शालू और रघु दोनों के अरमानों पर लोटा गिर गया था, पायल और चूड़ियों की आवाज से शालू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां जाग चुकी थी और उसके पैर से लगने की वजह से लौटा गिर गया था और एक तरह से अच्छा ही हुआ था कि उसके पैर से लौटा गिर गया था वरना आज शालू अपने भाई के साथ ही गंदी हरकत करते हुए पकड़ी जाती,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था एक तो उसकी मां जाग चुकी थी और दूसरे वह अपने भाई के बेहद करीब उसके गजब जबरदस्त बम पिलाट लंड का घर्षण अपने नितंबों पर कर रही थी,,,, शालू के तन बदन में उत्तेजना की जो लहर उठ रही थी शायद अगर उसका छोटा भाई रघु अपनी तरफ से हिम्मत दिखाता तो दोनों संभोग सुख के अद्भुत रस में भीख चुके होते लेकिन रघु अपनी बहन के साथ ही आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं दिखा सका,,, लेकिन जो आनंद और अद्भुत सुख का अहसास उसकी बहन अपने हाथों से और अपनी बस मस्त गांड से कर आ गई थी वह सुख शायद रघु के लिए बेहद अतुल्य था।
लेकिन सब कुछ रुक चुका था,,, अगर लौटा गिरने की आवाज ना आती तो शायद इस खेल को आगे बढ़ाया जा सकता था,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी मां की पायल की खनक और चूड़ियों की आवाज बेहद करीब आती जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह शालू को ढूंढ रही थी और शायद ढूंढना भी चाहिए था क्योंकि सालों उसके बगल में नहीं थी जबकि वह अपनी मां के बगल में ही सोती थी,,, तभी जैसे ही चूड़ियों की खनक कि हमारी बेहद करीब सुनाई देने लगी तो सालु अपनी आंखों को बंद करके लेट गई मानो कि जैसे एकदम गहरी नींद में सो रही हो,,, रघु भी अपनी आंखों को बंद किया हुआ था उसके बारे में भी किसी भी प्रकार की हलचल नहीं हो रही थी वह तो अच्छा हुआ था कि ऐन मौके पर शालू फुर्ती दिखाते हुए तौलिए को उसकी कमर पर डाल दी थी जिसकी वजह से उसका खड़ा लंड ढंक चुका था,,,
रघु ऊतेजना के मारे गहरी गहरी सांसे ले रहा था,,, उसकी मां उसके पैरों की तरफ खड़ी थी,,, और शालू की तरफ देखते हुए बोली।
यह लो यह महारानी यहां सोई पड़ी है मैं सोची कि कहां चली गई,,,, अरे उठ ऐ सालु उठ,,, कहां सोई है,,,(कजरी शालू का हाथ पकड़कर उसे हिलाते हुए बोली,,, और सालू भी एकदम गहरी नींद में सो रही हो इस तरह से बोली,)
सोने दो ना मां,,,, मुझे बहुत नींद लगी है,,,
अरे नींद तो लगी है लेकिन तु सोई कहां है देख कुछ नीचे बिछाई भी नहीं है,,, चल उठ जा चल उधर बिस्तर पर चलकर सो,,,,(शालू अपनी मां की बात को सुन रही थी उसे मन में इस बात की तसल्ली थी कि उसकी मां को जरा भी शक नहीं हुआ था,,, इसलिए वह भी ज्यादा नानू कुरना करते हुए धीरे से उठ कर बैठ गई और नींद में होने का बहाना करते हुए आंखों को बंद किए हुए ही झूलने लगी,,,
चल अब उठ जा उधर चलकर सो,,, इतनी बड़ी हो गई है लेकिन जरा भी बुद्धि नहीं है,,,(इतना कहते हुए कजरी उसका हाथ पकड़कर उठाते हुए दूसरी तरफ ले जाने लगी और शालू भी बेमन से मुंह बनाकर अपनी मां के साथ जाने लगी,,,, उसका मन बिल्कुल भी नहीं था वहां से जाने के लिए वह मन में यही सोच रही थी क्या कि उसकी मां शांति से सो जाएगी तो वह अपने अधूरे कार्य को फिर से आगे बढ़ाएगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया,,, शालू को अपने पास वाले बिस्तर पर लेटा कर कजरी सीढ़ियों से नीचे उतर गई उसे जोरों की पेशाब लगी थी,,, और थोड़ी देर बाद वह वापस आकर सो गई रघु के पास अब अपना लंड हिला कर अपनी गर्मी को शांत करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था,,, थोड़ी देर पहले उसके ख्यालों में हलवाई की बीवी का मादक बदन अपना असर दिखा रहा था लेकिन अब उसके ख्यालों में उसकी बहन थी उसकी बड़ी बहन जिसके मादकता भरे बदन के दर्शन वह कर चुका था,,, और अपने ख्यालों में खोता हुआ वह अपनी कल्पनाओं के घोड़े पर सवार अपनी बहन को साथ लिए चला जा रहा था,,,, वह टावर के अंदर हाथ डाल कर अपने खड़े लंड को हिलाता हुआ अपनी बहन के बारे में सोच रहा था,,,, उसके ख्यालों का घोड़ा खुले मैदान में बड़ी तेजी से दौड़ रहा था देखते देखते ही ख्यालों में ही वह अपनी बहन को अपने ही घर में धीरे-धीरे करके निर्वस्त्र कर दिया और देखते ही देखते अपनी बहन की नारंगी जैसे चूचियों को दबाता हुआ वह उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, यह सब सोचते हुए रघु काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, यह सब वह नहीं करना चाहता था लेकिन वह मजबूर हो चुका था और उसे उसकी बहन ने हीं मजबूर किया था,,,
देखते ही देखते उसकी कल्पनाओं का घोड़ा उसे सातवें आसमान में उड़ाए ले जा रहा था,,, जिसकी लगाम अब शालू के हाथ में थी,,, शालू खुद अपने हाथों से अपने छोटे भाई रघु के सारे वस्त्र उतारकर उसे पूरा नंगा कर दी और उसके आंखों के सामने ही घुटनों के बल बैठ कर उसके खड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी,,, यह ख्याल रघु के तन बदन में आग लगा रहा था,,, रघु पागलों की तरह खुद अपनी कमर आगे पीछे करते हुए अपनी बहन को अपना लंड चूसा रहा था,,शालू मदहोश होते हुए अपनी दोनों हथेलियों को अपने भाई के पीछे ले जाकर उसके नितंबों को कस के अपनी हथेली में दबाोच ली जिससे रघु का आनंद और ज्यादा बढ़ने लगा वह अपनी बहन के मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,,वास्तविकता में रघु का हाथ अपने लंड पर बड़े जोरों से घूम रहा था,,,देखते ही देखते आंखों को बंद किए हुए रघु कल्पनाओं की दुनिया में पूरी तरह से खो गया था,,, शालू अपनी मादक अदा बिखेरते हुए आंखें बड़ी और बढ़ी और बड़े ही मादक अदा से अपने भाई को धक्का देकर खटिया पर गिरा दी,,, अपने भाई के लंड को देखकर शालू का जोश दुगुना होता जा रहा था उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था,,, पर वह अपने भाई खड़े लंड को देखकर खटिया पर चढ़ गई और दोनों तरफ अपने पैर करके धीरे-धीरे अपनी मदमस्त गोरी गोरी सुडौल गांड को मटका ते हुए अपने भाई के खड़े लंड पर बैठने लगी देखते ही देखते रघु का पूरा लंड उसकी बहन की गुलाबी बुर में घुस गया,,, पर इसके बाद तो तोलिए के अंदर-रघु का हाथ बड़े जोरों से ऊपर नीचे होने लगा और देखते ही देखते अपनी बहन की मदमस्त ख्यालों में डूबता हुआ रघु पिचकारी छोड़ दिया,,,,
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सुबह जब उसकी आंख खुली तो छत पर वह अकेला सोया हुआ था,,, रात कि रंगीन बातें याद आते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना बढ़ने लगी,,, वह अपनी बहन के बारे में कभी भी इस तरह की बातें नहीं सोचा था और ना ही सोचना चाहता था लेकिन सब कुछ अपने आप होता जा रहा था उसकी बहन इस तरह की होगी वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था,,, और वास्तविकता यही थी कि उसकी बहन इस तरह की कभी भी नहीं थी इस तरह की बनने में जाने अनजाने में रघु का ही हाथ था। ना वह अपना लंड खोलकर सोता और ना शालू की नजर उसके दमदार लंड पर पड़ती और ना उसका मन डामाडोल होता,,,, रात में अपने छोटे भाई का लंड देखकर उसके अंदर एकाकार होने के लिए व्याकुल शालू सुबह होते ही अपने भाई से नजरें तक नहीं मिला पाती थी,,,