१ सुगंधा अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर पानी पानी हो गई थी एकदम नंगी हो जाने की वजह से बिस्तर पर बिछाई चादर भी गीली होने लगी थी। मालिश करते हुए रोहन की नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी वह चारों तरफ नजरें घुमाकर अपनी मां की गांड के निचले हिस्से की तरफ देखने की कोशिश कर रहा था वह जिस चीज को देखना चाहता था वह अभी नजर नहीं आ रही थी क्योंकि सुगंधा अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाए हुए लेटी थी,,,,,,, अगर सुगंधाको इस बात का जरा भी एहसास होता कि उसका बेटा उसकी टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार को देखना चाहता है तो वह अब तक अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर के दर्शन करा चुकी होती लेकिन अभी वह इस बात से बिलकुल बेखबर थी और अपने बेटे के द्वारा मालिश का मजा ले रही थी।
रोहन भी कुछ देर तक ऐसे ही अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ की मालिश करता रहा और अपने आपको वासना की आग में झुलसाता रहा क्योंकि उसका बहुत मन कर रहा था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसे मसलने के लिए उस पर तेल से मालिश करने के लिए उसकी गहरी दरार में अपनी ऊंगलियो को रगड़ने के लिए,,,,, लेकिन जैसे सुगंधा अपने बेटे के मन की बात सुन रही हो,,, और कुछ ही सेकेंड बाद बोली,,,,।
बेटा थोड़ा कमर के नीचे भी मालिश कर देना तो मुझे वहां भी बहुत दर्द हो रहा है तेरे हाथों में तो जैसे जादू है,,,, मुझे बहुत आराम मिल रहा है,,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर रोहन मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और उसकी यह बात सुनकर की कमर के नीचे थोड़ा मालिश कर दे तो इस बात को सुनकर उसका लंड टनटनाकर और ज्यादा कड़क हो गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां किस अंग पर मालिश करने के लिए बोल रही है लेकिन एक बार वह पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहता था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।)
कहां पर मम्मी कहां पर तुम्हें दर्द हो रहा है,,,,,
अरे यही कमर के नीचे,,,,( सुगंधा उंगली से अपनी गांड की ओर इशारा करते हुए बोली और रोहन जानबूझकर उसकी कमर के नीचे हल्का सा उंगली लगाते हुए बोला)
यहां पर मम्मी,,, ( रोहन अपनी मां की कमर के नीचे अपनी उंगली रखते हुए बोला,,,, )
नहीं थोड़ा सा और नीचे,,,
और रोहन थोड़ी सी और उंगली को कमर के नीचे की तरफ रखकर बोला,,,
यहां पर मम्मी,,,
नहीं रे तू तो एकदम बुद्धू है थोड़ा और नीचे,,,,, (सुगंधा भी सीधे-सीधे गांड बोलने में शर्मा रही थी लेकिन अपनी मां से इस तरह से गुफ्तगू कर के रोहन के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह एकदम कामुकता के असर में घिरने लगा और सीधे सीधे अपनी उंगली को अपनी मां की मदमस्त गांड की पतली गहरी फाकों के किनारे जहां से उसकी गांड की दरार शुरू होती थी वहां बीचोबीच उंगली धंसाते हुए बोला,,,,,)
यहां पर मम्मी,,,,,,,
( सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत से एकदम से मस्त हो गई उसके तन बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह से अपनी उंगली उस नाजुक जगह पर रख देगा वह उत्तेजना के मारे एकदम से सी सकते हुए बोली,,,,।)
ससससससस,,,, हहहहहब,,,,, आहहहहहहहह,,,, हां यहीं पर रहे यही पर मुझे ज्यादा दर्द हो रहा है अपने हथेलियों का जादू चला और मेरा दर्द दूर कर दे मेरा अंग अंग दर्द कर रहा है मुझे इस दर्द से निजात दिला,,,,
( सुगंधा एक दम मस्त हो गई थी अपने कमरे में बिस्तर पर एकदम नंगी लेट कर अपने बेटे की इस हरकत पर उसकी बुर एकदम से चुदास से भर गई थी अगर उसका बस चलता तो अपने बेटे को वहीं बिस्तर पर गिरा कर उसके मोटे खड़े लंड पर अपनी कचोरी जैसी फुली बुर पर रखकर उसे अपनी बुर की गहराई में उतार ली होती,,,,,। )
थोड़ी देर में आप का दर्द दूर हो जाएगा मम्मी रुको मैं इसे अच्छे से मालिश कर देता हूं,,,,। ( इतना कहने के साथ ही रोहन बिस्तर पर से फिर से उठा और चलते हुए थे बल्कि करीब गया सुगंधा की नजर अपने बेटे पर पड़ी और सीधे उसकी नजर अपने बेटे के तने हुए तंबू जैसे पजामे पर चली गई और उस पजामे को देखकर उसकी बुर कुल बुलाने लगी वह तड़प उठी बरसों से अपने अंदर दबी जवानी बाहर आने के लिए मचलने लगी,,,,, सुगंधा पहली बार अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथों में पकड़ने के लिए तड़प उठी वहां के बाड़े अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को देख रही थी और तंबू को देखकर इतना तो अंदाजा लगा चुकी थी कि उसका बेटा आप पूरा मर्द बन चुका था बल्कि ऐसा वैसा मर्द नहीं ऐसा मर्द जो औरतों को अपनी बाहों में लेकर अपने हथियार से उसकी बुर का पूरा रस निचोड़ सकता था एक औरत को संतुष्टि भरा एहसास करा सकता था और उस एहसास को महसूस करने के लिए सुगंधा मचल उठी रोहन भी इस बात को जान गया था कि उसकी मां की नजर उसके पजामे के ऊपर ही थी इसलिए वह अब जानबूझकर उसे छुपाने की कोशिश नहीं बल्कि कि वह ज्यादा दिखाने की कोशिश कर रहा था,,,, वैसे भी आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी,,, रोहन के मन में भी यही ख्याल आता रहे थे कि सारी मर्यादाओं की सीमाओं को तोड़कर वहां एक मर्दानगी दिखाते हुए मर्द की तरह अपनी मां के ऊपर चढ़ जाए और अपने मोटे मुसर जैसे लंड को उसकी गुलाबी रंग की पूरी हुई कचोरी जैसी पुर के अंदर डालकर उसकी चुदाई कर दे और अपने जवान और मर्द होने का सबूत पेश करें,,,, उसके लंड को भी जैसे बुर की खुशबू महसुस होने लगी थी और वह भी पैजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए तड़प रहा था,,,,
रोहन टेबल पर से फिर से तेल से भरी कटोरी उठा लिया और वापस आकर अपनी जगह पर बैठ गया उत्तेजना और उत्सुकता मैं सुगंधा कसमसा रही थी रोहन धीरे-धीरे तेल की धार को अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के बीचो बीच उसकी गहरी दरार में गिराने लगा, रोहन की इस हरकत का असर सुगंधा के तन बदन में बहुत ही बुरी तरह से हो रहा था,,,, : रोहन का मन मस्तिष्क में इस समय पूरी तरह से वासना मई बन गया था क्योंकि अब उसके सामने लेटी हुई औरत उसकी मां नहीं बल्कि एक प्यासी औरत लग रही थी जिसकी प्यास बुझाने के लिए वह खुद आतुर था जिस अदा से वह अपनी मां की गांड के बीचोबीच सरसों के तेल की धार गिरा रहा था कमरे में पूरी तरह से मादकता छा गया था,,, सरसों के तेल की धार गांड के फाकों के बीचो-बीच गहराई में उतरने लगा धीरे-धीरे करके वह रिसता हुआ गांड के भूरे रंग के छेद को पूरी तरह से डूब होता हुआ नीचे की तरफ उतरने लगा और जैसे-जैसे तेल की धार गांड की गहराई पकड़कर नीचे की तरफ उतर रही थी वैसे वैसे सुगंधा का तन बदन उत्तेजना के असर में लहरा रहा था उसकी जवानी कसमसा रही थी वह ना चाहते हुए भी अपनी बड़ी बड़ी गांड को कभी दाएं तो कभी बाय लहरा रही थी जिसकी वजह से पूरा नजारा कामोत्तेजना के असर में डूबने लगा था रोहन का लंड ऊतेजना के मारे इतना ज्यादा टन टना कर खड़ा हो गया था कि ऐसा लग रहा था कि अभी लंड की नसें फट जाएगी,,
और जैसे ही तेल की धार गांड के भूरे रंग के छेद से होती हुई नीचे की तरफ फूली हुई कचोरी जैसी बुर के अग्रभाग पर स्पर्श हुआ वैसे ही ना चाहते हुए भी सुगंधा के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,,
ससससहहहहहह,,,, आहहहहहहहहह,,,, रोहन,,,,,,
( सुगंधा गरम सिसकारी लेते हुए अपनी मदमस्त गांड को हल्के से उठा दी जोकि सुगंधा की यह अदा रोहन के लिए पागल कर देने वाली थी रोहन उसी तरह से तेल की धार को गांड के बीचो-बीच गिराता हुआ बोला,,,,,।)
क्या हुआ मम्मी,,, ?
कुछ नहीं बेटा अब कुछ ज्यादा ही दर्द करने लगा है बर्दाश्त नहीं हो रहा है जल्दी से अपने हाथों का कमाल दिखाओ और मेरा दर्द दूर कर दे,,,,,
तुम चिंता मत करो मम्मी मैं अभी तुम्हारा दर्द भगा देता हूं,,,, (रोहन एक हाथों से अपने पैजावे में खड़े लंड को व्यवस्थित करते हुए बोला और रोहन की इस हरकत को तिरछी नजरों से सुगंधा ने देख ली और मन ही मन प्रसन्न होने लगी,, पर मन ही मन में उसे गाली भी दे रही थी क्योंकि एक मर्द होने के बावजूद भी एक नंगी औरत को अपने इतने करीब लेटा हुआ देखकर भी वह कुछ नहीं कर रहा था ऐसे हालात में कोई भी मर्द होता तो सबसे पहले सुगंधा की टांगों को फैला कर अपने लिए जगह बनाकर अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ डालकर उसकी बड़ी-बड़ी तरबूज जैसी गांड को अपनी हथेली में दबाकर अपनी तरफ खींचता और अपने मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को उसकी चिकनी बुर पर रखकर एक झटके में पूरा का पूरा अंदर पेल देता,,,,,, यह सुगंधा की ख्वाहिश ही इच्छा थी,,,
जिस तरह से सुगंधा सोच रही थी ठीक उसी तरह से रोहन के मन में भी ख्याल उमड़ रहे थे वह भी यही चाहता था कि वह अपनी मां की दोनों टांगों को फैला कर उसके अंदर समा जाए लेकिन एक बेटा होने के नाते इस तरह की जल्दबाजी उसे ठीक नहीं लग रही थी,,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा और धीरे धीरे चलता हुआ टेबल के करीब जाकर तेल की कटोरी टेबल पर रख दिया और तिरछी नजर से अपनी मां की तरफ देखने लगा जो कि वह भी उसी की तरफ देख रही थी लेकिन उसके चेहरे की तरफ नहीं बल्कि उसके पहचाने में मैं तने तंबू की तरफ,,, यह देख कर रोहन उत्तेजना से भर गया,, और जानबूझकर उसकी मां देख सके इस तरह से अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पर जाने में खड़े लंड को व्यवस्थित करने लगा और वापस आकर बिस्तर पर बैठ गया लेकिन रोहन की इस हरकत ने सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को आग का रूप धारण करने के लिए मजबूर कर दिया सुगंधा की बुर में कुलबुलाहट होने लगी और इस समय वह मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए तड़प उठी,,, लेकिन इस समय वह एकदम मजबूर थी एक खूबसूरत हुस्न के सांचे में ढाला हुआ खूबसूरत बदन होने के बावजूद भी सुगंधा एक मोटे तगड़े लैंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए जिस तरह से कशमकश दिखाते हुए अपनी मर्यादाओं से लड़ रही थी ऐसे हालात में सुगंधा बड़ी लाचार नजर आ रही थी क्योंकि सुगंधा के अंदर जवानी कूट-कूट कर भरी हुई थी और वह हुस्न की मल्लिका थी जिसे देखकर ही हर किसी मर्द का लैंड तुरंत खड़ा हो जाता था और ऐसी औरतों के लिए दुनिया में लंड की कमी नहीं होनी चाहिए थी लेकिन वह अपनी मर्यादाओं से हार चुकी थी लेकिन इस समय वासना की चिंगारी उसके तन बदन को सुलगा रही थी और वह अपने ही बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए लालायित और उत्सुक हुए जा रही थी जिसके आधार पर वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी,,, लेकिन अभी अभी जिस तरह से रोहन अपने हाथ से अपने पजामे में खड़े लंड को पकड़ कर व्यवस्थित किया था उसे देखकर सुगंधा का धैर्य जवाब दे गया था उससे अपनी जवानी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और उसकी बुर यह देखकर एकदम से कुल बुलाने लगी थी वह रोहन से कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोली ही थी कि तभी,,,, वह अपनी बड़ी बड़ी कसमस आती हुई गांड पर अपने बेटे की मजबूत हथेलियो को महसूस करते ही एकदम शांत हो गई,,,,,, जैसे ही रोहन अपनी मां की नंगी गोरी गोरी गांड पर अपनी हथेली रखा वैसे ही जैसे उत्तेजना के मारे उसकी सांस अटक गई उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करें एक पल के लिए वह बर्फ की तरह जम्मू गया उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत नंगी लेटी हुई थी जिसकी नंगी मदमस्त उभार लिए हुए उन्नत गांड पर उसका हाथ था,,,,,,, आहहहहहहहहहहह,,,, बड़ी-बड़ी गोरी गांड के नरम एहसास से रोहन के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई दुनिया में ऐसा कोई भी मर्द नहीं था जो सुगंधा कि मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड को देखकर गर्म आहे न भरता हो,,,, मां की गांड को छूकर रोहन को अब जाकर यह एहसास हुआ था कि बाहर से इतनी बड़ी बड़ी कठोर और भरी हुई दिखने वाली गांड वास्तव में कितनी नरम और रूई की तरह एकदम मुलायम होती है और इसका एहसास उसके तन बदन में कामोत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा भड़का रहा था,,,,
धीरे-धीरे करके रोहन अपनी हथेली से सरसों के तेल को अपनी मां की गांड पर चुपड़ रहा था,,,, रोहन मन ही मन भगवान को और अपनी मां को धन्यवाद दे रहा था की मालिश के बहाने उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत को नंगी देखने का मौका मिला था भले ही वह उसकी मां थी लेकिन मालिश के बहाने उसके नंगे बदन को छूने उसे स्पर्श करने और उसे मसलने का मौका मिल रहा था जिससे वह काफी प्रसन्न नजर आ रहा था रोहन की दोनों हथेलियां सुगंधा की गांड की दोनों फांको पर टिकी हुई थी ऐसा लग रहा था मानो वह दो तरबूज को अपनी हथेली में भरकर दबा रहा हो,,,
सुगंधा के लिए भी यह पल बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे के सामने इस तरह से नंगी लेटी हुई है ना तो उसने कभी सपने में भी सोचे थे कि वह अपने बेटे के सामने इस तरह से नंगी लेट करो उससे अपने नंगे बदन की मालिश करवाएगी लेकिन हालात के आगे वह भी मजबूर थी और इन हालातों ने उसे अद्भुत सुख का अहसास भी करा रहा था,,,
मालिश का नंगा खेल शुरू हो गया था कमरे के अंदर का नजारा और भी ज्यादा मादकता से भरता चला जा रहा था ,,, जहां एक तरफ बादलों की गड़गड़ाहट और तेज बारिश की वजह से वातावरण ठंडा हो चुका था वहीं दूसरी तरफ कमरे का तापमान एकदम गरम होता चला जा रहा था जिसका एक ही कारण था सुगंधा की जवानी जो कि इस समय पूरे शबाब में खिली हुई थी और बिस्तर पर नंगी होकर कसमसा रही थी,,, और कमरे के अंदर उसकी खीलती हुई मदमस्त जवानी को देखने वाला केवल उसका बेटा ही था जो कि इस समय उसकी नंगी गांड पर सरसों की तेल की मालिश करता हुआ खुद आनंद के सागर में गोते लगा रहा था