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Incest बदलते रिश्ते......

Vinita

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भाई दीवाना हो गया हूँ आपकी कहानियो का, क्या आपकी और भी कहानियाँ है जो इस forum पर नही है
Please please send me🙏🙏
 
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Siraj Patel

The name is enough
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Doctor Romeo

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हालांकि रोहन कमरे के बाहर बेचैन हो रहा था अंदर जाने के लिए लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वास्तव में उसकी मां कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी होकर कमरे में घूम रही है। अगर इस बात का उसे पता चल जाता तो शायद उसका लंड पानी छोड़ देता क्योंकि जिस इसलिए मैं उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और वह भी अपनी मां के ही चलते तो जाहिर सी बात थी कि अगर ऐसी अवस्था में वह अपनी मां को संपूर्ण व्यवस्था की हालत में दर्शन करने का तो उसके लंड से पानी छुट ही जाता। वह अंदर देखने का जुगाड़ बना रहा था लेकिन कोई भी जुगाड़ उसका सफल नहीं हो पा रहा था,,,,। अभी भी उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था।,,,,,
और कमरे के अंदर सुगंधा अलमारी खोलकर अपनी पैंटी ढूंढ रही थी।,,,,, और आलमारी का ड्राइवर खोल कर वह अपनी गुलाबी रंग की पैंटी बाहर निकाल ली और वापस अलमारी को बंद कर दी,,,,, सुगंधा बिस्तर के करीब आकर फर्श पर गिरी हुई पेंटिं को उठा कर बिस्तर के नीचे छुपा दी,,,, और अपनी गुलाबी रंग की पैंटी को इधर उधर घुमा कर देखने सकी गुलाबी रंग की पैंटी सुगंधा को बेहद पसंद थी और अलमारी में गुलाबी रंग की ढेर सारी पैंटी रखी हुई थी हालांकि अब यह शौक उसे ज्यादा पसंद नहीं था क्योंकि अपने अंतर्वस्त्र,,,, दिखाने का शोक अपने पति के बेरुखेपन की वजह से खत्म हो चुका था।,, लेकिन आज अपनी फुली हुई बुर को देखकर ना जाने कि उसका मन गुलाबी रंग की पैंटी पहनने को हो गया था।
इसलिए वह नीचे की तरफ झुक कर अपने एक पैर को पेंटी के एक छेद में डाल दी और अगला पैर उठा कर दूसरे छेद में डाल दी,,,, रोहन का जुगाड़ सफल होता नजर आने लगा। उसे कमरे की खिड़की के बारे में याद आ गया क्योंकि हमेशा हल्की सी खुली हुई रहती थी और वह मन में प्रार्थना करके उस खिड़की की तरफ आगे बढ़ा कि आज भी वह हल्की सी खुली हुई हो,,, ओ खिड़की के पास पहुंचते ही वह खुशी से झूम उठा जैसे कि सच में उसकी प्रार्थना स्वीकार कर दी गई हो,,,, खिड़की आज भी हल्की सी खुली हुई थी रोहन तुरंत खुली हुई खिड़की के पल्ले की ओट से अंदर की तरफ झांकने लगा,,,,, पहले तो वो अंदर इधर उधर नजर दौड़ा या उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था अंदर ट्यूबलाइट की रोशनी फैली हुई थी कुछ ना नजर आने पर उसे निराशा महसूस होने लगी लेकिन तभी बात नहीं टूटा बदलकर देखने की कोशिश करने लगा तो बिस्तर के पास उसकी मां खड़ी नजर आ गई
सुगंधा की पीठ रोहन की तरफ थी रोहन की नजरें अपनी मां की पेट की तरह की गई और जब उसकी नजरें उसकी मां के हाथों की हरकत की तरफ पहुंची तब तक देर हो चुकी थी,,, पेंटी पहनकर वाह अपनी साड़ी को नीचे गिरा चुकी थी,,,, रोहन को बस उसकी मां की गोरी गोरी हल्किसी पिंडलिया ही नजर आई,,,
लेकिन इसका आभास उसे हो गया था कि उसकी मां ने साड़ी को नीचे की तरफ छोडी थी,,,, जिससे उसे समझ में आने लगा कि उसकी मां ने कुछ तो जरूर कर रही थी हो सकता है कि वह नंगी हुई हो या कुछ और भी करती हो लेकिन नंगी होने का आभास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,
रोहन की नजर एक बार फिर से साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर पहुंच गई और उस अंग को कल्पना करके लगना वस्था में देखने की कोशिश करने लगा लेकिन रोहन अभी भी साड़ी के अंदर के अंग के नग्न वास्तविकता से अनजान था वह नहीं जानता था कि औरत नंगी होने पर कैसी दिखती है उसके अंग कीस इस तरह के नजर आते हैं,,,,,
रोहन अपनी मां को देखते हुए कुछ और कल्पना कर पाता इससे पहले ही उसकी मां दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी और रोहन तुरंत भाग कर कमरे से दूर चला गया इसके बाद सुगंधा खुद ही अपने लिए और अपने बेटे के लिए खाना निकाल कर लेकर आई और दोनों बिना बात किए भोजन करने लगे सुगंधा इस वजह से खामोश होकर खाना खा रही थी कि उसके जेहन में अभी भी टूटी हुई झोपड़ी के अंदर के संभोगनिक दृश्य घूम रहे थे,,,,
और रोहन शांत होकर इसलिए खाना खा रहा था कि आज सुबह-सुबह बेला की झूलती हुई चुचीयो को देखकर,,, कामोत्तेजना वश अपनी मां को देखने का नजरिया बदल गया था।

कुछ दिन यूं ही बीत गए,,, सुगंधा का सारा ध्यान गेहूं की कटाई और उस की छँटााई मे हीं लगा रहा,,,, दिनभर की व्यस्तता के कारण उसके जेहन से झोपड़ी में देखी हुई चुदाई की कामोत्तेजना से भरे हुए दृश्य मिट गए थे और वैसे भी सुगंधा आपने आपको इन सब बातों से दूर ही रखती थी,,,,,,। वापस वह अपने मन को जमीदारी और खेत खलियान के काम में लगा ली थी,,,,
लेकिन दूसरी तरफ रोहन का ध्यान पूरी तरह से भटक रहा था एक तो वह पहले से ही पढ़ाई से दूर ही दूर रहता था और ऊपर से बढ़ती हुई उम्र की नजाकत को देखते हुए,,,, जवानी की राह पर बढ़ रहा रोहन अब औरतों के अंगों में रुचि लेने लगा था,,,। आती-जाती औरतों और लड़कियों को वहां चोरी छुपे घूरता रहता था,,,, खास करके उसकी नजरों का केंद्र बिंदु औरतों की चूचियां और उनकी भारी भरकम गांड ही रहती थी।।
और वैसे भी पुरातन काल से मर्दों के आकर्षण का केंद्र बिंदु औरतों का स्तन प्रदेश और नितंबों का घेराव ही रहा है जो अब तक चला आ रहा है और यह कभी भी खत्म नहीं होने वाला,,,,।
और आकर्षण ही तो है जो मर्द और औरतों को एक दूसरे के करीब लाता है एक दूसरे में रूचि का कारण ही आकर्षण है।,,,,,,,
इसलिए तो रोहन भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा था।।
जब से बेला की झुलत़ी बूटियों का दर्शन हुआ था तब से रोहन की रातों की नींद उड़ चुकी थी औरतों के अंगों मे ना चाहते हुए भी वह रुची लेने लगा था।,,,,
आते जाते वह बेला को चोर नजरों से देखा करता था।
लेकिन उसका आकर्षण अपनी मां की तरह भी बढ़ता जा रहा था क्योंकि वह की तरह से जानता था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत और एकदम गोरी है खास करके रोहन को उसकी मां के नितंबों का घेराव बेहद आकर्षक लगता था,,, और यही रोहन के आकर्षण का केंद्र बिंदु भी था।,,,
अपनी मां को चोरी-छिपे कामुक नजरों से देखना इस बात का तो सुगंधा को पता नहीं चला लेकिन बेला को रोहन की कामुक नजरों का अंदाजा लग गया और मन ही मन खुश होने लगी खेली खाई बेला अच्छी तरह से जानती थी कि इस उम्र में लड़कों को क्या अच्छा लगता है।,,,,
रोहन को अपनी तरफ रिझाने के लिए बेला जानबूझकर कुछ ज्यादा ही मटक कर चलने लगी रोहन की नजरें उसके नितंबों पर बनी रहे इसलिए वह रोहन के सामने अपनी कमर को कुछ ज्यादा ही बल खाते हुए और अपनी गांड को मटकाते हुए आने जाने लगी,,,
रोहन के लिए यह पल बेहद कामोत्तेजना का अनुभव करा देने वाले लग रहे थे क्योंकि आते जाते बेला की मटकती हुई गांड,, और उसकी खुद की मां की बेहद खूबसूरत भराव दार नितंबों का मटकना देख कर रोहन का दिल बाग बाग हुए जा रहा था।,,,,,,
रोहन की कामुक नजरों को भाप कर बेला उस पर अपनी जवानी और मादक अंगो का आकर्षण डालने लगी थी जिसके आकर्षण में रोहन बंधता चला जा रहा था।,,,,,
ऐसे एक दिन घर में कोई नहीं था सुगंधा किसी काम से बाहर गई हुई थी।,, मौका देख कर बेला फायदा उठाना चाहती थी,,, घर पर केवल रोहन और बेलाही थी,, वह घर की सफाई कर रही थी गर्मी का मौसम होने की वजह से वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही पहन कर घर की सफाई कर रही थी,,, गर्मी का तो बहाना था वह जानबूझकर अपनी साड़ी उतार फेंकी थी। बेला अपनी चाल चलते हुए ब्लाउज के नीचे से दो बटन को खोल दी और अपनी पेटीकोट को हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर कमर में खोस दी जिससे,,,
उसकी पेटीकोट घुटनों तक उठ गई,,,,,,,
वह जानती थी कि इस वक्त रोहन अपने कमरे में आराम कर रहा होगा,,,,,, और वह उसे रिझाने के लिए उसके कमरे पर पहुंच गई,,,, घर की नौकरानी होने की वजह से रोहन उसे ज्यादा भाव नहीं देता था यह बात वह अच्छी तरह से जानती थी,,, लेकिन कुछ दिनों से रोहन के बदलते हुए नजरिए को देखते हुए अच्छी तरह से जानती थी कि जैसा वह कहेगी वैसा ही वह करेगा, मर्दों की कमजोरी को बेला अच्छी तरह से समझती थी।

वह जानती थी कि इस वक्त रोहन
अपने कमरे में आराम कर रहा होगा,,,,,, और वह उसे रिझाने
के लिए उसके कमरे पर पहुंच गई,,,, घर की
नौकरानी होने की वजह से रोहन उसे
ज्यादा भाव नहीं देता था यह बात वह
अच्छी तरह से जानती
थी,,, लेकिन कुछ दिनों से रोहन के बदलते हुए
नजरिए को देखते हुए अच्छी तरह से
जानती थी कि जैसा वह
कहेगी वैसा ही वह करेगा, मर्दों
की कमजोरी को बेला
अच्छी तरह से समझती
थी।
और मर्दों की ईसी कमजोरी का लाभ बेला पूरी तरह से लेना चाहती थी,,, बेला अपनी मद मस्त अदाओं का जाल बिछाने के उद्देश्य से,, रोहन के कमरे पर पहुंच गई, कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था इसलिए बेला दरवाजे को थोड़ा सा और खोल कर दीवाल से टेका लगाकर खड़ी हो गई,,, रोहन अपने आप में मशगूल बिस्तर पर लेट कर छत की तरफ देख रहा था बेला को यही लग रहा था कि रोहन आराम कर रहा है लेकिन रोहन बिस्तर पर लेट कर छत की तरफ देखते हुए बेला और उसकी मां के बारे में ही सोच रहा था वह उन दोनों के नग्न बदन की कल्पना करके अपने आप में मस्त हो रहा था,,,,,,,, रोहन की आंखों के सामने बेला की झूलती हुई चूचियां गौर सुगंधा की मटकती हुई गांड बार-बार नाच जा रही थी,,,,,,,
देना रोहन के मासूम चेहरे को देखकर मन ही मन मुस्कुराने लगी वह मादकता भरी आवाज में बोली,,,
रोहन बाबू,,,,,,,,ए,,,,,,, रोहन बाबु,,,,,,
( मादकता भरी आवाज कानों में पड़ते ही रोहन की नजरें दरवाजे की तरफ घूम गई और दरवाजे पर बेला को खड़ी देख कर मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,। उसे इस बात की कतई भी उम्मीद नहीं थी कि इस वक्त बेलाा उसके कमरे पर आएगी,,,,,
इंसान जिस किसी के बारे में भी एकदम गान होकर उसके ही विचारों में ख्यालों में खोया हो और ऐसा व्यक्ति की आंखों के सामने आ जाए तो उस इंसान की क्या हालत होती है वही हालत इस समय बिल्कुल रोहन की भी हो रही थी रोहन बिस्तर पर लेटा लेता देना के बारे में ही सोच रहा था कि बीमा को इस तरह से दरवाजे पर खड़ा देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और बिस्तर से उठ कर बैठ गया,,,, और बिस्तर से उठ कर बैठते हुए बोला,,,,।)
बेला तुम यहां और इस वक्त,,,,
आना ही पड़ेगा ना बाबू जी तुम तो हमारी खोज खबर रखते ही नहीं हो तो हमें ही तुम्हारी खोज खबर रखनी पड़ती है।,,,( बेला पतली सी दुपट्टे के सामान चुनरी को अपनी ऊंगलियो में फसाकर ईठलाते हुए बोली,,,)
ममम,,,, मै कुछ समझा नहीं बेला तुम कहना क्या चाहती हो,,,,,,
( बेला की मादकता भरी आवाज सुनकर रोहन की हालत खराब होने लगी थी,,, इतना कहते ही,,, रोहन की नजरें बेला के मादकता भरे बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ घूमने लगी अब जाकर उसने गौर किया कि बेला उसकी आंखों के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी और उस पर हल्की सी झीर्रीजैसी,, ओढ़नी डाल रखी थी जिसके आर-पार सब कुछ नजर आ रहा था रोहन ने इस बात पर गौर किया कि,,, बेला के ब्लाउज की निचले हिस्से के दोनों बटन खुले हुए थे,,, और उसमें पेटीकोट को घुटनों से ऊपर तक लाकर कमर से खोस रखी थी,,,।,,,, बेला का रंग हल्का सांवातला था लेकिन कपड़ों के अंदर का अंग धुप ना लगने की वजह से गोरा नजर आ रहा था जिसकी वजह से बेला के पैरों की पिंडलियों को देखकर,,, वातावरण में उत्तेजना की हवा अपना असर दिखाने लगी थी जो कि रोहन पर बराबर उसका नशा छा रहा था,, रोहन एक टक बेला को ही घूरते चला जा रहा था और जिस तरह से रोहन उसे घूर रहा था उसे देखकर बेला को अपनी युक्ति सफल होती नजर आ रही थी।,,, रोहन को अपनी तरफ इस तरह से प्यासी नजरों से देखता पाकर,,, बेला अपने होठो पर कामुक मुस्कान लाते हुए कमरे के अंदर कदम बढ़ाते हुए बोली,,,,
क्या देख रहे हो रोहन बाबू,,,,,,,?
ककककक,,,, कुछ नहीं बेला कुछ भी तो नहीं,,,, व( (बेला के इस सवाल पर अपनी चोरी पकड़ी जाती देख कर वह सकपकाते हुए बोला,,,, लेकिन खेली खाई बेला रोहन की नजरों को अच्छी तरह से समझती थी इसलिए वह,,, रोहन के बिल्कुल करीब जाकर अपने चुनरी को चूचियों की तरफ से दुरुस्त करते हुए बोली,,,।
अब रहने भी दो रोहन बाबू मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम क्या देख रहे थे,,,,,
( इतना कहकर बेला खिलखिला कर हंसने लगी लेकिन बेला की बातें सुनकर रोहन घबरा सा गया था,,, उसके पास बोलने लायक कुछ भी नहीं था,,,, रोहन को इस तरह से सकपकाया हुआ देखकर बेलाही बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।
अच्छा छोड़ो इन बातों को मुझे तुमसे एक काम था।,,,
हां हां बोलो कौन सा काम था,,,,
रोहन बाबू अब इस घर की नौकरानी होने के नाते (इतना कहने के साथ हीं बेला रोहन की तरफ अपनी पीठ करके घूम गई,,,,,,,) यह बात एक मालिक होने के नाते तुमसे करना मुझे ठीक तो नहीं लग रहा है लेकिन क्या करूं,,,, मेरे पास कोई दूसरा चारा भी नहीं है,,,,।
( इतना कह कर देना कुछ देर खामोशी ही रही और इस तरह से रोहन के सामने घूम जाने का नाटक वह जानबूझकर की थी,,,, और ऊसे अपना यह नाटक सफल होता नजर आ रहा था क्योंकि वह,,, कनखियों से पीछे की तरफ देख कर रोहन को अपनी तरफ ही देखता पाई थी,,। रोहन भी एकदम मंत्रमुग्ध सा बेला की मांसल चिकनी पीठ को ही देखे जा रहा था,,,, जिस पर केवल मात्र एक पतली सी डोरी ही बंधी हुई नजर आ रही थी बाकी का गर्दन से लेकर के कमर तक का हिस्सा संपूर्ण रूप से नंगा ही था,,,,, बेला की नंगी चिकनी पीठ देखकर रोहन की तो हालत खराब हो रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर,,,, कमर के निचले हिस्से पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसके लंड में रक्त का भ्रमण तीव्र गति से होने लगा और देखते ही देखते उसके पेंट में नायाब तंबू बन गया क्योंकि बिना जान पूछकर अपनी पेटीकोट को हल्के से कमर से नीचे की तरफ बांधी थी,,, जिसकी वजह से बेला के गोलाकार नितंबों की हल्की सी गहराई लिए हुए वह मादकता से भरी हुई लकीर साफ साफ नजर आ रही थी,,,,, जिसे देखते ही रोहन की जवानी उबाल मारने लगी थी और उसके लंड ने बेला की मदमस्त जवानी को सलामी भरते हुए पेंट में तंबू सा बना दिया था,,,,, बेला कनखियों से रोहन की हालत को देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,,, और बेला तुरंत अपनी इस अद्भुत बदन की रचना पर परदा गिराते हुए वापस रोहन की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई,,,, और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ।)
रोहन बाबू देखो जो मैं कहना चाह रही हूं तुम समझ तो रहे हो ना,,,,,
( रोहन क्या कहता वह तो बेला की बातों पर ध्यान ही नहीं दे रहा था उसका तो सारा ध्यान बोला के खूबसूरत बदन को झांकने मे हीं लगा हुआ था। फिर भी हामी भरते हुए बोला,,,,।)
हां हां तुम क्या कहना चाहती हो साफ-साफ कहो,,,,

रोहन बाबू मुझे अच्छा तो नहीं लग रहा है लेकिन क्या करुं मेरी मजबूरी है मैं चाहती हूं कि तुम मेरे साथ मेरे काम में थोड़ा सा हाथ बटा दो,,,,, मैं जानती हूं कि यह अच्छी बात नहीं है लेकिन मुझे तुम पर पूरा भरोसा है कि तुम मेरी बात नहीं टालोगे,,,,,
हां हां इसमें कौन सी बड़ी बात है हाथ ही तो बटाना है,,, मैं तुम्हारी बात मानता हुं, और तुम्हारा हाथ बटाने के लिए तैयार हूं लेकिन यह तो बताओ कि काम क्या करना ।,,,
रोहन की उत्सुकता देखकर बेला मन ही मन प्रसन्न होते हुए अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली,,,,।
मालकिन का कमरा साफ करना है क्योंकि उनके कमरे में छत पर मकड़ी का जाला लग चुका है उसे साफ करने के लिए में अकेले समर्थ नहीं हूं,।
कोई बात नहीं बेला मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा
लेकिन देख लो रोहन बाबू,,, यह बात किसी को भी कानो कान नहीं पता चलनी चाहिए और खास करके मालकिन को,,,, क्योंकि अगर यह बात उन्हें पता चल गई तो मैं नौकरी से हाथ धो बैठुगी,,,
( बोला रोहन की प्यासी नजरों में देखते हुए अपने मन की शंका व्यक्त करते हुए बोली,,,।)
( रोहन की बढ़ती हुई उम्र जवानी के दरवाजे पर दस्तक दे रही थी,,,, वह बेला की खूबसूरत बदन को देख कर उत्तेजित हुआ जा रहा था और इसलिए वह बुला के काम में हाथ बटाने के लिए तैयार हो गया था,,, क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा देर बेला की खूबसूरत बदन को अपनी आंखों से टटोलना चाहता था और जिस तरह से बेला अपनी आदत बनाए हुए थी उसे देखते हुए रोहन अंदर ही अंदर चुदवासा हुए जा रहा था,,। इसलिए वह बेला के मन की शंका को दूर करते हुए बोला।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बेला यह बात मेरे और तुम्हारे बीच में रहेगी मम्मी को बिल्कुल भी इस बात की भनक तक नहीं लगी थी कि मैंने तुम्हारे काम में हाथ बटाया था,,,,,
( रोहन की बात सुनकर बेला को मन ही मन प्रसन्नता का भास होने लगा,,,, बेला रोहन के जवाब से खुश थी,,,, रोहन की हालत को देख कर वह यह तो जानती ही थी कि उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था लेकिन जानबूझकर अपनी नजरों को उसके तंबू की तरफ करते हुए बोली,,,,।)
अरे रोहन यह क्या है,,? ( इतना कहते हुए बेला शरारती अंदाज में अपना हाथ आगे बढ़ाकर रोहन के लंड को पेंट के ऊपर से पकड़कर हल्के से दबाकर छोड़ दी और हंसने लगी,,,,,, बेला की ईस हरतत की वजह से उत्तेजना के मारे रोहन की तो सांस हीे अटक गई,,, यह दूसरी बार था जब बेलाने रोहन के लंड को पैंट के ऊपर से इस तरह से पकड़ी थी,,, लेकिन पहली बार की अपेक्षा इस बार रोहन को बेला का इस तरह से लंड पकड़ना बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ लगा था रोहन की सांसे ऊपर नीचे हो चली थी और वह आश्चर्य से बेला की तरफ देख रहा था बेला उसकी हालत पर हंसते हुए बोली,,,,,।
आ जाओ रोहन बाबू सफाई करवाने,,,,,।
( इतना कहते हुए बेला अपनी गोलाकार गांड को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए उसके आगे आगे कमरे से बाहर निकल गई,,, और रोहन उसकी गोलाकार भरी हुई गांड को मटकता हुआ देखकर कामोत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था और वह भी पीछे पीछे कमरे से बाहर चला गया।
आ जाओ रोहन बाबू सफाई करवाने,,,,,।
( इतना कहते हुए बेला अपनी गोलाकार गांड को
कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए उसके आगे आगे
कमरे से बाहर निकल गई,,, और रोहन उसकी
गोलाकार भरी हुई गांड को मटकता हुआ देखकर
कामोत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था और वह
भी पीछे पीछे कमरे से
बाहर चला गया।,,,,

बेला भले ही घर की नौकरानी थी,,, लेकिन नौकरानी होने से पहले वह एक औरत थी और उसमें वह सब कुछ था जो एक औरतों में होना चाहिए मर्दों को आकर्षित करने लायक सुडोल बदन कि वह मालकिन थी रंग हल्का सा दबा होने के बावजूद भी बहुत खूबसूरत लगती थी,,,। अपनी उभरी हुई गांड पर उसे पूरा भरोसा था कि उसे देख कर कोई भी मर्द लार टपका ता हुआ उसके पीछे पीछे चल आएगा और अपने भरोसे पर विश्वास करके ही वह रोहन पर अपनी जवानी के डोरे डालना शुरू की थी और वह उसमे कामयाब भी होती नजर आ रही थी, क्योंकि इस वक्त रोहन भी लार टपकाते टपकाते,,, बेला के पीछे चला जा रहा था,, रोहन की नजर अभी भी बेला की महकती हुई गांड पर ही टिकी हुई थी थोड़ी ही देर में दोनों सुगंधा के कमरे में पहुंच गए,,,। अपनी मां के कमरे में पहुंचते ही रोहन इधर उधर नजरें घुमाने लगा,,, कमरे में पूरी तरह से साफ सुफ ही नजर आ रहा था,,, कमरे का सारा सारा सामान व्यवस्थित तरीके से रखा हुआ था रोहन को थोड़ा अजीब लगा कि इसमें सफाई करने जैसी क्या है इसलिए वह बेला से बोला,,,,।
देना मम्मी का कमरा तो बिल्कुल ठीक और एकदम साफ है इसमें सफाई करने जैसा कुछ भी नहीं है।,,
( रोहन की बात सुन कर बेला एक पल के लिए सक पका गई,,, लेकिन तुरंत ही बात को संभालते हुए अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली।)
अरे मेरे भोले रोहन बाबू,,,,,, मालकिन का कमरा सप्ताह में एक बार जरूर साफ होता है भले ही कमरा साफ हो या ना हो क्योंकि उन्हें सफाई पसंद है,,। और छत की तरफ देख रहे हो ना (छत की तरफ इशारा करते हुए) कितना सारा जाला लगा हुआ है,,, वह तो अच्छा हुआ की मालकिन की नजर अब तक उस पर नहीं पड़ी है वरना मेरी तो खैर नहीं थी,,।
( इतना कहते हुए बेला नीचे झुककर झाड़ू उठाने लगी और जानबूझकर अपनी चुन्नी को नीचे गिरा दी और जब वह उठी तो उसके लाजवाब भरी हुई छातियों को ढकने के लिए उस पर चुन्नी नहीं थी,,, जिसकी वजह से बेला की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज के ऊपर से भी अपना कामुक असर बिखेर रहीं थी,,, चुची के बीच की गहरी लकीर साफ साफ नजर आ रही थी। एक तो पहले से ही बेलाने ब्लाउज के नीचे के दोनों बटन को खोल दी थी,,, जिसकी वजह से बेला का खूबसूरत बदन और भी ज्यादा कामोत्तेजना से भरा हुआ लग रहा था,,,,, रोहन की नजर बेला की मदमस्त छातियों पर पड़ी तो वह एकटक देखता ही रह गया,,,, बेला यह देखकर मुस्कुरा दी,,,,, बेला की मुस्कुराहट से रोहन की तंद्रा भंग हुई और वह सक पकाते हुए बोला,,,,।
पर. मममममम,,,, मुझे करना क्या होगा बेला,,,,?
तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है रोहन बाबू,,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह दीवाल के सहारे रखी हुई एक सीढ़ी नुमा टेबल लेकर आई और कमरे के बीचो-बीच रखते हुए बोली) तुम्हें सिर्फ इतना करना है रोहन बाबू,,, इस सीडी को बराबर पकड़ कर रखना है ताकि मैं इस पर से गिर ना जाऊं,,,,,
( बेला इतने मीठे और कामुक स्वर में रोहन से कह रही थी कि रोहन की हालत बिल्कुल खराब होती नजर आ रही थी,,, रोहन के बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, रोहन का मजबूत लंड पूरी तरह से पेंट में गदर मचाए हुए था।,,,, और यह बात बेला अच्छी तरह से जानती थी, रोहन की कामोत्तेजना और ज्यादा भड़काने के उद्देश्य से,,,, बेला सीढ़ी को ठीक करने के बहाने कुछ इस तरह से झुकी की उसकी भराव दार बड़ी बड़ी गांड रोहन के तंबु से स्पर्श हो गई,,,,, बेला की ईस हरकत की वजह से रोहन का लंड बेला की गदराई गांड से स्पर्श हो गई,,,, एक जवान होते लड़के के लिए बेला की यह हरकत कहर ढाने वाली हरकत थी,, एक जवान लंड पर गांड का स्पर्श हीं पानी निकाल देने वाला होता है,,,, रोहन का भी पानी निकलता निकलता रह गया था,,,, अगर कुछ सेकेंड तक बेला अपनी गदराई गांड रोहन के टम्बू बने लंड पर से नहीं हटाई होती तो निश्चय ही रोहन का पानी निकल जाता वह तो बेला ने 2 सेकंड में ही अपनी गदराई हुई गांड को हटाते हुए वापस खड़ी हो गई थी,,, और वैसे भी वहां रोहन को धीरे धीरे जवानी और कामोत्तेजना के सागर में खींचना चाहती थी ताकि वह अपना उल्लू भी सीधा कर सकें,,,,
बेला की इस हरकत की वजह से रोहन के तो पसीने छूट गए थे,,,, अपनी सांसो पर बिल्कुल भी संयम नहीं रख पा रहा था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,
बेला बड़े ही कामुक अंदाज में रोहन के लंबे बने हुए तंबू की तरफ तिरछी नजर से देखते हुए खड़ी हुई थी और उत्तेजना के मारे अपने निचले होंठ को अपने दांतों से काट ली थी यह सब देख कर रोहन की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी।,,
अनजाने मे हीं बेला को अपने ही हरकत की वजह से इस बात को जानने कोमिला की जिसे वह अब तक सामान्य तौर पर ही ले रही थी वास्तव में रोहन का वह हथियार कुछ ज्यादा ही मजबूती लिएं हुए हैं,,,, बेला को अब तक यही लग रहा था कि जैसा कि सभी मर्दों का लंड होता है,,, ऐसा ही सामान्य स्थिति में रोहन का ही होगा,, लेकिन अपने नितंबों पर 2 सेकंड के लिए ही पेंट में बने तंबू की चुभन को महसूस करके बेला यह बात अच्छी तरह से जान गई थी कि,, रोहन के पेंट में छुपा हुआ छोटा सा बबुआ सामान्य तौर पर छोटा नहीं था वह आकार में कुछ ज्यादा ही बड़ा बेला को महसूस हुआ था और एक पल के लिए तो बेला उत्तेजना के मारे गन गना गई,,,, लेकिन अगले ही पल वह अपनी स्थिति को संभालते हुए रोहन से बोली,,,
मोहन बाबू अब मैं सीढ़ी पर चढ़ने जा रहे हैं इसे ठीक से पकड़े रहना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारा ध्यान भटक जाए और मैं नीचे गिर पडु ़( इतना कहकर वो हंसने लगी,, अपनी कही हुई बातों का मतलब देना अच्छी तरह से जानती थी कि उसके कहने का मतलब क्या था लेकिन शायद रोहन उसके कहने के मतलब को बिल्कुल भी नहीं समझ पाया था इसलिए तो आवाक बनकर वह सिर्फ उसे देखे जा रहा था,,,, और बेला अपनी जवानी के जलवे बिखेर ते हुए सीढ़ियों के एक-एक पाए पर अपने पैर रखकर ऊपर की तरफ चढ़ती जा रही थी,,,, रोहन आंखें फाड़े बेला को सीढ़ियां चढ़ता हुआ देख रहा था बेला की खूबसूरत चिकनी टांग रोहन की आंखों के सामने आते ही रोहन की जवानी का मयूर नाचने लगा,,,, घुटनों से नीचे का अंग देख कर रोहन और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा रोहन के देखते ही देखते बेला सीढ़ी पर चढ़ गई,,, बेला अच्छी तरह से जानती थी कि वह सीढ़ियों पर जिस उद्देश्य से चढ़ी थी उसका उद्देश्य जरूर पूरा होगा क्योंकि वह अपने जिस अंग को lदिखाना चाहती थी अनजान तौर पर उसे दिखाने का यही एक बेहतरीन तरीका था,,, अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए देना सीढ़ियो के टेबल पर खड़ी होकर,,, धीरे से उस पर बैठकर रोहन से नीचे फर्श पर पड़ा झाड़ू मांगने लगी,,
रोहन बेला की तरफ देख रहा था,,, बेला के ईस तरह से बेठने पर ब्लाउज के नीचे के दो बटन खुले होने की वजह से अंदर से झांक रही उसकी दोनों चुचीयां हल्की-हल्की अपनी गोलाई लिए हुए नजर आने लगी,,,। बेला की दोनों नारंगीयो पर नजर पड़ते ही,, रोहन का लंड अकड़ने लगा,,,,, रोहन बेला के नारंगि्यों की गोलाई के आकर्षण में खो सा गया,,,,,
oiरोहन अपनी मां के मुंह से इस तरह की पेशाब करने वाली बात और पेशाब करते हुए उसे घूर कर देखने वाली बात सुनकर एकदम संनृन रह गया। उसे तो अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ कि उसकी मां यह क्या कह रही है....

क्या कहीं मम्मी मैं ठीक से सुना नहीं.... ( रोहन आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखते हूए बोला... रोहन की बात सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि रोहन उसकी बात को अच्छी तरह से सुन चुका था लेकिन शायद उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं था इसलिए वह फिर से पूछना चाह रहा था.... सिकंदरा को भी इस तरह की बातें करने में और वह भी अपने बेटे के सामने मजा आ रहा था इतने से ही बात से सुगंधा को इस बात का एहसास साफ तौर पर हो रहा था कि उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.... अपनी पुर के अंदर वह मीठी-मीठी गुदगुदाहट महसुस कर रही थी।
मौसम बड़ा ही सुहाना था ऐसे में अरमान और जज्बात दोनों कामुक अंगड़ाई ले रहे थे... सुगंधा का खूबसूरत बदन कामुकता के मादक एहसास से पूरे बदन में मीठी मीठी सुईया चुभा रहा था..... सुगंधा शीशे में से बाहर झांकते हुए मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे यह सफर अच्छा लग रहा था। अपनी मां की बात सुनकर रोहन का लंड पजामे के अंदर अकड़ सा गया था। वह अभी भी अपनी मां की तरफ देखे जा रहा था और उसकी मां उसकी बात पर गौर नहीं कर रही थी बस उस एहसास का मजा ले रही थी..... अपनी मां की तरफ से कोई जवाब ना सुनकर रोहन फिर से अपना सवाल दोहराया और इस बार उसकी मां रोहन की तरफ देखते हुए बोली।

मम्मी आप ने क्या कहा मैं कुछ सुना नहीं....

तुम ठीक से सुने नहीं पता नहीं तुम्हारा दिमाग कहां रहता है मैं यह कह रही थी कि कल रात जब मैं घर के पीछे थोड़ी दूर पर खड़ी होकर पेशाब कर रही थी तो तुम मुझे घूर क्यों रहे थे.......

मममममम..... मैं कब घूर रहा था मैं तो वहीं खड़ा था.... लेकिन अंधेरा होने की वजह कुछ दिखाई नहीं दे रहा था (रोहन घबराते हुए बोला)

देखा ना मैं सच कही ना तुम मुझे देख रहे थे।

नहीं मम्मी में सच कह रहा हूं मैं कुछ नहीं देख रहा था....

देखो मैं सब अच्छी तरह से जानती हो मैं जहां खड़ी थी वह हल्का हल्का उजाला था और जो तुम खड़े थे वहां से तो मुझे साफ-साफ देख सकते थे और देख भी रहे थे....
( जो हमको समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां के एक बात का जवाब कैसे दें क्योंकि जो वह कह रही थी वह बिल्कुल सच कह रही थी वह खामोश होकर अपनी मां की बात सुन रहा था.... सुगंधा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली...)

सच कहूं तो इस बात पर मेरा ध्यान बिल्कुल भी नहीं गया था कि तुम मेरे पीछे खड़े हो मुझे इतने जोरो से पेशाब लवी थी कि में सीधे आगे की ओर गई और बिना कुछ सोचे समझे अपनी साड़ी अपनी कमर तक उठा दी मुझे तब तक इस बात का एहसास नहीं हुआ कि मेरा बेटा पीछे खड़ा है और मैं पेशाब करने के लिए अपनी पेंटी तक नीचे उतार दी और सच कहूं तो तब तक मुझे नहीं पता चला लेकिन जब मैं बैठ कर पेशाब करने लगी और थोड़ी देर में जब मुझे राहत महसूस हुई तब मुझे तेज झटका लगा इस बात का अहसास हुआ कि मेरे पीछे तुम खड़े हो.... मैं एकदम से घबरा गई मेरी हालत ऐसी हो गई कि काटो तो खून नहीं पर मैं एक बार तसल्ली कर लेना चाहती थी कि सही में तुम देख रहे हो कि नहीं हो सकता है कि तुम ईधर ना भी देखते हो। लेकिन मैं शर्म से पानी पानी हो गई जब मैं पीछे मुड़कर तुम्हारी तरफ देखी हो तुम मेरी तरफ ही देख रहे थे। खास करके तुम मेरी बड़ी-बड़ी गांड ही देख रहे थे....

अपनी मां की तरह की बातें सुनकर रोहन शर्म से पानी-पानी हुआ जा रहा था लेकिन अपनी मां के मुंह से इस तरह की अश्लील बातें सुनकर उसका तन बदन उत्तेजना से गदगद भी हुए जा रहा था..... वह नीचे सिर झुकाए अपनी मां की बात चल रहा था उसे डर तो लग रहा था लेकिन मज़ा भी आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की इस तरह की बात का वह कैसे उत्तर दें कैसे अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर उसको जवाब दे वह लगातार नीचे देखते जा रहा था और उसकी मां उसकी तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और अपनी बात आगे बढ़ा रही थी रोहन में लग रही थी वही आग सुगंधा के भी तन बदन में ठंडे मौसम में गर्मी का एहसास दिला रहा था ...... सुगंधा अपनी बात कह कर फिर से अपना ध्यान गाड़ी चलाने में केंद्रित कर दी लेकिन वह अपने बेटे की तरफ से उसके जवाब का इंतजार कर रही थी लेकिन रोहन बिल्कुल खामोश हुआ बुत बना बैठा था.....

कुछ देर तक गाड़ी में खामोशी छाई रही..... सुगंधा इस खामोशी को तोड़ते हुए बोली......

मैं तुम्हें डांट नहीं रही हूं या तुमसे नाराज नहीं हूं मैं तो सिर्फ यह जानना चाहती थी कि तुम मेरी तरफ देख रहे थे या नहीं मैं तुमसे कुछ कहूंगी नहीं .... यह तो बहुत सामान्य सी बात है अगर तुम्हारी जगह कोई भी होता तो उसकी भी नजर मेरे पर ही पड़ जाती....

( सुगंधा जिस तरह से बात कर रही थी रोहन को लगने लगा था कि उसकी मां बिल्कुल भी असामान्य नहीं है वह एकदम सामान्य नजर आ रही थी अपनी मां के इस रवैयै से रोहन को राहत महसूस हो रही थी उसी तरह से उसकी मां बात कर रही थी रोहन को भी लगने लगा था कि उसे भी उस बारे में बात करना चाहिए...... वह अदर से बिल्कुल तैयार था लेकिन अपनी मां के सामने पेशाब वाली बात करने में उसे अभी भी शर्म महसूस हो रही थी जबकि सुगंधा एकदम सामान्य तौर पर अपने बेटे से पेशाब करने वाली बात खुलकर कर रही थी।.... रोहन भले ही अपनी मां से खुलकर बातें करने में शर्म आ रहा था लेकिन उसका लंड पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो चुका था.. .... दोनों के बीच फिर से खामोशी छा चुकी थी... सुगंधा का मन बहक रहा था। अपने बेटे के सामने पूरी तरह से खुलने के लिए अपने आपको तैयार कर चुकी थी लेकिन यहां तो उसका बेटा ही खुद अपने कदम पीछे ले रहा था और यही बात रोहन को भी समझ में नहीं आ रही थी कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है... मैं तो खुद अपनी मां से पूछना चाहता था अपनी मां के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित था कल रात को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसके मन में यह ख्याल रात को ही आया था कि वह अपनी मां की चुदाई कर दे लेकिन इस समय रोहन घबरा रहा था शर्मा रहा था....
इसका एकमात्र कारण था दोनों के बीच का पवित्र रिश्ता मां बेटे का रिश्ता दोनों के बीच स्थिति की वजह से मर्यादा और संस्कार की दीवार बनी हुई थी जिसे गिरा पाना रोहन के लिए मुश्किल तो था ही सुगंधा के लिए भी आसान नहीं था...

लेकिन सुगंधा इस मर्यादा और संस्कार के साथ-साथ अपने और अपने बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार को तोड़ना चाहती थी उसे गिराना चाहती थी बरसों से संभाल कर रखें अपनी इज्जत को अपने ही बेटे के हाथों लुटवाना चाहती थी। क्योंकि अब उससे अपनी जबानी की गर्मी दबाए नहीं दब रही थी। बरसों से प्यासी और सुखी बंजर भूमि को वह पूरी तरह से अपनी बेटै के प्यार के रस से भीगो देना चाहती थी।....

गाड़ी के अंदर छाई खामोशी के बीच वह बार-बार गाड़ी चलाते हुए रोहन की तरफ देख ले रही थी और उसकी मनोसिथती को भाप ले रही थी। अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसकी बातें सुनकर उसका बेटा एकदम गरमा गया था क्योंकि वह अपने पजामे में लंड से बने तंबू को छुपाने के लिए उस पर अपने दोनों हाथ लगाकर ढक रखा था। अपने बेटे की हरकत पर सुगंधा का भी बदन गरमा गया था क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा जिस अंग को छुपा कर रखा है उसी अंग की प्यास उसके तन बदन में उठ रही थी..... सुगंधा अपने बेटे से बात करना चाहती थी लेकिन उसकी खामोशी उसे कांटे की तरह सूख रही थी वो समझ गई थी कि अगर अपने बेटे से अपने मन की प्यास अपने तन की प्यास बुझानी है तो उसे खोलना ही पड़ेगा इसलिए वह खुद ही खामोशी को तोड़ते हुए बोली....

क्या हुआ बेटा तुम बोल क्यों नहीं रहे हो मैं तुमसे बात करना चाहती हूं लेकिन तुम एकदम खामोश हो मैं जो बात कर रही हूं उसने घबराने वाली कोई बात नहीं है अरे नहीं देखे तो भी कह सकते हो कि अनजाने में ही देख लिया हेना...

( रोहन भी अब अपने हाथ आए मौके को गंवाना नहीं चाहता था उसे लगने लगा था कि शायद यह बारिश ही उन दोनों के बीच के मिलन का कारण बन जाए क्योंकि अब यह दूरी उससे भी बरदाश्त नहीं हो रही थी वह भी अपनी मां के बदन से चिपक जाना चाहता था अपनी मां के बदन की गर्मी को अपने अंदर महसूस करना चाहता था..... इसलिए वह थोड़ा शर्माते हुए धीरे से बोला...)

मैं.... .. मैं अनजाने में ही देख लिया था...
( इतना कहकर खामोश हो गया और नजरे झुका कर नीचे की तरफ देखने लगा सुगंधा अपने बेटे की तरफ देखकर और उसके जवाब को सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी....)

चलो आखिरकार तुमने करार तो किया कि तुम अनजाने में ही सही देख तो रहे थे अच्छा यह बताओ क्या क्या देखा तुमने अब बिल्कुल भी मत शर्माना यह सफर को यूं ही चलने दो और एक यादगार सफर बन जाने दो....
( रोहन अपनी मां की बात सुनकर उसकी तरफ आश्चर्य से देख रहा था क्योंकि आज उसकी मां एकदम बदली बदली नजर आ रही थी उसका व्यवहार पूरी तरह से बदल चुका था जिस तरह से वो बात कर रही थी एक मां नहीं बल्कि एक औरत ही कर सकती थी. लेकिन रोहन को अपनी मां की बात सुनकर मजा आ रहा था. .. उसे यह भीगती सड़क भीगता मौसम अच्छा लगने लगा था.... रोहन भी अब अपनी मां के सवालों का जवाब देने के लिए आतुर हुआ जा रहा था।)
 
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