम अपने सारे कपड़े नहीं उतारोगी तब तक ठीक से मालिश नहीं हो पाएगा और फिर आराम कैसे मिलेगा,,,,
तेरी बात ठीक है लेकिन मुझे तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने में शर्म आ रही है,,,,।
शर्म और मेरे सामने क्या मम्मी तुम भी कैसी बातें कर रही हो,,,,,,
क्या मतलब की कैसी बातें कर रही हो,,,, क्या मैं तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाऊं,,,, मुझे शर्म नहीं आएगी और वैसे भी मैं तेरी मां हूं तेरे सामने कपड़े उतारकर कर नंगी होने में मुझे शर्मा आएगी,,,,,
तुम तो ऐसा कह रही हो मम्मी कि जैसे मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हुई ही नहीं हो अभी आज शाम को ही मैं तुम्हें नंगी देख लिया था भले ही ठीक से नहीं देख पाया था लेकिन उस समय तुम अपने कमरे में एकदम नंगी तो थी ना और अभी शर्म कर रही हो,,,,
( अभी तक सुगंधा रोहन पर जोर डालती थी उसके मुंह से बात सुनने के लिए लेकिन अब रोहन बोल रहा था आपने मां को अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए जो कि एक अच्छी निशानी थी आगे बढ़ने के लिए और यही देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हुए जा रहे थे वह जानबूझकर हिचकीचाने का नाटक कर रही थी वरना वह तो कब से अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए उतारू थी,,,,)
वो बात कुछ और थी बेटा,,,, लेकिन अभी तेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में शर्म महसूस हो रही है मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी,,,,,
क्या मम्मी तुम भी,,,,,,,, अभी यह सब कुछ जो भी उतारी हो मेरी आंखों के सामने ही तो उतारी हो,,, अब सिर्फ यह पेटीकोट ही रह गई है,, ईसे भी ऊतार दो तो मै तुम्हारी अच्छे से मालिश कर पाऊंगा (इतना कहते हुए रोहन इस बार अपनी हथेली को अपनी मां की पेटीकोट के कुछ ज्यादा ही अंदर सरका दिया और अपनी बीच वाली लंबी उंगली को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की गहरी दरार के अंदर धंसाकर रगड़ने लगा,,, जिससे रोहन की बीच वाली उंगली सीधे जाकर सुगंधा की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड की गहरी दरार के अंदर छिपी हुई भूरे रंग के छोटे से छेद पर स्पर्श करते हुए रगड़ खाने लगी और सुगंधा अपनी गांड के उस छोटे से संवेदनशील अंग पर अपने बेटे की उंगलियों का स्पर्श पाते ही उत्तेजना के मारे गनगना गई वह इतनी ज्यादा गरम हो गई कि उसके अंग अंग से गर्माहट भरी लव उठने लगी अपनी जवानी की आग को अपने बेटे के इस स्पर्श से वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने मुंह से गर्म सिसकारी फेंकने लगी,,,,)
सससहहहहहहह,,,,,, रोहन,,,,,,
( अपनी मां कै मुंह से गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन समझ गया कि उसकी मा एकदम गरम हो रही है,,,, रोहन को इस बात से बेहद खुशी थी कि उसके द्वारा इतनी गंदी हरकत करने के बावजूद भी उसकी मां उसी से नाराज नहीं थी बल्कि उसकी हरकत का पूरा मजा लेते हुए गर्म हुए जा रही थी जिससे उसकी हिम्मत खुलने लगी थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से ही अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर उसे एकदम नंगी कर दे लेकिन अभी बेटे के द्वारा मां के प्रति सम्मान और शर्म बची हुई थी लेकिन,,,, उसका लंड था की रोहन की मां के प्रति बिल्कुल भी सम्मान और शर्म को त्याग कर अपनी पूरी औकात में खड़ा हो गया था,,,, उसकी आंखों के सामने लेटी हुई औरत रोहन की मां नहीं बल्कि उसे एक खूबसूरत और मदमस्त औरत नजर आ रही थी जिसके पास दुनिया की सबसे हसीन और रसीली बुर थी जिसके अंदर जाने के लिए रोहन का लंड तड़प रहा था।,,,,,,)
रोहन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं मैं तेरी बात से सहमत हूं लेकिन ना जाने क्यों मेरा मन नहीं मान रहा तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए,,,,
( सुगंधा कसमस आते हुए बोली उसका भी मन तो यही कर रहा था कि तुरंत अपने हाथों से अपना पेटिकोट उतार कर अपने बेटे के सामने नंगी होकर लेट जाए लेकिन थोड़ा बहुत नाटक करना उसके लिए जरूरी था ताकि उसके बेटे को यह न लगे कि उसकी मां गंदी औरत हो गई है वैसे तो उसकी ख्वाईसी इच्छा यही थी कि उसका बेटा खुद उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी करे लेकिन इस समय ऐसा होना संभव नहीं था क्योंकि एक मां होने के नाते वह अपने बेटे को अपने कपड़े उतार कर नंगी करने की इजाजत नहीं दे सकती है,,,,)
क्या मम्मी मेरे सामने तुम इतना शर्मा रही हो तब जाओ ऐसे में मालिश नहीं कर पाऊंगा मैं जा रहा हूं,,,,( इतना कहकर रोहन बिस्तर से उठने को हुआ कि उसकी मां तुरंत उसका हाथ पकड़कर फिर से बिस्तर पर बिठा ली और बोली,,,,)
कहां जा रहा है रोहन मेरे बदन में बहुत दर्द है,,,,,
तभी तो कह रहा हूं मम्मी कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो जाओ वैसे भी इस कमरे में मेरे और तुम्हारे सिवा कोई नहीं है मेरे सामने शर्माने की जरूरत नहीं है कपड़े उतरने के बाद मैं तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगा कि दर्द हवा की तरह फुर्र हो जाएगा,,,,,
( रोहन की चालाकी भरी बातें सुनकर सुगंधा अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी,, क्योंकि उसे अब लगने लगा था कि अब बात बनने वाली है क्योंकि उसका बेटा धीरे-धीरे खुल रहा था और आगे से ही सारे प्रस्ताव रख रहा था,,,,,।)
ठीक है बेटा तू कहता है तो मैं तेरे सामने अपने सारे कपड़े उतारने के लिए तैयार हूं लेकिन तू मेरे उन अंगों को बिल्कुल भी मत देखना नहीं तो मुझे शर्म आएगी,,,,,
कैसी बात कर रही हो मम्मी मैं तुम्हारे अंगों को देखने के लिए तुम्हारे कपड़े थोड़ी उतरवा रहा हूं मैं तो तुम्हारी मालिश करना चाहता हूं ताकि तुम्हें दर्द से राहत मिल जाए इसलिए तुम्हें कपड़े उतारने को कह रहा हूं अगर तुम्हें लगता है कि मेरी ऐसी दानत है तो रहने दीजिए मैं ऐसे ही मालिश कर देता हूं,,,, ( रोहन बुरा सा मुंह बनाते हुए बोला,,,,।)
नहीं नहीं मेरे कहने का यह मतलब नहीं था वह तो मैं इसलिए कह रही थी कि तू मेरे उन अंगों को घूरेगा तो मुझे शर्म आएगी (इतना कहते हुए सुगंधा बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन वह यह भूल गई कि उसके बदन पर से वह खुद अपने ब्लाउज को कब से अलग कर चुकी थी जिसकी वजह से बिस्तर पर बैठते ही सुगंधा की बड़ी-बड़ी पटवार चूचियां सीना ताने खड़ी नजर आ गई रोहन तो यह देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि इस उम्र में भी सुगंधा की लाजवाब गोल-गोल चूचियां खरबूजे की तरह एकदम गोल थी और उसमें जरा भी लटकन नहीं था,,, अपनी मां की मदमस्त चुचियों को एकटक देखते ही रह गया सुगंधा को भी इस बात का एहसास हो गया कि रोहन उसकी दोनों चूचियों को घूर रहा है और यह देख कर वह मन ही मन खुश हो रही थी लेकिन उस बात को नजरअंदाज करते हुए सुगंधा अपने पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी यह देखकर रोहन एकदम से मस्त हो गया पजामे में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया जो कि पजामे के अंदर एक विशाल तंबू सा बना दिया था।,, और रोहन अपनी मां की दमदार चुचियों को देखकर हक्का-बक्का रह गया था उसकी नजरें हटाए नहीं हट रही थी सुगंधा मन में प्रसन्नता लिए अपनी नाजुक उंगलियों से धीरे-धीरे अपने पेटीकोट की डोरी को खोल चुकी थी उसका पेटीकोट एकदम ढीला हो चुका था वह अपने हाथ से अपना पेटीकोट उतारने ही जा रही थी कि उसके मन में न जाने क्या सूझा कि वह फिर से पेट के बल उसी तरह से लेट गई।,,,
रोहन की प्यासी नजर अपनी मां की खूबसूरत बदन पर चारों तरफ घूम रही थी और सुगंधा के इस तरह से वापस पेट के बल लेट जाने की वजह से ढीली पड़ी पेटीकोट नितंबों की ऊपरी सतह तक सरक गई थी जिसकी वजह से सुगंधा की मदमस्त गांड की गहरी दरार का ऊपरी हिस्सा हल्का-हल्का नजर आने लगा था जिसे देखकर रोहन की आंखों में चमक आ गई थी,,,
तेज बारिश की वजह से और वह भी लगातार बरसने की वजह से माहौल पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन सुगंधा की मदमस्त जवानी ने कमरे के तापमान को एकदम गर्म कर दिया था जिसकी वजह से रोहन के माथे पर से पसीना टपक रहा था,,,
वैसे भी वातावरण की गर्मी से कहीं अत्यधिक कर्म एकमत मस्त औरत की मदमस्त जवानी होती है जिसका अनुभव केवल एक मर्द को ही अच्छी तरह से होता है और इस समय सुगंधा की मदमस्त जवानी की गर्मी का अनुभव रोहन कर रहा था रोहन अपनी मां को ऊपर से नीचे की तरफ इधर उधर देख रहा था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कपड़े उतारने को कह कर उसकी मां इस तरह से क्यों लेट गई वह कुछ समझ पाता और कुछ कहता इससे पहले ही जैसे सुगंधा रोहन के मन की स्थिति को भाप गई हो और वह खुद बोली,,,,
रोहन तू मेरी पेटीकोट पकड़कर नीचे की तरफ खींच कर निकाल दे,,,,,
मममम,,,,,मैं निकाल दु,,,,,( सुगंधा के प्रस्ताव को सुनकर रोहन कांपते स्वर में बोला,,,,,)
हां रे तु निकाल दे,,, मेरे में अभी इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं खड़ी हो जाऊं क्योंकि मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा है,,,,,
ठीक है मम्मी में ही निकाल देता हूं,,,,,,
( रोहन का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था जिस तरह का आमंत्रण सुगंधा ने अपने बेटे को दी थी और ऐसा आमंत्रण और वह भी अपने अंतर्वस्त्र उतारने का ऐसा मंत्र शायद ही कोई मां अपने बेटे को देती है इस तरह के आमंत्रण पर केवल पति या प्रेमी का ही हक होता है लेकिन इस समय सुगंधा में एक मां नहीं बल्कि एक औरत ने जन्म ले ली थी और वह अपने बेटे में एक पति एक प्रेमी को देख रही थी एक मर्द को देख रही थी ऐसा मर्द जो उसे अपनी बाहों में लेकर बरसों से दबी प्यास को बुझाने में सक्षम था,,,,। सुगंधा द्वारा पेटीकोट उतारने का आमंत्रण रोहन को सहर्ष स्वीकार था ऐसे आमंत्रण को भला कोई मर्द कैसे इंकार कर सकता था।,,, रोहन की सांसे तीव्र गति से चलने लगी थी,,,, दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि आने वाला पल बेहद मोहक और मादकता से भरा हुआ था जो कि उसकी जिंदगी का बेहद हसीन पल होने वाला था उसकी कल्पना हकीकत में बदलने वाली थी वैसे तो रोहन अपनी मां को कुछ दिनों से नग्न अवस्था में देख ही लेता था लेकिन आज वह अपने हाथों से अपनी मां का पेटीकोट उतारकर उसे नंगी करने जा रहा था जो कि बेहद उत्तेजना से भरपूर और आनंद प्रदान करने वाला पल होने जा रहा था,,,,,। सुगंधा वासना और अपने बदन की प्यास के अधीन होकर अपने बेटे को अपना पेटीकोट उतारने का आदेश दे दी थी उसके तन बदन में उत्तेजना समाई हुई थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था उसकी जवानी अपने आप में बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसकी पेटीकोट किस तरह से बाहर निकालता है उस समय वह कैसा महसूस करती है उसके तन बदन में किस तरह की हलचल होती है उस पल को जीने के लिए वह पूरी तरह से तैयार हो गई थी,,,,
आधी रात हो चुकी थी बारिश अभी भी बंद होने का नाम नहीं ले रही थी चारों तरफ खेतों में पानी ही पानी नजर आ रहा था,,,
ऐसे में सारागांव सो रहा था,,,, लेकिन सुगंधा और रोहन की आंखों से नींद कोसों दूर थी दोनों एक दूसरे के स्पर्श एक दूसरे के अंगों को देखने के लिए मन ही मन लालायित हो रहे थे,,,,, सुगंधा बेचैनी से अपने बेटे का इंतजार कर रही थी कि कब अपने हाथों से उसकी पेटिकोट उतार कर उसे एकदम नंगी करेगा और रोहन भी बेसब्र हुए जा रहा था अपनी मां की पेटिकोट उतार कर उसे नंगी करने के लिए,,, और रोहन आगे बढ़कर अपनी मां की बेटी को ऊतारने के लिए जैसे ही बिस्तर पर बैठने वाला था कि तभी उसकी मां बोली,,,,
रुको बेटा,,,,,
क्या हुआ मम्मी कहीं तुम्हारा इरादा तो नहीं बदल गया,,
( रोहन की यह बात सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, क्योंकि उसकी बातों में उसका बेसब्रापन साफ झलक रहा था वह नहीं चाहता था कि यहां तक आकर उसकी मां उसे पीछे हटने के लिए बोले,,,,।)
नहीं बेटा ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन तू एक काम कर लालटेन की लौ को थोड़ा कम कर दे,,,, इतनी ज्यादा रोशनी में तेरे सामने नंगी होने में मुझे शर्म आएगी,,,,,।
कोई बात नहीं मम्मी,,,,
(इतना कहकर रोहन आगे बढ़ा और लालटेन की रोशनी को कम करने लगा लेकिन वह जानबूझकर इतनी रोशनी रखा कि उस रोशनी में भी उसे सब कुछ साफ-साफ नजर आए और ऐसा हो भी रहा था रोहन को सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था और यह बात सुगमता भी अच्छी तरह से जानती थी उसे भी अपने बेटे की चालाकी पर प्रसन्नता हो रही थी,,,,, रोहन अपनी मां के करीब बैठा हुआ था वह पूरी तरह से तैयार था अपनी मां की पेटीकोट उतारने के लिए उसके हाथ के साथ-साथ पूरा बदन उत्तेजना के मारे कांप रहा था उसकी आंखों के सामने केवल उसकी मां का खूबसूरत उभार लिए हुए मदमस्त गांड नजर आ रही थी जो कि आधी से ज्यादा ढकी होने के बावजूद भी गांड की पतली गहरी दरार हल्का से नजर आ रही थी जिससे और भी ज्यादा मादकता का एहसास हो रहा था,,,,,, रोहन धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था ऊत्तेजना के मारे उसका गला सूख चुका था और यही हाल सुगंधा का भी हो रहा था उसका पूरा बदन कसमसा रहा था उसे अगले पल का बेसब्री से इंतजार था