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UPDATE - 9
Writer- Nidhi Agrawal
मिली ने फिर से अपनी नंगी जाँघ मेरी जाँघों पर घिसना शुरू कर दिया और साथ ही वो मेरे गालों पर भी हल्के-हल्के चूमने लगी थीं।
मेरे लिंग में अब कठोरता आने लगी थी, मैंने अपनी गर्दन घुमाकर मिली की तरफ चेहरा कर लिया.. जिससे मिली की गर्म साँसें मेरी साँसों में समाने लगी।
मिली के मुँह से अब भी मेरे वीर्य की हल्की गंध आ रही थी। मिली ने मेरे गालों की बजाए अब मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने करवट बदल कर मिली की तरफ मुँह कर लिया और मिली का साथ देने के लिए उनके होंठों को चूमने लगा।
मेरे करवट बदलने के कारण मिली ने मेरे लिंग को छोड़ दिया और मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे जोरों से अपनी बाँहों में भींच लिया। इससे मिली के उभार मेरे सीने से दब गए और मेरा उत्तेजित लिंग मिली की नंगी जाँघों के बीच लग गया।
मिली मेरे होंठों को चूमते हुए हल्की-हल्की सी ‘आहें..’ भरने लगी थीं.. साथ ही उनका हाथ भी मेरे कूल्हों से लेकर मेरे सिर तक घूम रहा था।
मैं भी एक हाथ से मिली के भरे हुए मखमली नितम्बों व जाँघों सहलाने लगा। मेरा साथ मिलते ही मिली ने मुझे जोरों से भींच लिया था और जोरों से मेरे होंठों को चूमने-चाटने लगी.. जिससे मेरा दम सा घुटने लगा। मैं खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगा.. मगर मिली ने अपनी एक जाँघ मेरी जाँघों पर रख कर मुझे जोरों से दबा लिया।
मिली के मेरी जाँघ पर जाँघ रखने से उनकी दोनों जाँघें अलग हो गई और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया।
मैंने भी मिली की जाँघ को पकड़ कर अपनी कमर तक चढ़ा लिया और पीछे से उनके नितम्बों के बीच से हाथ डालकर मिली की योनि को सहलाने लगा। मिली की योनि कामरस से भीग कर तर हो गई थी।
मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था इसलिए मैं अपने लिंग को पकड़ कर धीरे से मिली की योनि में डालने की कोशिश करने लगा.. मगर कामयाब नहीं हो सका क्योंकि मिली की योनि इतनी गीली हो गई थी कि मेरा लिंग योनि की दोनों फांकों के बीच बार-बार फिसल रहा था।
इसी कोशिश में मैं अपना लिंग मिली की योनि पर रगड़ रहा था कि तभी मिली मेरे गालों को चूमने के लिए थोड़ा सा ऊपर हुईं.. और जैसे ही वो ऊपर हो कर नीचे होने लगी.. उसी पल मेरे लिंग का सुपारा ठीक योनिद्वार के होंठों के बीच फँस सा गया। लिंग का सुपारा मिली की योनि की फांकों में फंसा ही था कि मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशश..’ करके जोरों से मेरे कूल्हों को भींच लिया।
मगर अगले ही पल फिर से मेरा लिंग योनिद्वार से निकल गया। मैंने भी हार नहीं मानी। मैं फिर से अपनी कोशिश में जुट गया.. मगर कामयाब नहीं हो सका।
इस दौरान एक-दो बार फिर से मेरा लिंग योनिद्वर पर लगा भी.. मगर चिकनाई की वजह से वो बार-बार फिसल रहा था।
जब मैं कामयाब नहीं हो सका तो मिली ने करवट बदल कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी जाँघें फैलाकर मुझे अपनी दोनों जाँघों के बीच भींच में दबा लिया।
मिली का मखमली नंगा शरीर अब मेरे नीचे था, उनके दोनों उभार मेरी छाती से दबे हुए थे और मेरा लिंग ठीक मिली की योनि पर था।
मगर, अब भी मेरा लिंग सही से योनिद्वार में नहीं जा रहा था और मैं ऐसे ही योनि की दोनों फांकों के बीच लिंग को घिस रहा था। तभी मिली ने मेरे लिंग को पकड़ कर योनिद्वार के होंठों से लगा लिया और मेरे हमले का इन्तजार करने लगी।
बाहर से ही मैं अपने लिंग पर उनकी योनि की तपिश महसूस कर रहा था। मैंने भी अब देरी नहीं की और एक जोर को धक्का लगा दिया।
मिली का योनिद्वार कामरस से भीग कर चिकना था और मिली भी इसके लिए तैयार थीं.. जिससे एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लिंग मिली की योनि में समा गया।
मिली के मुँह से ‘इईईई.. श्श्शशश.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अआहह..’ की आवाज निकल गई। मिली ने अपने पैरों व हाथों को समेटकर मेरे शरीर को जोरों से भींच लिया और बड़े ही प्यार से मेरे गालों को चूम लिया जैसे कि मैंने बहुत बड़ा और गर्व का काम किया हो।
एक बार मैंने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर खींचा। मैंने फिर से एक धक्का और लगा दिया.. इस बार लगभग मेरा पूरा लिंग मिली की योनि की गहराई में उतर गया।
फिर से मिली के मुँह से ‘इईईई.. श्श्श्श्शशश.. अआहह..’ की आवाज निकल गई।
मिली ने फिर मेरे गालों को चूम लिया और दोनों हाथों से मुझे अपनी बाँहों में भरकर जोरों से भींच लिया जिससे मिली के उरोज मेरी छाती तले पिस से गए।
अब लगभग मेरा पूरा लिंग मिली की योनि में था और मैं अपने लिंग पर योनि की गर्माहट को महसूस कर रहा था।
यह दूसरा अवसर था.. जब मेरा लिंग मिली की योनि में था। इस अहसास को मैं बयान नहीं कर सकता कि मुझे कैसा मस्त लग रहा था।
मैं भी अब रुका नहीं बल्कि मैंने धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे-पीछे करके धक्के लगाने शुरू कर दिए। मेरा लिंग मिली की योनि में अन्दर-बाहर होने लगा और साथ ही मेरी छाती से दबे मिली के दोनों उरोज भी चटनी की तरह मसले जाने लगे। मेरे प्रत्येक धक्के के साथ मिली ‘अआआह.. अआआह..’ की आवाज करने लगी।
मिली ने अब अपने पैरों को मेरी जाँघों के ऊपर किया और फिर अपने पैरों को मेरे पैरों में इस तरह से फँसा लिया कि अब मैं चाह कर भी मिली के ऊपर से उठ नहीं सकता था।
मिली ने मुझे जोरों से भींच लिया था और मेरी गर्दन व गालों को चूमने लगी। मिली का साथ देने के लिए मैंने भी उनके होंठों को मुँह में भर लिया और धीरे-धीरे उन्हें चूसने लगा।
मिली ने अब मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया, उन्होंने पहले की तरह ही अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे पूरे मुँह में अपनी जीभ घुमाने लगी। मैं उनकी जीभ को होंठों के बीच दबाकर जोरों से चूसने लगा मगर इस बार मैंने अपनी जीभ मिली के मुँह में डालने की गलती नहीं की.. बस मिली की ही जीभ को चूसता रहा।
जब मैंने अपनी जीभ मिली के मुँह में नहीं दी.. तो मिली ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और बुरी तरह से मेरे होंठों को चूसने लगी। मुझे तो वो अब चूमने का मौका ही नहीं दे रही थीं.. बल्कि खुद ही मुझे चूम-चाट रही थीं।
उत्तेजना के वश धीरे-धीरे अपने आप ही मेरे धक्कों की गति बढ़ गई.. जिससे मिली के मुँह से फिर सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई। मिली का मुँह मेरे होंठों से बन्द था.. मगर फिर भी वो मेरे होंठों को चूसते हुए ‘हुहुह.. हूहूहूहहह.. हुहुह..’ की आवाज करने लगी।
मिली के दोनों पैर अब मेरे कूल्हों पर आ गए और वो अपनी एड़ियों से मेरे कूल्हों को दबाकर धक्का लगाने लगी.. साथ ही उनके दोनों हाथ भी मेरी पीठ को पकड़ कर मुझे आगे-पीछे करने लगे।
मुझमें भी अब जोश आ गया और मैंने अपनी गति बढ़ा दी। मिली भी अब जोरों से मेरे कूल्हों व पीठ को दबाकर मुझे आगे-पीछे करने लगी.. इसी के साथ अब उनके नितम्ब भी ऊपर-नीचे होने लगे थे।
मिली बहुत अधिक उत्तेजित हो गई थीं, मिली जोरों से सिसकारियां भरते हुए पागलों की तरह मेरे होंठों को चूमने चाटने लगी। वो मेरे होंठों के साथ-साथ अब मेरे गालों को भी जोरों से नोंचने की हद तक चूमते हुए काटने सी लगी.. जैसे कि मेरे होंठों व गालों को खा ही जाएंगी। मिली के काटने से बचने के लिए मैं मिली के उरोजों पर से उठ गया।
मैंने अपने हाथों के सहारे अपनी छाती व मुँह को ऊपर उठा लिया। बस मेरे पेट के नीचे का ही भाग अब मिली के ऊपर उनकी योनि में धक्के लगाने के लिए था। नीचे की तरफ से भी मैं अब अपने घुटनों पर हो गया.. जिससे कि मुझे तेजी से धक्के मारने में आसानी हो गई।
मैं किसी पहलवान की तरह दण्ड पेलने की मुद्रा में मिली की योनि में तेजी से धक्के लगाने लगा। मिली का मुँह अब आजाद हो गया था इसलिए वो अब जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।
मिली के पैर अब मेरी कमर पर आ गए और हाथ मेरे कूल्हों पर पहुँच गए, वो मेरे कूल्हों को पकड़कर मुझे जोरों से दबाने लगी।
मैं अब अपनी पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था। मेरा पूरा लिंग मिली की योनि के बाहर आता और फिर मेरी पूरी ताकत के साथ योनि की गहराई में उतर जाता.. जिससे मिली जोरों से ‘इईईई.. श्श्श्श्शशश.. अआआ.. ह्ह्हह.. इईईई.. श्श्श्शश.. अआआ.. ह्ह्ह..’ कर रही थीं।
मेरा व मिली के शरीर पसीने लथपथ हो गए थे और हमारी साँसें भी उखड़ने लगी थीं।
फिर अचानक से मिली की योनि में सँकुचन सा हुआ और वो ‘इईई.. श्श्श्श्शशश.. अआहहह..’ करके मुझसे लिपट गई।
मिली के हाथ मेरी पीठ पर और दोनों पैर मेरी कमर पर कस गए। मिली ने एक और लम्बी ‘आह..’ भरते हुए मुझे जोरों से भींच लिया और उनकी योनि ने मेरे लिंग को योनिरस से नहला दिया।
मिली अपने चरम को पा चुकी थीं.. मगर मैं अब भी प्यासा ही था.. इसलिए मैं धक्के लगाता रहा। योनिरस से भीगकर मेरा लिंग और भी आसानी से योनि के अन्दर-बाहर होने लगा।
कुछ देर तो मिली ऐसे ही मुझसे लिपटी रही.. मगर फिर वो मुझे रोकने लगी। शायद उन्हें दिक्कत हो रही थी मगर मैं रूका नहीं और धक्के लगाता रहा क्योंकि मैं भी अपनी मँजिल के करीब ही था।
मिली को भी शायद अहसास हो गया था कि इस हालत में मेरा रुकना मुमकिन नहीं होगा.. इसलिए उन्होंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और मुझे अपने मुकाम पर पहुँचाने के लिए मेरी कमर को सहलाने लगी।
कुछ ही देर में मैं चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गया, मैंने तीन-चार जोरदार धक्के लगाए और फिर मिली के शरीर से लिपट गया। मिली से लिपट कर मैं हल्के-हल्के धक्कों के साथ उनकी योनि को अपने वीर्य से सींचने लगा।
मिली ने भी मुझे जोरों से भींचकर मेरा साथ दिया। उस रात को चार बार इस खेल का दौर चला और रात भर मैंने मिली को जगाए रखा।
अब तो रोजाना ही मेरे व मिली के बीच ये खेल चलने लगा
दो साल बाद मिली की शादी हो गई मिली बहुत रोई क्योंकि वो मुझसे अलग नही होना चाहती थी लेकिन हम साथ भी नही रह सकते थे मैने उसे अच्छे से समझाया तो मान गई
अब जब भी वो अपने ससुराल से वापस आती है हम कोई भी मौका नही छोड़ते है चुदाई का...
समाप्त ...........
इस कहानी का दूसरा भाग जल्दी ही प्रारम्भ होगा जिसमें मिली के जिस्म की भूख उसको रिश्तों मे से और बहुत से लन्ड लेने को मजबूर करते हैं।
कहानी के प्रथम पूर्ण भाग का आनन्द लीजिए , मैं अपने Exam के बाद जल्द ही दूसरे भाग को प्रारम्भ करूंगी ।
धन्यवाद
आपकी प्यारी निधि
Writer- Nidhi Agrawal
मिली ने फिर से अपनी नंगी जाँघ मेरी जाँघों पर घिसना शुरू कर दिया और साथ ही वो मेरे गालों पर भी हल्के-हल्के चूमने लगी थीं।
मेरे लिंग में अब कठोरता आने लगी थी, मैंने अपनी गर्दन घुमाकर मिली की तरफ चेहरा कर लिया.. जिससे मिली की गर्म साँसें मेरी साँसों में समाने लगी।
मिली के मुँह से अब भी मेरे वीर्य की हल्की गंध आ रही थी। मिली ने मेरे गालों की बजाए अब मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने करवट बदल कर मिली की तरफ मुँह कर लिया और मिली का साथ देने के लिए उनके होंठों को चूमने लगा।
मेरे करवट बदलने के कारण मिली ने मेरे लिंग को छोड़ दिया और मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे जोरों से अपनी बाँहों में भींच लिया। इससे मिली के उभार मेरे सीने से दब गए और मेरा उत्तेजित लिंग मिली की नंगी जाँघों के बीच लग गया।
मिली मेरे होंठों को चूमते हुए हल्की-हल्की सी ‘आहें..’ भरने लगी थीं.. साथ ही उनका हाथ भी मेरे कूल्हों से लेकर मेरे सिर तक घूम रहा था।
मैं भी एक हाथ से मिली के भरे हुए मखमली नितम्बों व जाँघों सहलाने लगा। मेरा साथ मिलते ही मिली ने मुझे जोरों से भींच लिया था और जोरों से मेरे होंठों को चूमने-चाटने लगी.. जिससे मेरा दम सा घुटने लगा। मैं खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगा.. मगर मिली ने अपनी एक जाँघ मेरी जाँघों पर रख कर मुझे जोरों से दबा लिया।
मिली के मेरी जाँघ पर जाँघ रखने से उनकी दोनों जाँघें अलग हो गई और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया।
मैंने भी मिली की जाँघ को पकड़ कर अपनी कमर तक चढ़ा लिया और पीछे से उनके नितम्बों के बीच से हाथ डालकर मिली की योनि को सहलाने लगा। मिली की योनि कामरस से भीग कर तर हो गई थी।
मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था इसलिए मैं अपने लिंग को पकड़ कर धीरे से मिली की योनि में डालने की कोशिश करने लगा.. मगर कामयाब नहीं हो सका क्योंकि मिली की योनि इतनी गीली हो गई थी कि मेरा लिंग योनि की दोनों फांकों के बीच बार-बार फिसल रहा था।
इसी कोशिश में मैं अपना लिंग मिली की योनि पर रगड़ रहा था कि तभी मिली मेरे गालों को चूमने के लिए थोड़ा सा ऊपर हुईं.. और जैसे ही वो ऊपर हो कर नीचे होने लगी.. उसी पल मेरे लिंग का सुपारा ठीक योनिद्वार के होंठों के बीच फँस सा गया। लिंग का सुपारा मिली की योनि की फांकों में फंसा ही था कि मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशश..’ करके जोरों से मेरे कूल्हों को भींच लिया।
मगर अगले ही पल फिर से मेरा लिंग योनिद्वार से निकल गया। मैंने भी हार नहीं मानी। मैं फिर से अपनी कोशिश में जुट गया.. मगर कामयाब नहीं हो सका।
इस दौरान एक-दो बार फिर से मेरा लिंग योनिद्वर पर लगा भी.. मगर चिकनाई की वजह से वो बार-बार फिसल रहा था।
जब मैं कामयाब नहीं हो सका तो मिली ने करवट बदल कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी जाँघें फैलाकर मुझे अपनी दोनों जाँघों के बीच भींच में दबा लिया।
मिली का मखमली नंगा शरीर अब मेरे नीचे था, उनके दोनों उभार मेरी छाती से दबे हुए थे और मेरा लिंग ठीक मिली की योनि पर था।
मगर, अब भी मेरा लिंग सही से योनिद्वार में नहीं जा रहा था और मैं ऐसे ही योनि की दोनों फांकों के बीच लिंग को घिस रहा था। तभी मिली ने मेरे लिंग को पकड़ कर योनिद्वार के होंठों से लगा लिया और मेरे हमले का इन्तजार करने लगी।
बाहर से ही मैं अपने लिंग पर उनकी योनि की तपिश महसूस कर रहा था। मैंने भी अब देरी नहीं की और एक जोर को धक्का लगा दिया।
मिली का योनिद्वार कामरस से भीग कर चिकना था और मिली भी इसके लिए तैयार थीं.. जिससे एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लिंग मिली की योनि में समा गया।
मिली के मुँह से ‘इईईई.. श्श्शशश.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अआहह..’ की आवाज निकल गई। मिली ने अपने पैरों व हाथों को समेटकर मेरे शरीर को जोरों से भींच लिया और बड़े ही प्यार से मेरे गालों को चूम लिया जैसे कि मैंने बहुत बड़ा और गर्व का काम किया हो।
एक बार मैंने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर खींचा। मैंने फिर से एक धक्का और लगा दिया.. इस बार लगभग मेरा पूरा लिंग मिली की योनि की गहराई में उतर गया।
फिर से मिली के मुँह से ‘इईईई.. श्श्श्श्शशश.. अआहह..’ की आवाज निकल गई।
मिली ने फिर मेरे गालों को चूम लिया और दोनों हाथों से मुझे अपनी बाँहों में भरकर जोरों से भींच लिया जिससे मिली के उरोज मेरी छाती तले पिस से गए।
अब लगभग मेरा पूरा लिंग मिली की योनि में था और मैं अपने लिंग पर योनि की गर्माहट को महसूस कर रहा था।
यह दूसरा अवसर था.. जब मेरा लिंग मिली की योनि में था। इस अहसास को मैं बयान नहीं कर सकता कि मुझे कैसा मस्त लग रहा था।
मैं भी अब रुका नहीं बल्कि मैंने धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे-पीछे करके धक्के लगाने शुरू कर दिए। मेरा लिंग मिली की योनि में अन्दर-बाहर होने लगा और साथ ही मेरी छाती से दबे मिली के दोनों उरोज भी चटनी की तरह मसले जाने लगे। मेरे प्रत्येक धक्के के साथ मिली ‘अआआह.. अआआह..’ की आवाज करने लगी।
मिली ने अब अपने पैरों को मेरी जाँघों के ऊपर किया और फिर अपने पैरों को मेरे पैरों में इस तरह से फँसा लिया कि अब मैं चाह कर भी मिली के ऊपर से उठ नहीं सकता था।
मिली ने मुझे जोरों से भींच लिया था और मेरी गर्दन व गालों को चूमने लगी। मिली का साथ देने के लिए मैंने भी उनके होंठों को मुँह में भर लिया और धीरे-धीरे उन्हें चूसने लगा।
मिली ने अब मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया, उन्होंने पहले की तरह ही अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे पूरे मुँह में अपनी जीभ घुमाने लगी। मैं उनकी जीभ को होंठों के बीच दबाकर जोरों से चूसने लगा मगर इस बार मैंने अपनी जीभ मिली के मुँह में डालने की गलती नहीं की.. बस मिली की ही जीभ को चूसता रहा।
जब मैंने अपनी जीभ मिली के मुँह में नहीं दी.. तो मिली ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और बुरी तरह से मेरे होंठों को चूसने लगी। मुझे तो वो अब चूमने का मौका ही नहीं दे रही थीं.. बल्कि खुद ही मुझे चूम-चाट रही थीं।
उत्तेजना के वश धीरे-धीरे अपने आप ही मेरे धक्कों की गति बढ़ गई.. जिससे मिली के मुँह से फिर सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई। मिली का मुँह मेरे होंठों से बन्द था.. मगर फिर भी वो मेरे होंठों को चूसते हुए ‘हुहुह.. हूहूहूहहह.. हुहुह..’ की आवाज करने लगी।
मिली के दोनों पैर अब मेरे कूल्हों पर आ गए और वो अपनी एड़ियों से मेरे कूल्हों को दबाकर धक्का लगाने लगी.. साथ ही उनके दोनों हाथ भी मेरी पीठ को पकड़ कर मुझे आगे-पीछे करने लगे।
मुझमें भी अब जोश आ गया और मैंने अपनी गति बढ़ा दी। मिली भी अब जोरों से मेरे कूल्हों व पीठ को दबाकर मुझे आगे-पीछे करने लगी.. इसी के साथ अब उनके नितम्ब भी ऊपर-नीचे होने लगे थे।
मिली बहुत अधिक उत्तेजित हो गई थीं, मिली जोरों से सिसकारियां भरते हुए पागलों की तरह मेरे होंठों को चूमने चाटने लगी। वो मेरे होंठों के साथ-साथ अब मेरे गालों को भी जोरों से नोंचने की हद तक चूमते हुए काटने सी लगी.. जैसे कि मेरे होंठों व गालों को खा ही जाएंगी। मिली के काटने से बचने के लिए मैं मिली के उरोजों पर से उठ गया।
मैंने अपने हाथों के सहारे अपनी छाती व मुँह को ऊपर उठा लिया। बस मेरे पेट के नीचे का ही भाग अब मिली के ऊपर उनकी योनि में धक्के लगाने के लिए था। नीचे की तरफ से भी मैं अब अपने घुटनों पर हो गया.. जिससे कि मुझे तेजी से धक्के मारने में आसानी हो गई।
मैं किसी पहलवान की तरह दण्ड पेलने की मुद्रा में मिली की योनि में तेजी से धक्के लगाने लगा। मिली का मुँह अब आजाद हो गया था इसलिए वो अब जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।
मिली के पैर अब मेरी कमर पर आ गए और हाथ मेरे कूल्हों पर पहुँच गए, वो मेरे कूल्हों को पकड़कर मुझे जोरों से दबाने लगी।
मैं अब अपनी पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था। मेरा पूरा लिंग मिली की योनि के बाहर आता और फिर मेरी पूरी ताकत के साथ योनि की गहराई में उतर जाता.. जिससे मिली जोरों से ‘इईईई.. श्श्श्श्शशश.. अआआ.. ह्ह्हह.. इईईई.. श्श्श्शश.. अआआ.. ह्ह्ह..’ कर रही थीं।
मेरा व मिली के शरीर पसीने लथपथ हो गए थे और हमारी साँसें भी उखड़ने लगी थीं।
फिर अचानक से मिली की योनि में सँकुचन सा हुआ और वो ‘इईई.. श्श्श्श्शशश.. अआहहह..’ करके मुझसे लिपट गई।
मिली के हाथ मेरी पीठ पर और दोनों पैर मेरी कमर पर कस गए। मिली ने एक और लम्बी ‘आह..’ भरते हुए मुझे जोरों से भींच लिया और उनकी योनि ने मेरे लिंग को योनिरस से नहला दिया।
मिली अपने चरम को पा चुकी थीं.. मगर मैं अब भी प्यासा ही था.. इसलिए मैं धक्के लगाता रहा। योनिरस से भीगकर मेरा लिंग और भी आसानी से योनि के अन्दर-बाहर होने लगा।
कुछ देर तो मिली ऐसे ही मुझसे लिपटी रही.. मगर फिर वो मुझे रोकने लगी। शायद उन्हें दिक्कत हो रही थी मगर मैं रूका नहीं और धक्के लगाता रहा क्योंकि मैं भी अपनी मँजिल के करीब ही था।
मिली को भी शायद अहसास हो गया था कि इस हालत में मेरा रुकना मुमकिन नहीं होगा.. इसलिए उन्होंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और मुझे अपने मुकाम पर पहुँचाने के लिए मेरी कमर को सहलाने लगी।
कुछ ही देर में मैं चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गया, मैंने तीन-चार जोरदार धक्के लगाए और फिर मिली के शरीर से लिपट गया। मिली से लिपट कर मैं हल्के-हल्के धक्कों के साथ उनकी योनि को अपने वीर्य से सींचने लगा।
मिली ने भी मुझे जोरों से भींचकर मेरा साथ दिया। उस रात को चार बार इस खेल का दौर चला और रात भर मैंने मिली को जगाए रखा।
अब तो रोजाना ही मेरे व मिली के बीच ये खेल चलने लगा
दो साल बाद मिली की शादी हो गई मिली बहुत रोई क्योंकि वो मुझसे अलग नही होना चाहती थी लेकिन हम साथ भी नही रह सकते थे मैने उसे अच्छे से समझाया तो मान गई
अब जब भी वो अपने ससुराल से वापस आती है हम कोई भी मौका नही छोड़ते है चुदाई का...
समाप्त ...........
इस कहानी का दूसरा भाग जल्दी ही प्रारम्भ होगा जिसमें मिली के जिस्म की भूख उसको रिश्तों मे से और बहुत से लन्ड लेने को मजबूर करते हैं।
कहानी के प्रथम पूर्ण भाग का आनन्द लीजिए , मैं अपने Exam के बाद जल्द ही दूसरे भाग को प्रारम्भ करूंगी ।
धन्यवाद
आपकी प्यारी निधि