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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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दोस्तों आज मैं एक नई कहानी शुरू करने जा रहा हूं और यह कहानी मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी,,, ,,, मुझे मालूम है कि पाठक को हमेशा गांव की कहानियां बेहद पसंद आती है इसलिए मैं आप लोगों के सामने एक बार फिर से गांव की कहानी लेकर आया हूं जिसमें सब कुछ है कामुकता रोमांचक था अंग प्रदर्शन और भी बहुत कुछ जो आप लोगों को कहानी के दरमियान पढ़ने को मिलेंगी और कहानी के चरितार्थ धीरे धीरे आप लोगों के सामने आती जाएंगे,,,मैं आशा करता हूं कि इस कहानी को भी आप लोगों का ढेर सारा प्यार और कमैंट्स मिलेगा जिससे मुझे कहानी को और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिले,,,,
 

rohnny4545

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गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी लोग गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए थे क्योंकि आज फैसला आना था और मसला था लाला के 10 बीघा जमीन की जो की गांव वालों के जानवर के चरने के काम में आती थी,,, और गांव वालों के पशुपालन की उम्मीद भी यही दस बीघा खुली हुई हरियाली से भरी हुई जमीन थी जिस पर उनके जानवर चरते थे लेकिन लाला नहीं चाहता था कि अब गांव वालों के पशु उसकी जमीन पर चढ़े इसलिए वह गांव वालों को सख्त हिदायत दे रखा था कि अगर किसी भी गांव वालों का जानवर उसकी जमीन पर दिखाई दिया तो वह उसके जानवर को भी उठा ले जाएगा और उससे दंड भी लेगा,,
लाला के इस बात से पूरे गांव वाले परेशान थे लाला के सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि लाला बेहद हैरानी किस्म का इंसान था और उसके पास गुंडों का गुट था,,, जिससे जब चाहे तब वह किसी को भी मरवा पिटवा सकता था,,, इसलिए तो गांव वाले उससे कुछ बोल नहीं पाए,,लेकिन उनकी आखिरी उम्मीद थी गांव के मुखिया प्रताप सिंह पर जो कि गांव वालों के लिए एकदम भगवान की तरह थे क्योंकि आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जिसमें गांव वालों का नुकसान हुआ जितना भी फैसला उन्होंने लिया सब गांव वालों के हक में हुआ और दूसरे गांव वाले खुश भी हैं और इसीलिए तो प्रताप सिंह की इज्जत गांव में बहुत ही ज्यादा थी,,
और आज दस बीघा खुली जमीन का भी फैसला प्रताप सिंह को ही करना था इसलिए तो गांव के सभी लोग चौपाल पर इकट्ठा हुए थे,,,
गांव के लोग आपस में ही कानाफूसी कर रहे थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर 10 बीघा जमीन का फैसला उनके हक में आ गया तो उनका पशुपालन अच्छे से चलता रहेगा वरना उन्हें पशुपालन बंद कर देना पड़ेगा क्योंकि दूसरी खुली जमीन इतनी नहीं थी और जो थी,,, वह ठीक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
गांव वालों के बीच में दूसरों की ही तरह लेकिन कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आ रही थी कजरी,,, क्योंकि कजरी का जीवन यापन दूसरे गांव वालों की तरह ही पशुपालन और थोड़े से खेत में हो रहा था ,,, और बाकी गांव वालों की तुलना में बजरी के पास खेती की मात्रा और पशुओं की गिनती ज्यादा थी जिससे वह अपने घर का गुजारा चला ले रही थी,, अगर आज फैसला गांव वालों के हक में आ गया तो,, कजरी का घर पहुंच अच्छे से चल जाएगा ऐसा उसे उम्मीद थी लेकिन अगर फैसला उसके हाथ में नहीं आया तो उसे भी मजबूरन अपने जानवर को बैच देना पड़ेगा,,, इसीलिए उसके माथे पर चिंता की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी होती जा रही थी जैसे जैसे समय गुजर रहा था वैसे वैसे गांव वालों के साथ साथ कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, तभी उसके बगल में लगभग हांफते हुए ललिया आकर खड़ी हो गई और अपने गीले हाथ को अपनी साड़ी से पोंछते हुए कजरी से बोली,,,

क्या हुआ कजरी प्रताप सिंह जी आ गए क्या,,,?

नहीं रे उन्हीं का तो इंतजार है और रघु नहीं आया,,,,(इधर उधर देखते हुए कजरी बोली,,)

नहीं मैं कितना जोर जोर से दरवाजे को पीट-पीटकर थक गई लेकिन तुम्हारे लड़के की नींद खुले तब ना हो तो एकदम कुंभकरण की तरह सो रहा है,,,

क्या करूं इस लड़की का इतना बड़ा हो गया है लेकिन फिर भी अभी एकदम बच्चे की तरह ही रहता है बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता उसे की कौन जी रहा है कौन मर रहा है घर में कैसे भोजन का प्रबंध हो रहा है यह सब बिल्कुल भी मतलब का नहीं है उसके बस उसे खाने को चाहिए और आवारा दोस्तों की तरह गांव में घूमने को,,,

क्या करोगी कजरी आजकल पूरे गांव में इस उम्र के छोकरो का यही हाल है,,,,
(कजरी और ललिया दोनों एक दूसरे की पड़ोसन थी दोनों में काफी अच्छी बनती थी,, दोनों आपस में बात कर ही रही थी कि तभी प्रताप सिंह की बग्गी आती हुई नजर आई और सब लोग आंखों में आशा की उम्मीद लिए उसी तरफ देखने लगे,,,,)
Kajri

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